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रेलवे भर्ती में सख्ती: जीरो टॉलरेंस नीति के साथ फास्ट ट्रैक एग्जाम शुरू

नई दिल्ली  रेल मंत्रालय ने देश के करोड़ों नौकरी चाहने वाले युवाओं को बड़ी राहत दी है। रेलवे की भर्ती प्रक्रिया में अब पूरी तरह से पारदर्शिता और तकनीक का इस्तेमाल होगा। इससे न सिर्फ उम्मीदवारों को फायदा मिलेगा, बल्कि भर्ती की पूरी प्रक्रिया भी तेज और निष्पक्ष हो जाएगी। नए बदलावों का मकसद परीक्षा में पारदर्शिता लाना, धोखाधड़ी पर रोक लगाना और योग्य उम्मीदवारों को समय पर नौकरी देना है। अब नहीं रहेगा बार-बार फ़ॉर्म भरने का झंझट: 'वन टाइम रजिस्ट्रेशन' अब हर बार फ़ॉर्म भरने का झंझट नहीं रहेगा। रेलवे ने "वन टाइम रजिस्ट्रेशन" (OTR) सिस्टम लागू किया है। इससे एक बार रजिस्ट्रेशन करके उम्मीदवार आने वाली सभी भर्तियों में आसानी से आवेदन कर सकेंगे। ये खासकर उन लाखों युवाओं के लिए राहत की खबर है, जो हर भर्ती के लिए नया आवेदन करते-करते थक जाते थे। आधार और फ़ेस रिकग्निशन से धोखाधड़ी पर लगेगी लगाम रेलवे अब परीक्षा में किसी भी तरह की गड़बड़ी रोकने के लिए e-KYC और रियल-टाइम फ़ेस रिकग्निशन तकनीक का इस्तेमाल करेगा। इसका मतलब है कि परीक्षा के समय आधार कार्ड से पहचान की पुष्टि की जाएगी और चेहरा मिलान कर ये पक्का किया जाएगा कि परीक्षा वही उम्मीदवार दे रहा है जिसने फ़ॉर्म भरा है। इससे "जीरो चीटिंग" का दावा किया जा रहा है। हर साल मिलेगा परीक्षा का कैलेंडर, प्रक्रिया में आएगी तेज़ी रेल मंत्रालय ने अब सभी ग्रुप C पदों के लिए वार्षिक परीक्षा कैलेंडर जारी करने की व्यवस्था लागू कर दी है। इससे युवाओं को पहले से पता होगा कि कब कौन-सी भर्ती निकलेगी, कब आवेदन शुरू होंगे और परीक्षा कब होगी। रेलवे की तरफ से बताया गया है कि 2024 में कुल 1,08,000 से ज़्यादा पदों पर भर्तियां निकाली गईं। इतनी बड़ी संख्या में आवेदन (प्रमुख पदों के लिए करोड़ों आवेदन) होने के बावजूद, रेलवे ने भर्ती प्रक्रिया को पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ कर दिया है। अब भर्ती की अधिसूचना जारी होने से लेकर परीक्षा कराने तक का औसत समय 8 महीने रह गया है, जिसे भविष्य में और कम किया जाएगा। परीक्षा केंद्र घर के पास, मोबाइल जैमर से पूरी सुरक्षा रेलवे ने उम्मीदवारों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तय किया है कि अब परीक्षा केंद्र उम्मीदवार के घर से 250 किलोमीटर के भीतर ही होगा और अधिकतम दूरी 500 किलोमीटर रखी गई है। इतना ही नहीं, सभी केंद्रों पर 100% मोबाइल जैमर लगाए गए हैं ताकि कोई तकनीकी धोखाधड़ी न हो। जून 2025 की परीक्षा में इसका असर दिखा, जहाँ किसी भी तरह की चीटिंग की कोई खबर नहीं आई। इंटरनल प्रमोशन और वेटिंग लिस्ट में भी सुधार अब रेलवे के आंतरिक पदोन्नति के लिए भी CBAT और टैबलेट आधारित परीक्षा होगी, जिससे योग्य कर्मचारियों को जल्द प्रमोशन मिलेगा। लेवल-1 पदों के लिए 10वीं, ITI या नेशनल अप्रेंटिसशिप सर्टिफिकेट रखने वाले युवा पात्र माने जाएंगे। जो उम्मीदवार नियुक्ति के बाद जॉइन नहीं करेंगे, उनकी जगह वेटिंग लिस्ट से दूसरे उम्मीदवार को मौका तुरंत दिया जाएगा।  

तनाव के बाद संवाद की पहल: भारत और कनाडा के अधिकारी करेंगे रिश्तों की नई शुरुआत पर चर्चा

नई दिल्ली  भारत और कनाडा अगले हफ्ते अपने रिश्तों को फिर से मजबूत करने के लिए अहम बातचीत करने जा रहे हैं। यह बैठक पिछले महीने दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने पर बनी सहमति के बाद पहली बार होगी। बातचीत में सुरक्षा मुद्दों और राजनयिक रिश्तों को बेहतर बनाने पर जोर रहेगा। कनाडा के इंडो-पैसिफिक मामलों के असिस्टेंट डिप्टी मिनिस्टर वेल्डन एप (Weldon Epp)  अगले हफ्ते नई दिल्ली आएंगे। वह मलेशिया में आसियान (ASEAN) से जुड़ी बैठक के बाद भारत आएंगे और यहां भारत के अतिरिक्त सचिव (अमेरिका) के नागराज नायडू से मिलेंगे। पिछले महीने कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी  और भारतीय प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी की कनाडा के रॉकीज में हुए G7 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात हुई थी। उस मुलाकात में दोनों देशों ने आपसी रिश्ते फिर से पटरी पर लाने के लिए ‘‘संतुलित और रचनात्मक कदम’’ उठाने पर सहमति जताई थी। वेल्डन एप इस समझौते के बाद भारत आने वाले पहले वरिष्ठ कनाडाई अधिकारी होंगे। बातचीत में दोनों देशों के बीच सुरक्षा एजेंसियों का सहयोग बढ़ाना, आपसी खुफिया जानकारी साझा करना और कानून व्यवस्था से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी।   साथ ही दोनों देश फिर से काउंटर टेररिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक शुरू करने पर भी विचार करेंगे, जो पिछले दो साल से बंद है।भारत अपनी तरफ से कनाडा में सक्रिय खालिस्तानी तत्वों और उनके आपराधिक गतिविधियों को लेकर फिर से चिंता जताएगा। दोनों देश एक-दूसरे की राजधानी में नए उच्चायुक्त भी तैनात करने जा रहे हैं। भारत के स्पेन में राजदूत  दिनेश पटनायक को ओटावा में भारत का नया उच्चायुक्त बनाया जाएगा। वहीं, कनाडा की ओर से क्रिस्टोफर कूटर जो अभी इज़राइल में कनाडा के चार्ज द’अफेयर्स हैं, भारत में नए उच्चायुक्त होंगे। इन नियुक्तियों की औपचारिक घोषणा जल्द होगी और अगस्त के अंत तक नई तैनाती पूरी होने की उम्मीद है। क्यों बिगड़े थे रिश्ते? भारत-कनाडा के रिश्तों में दरार तब आई थी जब कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सितंबर 2023 में आरोप लगाया था कि खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ है। भारत ने इसे ‘‘बेहूदगी’’ बताया और इसके बाद दोनों देशों ने आपसी व्यापार वार्ता रोक दी, दर्जनों राजनयिकों को देश से निकाल दिया और रिश्ते काफी खराब हो गए थे।अब पीएम मोदी और पीएम कार्नी की मुलाकात के बाद रिश्तों को नए सिरे से शुरू करने की कोशिश की जा रही है। कनाडा की विदेश मंत्री अनिता आनंद ने इसे द्विपक्षीय रिश्तों के लिए ‘‘महत्वपूर्ण कदम’’ बताया है।  

निमिषा प्रिया केस: यमन में फांसी की सजा तय, जानिए कौन हैं वो और क्या है अपराध?

नई दिल्ली केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली नर्स निमिषा प्रिया को यमन की राजधानी सना में 16 जुलाई को फांसी की सजा दी जाएगी। उन्हें 2017 में यमन के एक नागरिक की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। मामला कूटनीतिक जटिलताओं और कानूनी पेचिदगियों के कारण उलझा हुआ है और भारत सरकार की ओर से की जा रही तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक कोई ठोस सफलता नहीं मिली है। कौन हैं निमिषा प्रिया? निमिषा प्रिया 2011 में नर्स के तौर पर काम करने के लिए यमन गई थीं। 2014 में उनके पति और बेटी भारत लौट आए, लेकिन वे वहीं रहीं ताकि परिवार को आर्थिक रूप से सहारा दे सकें। उन्होंने यमन के एक नागरिक तालाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक शुरू किया। ऐसा इसलिए क्योंकि विदेशी नागरिकों के लिए स्थानीय लोगों के साथ मिलकर ही क्लिनिक खोलने की इजाजत मिलती है। बाद में निमिषा ने आरोप लगाया कि महदी ने फर्जी दस्तावेजों के ज़रिए उनसे शादी का दावा किया, उनका यौन और मानसिक शोषण किया और पासपोर्ट जब्त करके उन्हें कैद जैसे रखा। निमिषा पर आरोप है कि उन्होंने 2017 में महदी को बेहोश करने के लिए दवा दी ताकि वह उसका पासपोर्ट लेकर भारत लौट सकें। लेकिन महदी की मौत हो गई। बाद में स्थानीय महिला हनान की मदद से उन्होंने शव के टुकड़े कर उन्हें पानी की टंकी में फेंक दिया। 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मृत्युदंड सुनाया और 2023 में हौती प्रशासन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने इस फैसले को बरकरार रखा। भारत सरकार की कोशिशें भारत सरकार इस मामले को लेकर लगातार सक्रिय है। अधिकारियों ने बताया कि विदेश मंत्रालय यमन के प्रशासन और निमिषा के परिवार से लगातार संपर्क में है। भारत ने ब्लड मनी का विकल्प भी तलाशा। यमन के कानून के अनुसार पीड़ित के परिवार को क्षतिपूर्ति के रूप में भुगतान कर सजा माफ कराई जा सकती है। लेकिन इस दिशा में स्थानीय स्तर पर बातचीत अटक गई है। निमिषा की मां प्रेमकुमारी बेटी को बचाने के लिए खुद यमन तक गईं। उन्होंने यमन के अधिकारियों से मुलाकात की और बेटी की सजा को माफ करने की गुहार लगाई। मानवाधिकार संगठनों और आम नागरिकों द्वारा भी भारत सरकार से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हस्तक्षेप करने की अपील की जा रही है। अब 16 जुलाई को फांसी की तारीख तय है। सना की जेल में बंद निमिषा अब आखिरी उम्मीदों का इंतजार कर रही हैं। भारत सरकार ने कहा है कि वह मामले पर करीब से नजर रखे हुए है और हरसंभव मदद कर रही है।  

हादसे की रिपोर्ट आने तक इंतज़ार करें: एयर इंडिया मामले पर बोले केंद्रीय मंत्री

नई दिल्ली केंद्रीय नागर विमानन मंत्री किंजरापु राम मोहन नायडू ने शनिवार को कहा कि अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया फ्लाइट 171 की दुर्घटना पर विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की रिपोर्ट अभी प्राथमिक जांच पर आधारित है। उन्होंने कहा कि जब तक अंतिम रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा, “मुझे नहीं लगता कि हमें किसी नतीजे पर कूदना चाहिए। हमारे पास दुनिया के सबसे बेहतरीन पायलट और क्रू हैं। मुझे उनके प्रयासों की सराहना करनी चाहिए। वे हमारे नागर विमानन क्षेत्र की रीढ़ हैं। हम उनके कल्याण की चिंता करते हैं। इसलिए इस वक्त निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी, हमें अंतिम रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए।” मंत्री नायडू ने दोहराया, “तकनीकी पहलू जुड़े होते हैं। इसलिए किसी भी टिप्पणी के लिए यह समय बहुत जल्दबाजी भरा है। अभी प्राथमिक रिपोर्ट आई है, अंतिम और ठोस निष्कर्ष का इंतजार करना चाहिए।” यह बयान उस वक्त आया जब AAIB ने शनिवार को इस भीषण दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट जारी की, जिसमें ईंधन फीडिंग स्विच बंद होने और उसके बाद कॉकपिट में पायलटों के बीच भ्रम की स्थिति को संभावित कारण बताया गया है। क्या कहती है AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट? AAIB की रिपोर्ट के अनुसार, 12 जून को टेक-ऑफ के कुछ ही सेकंड बाद विमान के दोनों इंजनों में ईंधन की सप्लाई देने वाले स्विच एक-एक सेकंड के अंतराल पर बंद हो गए। इसके कारण इंजन 1 और इंजन 2 की स्पीड तेजी से घटने लगी। रिपोर्ट में कहा गया, “विमान ने 08:08:42 UTC पर अधिकतम गति 180 नॉट्स IAS हासिल की, और इसके तुरंत बाद, दोनों इंजनों के फ्यूल कटऑफ स्विच RUN से CUTOFF में बदल गए।” कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग के अनुसार, एक पायलट ने दूसरे से पूछा कि उसने ईंधन कट क्यों किया, तो उत्तर मिला कि उसने ऐसा नहीं किया। इससे पायलटों के बीच भ्रम की स्थिति का संकेत मिलता है। रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि विमान में इस्तेमाल हुए ईंधन के नमूने नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) की लैब्स में जांचे गए और उन्हें संतोषजनक पाया गया। मंत्री ने दी पारदर्शिता की गारंटी नागर विमानन मंत्री नायडू ने कहा कि पीड़ितों के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए मंत्रालय हर संभव सहायता कर रहा है। उन्होंने AAIB की जांच प्रक्रिया की भी सराहना करते हुए कहा, “ब्लैक बॉक्स को सुरक्षित निकालने और उसका डेटा डिकोड करने का कार्य पहली बार पूरी तरह भारत में किया जा रहा है। यह एक पारदर्शी जांच है।” उन्होंने यह भी कहा कि जांच में सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन किया गया है। इससे पहले नागर विमानन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने विमान दुर्घटना पर एएआईबी की रिपोर्ट को लेकर कहा कि प्रारंभिक रिपोर्ट से निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता क्योंकि पायलटों की बातचीत बहुत संक्षिप्त थी। हादसे में भारी जनहानि यह भीषण दुर्घटना अहमदाबाद के मेघानीनगर इलाके में हुई जहां विमान BJ मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स क्वार्टर्स पर गिरा। विमान में सवार 242 यात्रियों और क्रू में से केवल एक व्यक्ति जीवित बचा। जमीन पर कॉलेज से जुड़े नौ छात्रों और उनके परिजनों समेत कई लोगों की जान गई।  

चीफ जस्टिस गवई की दो टूक – भारतीय न्याय प्रणाली में व्यापक सुधार जरूरी

नई दिल्ली  चीफ जस्टिस बीआर गवई ने शनिवार को कहा कि भारतीय न्याय व्यवस्था अनोखी चुनौतियों का सामना कर रही है और इसमें सुधार की सख्त जरूरत है। न्यायमूर्ति गवई ने हैदराबाद में नालसार यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ के दीक्षांत समारोह को आज संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने छात्रों को सलाह दी कि वे छात्रवृत्ति पर विदेश जाकर पढ़ाई करें, न कि परिवार पर इसका बोझ डालें। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि न्याय व्यवस्था में सुधार की सख्त जरूरत है। सीजेआई गवई ने कहा, ‘हमारा देश और न्याय व्यवस्था अनोखी चुनौतियों का सामना कर रही है। मुकदमों में कभी-कभी दशकों तक देरी होती है। हमने ऐसे कई मामले देखे हैं जहां किसी व्यक्ति को विचाराधीन कैदी के रूप में वर्षों जेल में बिताने के बाद निर्दोष पाया गया है। हम जिन समस्याओं का सामना कर रहे हैं उनके समाधान में हमारी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाएं मदद कर सकती हैं।’ दीक्षांत समारोह में कौन-कौन शामिल मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी और सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी दीक्षांत समारोह में शामिल हुए। तेलंगाना हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजॉय पॉल ने दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की। बता दें कि चीफ जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई शुक्रवार को ही हैदराबाद पहुंच गए थे। तेलंगाना के पुलिस महानिदेशक जितेंद्र ने राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया। तेलंगाना पुलिस ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में उनके आगमन की पुष्टि की थी।  

बेटी की हत्या का आरोप, दीपक यादव को कोर्ट ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा

गुरुग्राम गुरुग्राम की एक कोर्ट ने आज टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव हत्याकांड में आरोपी उसके पिता दीपक यादव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। 25 वर्षीय राधिका की गुरुवार को गुरुग्राम के सेक्टर 57 में सुशांत लोक स्थित दो मंजिला मकान में खाना बनाते समय उसके पिता दीपक यादव (49) ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। पुलिस ने बताया कि तीन डॉक्टरों के बोर्ड द्वारा किए गए पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट के अनुसार, राधिका को चार गोलियां लगीं, जिनमें 3 गोलियां पीठ में और एक कंधे में लगी। राधिका का अंतिम संस्कार शुक्रवार को वजीराबाद स्थित उनके गांव में किया गया। दीपक यादव ने अपराध कबूल किया पुलिस के अनुसार, दीपक ने अपनी बेटी की गोली मारकर हत्या करने की बात कबूल कर ली है। उसने पूछताछ में पुलिस को बताया कि लोग उसे बेटी की कमाई पर निर्भर रहने का ताना मारते थे। उसे शुक्रवार को अदालत में पेश किया गया था, जहां से एक दिन की पुलिस रिमांड में भेजा गया था। गुरुग्राम पुलिस के प्रवक्ता संदीप सिंह ने कहा, “उसके पिता इससे खुश नहीं थे।” सिंह ने कहा कि दीपक ने खुलासा किया है कि उसे अपनी बेटी द्वारा टेनिस एकेडमी चलाने पर आपत्ति थी, जिसे लेकर दोनों के बीच विवाद हुआ था। कई बार दीपक ने राधिका को एकेडमी बंद करने के लिए कहा था, लेकिन वह नहीं मानी। गुस्से में आकर दीपक ने राधिका को गोली मार दी।’’ पिछले साल एक म्यूजिक वीडियो में दिखी थी राधिका राधिका यादव पिछले साल एक म्यूजिक वीडियो में नजर आई थीं। इस वीडियो में एक अन्य कलाकार भी था। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि हो सकता है कि इस संगीत वीडियो की वजह से घर में तनाव पैदा हुआ हो, इसलिए वह इस पहलू की भी जांच करेंगे। पुलिस ने कहा कि वह पूर्व टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव की हत्या मामले की सभी संभावित पहलुओं से जांच कर रही है, जिसमें यह भी शामिल है कि घटना के समय उसकी मां क्या कर रही थीं। चाचा ने दर्ज कराई एफआईआर राधिका के चाचा कुलदीप यादव की ओर से दी गई शिकायत के आधार पर दर्ज एफआईआर के अनुसार, घटना के समय राधिका की मां मंजू यादव मकान की पहली मंजिल पर ही मौजूद थीं। एफआईआर में, कुलदीप यादव ने कहा कि दीपक, उनकी पत्नी मंजू और बेटी राधिका सेक्टर 57 स्थित मकान की पहली मंजिल पर जबकि वह (कुलदीप) अपने परिवार के साथ ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं। गुरुवार सुबह लगभग 10:30 बजे, कुलदीप ने अचानक एक "तेज आवाज" सुनी और वह तुरंत पहली मंजिल पर पहुंचे। कुलदीप ने बताया, ‘‘मैंने अपनी भतीजी राधिका को रसोई में खून से लथपथ देखा और रिवॉल्वर ड्राइंग रूम में मिली। मेरा बेटा पीयूष यादव भी दौड़ता हुआ, पहली मंजिल पर पहुंचा। हम दोनों राधिका को उठाकर अपनी कार में सेक्टर 56 स्थित एशिया मैरिंगो अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।’’ कुलदीप यादव ने बताया है कि घटना के समय घर की पहली मंजिल पर केवल दीपक, उसकी पत्नी और बेटी ही थे। उन्होंने पुलिस को बताया कि घटना के समय दीपक का बेटा धीरज वहां मौजूद नहीं था और यह बात एफआईआर में दर्ज है।  

IIM कलकत्ता के बॉयज हॉस्टल में छात्रा से दुष्कर्म का मामला, जांच में जुटी पुलिस

कोलकाता  पश्चिम बंगाल के भारतीय प्रबंधन संस्थान कलकत्ता (IIM-C) में पढ़ाई कर रही एक छात्रा ने आरोप लगाया है कि शुक्रवार को कैंपस में ही उसके साथ एक सहपाठी ने बलात्कार किया। उसने देर शाम हरिदेवपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद मामला दर्ज कर लिया गया। घटना उस समय हुई जब पीड़िता अपने परिचित छात्र के बुलावे पर संस्थान के हॉस्टल परिसर में पहुंची थी। पुलिस ने आरोपी छात्र को गिरफ्तार कर लिया है और पूरे मामले की जांच जारी है। पुलिस के अनुसार, पीड़िता और बेंगलुरु का रहने वाला आरोपी परमानंद टोप्पाउनवार संस्थान के द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। पहले से एक-दूसरे को जानते थे। दोनों की मुलाकात पहले ऑनलाइन माध्यम से हुई थी, जो बाद में पढ़ाई और करियर से संबंधित बातचीत में बदली। शुक्रवार को आरोपी ने युवती को कैंपस में बुलाया, यह कहकर कि वह उसे एक काउंसलिंग सेशन में मदद करेगा। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि जब वह संस्थान में पहुंची तो उसे विजिटर रजिस्टर में नाम दर्ज करने से मना कर दिया गया। इसके बावजूद, आरोपी पर भरोसा कर वह परिसर के अंदर चली गई। आरोपी ने लड़की को काम का बहाना बनाकर लड़कों के हॉस्टल ले गया, जहां उसने उसे पिज्जा और एक पेय पदार्थ दिया। युवती का आरोप है कि पेय पीने के कुछ देर बाद उसे चक्कर आने लगे और वह अस्थिर महसूस करने लगी। युवती ने बताया कि जब उसने वॉशरूम जाने की बात कही, तो आरोपी ने उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने की कोशिश की। जब उसने इसका विरोध किया और आरोपी को थप्पड़ मारा तो वह हिंसक हो गया और उसके साथ मारपीट करने के बाद कथित तौर पर दुष्कर्म किया। पीड़िता ने पुलिस को बताया कि वह कुछ समय तक अर्ध-बेहोशी की हालत में रही और फिर बेहोश हो गई। शाम को जब उसे होश आया तो वह खुद को हॉस्टल रूम में अकेला पाई। इसके बाद उसने किसी मित्र से संपर्क किया और किसी तरह संस्थान से बाहर निकलकर पुलिस स्टेशन पहुंची। पीड़िता ने पहले ठाकुरपुकुर थाने और फिर हरीदेवपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 64 (बलात्कार) और 123 (जानबूझकर विष या अन्य हानिकारक पदार्थ के माध्यम से चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया है। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और पूछताछ जारी है। यह घटना उस समय सामने आई है जब महज दो सप्ताह पहले एक लॉ कॉलेज की छात्रा के साथ उसके कॉलेज के सीनियर छात्रों और एक पूर्व छात्र द्वारा गैंगरेप की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर दिया था। उस घटना के बाद राज्य सरकार ने सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) लागू किया था और सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, “यह घटना बेहद गंभीर है। पीड़िता की मेडिकल जांच कराई जा रही है और हम डिजिटल फुटेज, हॉस्टल एंट्री रिकॉर्ड और संस्थान के कर्मचारियों से पूछताछ कर रहे हैं। आरोपी के खिलाफ ठोस सबूत जुटाए जा रहे हैं।” घटना के बाद से प्रबंधन संस्थान की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, छात्रों और अभिभावकों के बीच इस घटना को लेकर गंभीर चिंता और नाराजगी देखने को मिल रही है।  

रूस-पाकिस्तान करार से खुले नए आर्थिक रास्ते, GDP को होगा बड़ा लाभ

मॉस्को रूस ने आखिरकार पाकिस्तान के साथ एक महत्वपूर्ण व्यापारिक समझौता कर लिया है। इसको लेकर कई महीनों से कयास लगाए जा रहे थे। अब शुक्रवार को पाकिस्तान और रूस ने संयुक्त रूप से इस समझौते की घोषणा की है, जिसके तहत कराची में एक अत्याधुनिक स्टील मिल की स्थापना की जाएगी। इस परियोजना को दोनों देशों के बीच आर्थिक और औद्योगिक सहयोग के एक नए युग की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। इस सौदे से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को अरबों रुपये का लाभ होने की उम्मीद है, साथ ही यह औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा। यह समझौता शुक्रवार को मॉस्को में पाकिस्तान दूतावास में आयोजित एक समारोह में किया गया। पाकिस्तान के उद्योग और उत्पादन मंत्रालय के सचिव सैफ अंजुम और रूस की औद्योगिक इंजीनियरिंग एलएलसी के महानिदेशक वादिम वेलिचको ने इस पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर पाक पीएम के विशेष सहायक हारून अख्तर खान और रूस में पाकिस्तान के राजदूत मुहम्मद खालिद जमाली भी उपस्थित थे। क्या है रूस-पाकिस्तान की डील? आइए समझते हैं पाकिस्तानी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस ने पहली बार आधिकारिक तौर पर पुष्टि करते हुए कहा है कि उसने कराची में एक नई स्टील मिल स्थापित करने के लिए पाकिस्तान के साथ समझौते को अंतिम रूप दिया है। यह परियोजना पाकिस्तान स्टील मिल्स (PSM) की बहाली और आधुनिकीकरण का हिस्सा है, जो लंबे समय से आर्थिक और प्रबंधकीय चुनौतियों का सामना कर रही है। एक बयान में, पाकिस्तान के वरिष्ठ अधिकारी हारुन अख्तर खान ने कहा, "रूस के साथ यह समझौता पाकिस्तान स्टील मिल्स की प्रगति और औद्योगिक भविष्य के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। इस परियोजना से न केवल औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि हजारों लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।" इस समझौते के तहत, पीएसएम को न केवल दोबारा खड़ा किया जाएगा, बल्कि कराची में 700 एकड़ भूमि पर एक नया अत्याधुनिक इस्पात संयंत्र भी स्थापित किया जाएगा। इस परियोजना में रूस की उन्नत इस्पात निर्माण तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे पाकिस्तान की इस्पात आयात पर निर्भरता 30% तक कम होने की उम्मीद है। पाकिस्तान हर साल लगभग 2.7 बिलियन डॉलर का इस्पात और लोहा आयात करता है, और देश में इस्पात की मांग और आपूर्ति के बीच 3.1 मिलियन टन का अंतर है। इस नए संयंत्र से न केवल आयात बिल में कमी आएगी, बल्कि स्थानीय रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। पाकिस्तान की GDP को होगा फायदा इस सौदे की अनुमानित लागत 2.6 बिलियन डॉलर (लगभग 22,000 करोड़ रुपये) है, जो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा निवेश माना जा रहा है। इस परियोजना से न केवल स्थानीय स्तर पर स्टील उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि यह निर्यात क्षमता को भी बढ़ाएगा, जिससे विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा पाकिस्तान की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को दीर्घकालिक रूप से अरबों रुपये का लाभ पहुंचा सकता है। इसके अलावा, नई स्टील मिल के निर्माण और संचालन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों रोजगार सृजित होंगे। खास तौर पर, कराची जैसे औद्योगिक केंद्र में यह परियोजना स्थानीय युवाओं और तकनीकी विशेषज्ञों के लिए नए अवसर लेकर आएगी। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में तकनीकी इनोवेशन को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, यह समझौता पाकिस्तान और रूस के बीच गहरे होते द्विपक्षीय संबंधों का हिस्सा है। दोनों देश हाल के वर्षों में ऊर्जा क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ा रहे हैं, जिसमें पाकिस्तान स्ट्रीम गैस पाइपलाइन और 2023 में शुरू हुई कच्चे तेल की आपूर्ति शामिल है। रूस-पाकिस्तान संबंधों में नया मोड़ पाकिस्तान स्टील मिल्स को 1973 में तत्कालीन सोवियत संघ के सहयोग से स्थापित किया गया था और यह कभी देश का सबसे बड़ा औद्योगिक परिसर था। यह मिल 1985 में शुरू हुई थी, लेकिन वित्तीय कुप्रबंधन, बुनियादी ढांचे की कमी और अन्य प्रशासनिक समस्याओं के कारण 2015 में इसका परिचालन पूरी तरह बंद हो गया था। ताजा सौदा रूस और पाकिस्तान के बीच बढ़ते राजनयिक और आर्थिक संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हाल के वर्षों में, दोनों देशों ने व्यापार, रक्षा, और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। रूस के उप-प्रधानमंत्री ने हाल ही में कहा था कि पाकिस्तान रूस का एक स्वाभाविक सहयोगी है और दोनों देशों के बीच व्यापारिक और आर्थिक संबंधों में महत्वपूर्ण प्रगति हो रही है। भारत से तनाव के बीच किया समझौता यह समझौता उस समय हुआ है जब क्षेत्रीय भू-राजनीतिक में तेजी से बदलाव हो रहा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों के सफाए के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। जिसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष छिड़ गया। इस लिहाज से कुछ विश्लेषकों का मानना है कि रूस का यह कदम भारत के साथ उसके पारंपरिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, रूस ने पहले ऐसी खबरों को खारिज किया है जो इसे भारत के साथ अपने संबंधों को कमजोर करने के रूप में देखती हैं।  

भारत-अमेरिका ट्रेड डील की राह आसान, ट्रंप नहीं भेजेंगे चेतावनी लेटर, टैरिफ में राहत तय

नई दिल्ली भारत और अमेरिका एक अंतरिम व्यापार समझौते की दिशा में तेजी से काम कर रहे हैं, जिससे प्रस्तावित टैरिफ को 20% से नीचे लाया जा सकता है। यह समझौता भारत को क्षेत्र के अन्य देशों की तुलना में व्यापारिक रूप से अधिक अच्छी स्थिति में रखेगा। खबरों की मानें तो अमेरिका इस सप्ताह भारत को टैरिफ बढ़ाने की औपचारिक सूचना नहीं देगा, जबकि कई अन्य देशों को अप्रत्याशित रूप से 50% तक के टैरिफ का सामना करना पड़ा है। ट्रंप करीब 20 देशों को टैरिफ लगाने संबंधी लेटर भेज चुके हैं। जिनमें काफी सख्त चेतावनी और धमकियां तक दी गई हैं। हालांकि भारत को अभी इस तरह का कोई लेटर भेजने का इरादा नहीं है। इसकी वजह है- दोनों देशों के बीच चल रही व्यापार वार्ता। भारत पर 20% से नीचे लाया जा सकता है टैरिफ ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि यह प्रस्तावित अंतरिम समझौता दोनों देशों को आगे की बातचीत के लिए समय देगा, जिससे भारत को लंबित मुद्दों को व्यापक समझौते से पहले सुलझाने का अवसर मिलेगा। इस समझौते की औपचारिक घोषणा किसी आधिकारिक बयान के माध्यम से की जा सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रारंभिक रूप से अमेरिका ने भारत के लिए 26% का टैरिफ प्रस्तावित किया था, लेकिन अब इस दर को घटाकर 20% से नीचे लाया जा सकता है। साथ ही, अंतिम समझौते के तहत आगे और भी संशोधन की संभावना रखी जाएगी। हालांकि, अंतरिम समझौते की सटीक समयसीमा अभी स्पष्ट नहीं है। यदि यह समझौता अंतिम रूप लेता है, तो भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो जाएगा जिन्होंने ट्रंप प्रशासन के साथ व्यापार समझौते किए हैं। अब तक केवल ब्रिटेन ने ही अमेरिका के साथ औपचारिक व्यापार समझौता किया है। वहीं, वियतनाम और फिलीपींस जैसे देशों को 20% तक की शुल्क दरें घोषित की जा चुकी हैं, जबकि लाओस और म्यांमार को 40% तक के उच्च शुल्कों का सामना करना पड़ रहा है। भारत वियतनाम के साथ हुए समझौते की तुलना में अधिक अनुकूल समझौता चाहता है। वियतनाम 20% की उच्च शुल्क दर से चौंक गया था और अब उस दर को कम करने की मांग कर रहा है। ट्रंप के निशाने पर कई देश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को NBC न्यूज को बताया कि वह उन देशों पर 15% से 20% की सामान्य टैरिफ दर लगाने पर विचार कर रहे हैं, जिन्होंने अभी तक अमेरिका के साथ कोई विशेष टैरिफ दर तय नहीं की है। वर्तमान में अधिकांश अमेरिकी व्यापारिक साझेदारों के लिए औसत टैरिफ दर 10% है। हालांकि भारत ने वर्ष की शुरुआत में ही अमेरिका के साथ व्यापार वार्ताएं शुरू कर दी थीं, हाल के महीनों में भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में कुछ तनाव देखने को मिला है। ट्रंप प्रशासन की ओर से भारत की ब्रिक्स सदस्यता को लेकर भी अतिरिक्त शुल्क लगाने के संकेत मिले हैं। भारतीय वार्ता दल जल्द ही वाशिंगटन की यात्रा कर सकता है ताकि व्यापार वार्ताओं को गति दी जा सके। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत पहले ही अपनी अंतिम पेशकश अमेरिका को दे चुका है और कुछ मुद्दों पर स्पष्ट रूप से ‘गैर-समझौतावादी रुख’ अपना चुका है। भारत ने बता दी अपनी "लक्ष्मण रेखा" व्यापार वार्ताओं में सबसे बड़ा अड़चन अमेरिका की यह मांग है कि भारत जैव-संशोधित (GM) फसलों को अनुमति दे, जिसे भारत ने किसानों की चिंता के चलते ठुकरा दिया है। इसके अलावा कृषि क्षेत्र में गैर-टैरिफ बाधाएं और फार्मा सेक्टर में नियामकीय चुनौतियां भी प्रमुख अवरोध बने हुए हैं। भारत ने इस समझौते के लिए अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, खासकर कृषि और डेयरी क्षेत्रों में। भारतीय वार्ताकारों ने अमेरिका को स्पष्ट रूप से अपनी "लक्ष्मण रेखा" बता दी है, जिसमें डेयरी और कृषि उत्पादों पर रियायतों से इनकार शामिल है। भारत ने पहले भी अपने डेयरी क्षेत्र को सभी व्यापार समझौतों में संरक्षित रखा है और इस बार भी यही रुख अपनाया है। इसके बदले, भारत ने टेक्सटाइल और फुटवियर जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में अमेरिकी उत्पादों के लिए बेहतर बाजार पहुंच की पेशकश की है।भारतीय वाणिज्य मंत्रालय की एक टीम जल्द ही वाशिंगटन का दौरा करने वाली है, ताकि इस समझौते को आगे बढ़ाया जा सके। भारत ने पहले ही अपनी सर्वश्रेष्ठ पेशकश ट्रम्प प्रशासन के सामने रख दी है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि वह कुछ मुद्दों पर समझौता नहीं करेगा।  

विश्व धरोहर स्थल में शामिलहुए 12 मराठा किले, 11 महाराष्ट्र में और 1 तमिलनाडु

नई दिल्ली भारत की सांस्कृतिक विरासत में यूनेस्को ने 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप' यानी 'मराठा सैन्य परिदृश्य' को अपनी विश्व धरोहर सूची में शामिल किया है. इसमें मराठा साम्राज्य के 12 ऐतिहासिक किलों को शामिल किया गया है, जिनमें 11 महाराष्ट्र और 1 तमिलनाडु में स्थित हैं. यह भारत की 44वीं संपत्ति है जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पोस्ट में लिखा, "इस सम्मान से हर भारतीय गदगद है. इन 'मराठा मिलिट्री लैंडस्केप' में 12 भव्य किले शामिल हैं, जिनमें से 11 महाराष्ट्र में और 1 तमिलनाडु में है." ऐसा है मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स "भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य" वर्ष 2024-25 के लिए यूनेस्को की विश्व विरासत सूची के लिए नामांकन किया गया था. इसमें बारह घटक भाग हैं- महाराष्ट्र में सालहेर किला, शिवनेरी किला, लोहागढ़, खंडेरी किला, रायगढ़, राजगढ़, प्रतापगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजय दुर्ग, सिंधुदुर्ग और तमिलनाडु में जिंजी किला. वैविध्यपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों एवं क्षेत्रों में फैले हुए ये घटक मराठा शासन की रणनीतिक सैन्य शक्तियों को प्रदर्शित करते हैं. सुवर्णदुर्ग किला 17वीं और 19वीं शताब्दी के बीच विकसित हुए भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य तत्कालीन  मराठा शासकों द्वारा परिकल्पित की गई एक असाधारण किलेबंदी और सैन्य प्रणाली का प्रतिनिधित्व करते हैं. किलों का यह असाधारण तन्त्र, पदानुक्रम, पैमाने और प्रतीकात्मक वर्गीकरण की विशेषताओं में भिन्नता लिए हुए  भारतीय प्रायद्वीप में सह्याद्री पर्वत श्रृंखलाओं, कोंकण तट, दक्कन के पठार और पूर्वी घाटों के लिए विशिष्ट परिदृश्य,क्षेत्र एवं भौगोलिक विशेषताओं को एकीकृत करने का परिणाम है. सिंधुदुर्ग किला महाराष्ट्र में विद्यमान 390 से अधिक किलों में से केवल 12 किले भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य के अंतर्गत चुने गए है और  इनमें से आठ किले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (आर्कियोलोजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया) द्वारा संरक्षित हैं. ये हैं शिवनेरी किला, लोहगढ़, रायगढ़, सुवर्णदुर्ग, पन्हाला किला, विजयदुर्ग, सिंधुदुर्ग और जिंजी किलाI जबकि सालहेर किला, राजगढ़, खंडेरी किला और प्रतापगढ़ पुरातत्व और संग्रहालय निदेशालय, महाराष्ट्र सरकार द्वारा संरक्षित हैं. भारत के मराठा सैन्य परिदृश्य में सालहेर किला, शिवनेरी किला, लोहागढ़, रायगढ़, राजगढ़ और जिंजी किला पहाड़ी किले हैं, वहीं प्रतापगढ़ पहाड़ी-वन्य किला है एवं  पन्हाला पहाड़ी-पठार किला है तथा विजयदुर्ग तटीय किला है जबकि खंडेरी किला, सुवर्णदुर्ग और सिंधुदुर्ग द्वीपीय किले हैंI पन्हाला किला मराठा सैन्य विचारधारा की शुरुआत 17वीं शताब्दी में मराठा शासक छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल के समय 1670 ई. में हुई और यह बाद के नियमों के अनुसार 1818 ई. तक चले पेशवा शासन तक जारी रही.   सुशासन, सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक कल्याण पीएम मोदी ने आगे लिखा, "जब हम गौरवशाली मराठा साम्राज्य की बात करते हैं, तो हम इसे सुशासन, सैन्य शक्ति, सांस्कृतिक गौरव और सामाजिक कल्याण पर जोर से जोड़ते हैं. महान शासक किसी भी अन्याय के आगे न झुकने के अपने साहस से हमें प्रेरित करते हैं. मैं सभी से इन किलों को देखने और मराठा साम्राज्य के समृद्ध इतिहास के बारे में जानने का आह्वान करता हूं." पीएम मोदी ने एक अन्य पोस्ट करते हुए लिखा, "ये 2014 में रायगढ़ किले की मेरी यात्रा की तस्वीरें हैं. छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन करने का अवसर मिला था. उस यात्रा को मैं हमेशा संजो कर रखूंगा." महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस उपलब्धि पर एक्स पोस्ट में लिखा, "सचमुच, यह महाराष्ट्र और भारत के लिए एक अद्भुत क्षण है." उन्होंने संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का जिक्र करते हुए कहा, "इसे संभव बनाने के लिए आपके सभी प्रयासों और समर्थन के लिए धन्यवाद." वहीं, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि यह सम्मान भारत की प्राचीन सभ्यता और मराठा साम्राज्य की वास्तुकला की उत्कृष्टता को रेखांकित करता है. 'गौरव का क्षण…' केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, "यह सभी देशवासियों के लिए अत्यंत गौरव का क्षण है, जब UNESCO ने महाराजाधिराज छत्रपति शिवाजी महाराज जी के जीवन से जुड़े 12 किलों को UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया है. अभी कुछ ही दिन पहले रायगढ़ किले पर जाकर छत्रपति शिवाजी महाराज जी के जीवन से जुड़े प्रतीकों से आत्मसाक्षात्कार का सौभाग्य प्राप्त हुआ था." अमित शाह ने आगे कहा कि ये किले हिंदवी स्वराज की रक्षा के प्रमुख स्तंभ रहे हैं, और यहीं से स्वभाषा तथा स्वसंस्कृति के प्रति करोड़ों देशवासियों को सतत प्रेरणा मिलती रही है. ऐसा है इतिहास ये किले 17वीं से 19वीं सदी के बीच निर्मित हुए और मराठा साम्राज्य की सैन्य रणनीति, स्थापत्य कला और पर्यावरण के साथ सामंजस्य का प्रतीक हैं. इन किलों में रायगढ़, शिवनेरी, तोरण, लोहगढ़ और साल्हेर जैसे नाम शामिल हैं, जो मराठा शौर्य और साहस की कहानियां बयां करते हैं. इस उपलब्धि से महाराष्ट्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.