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मौसम विभाग ने अगले चार-पांच दिन और बारिश जारी रहने की जताई संभावना, 30 से ज्यादा बांधों के गेट खुले

जयपुर राजस्थान में बीते 48 घंटों से चल रहा भारी बारिश का दौर अगले 4-5 दिन जारी रहने का अनुमान है। मानसून की टर्फ लाइन दक्षिणी राजस्थान से होकर गुजर रही है। इसके चलते आज कई जिलों में बहुत भारी बारिश की चेतावनी है। मध्य व पश्चिमी राजस्थान में भारी बारिश से बांधों और नदियों में अचानक तेज आवक के चलते डूबने से 9 लोगों की जान चली गई। मौसम विभाग के अनुसार अगले 4 से 5 दिन तक भारी बारिश की गतिविधियां जारी रहने की संभावना है। वहीं पश्चिमी राजस्थान में भी कुछ स्थानों पर भारी बारिश हो सकती है जयपुर मौसम केंद्र के अनुसार आज प्रदेश में जयपुर, दौसा और टोंक में अति भारी बारिश हो सकती है। इसके अलावा अन्य जिलों में भी भारी बारिश का यलो अलर्ट है। बीते 48 घंटों में भारी बारिश के चलते प्रदेश के बांधों में भी पानी की जोरदार आवक हुई है। इसके चलते 30 से ज्यादा बांधों के गेट खोलने पड़े हैं। जवाहर सागर बांध के 5 गेट खोलकर 1,38,750 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। जल संसाधन विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को हुई भारी बारिश के चलते गुरुवार को बांधों में 254 क्यूसेक पानी की आवक हुई है। प्रदेश के छोटे व मध्यम आकार के बांधों में से 44 बांध पूरी तरह भर चुके हैं, वहीं 408 बांध आंशिक रूप से भर गए हैं। बीसलपुर 313.51 के स्तर पर राजधानी जयपुर सहित कई जिलों की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर में भी पानी की जबरदस्त आवक हो रही है। शुक्रवार सुबह की स्थिति के अनुसार बांध का जल स्तर 313.51 मीटर पर पहुंच गया है। एक जून से अब तक बांध में 89 सेमी पानी आ चुका है।

मुहर्रम जुलूस: शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने सभी जरूरी दिशा-निर्देश जारी किए

प्रयागराज उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 11 जुलाई से शुरू होने वाले श्रावण मास को लेकर जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारियां पूरी कर ली हैं। 6 जुलाई को मुहर्रम का जुलूस भी निकाला जाएगा। इसे शांतिपूर्ण और सुरक्षित ढंग से संपन्न कराने के लिए प्रशासन ने सभी जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। कांवड़ यात्रा और मोहर्रम को लेकर सुरक्षा, स्वच्छता और अन्य व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। जिला प्रशासन ने कांवड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराने के लिए सभी तैयारियां पूरी करने का दावा किया है। डीएम प्रयागराज रविंद्र कुमार मांदड़ ने बताया कि कांवड़ मार्गों पर सड़कों की मरम्मत, प्रकाश व्यवस्था और स्वच्छता के लिए इंजीनियरिंग विभाग और नगर प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं। संगम से वाराणसी तक जाने वाले प्रमुख मार्ग, जहां कांवड़िए जल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर जाते हैं, उनकी मरम्मत शुरू हो चुकी है। डीएम के मुताबिक, कांवड़ यात्रा के दौरान मांस और शराब की दुकानें बंद रहेंगी। डीजे की ध्वनि को भी नियंत्रित करने के निर्देश दिए गए हैं। दशाश्वमेध घाट, जहां कांवड़िए जल भरने आते हैं, वहां महाकुंभ के लिए बने नए पक्के घाट से श्रद्धालुओं को सुविधा मिलेगी। घाट पर जल पुलिस, एसडीआरएफ और गोताखोरों की तैनाती की गई है, ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके। डीएम ने बताया कि शहर के प्रमुख शिवालयों जैसे मनकामेश्वर, सोमेश्वर और अन्य मंदिरों में साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मोहर्रम के दौरान ताजियों की ऊंचाई 10 फीट से अधिक न हो, यह निर्देश दिया गया है ताकि बिजली के तारों से दुर्घटना न हो। बीते वर्षों में ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, इसलिए इस बार पुलिस और प्रशासन पूरी तरह सतर्क हैं। ताजिया जुलूसों के लिए भी शांति समिति की बैठकों में दिशा-निर्देश दिए गए हैं। डीएम रवींद्र कुमार मांदड़ ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर सभी कांवड़ मार्गों को चिह्नित कर उनकी मरम्मत शुरू की गई है। थाना और तहसील स्तर पर शांति समितियों की बैठकें हो चुकी हैं। उन्होंने बताया कि प्रयागराज प्रशासन ने दोनों आयोजनों को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित ढंग से संपन्न कराने के लिए सभी विभागों के साथ समन्वय स्थापित किया है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वच्छता और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।  

MP के राजा भोज और खजुराहो हवाई अड्डों ने जनवरी से जून 2025 के बीच ग्राहक संतुष्टि सर्वेक्षण में देश में शीर्ष स्थान हासिल किया

भोपाल  मध्य प्रदेश के राजा भोज और खजुराहो हवाई अड्डों ने जनवरी से जून 2025 के बीच ग्राहक संतुष्टि सर्वेक्षण में देश में शीर्ष स्थान हासिल किया है। इनके साथ राजस्थान का महाराणा प्रताप हवाई अड्डा उदयपुर भी पहले स्थान पर रहा। तीनों को 5 में से 5 अंक मिले हैं। भोपाल हवाई अड्डे ने यह मुकाम दूसरी बार पाया है। राजा भोज और खजुराहो हवाई अड्डों ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दोनों को ग्राहक संतुष्टि के मामले में देश में पहला स्थान मिला है। यह सर्वेक्षण जनवरी से जून 2025 के बीच किया गया था। भोपाल हवाई अड्डे के लिए यह गर्व का क्षण है। उसने दूसरी बार यह स्थान हासिल किया है। इससे पहले 2023 में भी भोपाल हवाई अड्डे को पहला स्थान मिला था। 60 हवाई अड्डों को किया गया था शामिल इस सर्वेक्षण में कुल 62 हवाई अड्डों में से 60 को शामिल किया गया था। जैसलमेर और तेजपुर हवाई अड्डों को शामिल नहीं किया गया। क्योंकि वहां नियमित उड़ानें नहीं थीं। सर्वेक्षण में ग्राहक संतुष्टि को 5 में से अंक दिए गए। इस दौरान औसत स्कोर 4.59 रहा। भोपाल हवाई अड्डे के निदेशक रामजी अवस्थी ने कहा कि हमने यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए कई नए कदम उठाए हैं। जबलपुर और ग्वालियर एयरपोर्ट को मिला ये स्थान भोपाल एयरपोर्ट के टर्मिनल भवन में अब बैठने की बेहतर व्यवस्था, चार्जिंग स्टेशन और परिसर में बेहतर वाई-फाई कनेक्टिविटी की सुविधा है। सर्वेक्षण में जबलपुर एयरपोर्ट को 10वें और ग्वालियर एयरपोर्ट को 11वें स्थान पर रखा गया है। एयरपोर्ट ने स्थानीय हस्तशिल्प की दुकानों और मध्य प्रदेश के पारंपरिक उत्पादों की दुकानों के साथ अपनी खुदरा पेशकश का भी विस्तार किया है। फूड कोर्ट में अब अंतरराष्ट्रीय व्यंजन और क्षेत्रीय विशिष्टताएँ दोनों शामिल हैं, जो यात्रियों की विविध प्राथमिकताओं को पूरा करते हैं।

मैहर में प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, 6526 क्विंटल की आर्थिक क्षति की वसूली, खरीदी प्रभारी के भू स्वामित्व की नीलामी कर वसूली जायेगी

मैहर  मैहर में प्रशासन की बड़ी कार्रवाई देखने को मिली है। यहां खरीफ उपार्जन वर्ष 2024-25 में सेवा सहकारी समिति जरौहा (मनकीसर) ने धान उपार्जन के काम लापरवाही बरती। अनियमितता के कारण धान में आई कुल शार्टेज 6526 क्विंटल की आर्थिक क्षति की वसूली समिति के धान उपार्जन प्रभारी दीपेन्द्र सिंह और खरीदी प्रभारी संजीव तिवारी (राजीव) के भू स्वामित्व में दर्ज आराजी की नीलामी कर वसूली जायेगी। दरअसल, मैहर जिले की कलेक्टर रानी बाटड ने सेवा सहकारी समिति जरौहा द्वारा धान उपार्जन में की गई गड़बड़ी और आर्थिक क्षति को गंभीरता से लेकर राशि वसूली के प्रयास तेज कर दिये हैं। सेवा सहकारी समिति जरौहा में अनियमितता के दोषी उपार्जन केन्द्र प्रभारी दीपेन्द्र सिंह एवं अन्य के विरूद्ध पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इसके साथ ही जिला उपार्जन समिति के निर्णय के अनुसार कलेक्टर मैहर ने सेवा सहकारी समिति जरौहा को भविष्य में किसी भी उपार्जन कार्य के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। कलेक्टर ने उपार्जन कार्य में संलग्न रहे धान उपार्जन प्रभारी दीपेन्द्र सिंह, खरीदी प्रभारी संजीव तिवारी (राजीव) और आपरेटर अनिल कुमार दहायत को किसी भी अन्य समिति में नियोजन से भी प्रतिबंधित कर दिया गया है। 6 हजार 526 क्विंटल धान पाई गई कम सेवा सहकारी समिति जरौहा द्वारा धान उपार्जन में घोटाले के कारण 6 हजार 526 क्विंटल का धान कमी पाई गई। जिसमें शासन को हुई आर्थिक क्षति की नियमानुसार वसूली का निर्णय भी जिला उपार्जन समिति मैहर ने लिया है। कलेक्टर मैहर रानी बाटड के निर्देशानुसार राजस्व अधिकारियों ने संबंधित दोषियों को कई बार आरआरसी वसूली की नोटिस जारी कर राशि जमा कराने के निर्देश जारी किये गये हैं। राशि वसूली के लिए नीलाम होगी जमीन राशि की वसूली नहीं हो पाने पर राजस्व वसूली के नियमानुसार इन दोषी व्यक्तियों के भू स्वामित्व में दर्ज भूमि को नीलाम कर वसूली करने के निर्देश दिये गये हैं। न्यायालय नायब तहसीलदार वृत्त झिन्ना, तहसील रामनगर ने नीलामी की तिथि 28 जुलाई 2025 नियत करते हुए आम नीलामी की सूचना भी जारी कर दी गई है। दोनों दोषियो की इतनी जमीन होगी नीलाम इसके अनुसार दीपेन्द्र सिंह पुत्र सुरेन्द्र सिंह ग्राम पैपखरा, तहसील रामनगर की पैपखरा स्थित पटवारी हल्का नम्बर 56 की आराजी नम्बर 142/2 रकबा 0.073 हेक्टेयर, 599/1 रकबा 0.808 हेक्टेयर, 192/2 रकबा 0.963 हेक्टेयर, 699/688 रकबा 1.235 हेक्टेयर कुल किता 04 कुल रकबा 3.079 हेक्टेयर में से दीपेन्द्र सिंह का हिस्सा 1/4 अर्थात 0.770 हेक्टेयर भूमि की सार्वजनिक नीलामी की जायेगी। 28 जुलाई को होगी नीलामी इसी प्रकार मैहर जिले के रामनगर तहसील के पैपखरा निवासी संजीव तिवारी पुत्र सौखीलाल तिवारी की ग्राम बेलहाई पटवारी हल्का नम्बर 48 स्थित आराजी नम्बर 25/2 रकबा 0.304 हेक्टेयर भूमि की खुली नीलामी 28 जुलाई सोमवार को तहसील कार्यालय रामनगर जिला मैहर के सभाकक्ष में की जायेगी। आम नीलामी के संबंध में विस्तृत जानकारी के लिए नायब तहसीलदार वृत्त झिन्ना के कार्यालय में सम्पर्क किया जा सकता है।  

रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक महिला श्रमिकों को कार्य करने की अनुमति सुरक्षा उपायों के साथ प्रदान की गई

महिलाओं को रात की पाली में कारखानों में काम करने की विशेष अनुमति महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने के लिए सुरक्षा और शर्तों का संस्थानों को पालन करना होगा  रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक महिला श्रमिकों को कार्य करने की अनुमति सुरक्षा उपायों के साथ प्रदान की गई भोपाल  पुख्ता सुरक्षा उपायों और विशेष नियम एवं शर्तों को लागू करने की अनिवार्यता के साथ मध्यप्रदेश सरकार ने महिलाओं को दुकानों, वाणिज्यिक संस्थानों और कारखानों में रात की पाली (नाइट शिफ्ट) में काम करने की अनुमति दी है। संस्थानों में महिला श्रमिकों को सुरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण दिया जाएगा। राज्य सरकार ने मध्यप्रदेश दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 1958 एवं कारखाना अधिनियम, 1948 के अंतर्गत महिला श्रमिकों को कुछ शर्तों के साथ कार्य करने की अनुमतिदी है। इस संबंध में श्रम विभाग द्वारा निर्देश जारी किये गए है। दुकानों एवं वाणिज्यिक स्थापनाओं के लिए जरूरी निर्देश दुकानों एवं वाणिज्यिक स्थापनाओं में रात्रि पाली में 9 बजे से सुबह 7 बजे तक कार्य करने के लियेनियोजकों को महिला श्रमिकों की लिखित सहमति लेना अनिवार्य होगा। कम से कम 5 महिला श्रमिक के समूह में ही उन्हें कार्य पर लगाया जाएगा। कार्यस्थल पर सुरक्षित वातावरण, शौचालय, वॉशरूम, पेयजल और विश्राम कक्ष जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना अनिवार्य होगा। इन सुविधाओं तक आगागमन का मार्ग अच्छी तरह से प्रकाशित तथा सीसीटीवी की निगरानी में होगा। जहां 10 या अधिक महिलाएं कार्यरत हों, वहां महिला सुरक्षाकर्मियों (गार्डस) की व्यवस्था करनी होगी एवं विश्राम कक्ष भी उपलब्ध कराया जायेगा। सभी प्रतिष्ठानों को लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम 2013 के प्रावधानों का पूर्ण पालन करना होगा। कारखानों के लिए विशेष शर्तें कारखानों में रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक महिला श्रमिकों को कार्य करने की अनुमति सुरक्षा उपायों के साथ प्रदान की गई है। रात की पाली में कार्य करने के लिये महिला श्रमिकों की लिखित सहमति अनिवार्य होगी और उन्हें पांच से अधिक समूह में नियोजित किया जाएगा। महिला कर्मचारियों के लिए घर से लाने और ले जाने की परिवहन सुविधा देना नियोक्ता की जिम्मेदारी होगी। कार्यस्थल पर प्रकाश व्यवस्था, सीसीटीवी निगरानी, शौचालय, भोजन व विश्राम कक्ष उपलब्ध होंगे। कार्य स्थल के प्रवेश एवं निकास पर महिला सुरक्षाकर्मी (गार्डस) उपलब्ध होगी। ठहरने की व्यवस्था महिला वार्डन अथवा सुपरवाइजर के नियंत्रण में होगी। रात्रि पाली में सुपरवाइजरी स्टाफ का एक-तिहाई हिस्सा महिलाएं होंगी। पाली परिवर्तन के दौरान कम से कम 12 घंटे का अंतराल जरूरी होगा। कारखानों में लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013 के प्रावधानों का पूर्ण पालन करना अनिवार्य होगा।  

सांवलियाजी मंदिर में 29 करोड़ रुपये और सोने-चांदी का आया चढ़ावा

चित्तौड़गढ़ वैश्विक आस्था का केंद्र माने जाने वाले चित्तौड़गढ़ जिले के श्री सांवलियाजी मंदिर में हाल ही में खोले गए भंडार की गणना छह चरणों में पूरी की गई। भंडार एवं भेंट कक्ष को मिलाकर कुल 29 करोड़ रुपये से अधिक की चढ़ावा राशि प्राप्त हुई है, साथ ही सोने-चांदी के बहुमूल्य आभूषण भी निकले हैं।   गुरुवार को अंतिम गणना के दौरान नायब तहसीलदार व मंदिर मंडल के प्रशासनिक अधिकारी प्रथम शिवशंकर पारीक, लेखाधिकारी राजेंद्र सिंह, व्यवस्था व प्रोटोकॉल प्रभारी राजेंद्र शर्मा, संपदा व गौशाला प्रभारी भैरूगिरी गोस्वामी, सुरक्षा प्रभारी गुलाब सिंह, संस्थापन प्रभारी लेहरीलाल गाडरी औरे क्षेत्रीय बैंकों के कर्मचारी उपस्थित रहे। भंडार गणना का विवरण       प्रथम चरण (चतुर्दशी): 10 करोड़ 25 लाख     द्वितीय चरण: 1 करोड़ 80 लाख     तृतीय चरण: 4 करोड़ 55 लाख     चतुर्थ चरण: 5 करोड़ 16 लाख     पंचम चरण (बुधवार): 1 करोड़ 71 हजार 100     षष्ठम चरण (गुरुवार): 16 लाख 90 हजार 513     छहों चरणों की कुल राशि 22 करोड़ 93 लाख 61 हजार 613 रही। आभूषण की गणना वजन में     सोना: 851 ग्राम 900 मिलीग्राम     चांदी: 73 किलो 519 ग्राम भेंट कक्ष कार्यालय में प्राप्त राशि     नकद और मनीऑर्डर: 6 करोड़ 28 लाख 98 हजार 917     सोना: 142 ग्राम 200 मिलीग्राम     चांदी: 68 किलो 695 ग्राम 500 मिलीग्राम  

CBI ने SI को गुना से हिरासत में लिया, देवा पारदी कस्टडी मौत केस में पहली गिरफ्तारी

गुना  गुना के बहुचर्चित देवा पारदी कस्टडी डेथ केस में एक बड़ा अपडेट आया है। सीबीआई ने पहली गिरफ्तारी करते हुए एसआई देवराज सिंह परिहार को हिरासत में ले लिया है। यह मामला 15 जुलाई 2024 का है, जब म्याना पुलिस ने देवा पारदी को एक चोरी के केस में पूछताछ के लिए उठाया था। अगली ही शाम देवा की लाश पोस्टमार्टम रूम में मिली थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई जांच शुरू हुई और अब एसआई देवराज सिंह परिहार की गिरफ्तारी हुई है। बुधवार को सीबीआई की टीम अचानक गुना पहुंची। टीम सीधे एसपी ऑफिस गई। वहां से आरोपी एसआई देवराज सिंह परिहार को अपने साथ लेकर रवाना हो गई। इस गिरफ्तारी से मामले में आगे की कार्रवाई की उम्मीद बढ़ गई है। शादी के दिन देवा की गिरफ्तारी बता दें कि बीलाखेड़ी गांव में रहने वाले देवा पारदी की शादी होने वाली थी। उसकी उम्र 25 साल थी। घर में तैयारियां चल रही थी। उसी शाम बारात गुना शहर के गोकुल सिंह चक्क जाने वाली थी। तभी म्याना पुलिस गांव पहुंची। पुलिस ने देवा और उसके चाचा गंगाराम को बारात में जाने वाले ट्रैक्टर से ही थाने ले गई। पुलिस का कहना था कि उन्हें एक चोरी के केस में पूछताछ करनी है और कुछ सामान बरामद करना है। लेकिन अगली ही शाम एक दुखद खबर आई। परिजनों को जिला अस्पताल से सूचना मिली कि एक पारदी युवक की लाश पोस्टमार्टम रूम में है। जब परिजन वहां पहुंचे, तो उन्हें देवा की मौत की जानकारी मिली। मौत के बाद परिजनों का हंगामा देवा की मौत की खबर से पूरे इलाके में बवाल मच गया। पारदी समुदाय की महिलाएं जिला अस्पताल पहुंची और विरोध प्रदर्शन किया। देवा की चाची और होने वाली दुल्हन ने गुस्से में अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगाने की कोशिश की। लेकिन वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें बचा लिया। महिलाओं ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि म्याना थाने में देवा और गंगाराम की बुरी तरह पिटाई की गई। इसी पिटाई के कारण देवा की मौत हो गई। इसके दो दिन बाद 17 जुलाई को महिलाओं ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन किया और अपने कपड़े तक उतार दिए थे। जांच में जुटी सीबीआई इस मामले की गंभीरता को देखते हुए देवा की मां ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। मई 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने इस केस को सीबीआई को सौंप दिया। कोर्ट ने सीबीआई को आदेश दिया कि एक महीने में आरोपियों को गिरफ्तार किया जाए। इसी आदेश पर कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने बुधवार को एसआई देवराज सिंह परिहार को गिरफ्तार किया। सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में और भी पुलिसकर्मी शामिल हैं। सीबीआई की कार्रवाई से अब उम्मीद है कि इस मामले में और भी गिरफ्तारियां होंगी।

श्रीकृष्ण जन्म भूमि-शाही ईदगाह मामले में हिंदू पक्ष को बड़ा झटका, HC ने हिंदू पक्ष की अर्जी खारिज की

प्रयागराज  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मथुरा स्थित श्री कृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद मामले में मंदिर पक्ष की वह अर्जी खारिज कर दी है जिसमें भविष्य की सभी कार्यवाहियों में 'ईदगाह मस्जिद' को 'विवादित संरचना' के रूप में संदर्भित करने की मांग की गई थी। यह अर्जी मामले में पक्षकार और अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने दाखिल की थी। बीती 23 मई को अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ ने यह निर्णय सुनाया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि मौजूद तथ्यों और याचिका के आधार पर मथुरा की शाही ईदगाह को फिलहाल विवादित ढांचा घोषित नहीं किया जा सकता है. जबकि, हिंदू पक्ष की ओर से दावा किया गया था कि ईदगाह का निर्माण श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर स्थित अति प्राचीन मंदिर को तोड़कर किया गया था. फिलहाल, सबकी निगाहें अगली सुनवाई पर टिकी हैं.  इस पूरे मामले में हिंदू पक्ष के वकील महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि हाईकोर्ट में 5 मार्च 2025 को मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किए जाने की मांग करते हुए एक एप्लीकेशन दी गई थी. इस पर 23 मई को कोर्ट में बहस पूरी हो गई थी और कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था, जो आज सुनाया गया.  हिंदू पक्षकार के मुताबिक, हमने हाई कोर्ट के समक्ष कहा था कि वहां पहले मंदिर था. वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष कोर्ट में पेश नहीं कर सका है. ऐसे में इसे मस्जिद क्यों कहा जाए, विवादित ढांचा घोषित किया जाए. जैसे कोर्ट ने अयोध्या मामले में अपना निर्णय देने से पहले बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया था, उसी तरह शाही ईदगाह मस्जिद को भी विवादित ढांचा घोषित करना चाहिए. हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कोर्ट के समक्ष कहा था कि वहां पहले मंदिर था। वहां पर मस्जिद होने का कोई साक्ष्य आज तक शाही ईदगाह मस्जिद पक्ष न्यायालय में पेश नहीं कर सका। न खसरा खतौनी में मस्जिद का नाम है, न नगर निगम में उसका कोई रिकॉर्ड। न कोई टैक्स दिया जा रहा। यहां तक कि बिजली चोरी की रिपोर्ट भी शाही ईदगाह प्रबंध कमेटी के खिलाफ हो चुकी है, फिर इसे मस्जिद क्यों कहा जाए? पक्षकार ने इसके लिए मासरे आलम गिरी से लेकर मथुरा के कलेक्टर रहे एफएस ग्राउस तक के समय में लिखी गई इतिहास की पुस्तकों का हवाला दिया था। श्रीकृष्ण जन्मभूमि एवं शाही ईदगाह मस्जिद केस के मंदिर पक्षकार ने बताया कि हाईकोर्ट में 5 मार्च 2025 को ये प्रार्थना पत्र दिया था। इस पर न्यायाधीश राम मनोहर नारायण मिश्र के न्यायालय में बहस पूरी हो चुकी है। न्यायालय ने अपना ऑर्डर रिजर्व कर लिया। महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने बताया कि चार जुलाई को कोर्ट का निर्णय आएगा। उन्होंने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के बैनर तले देश भर में हिंदू चेतना यात्राएं निकली जा रही हैं। इसे लेकर मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर अपनी आपत्ति दर्ज की थी। जानिए पूरा विवाद  गौरतलब है कि पूरा विवाद मथुरा के कटरा केशव देव क्षेत्र की 13.37 एकड़ जमीन पर है, जिसमें मंदिर और मस्जिद दोनों बनी हैं. जानकारी के मुताबिक, कुल जमीन में 11 एकड़ जमीन पर श्रीकृष्ण जन्मभूमि है, जबकि बाकीजमीन पर ईदगाह होने का दावा है. हिंदू पक्ष पूरी जमीन को श्रीकृष्ण जन्मभूमि बताता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इससे इनकार करता है.  हिंदू पक्ष के अनुसार, 1670 में औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर बने मंदिर को तोड़कर शाही ईदगाह मस्जिद बनवाई थी. वहीं, मुस्लिम पक्ष इस दावे को खारिज करता रहा है. आज यानी 4 जुलाई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा हम इसे विवादित ढांचा नहीं घोषित कर सकते हैं.   

समाजसेवी डॉक्टर एमसी डाबर का आज 80 वर्ष की उम्र में निधन, 50 वर्षों से 20 रुपए में गरीबों का इलाज करते थे

जबलपुर प्रसिद्ध चिकित्सक, जबलपुर के गौरव और पद्मश्री से सम्मानित डॉ. एम.सी. डावर का आज दुखद निधन हो गया। वे वर्षों तक मात्र 2 रुपये में गरीबों का उपचार कर जनसेवा में लगे रहे। उनके निधन की जानकारी मध्य प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने एक्स पर साझा की।मध्यप्रदेश के जबलपुर में 50 वर्षों से गरीब और जरूरतमंद मरीजों की सेवा करने वाले प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. एमसी डाबर का शुक्रवार (4 जुलाई 2025) सुबह निधन हो गया। वे 80 वर्ष के थे और जीवन भर केवल 20 रुपए फीस लेकर गरीबों का इलाज किया। डॉ. एमसी डाबर लाखों मरीजों के जीवन में आशा की किरण बने रहे। उनका निधन शहर के लिए अपूरणीय क्षति है।     2 रुपये में गरीबों का इलाज करने वाले सुप्रसिद्ध चिकित्सक, जबलपुर के गौरव, पद्मश्री डॉ. एम.सी. डाबर जी के निधन का समाचार अत्यंत दुःखद है। उनका जाना सामाजिक सेवा के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति है। अपने एक्स पर मंत्री राकेश सिंह ने लिखा कि डॉ. एम.सी. डावर जी का जाना सामाजिक सेवा के क्षेत्र में एक अपूरणीय क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है कि पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें और शोक संतप्त परिवार को यह दुःख सहने की शक्ति प्रदान करें। डॉ. डाबर जबलपुर के गोरखपुर क्षेत्र में क्लिनिक चलाते थे, जहां दूर-दराज से मरीज इलाज के लिए आते थे. भीड़ इतनी होती थी कि रोजाना सैकड़ों मरीज उनके घर के बाहर लाइन लगाकर खड़े रहते थे. वे खुद ही मरीजों की जांच करते, दवा लिखते और जरूरत पड़ने पर आर्थिक मदद भी करते थे. उनकी मृत्यु से चिकित्सा जगत और समाज ने एक सच्चे सेवक को खो दिया है. अंतिम दर्शन के लिए सुबह से ही बड़ी संख्या में लोग उनके निवास पर पहुंचने लगे. कई लोगों की आंखें नम थीं. हर कोई यही कह रहा है कि डॉ डाबर जैसा डॉक्टर इस युग में मिलना मुश्किल है. जीवन परिचय: पाकिस्तान से जबलपुर तक का सफर डॉ. डाबर का जन्म 16 जनवरी 1946 को पंजाब (अब पाकिस्तान) में हुआ था। देश के विभाजन के बाद वे अपने माता-पिता के साथ भारत आ गए। बहुत कम उम्र में पिता का साया सिर से उठ गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। पंजाब के जालंधर से स्कूल की पढ़ाई पूरी कर वे जबलपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचे और 1967 में MBBS की डिग्री प्राप्त की। सेना में सेवा और 1971 की जंग डॉ. डाबर ने 1971 की भारत-पाक युद्ध के दौरान भारतीय सेना में चिकित्सक के रूप में सेवा दी। उस समय उनकी पोस्टिंग बांग्लादेश सीमा पर थी, जहां उन्होंने सैकड़ों घायल जवानों का इलाज किया। स्वास्थ्य समस्याओं के चलते उन्हें समय से पहले सेवा छोड़नी पड़ी, जिसके बाद उन्होंने जबलपुर में चिकित्सा सेवा शुरू की। जालंधर से की थी स्कूली पढ़ाई डॉ. एमसी डाबर का जन्म 16 जनवरी 1946 को पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हुआ था। विभाजन के बाद उनका परिवार भारत में आकर बस गया। मात्र डेढ़ साल की आयु में उनके पिता का निधन हो गया था। उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई जालंधर से की थी। उन्होंने 1967 मध्यप्रदेश के जबलपुर से एमबीबीएस की डिग्री ली थी। डाबर भारतीय सेना में कैप्टन के पद पर थे। हालांकि खराब सेहत को देखते हुए उन्होंने सेना से इस्तीफा दे दिया था। डाबर ने 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी थी। 51 साल से 200 मरीजों का इलाज कर रहे थे 1972 से वे मध्यप्रदेश के जबलपुर में मात्र 2 रुपये में लोगों का इलाज कर रहे थे। इसके बाद 1997 में 5 रुपये लेने लगे। 2012 में 10 रुपये और मौजूदा समय में 20 रुपये चार्ज करते थे। भारत सरकार ने 2023 में चिकित्सा क्षेत्र में उनकी निस्वार्थ सेवा के लिए पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया था। डॉ. डाबर के बारे में एक और रोचक बात थी। वे पिछले 51 साल से रोजाना 200 मरीजों का इलाज कर रहे थे। उनके पास तीन-तीन पीढ़ियों के मरीज थे। डॉ. डाबर के पास न केवल जबलपुर बल्कि दूर-दराज के शहरों से भी मरीज आते थे। 2 रुपए से शुरू की सेवा, कभी नहीं रोकी डॉ. एमसी डाबर ने जबलपुर में सस्ते इलाज की शुरुआत 10 नवंबर 1972 को की थी। पहले मरीजों से सिर्फ 2 रुपए शुल्क लेते थे, लेकिन महंगाई बढ़ी तो 1986 में यह फीस 3 रुपए फिर 5 और धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर 20 रुपए कर दिया, लेकिन कभी लाभ कमाने की कोशिश नहीं की। डॉ. डाबर हमेशा वही पुराना टेबल-कुर्सी और बेड इस्तेमाल करते रहे, जो 1972 में खरीदे थे। वह कहते थे कि सादा जीवन उच्च विचार ही मेरी पूंजी है। दिन में 200 मरीज फिर भी मुस्कान डॉ. डाबर हफ्ते में 6 दिन काम करते थे और रोज़ाना 150 से 200 मरीजों का इलाज करते थे। उनकी सादगी और समर्पण का आलम ये था कि जब 1986 में उन्हें किडनी फेलियर हुआ, तब उनके मरीज मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों में दुआ करने पहुंचे। पद्मश्री और पद्मभूषण सम्मान भारत सरकार ने डॉ. डाबर को उनके अद्भुत सेवा कार्यों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया था। 2019 में वे पद्मभूषण के लिए भी नॉमिनेट किए गए। ओपी खरे ने बताया कि ऐसा डॉक्टर दोबारा जन्म नहीं लेता। डॉ. डाबर ने हजारों जानें बचाईं हैं। अंतिम यात्रा, लोगों ने दी श्रद्धांजलि उनकी अंतिम यात्रा शुक्रवार शाम 4 बजे, उनके निज निवास से गुप्तेश्वर मुक्तिधाम के लिए निकलेगी। जबलपुर शहर सहित पूरे मध्यप्रदेश में शोक की लहर है। जबलपुर निवासी रामू साहू पिछले 30 वर्षों से डॉ. डाबर के पास इलाज के लिए आते थे। उन्होंने बताया कि हमारे लिए वे डॉक्टर नहीं भगवान थे। उनकी फीस से ज्यादा तो आज दवाओं की रेट होती है, लेकिन उन्होंने कभी रुपए की चिंता नहीं की। सेवा, सादगी और संवेदना के मिसाल थे डॉ डाबर डॉ. एमसी डाबर सिर्फ एक डॉक्टर नहीं बल्कि सेवा, सादगी और संवेदना के प्रतीक थे। चिकित्सा सेवा जब इतनी महंगी होती जा रही है, ऐसे समय में भी डॉ. डाबर ने साबित कर दिया कि इंसानियत अभी जिंदा है। उनके द्वारा दिया गया उदाहरण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्तंभ रहेगा।

प्रभारी सचिवों की सूची में बदलाव, 11 जिलों के प्रभारी सचिव बदले

 जयपुर प्रशासनिक सुधार विभाग ने प्रभारी सचिवों की सूची में बदलाव के आदेश जारी कर दिए हैं। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के निर्देश पर 11 जिलों के प्रभारी सचिव बदले गए हैं, जबकि 38 जिलों के प्रभारी सचिव यथावत ही रखे गए हैं। करीब डेढ़ साल बाद प्रभारी सचिवों की सूची में यह बदलाव किया गया है। इससे पहले फरवरी 2024 में प्रभारी सचिवों की सूची जारी हुई थी। इन 11 जिलों के प्रभारी सचिव बदले सरकार ने जिन 11 जिलों के प्रभारी सचिव बदले हैं, उनमें चूरू, अलवर, ब्यावर, सलूंबर, फलौदी, सवाई माधोपुर, बारां, राजसमंद, चित्तौड़गढ़, करौली और बालोतरा शामिल हैं। चूरू- पर्यटन आयुक्त रुक्मणी रियार अलवर- प्रमुख सचिव, ऊर्जा विभाग, अजिताभ शर्मा ब्यावर- आजीविका परियोजनाओं की स्टेट एमडी नेहा गिरी सलूंबर- आरयूवी एंड आईटी सर्विसेज लिमिटेड के एमडी ओमप्रकाश कसेरा फलौदी- उद्योग आयुक्त रोहित गुप्ता सवाई माधोपुर- यूडीएच प्रमुख सचिव डॉ. देवाशीष प्रष्टि बारां- राजफैड एमडी, टीकमचंद बोहरा राजसमंद- प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अध्यक्ष, डॉ. रवि कुमार सुरपुर चित्तौड़गढ़- उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव आलोक गुप्ता करौली- समग्र शिक्षा अभियान की स्टेट मिशन निदेशक अनुपमा जोरवाल बालोतरा- स्टेट हेल्थ एश्योरेंस एजेंसी के सीईओ हरजीलाल अटल बदले गए प्रभारी सचिवों में शामिल हैं। इस बदलाव के बाद 11 आईएएस अधिकारी जिलों के प्रभार से मुक्त हो गए। हालांकि इनमें वे अधिकारी भी शामिल हैं, जो हाल में प्रतिनियुक्ति पर दिल्ली चले गए हैं। इसलिए इनके प्रभार वाले जिले खाली चल रहे थे। इनके अलावा सरकार आमतौर पर गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) और वित्त विभाग के प्रमुख सचिव जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे अफसरों को जिला प्रभार नहीं देती, उनके पास पहले से ही कार्यभार अधिक होता है। इसलिए एसीएस होम भास्कर ए. सावंत को चूरू के प्रभारी सचिव व वित्त विभाग के प्रमुख सचिव वैभव गालरिया को अलवर के प्रभार से मुक्त किया गया।