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फालतू में मत फेंकें अपनी घड़ी, ये टिप्स कर देंगी समय सही!

नई दिल्ली काल यानी समय कभी नहीं रुकता है। जो समय के साथ चलता है, वही आगे बढ़ता है। जो ठहर जाता है वह खत्म हो जाता है। इसी समय को बताने के लिए हम घड़ी का इस्तेमाल करते हैं, जो हमेशा चलती रहनी चाहिए। मगर, यदि घड़ी बंद हो जाए, तो उसे घर से हटा देना चाहिए। दरअसल, यह निगेटिव एनर्जी पैदा करती है और इसकी वजह से कई तरह की परेशानियां जीवन में आने लगती हैं। इसीलिए बंद घड़ी को घर से बाहर निकाल दिया जाता है। वास्तु के अनुसार, बंद घड़ी आपके लिए लगातार नुकसान और बुरे समय का कारण भी बन सकती है। करियर पर भी डालती है असर बंद घड़ी को घर में रखने से करियर, आर्थिक स्थिति और रिश्तों में बाधा आ सकती है। ज्योतिष में घड़ी को ग्रहों से जोड़ा जाता है। घड़ी के बंद होने का मतलब है कि समय के फ्लो यानी बहाव में रुकावट आ रही है। इसका असर आपकी तरक्की पर भी पड़ता है। लिहाजा, अगर आपके घर में भी कोई बंद घड़ी पड़ी है, तो अब समय है कि उसे घर से बाहर कर दिया जाए। मगर, इससे पहले आप एक उपाय कर सकते हैं, जो आपकी किस्मत के बंद ताले को खोल सकता है। बंद घड़ी से करें ये उपाय घर में पड़ी खराब घड़ी को घर से बाहर निकालने से पहले आप जिस भी परेशानी से जूझ रहे हैं, उसे एक कागज पर लिख लें। इसके बाद उस कागज के टुकड़े को घड़ी के साथ रखकर काले कपड़े से लपेट दें। इसके बाद इस घड़ी को घर से दूर किसी कचरा फेंकने की जगह पर फेंक आएं। इस उपाय को करते समय आपको यह ध्यान रखना है कि आपको पीछे पलटकर नहीं देखना है। बस इतना करने के बाद आप देखेंगे कि धीरे-धीरे आपके जीवन से वह समस्या दूर हो रही है।

करवा चौथ कब है? 9 और 10 अक्टूबर में से सही तिथि, शुभ समय और पूजा सामग्री की जानकारी

हिंदू धर्म में कार्तिक महीने का विशेष महत्व माना गया है। इस महीने को पूजन पाठ और दान धर्म से जोड़कर देखा जाता है। इस बार 8 अक्टूबर से कार्तिक के महीने की शुरुआत हो रही है। कार्तिक के महीने में करवा चौथ का त्यौहार भी आता है जो सुहागिन महिलाओं के लिए काफी खास माना गया है। इस हिंदू महीने में भगवान विष्णु, माता लक्ष्मी और तुलसी की पूजन के साथ करवा चौथ के व्रत का भी महत्व माना गया है। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को आने वाले इस त्यौहार पर सुहागन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रमा का पूजन करने के बाद व्रत खोलती हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन विधि विधान से की गई पूजन रिश्ते में प्रेम को बढ़ाती है। चलिए आपको इस शुभ पर्व की सही तिथि और शुभ मुहूर्त के बारे में बताते हैं। करवा चौथ की तिथि  वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल 10 अक्टूबर को करवा चौथ का व्रत किया जाने वाला है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 9 अक्टूबर को देर रात 10:54 पर होने वाली है। यह तिथि 10 अक्टूबर की शाम 7:38 पर समाप्त होगी। पूजन का मुहूर्त अगर आप भी हारतालिका तीज का व्रत करते हैं तो पूजन का शुभ मुहूर्त 5:16 से शाम 6:2 मिनट तक है। इस दिन चंद्रोदय का समय शाम 7:42 का बताया जा रहा है। पूजन की सामग्री पूजन के लिए कच्चा दूध, पुष्प, शक्कर, घी, अगरबत्ती, मिठाई, गंगाजल, अक्षत, कुमकुम, मेहंदी, बिंदी, चूड़ी, बिछिया, महावीर, छलनी, जल का लौटा, थाली और दीपक की आवश्यकता होगी। इन चीजों का करें दान करवा चौथ के दिन माता करवा की पूजन अर्चन करें। व्रत की कथा का पाठ करने के बाद माता से जीवन में सुख समृद्धि लाने की प्रार्थना करें। अब आपको केसर सिंदूर, इत्र और लाल चुनरी का दान करना है। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है और घर में सुख समृद्धि बनी रहती है।

आज का राशिफल: 13 सितंबर को चमकेगा इन जातकों का भाग्य, पैसा और तरक्की तय

मेष राशि- आज मेष राशि वाले संवेदनशील बने रहेंगे और दूसरों की मदद करेंगे। रिश्तों में प्यार और भरोसा बढ़ेगा। काम में नई योजनाएं बन सकती हैं। पैसों को लेकर सोच-समझकर फैसले लें। समय पर आराम और हल्की कसरत सेहत के लिए ठीक रहेगी। वृषभ राशि- वृषभ राशि वालों के लिए दिन अच्छा रहेगा। आज विचार स्पष्ट रहेंगे। नए लोगों से जुड़ाव फायदेमंद रहेगा। रिश्तों में छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दें। कामकाज में फायदा होगा। पैसों की समस्या दूर होगी। सुबह या शाम की सैर और हल्का खाना शरीर को स्वस्थ रखेगा। मिथुन राशि- मिथुन राशि वाले आज धैर्य से काम लें। परिवार और काम दोनों को समय दें। पैसों को लेकर सावधानी बरतें। काम में नई जिम्मेदारी मिल सकती है। पर्याप्त आराम और संतुलित आहार आपकी सेहत को अच्छा रखेंगे। कर्क राशि- कर्क राशि वालों के लिए आज का दिन सामान्य रहेगा। आज उत्साह और ऊर्जा बनी रहेगी। रिश्तों में खुलापन और खुशी दिखाएं। कामकाज में योजना बनाकर आगे बढ़ें। पैसों की स्थिति ठीक रहेगी लेकिन फालतू खर्च से बचें। योग या हल्की कसरत सेहत के लिए अच्छी रहेगी। सिंह राशि- सिंह राशि वालों के लिए दिन अच्छा रहेगा। पढ़ाई और काम में मन लगेगा। बच्चों की सेहत का ध्यान रखें और परिवार से सहयोग मिलेगा। धार्मिक कामों या भक्ति संगीत में मन लगेगा। रिश्तों में प्यार और भरोसा बढ़ेगा। नौकरी में नए मौके मिल सकते हैं और कामकाज बढ़ेगा। कन्या राशि- कन्या राशि वाले आज आत्मविश्वास से भरे रहेंगे। परिवार और साथी के साथ समय अच्छा गुजरेगा। काम में नई जिम्मेदारियां मिल सकती हैं। आय बढ़ने के अवसर हैं, लेकिन खर्च सोच-समझकर करें। ज्यादा तनाव न लें, नींद पूरी करें और शरीर को आराम दें। तुला राशि- तुला राशि वाला को शुभ फल की प्राप्ति होगी। आय बढ़ने की संभावना है लेकिन खर्च सोच-समझकर करें। सेहत के लिए समय पर खाना, आराम और हल्की कसरत फायदेमंद रहेगी। दांपत्य जीवन सुखमय रहेगा। वृश्चिक राशि- आप आज छोटे-छोटे काम आसानी से कर पाएंगे। नए लोगों से मुलाकात फायदेमंद रहेगी। रिश्तों में खुलकर और धीरे बोलें। कामकाज में छोटे-छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं। पैसे की बचत पर ध्यान दें। हल्की-फुल्की कसरत और समय पर आराम सेहत के लिए ठीक रहेगा। धनु राशि- धनु राशि वालों का मन आज शांत रहेगा और आप लोगों की मदद करने के लिए आगे आएंगे। परिवार और साथी से समर्थन मिलेगा। कामकाज में नई योजनाएं बन सकती हैं। पैसे को लेकर सावधानी जरूरी है, फालतू खर्च से बचें। सेहत के लिए ताजे फल, सब्जियां और आराम लेना अच्छा रहेगा। मकर राशि- आज योजनाएं पूरी होंगी और कामकाज में अनुशासन रहेगा। रिश्तों में धैर्य और सरलता अपनाएं। पैसों की स्थिति संभलकर चलेगी, जरूरत से ज्यादा खर्च न करें। हल्की कसरत और समय पर खाना-पीना आपकी सेहत ठीक रखेगा। कुंभ राशि- आज मेहनत रंग लाएगी। रिश्तों में ईमानदारी और धैर्य रखें। काम में नए विचार आएंगे, उन्हें धीरे-धीरे लागू करें। पैसों के मामले में बचत जरूरी है। हल्की सैर और ध्यान लगाने से मन शांत रहेगा। मीन राशि- आज भावनाओं में न बहें। धीरे-धीरे प्रगति होगी। परिवार और दोस्तों से मेल-जोल बढ़ेगा। कामकाज अच्छा चलेगा। पैसों के मामले में धैर्य रखें और छोटी-छोटी बचत करते रहें। स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

जानिए क्या है भगवान कृष्ण शब्द का अर्थ

श्रीकृष्ण संसार में अवतीर्ण होकर धर्म का परिपालन के साथ सरल और सहज जीवन बिताने का मार्ग दिखाते हैं। उनके नामस्मरण से ही मोक्ष सुनिश्चित है। कृष्ण शब्द की व्युत्पत्ति ब्रह्मवैवर्तपुराण में कई प्रकार से दर्शाई गई है। कृष्ण शब्द में तीन अक्षर विद्यमान हैं। जैसे कृष़ण़्अ। इनमें कृष् का अर्थ है उत्कृष्ट, ण् का अर्थ है, उत्तम भक्ति और अ का अर्थ है देने वाला। अर्थात् उत्कृष्ट भक्ति को जो देता है अर्थात् जगाता है वही कृष्ण है। कृष्ण शब्द में ही दो अक्षर कृष़्ण मानकर पुराणों में जो अर्थ बताया गया है उसके अनुसार कृष् का अर्थ है परम आनन्द और ण का अर्थ है दास्य कर्म अर्थात् सेवा। कृष्ण शब्द का अर्थ होगा परम आनन्द और सेवा का अवसर, इन दोनों को देने वाला ही कृष्ण है। कृष्ण शब्द की तीसरी व्युत्पत्ति बताते हैं कि कृष् का अर्थ है कोटि जन्म से अर्जित पापों का क्लेश और ण का अर्थ है उन सब पापों को दूर करने वाला। कोटि जन्मों से किए हुए पापों को दूर करने वाला ही कृष्ण है। शास्त्रों में कृष्ण नाम के उच्चारण का फल भगवान् विष्णु के हजार नामों को तीन बार दोहराने के बराबर मिलता है। वैदिक विद्वान् कहते हैं कि सभी नामों से कृष्ण का नाम बड़ा है। जिसके मुख से कृष्ण नाम का उच्चारण किया जाता है उस के सारे पाप स्वतः ही भस्मसात् हो जाते हैं। भागवत का उद्देश्य है कि श्रीकृष्ण तत्व को दर्शाना। श्रीकृष्ण परब्रह्म भगवान् विष्णु के अवतार माने जाते हैं। इस अवतार के लिए योग्य तिथि का चयन भगवान कृष्ण ने अष्टमी के रूप में किया। रोहिणी नक्षत्र से युक्त अष्टमी के दिन श्रीकृष्ण धरती पर अवतीर्ण हुए। कृष्ण जन्म और उससे जुड़ी हुई संख्या आठ का महत्व स्फुरित होगा। कृष्ण के अवतार से पहले मत्स्य और कूर्म आदि सात अवतार भगवान् विष्णु के माने जाते हैं। यह कृष्णावतार विष्णु के दस अवतारों में से आठवां है। इतना ही नहीं, देवकी और वसुदेव की आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। कृष्ण को परतत्व समझकर उनसे प्रेम करने वाली राधा का भी जन्म भाद्रपद शुक्ल अष्टमी तिथि को ही हुआ। क्या चमत्कार है यह आठ की संख्या जो कि अचेतन है, फिर भी कृष्णानुग्रह से मुख्यत्व प्राप्तकर धन्य हो गई। कृष्ण का संकल्प है कि वे साधुजनों की रक्षा और दुष्टों के विनाश के लिए तथा धर्म के प्रतिष्ठापन के लिए हर युग में जन्म लेते हैं। इस संकल्प को वेदव्यास ने भी भागवत में आठवें श्लोक के रूप में दर्शाकर इस संख्या के महत्व को और बढ़ाया। आमतौर पर सात समुद्र, सात वर्ण, सात लोक, सात पर्वत तथा संगीत शास्त्र में सप्तस्वर आदि ही प्रसिद्ध हैं। जब कोई भी पदार्थ सात तक पहुंचता है तो उसे उस पदार्थ की चरम सीमा मानी जाती है। ऐसी दशा में जब आठवां कोई होगा तो वह परब्रह्म ही माना जाता है। यही कारण है कि श्रीकृष्ण ने अपने जन्मतिथि के रूप में अष्टमी को ही चुना। इसीलिए अपने गुरूजनों से उपदेश पाकर लोग भी अष्टांग् योग और अष्टांग् नमस्कार आदि को अपनाते हैं। सर्वलोकहितकारी कृष्ण ने जन्म के समय पिता वसुदेव को अपना वास्तविक रूप दिखाकर मोहित किया। तमद्भुतं बालकमम्बुजेक्षणं चतुर्भुजं शङख्गदार्युदायुधम्। श्रीवत्सलक्ष्मं गलशोभिकौस्तुभं पीताम्बरं सान्द्रपयोदसौभगम्।। कृष्ण के गुणों का जो वर्णन किया गया है, उससे पता चलता है आदर्श उत्तम पुरूष के लक्षण। यहां पर महर्षि वेदव्यास 64 गुणों का वर्णन करते हैं, जो संख्या भी आठ से आठ का गुणनफल ही है। श्रीकृष्ण के सखाओं की संख्या देखेंगें तो भी आश्चर्य होगा कि वह भी आठ ही है। उज्वलनीलमणि नामक ग्रन्थ में इनकी प्रियाओं में भी राधा, चन्द्रावली आदि आठ सखियां ही मुख्य रूप से दर्शायी गई हैं। श्रीकृष्ण की पत्नियों की संख्या तो असंख्य हैं तथापि उन में से भी रूक्मिणी, जाम्बवती, सत्यभामा, कालिन्दी, मित्रविन्दा, नाग्नजिती, भद्रा और लक्ष्मणा नाम की आठ पत्नियां ही प्रमुख हैं। कृष्ण भक्ति और शरणागति से प्राप्त होते हैं। सामान्य जन भी उन्हें अपनी आंतरिक पुकार से प्राप्त कर सकता है। श्रीकृष्ण ने संसार को भक्ति और मैत्री के महत्व को अपने आचरण से सिखाया है, जिसका अनुपालन हमें करना है। हमें परबह्म श्रीकृष्ण से न वै प्रार्थ्यं राज्यं न च कनकमाणिक्य-विभवम् जैसे भौतिक पदार्थो को त्यागकर सदा हर त्वं संसारं हर त्वं पापानि इत्यादि प्रार्थना करनी चाहिए। वेदांतदेशिक प्रार्थना करते हुए कहते हैं कि नाथायैव नमःपदं भवतु नः अर्थात् भगवान श्रीकृष्ण के लिए हमारे पास समर्पित करने के लिए मात्र प्रणाम है।  

असफलता में तलाशें सफलता

क्सर देखने में आता है कि छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर पाते। बिना मंजिल के सफलता नहीं मिलती। मंजिल या लक्ष्य का निर्धारण करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि मुझ में कितनी योग्यता है और क्या-क्या कमियां हैं? मंजिल को प्राप्त 1करने के लिए हमें अपनी योग्यताओं का भरपूर उपयोग करके अपनी कमजोरियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। लक्ष्य यह सोचकर बनाना चाहिए कि इस काम को मैं पूरा कर सकता हूं। जब मंजिल के निर्धारण में कठिनाई का अनुभव हो तो हमें अपनी अंतर्रात्मा की सहायता लेनी चाहिए क्योंकि आत्मबल सबसे बड़ा बल है। दूसरों के विचार पूछने पर हमें भिन्न-भिन्न विचार सुनने को मिलेंगे जिससे हमें अपनी मंजिल के निर्धारण में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है कि कौन-सा मार्ग अपनाएं। हमें परमेश्वर ने सोचने समझने की शक्ति दी है। यह सबसे अच्छा हो यदि अपनी मंजिल का निर्धारण हम स्वयं करें। हमें जो आज्ञा अपनी आत्मा या अंतरूकरण से प्राप्त होती है वह हर मौके पर सही रहती है। हमें अपने मार्ग में मिलने वाली असफलताओं की उपेक्षा करनी चाहिए और अपनी सफलताओं पर खुश नहीं होना चाहिए। मंजिल के मार्ग में आने वाली बाधाओं की चिंता नहीं करनी चाहिए और गलतियों को दोहराना नहीं चाहिए। एक कहावत है कि जो जैसा सोचता है, वैसा ही बनता है। कभी गलत ढंग से नहीं सोचना चाहिए और अपने को किसी से कम नहीं समझना चाहिए। जीवन में मिलने वाली असफलताओं से अनुभव प्राप्त होता है जिससे सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। प्रत्येक के विचार और सिद्घांत अलग-अलग होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने विचारों और सिद्घांतों को जीवन में उतारें। अपने लक्ष्य की प्राप्ति में वही व्यक्ति सफल हो सकता है जो कठिन परिश्रम कर सके। कल्पना मात्र करने से कोई व्यक्ति सफलता प्राप्त नहीं कर सकता। कभी-कभी ऐसा लगता है कि कुछ युवा छोटी-सी बात पर निरुत्साहित होकर अपना धीरज छोड़ बैठते हैं और अपनी मंजिल को प्राप्त नहीं कर पाते। केवल योजनाओं के निर्माण से कोई व्यक्ति सफल नहीं हो सकता बल्कि उन्हें पूर्ण करने के लिए सदैव परिश्रम करने के लिए तैयार रहना चाहिए। जीवन की सफलता के शिखर पर परिश्रम करने वाले व्यक्ति ही पहुंचते हैं। तो आइए, सबसे पहले हम अपनी मंजिल का निर्धारण करके अपनी कमजोरियों को दूर करते हुए उचित परिश्रम करें।  

नवजात की मृत्यु: जानिए इस परिस्थिति में श्राद्ध करना चाहिए या नहीं

हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व है. पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध कर्म किए जाते हैं जिससे हमारे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. श्राद्ध कर्म, पिंडदान और तर्पण करने से मृतक की आत्मा तृप्त होती है. साल 2025 में पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है जो 21 सितंबर यानी सर्वपितृ अमावस्या की तिथि तक चलेंगे. पितृपक्ष के दौरान सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है. हर तिथि का अपना अलग श्राद्ध होता है. लेकिन क्या नवजात शिशु का श्राद्ध कर्म कर सकते हैं, और अगर कर सकते हैं तो नवजात शिशु के श्राद्ध कर्म के क्या नियम हैं जानते हैं. बच्चों का श्राद्ध कब करना चाहिए? अगर बच्चे के आयु 6 वर्ष से कम है और उसका निधन हो जाता है तो बच्चा का श्राद्ध उसकी मृत्यु तिथि पर ही किया जाता है. नवजात शिशु की मृत्यु के बाद, श्राद्ध (पिंडदान) के बजाय तर्पण किया जाता है. तर्पण एक विशिष्ट कर्मकांड है जो प्रेत योनि में फंसे शिशु को मोक्ष दिलाने में मदद करता है. तर्पण क्यों किया जाता है? जब कोई बच्चा नवजात शिशु की मृत्यु के बाद प्रेत योनि में अटक जाता है. तर्पण के बाद शिशु पितृ बनता है और मोक्ष प्राप्त करता है. अगर नवजात शिशु की किसी कारण से मृत्यु हो जाती है तो उसे मोक्ष की प्राप्ति करना जरूरी होता है.नवजात शिशु का केवल तर्पण किया जाता है और नवजात शिशु का पिंडदान ना करें. किस तिथि पर होता है बच्चों का श्राद्ध ? पितृपक्ष के दौरान अगर किसी की तिथि ज्ञात ना हो तो उसका तर्पण त्रयोदशी तिथि के दिन कर सकते हैं. ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. गर्भावस्था में शिशु के श्राद्ध के नियम? गर्भावस्था के दौरान किसी कारण से अजन्मी संतान की मृत्यु माता के गर्भ में हो जाती है तो शास्त्रों के अनुसार उसका श्राद्ध कर्म नहीं किया जाता है.

किस्मत बदलना है आसान: पानी की बोतल रखें इस दिशा में

वास्तु शास्त्र प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो घर, ऑफिस और अन्य स्थानों पर ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करके जीवन में खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि लाने में मदद करता है। पानी, जो जीवन का आधार है, वास्तु में भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। खासतौर पर घर में पानी की बोतल रखने का स्थान और तरीका वास्तु के अनुसार सही होना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और नकारात्मकता से बचा जा सके। पानी का संबंध जीवन, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य से है। पानी की बोतल घर के विभिन्न कोनों में रखी जाती है लेकिन अगर इसे गलत दिशा या स्थान पर रखा जाए, तो इससे घर में ऊर्जा असंतुलित हो सकती है। गलत जगह पानी रखना तनाव, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और आर्थिक संकट ला सकता है। इसलिए वास्तु में पानी की बोतल रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करके आप घर में सुख-शांति और सकारात्मकता बनाए रख सकते हैं। उत्तर और पूर्व दिशा: वास्तु के अनुसार पानी की बोतल घर में उत्तर या पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है। ये दिशाएं धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की ऊर्जा लाती हैं। दक्षिण-पश्चिम दिशा से बचें: पानी की बोतल को कभी भी दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं भारी ऊर्जा रखती हैं और यहां पानी रखने से ऊर्जा का संतुलन बिगड़ सकता है। इससे परिवार में झगड़े और असंतोष हो सकता है। दक्षिण-पूर्व दिशा में भी न रखें: यह दिशा अग्नि तत्व की होती है, इसलिए यहां पानी की बोतल रखना अशुभ माना जाता है। पानी की बोतल की स्थिति और साफ-सफाई घर में पानी की बोतल हमेशा साफ और स्वच्छ पानी से भरी होनी चाहिए। गंदा या खराब पानी न रखें क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। बोतल को ढककर रखें: बोतल को अच्छे से ढककर रखें ताकि उसमें कोई धूल या कीट न पड़ें। खुले पानी को भी खुली जगह पर नहीं रखना चाहिए। पानी को रोजाना बदलें: पानी को नियमित रूप से बदलना चाहिए। पुराना पानी घर में अशुभता ला सकता है। साफ बोतल का प्रयोग करें: प्लास्टिक की बोतल की बजाय ग्लास या स्टील की बोतल का इस्तेमाल करना बेहतर माना जाता है। प्लास्टिक से निकलने वाली हानिकारक गैसें घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ा सकती हैं। पानी की बोतल को रखने का सही स्थान घर के मुख्य द्वार के पास उत्तर या पूर्व दिशा में पानी की बोतल रखना शुभ होता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। किचन के पास न रखें: पानी की बोतल को रसोई या किचन के पास दक्षिण-पूर्व दिशा में नहीं रखना चाहिए क्योंकि किचन में अग्नि का प्रभाव होता है। बेडरूम में सीमित मात्रा में रखें: बेडरूम में बहुत ज्यादा पानी की बोतल नहीं रखें। अगर रखनी हो तो सिर के पास नहीं, बल्कि कमरे के उत्तर या पूर्व दिशा में रखें। बाथरूम के बाहर रखें: बाथरूम के अंदर पानी की बोतल रखना अशुभ माना जाता है। यदि जरूरी हो तो बाथरूम के बाहर साफ और अच्छी जगह पर ही रखें।

आज का राशिफल: 12 सितंबर को इन राशियों पर बरसेगा भाग्य, सूर्य देगा साथ

मेष राशि- मेष राशि वालों आज का दिन आपके जीवन में खुशियां लेकर आने वाला है। आप चीजों में जल्दबाजी करने की इच्छा महसूस कर रहे होंगे। अपना समय लेना और धैर्य बनाए रखना महत्वपूर्ण है। अपने रास्ते में आने वाली किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहें। वृषभ राशि- आज के दिन आपका प्रेम जीवन समृद्ध रहेगा। करियर तौर पर रचनात्मक योजना बनाएं ताकि आप विकास की ओर बढ़ सकें। आपको विनम्र और ईमानदार रहना चाहिए। आपकी प्रतिभा आपके काम आएगी। मिथुन राशि- आज के दिन आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा लेकिन आप बहुत ज्यादा पैसे नहीं बचा पाएंगे। हेल्दी डाइट लेना जरूरी है। आपको मानसिक शांति पाने के लिए मेडिटेशन करना चाहिए। टीम वर्क पर ध्यान दें। कर्क राशि- आज के दिन आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी रहेगी। अपने करियर और निजी जीवन को एक साथ संतुलित करने का प्रयास करें। अपने साथी के साथ क्वालिटी टाइम स्पेन्ड करें ताकि आप एक साथ गहरा कनेक्शन स्थापित कर सकें। सिंह राशि- आज के दिन आप अपने रिश्ते को अगले लेवल पर ले जा सकते हैं। अगर आप शादी के बारे में सोच रहे हैं तो आपको आर्थिक और इमोशनल तौर पर सोच-विचार करने की जरूरत है। आगे की एक नई यात्रा के लिए तैयार हो जाएं। कन्या राशि- आज के दिन आप किसी रिसकी इनवेस्टमेंट की ओर बढ़ सकते हैं, जो आपकी वित्तीय स्थिति को नुकसान पहुंचा सकता है। सोच समझकर धन से जुड़े फैसले लें। अपने पार्टनर को बेहतर तरीके से जानने के लिए साथ में कुछ अच्छा समय बिताना बेहतर होगा। तुला राशि- आज के दिन छोटी बचत से शुरुआत करें। क्या आप अपनी वर्तमान वित्तीय स्थिति को मैनेज करने में सक्षम हैं? इस बात पर गौर करें। आपका निजी और व्यावसायिक जीवन संतुलित रहेगा। लाइफ में रोमांस बढ़ाने पर फोकस करें। वृश्चिक राशि- आज के दिन तनाव कम लें। बचत करने की कोशिश करें क्योंकि यह आपके वर्तमान आय के स्तर को बनाए रखने में मदद करेगा। अगर आप अपने रिश्ते को लेकर बहुत गंभीर हैं तो शादी के बारे में सोचने का यह समय शुभ है। धनु राशि- आज के दिन अपने फाइनेंस को संभालना मुश्किल हो सकता है। आपके सभी काम पूरे होंगे। आपको कुछ नया करने का मौका भी मिलेगा। दूसरी ओर, आपको अपने रिश्ते में रोमांस बनाए रखने की जरूरत है। मकर राशि- आज के दिन बचत जरूर करें। अगर आप अपनी इन्कम को अनावश्यक खर्चों में बर्बाद करेंगे तो आप इमर्जेंसी परिस्थितियों का सामना नहीं कर पाएंगे। आपको जरूरत पड़ने पर एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए। कुंभ राशि- आज के दिन कुंभ राशि की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी रहेगी। स्टॉक एक्स्पर्ट्स के साथ बात-चीत करते समय आपको सतर्क रहने की जरूरत है। अपने पार्टनर के साथ उन मुद्दों पर बात करें, जो आपके रिश्ते में समस्याएं पैदा कर रहे हैं। मीन राशि- मीन राशि के लोगों आज के दिन आपका साथी यह ध्यान रखेगा कि आप जीवन में खुश और संतुष्ट रहें। आपका करियर केंद्र स्तर पर रहने वाला है। नई चुनौतियों का सामना करें क्योंकि इससे सफलता मिलेगी। आपको रोमांचक अवसर मिल सकते हैं।

वास्तु के अनुसार पानी की बोतल रखकर बदलें अपनी किस्मत, जानें सही दिशा और जगह

वास्तु शास्त्र प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो घर, ऑफिस और अन्य स्थानों पर ऊर्जा के प्रवाह को संतुलित करके जीवन में खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि लाने में मदद करता है। पानी, जो जीवन का आधार है, वास्तु में भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। खासतौर पर घर में पानी की बोतल रखने का स्थान और तरीका वास्तु के अनुसार सही होना चाहिए ताकि सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे और नकारात्मकता से बचा जा सके। पानी का संबंध जीवन, शांति, समृद्धि और स्वास्थ्य से है। पानी की बोतल घर के विभिन्न कोनों में रखी जाती है लेकिन अगर इसे गलत दिशा या स्थान पर रखा जाए, तो इससे घर में ऊर्जा असंतुलित हो सकती है। गलत जगह पानी रखना तनाव, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और आर्थिक संकट ला सकता है। इसलिए वास्तु में पानी की बोतल रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम बनाए गए हैं, जिनका पालन करके आप घर में सुख-शांति और सकारात्मकता बनाए रख सकते हैं। उत्तर और पूर्व दिशा: वास्तु के अनुसार पानी की बोतल घर में उत्तर या पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ माना जाता है। ये दिशाएं धन, स्वास्थ्य और समृद्धि की ऊर्जा लाती हैं। दक्षिण-पश्चिम दिशा से बचें: पानी की बोतल को कभी भी दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि ये दिशाएं भारी ऊर्जा रखती हैं और यहां पानी रखने से ऊर्जा का संतुलन बिगड़ सकता है। इससे परिवार में झगड़े और असंतोष हो सकता है। दक्षिण-पूर्व दिशा में भी न रखें: यह दिशा अग्नि तत्व की होती है, इसलिए यहां पानी की बोतल रखना अशुभ माना जाता है। पानी की बोतल की स्थिति और साफ-सफाई घर में पानी की बोतल हमेशा साफ और स्वच्छ पानी से भरी होनी चाहिए। गंदा या खराब पानी न रखें क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। बोतल को ढककर रखें: बोतल को अच्छे से ढककर रखें ताकि उसमें कोई धूल या कीट न पड़ें। खुले पानी को भी खुली जगह पर नहीं रखना चाहिए। पानी को रोजाना बदलें: पानी को नियमित रूप से बदलना चाहिए। पुराना पानी घर में अशुभता ला सकता है। साफ बोतल का प्रयोग करें: प्लास्टिक की बोतल की बजाय ग्लास या स्टील की बोतल का इस्तेमाल करना बेहतर माना जाता है। प्लास्टिक से निकलने वाली हानिकारक गैसें घर में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ा सकती हैं। पानी की बोतल को रखने का सही स्थान घर के मुख्य द्वार के पास उत्तर या पूर्व दिशा में पानी की बोतल रखना शुभ होता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। किचन के पास न रखें: पानी की बोतल को रसोई या किचन के पास दक्षिण-पूर्व दिशा में नहीं रखना चाहिए क्योंकि किचन में अग्नि का प्रभाव होता है। बेडरूम में सीमित मात्रा में रखें: बेडरूम में बहुत ज्यादा पानी की बोतल नहीं रखें। अगर रखनी हो तो सिर के पास नहीं, बल्कि कमरे के उत्तर या पूर्व दिशा में रखें। बाथरूम के बाहर रखें: बाथरूम के अंदर पानी की बोतल रखना अशुभ माना जाता है। यदि जरूरी हो तो बाथरूम के बाहर साफ और अच्छी जगह पर ही रखें।

मां की सवारी और संकेत: इस बार क्या लेकर आएंगी देवी माता?

शारदीय नवरात्रि को हिंदू धर्म में बहुत खास और महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है. माता रानी हर साल अलग वाहन पर सवार होकर आती हैं. साल 2025 में मां दुर्गा के आगमन और प्रस्थान का वाहन क्या रहेगा, और किस प्रकार से शुभ और अशुभ फल प्रदान करेगा ,जानें इससे जुड़ी जानकारी. हर बार मां दुर्गा के पृथ्वी पर आगमन और प्रस्थान की सवारी अलग होती है. साल 2025 में शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर 2025, सोमवार के दिन से हो रही है. इस दिन घटस्थापना के साथ नवरात्रि का पवन उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाएगा. साल 2025 में मां दुर्गा का आगमन हाथ पर होगा. मां दुर्गा का आगमन मां दुर्गा के आगमन और प्रस्थान को दिन और वार के हिसाब से तय किया जाता है. माता का हाथी या गज पर आगमन बहुत शुभ माना जाता है. मान्यता है अगर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो यह सुख-समृद्धि, व्यापार और कृषि के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. अगर मां दुर्गा का आगमन रविवार, सोमवार के दिन होता है तो यह कृषि, धन-धान्य के लिए शुभ होता है. मां दुर्गा का प्रस्थान साथ ही माता रानी के प्रस्थान की बात करें तो माता रानी नर यानी मनुष्य के कंधे पर प्रस्थान करेंगी. माता रानी का प्रस्थान गुरुवार के दिन 2 अक्टूबर को होगा. जो सुख, शांति, व्यापार में वृद्धि और पड़ोसी देशों से अच्छे संबंधों का प्रतीक है. माता रानी का आगमन पर हाथी और प्रस्थान मनुष्य के कंधे पर शुभ प्रभाव डालेगा. इसे कुल मिलाकर सुख-समृद्धि, शांति और उन्नति का प्रतीक माना जा है. इसका कोई प्रमुख अशुभ प्रभाव नहीं है; बल्कि यह आने वाले समय में शुभ फलदायक माना जाता है.