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20वीं किस्त से पहले अलर्ट! ये काम किया तो पीएम किसान का पैसा नहीं, ठगी मिलेगी

नई दिल्ली  पीएम किसान सम्मान निधि की 20वीं अभी तक किस्त जारी नहीं हुई है। सरकार ने अभी इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है। हालांकि, इसकी उल्टी गिनती जरूर शुरू हो गई है। हालांकि, पीएम किसान के नाम पर साइबर अपराधी सक्रिय हो गए हैं। अगर आपने सावधनी नहीं रखी तो आपका बैंक खाता खाली हो सकत है। खबर में यह जानेंगे कि ऐसे फ्रॉड से बचने के लिए क्या करें? कब आएगी पीएम किसान की 20वीं किस्त अभी सबसे बड़ा सवाल यह है कि सम्मन निधि का पैसा कब आ रहा है। तो जवाब है, बहुत जल्द 10 करोड़ से अधिक किसानों के खातों में 2000 रुपये की किस्त गिरने वाली है। इसकी वजह यह है कि पिछले ट्रेंड के मुकाबले अप्रैल-जुलाई की किस्त वैसे ही लेट हो चुकी है। हालांकि, नियमानुसार अभी इसके आने का समय 31 जुलाई तक है। पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत केंद्र सरकार 10 करोड़ से अधिक किसान परिवारों को सलाना 6000 रुपये की आर्थिक सहायता देती है। यह डीबीटी के जरिए 2000 रुपये की 3 किस्त सीधे किसानों के खाते में क्रेडिट होता है। हर वित्तवर्ष की पहली किस्त 1 अप्रैल से 31 जुलाई, दूसरी किस्त 1 अगस्त से 30 नवंबर और तीसरी किस्त 1 दिसंबर से 31 मार्च के बीच किसानों के बैंक खातों में केंद्र सरकार द्वारा डाल दी जाती है। PM-KISAN रजिस्ट्रेशन अपडेट अगर आपने अभी तक ई-केवाईसी नहीं की है या बैंक डिटेल्स नहीं जोड़ी हैं, तो 20वीं किस्त से पहले अपना प्रोफाइल अपडेट करें। कुछ राज्यों (जैसे पंजाब, हरियाणा) में किसानों को भूमि रिकॉर्ड अपडेट करने के निर्देश दिए गए हैं। पीएम किसान के नाम पर खाली हो सकता है खाता फर्जीवाड़े वाली SMS/कॉल्स से सावधान रहें। पीएम किसान के लाभार्थियों के पास आजकल बहुत सारे फेक कॉल्स और मैसेज आ रहे हैं। इनमें कहा जा रहा है, "आपकी 20वीं किस्त लंबित है, लिंक पर क्लिक करें!" जैसे मैसेज आपकी बैंक में रखी जमा-पूंजी को खत्म कर सकती है। साइबर अपराधियों की नजर इस पर है। पीएम किसान की 2000 रुपये की किस्त भुगतान सीधे बैंक खाते में आता है। ऐसे में आप सिर्फ ऑफिशियल वेबसाइट pmkisan.gov.in से ही स्टेटस चेक करें। अगर पैसा नहीं आया तो क्या करें? पोर्टल: https://pmkisan.gov.in/) अपना रजिस्ट्रेशन स्टेटस चेक करें। 2. हेल्पलाइन: 011-23381092, 155261 (Toll-free) 3. गड़बड़ी की शिकायत: pmkisan-ict@gov.in पर ईमेल करें। 4. डाउनलोड करें ऐप: सरकारी योजना का "किसान हेल्प एप" डाउनलोड करें। इससे आप सीधे अपना स्टेटस, शिकायत दर्ज कर सकते हैं और अलर्ट पा सकते हैं। पीएम किसान योजना के तहत कौन पात्र हैं इस योजना के तहत, सभी भूमिधारक किसान परिवार, जिनके नाम पर खेती योग्य भूमि है, लाभ प्राप्त करने के लिए पात्र हैं। इसके अतिरिक्त, जो लोग 10,000/- रुपये या उससे अधिक की मासिक पेंशन प्राप्त करते हैं, उन्हें लाभ से बाहर रखा गया है। सभी व्यक्ति जो डॉक्टर, इंजीनियर जैसे पेशेवर हैं, उन्हें भी लाभ से बाहर रखा गया है।  

घाना में होना सौभाग्य की बात है, यह एक ऐसी भूमि है जो लोकतंत्र की भावना से ओतप्रोत है: पीएम मोदी

अकारा  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी घाना की दो दिवसीय यात्रा पर हैं। पीएम मोदी ने गुरुवार को घाना की संसद को संबोधित किया। इससे पहले घाना सरकार की ओर से उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया। बता दें कि तीन दशक बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने घाना का दौरा किया है। प्रधानमंत्री मोदी बुधवार को दो दिवसीय यात्रा पर घाना पहुंचे हैं। गुरुवार को घाना ने पीएम मोदी को घाना के  सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना' से सम्मानित किया गया। इसके बाद पीएम मोदी ने घाना की संसद को संबोधित किया। संसद को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने सर्वोच्च सम्मान देने के लिए आभार जताया।  घाना में होना सौभाग्य की बात है- पीएम मोदी पीएम मोदी ने कहा कि आज इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित करते हुए मुझे अत्यंत गौरव का अनुभव हो रहा है। घाना में होना सौभाग्य की बात है, यह एक ऐसी भूमि है जो लोकतंत्र की भावना से ओतप्रोत है। पीएम मोदी ने आगे कहा, विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रतिनिधि के रूप में मैं अपने साथ 1.4 अरब भारतीयों की सद्भावना और शुभकामनाएं लेकर आया हूं। घाना से मिले सर्वोच्च सम्मान के लिए मैं 140 करोड़ भारतीयों की तरफ से आभार व्यक्त करता हूं।  घाना को सोने की भूमि के रूप में जाना जाता है, न केवल आपकी धरती के नीचे छिपी हुई चीजों के लिए बल्कि आपके दिल में मौजूद गर्मजोशी और ताकत के लिए भी'। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, आज मुझे दूरदर्शी राजनेता तथा घाना के प्रिय पुत्र डॉ. क्वामे नक्रूमा को श्रद्धांजलि अर्पित करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने एक बार कहा था कि हमें एकजुट करने वाली ताकतें हमें अलग रखने वाले आरोपित प्रभावों से कहीं अधिक बड़ी हैं। उनके शब्द हमारी साझा यात्रा का मार्गदर्शन करते रहेंगे। घाना साहस के साथ खड़ा है- पीएम मोदी अपने संबोधन में पीएम मोदी ने आगे कहा कि भारत में 2500 राजनीतिक दल हैं। 20 अलग-अलग पार्टियां अलग-अलग राज्यों में सरकार चला रही हैं। यही वजह है कि भारत में आने वाले लोगों को भारत में भव्य स्वागत होता है। घाना में भारत के लोग उसी तरह घुले-मिले हैं जैसे चाय में शक्कर मिली होती है। पीएम ने कहा, जब हम घाना को देखते हैं तो हम एक ऐसे राष्ट्र को देखते हैं जो साहस के साथ खड़ा है। समावेशी प्रगति के प्रति आपकी प्रतिबद्धता ने वास्तव में घाना को पूरे अफ्रीकी महाद्वीप के लिए प्रेरणा का केंद्र बना दिया है। हमारे लिए लोकतंत्र सिस्टम नहीं संस्कार हैं- पीएम मोदी घाना की संसद को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा- भारत और घाना के संबंध काफी मजबूत हैं। भारत-घाना समावेशी विकास की ओर बढ़ रहे हैं। पीएम मोदी ने आगे कहा कि हमारे लिए लोकतंत्र सिस्टम नहीं संस्कार हैं। घाना में पिछले कुछ वर्षों से काफी तेजी से विकास हुआ है। इस वक्त भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा- दुनिया इस वक्त कई समस्याओं से जूझ रही है, जिसमें आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन इस समय बड़ी समस्याएं हैं। वहीं भारत का लोकतंत्र आशा की किरण बना हुआ है।   भारत सबके भले की बात करता है- पीएम मोदी पीएम मोदी ने इस मौके कहा- दुनिया ने कोरोना काल का संकट भी देखा और भारत ने दुनिया के तमाम देशों को वैक्सीन भेजे। हमारा मंत्र सबका साथ-सबका विकास है। लोकतंत्र जितना मजबूत होगा, दुनिया उतनी ही सशक्त बनेगी। घाना एक ऐसा देश है जो साहस के साथ खड़ा है। भारत सबके भले की बात करता है। वैश्विक उठपटक सबके लिए चिंता का कारण है।  

उत्तराधिकारी तय करना तिब्बत का अधिकार! भारत ने चीन को दिखाया आईना

नई दिल्ली  भारत ने तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के उत्तराधिकारी के मुद्दे पर स्पष्ट और कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि इस मामले में केवल दलाई लामा ही निर्णय ले सकते हैं। भारत ने चीन की किसी भी दखलंदाजी को सिरे से खारिज करते हुए इसे तिब्बती बौद्ध परंपराओं का आंतरिक मामला बताया। भारत ने स्पष्ट किया कि तिब्बती आध्यात्मिक गुरु के उत्तराधिकारी को तय करने का अधिकार केवल और केवल दलाई लामा को है, न कि किसी और को। अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगले दलाई लामा पर निर्णय सिर्फ और सिर्फ स्थापित संस्था व दलाई लामा लेंगे। उन्होंने कहा कि इस फैसले में कोई और शामिल नहीं होगा। रिजिजू ने यहां संवाददाताओं से कहा कि दलाई लामा बौद्धों के लिए ‘सर्वाधिक महत्वपूर्ण और परिभाषित संस्था’ हैं। उन्होंने कहा, “और दलाई लामा को मानने वाले सभी लोगों की राय ​​है कि उत्तराधिकारी का फैसला स्थापित परंपरा के और दलाई लामा की इच्छा के अनुसार होना चाहिए। उनके और मौजूदा परंपराओं के अलावा किसी और को इसे तय करने का अधिकार नहीं है।” बौद्ध धर्म के अनुयायी रिजिजू इन दिनों धर्मशाला में हैं, जहां वह केंद्रीय मंत्री ललन सिंह के साथ दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के समारोहों में भारत सरकार के प्रतिनिधियों के रूप में भाग ले रहे हैं। रिजिजू ने यह भी स्पष्ट किया कि यह एक "शुद्ध रूप से धार्मिक अवसर है" और इसे राजनीति से जोड़ना अनुचित है। दलाई लामा का रुख भी स्पष्ट इससे एक दिन पहले, दलाई लामा के आधिकारिक कार्यालय गादेन फोडरंग ट्रस्ट ने भी बयान जारी कर कहा था कि दलाई लामा की संस्था 600 साल पुरानी है और इसका अस्तित्व उनके जीवन के बाद भी बना रहेगा। अगला यानी 15वां दलाई लामा किसे बनाया जाएगा, इसका निर्णय पूरी तरह गादेन फोडरंग ट्रस्ट ही करेगा। गादेन फोडरंग ट्रस्ट ने 24 सितंबर 2011 के बयान का हवाला देते हुए कहा कि "भविष्य में दलाई लामा की मान्यता की प्रक्रिया पूरी तरह ट्रस्ट के सदस्यों की जिम्मेदारी होगी।" चीन की दखल की कोशिश चीन लगातार यह दावा करता रहा है कि दलाई लामा का पुनर्जन्म उसकी अनुमति और नियंत्रण में ही होना चाहिए। हाल ही में चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, "दलाई लामा का उत्तराधिकारी चयन चीनी कानून, धार्मिक परंपराओं और ऐतिहासिक प्रक्रिया के तहत होना चाहिए।" बीजिंग का यह दावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना का विषय रहा है। दलाई लामा को विश्व भर में शांति और करुणा का प्रतीक माना जाता है। लेकिन चीन उन्हें एक "विभाजनकारी व्यक्ति" बताता है, जो तिब्बत को चीन से अलग करना चाहता है। निर्वासन में जीवन और तिब्बती चिंता 1959 में तिब्बत में चीनी शासन के खिलाफ असफल विद्रोह के बाद दलाई लामा भारत आ गए थे और तब से वह भारत में शरण लिए हुए हैं। धर्मशाला स्थित तिब्बती निर्वासित सरकार आज करीब 1.3 लाख तिब्बतियों का प्रतिनिधित्व करती है। 2011 में दलाई लामा ने राजनीतिक जिम्मेदारियां छोड़ दी थीं और लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकार को यह जिम्मेदारी सौंप दी थी। लेकिन उन्होंने तब भी चेतावनी दी थी कि पुनर्जन्म की इस परंपरा का राजनीतिक मकसद से दुरुपयोग किया जा सकता है। तिब्बती समुदाय की चिंता तिब्बती समुदाय और मानवाधिकार कार्यकर्ता आशंका जता रहे हैं कि चीन भविष्य में एक "सरकारी दलाई लामा" नियुक्त कर सकता है, ताकि तिब्बत पर उसका नियंत्रण और मजबूत हो जाए। इस कदम को तिब्बती संस्कृति और धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ माना जा रहा है। चीन ने दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना को खारिज किया, मंजूरी की जरूरत पर जोर दिया चीन ने दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना को बुधवार को खारिज करते हुए इस पर जोर दिया कि किसी भी भावी उत्तराधिकारी को उसकी मंजूरी लेनी होगी। इस तरह चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के साथ तिब्बती बौद्ध के दशकों पुराने संघर्ष में एक नया अध्याय जुड़ गया है। तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बुधवार को कहा कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी और केवल गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास उनके उत्तराधिकारी को तय करने का अधिकार होगा। इसके साथ ही दलाई लामा ने इस संबंध में अनिश्चितता को समाप्त कर दिया कि उनके बाद उनका कोई उत्तराधिकारी होगा या नहीं। गादेन फोडरंग ट्रस्ट की स्थापना दलाई लामा ने 2015 में की थी। रविवार को दलाई लामा के 90वें जन्मदिन से पहले उनकी यह घोषणा बीजिंग के साथ तनाव बढ़ाने वाली है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने दलाई लामा की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रेस वार्ता में कहा, "दलाई लामा के पुनर्जन्म को धार्मिक परंपराओं और कानूनों के अनुरूप घरेलू मान्यता, 'स्वर्ण कलश' प्रक्रिया और केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के सिद्धांतों का पालन करना होगा।’’ चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने दलाई लामा की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रेस वार्ता में कहा, "दलाई लामा के पुनर्जन्म को धार्मिक परंपराओं और कानूनों के अनुरूप घरेलू मान्यता, 'स्वर्ण कलश' प्रक्रिया और केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के सिद्धांतों का पालन करना होगा।’’ दलाई लामा के उत्तराधिकारी को भी… दलाई लामा की तरफ दुनिया का ध्यान 1959 में उस समय गया जब वह कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग के नेतृत्व में चीनी सेना द्वारा तिब्बत पर कब्जा कर लेने के बाद तिब्बतियों के एक बड़े समूह के साथ भारत में शरण लेने के लिए आए थे। तब से वह धर्मशाला में रह रहे हैं। उनकी उपस्थिति चीन और भारत के बीच विवाद का विषय बनी रही। दलाई लामा के उत्तराधिकारी को भी तिब्बती स्वायत्तता के लिए संघर्ष को जारी रखना पड़ सकता है। दलाई लामा के उत्तराधिकारी के मुद्दे से चीन और अमेरिका के बीच भी नए तनाव की आशंका है क्योंकि अमेरिका का तिब्बती नीति और समर्थन अधिनियम 2020, चीन की नीति के उलट है। अमेरिकी अधिनियम में दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म के लिए अमेरिका के दृढ़ समर्थन की पुष्टि की गई है। माओ ने कहा कि दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म के दूसरे सबसे बड़े आध्यात्मिक नेता पंचेन लामा के पुनर्जन्म के लिए 18वीं सदी के किंग राजवंश द्वारा शुरू की गई स्वर्ण कलश विधि प्रक्रिया की सदियों पुरानी परंपरा से गुजरना पड़ता … Read more

भारत को मिलेगा फायदा? QUAD का चीन के खिलाफ क्रिटिकल मिनरल्स एक्शन प्लान तैयार

नई दिल्ली  भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के समूह ‘क्वाड’ ने मिलकर चीन की मनमानी रोकने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। वैश्विक तकनीकी और रक्षा उद्योगों के लिए अहम क्रिटिकल मिनरल्स की आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित और विविध बनाने के लिए एक नई रणनीतिक पहल की शुरुआत की है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब चीन द्वारा इन खनिजों पर नियंत्रण को लेकर वैश्विक चिंता गहराती जा रही है। क्वाड की ओर से बुधवार देर रात जारी संयुक्त बयान में कहा गया, “क्रिटिकल मिनरल्स की आपूर्ति श्रृंखलाओं में अचानक बाधा और भविष्य की विश्वसनीयता को लेकर हम गहराई से चिंतित हैं। एक ही देश पर अत्यधिक निर्भरता से आर्थिक दबाव, कीमतों में हेराफेरी और आपूर्ति बाधित होने का खतरा रहता है।” इस बयान में स्पष्ट रूप से चीन को निशाने पर लेते हुए कहा गया कि इस निर्भरता से हमारे उद्योगों की आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा को नुकसान हो सकता है। क्यों जरूरी हैं क्रिटिकल मिनरल्स? क्रिटिकल मिनरल्स जैसे रेयर अर्थ एलिमेंट्स (REEs), लिथियम, कोबाल्ट आदि का उपयोग इलेक्ट्रिक वाहनों, रक्षा उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर्स में होता है। NdFeB मैग्नेट (Neodymium-Iron-Boron) इलेक्ट्रिक मोटरों के लिए आवश्यक हैं। ये चीन लगभग एकाधिकार के साथ बनाता है। भारत की ऑटो इंडस्ट्री पर असर भारत की नई नवेली ईवी इंडस्ट्री को भी चीन की पाबंदियों का सीधा असर महसूस हो रहा है। चीन ने भारतीय कार कंपनियों के आवेदनों को मंजूरी नहीं दी है, जिससे मैग्नेट और आवश्यक उपकरणों की कमी हो रही है। बीजिंग अब कंपनियों से कह रहा है कि वे अलग-अलग उपकरणों के बजाय पूरा मोटर असेंबली चीन से खरीदें, जिससे भारतीय कंपनियों की निर्माण योजनाओं पर संकट मंडरा रहा है। क्वाड ने “Quad Critical Minerals Initiative” के तहत घोषणा की कि सदस्य देश आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित और विविध बनाने में सहयोग करेंगे। ई-वेस्ट से खनिजों की प्राप्ति और पुनःप्रसंस्करण को भी बढ़ावा देंगे। निजी कंपनियों के साथ मिलकर निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा। भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह पहल आर्थिक सुरक्षा और सामूहिक लचीलापन बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है। G7 की पहल से भी जुड़ा भारत इससे पहले कनाडा में हुए G7 सम्मेलन में भी क्रिटिकल मिनरल्स पर एक्शन प्लान तैयार किया गया था जिसे भारत ने समर्थन दिया था। RISE Initiative के तहत विश्व बैंक के सहयोग से सप्लाई चेन मजबूत करने की योजना बनाई गई है। जापान और अन्य देशों ने इसमें 25 मिलियन डॉलर का योगदान देने का वादा किया। भारत-अमेरिका द्विपक्षीय सहयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान ‘TRUST’ (Transforming Relationship Utilizing Strategic Technology) पहल पर सहमति बनी। इसमें लिथियम और रेयर अर्थ एलिमेंट्स के खनन व प्रसंस्करण की तकनीक विकसित करने पर फोकस है। अमेरिका के Critical Materials Innovation Hub के प्रमुख टॉम लोग्रासो ने हाल ही में भारत आकर साझेदारियों की संभावनाएं टटोलीं।  

पिता की हत्या कर शव को नहलाया और फेंक दिया बाहर, बेटी-पति गिरफ्तार

राजकोट पिता की बार-बार की जा रही लापरवाही और झगड़े ने बेटी दामाद को इतना गुस्सा दिला दिया कि दोनों ने मिलकर वृद्ध की हत्या कर दी। मामला गुजरात के राजकोट जिले का है। यहां मजूदरी करने वाला एक शख्स अपनी बेटी और दामाद के साथ रहता था। इस दौरान बेटी और दामाद से उपेक्षा करने को लेकर अक्सर लड़ाई होती रहती थी। 30 जून को एक बार फिर से बेटी और दामाद से शख्स का झगड़ा हुआ तो बेटी और दामाद के सिर पर खून सवार हो गया। दोनों पिता की लाठी-डंडों और लोहे की रॉड से पीट-पीटकर हत्या कर दी और शव को उसके काम करने वाली जगह पर फेंक दिया। पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए दोनों को गिरफ्तार कर लिया है। शव को क्यों नहलाकर फेंका बाहर मामला राजकोट के पडाधरी तालुका का है। यहां के तरघाडी गांव में पिता की हत्या को अंजाम देने के बाद बेटी और दामाद ने इसे दुर्घटना की शक्ल देनी चाही। दोनों ने पहले शव को पानी से नहलाया और शव की साफ-सफाई करने के बाद उसे लेकर एक सूनसान जगह पर पहुंचे। यहां पहुंचने पर दोनों ने शव को सड़क किनारे फेंक दिया और घर वापस चले आए। कैसे खुला मामला शख्स का शव मिलने के बाद पुलिस को पहली ही नजर में शक हो गया कि यह दुर्घटना नहीं है, बल्कि हत्या की गई है। पुलिस ने अपनी लोकल इंटेलिजेंस टीम की सहायता से मामले का खुलासा कर दिया। पुलिस ने पहले बेटे कांति दमोर का पता लगाया और शख्स की तस्वीर दिखाई। बेटे ने पिता को पहचान लिया। बेटे ने बताया कि यह तस्वीर उसके पिता हिम्मत सिंह की है, जो राजकोट में मजदूरी करते हैं और अपने बेटी-दामाद के साथ रहते थे। इसके बाद पुलिस ने बेटी खेता अजनार और दामाद गणपत अजनार को हिरासत में लिया और पूछताछ शुरू कर दी। शुरू में दोनों टालमटोल की लेकिन कड़ाई से पूछताछ करने के बाद दोनों अपना जुर्म कबूल कर लिया। बेटी और दामाद ने पुलिस की पूछताछ में बताया कि पिता हिम्मतसिंह बार-बार लापरवाही करते थे। इसके बाद उनसे तीखी बहस शुरू हो जाती थी और लड़ाई हो जाती थी। इसके बाद दोनों ने मिलकर लाठी-डंडों और लोहे की रॉड से पीटा। पिटाई इतनी ज्यादा हुई की हिम्मत सिंह की मौत हो गई। गिरफ्तारी के डर से बेटी और दामानद ने मामले को दुर्घटना की शक्ल देने का पूरा प्रयास किया लेकिन, पुलिस की नजरों से नहीं बच पाए। दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।  

तेल डील पर अमेरिका की धमकी! जयशंकर ने दिया कड़ा संदेश: समय आने पर देंगे जवाब

वाशिंगटन भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अमेरिका द्वारा रूसी तेल के प्रमुख खरीदारों पर 500% टैरिफ लगाने की योजना पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भारत उस समय उचित कदम उठाएगा, जब यह सामने आएगा। जयशंकर ने इसे "पुल को पार करने" की तरह बताया, जिसका मतलब है कि भारत इस मामले में तभी कोई ठोस रुख अपनाएगा, जब स्थिति स्पष्ट होगी। जयशंकर अमेरिका के चार दिवसीय दौरे पर हैं। इस दौरान उन्होंने साफ किया कि भारत ने अमेरिका के उस सांसद के सामने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर कर दी है, जिसने रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 500% शुल्क लगाने वाला विधेयक पेश किया है। जयशंकर ने वाशिंगटन में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "ऐसे घटनाक्रम, जो भारत के हित में हों या उस पर प्रभाव डाल सकते हों, हम उन्हें बेहद करीब से ट्रैक करते हैं।" उन्होंने बताया कि भारत सरकार और भारतीय दूतावास अमेरिकी रिपब्लिकन सीनेटर लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं। ग्राहम वही सीनेटर हैं, जिन्होंने यह सख्त विधेयक पेश किया है। विधेयक पेश करते समय उन्होंने विशेष रूप से भारत और चीन का नाम लेते हुए आरोप लगाया था कि ये देश मिलकर पुतिन का 70% तेल खरीद रहे हैं। जयशंकर ने कहा, "मुझे लगता है कि हमने अपनी ऊर्जा सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं और हितों को ग्राहम के साथ स्पष्ट रूप से साझा किया है। अब यह देखना होगा कि यह बिल कितना आगे बढ़ता है। जब समय आएगा, तो हम उस पुल को पार करेंगे।" ट्रंप का समर्थन बना नई चुनौती इस विधेयक को और जटिल बना रहा है अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन। राष्ट्रपति ट्रंप इस विधेयक को समर्थन दे चुके हैं। यह विधेयक उन देशों पर 500% आयात शुल्क लगाने की मांग करता है, जो अब भी रूस से व्यापार कर रहे हैं- इनमें भारत और चीन शामिल हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह विधेयक अमेरिका की उस रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए वह रूस पर यूक्रेन युद्ध को लेकर बातचीत के लिए दबाव बनाना चाहता है। अगर यह विधेयक पास हो जाता है, तो भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। 500% शुल्क भारतीय व्यापार के लिए एक बड़ा झटका साबित होगा। व्यापार समझौते की दौड़ इस बीच, भारत और अमेरिका एक व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं। इस समझौते का उद्देश्य ट्रंप द्वारा अप्रैल में घोषित 26% जवाबी टैरिफ से बचना है। अगर यह समझौता हो जाता है, तो भारतीय निर्यातकों को अमेरिका में बड़ी राहत मिल सकती है। भारत की रूस से बढ़ती तेल खरीद भारत की रूस से कच्चे तेल की खरीद लगातार बढ़ रही है। मई 2025 में यह आयात 1.96 मिलियन बैरल प्रतिदिन तक पहुंच गया, जो पिछले 10 महीनों में सबसे अधिक है। अब स्थिति यह है कि भारत ने पश्चिम एशियाई देशों से ज्यादा तेल रूस से खरीदना शुरू कर दिया है। यह रुझान फरवरी 2022 के बाद से शुरू हुआ, जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए। इसके बाद रूस ने भारत और चीन जैसे देशों को रियायती दरों पर तेल बेचना शुरू किया, जिसे भारतीय रिफाइनरियों ने हाथों-हाथ लिया। भारत वर्तमान में अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं का 40-45% हिस्सा कच्चे तेल से पूरा करता है, जिसमें रूस की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है।  

हादसे की तह तक जाएगी सरकार: पुरी कांड पर जांच टीम गठित, जनता से सहयोग की अपील

भुवनेश्वर ओडिशा सरकार के योजना और समन्वय विभाग ने 29 जून को पुरी के गुंडिचा मंदिर के पास हुई दुखद घटना पर जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक सार्वजनिक सूचना जारी की है। तीन श्रद्धालुओं की भगदड़ जैसी स्थिति के कारण मौत हो गई थी। इस घटना के बारे में गृह विभाग की अधिसूचना संख्या 1389/सी दिनांक 29 जून, 2025 के अनुसार, सरकार ने इस घटना की जांच कराने का आदेश दिया है। जांच की जिम्मेदारी ओडिशा के विकास आयुक्त और अतिरिक्त मुख्य सचिव को सौंप दी गई है। सरकार ने उन सभी व्यक्तियों या संस्थाओं से अनुरोध किया है, जिनके पास इस घटना से संबंधित कोई जानकारी या प्रमाण (जैसे वीडियो फुटेज) हैं। बता दें, लोग इसे 20 जुलाई, 2025 तक इमेल (पुरीट्रेजडीडॉटइनक्वारीऐटदरेटओडिशाडॉटजीओवीडॉटइन) के जरिए भेज सकते हैं। इसके अलावा, जो लोग व्यक्तिगत रूप से जानकारी देना चाहते हैं, वे निम्नलिखित स्थानों और समय पर विकास आयुक्त और अतिरिक्त मुख्य सचिव से मिल सकते हैं। राज्य अतिथि गृह ऐनिक्स, भुवनेश्वर में 9 जुलाई को 3:00 बजे के बाद मिल सकते हैं। वहीं विशेष सर्किट हाउस, पुरी से 10 जुलाई को 3:00 बजे के बाद मिल सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए, लोग दिए गए फोन नंबरों (0674) 2536882 / 2391970 पर भी संपर्क कर सकते हैं। इस घटना को लेकर ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। उन्होंने प्रशासनिक कार्रवाई करते हुए पुरी के डीसीपी बिष्णु चरण पति और पुलिस कमांडेंट अजय पाधी को निलंबित कर दिया, जबकि कलेक्टर सिद्धार्थ एस स्वैन और एसपी बिनीत अग्रवाल का तबादला कर दिया। बता दें, सरकार इस मामले में पारदर्शिता के साथ जांच कर रही है, ताकि घटना के कारणों का सही रूप से पता चल सके और भविष्य में ऐसी स्थितियों से बचा जा सके। सरकार ने इस पर जिम्मेदार व्यक्ति/संस्थाओं के खिलाफ उचित कार्रवाई का वादा किया है।  

किश्तवाड़ बना जंग का मैदान! दूसरे दिन भी फायरिंग, सुरक्षाबलों का ऑपरेशन जारी

जम्मू जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ लगातार दूसरे दिन भी जारी है। सुरक्षाबलों ने बुधवार से ही इलाके में आतंकियों को घेर रखा है। गुरुवार को एक बार फिर मुठभेड़ शुरू हुई। दोनों तरफ से रुक-रुककर गोलीबारी हो रही है। सुरक्षाबलों ने आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया रिपोर्ट मिलने के बाद बुधवार शाम को किश्तवाड़ जिले के चटरू इलाके में तलाशी अभियान चलाया। जैसे ही सुरक्षाबल छिपे हुए आतंकवादियों के करीब पहुंचे, उन्होंने गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाई के बाद मुठभेड़ शुरू हो गई। भारतीय सेना की नगरोटा स्थित व्हाइटनाइट कोर ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए बताया, “विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर किश्तवाड़ के कंजल मांडू में एक संयुक्त तलाशी अभियान चलाया जा रहा था। इस दौरान आतंकवादियों की सही जानकारी मिली और मुठभेड़ शुरू हुई।” किश्तवाड़ में मुठभेड़ ऐसे समय हुई है जब अमरनाथ यात्रा का पहला जत्था पहलगाम और बालटाल स्थित दो आधार शिविरों में पहुंचा। गुरुवार को दूसरा जत्था भी जम्मू के भगवती नगर से अगले पड़ाव के लिए रवाना हुआ। 26 जून को उधमपुर जिले के बसंतगढ़ इलाके में भी मुठभेड़ हुई थी, जिसमें सुरक्षाबलों ने एक आतंकवादी को मार गिराया था। पाकिस्तान समर्थित लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हमला किया था और 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या की थी। कथित तौर पर पर्यटकों के धर्म पूछकर उन्हें गोली मारी गई थी। इस बर्बर आतंकी हमले से पूरे देश में आक्रोश फैल गया था। हालांकि कुछ दिन में ही भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में छिपे आतंकियों के 9 ठिकानों को ध्वस्त करके पहलगाम हमले का बदला लिया। भारत की कार्रवाई से भड़के पाकिस्तान ने सीमा पार से गोलाबारी और मिसाइलें दागनी शुरू की थीं। इन हमलों को भारत ने अपने मिसाइल डिफेंस सिस्टम की मदद से नाकाम किया था। जवाबी कार्रवाई में भारत ने पाकिस्तान को बड़ा नुकसान भी पहुंचाया था। भारत ने मुरिदके (लाहौर के पास), बहावलपुर, कोटली और पीओके के मुजफ्फराबाद इलाकों में स्ट्राइक कीं, जिससे पाकिस्तान की सरकार घुटनों पर आई। बाद में सहमति के बाद सीजफायर की घोषणा की गई थी।  

36 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का एक और जत्था आज जम्मू से घाटी के लिए रवाना हुआ

जम्मू 36 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा के लिए तीर्थयात्रियों का एक और जत्था गुरुवार को जम्मू से घाटी के लिए रवाना हुआ। दूसरे जत्थे में 5246 तीर्थयात्री शामिल हैं, जिन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच जम्मू के कैनाल रोड स्थित भगवती नगर से घाटी के लिए भेजा गया। अधिकारियों ने बताया कि इन तीर्थयात्रियों में से 1993 यात्री बालटाल बेस कैंप जा रहे हैं, जबकि 3253 पहलगाम बेस कैंप जा रहे हैं। तीर्थयात्री ‘बम बम भोले’ और ‘हर हर महादेव’ के जयकारे लगाते हुए आगे बढ़े। बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए तीर्थयात्रियों में उत्साह दिखा। उन्होंने सरकार की ओर से मुहैया कराई गई सुविधाओं और सुरक्षा व्यवस्थाओं की तारीफ की। तीर्थयात्रियों ने भारतीय सेना पर पूरा भरोसा जताया। श्रद्धालुओं ने कहा कि सेना के जवानों ने हमें बहुत अच्छे से भगवती नगर तक पहुंचाया। केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से जो सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, वो बहुत अच्छी हैं। दूसरे जत्थे में कुछ ऐसे भी तीर्थयात्री हैं, जो पहली बार अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं। उन्होंने भी सुरक्षा के साथ यहां की सुविधाओं की तारीफ की। श्रद्धालुओं ने कहा कि वो बहुत खुश हैं, सरकार ने अच्छी व्यवस्थाएं की हैं। एक श्रद्धालु ने कहा कि वो 2019 से लगातार अमरनाथ यात्रा के लिए यहां आता है। इस बार बहुत अच्छा लग रहा है। सरकार ने अच्छी व्यवस्था की है। एक महिला ने सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि यहां की व्यवस्थाओं को देखकर बहुत खुशी हुई। एक श्रद्धालु ने कहा, “जब संवेदनशील समय था, जब आतंकवादी हमले होते थे, उस समय भी भक्त इस यात्रा के लिए आते थे। अब बिल्कुल निर्भय होकर यहां श्रद्धालु आ रहे हैं।” एक अन्य श्रद्धालु ने कहा, “पहले और अब की यात्रा में जमीन-आसमान का फर्क है। यहां दो-तीन गुना अधिक सुरक्षाकर्मियों की तैनाती है। पहले के मुकाबले चार गुना सुख-सुविधाएं यहां देखने को मिल रही हैं।” श्रद्धालुओं को सलाह दी गई है कि वो सिर्फ सुरक्षा काफिले के साथ ही जम्मू से घाटी की ओर यात्रा करें और अकेले न निकलें। अमरनाथ यात्रा 36 दिनों तक चलेगी और इस बार इसका समापन 9 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन के दिन होगा।  

ब्रिटेन के एफ-35 लड़ाकू विमान ने जाने में असफल, बदली रणनीति

तिरुवनंतपुरम  केरल के तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ब्रिटिश रॉयल नेवी के F-35 फाइटर जेट ने 14 जून को इमरजेंसी लैंडिंग की थी और 19 दिन बाद भी इस विमान में आई खराबी को दूर नहीं किया जा सका है. अब सूत्रों से जानकारी सामने आई है कि फाइटर जेट को टुकड़े-टुकड़े करके सैन्य कार्गो विमान के जरिए वापस ब्रिटेन ले जाया जाएगा. दूर नहीं हो पाई विमान में आई खराबी विमान को केरल में ठीक करने की कई कोशिशों के बावजूद, फिफ्थ जेनरेशन का स्टील्थ फाइटर जेट इंजीनियरिंग की खराबी के कारण अभी तक जमीन पर ही खड़ा है. मामले से सूत्रों ने पुष्टि की है कि विमान को फिर से उड़ान भरने के लिए तैयार करने की सभी कोशिश अब तक फेल साबित हुई हैं. ऐसे में विमान को ले जाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचा है.  लगातार हो रही देरी के अलावा, यूनाइटेड किंगडम से कोई भी इंजीनियरिंग टीम अभी तक भारत नहीं पहुंची है. सूत्रों ने बताया कि मरम्मत के लिए तीस इंजीनियरों के एक ग्रुप के तिरुवनंतपुरम पहुंचने की उम्मीद थी, लेकिन वे अभी तक नहीं पहुंचे हैं. अब टुकड़ों में वापस जाएगा जेट विमान की वापसी के लिए कोई डेडलाइन न होने के कारण, ब्रिटिश अधिकारी अब विमान को वापस लाने के लिए वैकल्पिक योजनाओं पर काम कर रहे हैं. विमान को आंशिक रूप से तोड़ना मिलिट्री ट्रांसपोर्ट की ओर से विमान को वापस ले जाने के सबसे बेहतर ऑप्शन के रूप में उभरा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन अब इस फाइटर जेट को C-17 ग्लोबमास्टर विमान में ले जाने पर विचार कर रहा है, जो इस विमान के लिए अलग तरह का कदम होगा. विमान के कलपुर्जों को खोलकर उन्हें ग्लोबमास्टर के जरिए सुरक्षित वापस ले जाने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है. एयरपोर्ट पर हुई थी इमरजेंसी लैंडिंग एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा F-35B केरल के तट से 100 समुद्री मील दूर ऑपरेशन कर रहा था, जब खराब मौसम और फ्यूल की कमी के कारण विमान को इमरजेंसी हालात में तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर लैंड कराया गया. भारतीय वायु सेना ने सुरक्षित लैंडिंग में मदद की और फ्यूल भरने और रसद भी पहुंचाई. हालांकि, जब लड़ाकू विमान अपने एयरक्राफ्ट कैरियर पर लौटने की तैयारी कर रहा था, तो टैकऑफ से पहले की जांच के दौरान हाइड्रोलिक फेलियर का पता चला. इस समस्या को गंभीर माना जाता है क्योंकि यह जेट की सुरक्षित रूप से उड़ान भरने और उतरने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है. तीन टेक्निशियंस वाली एक छोटी रॉयल नेवी टीम ने खराबी को ठीक करने की कोशिश की, लेकिन समस्या की जटिलता के कारण सफलता नहीं मिली. फाइटर जेट को CISF की सुरक्षा में एयरपोर्ट के बे-4 में पार्क किया गया है. शुरुआत में, रॉयल नेवी ने केरल में मॉनसून की बारिश के बावजूद, जेट को हैंगर में ले जाने के एअर इंडिया के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. बाद में, ब्रिटिश नौसेना ने जेट को हैंगर में ले जाने पर सहमति जताई. पर्यटन के लिए प्रचार का जरिया बना केरल में फंसा अत्याधुनिक ब्रिटिश विमान तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आपात लैंडिंग करने वाला ब्रिटेन की रॉयल नेवी का एफ-35बी लाइटनिंग फाइटर जेट अब अनजाने में ही केरल पर्यटन का प्रचार कर रहा है। यह अत्याधुनिक स्टेल्थ फाइटर जेट फिलहाल तकनीकी खराबी के कारण इस हवाई अड्डे पर खड़ा है और मरम्मत का इंतजार कर रहा है। लेकिन अब यह सैन्य मामला सिर्फ एयरबेस या सेना तक सीमित नहीं रह गया। अब इसे यात्रा और पर्यटन की दुनिया में एक रचनात्मक अंदाज में देखा जा रहा है।  केरल टूरिज्म का पोस्टर हो रहा वायरल केरल टूरिज्म के 'एक्स' हैंडल पर एक नया पोस्टर वायरल हो रहा है, जिसमें फाइडर जेट को केरल के नारियल के पेड़ों और हरे-भरे खूबसूरत बैकड्रॉप के सामने दिखाया गया है। पोस्टर में मजेदार अंदाज में लिखा है, 'केरल इतनी कमाल की जगह है कि अब यहां जाने का मन ही नहीं करता। जरूर सिफारिश करूंगा।' इसे मजाक में 'यूके एफ-35बी' का बयान बताया गया है। ऑनलाइन चर्चा सिर्फ इस पोस्टर तक सीमित नहीं रही।       एक्स यूजर्स ने दी ऐसी प्रतिक्रिया एक यूजर सुमोना चक्रवर्ती ने अपने पोस्ट में मजाकिया अंदाज में लिखा, 'अब ये नारियल तेल के बिना स्टार्ट ही नहीं होता।' यह केरल में नारियल तेल के इस्तेमाल पर एक हल्का-फुल्का तंज था। एक अन्य यूजर ‘द छागलतोका’ ने तो अपनी कल्पना और आगे बढ़ा दी। उन्होंने एक पोस्टर बनाया जिसमें वही लड़ाकू विमान एक सड़क किनारे चाय की दुकान के सामने खड़ा दिखाया गया और कैप्शन था- अब तो ये छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा। भाई को यहां शांति, ताड़ी और केले के चिप्स मिल गए।  मरम्मत का इंतजार कर रहा जेट ये एफ-35बी जेट दुनिया के सबसे आधुनिक लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। इसकी कीमत 110 मिलियन अमेरिकी डॉलर से ज्यादा है। इस जेट ने 14 जून को तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर आपात लैंडिंग की थी। जेट फिलहाल वहीं खड़ा है और तकनीकी खराबी के कारण उड़ान नहीं भर पा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि ब्रिटेन से एविएशन इंजीनियर तिरुवनंतपुरम पहुंचेंगे और जेट की मरम्मत करेंगे।