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कांग्रेस नेता का विवादित बयान: भारत के राज्य को कहा पड़ोसी देश, बाद में मांगी माफी

नई दिल्ली  कांग्रेस नेता अजय कुमार की सिक्किम को ‘‘पड़ोसी देश’’ बताने संबंधी टिप्पणी की राज्य के राजनीतिक दलों सहित समाज के विभिन्न वर्गों ने कड़ी आलोचना की है। कुमार ने मंगलवार को प्रेस वार्ता के दौरान राज्य को बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के साथ पड़ोसी देश बताया था। हालांकि, इस मुद्दे पर विवाद उठने के बाद वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने मंगलवार को माफी मांगते हुए कहा कि ‘‘उनकी जबान फिसल’’ गई थी। उन्होंने कहा, ‘‘कल ‘सेल (भारतीय इस्पात प्राधिकरण) 400 करोड़ का घोटाला’ पर अपनी प्रेस वार्ता में जब मैं अपने पड़ोसी देशों के साथ बिगड़ते संबंधों पर बोल रहा था तो मैंने गलती से एक राज्य का नाम ले लिया जिसके लिए मैं ईमानदारी से माफी मांगता हूं क्योंकि यह सिर्फ जुबान फिसलने की वजह से हुआ… भाजपा की विपक्षी दलों के नेताओं की छोटी-छोटी गलतियों पर भी नजर रहती है।’’ सिक्किम के एकमात्र लोकसभा सदस्य इंद्र हंग सुब्बा ने कहा कि कुमार की टिप्पणी ‘‘गैर-जिम्मेदाराना और अपमानजनक’’ है और ‘‘राज्य के लोगों का गंभीर अपमान है, जो हमेशा राष्ट्र के प्रति अटूट निष्ठा के साथ खड़े रहे हैं’’। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘फेसबुक’ पर पोस्ट में कहा, ‘‘इस तरह की विभाजनकारी बयानबाजी हमारी, संवैधानिक एकता के बारे में गहरी अज्ञानता को दर्शाती है और पूर्वोत्तर की गौरवशाली पहचान का अपमान करती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम इस महान राष्ट्र से हमारे जुड़ाव पर सवाल उठाने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’’ इसी तरह, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सिक्किम इकाई ने इस बयान को ‘‘अपमानजनक और अज्ञानता से भरा’’ बताया। भाजपा की सिक्किम इकाई के मीडिया प्रभारी निरेन भंडारी ने कांग्रेस नेता, विशेषकर ऐसे व्यक्ति जो पूर्व में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी और संसद सदस्य के रूप में काम कर चुके हैं, उनकी ‘‘भारत के इतिहास और भूगोल के बारे में जानकारी की कमी’’ पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस को अपने नेताओं को शिक्षित करने और ऐसी शर्मनाक गलतियों को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए।’’ उन्होंने 1975 से भारत के अभिन्न अंग के रूप में सिक्किम की पहचान के प्रति जवाबदेही और सम्मान का आग्रह किया। उन्होंने कहा, ‘‘सिक्किम के लोग गौरवान्वित भारतीय हैं और राज्य ने राष्ट्र के विकास में बहुत योगदान दिया है। इस तरह की टिप्पणी उन लोगों का अपमान करती है, जिनमें से कई ने राष्ट्र की सेवा के लिए अपना खून और पसीना बहाया है।’’ सिटिजंस एक्शन पार्टी (सीएपी) ने भी टिप्पणी की निंदा की और असंतोष व्यक्त किया।  

कर्नाटक की सियासत गरमाई: सिद्धारमैया का दावा – पांच साल तक मैं ही रहूंगा सीएम

बेंगलुरु कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का कहना है कि वह पूरे 5 साल मुख्यमंत्री बने रहेंगे। उनका यह बयान डीके शिवकुमार और उनके समर्थकों के लिए झटका है, जो मंगलवार तक दावा कर रहे थे कि 100 विधायक उनके साथ हैं। शिवकुमार समर्थकों का कहना था कि यह सबसे सही समय है, जब मुख्यमंत्री बदल दिया जाए। ऐसा नहीं हुआ तो फिर अगले चुनाव में कांग्रेस के लिए जीतना मुश्किल होगा। बुधवार को सिद्धारमैया ने कहा, 'हां मैं मुख्यमंत्री हूं। आखिर आपको कोई संदेह क्यों है?' उनसे पूछा गया कि भाजपा और जेडीएस की ओर से दावा किया जा रहा है कि जल्दी ही बदलाव होना है। इस पर सिद्धारमैया ने कहा कि क्या हमारे हाईकमान ये लोग हैं। एक तरफ सिद्धारमैया ने सीएम पद पर बने रहने की बात कही है तो डीके शिवकुमार का खेमा अब नरम पड़ता दिख रहा है। यहां तक कि शिवकुमार ने अब अपने ही समर्थकों के बयान पर ऐतराज जता दिया है। उन्होंने कहा है कि वह विधायक इकबाल हुसैन को कारण बताओ नोटिस जारी करेंगे। इकबाल हुसैन ने ही दावा किया था कि हमारे पास 100 विधायकों का समर्थन है, जो चाहते हैं कि डीके शिवकुमार को ही सीएम बना दिया जाए। हुसैन का कहना था कि हमारी यह मांग है और हम इस मसले को हाईकमान के सामने भी रखेंगे। हुसैन को लेकर शिवकुमार ने कहा, 'विधायकों में कोई असंतोष या खींचतान नहीं है। हम सभी विधायकों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय कर रहे हैं। मैं इकबाल हुसैन को नोटिस जारी करूंगा। इसके अलावा ऐसे अन्य विधायकों से भी बात करूंगा, जो पार्टी लाइन से अलग बात कर रहे हैं।' दरअसल डीके शिवकुमार गुट की जोर-आजमाइश सोनिया गांधी और राहुल गांधी के दरबार तक पहुंची थी। राष्ट्रीय अध्यक्ष खरगे ने तो साफ कहा था कि इस पर फैसला हाईकमान लेगा। फिर मंगलवार को रणदीप सुरजेवाला पहुंचे तो उन्होंने डीके शिवकुमार को साथ बिठाकर मीडिया से बात की और अंत में सब कुछ शांत जैसा करा दिया है।  

पूर्व मंत्री के घर पहुंची पुलिस, अकाली दल के बड़े नेता के बेटे को दबोचा

मोहाली पंजाब की भगवंत मान सरकार ने शिरोमणि अकाली दल के एक और नेता पर शिकंजा कस दिया है। बुधवार सुबह ही अकाली दल के सीनियर लीडर और पूर्व मंत्री महेश इंदर सिंह ग्रेवाल के घर पर पंजाब पुलिस पहुंच गई। मौके पर महेश इंदर सिंह घर पर नहीं थे, लेकिन पुलिस ने उनके बेटे को हिरासत में ले लिया है। यह ऐक्शन तब हुआ है, जब अकाली दल की ओर से आज ही मोहाली में बिक्रम सिंह मजीठिया की गिरफ्तारी के विरोध में आंदोलन की तैयारी थी। माना जा रहा है कि अकाली दल के आंदोलन पर नकेल कसने के लिए ऐसा ऐक्शन हुआ है। महेश इंदर सिंह ग्रेवाल के लुधियाना स्थित आवास पर पुलिस पहुंची तो हलचल मच गई। आरोप है कि पुलिस ने उनके बेटे हितेश सिंह ग्रेवाल को हिरासत में लिया है। इसके अलावा ग्रेवाल ने यह आरोप भी लगाया है कि उनके परिवार के लोगों को पुलिस ने हाउस अरेस्ट कर लिया है। उनका कहना है कि पुलिस ने यह ऐक्शन इसलिए लिया है ताकि प्रदर्शन को रोका जा सके। अकाली नेता ने कहा कि हमारा प्रदर्शन लोकतांत्रिक है और यह हमारी अधिकार है। लेकिन आम आदमी पार्टी की सरकार हमारे इस अधिकार को भी छीनने की तैयारी में है। पुलिस के इस ऐक्शन पर सुखबीर बादल का भी बयान आया है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि पंजाब में इमरजेंसी लग गई है। ग्रेवाल ने कहा कि यह कुछ और नहीं है बल्कि राजनीतिक रूप से बंदी बनाने की कोशिश है। यह हमें धमकाने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की आवाज को कुचलने के लिए पंजाब सरकार पुलिस का इस्तेमाल कर रही है। वहीं पुलिस ने इन दावों को खारिज किया है। लुधियाना के मॉडल टाउन थाने के एसएचओ का कहना है कि वरिष्ठ अधिकारियों के आदेश पर हम अकाली दल के नेताओं के यहां जा रहे हैं। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि सुरक्षा व्यवस्था बनी रहे। किसी को भी हिरासत में नहीं लिया गया है और ना ही कोई नजरबंदी है। पुलिस ने कहा कि हम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह जानने आए हैं कि आखिर अकाली नेताओं का ट्रैवल प्लान क्या है।  

बिहार भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति बैठक, एक बार फिर आएगी NDA सरकार : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

पटना भारतीय जनता पार्टी की राज्य कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पटना पहुंचे। बिहार के दोनों डिप्टी सीएम और प्रदेश अध्यक्ष ने उनका स्वागत किया। इसके बाद वह राज्य कार्यसमिति की बैठक में शामिल हुए। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हमारी चुनावी घोषणा पत्र को उठाकर देख लीजिए, हमने जो कहा है, वह किया है। पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में चार साल शेष है। अभी बहुत काम होना बाकी है। बिहार में एक बार फिर से एनडीए की सरकार आएगी। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि हमलोगों का सौभाग्य है कि हमें विश्व की सबसे विश्वसनीय राजनीतिक पार्टी में कार्यकर्ता के रूप में काम करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि बिहार आने से पहले मुझे शंघाई रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने का अवसर मिला। बैठक के दौरान जो बैकग्राउंड लगाया गया था, उसमें इस बार नालंदा विश्वविद्यालय का चित्र लगाया गया था। भारत और चीन के बीच का जो सांस्कृति क्षेत्र है, वह बिहार की धरती से जुड़ा है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने ऐसा कहा भाजपा सूत्रों की मानें तो आज की बैठक पर सबसे ज्यादा फोकस बिहार विधानसभा चुनाव है। पीएम मोदी के कार्यकाल के 11 साल पूरे हो चुके हैं। भाजपा अब लोगों के घर घर जाकर एनडीए सरकार की उपलब्धियों को बताने के लिए लोगों के बीच जाएगी। इसके अलवा 15 जुलाई से बूथ सशक्तिकरण कार्यक्रम को लेकर भी कार्ययोजना बनाई जा रही है। डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने कहा कि भाजपा का प्रत्येक कार्यकर्ता एनडीए सरकार के एक-एक काम को बिहार के घर-घर तक ले जाएगा। उन्होंने भी दावा किया कि फिर एक बार एनडीए की सरकार आएगी।

महाराष्ट्र में कांग्रेस को बड़ा झटका, राहुल गांधी के करीबी नेता कुणाल पाटिल ने छोड़ी पार्टी

मुंबई  भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की महाराष्ट्र इकाई के नए अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण ने कार्यभार संभालते ही विपक्षी कांग्रेस को बड़ा झटका दे दिया. रवींद्र चव्हाण की मौजूदगी में महाराष्ट्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुणाल पाटिल ने हाथ का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. कुणाल का कांग्रेस छोड़ना उत्तर महाराष्ट्र और धुले में ग्रैंड ओल्ड पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. कुणाल पाटिल की गिनती लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबियों में होती थी. कुणाल पाटिल धुले ग्रामीण विधानसभा सीट से विधायक रह चुके हैं. हफ्तेभर पहले कुणाल पाटिल की रवींद्र चव्हाण के साथ सीक्रेट मीटिंग की खबर आई थी. तब ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि कुणाल सीएम देवेंद्र फडणवीस और रवींद्र चव्हाण की मौजूदगी में बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. हालांकि, तब कुणाल पाटिल ने बीजेपी में जाने की अटकलों को खारिज कर दिया था. मुलाकात की बात स्वीकार करते हुए कुणाल पाटिल ने कहा था कि वह अपने निजी काम के सिलसिले में रवींद्र चव्हाण से मिले थे. अब कुणाल बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. उन्होंने अपनी पुरानी पार्टी पर तंज करते हुए कहा कि कांग्रेस का जनता से जुड़ाव कम हो गया है. धुले में कुणाल पाटिल का मजबूत प्रभाव कुणाल पाटिल का धुले के साथ ही उत्तर महाराष्ट्र के आसपास के जिलों में भी मजबूत प्रभाव माना जाता है. उनकी पहचान सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में है और युवा वर्ग के बीच उनका अपना आधार है. कुणाल का पार्टी छोड़ना, बीजेपी में शामिल होना विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद अब निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है. गौरतलब है कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव करीब हैं और बीजेपी ने अब दूसरे दलों के मजबूत नेताओं को अपने पाले में लाने की कोशिशें भी तेज कर दी हैं. रवींद्र चव्हाण के महाराष्ट्र बीजेपी की कमान संभालने के बाद दूसरे दलों से नेताओं के बीजेपी में आने का सिलसिला और तेज होने के आसार हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी रवींद्र चव्हाण पहली फडणवीस कैबिनेट में मंत्री थे. वह एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली एनडीए सरकार में भी मंत्री थे. ठाणे जिले के डोंबिवली से आने वाले चार बार के विधायक रवींद्र चव्हाण की इमेज मुश्किल मसलों के त्वरित समाधान निकालने वाले नेता की है.  

अध्यक्ष की रेस में सबसे प्रबल दावेदार के रूप में पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम था, फिर ऐसा क्या हुआ …….

  भोपाल  एमपी में बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। हेमंत खंडेलवाल के नाम की घोषणा हो गई है। 18 साल बाद कोई विधायक एमपी में बीजेपी का प्रदेश अध्यक्ष बना है। हेमंत खंडेलवाल के पिता भी सांसद रहे हैं। इस रेस में कई लोगों के नाम आगे चल रहे थे। सबसे प्रबल दावेदार के रूप में पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का नाम था। माना जा रहा था कि नरोत्तम मिश्रा को इस बार पार्टी कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी। चेहरे से चमक गायब दरअसल, नरोत्तम मिश्रा चुनाव हारने के बाद लोकसभा चुनाव के दौरान काफी एक्टिव रहे थे। उन्होंने हजारों की संख्या में कांग्रेस नेताओं को बीजेपी की सदस्यता दिलवाई थी। साथ ही केंद्रीय नेतृत्व के नेताओं से लगातार मुलाकातें भी चल रही थी। इसकी वजह से रेस में उनका नाम था कि पार्टी के वे वरिष्ठ नेता हैं। मंगलवार को नामांकन के साथ ही नरोत्तम मिश्रा रेस से बाहर हो गए। बुधवार को पार्टी ऑफिस जब वह पहुंचे तो उनका चेहरा उतरा हुआ था। दिल के अरमा आंसुओं में बह गए अब नरोत्तम मिश्रा पर यह गाना बिल्कुल फिट बैठ रहा है कि दिल के अरमा आंसुओं में बह गए। बीजेपी ऑफिस में नरोत्तम मिश्रा पहुंचे तो उनका चेहरा उतरा हुआ था। साथ ही बॉडी लैंग्वेज यह बताने को काफी था कि यह मौका हाथ से निकलने का उनके मन में मसोस है। उतरे मन से वह पार्टी ऑफिस में पहुंचे थे। मंच पर बैठे नरोत्तम मिश्रा के मन में बेचैनी दिख रही थी। कभी भी उनके चेहरे पर चमक नहीं दिखी। गौरतलब है कि नरोत्तम मिश्रा एमपी में बीजेपी के कद्दावर नेता रहे हैं। केंद्रीय नेतृत्व के साथ भी अच्छे संबंध हैं लेकिन विधानसभा चुनाव हारने के बाद वह पद की उम्मीद में बैठे हैं। अब प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति नहीं हुई है। ऐसे में अब अटकलें हैं कि आगे चलकर उन्हें किसी महत्वपूर्ण बोर्ड और निगम में उन्हें एडजस्ट किया जा सकता है।

हेमंत खंडेलवाल बने भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष, धर्मेंद्र प्रधान समेत कई नेता रहे मौजूद

भोपाल  बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल मध्य प्रदेश भाजपा के निर्विरोध नए प्रदेश अध्यक्ष चुन लिए गए हैं। इसकी औपचारिक घोषणा धर्मेन्द्रप्रधान ने की और मंच पर सीएम डॉ. मोहन यादव सहित अन्य नेताओं ने खंडेलवाल को प्रमाण-पत्र देकर उनका स्वागत किया। मंगलवार को केंद्रीय मंत्री और चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान की उपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष के लिए उनका इकलौता नामांकन आया। इस पद के लिए खंडेलवाल का नाम लंबे समय से चर्चा में सबसे आगे था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पसंद के चलते वह अध्यक्ष बने हैं। मुख्यमंत्री मोहन यादव भी खंडेलवाल के पक्ष में थे। खंडेलवाल ने प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का स्थान लिया। प्रदेश अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया के दौरान विष्णु दत्त शर्मा, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, वीरेंद्र कुमार, सावित्री ठाकुर, उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ल, प्रदेश शासन के मंत्री राकेश सिंह, प्रहलाद सिंह पटेल एवं कैलाश विजयवर्गीय की ओर से पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया ने हेमंत खंडेलवाल के नाम का प्रस्ताव रखा। मंगलवार को प्रदेश कार्यालय में हुई भाजपा की वृहद कार्यसमिति की बैठक में निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान खंडेलवाल पहली पंक्ति में केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक और विधायक गोपाल भार्गव के बीच बैठे थे। नामांकन प्रक्रिया के दौरान प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद का इशारा मिलते ही मुख्यमंत्री यादव, खंडेलवाल की पीठ पर हाथ रखकर मंच की ओर बढ़े। फिर हाथ पकड़ केंद्रीय मंत्री व मध्य प्रदेश भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद सदस्यों के चुनाव अधिकारी धर्मेंद्र प्रधान, पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व केंद्रीय चुनाव पर्यवेक्षक सरोज पांडेय और राज्य निर्वाचन अधिकारी विवेक नारायण शेजवलकर के समक्ष प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन-पत्र जमा कराया। नामांकन जमा करने के लिए निर्धारित समय अवधि में आधा घंटा शेष था ऐसे में चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने प्रदेश कार्यालय में मंच से ही कहा कि किसी अन्य को नामांकन पत्र जमा करना हो तो आधा घंटा है, वह जमा कर सकते हैं लेकिन कोई अन्य नामांकन नहीं आया। मथुरा में जन्मे हेमंत, पिता के निधन के बाद राजनीति में आए     उत्तर प्रदेश के मथुरा में तीन सितंबर 1964 को जन्मे हेमंत खंडेलवाल को राजनीति और समाजसेवा के संस्कार पिता स्वर्गीय विजय कुमार खंडेलवाल से विरासत में मिले।     उनके पिता विजय खंडेलवाल भाजपा से बैतूल हरदा संसदीय सीट से सांसद रह चुके हैं। पिता के निधन के बाद खाली हुई इसी सीट से उप चुनाव में हेमंत खंडेलवाल कांग्रेस प्रत्याशी सुखदेव पांसे को हराकर निर्वाचित हुए और राजनीतिक व सामाजिक विरासत संभाली।     2008-09 तक लोकसभा सदस्य रहे। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हेमंत वागद्रे को हराकर विधायक बने और 2018 तक बैतूल विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया।     2018 के विस चुनाव में भाजपा ने उन्हें फिर से प्रत्याशी बनाया, लेकिन इस बार वह कांग्रेस के निलय डागा से चुनाव हार गए। वर्ष 2014 से 2018 तक मध्य प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष रहे।     पांच साल बाद 2023 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर खंडेलवाल पर भरोसा जताया। इस दौरान निलय डागा को हराकर उन्होंने अपनी पारिवारिक सीट पर विजय हासिल की। मालवा-निमाड़ से 8 बार बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष बने मालवा-निमाड़ क्षेत्र से भाजपा ने सबसे ज्यादा 8 बार संगठन को नेतृत्व दिया। भाजपा के पहले प्रदेशाध्यक्ष रहे सुंदरलाल पटवा (सामान्य) मंदसौर के थे। इस पद पर वे दो बार रहे। पहली बार 1980 से 1983 तक और दूसरी बार 1986 से 1990 तक। इसके बाद रतलाम के लक्ष्मीनारायण पाण्डे (सामान्य) 1994 से 1997 तके प्रदेशाध्यक्ष रहे। मालवा क्षेत्र से धार के विक्रम वर्मा (ओबीसी) 2000 से 2002 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। इसी तरह देवास से पूर्व सीएम कैलाश जोशी (सामान्य) ने 2002 से 2005 तक संगठन का नेतृत्व किया। उज्जैन के सत्यनारायण जटिया (एससी) फरवरी 2006 से नवंबर 2006 तक प्रदेशाध्यक्ष रहे। खंडवा सांसद रहे नंदकुमार सिंह चौहान (सामान्य) इस पद पर 2016 से 2018 तक रहे। 2019 में रहे प्रदेश चुनाव अधिकारी, प्रदेश संयोजक रहते लोकसभा चुनाव कराया संपन्न बीकाॅम-एलएलबी की शिक्षा प्राप्त हेमंत खंडेलवाल कृषि क्षेत्र से जुड़े है एवं व्यवसायी है। वर्ष 2019 में संगठन चुनाव के प्रदेश चुनाव अधिकारी रहे। वर्ष 2021 में पश्चिम बंगाल चुनाव में प्रवासी कार्यकर्ता की जिम्मेदारी निभाई। वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में 15 जिलों के 61 विधानसभा क्षेत्रों में प्रवासी कार्यकर्ता के प्रभारी का दायित्व निर्वहन किया। वर्ष 2024 में प्रदेश संयोजक रहते लोकसभा चुनाव कराया। खंडेलवाल, कुशाभाऊ ठाकरे जन्म शताब्दी समारोह के सचिव रहे। वर्तमान में कुशाभाऊ ठाकरे ट्रस्ट के अध्यक्ष है। इनके अलावा राजेंद्र शुक्ला, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, मंत्री प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह ने भी पत्र दिया। कैलाश विजयवर्गीय नहीं पहुंचे। बुधवार को रहेंगे उपस्थित। यशपाल सिसोदिया ने भी नामांकन का प्रस्ताव दिया। धर्मेंद्र प्रधान ने हेमंत खंडेलवाल के अलावा अन्य किसी अन्य के नाम के प्रस्ताव के लिए भी पूछा और इसके लिए 10 मिनट का समय दिया। इसके बाद राष्ट्रीय परिषद के नामांकन पत्र आमंत्रित किए गए। बीजेपी के लिए क्यों खास हैं खंडेलवाल? रिपोर्ट्स के अनुसार, हेमंत खंडेलवाल सत्ता और संगठन के बीच समन्वय बनाने के लिए भी जाने जाते हैं। बताया जाता है कि उनका राजनीतिक सफर उनके पिता विजय कुमार खंडेलवाल की देखरेख में शुरू हुआ। उनके पिता भी हमेशा बीजेपी के साथ जुड़े रहे। वह बीजेपी के एक दिग्गज नेता रहे। साल 2007 में उनका निधन हो गया था।  पिता ने सिखाई राजनीति की ABCD जानकारी के अनुसार, जब हेमंत खंडेलवाल ने अपनी बीकॉम एलएलबी की पढ़ाई पूरी कर ली इसके बाद वह अपने पिता के साथ राजनीति में सक्रिय हो गए थे। हेमंत खंडेलवाल के पिता विजय कुमार खंडेलवाल साल 1996 से साल 2004 तक लगातार चार बार बैतूल से सांसद रहे। बता दें कि साल 2007 में विजय कुमार खंडेलवाल का निधन हो गया। इसके बाद हुए लोकसभा उप चुनाव में पहली बार हेमंत खंडेलवाल ने किस्मत आजमाई और सफलता भी पाई। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के सुखदेव पांसे को भारी अंतर से हराया था। इस जीत के साथ ही हेमंत खंडेलवाल ने पहली बार सांसद बनकर राजनीति प्रवेश किया। बैतूल बीजेपी के जिला अध्यक्ष भी रहे हेमंत खंडेलवाल गौरतलब है कि साल 2008 में हुए परिसीमव के बाद बैतूल लोकसभा सीट अनुसूचित … Read more

अगर कांग्रेस केंद्र की सत्ता में आती है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को देशभर में बैन किया जाएगा

बेंगलुरु कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने ऐलान किया है कि अगर कांग्रेस फिर से केंद्र की सत्ता में आती है तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS को देशभर में बैन किया जाएगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी लगातार RSS की आलोचना करते रहे हैं और संगठन पर देश को बांटने के आरोप लगा चुके हैं. लेकिन प्रियांक खड़गे ने RSS पर राष्ट्रव्यापी प्रतिबंध की बात कहकर एक नई बहस शुरू कर दी है. 'RSS समाज में नफरत फैला रही' उन्होंने कहा कि देश में नफरत कौन फैला रहा है, कौन सांप्रदायिक हिंसा के लिए जिम्मेदार है, कौन है जो संविधान बदलने की बात कर रहा है? प्रियांक खड़गे ने कहा कि RSS अपनी राजनीतिक शाखा बीजेपी से जरूरी सवाल क्यों नहीं पूछती कि देश में बेरोजगारी क्यों बढ़ रही है, पहलगाम में आतंकी हमला कैसे हुआ? यह न पूछकर संघ के लोग समाज में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत RSS को देश में बैन किया जाएगा.  कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक ने कहा कि ईडी, आईटी सभी जांच एजेंसियां क्या सिर्फ विपक्ष के लिए हैं, सरकार आरएसएस की जांच क्यों नहीं करती, आखिर उनके पास पैसा कहां से आ रहा है, उनकी इनकम का सोर्स क्या है. प्रियांक खड़गे ने कहा कि हर बार संघ के लोग हेटस्पीच और संविधान बदलने की बात कहकर बचकर कैसे निकल जाते हैं, आर्थिक अपराध करके कैसे बच जाते हैं, इन सभी विषयों की जांच होनी चाहिए.  प्रियांक ने एक्स पर किया पोस्ट  दरअसल, प्रियांक खड़गे ने बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या को जवाब देते हुए एक्स पर एक पोस्ट किया था, जिसमें सूर्या ने कांग्रेस के हाईकमान को लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे पर सवाल उठाए थे. प्रियांक ने पूछा, 'बीजेपी का हाईकमान कौन है? आपके ज़्यादातर कार्यकर्ता आपकी राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष का नाम तक नहीं बता सकते, उनके लिए मोदी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शायद पंचायत सचिव तीनों ही हैं.' प्रियांक खड़गे ने कहा, 'जब हालात कठिन हो जाते हैं, तो प्रधानमंत्री संसद नहीं जाते, बल्कि आरएसएस को रिपोर्ट करने के लिए नागपुर चले जाते हैं.' उन्होंने तेजस्वी सूर्या को चुनौती देते हुए कहा, 'मैं तुम्हें चुनौती देता हूं कि तुम इसे ऊंची आवाज में कहो- मुझे आरएसएस की ज़रूरत नहीं है, मैं चुनाव जीत सकता हूं क्योंकि मोदीजी और नड्डाजी ही मेरे एकमात्र हाईकमान हैं, अभी और हमेशा.' पहले भी कही थी बैन लगाने की बात यह पहली बार नहीं है जब प्रियांक खड़गे ने ऐसा बयान दिया है. दो साल पहले भी कर्नाटक के संदर्भ में उन्होंने कहा था कि अगर कोई संगठन राज्य में शांति भंग करने या सांप्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिश करेगा तो सरकार उसपर बैन लगाने में बिल्कुल भी संकोच नहीं करेगी. कांग्रेस ने तो कर्नाटक में  अपने घोषणा पत्र में कहा था, राज्य में सरकार में आते ही वह बजरंग दल, पीएफआई समेत जाति और धर्म के आधार पर समुदायों के बीच नफरत फैलाने वाले सभी संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए बैन लगाएगी.  प्रियांक खड़गे ने इसी घोषणापत्र पर कहा था कि हम सिर्फ कानून के मुताबिक और ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने जा रहे हैं जो कानून तोड़ेंगे. जब प्रियांक से पूछा गया कि क्या सरकार RSS और बजरंग दल को भी बैन करेगी? तो इस पर उन्होंने कहा, 'शांति भंग करने की कोशिश करने वाले किसी भी संगठन या व्यक्ति पर कार्रवाई होगी. चाहे वह मैं ही क्यों न रहूं?' केशव बलराम हेडगेवार ने 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन RSS की स्थापना की थी. लेकिन अब तक अलग-अलग वजहों से तीन बार इस संगठन पर बैन लग चुका है. साल 1948 में महात्मा गांधी की हत्या के बाद संघ पर 18 महीने तक प्रतिबंध लगाया गया था क्योंकि बापू की हत्या को RSS से जोड़कर देखा गया. इसके बाद साल 1975 में इमरजेंसी का विरोध करने पर इंदिरा गांधी की सरकार ने RSS को बैन कर दिया, जो दो साल तक जारी रहा. तीसरी बार RSS पर पाबंदी 1992 में लगाई गई, क्योंकि अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढहाने में संघ की भूमिका थी. लेकिन 6 महीने बाद इस बैन को हटा दिया गया था.  

कांग्रेस नेता के बेटे का बयान: केंद्र में आए तो आरएसएस पर लगाएंगे बैन, मचा बवाल

बेंगलूरु  कर्नाटक में कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रही जुबानी जंग और तेज हो गई है। राज्य सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंधित लगाने का बयान देकर विवाद को हवा दे दी है। खरगे ने कहा, 'अगर केंद्र में हमारी सरकार बनती है, तो हम आरएसएस पर पाबंदी लगा देंगे।' इस बयान को लेकर दोनों दलों के बीच राजनीतिक बहस गरमा गई है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे प्रियांक खरगे ने आरएसएस पर धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद के खिलाफ होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने पहले भी दो बार आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया था, जिसे हटाने का उन्हें अफसोस है। प्रियांक खड़गे ने आरएसएस की विचारधारा को समानता और आर्थिक समता के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस शुरू से ही आरएसएस के सिद्धांतों का विरोध करती रही है और भविष्य में भी ऐसा करना जारी रखेगी। खरगे ने दावा किया कि आरएसएस को पहले भी प्रतिबंधित किया गया था, तब संगठन ने राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों से इनकार करते हुए माफी मांगी थी। उन्होंने कहा, 'हमारे पास इन घटनाओं के रिकॉर्ड मौजूद हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि कांग्रेस सत्ता में आने पर कठोर कदम उठा सकती है।' भाजपा ने खरगे के बयान पर किया पलटवार दूसरी ओर, भाजपा ने प्रियांक खरगे के बयान पर करारा जवाब दिया है। कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने आरएसएस को लाखों स्वयंसेवकों वाला देशभक्ति संगठन बताया। उन्होंने खरगे के बयान को खाली बर्तन की आवाज करार दिया। उन्होंने कहा कि आरएसएस एक विशाल वृक्ष है, जिसे कोई भी राजनीतिक शक्ति उखाड़ नहीं सकती। विजयेंद्र ने कांग्रेस से अपनी पार्टी के भविष्य पर ध्यान देने की सलाह दी और सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस का अस्तित्व भी भविष्य में बरकरार रहेगा। इस तरह कर्नाटक में आरएसएस को प्रतिबंधित करने की बहस ने राजनीतिक माहौल को और गर्म कर दिया है।  

CM पद की लॉबिंग बेकार गई! सुरजेवाला ने शिवकुमार के सामने ही कर दी घोषणा

बेंगलुरु कर्नाटक में बीते कई दिनों से डीके शिवकुमार के समर्थक मांग कर रहे थे कि अब नेतृत्व परिवर्तन होना चाहिए। सिद्धारमैया की जगह पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने की मांग थी, लेकिन कांग्रेस हाईकमान की ओर से भेजे गए रणदीप सुरजेवाला ने उन्हें बगल में बिठाकर दावा खारिज कर दिया है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि यदि आपका सवाल है कि क्या कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन होने जा रहा है तो मेरा जवाब ना में है। सुरजेवाला ने कहा, 'आप मुझसे पूछ रहे हैं कि क्या कर्नाटक में नेतृत्व बदल रहा है। इस पर मेरी एक ही जवाब है कि नहीं।' रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'कई विधायकों की ओर से लीडरशिप चेंज की मांग की गई है। इस पर रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मैं अपने विधायकों को सलाह देता हूं कि यदि उन्हें कोई परेशानी है तो फिर मसले को मीडिया में उठाने की बजाय पार्टी फोरम पर बात करें। यदि राज्य के संगठन में कोई दिक्कत है तो फिर प्रदेश अध्यक्ष से बात कर सकते हैं। सरकार में कोई समस्या हो तो फिर मुख्यमंत्री से बात करनी चाहिए।' इस दौरान डीके शिवकुमार उनके बगल में एकदम शांत बैठे दिखे। उनके चेहरे पर उदासी का भाव दिख रहा था, जिसे वह संभालने की कोशिश कर रहे थे।