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पटना में होगी कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक, 24 सितंबर को राहुल और खड़गे की भागीदारी तय

पटना  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने सोमवार को बताया कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी 24 सितंबर को पटना में होने वाली कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक में शामिल होंगे. पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अल्लावरु ने कहा कि कांग्रेस बिहार में दूसरा 'स्वतंत्रता संग्राम' लड़ रही है, यही कारण है कि इस महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन बिहार में किया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'सीडब्ल्यूसी बैठक में एआईसीसी अध्यक्ष खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी मौजूद रहेंगे. सभी सीडब्ल्यूसी सदस्यों को आमंत्रित किया गया है. कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं.' कृष्णा अल्लावरु ने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'उस छात्र की तरह हैं जो मेहनत से पढ़ाई नहीं करता, बल्कि परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करता है.' कृष्णा अल्लावरु ने यह भी कहा कि बिहार, जहां हाल ही में राहुल गांधी ने 1,300 किलोमीटर की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकाली थी, अब राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बन गया है. अल्लावरु ने कहा, 'हम बिहार में दूसरा स्वतंत्रता संग्राम लड़ रहे हैं, यही कारण है कि सीडब्ल्यूसी की बैठक यहां आयोजित की जा रही है.' इंडिया ब्लॉक में सीट बंटवारे के सवाल पर अल्लावरु ने कहा कि सहयोगी दलों के साथ सकारात्मक बातचीत चल रही है और जल्द ही हम एक व्यवहारिक फॉर्मूला लेकर आएंगे. उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी नीत एनडीए में अव्यवस्था दिख रही है. जब उनसे पूछा गया कि क्या राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव को इंडिया ब्लॉक का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया जाएगा, तो उन्होंने कहा, 'उचित समय पर सभी गठबंधन सहयोगी एक साथ बैठकर इस पर फैसला लेंगे.' बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. निर्वाचन आयोग अक्टूबर के पहले हफ्ते में बिहार विधानसभा चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा कर सकता है.

प्रियंका गांधी का नया मिशन, 5 सीटों पर ‘हर बूथ मजबूत’ अभियान की शुरुआत

भोपाल  चुनावों में लगातार हार के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी जहां वोट चोरी के खिलाफ अभियान चलाकर बीजेपी और चुनाव आयोग को घेर रहे हैं, वहीं कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी देश की 5 विधानसभा सीटों पर 'हर बूथ मजबूत' कार्यक्रम शुरू करने जा रहीं हैं। मप्र, उप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हरियाणा की एक-एक विधानसभा सीटों को इस प्रोग्राम के लिए चुना गया है। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी ने 'हर बूथ मजबूत' कार्यक्रम के लिए मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट को चुना है। दिमनी से बीजेपी के कद्दावर नेता और मप्र के विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर विधायक हैं। राजस्थान के बाड़मेर जिले की सिवाना से कांग्रेस के पूर्व विधायक और राजस्थान राज्य अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष गोपाराम मेघवाल को प्रियंका गांधी ने दिमनी की जिम्मेदारी सौंपी है। देश की इन 5 विधानसभा सीटों में चलेगा प्रोजेक्ट राज्य सीट मध्यप्रदेश दिमनी (मुरैना) उत्तर प्रदेश बांसगांव छत्तीसगढ़ कांकेर राजस्थान विराटनगर हरियाणा अलवर कैसे हुआ विधानसभा सीटों का चयन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने अलग-अलग राज्यों की 5 ऐसी विधानसभा सीटें इस कार्यक्रम के लिए चुनी हैं जहां पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस कम अंतर से चुनाव हारी है। इस कार्यक्रम के लिए 25 ऐसी लोकसभा सीटें हैं जहां कांग्रेस कैंडिडेट्स की हार का अंतर 33 से 35 हजार के बीच रहा है। वहीं 30 सीटें ऐसी हैं जहां हार का अंतर 50 से 55 हजार के बीच रहा है। 20-20 बूथों के कलस्टर बनाए जाएंगे इस कार्यक्रम के तहत चुने गए विधानसभा क्षेत्र में 20-20 बूथों के कलस्टर बनाए जाएंगे। हर कलस्टर बूथ रक्षक नियुक्त किया जाएगा। बूथ रक्षक को प्रियंका गांधी की टीम ट्रेनिंग देंगी। बूथ रक्षक अपने कलस्टर की बूथ समितियों के सदस्यों को गाइड करेगा। बूथ रक्षक ये सुनिश्चित करेंगे कि किस मतदान केन्द्र पर कितने मतदाताओं के नाम गलत जुडे़ हुए हैं। पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव की वोटर लिस्ट में चुनाव के दो महीने पहले काटे, जोड़े गए नामों का एनालिसिस करेंगे। बूथ रक्षक बीएलओ के साथ ये सुनिश्चित करेंगे कि एक भी सही वोटर मतदाता सूची से न छूटे और एक भी गलत नाम वोटर लिस्ट में शामिल न रहे। एमपी में दिमनी सीट को ही क्यों चुना? इस प्रोजेक्ट को प्रियंका गांधी खुद लीड कर रहीं हैं। ऐसे में टीम के लिए दिल्ली से मुरैना आना ज्यादा आसान हो सकता है। मप्र में 2003 से भाजपा की सरकार होने के बावजूद चंबल में कांग्रेस मजबूत स्थिति में रही है। मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभा आती हैं, जिनमें से पांच विधानसभाओं श्योपुर, विजयपुर, जौरा, मुरैना और अंबाह में कांग्रेस के विधायक हैं, वहीं भाजपा के पाले में केवल तीन विधानसभा सबलगढ़, सुमावली और दिमनी सीटें हैं।

कहीं कम ना आ जाए संख्या – जाति सर्वे पर हर वर्ग में टेंशन, CM सिद्धारमैया ने बताई हकीकत

बेंगलुरु कर्नाटक में आज से जाति जनगणना की शुरुआत हो रही है। 15 दिनों तक यह सर्वे चलेगा और फिर जल्दी ही रिपोर्ट भी जारी किए जाने की तैयारी है। सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली सरकार के इस फैसले का उनकी कैबिनेट के ही कुछ सदस्यों समेत बड़े पैमाने पर लोग विरोध कर रहे हैं। लेकिन अल्पसंख्यक, दलित और ओबीसी वर्ग की राजनीति करने वाले सिद्धारमैया का कहना है कि वह राहुल गांधी की लाइन पर चल रहे हैं, जिनका कहना है कि जातिगत जनगणना से सही आंकड़े आएंगे और फिर उसके आधार पर योजनाएं बनाने से सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने में मदद मिलेगी। राज्य के प्रभावशाली लिंगायत, वोक्कालिगा, कुर्बा, मुस्लिम, जैन और ब्राह्मण समुदाय के लोगों की मीटिंग हुई है। इन बैठकों में शीर्ष नेताओं ने समाज से अपील की है कि वे 15 दिनों तक चलने वाली जातिगत जनगणना में अपनी उपजाति ना बताएं। सिर्फ जाति का ही जिक्र करें ताकि उपजाति बताने से संख्या कम ना नजर आए। एक बार पहले भी सूबे में सर्वे में हुआ था, जिसे लिंगायत और वोक्कालिगा समुदाय की ओर से खारिज किया गया था। केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने इस सर्वे को स्थगित करने की मांग की है या फिर इसे तीन महीने में कराने की मांग की है ताकि कोई खामी न रह जाए। वोक्कालिगा समाज के एक मठ के स्वामी निर्मलानंद ने कहा कि हमें संदेह है कि यह सर्वे सही से होगा। उन्होंने कहा कि हमारे राज्य की आबादी 7 करोड़ हैं और महज 15 दिन में ही सर्वे करने की बात कही जा रही है। इससे पहले तेलंगाना में 65 दिन तक सर्वे चला था, जबकि वहां की आबादी हमारे यहां के मुकाबले आधी यानी करीब 3.5 करोड़ ही है। शुक्रवार को वीरशैव-लिंगायत समाज की हुबली में मीटिंग हुई थी। इस बैठक में प्रस्ताव रखा गया कि खुद को लिंगायत ही लिखें। उसमें कोई उपजाति ना बताएं। इसके अलावा मुस्लिम, जैन, ब्राह्मण समाज के लोगों की भी मीटिंग हुई। इन बैठकों में प्रस्ताव दिया गया कि अपनी जाति ही लिखें, उपजाति का जिक्र ना करें। जैसे कहा गया कि ब्राह्मण समुदाय के लोग अपनी जाति में ब्राह्मण ही लिखें। कोई उपनाम आदि ना लिखें। इसी तरह जैन समुदाय के लोगों का भी कहना है कि जैन ही लिखा जाए। इसके अलावा मुसलमानों की मीटिंग में कहा गया कि अपना धर्म इस्लाम ही लिखें और जाति के स्थान पर मुस्लिम लिखा जाए। वोक्कालिगा समाज में भी काफी सक्रियता दिख रही है। वहीं डीके शिवकुमार ने इस पर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है।

CM स्टालिन का वक्फ बिल पर समर्थन, बोले: मुस्लिमों के हितों की रक्षा जारी रहेगी

चेन्नई तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने पैगंबर मोहम्मद की 1500वीं जयंती के अवसर पर एक बयान देकर नया विवाद खड़ा कर दिया है. स्टालिन ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद ने दुनिया को प्रेम और शांति का संदेश दिया और उनकी शिक्षाओं को अपनाकर विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी डीएमके हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुस्लिमों के साथ मजबूती से खड़ा रहेगी और उनके हितों की रक्षा करेगी. इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और विपक्षी दलों ने इसे धार्मिक ध्रुवीकरण का प्रयास करार दिया है. मुख्यमंत्री स्टालिन ने चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा- पैगंबर मोहम्मद ने दुनिया को मोहब्बत और भाईचारे का संदेश दिया. उनकी 1500वीं जयंती के अवसर पर हमें उनके इस संदेश को अपनाना चाहिए और विश्व में शांति स्थापित करने की दिशा में काम करना चाहिए. डीएमके हमेशा से अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रही है. जब भी मुस्लिम समुदाय या अन्य अल्पसंख्यकों पर कोई संकट आएगा डीएमके उनकी रक्षा के लिए एक मजबूत किला बनकर खड़ी रहेगी. तमिलनाडु की राजनीति में तूफान इस बयान के बाद तमिलनाडु की राजनीति में एक नया तूफान खड़ा हो गया है. विपक्षी दलों विशेष रूप से बीजेपी और अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) ने स्टालिन के इस बयान को वोट बैंक की राजनीति से जोड़कर देखा है. उसका कहना है कि स्टालिन का यह बयान धार्मिक आधार पर समाज को बांटने की कोशिश है. डीएमके हमेशा से तुष्टिकरण की राजनीति करती रही है और यह बयान उसी का एक उदाहरण है. पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि डीएमके अल्पसंख्यक समुदाय को केवल वोटबैंक के रूप में देखती है और उनके कल्याण के लिए कोई ठोस नीति लागू नहीं करती. मुख्यमंत्री ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) और तीन तलाक जैसे मुद्दों को लेकर AIADMK पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में अन्नाद्रमुक के विश्वासघात के कारण ही मुख्य विपक्षी दल (AIADMK) के अनवर राजा जैसे नेता उस पार्टी को छोड़कर DMK में शामिल हो गए। पैगंबर मोहम्मद की 1,500वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए स्टालिन ने कहा कि द्रमुक संस्थापक सीएन अन्नादुरई और दिवंगत पार्टी संरक्षक एम करुणानिधि पहली बार तिरुवरूर में मिलाद-उन-नबी से जुड़े एक कार्यक्रम में मिले थे और दोनों नेताओं के बीच जो घनिष्ठता बढ़ी, वह तमिलनाडु के विकास की नींव बनी। गाजा मुद्दे पर तत्काल कदम उठाने का केंद्र से आग्रह विभिन्न दलों के मुस्लिम नेताओं की मौजूदगी का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा कि एकता जीत की ओर पहला कदम है। पैगंबर मोहम्मद के उपदेशों की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सुधारवादी नेता पेरियार ईवीआर और प्रतिष्ठित नेता अन्नादुरई तथा करुणानिधि ने पैगंबर के सिखाए समानता और प्रेम के संदेश की सराहना की थी। गाजा पट्टी की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए स्टालिन ने कहा कि फलस्तीनियों पर हो रहे अत्याचारों को तत्काल रोका जाना चाहिए। उन्होंने केंद्र सरकार से इस संबंध में ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। मिलाद-उन-नबी पर अवकाश स्टालिन ने कहा कि करुणानिधि ने ही 1969 में मिलाद-उन-नबी के लिए अवकाश घोषित किया था और 2001 में अन्नाद्रमुक सरकार ने इसे रद्द कर दिया था, जबकि द्रमुक सरकार ने 2006 में इसे बहाल कर दिया था। स्कूली पाठ्यक्रम में पैगंबर मोहम्मद पर विषयवस्तु शामिल करने के एसडीपीआई नेता नेल्लई मुबारक के अनुरोध का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इसे पहले ही पाठ्यक्रम में शामिल किया जा चुका है। अगर मुसलमानों को कोई परेशानी होती है, तो… उन्होंने कहा, ‘‘केवल इतना ही नहीं; अगर मुसलमानों को कोई परेशानी होती है, तो सबसे पहले आपके समर्थन में आने वाला राजनीतिक दल द्रमुक ही रहा है।’’ स्टालिन ने कहा, ‘‘वह द्रमुक ही थी, जिसने सीएए के खिलाफ सच्ची मित्रता की भावना से लड़ाई लड़ी थी।’’ अन्नाद्रमुक प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री ईके पलानीस्वामी का नाम लिए बिना स्टालिन ने कहा, ‘‘आप अच्छी तरह से जानते हैं कि किसने पूछा था कि क्या कोई इससे (सीएए) प्रभावित हुआ है और इन्हीं के शासन काल में सीएए का विरोध करने पर मुसलमानों पर लाठीचार्ज किया गया था।’’ AIADMK के मानदंड दोहरे उन्होंने कहा कि इसी तरह, केंद्र के तीन तलाक कानून लाने पर अन्नाद्रमुक द्वारा अपनाए गए ‘‘दोहरे मानदंडों’’ से सभी वाकिफ हैं, यही कारण था कि अनवर राजा जैसे नेता विश्वासघात के कारण अन्नाद्रमुक छोड़कर द्रमुक में शामिल हो गए। स्टालिन ने अन्नाद्रमुक का नाम लिए बिना कहा, ‘‘जो लोग भाजपा की घटिया और निरंकुश राजनीति का समर्थन करके विश्वासघात कर रहे हैं, उनका बहिष्कार किया जाना चाहिए।’

कांग्रेस में संविधान नहीं, परिवारवाद चलता है – शहजाद पूनावाला की तीखी टिप्पणी

नई दिल्ली  भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने शनिवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी परिवारवाद को संविधान और लोकतंत्र से ऊपर मानते हैं। बेंगलुरु में मीडिया से बातचीत के दौरान भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि राहुल गांधी का असल मुद्दा भारत का चुनाव आयोग नहीं है, बल्कि 'ईएमआई' है। उन्होंने कहा कि ये ईएमआई वो नहीं जो भरी जाती है। इस ईएमआई का मतलब इंदिरा की आपातकालीन मानसिकता और इंदिरा के पोते की हकदारी वाली मानसिकता को बनाए रखना। गांधी परिवार मानता है कि परिवार तंत्र, लोकतंत्र से ऊपर है। शहजाद पूनावाला ने कहा कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष और इंदिरा गांधी के करीबी सहयोगी देवकांत बरुआ ने कहा था कि भारत इंदिरा है, इंदिरा भारत है', यह परिवार आज भी उसी सोच को अपनाए हुए है, जो संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों से ऊपर परिवारवाद को रखता है। पूनावाला ने कहा कि राहुल गांधी को लगता है कि परिवार तंत्र संविधान तंत्र से ऊपर है। इसलिए अगर वे चुनाव हार जाते हैं तो चुनाव आयोग खराब हो जाता है। अगर कोर्ट में केस हार जाते हैं तो न्यायपालिका खराब है, लेकिन जब तेलंगाना में कांग्रेस चुनाव जीतती है तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होती। झारखंड के चुनाव परिणाम के बाद भी राहुल गांधी को कोई शिकायत नहीं होती। जम्मू-कश्मीर में भी उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। पूनावाला ने आगे कहा कि राहुल गांधी सुप्रीम कोर्ट गए। कोर्ट ने उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को 'निराधार' करार दिया। उन्होंने कर्नाटक में कांग्रेस के शासन को 'खटाखट गड्ढा मॉडल' करार देते हुए इसे 'लूट, झूठ और फूट' का मॉडल बताया। उन्होंने बताया कि कर्नाटक में कांग्रेस का 'लूट, झूठ और फूट मॉडल' साफ दिखता है। 'लूट' का उदाहरण है मुडा, शराब, आवास और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतें। उन्होंने कहा कि डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया आपस में कुर्सी के लिए लड़ रहे हैं और कुर्सी की लड़ाई में इसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।

बिहार NDA में सीट बंटवारे पर सहमति, जल्द होगा औपचारिक ऐलान

नई दिल्ली  बिहार की राजनीति में गुरुवार को उस समय नई हलचल मच गई जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। शाह उसी दिन पटना में आयोजित अपने सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेने पहुंचे थे। दोनों नेताओं के बीच हुई इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में अटकलें तेज हो गई हैं कि यह आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे की तैयारियों का हिस्सा है। आपको बता दें कि इस मुलाकात के दौरान बिहार भाजपा के नेताओं के अलावा नीतीश कुमार के दो खास सिपहसालार संजय झा और विजय चौधरी भी इस बैठक में शामिल हुए। सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU)के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर शुरुआती खाका तैयार हो चुका है। अब इसे लेकर लोजपा (LJP), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) जैसे सहयोगी दलों से भी बातचीत चल रही है। गठबंधन के भीतर सभी दलों को संतुलित हिस्सेदारी देने का प्रयास किया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक, सीट बंटवारे को लेकर अंतिम फैसला नवरात्र के पावन पर्व के दौरान घोषित किया जा सकता है, जिसकी शुरुआत 22 सितंबर से हो रही है। पटना के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा है कि NDA इस अवसर को शुभ मानते हुए एकजुटता का संदेश जनता तक पहुंचाना चाहता है। यह वही समय होगा जब से आम लोगों को जीएसटी की नई दरों का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। बिहार में विधानसभा चुनाव की घोषणा में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। दुर्गा पूजा के बाद कभी भी इसका ऐलन हो सकता है। इस साल छठ के बाद वोटिंग की संभावना है। 2020 के चुनावों में जेडीयू की स्थिति अपेक्षाकृत कमजोर रही थी, जबकि बीजेपी बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। लेकिन हाल के दिनों में नीतीश कुमार के एनडीए में लौटने के बाद समीकरण फिर बदल गए हैं। बीजेपी नेतृत्व यह सुनिश्चित करना चाहता है कि गठबंधन की एकता बनी रहे और विपक्षी गठबंधन INDIA को चुनौती दी जा सके। वहीं, नीतीश कुमार भी अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर सतर्क हैं और चाहते हैं कि उन्हें गठबंधन में सम्मानजनक हिस्सेदारी मिले।  

कंगना रनौत ने राहुल गांधी को घेरा, बयान को बताया गैरजिम्मेदाराना

कुल्लू  लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग पर लगाए गए 'वोट चोरी' के आरोपों पर भाजपा सांसद कंगना रनौत ने तीखी प्रतिक्रिया दी। कंगना ने कहा कि राहुल गांधी लगातार देश को शर्मसार करने वाले बयान दे रहे हैं। उनकी करतूतें ही ऐसी हैं। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी की हरकत और बयान से यह पता चलता है कि उनको कुछ पता नहीं रहता है। वे चुनाव आयोग पर भी झूठा आरोप लगा रहे हैं। जनता को सब पता चल गया है। जनता गुमराह नहीं होने वाली है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के जेन-जी वाले पोस्ट पर रनौत ने कहा कि राहुल गांधी को कुछ पता नहीं रहता है। वह कभी भी कुछ भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट कर देते हैं। पहले उनको जानकारी लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि उनकी इस सोशल मीडिया पोस्ट से देश की छवि खराब हो रही है। उनको इसकी चिंता कभी नहीं रहती है। वह कभी भी कुछ भी बयान दे देते हैं। सांसद ने कहा कि राहुल गांधी पहले भी विदेश जाकर भारत के खिलाफ बयान दे चुके हैं। मुझे लगता है यह उनके लिए कोई नई बात नहीं होगी। वे समय-समय पर इस तरह के बयान देते रहते हैं। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने अमेरिका जाकर कहा था कि हमारे देश को बचाओ। अब भी उनकी यही सोच जारी है। यह दुखद है कि वे ऐसे बयान देने से बाज नहीं आ रहे। लगता है कि जैसे वे सुबह उठकर सोशल मीडिया पर कुछ भी पोस्ट कर देते हैं। कंगना ने आगे कहा कि राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि नेपाल में जेन-जी ने नेपोटिज्म सरकार को गिराया है। शायद उनको कुछ पता नहीं है कि देश में क्या चल रहा है। नेपाल में वंशवादी नेताओं को हटाया गया। वहां उन्होंने अपनी सरकार खुद चुनी और लोकतंत्र स्थापित किया। उन्होंने कहा कि अगर राहुल गांधी इसी तरह के बयान देते रहेंगे तो वो दिन दूर नहीं जब उन्हें ही भारत से निकाला जा सकता है।

UP के डिप्टी सीएम का वार – राहुल गांधी और सपा पर बोला करारा प्रहार

जौनपुर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने शुक्रवार को जिले के विकास कार्यों और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि जौनपुर कानून-व्यवस्था और विकास के क्षेत्र में प्रदेश में नंबर वन बने। साथ ही यह भी निर्देश दिए कि सभी प्रोजेक्ट गुणवत्तापूर्ण ढंग से और समय पर पूरे किए जाएं। राहुल गांधी पर लगाए कई आरोप इसके साथ ही उन्होंने मीडिया बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि सत्ता पाने के लिए राहुल गांधी तड़प रहे हैं। मतदाता सूची पर कांग्रेस की ओर से उठाए गए सवाल पर उप मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्वाचन आयोग निष्पक्षता से कार्य कर रहा है, लेकिन जब विपक्ष के लोग चुनाव जीतते हैं तो प्रशंसा करते हैं व संभावित हार को देखकर तरह-तरह के आरोप लगाते हैं। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग की ओर से लिखित में शिकायत मांगी जा रही है, लेकिन इसे देने की बजाय कांग्रेस पार्टी जनता को गुमराह कर रही है। कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी को निशाने पर लेते हुए हुए उन्होंने कहा कि समाजवादियों का नारा ही था कि खाली प्लॉट हमारा है। सपा पर साधा निशाना उनके राज में बेटियां घर से निकलने तक से घबराती थीं, लेकिन आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में वही गुंडे-माफिया प्रदेश से पलायन कर चुके हैं। कहा कि समाजवादी पार्टी अपराधियों को पराश्रय देती है व इंडी गठब़ंधन की सच्चाई जनता समझ चुकी है।

राजनीति की सलाह: दीपांकर ने कहा—कांग्रेस कम लड़े, ज्यादा जीते

पटना  बिहार चुनाव को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और महागठबंधन (MGB) दोनों में सबसे बड़े दोनों दलों के बीच ही सीट बंटवारे पर बात नहीं बन पा रही है, इसलिए सहयोगी दल भी परेशान हैं। एनडीए की सीट शेयरिंग पर सहमति बनाने की कोशिश में गुरुवार को पटना में गृह मंत्री अमित शाह और सीएम नीतीश कुमार के बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बड़े नेताओं की मौजूदगी में चर्चा हुई। इस बीच महागठबंधन के सबसे बड़े वामंपथी दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी लेनिनिवादी (CPI-ML) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कांग्रेस को नसीहत दी है कि वो औकात से ज्यादा सीट ना मांगे और इसकी चिंता करे कि भले सीटें कम लड़नी पड़े, लेकिन कैसे ज्यादा जीती जाए। भाकपा-माले के नेता दीपांकर भट्टाचार्य ने कांग्रेस द्वारा 2020 की तरह फिर 70 सीटों की मांग को लेकर चल रही चर्चाओं पर कहा- “कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा लगभग 70 सीटों की मांग की खबरें मैंने देखी हैं। लेकिन पिछली बार वो 70 सीटों पर लड़े और जीत सिर्फ सीट 19 ही पाए। 2015 में कांग्रेस 40 सीट लड़ी और 27 जीती थी। वो अच्छा स्ट्राइक रेट था। लेकिन 2020 में वो 70 सीट लड़ी… जो उनकी औकात (लड़ने की क्षमता) से ज्यादा थी। इसलिए मुझे लगता है कि इन सबके बीच संतुलन होना चाहिए।” याद दिला दें कि 2020 के चुनाव में मात्र 12 सीटों के अंतर से तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे। राजद के कई नेता इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेवार मानते हैं जो 70 सीटों पर लड़ी लेकिन सिर्फ 19 जीतकर आई। सीपीआई-माले मात्र 19 सीट लड़ी और 12 जीत गई। राजद ने 144 लड़कर 75 सीट निकाली थी। उस चुनाव में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट 27 फीसदी रहा, जबकि राजद का 52 परसेंट, सीपीआई-माले का 63 परसेंट, सीपीएम का 50 परसेंट और सीपीआई का 33 फीसदी रहा था।  

राहुल की यात्रा में दिखी एकता, पर तेजस्वी की चुप्पी के पीछे क्या है गठबंधन की गांठ?

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारा दोनों गठबंधनों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. एनडीए में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी अधिकाधिक सीटें हासिल करने के लिए लंबे समय से बवेला मचाए हुए हैं. मांझी अब 20 सीटों के लिए अड़े हुए हैं. चिराग पासवान की पार्टी लोजपा-आर (LJP-R) को न सिर्फ सीटें चाहिए, बल्कि अब सीएम पद की रेस में भी उन्हें शामिल कर दिया है. चिराग के बहनोई सांसद अरुण पासवान की नजर में चिराग सीएम पद के लिए फिट कैंडिडेट हैं. मांझी ने अधिक सीटें मांगने के पीछे के कारण भी उजागर कर दिए हैं. उनका कहना है कि पार्टी को सदन में मान्यता के लिए कम से कम 8सीटों पर जीतना जरूरी है. और, यह तभी संभव होगा, जब उनकी पार्टी को 20 या इससे अदिक सीटें मिलें. एनडीए का तो रिकार्ड ही रहा है कि टिकट बंटवारे से पहले खूब चिल्ल-पों मचती है, लेकिन जिसे जितनी सीटें मिलती हैं, वे उससे ही संतुष्ट हो जाते हैं. सबसे मुश्किल हालात 8 विपक्षी दलों के महागठबंधन में पैदा हो गए हैं. कांग्रेस और आरजेडी के बीच सीट बंटवारे की शर्तों को लेकर घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस ने कसी RJD की नकेल महागठबंधन के दो सबसे बड़े घटक दल राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे और नेतृत्व को लेकर तलवारें तन गई हैं. अव्वल तो कांग्रेस तेजस्वी को चुनाव से पहले सीएम फेस घोषित करने को तैयार नहीं, जबकि तेजस्वी खुद को सीएम फेस बताते रहे हैं. बिहार अधिकार पर निकले तेजस्वी कांग्रेस की चुप्पी के बावजूद अपने को भावी सीएम के रूप में पेश कर रहे हैं. पहले भी वे कई बार यह बात कह चुके हैं. राहुल के साथ वोटर अधिकार यात्रा के दौरान उन्होंने यहां तक कह दिया कि राहुल को पीएम और उन्हें सीएम बनाने के लिए वोट कीजिए. जहां तक सीटों का सवाल है तो कांग्रेस 2020 की तरह मनपसंद 70 सीटें तो चाहती ही है, साथ ही अब उप मुख्यमंत्री का पद भी मांगने लगी है. दोनों दलों के बीच तनातनी का आलम यह है कि सीट बंटवारे के मुद्दे पर 15 सितंबर को होने वाली महागठबंधन की बैठक टालनी पड़ गई. अब तेजस्वी यादव ने भी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. खींचतान से महागठबंधन में दिख रही दरार अगर टूट की बुनियाद बन जाए तो आश्चर्य नहीं. बिहार की वह सीट, जिसे लेकर RJD-कांग्रेस में खींच गई तलवार बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन के अंदर सीट शेयरिंग का मसला गरमा गया है. खासकर कुटुंबा (SC) विधानसभा सीट को लेकर कांग्रेस और आरजेडी के बीच खींचतान तेज हो गई है. कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक आरजेडी ने इस सीट से पूर्व मंत्री सुरेश पासवान का नाम आगे कर दिया है. इससे कांग्रेस नेताओं में नाराजगी है. कांग्रेस का आरोप है कि आरजेडी जानबूझकर दबाव की राजनीति कर रही है और कुटुंबा में उनकी मजबूत स्थिति को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. दरअसल, कुटुंबा सीट पर कांग्रेस का लगातार दबदबा रहा है. मौजूदा विधायक राजेश कुमार और उनके पिता सात बार से इस सीट पर कब्जा बनाए हुए हैं. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी राजेश कुमार ने कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी. उन्हें 50,822 वोट मिले थे, जबकि रनर-अप हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के उम्मीदवार शर्वन भुइंया को 34,169 वोट ही मिले. कांग्रेस ने तब 16,653 वोटों के अंतर से यह सीट अपने नाम की थी. साल 2020 के नतीजे कैंडिडेट    कुल वोट     वोट शेयर राजेश कुमार    50,822    36.61% शर्वन भुइंया    34,169    24.61% कहां फंसा है मामला? यही वजह है कि कांग्रेस मानती है कि इस सीट पर उनकी स्थिति बेहद मजबूत है और आरजेडी का नया चेहरा थोपना केवल राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति है. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इस बार आरजेडी की मोहताज नहीं है और बदली हुई परिस्थितियों में बेहतर तरीके से चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस नेताओं का यह भी आरोप है कि राजेश राम को डिप्टी सीएम का चेहरा सामने न लाने के लिए भी अंदरखाने राजनीति हो रही है. यानी, महागठबंधन के भीतर सत्ता संतुलन को लेकर खींचतान खुलकर सामने आने लगी है. 76 सीटों पर दावेदारी इसी बीच, खबर है कि कांग्रेस ने इस बार बिहार की 76 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर ली है. इनमें से 38 सीटों पर जल्द ही उम्मीदवारों का ऐलान भी कर दिया जाएगा. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इन सीटों पर आरजेडी के ग्रीन सिग्नल का इंतजार नहीं करेगी. यानी, पार्टी अब अपनी रणनीति खुद बनाने के मूड में है. आज दिल्ली में कांग्रेस की अहम बैठक भी होने वाली है, जिसमें बिहार कांग्रेस के कई नेता शामिल होंगे. माना जा रहा है कि इस बैठक के बाद कांग्रेस अपने रुख को और स्पष्ट करेगी. अब देखना यह है कि यह खींचतान सीट शेयरिंग फॉर्मूले को कितना प्रभावित करती है और क्या महागठबंधन एकजुट रहकर मैदान में उतर पाता है. कांग्रेस की आक्रामक दावेदारी सीटों की संख्या के लिए आरजेडी के सामने कांग्रेस ने 2020 को आधार बनाने की शर्त रखी है. तब कांग्रेस को महागठबंधन में 70 सीटें मिली थीं. कांग्रेस का कहना है कि उसे जो सीटें दी गईं, उसमें आधी से अधिक कमजोर सीटें थीं. इसलिए उसने टिकट बंटवारे में अच्छी-बुरी सीटों में संतुलन बनाने की दूसरी शर्त रखी है. कांग्रेस केवल 19 सीटें जीत पाई थी. उसके खराब स्ट्राइक रेट को महागठबंधन की हार का एक मुख्य कारण माना गया था. कांग्रेस का कहना है कि उसे आधी से अधिक वैसी कमजोर सीटें मिली थीं, जिसकी वजह से उसका स्ट्राइक रेट खराब रहा. कांग्रेस ने अपने लिए उप मुख्यमंत्री पद की तीसरी शर्त रखी है. महागठबंधन में शामिल वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी डिप्टी सीएम पद के लिए पहले से ही हाय-तौबा मचाए हुए हैं. सहनी तो यहां तक कहते हैं कि अगर तेजस्वी सीएम बनेंगे तो उनका डिप्टी सीएम बनना पक्का है. कांग्रेस की शर्तों से यह साफ है कि काग्रेस अब बिहार में अपने को आरजेडी का पिछलग्गू बनाए रखने से बचना चाहती हैं. राहुल की वोटर अधिकार … Read more