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अब जरूरी काम के लिए शहर तक आने की आवश्यकता नहीं, मल्हारगंज तहसील के नए भवन में कामकाज शुरू

इंदौर सुपर कॉरिडोर पर बनाए गए मल्हारगंज तहसील के नए भवन में कामकाज शुरू कर दिया गया है। इससे 20 गांवों के किसानों को फायदा होगा और जरूरी काम के लिए शहर तक आने की आवश्यकता नहीं होगी। लंबे समय से किसान नए भवन में कार्यालय शुरू करने की मांग कर रहे थे, जो अब जाकर शुरू हुआ है। यहां पहले दिन ही सर्वर और बिजली की समस्याएं सामने आई। इसके लिए अब ईंवर्टर और नेटवर्क के लिए नए कनेक्शन की व्यवस्था की जा रही है।   दस्तावेज बस्तों में बांधकर नए भवन पहुंचाए मल्हारगंज तहसील का नया भवन करीब एक वर्ष पहले बनकर तैयार हो गया था, लेकिन यहां प्रशासनिक संकुल स्थित तहसील कार्यालय को स्थानांतरित नहीं किया जा रहा था। विगत दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के द्वारा भवन का लोकार्पण करने के बाद यहां पर तहसील कार्यालय का सामान स्थानांतरित कर कामकाज शुरू कर दिया गया। तहसील कार्यालय के दस्तावेज बस्तों में बांधकर नए भवन में पहुंचा दिए गए है। किसानों का समय बचेगा वहीं, जिन दस्तावेज की आवश्यकता नहीं थी, उनको रिकॉर्ड रूम में रखवाया गया है। दो मंजिला भवन में तहसील और एसडीएम कार्यालय बनाए गए है। इससे किसानों का समय बचेगा और काम जल्द हो सकेगा। किसान कमल सिंह डाबी का कहना है कि किसानों को नामांतरण, खसरा नकल जैसे कार्यो के लिए मोती तबेला स्थित कलेक्टर कार्यालय जाना पड़ता था। इससे पूरा दिन खराब हो जाता था। अब यहां कुछ घंटों में काम हो जाएगा।

MP में फ्री लैपटॉप योजना को लेकर बड़ी अपडेट, छात्र-छात्राओं को अब इस दिन मिलेगा लाभ

भोपाल स्कूली छात्र-छात्राओं को अच्छे नंबर लाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु मध्य प्रदेश सरकार 'प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना' चलाती है, जिसके अंतर्गत 12वीं की बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत या इससे अधिक अंक लाने वाले स्टूडेंट्स को सरकार की तरफ से लैपटॉप दिए जाते हैं या फिर इसे खरीदने के लिए राशि दी जाती है। इस साल इस योजना के तहत छात्रों को लैपटॉप देने की तारीख सामने आ गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री मोहन यादव शुक्रवार 4 जुलाई को भोपाल के कुशाभाऊ ठाकरे कन्वेंशन सेंटर में इस योजना के तहत बच्चों को लैपटॉप वितरित करेंगे। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा मंत्री उदय प्रताप सिंह भी मौजूद रहेंगे। इस बारे में राज्य सरकार की तरफ से जारी प्रेसनोट के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग की इस प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना के तहत सालाना कार्यक्रम इस हफ्ते आयोजित होगा। जिसमें राज्य सरकार मप्र माध्यमिक शिक्षा मण्डल की 12वीं बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत अथवा उससे ज्यादा अंक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को 25 हजार रुपए की राशि लैपटॉप खरीदने के लिए उनके बैंक खाते में ट्रांसफर करेगी। इस वर्ष इस योजना के अंतर्गत 94 हजार 234 विद्यार्थियों को लैपटॉप दिए जाने हैं, और इसके लिए सरकार कुल 235 करोड़ 58 लाख 50 हजार रूपए खर्च करेगी और यह रकम उनके खाते में ट्रांसफर करेगी। कार्यक्रम में प्रदेश के 500 से ज्यादा विद्यार्थी और शिक्षक मौजूद रहेंगे। प्रदेश में पिछले साल 2023-24 में 89 हजार 710 प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के बैंक खातों में 224 करोड़ 27 लाख 50 हजार रुपए की राशि ट्रांसफर की गई थी। बता दें कि मध्य प्रदेश में यह योजना वर्ष 2009-10 से संचालित हो रही है। पिछले 15 वर्षों में इस योजना में 4 लाख 32 हजार 16 विद्यार्थियों के बैंक खातों में एक हजार 80 करोड़ 4 लाख रुपए की राशि प्रोत्साहन स्वरूप लैपटॉप के लिए ट्रांसफर की जा चुकी है।

छापेमारी को तैयार नागा साधु! अयोध्या में दुकानों पर निगरानी के लिए निर्वाणी अखाड़ा की पहल

अयोध्या पश्चिमी यूपी में कांवड़ मार्ग पर यशवीर महाराज और उनके वालंटियर दुकानों पर चेकिंग अभियान चला रहे हैं। इस अभियान को पहचान अभियान नाम दिया गया है। इस बीच अब अयोध्या में नागा साधु दुकानों पर प्रसाद की शुद्धता की जांच करेंगे। इसके लिए औचक छापेमारी करने के लिए निर्वाणी अखाड़ा ने टीम का गठन कर दिया है। सावन माह में कांवड़ियों के आगमन और झूला मेला को देखते हुए अखाड़े के निर्णय का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए अखाड़े के नागा साधुओं व व्यापारी नेताओं की संयुक्त टीम गठित की गई है जो आकस्मिक निरीक्षण करके प्रसाद की गुणवत्ता की जांच करेगी और कार्यवाही के लिए भी अपनी संस्तुति प्रदान करेगी। बताया जाता है कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद से हनुमानगढ़ी में उच्च गुणवत्ता युक्त प्रसाद (लड्डूओं) का भोग लगाने और प्रसाद चढ़ाने की कवायद शुरू हुई थी। इसके कारण ही निर्वाणी अखाड़ा हनुमानगढ़ी की बैठक में व्यापारियों को बुलाकर देशी घी के लड्डू बेचने का निर्देश दिया गया। व्यापारियों ने इसे मान भी लिया लेकिन ठगी शुरू हो गई। अधिकतर व्यापारियों ने देशी घी के नाम पर लड्डू का रेट तो बढ़ा दिए लेकिन सस्ते ब्रांड के तेल का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी दुर्व्यवस्था पर अंकुश के लिए एक जुलाई से प्रसाद के डिब्बे पर व्यापारी व प्रतिष्ठान का नाम व मोबाइल नंबर अनिवार्य रूप से अंकित करने का निर्देश निर्वाणी अखाड़ा ने दिया है। इससे मिलावटखोरी व ठगी करने वाले व्यापारी चिह्नित हो जाएंगे। सावन माह में कांवड़ियों के आगमन और झूला मेला को देखते हुए अखाड़े के निर्णय का अनुपालन सुनिश्चित कराने के लिए अखाड़े के नागा साधुओं व व्यापारी नेताओं की संयुक्त टीम गठित की गई है जो आकस्मिक निरीक्षण करके प्रसाद की गुणवत्ता की जांच करेगी और कार्यवाही के लिए भी अपनी संस्तुति प्रदान करेगी। हनुमानगढ़ी की सागरिया पट्टी महंत ज्ञानदास के उत्तराधिकारी महंत संजय दास ने बताया कि प्रसाद में मिलावट की शिकायतों को देखते हुए संत समाज और व्यापारियों ने संयुक्त रूप से निर्णय लिया है कि एक जुलाई से प्रसाद के डिब्बे पर व्यापारी अपना और अपनी दुकान का नाम और फोन नंबर अंकित करें। यही प्रसाद मंदिर में चढ़ाया जा सकेगा। व्यापारी नेता पंकज गुप्ता ने बताया कि सभी को अवगत करा दिया गया है। गड़बड़ी करने वाले खुद जिम्मेदार होंगे।  

अध्ययन : सीधी, शहडोल, सतना, सिंगरौली, उमरिया, पन्ना, कटनी, भिंड, रीवा और मुरैना में भविष्य में सूखे की आशंका

भोपाल  प्रदेश के 10 जिलों में गंभीर सूखे का खतरा मंडरा रहा है। सूखे की चिंता चालू मानसून सत्र की नहीं है, बल्कि भविष्य को लेकर की जा रही है। यह आशंका 1958 से 2022 तक के जलवायु आंकड़ों के विश्लेषण का निष्कर्ष है। यह निष्कर्ष भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आइसर) और मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (मैनिट) के विज्ञानियों के संयुक्त अध्ययन में सामने आया है। इसकी वजह औसत वर्षा न होना और गर्म दिनों की संख्या में बढ़ोतरी है। अध्ययन में सीधी, शहडोल, सतना, सिंगरौली, उमरिया, पन्ना, कटनी, भिंड, रीवा और मुरैना में भविष्य में सूखे की आशंका की वजह गर्म दिनों की संख्या बढ़ने को बताया जा रहा है। आईसर के पृथ्वी एवं पर्यावरणीय विज्ञान विभाग के विज्ञानी सोमिल स्वर्णकार और मैनिट के विकास पूनिया ने जलवायु आंकड़ों का विश्लेषण किया है। यह संयुक्त अध्ययन हाल में यूरोपीय जर्नल थियोरेटिकल एंड एप्लाइड क्लाइमेटोलाजी में प्रकाशित हुआ है। इसके बाद शहडोल और सतना ऐसे हालात का शिकार रहा। इन जिलों को संकट के गंभीर हाटस्पाट के तौर पर चिह्नित किया गया है। सोमिल स्वर्णकार ने बताया कि पूर्वी क्षेत्र के जिलों में सामान्य तौर पर अधिक वर्षा होती रही है, लेकिन 1990 के बाद यहां वर्षा के दिनों की संख्या घटती गई और तापमान बढ़ता गया। यहां तक कि सर्दियों में भी तापमान सामान्य से अधिक रहा है। इन अत्यधिक संवेदनशील जिलों में जलवायु अनुकूल रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। फसल बीमा, वित्तीय सहायता और सामुदायिक प्रशिक्षण जैसे लक्षित उपाय ग्रामीण आजीविका और जल संसाधनों की सुरक्षा में सहायक होंगे। यदि समय पर कार्यवाही नहीं की गई तो राज्य की कृषि, जल सुरक्षा और सामाजिक स्थिरता पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।     तापमान बढ़ता जाएगा, जिससे लू और सूखे की स्थिति अधिक गंभीर हो सकती है। बारिश के पैटर्न में बदलाव और वाष्पीकरण में वृद्धि के कारण पानी की उपलब्धता कम हो सकती है, जिससे कृषि और पेयजल आपूर्ति पर असर पड़ सकता है। फसलों की पैदावार में कमी हो सकती है। -लू और वायु प्रदूषण में वृद्धि के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं, जैसे कि हीट स्ट्रोक और श्वसन संबंधी बीमारियां। बाढ़, सूखा और तूफान जैसी प्राकृतिक आपदाओं की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हो सकती है। हमें यह करना होगा     ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी     जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम करना।     नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना और वनों की कटाई को रोकना।     जल संरक्षण, सूखा प्रतिरोधी फसलों का उपयोग और आपदा प्रबंधन प्रणालियों को मजबूत करना।     बारिश के जल का संचयन।  

बदायूं में अब महिला पर इस्लाम कबूलने का दबाव, अतीक-अशरफ गैंग का नया कारनामा

बदायूं.  बदायूं में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक प्रसिद्ध दरगाह के पीर पर आरोप है कि वह अतीक अरशद गैंग का सदस्य है और उसने पीड़िता के सास-ससुर और पति का धर्म परिवर्तन करवा दिया है. अब वह पीड़िता और उसकी 5 साल की बेटी पर भी धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा है. पीड़िता का कहना है कि उसका पति पिछले डेढ़ साल से उससे मिलने नहीं आया है. जब वह पीर के घर गई तो उसे धमकियां दी गईं. पीड़िता ने आरोप लगाया है कि एक भाजपा विधायक आरोपी पीर की पैरवी कर रहा है. दरअसल, बदायूं में अतीक और अशरफ गैंग के नाम पर एक विश्व प्रसिद्ध दरगाह के पीर पप्पन पर एक महिला ने गंभीर आरोप लगाए हैं. उसका आरोप है कि पीर के संबंध अशरफ के साले सद्दाम से है. सद्दाम की मदद से अशरफ की जेल में मुलाकात और उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम दिया गया था. इसमें सद्दाम को भी नामजद किया गया था और वह बदायूं जेल में भी कई बार बंद रहा था. पप्पन पीर के सद्दाम से संबंध होने के चलते एक हिंदू महिला पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाया गया. इस चौंकाने वाले मामले के सामने आने के बाद पीड़िता ने राष्ट्रपति, भारत सरकार, यूपी के मुख्यमंत्री और एसएसपी तक को शिकायत की है, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई है. महिला के मोबाइल फोन पर अतीक अशरफ के कथित लेटर डालकर भी धमकियां दी गई है। महिला का कहना है कि दरगाह का पप्पन पीर अपने आपको अशरफ के साले सद्दाम से संबंध होने की बात कहकर हड़का रहा है। वह धर्म परिवर्तन का दबाव बना रहा है। आरोपी पीर ने महिला से ये भी कहा कि हिंदू धर्म में बहुत भगवान हैं। मुसलमान केवल एक को ही पूजते हैं। मुसलमानों में कई बच्चे पैदा करने में कोई दिक्कत नहीं है। पीर पर लगाया आरोप महिला का दावा है कि पीर अतीक अशरफ गैंग का भी सदस्य है। उसके सास-ससुर समेत पति का भी वो कथित रूप से धर्म परिवर्तन करा चुका है। इतने पर भी पीर का दिल नहीं भरा तो वो पीर पीड़िता और उसकी 5 साल की बिटिया का भी धर्म परिवर्तन कराने की जिद्द पर अड़ कर उसे डरा-धमका रहा है। उसका राह चलते निकलना दुश्वार कर दिया है, जबकि पीड़िता का पति पिछले लगभग डेढ़ साल से उससे मिलने नहीं आया है। बताया ये खौफनाक मामला दरअसल, ये हैरतअंगेज मामला बदायूं शहर की एक प्रसिद्ध दरगाह का बताया जाता है। वहां आरोपी पीर रहता है। पीड़ित महिला का आरोप है कि वो पीर अतीक अरशद गैंग का भी सदस्य है। उस पीर ने उसके सास-ससुर समेत उसके पति का भी धर्म परिवर्तन करवा दिया है। इतने पर भी जब दिल नही भरा तो वो पीर अब खुद पीड़िता और उसकी 5 साल की बेटी का भी धर्म परिवर्तन का दबाब बना रहा है। साथ ही, पीड़िता का आरोप है कि उसका पति लगभग पिछले डेढ़ बर्ष से उससे मिलने नही आया है। जब उसकी खोज में पीड़िता उस पीर के घर गई तो उसे धमकी दी जाने लगी। पीड़िता ने आरोपी पीर की पैरवी एक भाजपा विधायक पर किए जाने का भी आरोप लगाया है। महिला का बड़ा दावा महिला का दावा है कि अतीक और अशरफ गैंग के नाम पर एक विश्व प्रसिद्ध दरगाह के पीर पप्पन का संबंध अशरफ के साले सद्दाम से हो गया था। सद्दाम की मदद से अशरफ की जेल में मिलाई और उमेश पाल हत्याकांड को अंजाम दिया गया था। इसमें सद्दाम को भी नामजद किया गया था। सद्दाम बदायूं जेल में भी बंद रहा था। पप्पन पीर के सद्दाम के संबंध होने के चलते इस हिन्दू महिला पर धर्म-परिवर्तन करने का दबाब बनाया गया। यह चौंकाने वाला मामला सामने आने के बाद पीड़ित महिला ने देश के राष्ट्रपति, भारत सरकार, यूपी के मुख्यमंत्री और एसएसपी तक को शिकायत की है। बदायूं के मंदिर में युवक ने पढ़ी नमाज, वीडियो वायरल होने पर पुलिस ने किया गिरफ्तार पूरे मामले पर पीड़िता ने कहा कि मेरे परिवार में पप्पन पीर जी का काफी सालों से आना जाना है। मेरे पति भी उनके मुरीद हैं। हमारे बीच की पर्सनल बातें भी उन्हें बताते हैं। मेरे सास-ससुर, मेरे पति और पीर जी चाहते हैं कि मैं भी मुसलमान बन जाऊं। उनके लिए हिंदू धर्म कोई मायने नहीं रखता है। पिछले डेढ़ साल से ये पीर मुझे अपने सास-ससुर और पति से मिलने भी नहीं दे रहा है। इनका दबाव है कि मैं भी मुसलमान बन जाऊं। महिला ने आरोप लगाया कि पीर और उनके लोगों की ओर से लगातार धमकी दी जाती है। मेरी 5 साल की एक बेटी है। मुझे इन लोगों से डर लगता है। मामले की शिकायत के बाद भी एक्शन नहीं हुआ। अब जल्द कार्रवाई हो। पुलिस ने मामला दर्ज कर अब इसकी जांच शुरू कर दी है।

एमडी अमनवीर सिंह बैंस ने कहा है कि ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में प्रदेश निरंतर बेहतरीन कार्य कर रहा

 एमडी अमनवीर सिंह बैंस ने कहा है कि ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में प्रदेश निरंतर बेहतरीन कार्य कर रहा  भोपाल में हुई मीडिया वर्कशाप भोपाल मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड (एमपीयूवीएनएल) के एमडी अमनवीर सिंह बैंस ने कहा है कि ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में प्रदेश निरंतर बेहतरीन कार्य कर रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देशन में “प्रधानमत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली” योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों को दिलाने के लिये शासन प्रतिबद्धतापूर्वक कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि 3 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगाने पर शासन द्वारा 78 हजार रूपये की सब्सिडी का लाभ उपभोक्ताओं को दिया जा रहा है। एमडी बैंस ने जनता से अपील की है कि पीएम सूर्य घर पोर्टल पर अधिक से अधिक आवेदन करें। प्रदेश में लगभग 850 वेंडर इस कार्य में संलग्न किये गये हैं, आवेदक स्वयं उसमें से आप वेंडर का चयन कर सकते हैं। इस प्रकार प्रदेश के क्लीन एनर्जी (स्वच्छ ऊर्जा) के क्षेत्र में सहभागिता सुनिश्चित कर प्रदेश को अव्वल बनाने में अपना योगदान दें। एमडी बैंस ने बताया कि मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड और नॉलेज पार्टनर काउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वॉटर ने साथ मिलकर मंगलवार को पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना के तहत मध्यप्रदेश में रूफटॉप सोलर को बढ़ावा देने के लिये कार्यशाला का आयोजन किया। इसमें मीडिया को राष्ट्रीय और राज्य स्तरों पर रूफटॉप सोलर को बढ़ावा देने वाले प्रावधानों, इसमें मौजूद संभावनाओं और मध्यप्रदेश को सौर ऊर्जा संपन्न बनाने के प्रयासों की जानकारी दी गई। एमडी बैंस ने कार्यशाला में सौर ऊर्जा को लेकर सरकार के विजन, प्रदेश की सौर ऊर्जा नीति, पीएम सूर्य घर पोर्टल पर आवेदन की प्रक्रिया और प्रदेश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने में MPUVNL की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि "पीएम सूर्य घर योजना के तहत आवासीय घरों की छतों पर सोलर लगाने का प्रावधान किया गया है। इसमें पहले दो किलोवॉट के लिए प्रति किलोवाट 30 हजार रुपये और तीसरे किलोवॉट के लिए 18 हजार रुपये सब्सिडी केन्द्र सरकार द्वारा दी जा रही है। इस तरह से तीन किलोवाट के रूफटॉप सोलर के लिए कुल 78 हजार रुपये की सब्सिडी उपलब्ध हैं।" पीएम सूर्य घर योजना के तहत रूफटॉप सोलर के लाभों को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा, "इस योजना के बहुत सारे लाभ हैं। इस प्रोजेक्ट से ग्रिड पर उपभोक्ता की निर्भरता कम होती है। इससे दिन के समय उपभोक्ता के इस्तेमाल के लिए सस्ती बिजली उपलब्ध होती है। छतों पर सोलर सिस्टम को लगाने में उपभोक्ताओं की जितनी राशि व्यय होती है, वह पांच से छह वर्ष में रिकवर हो जाएगी। उसके बाद सोलर सिस्टम से बाकी समय में बिजली की बचत के माध्यम से लाभ होगा। इन तीन लाभों के अलावा एक नागरिक होने के नाते उपभोक्ता एक स्वच्छ पर्यावरण, एक क्लीन सस्टेनेबल इको सिस्टम के लिए योगदान कर पाएंगे। एमडी बैंस ने बताया कि मध्यप्रदेश अक्षय ऊर्जा नीति 2025 के तहत 2030 तक प्रदेश की कुल बिजली खपत में अक्षय ऊर्जा स्रोतों की हिस्सेदारी को 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य है। इसमें राज्य सरकार के हरित ऊर्जा अनुपालन वाले विभागों, मॉडल अक्षय ऊर्जा शहरों और हरित क्षेत्रों के लिए चरणबद्ध विकास का लक्ष्य रखा गया है, जो 2024 में 20 प्रतिशत, 2027 में 50 प्रतिशत और 2030 में 100 प्रतिशत है। इसके अलावा, 2030 तक अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में 50,000 से अधिक नौकरियां पैदा करने का भी लक्ष्य है। एमडी बैंस ने बताया कि मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए CEEW सक्रियता से काम कर रहा है। प्रदेश के विभागों के सहयोग से, लक्षित आउटरीच पहलों की एक सीरीज के माध्यम से पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना और पीएम-कुसुम जैसी प्रमुख योजनाओं के कार्यान्वयन में भी सहयोग कर रहा है। इसमें MPUVNL और नॉलेज पार्टनर CEEW मिलकर मध्यप्रदेश के संभागीय कार्यालयों में पीएम सूर्य घर : मुफ्त बिजली योजना और पीएम-कुसुम योजनाओं पर जागरूकता कार्यशालाएं आयोजित कर रहे हैं। इनका उद्देश्य जिला स्तरीय अधिकारियों और प्रमुख हितधारकों को वर्तमान योजनाओं के बारे में प्रशिक्षित करना और जागरूकता बढ़ाना है। इन कार्यशालाओं में बिजली के अंतिम उपयोग वाले क्षेत्रों में सौर ऊर्जा को अपनाने के विभिन्न अवसरों को रेखांकित किया जाता है। अब तक पांच संभागों में इन कार्यशालाओं का आयोजन किया जा चुका है। जुलाई व अगस्त महीने में भी कुछ अतिरिक्त सत्र आयोजित किये जायेंगे। एमडी बैंस ने बताया कि MPUVNL के साथ मिलकर CEEW ने स्थानीय समुदायों तक इन योजनाओं के लाभों, प्रक्रियाओं और अवसरों की जानकारी पहुंचाने के लिए एक सोलर जागरूकता वैन अभियान भी शुरू किया है। यह अभियान पिछले 110 दिनों से सफलतापूर्वक चल रहा है, जिसमें प्रदेश के कई क्षेत्रों को शामिल किया गया है और विभिन्न हितधारकों को जोड़ा गया है।  

अपात्र एवं अस्तित्वहीन हितग्राहियों का मौके पर सत्यापन, नाम हटाने के लिये 1 से 15 जुलाई तक विशेष अभियान

भोपाल  खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम अंतर्गत सम्मिलित पात्र हितग्राहियों की पहचान सुनिश्चित कर वास्तविक हितग्राहियों को राशन वितरण करने के लिये हितग्राहियों की ई-केवायसी करने की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने बताया है कि शेष हितग्राहियों की ई-केवायसी कराने तथा मृत तथा अपात्र एवं अस्तित्वहीन हितग्राहियों का मौके पर सत्यापन के बाद उनका नाम हटाने के लिये 1 से 15 जुलाई तक विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिये गये हैं। गौरतलब है कि अभी तक कुल पात्र हितग्राही 5 करोड़ 32 लाख 42 हजार में से 4 करोड़ 75 लाख 66 हजार हितग्राहियों के ई-केवायसी किये जा चुके हैं। इनमें 2 लाख 36 हजार हिताग्राहियों के नाम विलोपित किये गये हैं। इनमें से 54 लाख 40 हजार की ई-केवायसी किया जाना शेष है। भारत सरकार द्वारा निर्धारित समय-सीमा में ई-केवायसी कराने के लिये जून माह में ई-केवायसी से शेष परिवारों को ई-केवायसी के बाद राशन वितरण की व्यवस्था की गई है। ई-केवायसी से शेष हितग्राहियों का घर-घर जाकर सत्यापन करने के लिये वार्ड प्रभारी/पंचायत सचिव/रोजगार सहायक की ड्यूटी लगाने के निर्देश कलेक्टर्स को दिये गये हैं। ई-केवायसी से शेष हितग्राहियों की सूची उचित मूल्य दुकान/ग्राम पंचायत/वार्ड कार्यालय पर चस्पा की जाएगी। मौके पर उपलब्ध एवं पात्र हितग्राहियों को उचित मूल्य दुकान पर जाकर अथवा “मेरा राशन” एप पर फेस एथेंटिकेशन के माध्यम से ई-केवायसी करने के लिये अवगत कराने और हितग्राही के आधार नंबर में दर्ज नाम, मोबाइल नंबर त्रुटिपूर्ण होने एवं बायोमेट्रिक डाटा अपडेट न होने पर आधार केम्प में जाकर डाटा अपडेट कराने के निर्देश दिये गये हैं। पात्र हितग्राही द्वारा उचित मूल्य दुकान पर ई-केवायसी कराने पर आगामी दिवस में पात्रतानुसार राशन प्राप्त किया जा सकेगा। कलेक्टर्स को निर्देश दिये गये हैं कि ग्राम/वार्ड में सत्यापन के लिये नियत दिनांक की सूचना एक दिन पूर्व हितग्राहियों को विभिन्न माध्यमों से उपलब्ध कराई जाए। ई-केवायसी की मॉनीटरिंग के लिये अनुभाग एवं जिला स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किया जाए, जिसमें सत्यापन दल द्वारा प्रतिदिन की कार्यवाही की जानकारी ली जाए। साथ ही पात्र ई-केवायसी करने में आने वाली समस्याओं का निराकरण किया जाए। शेष हितग्राहियों के ई-केवायसी करने एवं अपात्र/मृत/स्थाई पलायन/दोहरे हितग्राहियों का विलोपन घर-घर जाकर सत्यापन अभियान के संबंध में स्थानीय जन-प्रतिनिधियों को भी अवगत कराया जाए। शेष हितग्राहियों के ई-केवायसी कराने का अभियान समाप्त होने तक भी ई-केवायसी नहीं होती है, तो यह समझा जाएगा कि या तो व्यक्ति अस्तित्व में नहीं है या फिर उसे राशन की आवश्यकता नहीं है। ऐसी स्थिति में उनके नाम को सूची से विलोपन की कार्यवाही पर विचार किया जा सकेगा।  

जुलाई में लाडली बहना योजना के 1500 रुपये आएगे खाते में, 250 रुपये रक्षाबंधन पर देंगे

भोपाल मध्य प्रदेश सरकार लाडली बहनों (MP Ladli Behan Yojana) को दीपावली से हर महीने 1500 रुपये देने जा रही है. फिलहाल उन्हें 1250 रुपये महीने मिलते हैं. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने ये ऐलान किया है. हालांकि विपक्ष का मनना है कि इस खर्च से पहले से ही लाखों करोड़ के कर्ज में डूबी सरकार का वित्तीय प्रबंधन और गड़बड़ हो जाएगा. दीवाली से लाडली बहनों को मिलेंगे 1500 रुपये मध्य प्रदेश के सीएम डॉ मोहन यादव ने कहा कि 3000 रुपये देने का ऐलान बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में किया था. हमने कहा है डंके की चोट पर कहा है और इसे पूरा करेंगे. यह योजना पहले 1000 रुपए प्रति माह से शुरू हुई थी. फिर हमने इसे 1250 रुपए किया, 250 रुपये रक्षाबंधन पर देंगे, दीवाली से 1500 चालू कर देंगे. बहुत सी लाभार्थियों को लेकर यह भी संशय है कि जुलाई में आने वाली लाडली बहना योजना की 26वीं किस्त में कितना पैसा खाते में आएगा? क्या 25वीं किस्त की तरह इस बार भी 1250 रुपये ही खाते में आएंगे? क्या 250 रुपये के शगुन के लिए महिलाओं को अगस्त तक का इंतजार करना होगा? चलिए आप ज्यादा परेशान न हों, हम आपके लिए इन सवालों के जवाब लेकर आए हैं। मध्य प्रदेश सरकार की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक लाभार्थियों को जुलाई में ही गुड न्यूज मिल जाएगी। इस वजह से जुलाई में आएंगे 1500 रुपये लाडली बहना योजना की 26वीं किस्त में महिलाओं को 1250 नहीं बल्कि 1500 रुपये मिलेंगे। मतलब जुलाई में ही रक्षा बंधन का शगुन मिल जाएगा। दरअसल यह पैसा जुलाई में इसलिए आ रहा है क्योंकि रक्षा बंधन 9 अगस्त को है। जबकि लाडली बहना योजना का पैसा खाते में 10 से 15 तारीख के बीच में ही ट्रांसफर किया जाता है। ऐसे में अगर अतिरिक्त 250 रुपये का भुगतान अगस्त में करने की योजना बनाई जाती तो लाडली बहनों को यह लाभ रक्षा बंधन के बाद ही मिल पाता। इसलिए सरकार ने यह एक्स्ट्रा पैसा जुलाई में ही देने का फैसला कर लिया है। अक्टूबर से हर महीने मिलेंगे 1500 रुपये मध्य प्रदेश की महिलाओं को महज दो महीने ही 1250 रुपये की किस्त से संतोष करना पड़ेगा। इसके बाद उन्हें हर महीने 1500 रुपये मिलने शुरू हो जाएंगे। सीएम ने ऐलान किया है कि दिवाली से महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जाएंगे। इसका मतलब हुआ कि जुलाई में 1500 रुपये मिलने के बाद सिर्फ अगस्त और सितंबर में ही 1250 रुपये मिलेंगे। अक्टूबर से हर महीने 1500 रुपये मिलने शुरू हो जाएंगे। मुख्यमंत्री के मुताबिक हर साल पैसा बढ़ाकर 2028 तक लाभार्थी महिलाओं को 3000 रुपये हर महीने मिलने शुरू हो जाएंगे। कब शुरू होंगे नए रजिस्ट्रेशन हालांकि लाडली बहना योजना के नए रजिस्ट्रेशन को लेकर अभी तक सरकार की ओर से कोई अपडेट नहीं दी जा रही है। 2023 के बाद से ही नए रजिस्ट्रेशन बंद पड़े हैं। ऐसे में लाखों महिलाएं लिस्ट में अपना नाम नहीं जुड़वा पा रही हैं। अभी जो जानकारी मिल रही है, उसके मुताबिक फिलहाल सरकार की नए रजिस्ट्रेशन खोलने की योजना नहीं है। लाडली बहनों को दिवाली पर तोहफा     अब हर महीने मिलेंगे1500 रुपये     राज्य पर पड़ेगा 310 करोड़ मासिक भार     सालाना खर्च 22 हजार करोड़ के पार     योजना की शुरुआत 1000 से हुई थी     2023 में बढ़कर हुई 1250 रुपये     अब दिवाली से मिलेंगे1500 रुपये     योजना में 1.27 करोड़ लाभार्थी     कर्ज़ में डूबी सरकार पर सवाल     राज्य पर कुल कर्ज़ 4.31 लाख करोड़ रुपये     5 साल में कर्ज़ 115% बढ़ा      संकल्प पत्र में 3000 रुपये प्रति माह का वादा पूरा होगा  3,000 रुपये देने का वादा मध्यप्रदेश सरकार दीपावली से लाडली बहनों को 1250 रुपये की जगह 1500 रुपये महीना देगी. इस बढ़ोतरी से राज्य पर हर महीने करीब 310 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा, जिससे सालाना खर्च 22,000 करोड़ के पार पहुंच जाएगा. ये योजना 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले शुरू की गई थी और इसे बीजेपी की सत्ता वापसी का सबसे बड़ा चुनावी दांव माना गया. योजना की शुरुआत 1,000 प्रति माह से हुई थी, जिसे बाद में अक्टूबर 2023 में 1,250 कर दिया गया था. अब इसे दिवाली से 1,500 रुपये करने की घोषणा हुई है. सरकार का वादा है इस राशि को धीरे-धीरे बढ़ाकर 3,000 रुपये प्रति माह तक पहुंचाया जाएगा.     योजना की शुरूआत में 1.29 करोड़ महिलाओं को योजना का लाभ मिला     अक्तूबर 2023 में संख्या 1.31 करोड़ तक पहुंच गई     अब ये संख्या 1.27 करोड़ है, सरकार ने खुद विधानसभा में माना है कि योजना में फिलहाल नए नाम नहीं जोड़े जा रहे हैं,  हालांकि उम्र और दूसरी शर्तों के आधार पर नाम कट रहे हैं 5 साल में बढ़ा 115 फीसदी कर्ज मध्यप्रदेश सरकार का बजट 4 लाख 21 हजार करोड़ रुपए है. सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान अब तक 9500 करोड़ रुपए का कर्ज लिया है. कुल कर्ज की राशि बढ़कर लगभग 4 लाख 31 हजार 740 करोड़ रुपए हो गई है. पांच साल पहले राज्य पर करीब 2 लाख करोड़ का कर्ज था यानी 5 साल में राज्य का कर्ज लगभग 115 फीसदी बढ़ चुका है.

चार्जिंग अधोसंरचना के लिये केन्द्र सरकार से मिलेगी 100 प्रतिशत राशि

प्रदेश के शहरी मार्गों पर 582 इलेक्ट्रिक बस चलाने की योजना ई-बस सेवा योजना के अंतर्गत 6 शहरों  में 582 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिये प्रस्ताव तैयार  चार्जिंग अधोसंरचना के लिये केन्द्र सरकार से मिलेगी 100 प्रतिशत राशि भोपाल  प्रदेश में इलेक्ट्रिक वाहनों के संचालन को बढ़ावा देने के लिये मध्यप्रदेश इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी 2025 तैयार की गई है। इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के लिये राज्य सरकार द्वारा परिवहन कर में छूट और अनुदान दिये जाने की भी व्यवस्था की गई है। प्रदेश के बड़े शहरों में सार्वजनिक परिवहन सेवा के अंतर्गत इलेक्ट्रिक बस सेवा को भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। वर्तमान में इंदौर में शहरी मार्गों पर 80 इलेक्ट्रिक बसों को संचालन किया जा रहा है। फेम योजना के अंतर्गत 40 और अमृत योजना 1.0 में 40 बसें संचालित हो रही हैं। 582 इलेक्ट्रिक बसों के चलाने का प्रस्ताव ई-बस सेवा योजना के अंतर्गत 6 शहरों  में 582 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन के लिये प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया था, जिसे केन्द्रीय शहरी मंत्रालय नई दिल्ली से स्वीकृति मिल गयी है। इंदौर में 150, भोपाल में 100, ग्वालियर में 100, जबलपुर में 100, सागर में 32 एवं उज्जैन में 100 इलेक्ट्रिक बसों को चलाने का प्रस्ताव है। प्रदेश के 6 शहरों में बस संचालन के लिये नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा निविदा जारी कर बस संचालकों का चयन किया जा चुका है। पीएम ई-बस सेवा के अंतर्गत बस डिपो अधोसंरचना निर्माण के लिये भी प्रस्ताव तैयार किया गया है, इसमें 60 प्रतिशत राशि केन्द्र सरकार द्वारा और शेष 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार द्वारा प्रदाय की जायेगी। इलेक्ट्रिक बसों के चार्जिंग अधोसंरचना निर्माण के लिये केन्द्र सरकार द्वारा 100 प्रतिशत राशि प्रदान की जायेगी। नगरीय निकायों द्वारा बस डिपो एवं चार्जिंग स्टेशन निर्माण के लिये प्राक्कलन तैयार कर राज्य स्तरीय संचालन समिति से अनुमोदन प्राप्त कर लिया गया है। अनुमोदन के बाद प्रस्ताव केन्द्रीय शहरी कार्य मंत्रालय को भेजा गया है। भोपाल एवं जबलपुर शहर द्वारा बस डिपो अधोसंरचना निर्माण के लिये निविदा जारी की जा चुकी है। प्रदेश के शहरों में लाइट इलेक्ट्रिक व्हीकल के संचालन को बढ़ावा देने के लिये भोपाल, इंदौर एवं जबलपुर शहर में 34 चार्जिंग स्टेशन पर 190 चार्जिंग पाइंट लगाये गये हैं।    

उत्तर प्रदेश में नेपियर घास किसानों की बदलेगी किस्मत, लाभार्थी किसानाें को मुफ्त मिलेंगी घास की जड़ें

लखनऊ  घास लगाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को हजारों रुपये दे रही है. केवल रुपये ही नहीं, बल्कि घास लगाने के लिए घास की जड़ें भी उपलब्ध कराई जा रही है. घास भी कोई सामान्य घास नहीं है, बल्कि अफ़्रीकन प्रजाति की है. अगर आपके पास भी घास लगाने के लिए जमीन है तो सरकार आपको आर्थिक मदद करेगी. दरअसल, योगी सरकार द्वारा नेपियर घास की खेती को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की जा रही है. इस घास से बिजली उत्पादन होगा. अगर आप घास को लगाते हैं तो सरकारी मदद मिलने के साथ-साथ मोटी कमाई भी कर सकते हैं. नेपियर घास अफ्रीकन प्रजाति की घास है. नेपियर घास का वैज्ञानिक नाम Pennisetum purpureum है. नेपियर घास पशुओं के चारे के तौर पर इस्तेमाल की जाती है. विशेषकर दूध देने वाले पशुओं के लिए यह घास बेहद लाभदायक होती है. इस घास में प्रोटीन भरपूर मात्रा में मौजूद होता है. यदि पशू नेपियर घास का सेवन करते हैं तो पशुओं का दुग्ध उत्पादन बढ़ता है. साथ ही तेज़ी के साथ शारीरिक विकास होता है. मार्केट में नेपियर घास की काफी डिमांड बतायी जाती है. उत्तर प्रदेश में किसानों के लिए एक और खास योजना लाने की तैयारी है। इस योजना के लागू होने से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी। यूपी सरकार की इस योजना के तहत हाइब्रिड नेपियर घास (इसे हाथी घास भी कहा जाता है) की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। सरकार की ओर से इसके लिए अनुदान भी मिलेगा। इस योजना का मकसद है कि प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़े और जानवरों को साल भर हरा चारा मिलता रहे। यूपी सरकार किसानों के साथ चारा बनाने वाली संस्थाओं को भी हाइब्रिड नेपियर घास उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। अभी इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सिर्फ प्रयागराज में शुरू किया गया है। यह एक 'Buy Back' योजना है, जिसमें किसानों को 20,000 रुपये प्रति हेक्टेयर के हिसाब से ग्रांट मिलेगी। इस योजना के तहत सरकार की ओर से हाइब्रिड नेपियर घास की जड़ किसानों को मुहैया कराई जाएगी और उसके बाद सरकार ही दोगुने दाम पर किसानों से घास खरीदेगी। अभी इतने लोगों को मिलेगा लाभ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. एस.एन. यादव ने बताया कि सरकार ने पहली बार प्रयागराज में यह योजना शुरू की है। इसके तहत किसानों को नेपियर घास उगाने के लिए 20,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की ग्रांट दी जाएगी। जिले में 10 लोगों को इस योजना का लाभ मिलेगा। ये लाभार्थी किसान, किसान उत्पादक संगठन, स्वयं सहायता समूह या गौशाला चलाने वाले लोग हो सकते हैं। चारे की कमी नहीं होगी नेपियर घास को किसान इसे अपने जानवरों को हरे चारे के रूप में खिला सकते हैं। यह घास दूध देने वाले जानवरों के लिए बहुत फायदेमंद है। यह प्रोटीन सेभरपूर हरा चारा है। इससे जानवरों का दूध बढ़ता है। डेयरी मालिक आमतौर पर 12 रुपये प्रति किलो की दर से सूखा भूसा खरीदते हैं। जबकि इस हरे चारे को उगाने का खर्च सिर्फ 50 पैसे प्रति किलो है। इन योजनाओं से किसान हर महीने हजारों रुपये कमा सकते हैं। वे यह घास डेयरी फार्म मालिकों को बेच सकते हैं। नेपियर चारा बैंक योजना: बता दें कि पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों के दुधारू पशुओं को हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए नेपियर चारा बैंक की योजना चलायी गई है. किसान, स्वयं सहायता समूह, पंजीकृत गौशाला, गो आश्रयस्थल, FPO और स्वयंसेवी संस्था इसका लाभ ले सकते हैं. इस योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी के पास 0.2 हेक्टेयर सिंचित भूमि होना आवश्यक है. गाजियाबाद के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ एस पी पांडे के मुताबिक, इस योजना के तहत गाजियाबाद में 10 लाभार्थियों का चयन किया जाएगा. भारतीय चयनित लाभार्थी को खेत की तैयारी के लिए 4 हज़ार रुपए भुगतान किए जाएंगे. लाभार्थी को नैपी और घास की जड़ें उपलब्ध कराई जाएंगी. एक साल के बाद लाभार्थी से दोगुनी जड़ें ली जाएंगी, जो अगले साल चयनित लाभार्थियों को वितरित की जाएगी. यदि योजना के लिए 10 से अधिक आवेदन प्राप्त होते हैं तो मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया जाएगा. इसके बाद पहले आओ पहले पाओ के आधार पर 10 योग्य लाभार्थियों का चयन होगा. नेपियर घास केवल पशुओं के चारे के तौर पर ही नहीं बल्कि बिजली उत्पादन के लिए भी इसका प्रयोग किया. नेपियर घास की खासियत: एक बार नेपियर घास लगाने पर कई सालों तक उपज देती है. नेपियर घास काफी तेजी के साथ बढ़ती है. जिससे साल में 5-7 बार कटाई की जा सकती है. नेपियर घास को लगाने के बाद खाद या फिर बार-बार पानी देने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है. एक एकड़ भूमि में नेपियर घास लगाने से सालाना 300 टन से अधिक की पैदावार होती है. क्या है नेपियर घास नेपियर घास गन्ने की तरह दिखती है। मूल रूप से थाईलैंड में पाई जाने वाली इस घास की खास बात है कि इसे बंजर जमीन और खेतों की सीमाओं पर भी उगाया जा सकता है। इसकी खासियत यह है कि यह सिर्फ 20-25 दिनों में पानी की मदद से तैयार हो जाती है। एक एकड़ में लगभग 300-400 क्विंटल घास का उत्पादन होता है। कटाई के बाद इसकी शाखाएं अपने आप फिर से बढ़ने लगती हैं। इस तरह, एक बार लगाने के बाद इसे दस साल तक उगाया जा सकता है। यही मुख्य कारण है कि इसे कम लागत में अधिक आय वाली फसल कहा जाता है। यह किसानों और पशुपालकों दोनों के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है।