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करतारपुर साहिब पर आफत: रावी नदी के उफान से बाढ़ का खतरा

पंजाब  सागर बांध से रावी नदी में अत्यधिक पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ आ गई है। इस बाढ़ से करतारपुर साहिब गुरुद्वारा परिसर में पानी भर गया है। यह गुरुद्वारा सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी का अंतिम विश्राम स्थल है। गुरुद्वारे में 5 से 7 फीट तक पानी भर गया है, लेकिन गुरु ग्रंथ साहिब सुरक्षित हैं। भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित यह गुरुद्वारा, करतारपुर कॉरिडोर खुलने के बाद पहली बार बाढ़ से प्रभावित हुआ है। कॉरिडोर वर्तमान में भारत की ओर से बंद है। लंगर हॉल, परिक्रमा, सरोवर और सराय में पानी जानकारी के मुताबिक, रावी नदी का जल स्तर बढ़ने से गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के लंगर हॉल, परिक्रमा, सरोवर और सराय में पानी भर गया है। गुरु ग्रंथ साहिब को दूसरी मंजिल पर सुरक्षित रखा गया है, और अन्य धार्मिक पुस्तकें भी सुरक्षित हैं। बाढ़ के कारण जीरो लाइन क्षेत्र भी पानी में डूब गया है। रावी नदी का पानी धुसी बांध के ऊपर से बह रहा है, जिससे आसपास के खेतों में पानी भर गया है। बांध में एक दरार भी आ गई है, जिससे डेरा बाबा नानक शहर में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। गौरतलब है कि गुरुद्वारा भारत-पाकिस्तान सीमा से 4 किलोमीटर दूर है। 2023 में भी डूबी थी जीरो लाइन उल्लेखनीय है कि जुलाई 2023 में रावी नदी में बाढ़ आई थी, जब जीरो लाइन डूब गई थी और कॉरिडोर पांच दिनों तक बंद रहा था। हालांकि, तब स्थिति इतनी गंभीर नहीं थी। इस बार गुरुद्वारा परिसर में भी पानी भर गया है। गुरुद्वारा प्रबंधन ने बताया कि पवित्र स्वरूप गुरु ग्रंथ साहिब शुरू से ही गुरुद्वारे की दूसरी मंजिल पर सम्मानपूर्वक स्थापित है, इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद कॉरिडोर बंद बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर को गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती पर नवंबर 2019 में खोला गया था। इसका उद्देश्य भारतीय श्रद्धालुओं को बिना वीजा के गुरुद्वारा दर्शन की सुविधा प्रदान करना था। इसे 'दक्षिण एशिया में शांति का गलियारा' भी कहा जाता है। यह कॉरिडोर पाकिस्तान के गुरुद्वारे को पंजाब के डेरा बाबा नानक से जोड़ता है। इस कॉरिडोर से तीर्थयात्रियों का आखिरी जत्था 7 मई को गया था। जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसके बाद कॉरिडोर को बंद कर दिया गया।  

रजिस्ट्री कराने वालों को लगेगा झटका, पंजाब में देना होगा 10,000 रुपए

जालंधर  पंजाब सरकार ने जनता की सहूलियत और तहसीलों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने की कवायद के तहत पूरे राज्य में इजी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी लागू की थी। शुरूआत में इसे पारदर्शी और सरल व्यवस्था बता कर पेश किया गया था ताकि संपत्ति रजिस्ट्रेशन में आम नागरिकों को राहत मिल सके। लेकिन समय के साथ पॉलिसी में लगातार हो रहे बदलावों ने आमजन के साथ-साथ डीड राइटरों को भी परेशान कर दिया है। सरकार ने अब नया आदेश जारी करते हुए कहा है कि यदि कोई व्यक्ति आपात स्थिति में अपनी प्री-स्क्रूटनी तुरंत करवाना चाहता है तो उसे 10,000 रुपए का तत्काल शुल्क देना होगा। यह ‘शार्टकट’ के रास्ते वाला शुल्क पंजाब के सभी सब-रजिस्ट्रार और तहसीलदार कार्यालयों में एक समान रहेगा। यानी यदि किसी को अचानक लेन-देन करना है या किसी पारिवारिक/कानूनी आपात स्थिति में रजिस्ट्री तुरंत पूरी करनी है तो अब उसके पास 10 हजार रुपए देने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा। जनता का सवाल: सहूलियत या मजबूरी का फायदा? सरकार के इस नए फरमान ने आम लोगों में असंतोष की लहर पैदा कर दी है। लोग खुले तौर पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह कदम सहूलियत देने के लिए उठाया गया है या फिर जनता की मजबूरी का फायदा उठाने का तरीका है? प्रॉपर्टी कारोबारी जसविंदर सिंह का कहना है कि "सरकार ने भ्रष्टाचार खत्म करने और लोगों को राहत देने के नाम पर इजी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी लागू की थी। लेकिन अब 10 हज़ार रुपए का आपात शुल्क लगाकर उन्हीं लोगों की जेब पर बोझ डाला जा रहा है। यह सहूलियत नहीं, मजबूरी का फायदा उठाना है।" जिला कांग्रेस के उपप्रधान दीपक मोदी ने कहा कि "हर किसी के पास इतनी बड़ी रकम तुरंत देने की क्षमता नहीं होती। सरकार को गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए राहत का रास्ता निकालना चाहिए, न कि उन्हें और मुश्किलों में धकेलना चाहिए।"   पंजाब सरकार ने नया आदेश जारी करते हुए सभी सब-रजिस्ट्रार और तहसीलदार कार्यालयों में नोटिस बोर्ड लगाने को कहा है, जिन पर रजिस्ट्री संबंधी जानकारी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की जाएगी। इन नोटिस बोर्डों पर अब नागरिक उप-पंजीयक कार्यालय में स्थापित सुविधा केंद्र से मात्र 550 रुपए शुल्क देकर अपनी रजिस्ट्री लिखवा सकते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा नियुक्त वकील और सेवानिवृत्त पटवारी/कानूनगो दस्तावेज़ तैयार करेंगे। दस्तावेज़ लिखने के बाद उन्हें पूर्व-जांच (प्री-स्क्रूटनी) के लिए उप-पंजीयक के पास भेजा जाएगा। इस चरण में किसी स्टाम्प पेपर या सरकारी शुल्क की आवश्यकता नहीं होगी और पक्षकारों को तहसील भी नहीं आना पड़ेगा। पूर्व-जांच एफ.आई.एफ.ओ. (फीफो) सिद्धांत के आधार पर की जाएगी। सही पाए गए मामलों की सूचना संबंधित पक्षकारों को शाम 7 बजे व्हाट्सएप पर भेज दी जाएगी। इसके बाद नागरिक ऑनलाइन शुल्क जमा कर रजिस्ट्री के लिए अप्वाइंटमैंट ले सकते हैं। रजिस्ट्री के दिन सभी पक्षकारों को पहचान पत्र और दस्तावेजों के साथ समय पर उप-पंजीयक कार्यालय पहुंचना अनिवार्य लिखा होगा। पॉलिसी का उद्देश्य और हकीकत इजी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी का उद्देश्य तहसीलों और सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका को खत्म करना था। वर्षों से यह शिकायतें मिलती रही थीं कि लोग अपने दस्तावेज़ समय पर तैयार कराने के लिए मजबूरी में अतिरिक्त पैसे खर्च करते हैं। हालांकि सरकार ने तकनीकी व्यवस्था और ऑनलाइन सिस्टम लागू कर इस प्रक्रिया को आधुनिक बनाने की कोशिश की, लेकिन बार-बार होने वाले बदलावों से लोग और अधिक परेशान होते जा रहे हैं। इजी रजिस्ट्रेशन ने उल्टा बढ़ाई उलझनें : एडवोकेट अनूप गौतम वहीं इजी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी को लेकर सीनियर एडवोकेट अनूप गौतम ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि इस पॉलिसी का उद्देश्य भ्रष्टाचार खत्म करना और जनता को सहूलियत देना था, लेकिन लगातार बदलावों ने प्रक्रिया को आसान बनाने के बजाय और अधिक उलझा दिया है। एडवोकेट गौतम ने कहा कि सरकार को चाहिए कि पॉलिसी में स्थिरता लाई जाए और जनता को राहत देने वाले प्रावधान शामिल किए जाएं। आपात स्थिति में 10,000 रुपए का शुल्क लगाना मजबूर लोगों के साथ अन्याय है और यह उनकी मजबूरी का फायदा उठाने जैसा है। उन्होंने सुझाव दिया कि जिस तरह नागरिक सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में बने सुविधा केंद्र से केवल 550 रुपए शुल्क देकर रजिस्ट्री लिखवा सकते हैं, उसी तर्ज पर आपात प्री-स्क्रूटनी के लिए भी शुल्क 1000 से 2000 रुपए के बीच रखा जाना चाहिए, ताकि जनता को सरकार के “रैवेन्यू चाबुक” से राहत मिल सके।

पूर्व मंत्री पर कार्रवाई की संभावना, पंजाब में जारी नोटिस

चंडीगढ़ पंजाब की सियासत में एक बार फिर हलचल देखने को मिली है। दरअसल, राज्य सरकार ने पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका पर आशू को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इस कदम से एक बार फिर आशू के खिलाफ चर्चाएं तेज हो गई हैं क्योंकि हाईकोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में उनके खिलाफ दर्ज की गई एफ.आई.आर. को रद्द कर दिया था। इस एफ.आई.आर. में 2 जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक अधिकारी और एक ठेकेदार भी सह-आरोपी बनाए गए थे। सरकार का दावा है कि 2020-21 की पंजाब फूडग्रेन लेबर एंड कार्टेज पॉलिसी में मनमाने तरीके से संशोधन कर पसंदीदा ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया और रिश्वत लेकर टेंडर बांटे गए। वहीं, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नीति संशोधन को पहले ही डिवीजन बेंच द्वारा सही माना जा चुका है और ठेकों को कैबिनेट और वित्त विभाग की मंज़ूरी भी प्राप्त थी। इसलिए केवल मंत्री को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के नए पहलू सामने आने की उम्मीद है, जो न सिर्फ़ आशू की राजनीतिक साख बल्कि सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी दावेदारी के लिए भी बड़ी कसौटी साबित हो सकता है।  

चार्ज संभालते ही विवादों में फंसे जालंधर के नए कमिश्नर, यूनियन ने दी कड़ी चेतावनी

जालंधर  नगर निगम के नए कमिश्नर संदीप ऋषि के कार्यभार संभालते ही निगम परिसर में हंगामा खड़ा हो गया। जहां निगम प्रशासन नई उम्मीदों के साथ कमिश्नर का स्वागत कर रहा था, वहीं यूनियन नेताओं ने नाराजगी का बिगुल बजा दिया। कमिश्नर के चार्ज लेने के कुछ ही देर के भीतर निगम यूनियन ने जोरदार धरना-प्रदर्शन करते हुए हड़ताल की चेतावनी दी है। यूनियन के प्रधान बंटू सभ्रवाल के नेतृत्व में सैंकड़ों कर्मचारी नारेबाजी करते हुए मैदान में उतर आए। उनका आरोप था कि निगम प्रशासन ने मनमानी करते हुए आऊटसोर्स कर्मचारी किशन लाल को पक्का कर दिया है, जबकि सैकड़ों कर्मचारी वर्षों से पक्की नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यूनियन नेताओं ने कहा कि जिस कर्मचारी को स्थायी किया गया है, वह वास्तव में माली है ही नहीं। वह ड्राइवर है और पौधों या बागबानी की जानकारी तक नहीं रखता। इसके बावजूद उसे पक्का कर दिया गया। यूनियन का कहना है कि यह फैसला दूसरे कर्मचारियों के साथ पक्षपात है, जिसे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। धरने के दौरान कर्मचारियों ने सरकार और निगम प्रशासन दोनों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। माहौल इतना गर्मा गया कि यूनियन नेताओं ने चेतावनी दे डाली कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो निगम का पूरा कामकाज ठप्प कर देंगे। धरने में ड्राइवर एंड टैक्निकल यूनियन के प्रधान शम्मी लूथर, रिंपी कल्याण, राजन कल्याण, बाबा राज किशोर, मनदीप सिंह, गौरव, बैनी और हतेश नाहर समेत दर्जनों कर्मचारी शामिल हुए। पहले ही दिन नए कमिश्नर के सामने खड़ा हुआ यह विवाद दिनभर चर्चा का विषय रहा। यदि यूनियन अपनी चेतावनी पर हड़ताल करती है तो आने वाले दिनों में शहरवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सैकड़ों कर्मचारियों का भविष्य दाव पर : यूनियन यूनियन नेताओं ने कहा कि निगम में इस समय लगभग 59 माली, 64 फिट्टर, 50 ड्राइवर और 20 जे.सी.बी. मशीन ऑपरेटर आऊटसोर्स पर काम कर रहे हैं। उन्होंने मांग रखते हुए कहा कि कर्मचारियों को एक समान नियम के तहत पक्का किया जाए। अगर एक को फायदा मिल सकता है तो बाकी सबको क्यों नहीं? यूनियन नेताओं ने सवाल उठाते कहा कि इससे बाकि कर्मचारियों का भविष्य दाव पर लगा दिया गया है। मेयर से मुलाकात के बाद धरना खत्म किया यूनियन प्रतिनिधिमंडल ने मेयर वनीत धीर से मुलाकात की। मेयर ने समस्या का समाधान निकालने के लिए कुछ समय मांगा। लेकिन कर्मचारियों ने दो टूक कहा कि अगर जल्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। यूनियन प्रधान बंटू सभ्रवाल ने कहा वह अब और इंतजार नहीं करेंगे। सभी आऊटसोर्स कर्मचारियों को तुरंत स्थायी किया जाए और उन्हें नियुक्ति पत्र दिए जाएं। अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती तो नगर निगम का एक-एक काम बंद कर देंगे। मेयर से मुलाकात के बाद यूनियन ने धरना प्रदर्शन फिलहाल खत्म कर दिया, अब देखना होगा कि आगे क्या होता है?

पूर्व मंत्री के घर Raid: CM मान ने केंद्र सरकार को घेरा, लगाया साजिश का आरोप

चंडीगढ़  दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज के घर आज सुबह ईडी द्वारा की गई छापेमारी को लेकर राजनीति गरमा गई है। अब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने इस मामले में केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह छापेमारी प्रधानमंत्री मोदी के फर्जी डिग्री मामले से ध्यान भटकाने के लिए की गई है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने ट्वीट किया, "आज सौरभ भारद्वाज के घर छापेमारी की गई, क्योंकि कल से पूरे देश में मोदी जी की डिग्री को लेकर चर्चा चल रही है कि मोदी जी की डिग्री फर्जी है। यह छापेमारी सिर्फ इस मामले से ध्यान भटकाने के लिए की गई है।" उन्होंने आगे लिखा, "सतेंद्र जैन जी को भी एक झूठे मामले में तीन साल तक जेल में रखा गया, और बाद में सीबीआई और ईडी ने अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। इससे यह स्पष्ट होता है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ दर्ज सभी मामले फर्जी और झूठे हैं।" 

यूनेस्को साइट में आता मौजूदा परिसर, हाईकोर्ट शिफ्ट को लेकर मंथन जारी

चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट को स्थानांतरित करने को लेकर अब अंतिम निर्णय बार एसोसिएशन (PHHCBA) के हाथ में होगा। हाईकोर्ट के मौजूदा परिसर के विस्तार या इसे नए स्थान पर शिफ्ट करने का फैसला मतदान से तय किया जाएगा। वर्तमान में हाईकोर्ट चंडीगढ़ के सेक्टर-1 में स्थित है, जो सुखना झील के कैचमेंट एरिया और यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट "कैपिटल कॉम्प्लेक्स" का हिस्सा है। यही कारण है कि इसके विस्तार की संभावना लगभग खत्म हो गई है और लंबे समय से नए विकल्प तलाशे जा रहे थे। इसी क्रम में 20 अगस्त को PHHCBA की कार्यकारिणी समिति ने सर्वसम्मति से हाईकोर्ट को चंडीगढ़ के सरणगपुर गांव में स्थानांतरित करने का प्रस्ताव पारित किया। 25 वर्षों तक जरूरतें पूरी करने में सक्षम होगा प्रस्ताव के मुताबिक, सरणगपुर में हाईकोर्ट का नया परिसर बनाने के लिए 48.865 एकड़ भूमि निर्धारित की गई है, जिनमें से 15 एकड़ जमीन पहले ही आवंटित की जा चुकी है। यहां करीब 42 लाख वर्ग फुट क्षेत्रफल का नया भवन तैयार किया जाएगा, जो आने वाले 20 से 25 वर्षों तक जरूरतें पूरी करने में सक्षम होगा। एसोसिएशन का कहना है कि सरणगपुर बेहतर विकल्प है क्योंकि यहां मेट्रो स्टेशन प्रस्तावित है, पीजीआई की ओर से फ्लाईओवर, चौड़ी सड़कें और मोहाली व एयरपोर्ट तक बेहतर कनेक्टिविटी उपलब्ध होगी। साथ ही चारों दिशाओं से एंट्री-एग्जिट की सुविधा और बिना ट्रैफिक जाम के आवागमन की संभावना इसे और उपयुक्त बनाती है। एक और विकल्प पर भी चल रहा विचार मौजूदा परिसर में ही विस्तार करने की योजना को भी विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है। इसके तहत बार रूम के सामने नए कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया जा सकता है। इसमें दो मंजिला अंडरग्राउंड पार्किंग और ऊपर तीन मंजिलें होंगी। इससे करीब 16 नए कोर्टरूम जुड़ जाएंगे। इस योजना की लागत लगभग 200 करोड़ आंकी गई है। हालांकि यह निर्माण कार्य यूनेस्को से मंजूरी मिलने पर ही संभव होगा। एसोसिएशन का कहना है कि मंजूरी की प्रक्रिया में कम से कम डेढ़ साल लगेगा और इसके बाद निर्माण में पांच साल से अधिक का समय लग सकता है। इस दौरान परिसर में भीड़, पार्किंग की समस्या, धूल और आवाजाही में दिक्कतें बढ़ जाएंगी। अदालत की सख्त टिप्पणी 22 अगस्त को चीफ जस्टिस शील नागु और जस्टिस रमेश कुमारी की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हाईकोर्ट को शिफ्ट करने जैसा महत्वपूर्ण फैसला केवल कार्यकारिणी समिति नहीं ले सकती। इसे एसोसिएशन की जनरल बॉडी के समक्ष रखा जाना चाहिए। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब तक जनरल बॉडी इस प्रस्ताव को पारित नहीं करती, इसे मान्यता नहीं दी जाएगी। बार एसोसिएशन का रुख PHHCBA ने बार सदस्यों के लिए जारी नोटिस में कहा है कि मौजूदा परिसर में विस्तार का विकल्प लंबा समय लेगा और फिर भी हाईकोर्ट की जरूरतों को पूरी तरह पूरा नहीं कर पाएगा। जबकि सरणगपुर में नया परिसर एक स्थायी समाधान होगा और सुविधाओं से भरपूर होगा। एसोसिएशन ने कहा कि दोनों ही योजनाओं में 5 से 7 साल का समय लग सकता है, लेकिन सरणगपुर का विकल्प भविष्य के लिए बेहतर साबित होगा। अब अंतिम फैसला वकीलों के वोट से अब हाईकोर्ट को शिफ्ट करने या नहीं करने का फैसला बार एसोसिएशन के सदस्य वकीलों के मतदान से तय होगा। मतदान की तारीख और प्रक्रिया जल्द घोषित की जाएगी। PHHCBA सचिव गगनदीप जम्मू ने कहा कि “यह फैसला ऐतिहासिक और भविष्य को प्रभावित करने वाला है। इसलिए सभी सदस्य अपने मूल्यवान वोट जरूर डालें।” अभी जरूरत के अनुसार छोटी है हाईकोर्ट वर्तमान में हाईकोर्ट की स्वीकृत क्षमता 85 कोर्टरूम की है, लेकिन फिलहाल केवल 69 कोर्टरूम ही कार्यशील हैं। बढ़ते मामलों और न्यायिक ढांचे की जरूरतों को देखते हुए हाईकोर्ट के विस्तार या स्थानांतरण पर यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है।

पठानकोट के कई हिस्सों में बाढ़, पठानकोट-जालंधर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना पुराना पुल चक्की नदी में बहा

चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में शनिवार रात से जारी भारी बारिश ने पंजाब के पठानकोट जिले में भारी तबाही मचा दी है। नदियों और खड्डों के उफान के कारण कई हिस्सों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। सबसे बड़ा नुकसान चक्की नदी में हुआ है, जहां पठानकोट-जालंधर राष्ट्रीय राजमार्ग पर बना पुराना पुल बह गया है। इससे आवाजाही पूरी तरह बाधित हो गई है और प्रशासन ने एहतियातन नया पुल भी बंद कर दिया है। चक्की नदी बना सबसे बड़ा खतरा पठानकोट को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ने वाला रेलवे पुल भी चक्की नदी के तेज बहाव से खतरे में है। बहते पानी ने इसकी संरचना को प्रभावित किया है। प्रशासन ने हालात की गंभीरता को देखते हुए चक्की नदी पर बने नए पुल को भी बंद कर दिया, जिससे राष्ट्रीय राजमार्ग का यातायात एक तरफ से रोक दिया गया है। नदियां उफान पर, गांव डूबे भारी बारिश से उज्ज दरिया, रावी नदी और जलालिया दरिया का जलस्तर तेजी से बढ़ गया है। कई गांवों की सड़कें कट गई हैं, जिससे ग्रामीण इलाकों का संपर्क टूट गया है। कंडी क्षेत्र के धार कलां के पास फर्शी खड्ड में आई बाढ़ से लोग दहशत में हैं। वहीं, गांव कोठे मनवाल और खानपुर में खड्ड के तेज बहाव में दो मंजिला मकान ताश के पत्तों की तरह ढह गया। प्रशासन ने कराया इलाका खाली चक्की खड्ड का जलस्तर बढ़ने से वार्ड नंबर-12 के सैली कुलियां क्षेत्र को खाली करवाया गया है। उधर पठानकोट-चंबा-डल्हौजी नेशनल हाईवे पर पानी भर जाने से यातायात ठप हो गया है और लंबा जाम लग गया है। साथ ही, नेशनल हाईवे 154ए पर भूस्खलन और पठानकोट-जुगयाल क्षेत्र में लैंडस्लाइड से यातायात पूरी तरह प्रभावित हुआ है। डैम का जलस्तर बढ़ा, अलर्ट जारी रणजीत सागर डैम का जलस्तर 524.94 मीटर दर्ज किया गया है और यह खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है। डैम प्रशासन ने कहा है कि अगर स्तर 525 मीटर तक पहुंचा तो फ्लड गेट खोले जा सकते हैं। लोगों को पहले ही सतर्क करने के लिए सायरन बजाए जा रहे हैं। इसी तरह पौंग बांध और भाखड़ा डैम में भी पानी का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। फसलों को भारी नुकसान पठानकोट समेत सीमावर्ती इलाकों में बाढ़ से किसानों की खड़ी फसलें जलमग्न हो गई हैं। खेतों तक पानी पहुंचने से बड़े पैमाने पर कृषि नुकसान हुआ है। मौसम विभाग का अलर्ट मौसम विभाग ने पंजाब के सात जिलों-पठानकोट, गुरदासपुर, अमृतसर, होशियारपुर, नवांशहर, रोपड़ और मोहाली में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। ब्यास नदी का जलस्तर दो दिनों में 1,16,615 क्यूसेक से बढ़कर 1,74,000 क्यूसेक तक पहुंच गया है। एसडीएम बाबा बकाला साहिब अमनप्रीत सिंह ने लोगों को नदी किनारे न जाने की सख्त हिदायत दी है। सरकार की सख्ती और राहत कार्य सरकार ने सभी नेताओं और जिलाधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के आदेश दिए हैं। कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां ने फाजिल्का के बाढ़ग्रस्त इलाकों का जायजा लिया और लोगों को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया। राहत एवं बचाव टीमें अलर्ट पर हैं और जरूरत पड़ते ही फ्लड गेट खोले जा सकते हैं।  

जालंधर में सर्जिकल कॉम्प्लेक्स के Metro Milk Factory में हुई अमोनिया गैस लीक, 30 लोग फंसे

जालंधर  वेस्ट हलके में स्थित सर्जिकल कॉप्लैक्स के मैट्रो मिल्क फैक्टरी में अमोनिया गैस लीक हो गई। इस घटना में कर्मियों में हड़कंप मच गया। घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन द्वारा क्रेन की मदद से दीवार तोड़कर कर्मियों को बाहर निकाला जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस घटना के दौरान 30 लोग अंदर फंसे हुए है, जिन्हें क्रेन की मदद से बाहर निकाला जा रहा है। घटना की सूचना मिलते ही प्रशासन और पुलिस के उच्च अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए हैं। मेडिकल टीम को भी अलर्ट पर रखा गया है ताकि किसी भी घायल को तुरंत उपचार मिल सके। फिलहाल गैस रिसाव के कारणों का पता लगाया जा रहा है और हालात पर काबू पाने की कोशिशें जारी हैं।  

सरकार का नया फैसला, प्रभावित होंगे 55 लाख राशन कार्डधारी

चंडीगढ़ पंजाब में राशन कार्डों को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान का कहना है कि केंद्र की ओर से पंजाब में 8 लाख राशन कार्ड काटने की साजिश रची जा रही है। इसके कारण राज्य के लाखों लोगों को मुफ्त राशन नहीं मिल सकेगा। इससे पहले भी 23 लाख लोगों को इस सुविधा से वंचित किया जा चुका है। अब सरकार की इस साजिश से कुल 55 लाख लोग इस सुविधा से वंचित हो जाएंगे। पंजाब सरकार का कहना है कि केंद्र द्वारा राशन कार्ड काटने के मानदंड गलत हैं। गौरतलब है कि इस समय राज्य में 1.53 करोड़ लाभार्थी हैं, जिन्हें राशन कार्ड के माध्यम से सस्ता अनाज मिल रहा है। केंद्र ने इनकी जांच करने के लिए कहा है, जबकि पंजाब सरकार के मुताबिक 1.29 करोड़ लाभार्थियों का वेरिफिकेशन हो चुका है। केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री के इन आरोपों को पूरी तरह नकार दिया है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी का कहना है कि केंद्र ने सिर्फ अयोग्य लाभार्थियों की पहचान करने के लिए कहा है। मंत्री ने साफ किया है कि केंद्र सरकार ने मंज़ूर किए गए 1.41 करोड़ लाभार्थियों में से किसी को नहीं हटाया है। मुख्यमंत्री मान ने कहा है कि हम अपने विभाग से इन कार्डों की जांच करवाएंगे। इससे पता लग सकेगा कि कहीं कोई ऐसा व्यक्ति तो नहीं है, जिसका राशन कार्ड नहीं बनना चाहिए था और बन गया हो।  

बाढ़ में मवेशियों के लिए भूख नहीं बनेगी जानलेवा! ऐसे मिलेगा सूखा चारा

बाढ़ में नहीं भूख से तड़पेंगे पशुधन!नीतीश सरकार पहुंचाएगी चारा  बाढ़ में मवेशियों के लिए भूख नहीं बनेगी जानलेवा! ऐसे मिलेगा सूखा चारा पशुओं की जान बचाने उतरी नीतीश सरकार, हर शिविर में पहुंचेगा चारा  बाढ़ के दौरान पशुओं का डायर्ट प्‍लान तैयार! जरूरत के अनुसार मिलेगा चारा पटना बाढ़ की विभीषिका केवल इंसानों को ही नहीं, पशुओं के लिए भी मुश्किल खड़ी कर देती है। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के पशुपालकों की समस्‍या को समझते हैं। ऐसे वक्‍त में जब घर-आंगन जलमग्न हो जाते हैं और चारागाह डूब जाते हैं। बिहार सरकार पशुपालकों के पशुधन को बचाने के लिए बड़ी सहारा बनी है। पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने आपदा प्रभावित इलाकों में पशु चारा वितरण कार्यक्रम शुरू किया है, ताकि किसी भी पशुपालक को अपने मवेशियों को भूखा रखने की नौबत न आए। पशुओं के हिसाब से मिलेगा चारा जिला प्रशासन के सहयोग से चल रहे इस कार्यक्रम के तहत हर जिले में पशुपालन पदाधिकारी की देखरेख में प्रभावित गांवों और पशु शिविरों तक चारा पहुंचाया जा रहा है। खास बात यह है कि वितरण पूरी तरह पशुओं की ज़रूरत के हिसाब से तय किया गया है। किसके लिए कितना चारा  बिहार सरकार जिला प्रशासन के सहयोग से बड़े जानवरों के लिए 6 किलो चारा तय किया है। छोटे जानवरों के लिए 3 किलो चारा तय किया है। वहीं, उससे छोटे जैसे भेंड बकरी और दूसरे मवेशियों के लिए एक किलो चारा तय किया गया है। चारे में इस बात का ध्‍यान रखा गया है कि मवेशियों की जरूरत का पोषण उन्‍हें मिल जाए। ये है प्रक्रिया जिला प्रशासन की ओर से पशुपालकों को एक बार में 3 दिन से लेकर एक हफ्ते तक का चारा मुहैया कराया जा रहा है। गौर करने वाली बात ये है कि बाढ़ की वजह से हालात बिगड़ने पर यह व्यवस्था शिविर संचालन तक जारी रखने का आदेश दिया गया है। चारा वितरण से पहले प्रभावित पशुओं की संख्या गिनी जाती है और हर पशुपालक को टोकन दिया जाता है। इसी आधार पर लाइनवार और व्यवस्थित तरीके से चारा पहुंचाया जाता है। ऐसे ले सकते हैं लाभ बताते चलें, बाढ़ के समय पशुओं का जीवन दांव पर होता है। तब यह योजना पशुपालकों के लिए वरदान साबित हो रही है। जरूरत पड़ने पर मवेशी पालक, पशुपालन निदेशालय, बिहार के 0612-2230942 नंबर या पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, बिहार 0612-2226049 नंपर पर भी संपर्क कर सकते हैं।