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रेस्टोरेंट में सूट-सलवार पहनने वाली महिला को नहीं दी एंट्री, मामला सरकार तक पहुंचा

नई दिल्ली सूट-सलवार में हैं तो रेस्टोरेंट में एंट्री नहीं मिलेगी! दिल्ली में एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक कपल का आरोप है कि सूट-सलवार और पैंट टीशर्ट में होने की वजह से उन्हें पीतमपुरा के एक रेस्टोरेंट में घुसने से रोक दिया गया। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद दिल्ली सरकार ने घटना का संज्ञान लिया और जांच का आदेश दिया है। दिल्ली के कानून और संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा ने एक्स पर कहा कि यह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने घटना की जांच का आदेश दिया है। उन्होंने कहा, 'दिल्ली में यह अस्वीकार्य है। पीतमपुरा के एक रेस्टोरेंट में भारतीय परिधानों पर रोक का वीडियो सामने आया है। यह अस्वीकार्य है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी ने घटना का गंभीरता से संज्ञान लिया है। अधिकारियों को इस घटना की जांच और तुरंत कार्यवाही का निर्देश दिया गया है।' एक्स पर वायरल हो रहे वीडियो में एक कपल रेस्टोरेंट के बाहर खड़े होकर बता रहा है कि 3 अगस्त को उनके साथ यह घटना हुई थी। कपल का कहना है कि उनके कपड़ों की वजह से उन्हें रेस्टोरेंट में जाने नहीं दिया गया और अपमानित किया गया। उन्होंने दावा किया कि रेस्टोरेंट में सिर्फ छोटे कपड़े पहने लोगों को प्रवेश दिया जा रहा था और उनसे कहा गया कि एथनिक ड्रेस में जाने की अनुमति नहीं है। रेस्टोरेंट के बाहर जब कपल यह आरोप लगा रहा था तो कोई शख्स इसका वीडियो बनाते हुए कहता है इस तरह के रेस्टोरेंट पर रोक लगनी चाहिए जहां सिर्फ छोटे कपड़ों में जाने की अनुमति दी जाती है। वीडियो में सवाल उठाया गया है कि राष्ट्रपति और दिल्ली की मुख्यमंत्री अभी महिला हैं, क्या वो आएंगी तो उन्हें एंट्री नहीं दी जाएगी।

हाईकोर्ट में याचिका, एक से अधिक यौन अपराध मामले दर्ज कराने वाली महिलाओं का रिकॉर्ड बनाने की मांग

नई दिल्ली  दिल्ली हाई कोर्ट ने  राजधानी पुलिस और अन्य संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे यौन अपराधों की बार-बार शिकायत करने वालों का डेटाबेस बनाने की मांग करने वाली याचिका पर जल्द से जल्द निर्णय लें. मुख्य न्यायाधीश डी. के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई कर रही थी.  कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता पहले ही इस मांग को लेकर दिल्ली पुलिस और अन्य अधिकारियों को आवेदन दे चुका है. बेंच ने याचिका के मामले की मेरिट पर कोई टिप्पणी किए बिना याचिका को निपटा दिया. याचिकाकर्ता की मांग पर कोर्ट ने क्या कहा? याचिकाकर्ता की यह मांग थी कि कोर्ट संबंधित अधिकारियों को निर्देश दे कि वे ऐसे लोगों का डेटाबेस बनाएं जो यौन शोषण के मामलों में एक से अधिक बार शिकायत दर्ज कराते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि यह फैसला लेना प्रशासन और पुलिस का कार्यक्षेत्र है और 'उन्हें बेहतर पता है कि पुलिसिंग कैसे करनी है.' कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, 'बगैर याचिका में उठाए गए मुद्दों की मेरिट पर कुछ कहे, याचिका को यह निर्देश देते हुए निपटाया जाता है कि संबंधित अधिकारी याचिकाकर्ता की मांग पर जल्द और उचित निर्णय लें.' याचिका में क्या मांग की गई थी? यह पीआईएल शोनी कपूर नामक व्यक्ति की ओर से दाखिल की गई थी, जिनकी ओर से वकील शशि रंजन कुमार सिंह ने पक्ष रखा. याचिका में केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि प्रत्येक पुलिस जिला मुख्यालय में ऐसे शिकायतकर्ताओं का रिकॉर्ड रखा जाए जिन्होंने बलात्कार या यौन अपराधों के आरोपों से जुड़ी एक से अधिक शिकायतें दर्ज कराई हैं. साथ ही, शिकायत दर्ज कराने वाले प्रत्येक व्यक्ति का पहचान पत्र (प्राथमिकता से आधार कार्ड) अनिवार्य रूप से लिया जाए. याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि बलात्कार कानूनों का दुरुपयोग कुछ शिकायतकर्ताओं की ओर से बड़े पैमाने पर किया जा रहा है.

AAP की मुश्किलें बढ़ीं! ‘फांसी घर’ केस में केजरीवाल समेत कई नेताओं को नोटिस का अलर्ट

नई दिल्ली दिल्ली में इस समय विधानसभा परिसर में फांसी घर पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच रार छिड़ी हुई है। स्पीकर विजेंद्र गुप्ता इसे इतिहास का हवाला देकर गलत ठहरा चुके हैं। बीते तीन दिनों से दिल्ली विधानवसभा में इसे लेकर बहस जारी है। इसी सिलसिले में आज एक कदम और आगे बढा़ते हुए स्पीकर ने इस मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया है। इतना ही नहीं, जरूरत पड़ी तो इसके लिए अरविंद केजरीवाल को भी समन किया जा सकता है। दिल्ली विधानसभा के स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ने पहले सदन को बताया था कि जिस संरचना का 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री केजरीवाल की ओर से फांसी घर के रूप में नवीनीकरण और उद्घाटन किया गया था, वह वास्तव में रिकॉर्ड के अनुसार एक टिफिन रूम था। विधानसभा परिसर का 1912 का नक्शा दिखाते हुए, उन्होंने बुधवार को कहा था कि ऐसा कोई दस्तावेज या सबूत नहीं है जो यह दर्शाता हो कि उस जगह का इस्तेमाल फांसी देने के लिए किया गया था। गुरुवार को इस मामले पर निर्देश देते हुए गुप्ता ने कहा कि उन्होंने इस मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेजा है। उन्होंने कहा, "समिति पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उनके डिप्टी मनीष सिसोदिया और तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल को तलब करेगी।" उन्होंने अपने आरोप को दोहराया कि फांसी घर के नाम पर झूठ फैलाया गया और इतिहास को तोड़ा-मरोड़ा गया। उन्होंने सदन में कहा कि फांसी घर के बाहर लगी केजरीवाल के नाम वाली पट्टिका हटाई जाएगी। इसे टिफिन रूम दर्शाने वाला 1912 का नक्शा भी प्रदर्शित किया जाएगा।  

झुलसाती गर्मी के बीच राहत की उम्मीद: वीकेंड पर दिल्ली में हो सकती है बूंदाबांदी

नई दिल्ली राजधानी दिल्ली और एनसीआर में हल्की बूंदाबांदी के बीच तेज गर्मी और उमस से लोग परेशान हैं। पारा 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है, लेकिन गर्मी इससे ज्यादा महसूस की जा रही है। हालांकि, मौसम विभाग ने शनिवार और रविवार को हल्की बारिश का अनुमान लगाया है। दरअसल, राजधानी दिल्ली की बेस वेधशाला सफदरजंग में लगातार तीसरे दिन बारिश दर्ज नहीं हुई है। राजधानी के ज्यादातर स्टेशनों पर पिछले 24 घंटों में शून्य वर्षा रही। केवल नजफगढ़, आया नगर और नरेला में हल्की बौछारें पड़ीं, जो मात्र 1 मिमी या उससे कम रही। इसी तरह के हालात पूरे हफ्ते बने रहने की संभावना है। हालांकि, सप्ताहांत के आसपास कहीं-कहीं मध्यम बारिश की एक-दो बार बौछारें संभव हैं। निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी स्काईमेट वेदर का अनुमान है कि मानसून ट्रफ फिलहाल बारिश की मुख्य वजह है, लेकिन ब्रेक-इन-मानसून की मौजूदा स्थिति में यह ट्रफ दिल्ली के उत्तर में खिसक गई है, जिससे यहां अच्छी बारिश की संभावना कम हो गई है। ऐसी स्थिति में बारिश पहाड़ी इलाकों तक सीमित हो जाती है, जैसे कि बीते दो दिनों से उत्तराखंड में खराब मौसम और तेज बारिश हो रही है। ब्रेक मानसून को खत्म करने के लिए बंगाल की खाड़ी में एक नया सिस्टम बनना जरूरी है। ऐसे सिस्टम बनने पर ही दिल्ली और आसपास सामान्य मानसून गतिविधि लौटती है। 11-12 अगस्त 2025 को उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में एक चक्रवाती परिसंचरण बनने की संभावना है। यह सिस्टम अगले 24 घंटों में और मजबूत होकर पूर्वी हिस्सों से अंदरूनी इलाकों में प्रवेश करेगा। इस सिस्टम की आगे की गति से हवाओं का पैटर्न बदलेगा और मानसून ट्रफ दक्षिण की ओर खिसकेगी। इससे देशभर में ब्रेक मानसून की स्थिति खत्म होगी और दिल्ली-एनसीआर में भी सामान्य बारिश फिर से शुरू हो जाएगी। अगले हफ्ते के मध्य से बारिश तेज होने की संभावना है। तब तक सप्ताह भर में एक या दो बार हल्की बारिश होगी। हालांकि, मानसून ट्रफ के उतार-चढ़ाव के कारण शुक्रवार से सोमवार (8से 10 अगस्त) के बीच एक-दो बार मध्यम बारिश हो सकती है।

अनिरुद्धाचार्य का विवादित बयान वायरल, अब बोले- ‘मुंह मारना’ का मतलब गलत लिया गया

नई दिल्ली  हाल ही में अपने बयानों को लेकर विवादों में घिरे कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने अब इस पर सफाई दी है। सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि 'मुंह मारना' गांव की एक सामान्य भाषा है और उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने यह बात लड़का और लड़की दोनों के लिए कही थी। व्यभिचारी लोग चरित्रवान नहीं होते अनिरुद्धाचार्य ने कहा, "जो लड़की कई पुरुषों के साथ रही वह पतिव्रता नहीं है। व्यभिचारी लोग चरित्रवान नहीं होते, वे 'मुंह मारते हैं'।" उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पुरुष और स्त्री दोनों को चरित्रवान होना चाहिए और एक-दूसरे से व्यभिचार नहीं करना चाहिए। उनके अनुसार उन्होंने वही बात कही है जो शास्त्रों में लिखी है और उन्होंने अपने मन से कुछ भी नहीं कहा।   लिव-इन रिलेशनशिप पर भी बोले लिव-इन रिलेशनशिप के मुद्दे पर कथावाचक ने कहा कि यह अपवित्र है। उन्होंने कहा कि अगर कोई लड़का और लड़की एक साथ रह रहे हैं तो उन्हें शादी करनी चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि लड़का और लड़की अगर चरित्रवान होंगे तभी उनकी संतानें भी चरित्रवान होंगी और राष्ट्र का कल्याण करेंगी। उन्होंने महिलाओं से कहा कि वे चरित्रवान रहते हुए अंतरिक्ष में जाएं, पढ़ें और सब कुछ करें लेकिन चरित्रवान रहें। उन्होंने कहा कि राम जैसा पुरुष और सीता जैसी स्त्री दोनों के लिए चरित्र की बात की जाती है। रावण का दिया उदाहरण लिव-इन के खिलाफ कानून लाने के सवाल पर अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि कोई भी पुरुष हो या स्त्री उसे परायों से बचना चाहिए तभी वह पवित्र माना जाएगा। उन्होंने रावण का उदाहरण देते हुए कहा कि रावण ने पराई स्त्री को देखा तो उसका विनाश हुआ था।  

सीएम रेखा गुप्ता ने बच्चों संग मनाया राखी पर्व, वायरल हुईं मानवीय भावनाओं से भरी तस्वीरें

नई दिल्ली  दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गुरुवार को सरकारी स्कूलों के बच्चों के साथ रक्षाबंधन का त्योहार मनाया। मुख्यमंत्री ने बच्चों से प्यार से राखी बंधवाई और इन पलों की तस्वीरें अपने सोशल मीडिया हैंडल पर शेयर की हैं। तस्वीरों में वह बच्चों को दुलारती और उनसे राखी बंधवाती हुई नज़र आ रही हैं।   सीएम ने कहा, 'यह रिश्ते की नई परिभाषा थी' मुख्यमंत्री ने अपनी पोस्ट में लिखा, "आज सुबह मुख्यमंत्री जनसेवा सदन कुछ अलग ही रंग में था। सरकारी स्कूलों से नन्हें बच्चे जब रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में राखियां लेकर आए, तो यह रस्म हमारे रिश्ते की नई परिभाषा थी।" उन्होंने बच्चों की हंसी और उनकी मासूम आंखों की चमक को अपने हर फैसले का आधार बताया। उन्होंने कहा, "उनके छोटे-छोटे हाथों से बांधे गए धागे एक ऐसे कल का वादा थे, जहाँ हर बच्चा बिना डर, बिना भेद, अपने सपनों की उड़ान भर सके।"   बीजेपी ने भी मनाया राखी का त्योहार दूसरी तरफ, बीजेपी ने भी रक्षाबंधन का त्योहार बड़े उत्साह के साथ मनाया। दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा को विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों ने राखी बांधी। सचदेवा ने राखी के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह पवित्र त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की गरिमा को बनाए रखता है और पूरे समाज को एकता के सूत्र में बांधता है। इसके अलावा, बीजेपी महिला मोर्चा ने भी दिल्ली की झुग्गी बस्तियों में जाकर वहाँ रहने वाले लोगों के साथ राखी का त्योहार मनाने की घोषणा की है। पार्टी की महिला मोर्चा अध्यक्ष ऋचा पांडे मिश्रा ने बताया कि उनकी पार्टी ने इसके लिए एक कार्ययोजना तैयार की है और जल्द ही इस अभियान की शुरुआत की जाएगी।

जस्टिस यशवंत वर्मा की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज, कैश कांड में एक्शन को दी थी चुनौती

नई दिल्ली कैश कांड मामले में जस्टिस यशवंत वर्मा को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने जज यशवंत वर्मा की याचिका खारिज कर दी है. जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम जांच पैनल की रिपोर्ट को चुनौती दी थी. उसमें उन्हें हटाने की सिफारिश की गई थी. जस्टिस यशवंत वर्मा ने अपनी याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की आंतरिक जांच कमेटी की रिपोर्ट को अमान्य करार दिया जाए. जस्टिस दीपंकर दत्ता और एजी मसीह की बेंच ने यह फैसला लिया. सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका भी खारिज की. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपंकर दत्ता ने अपने फैसले में कहा कि हमने यह पाया है कि इस मामले में याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं हुआ है. सीजेआई और समिति ने प्रक्रिया को पूरी सावधानी से पालन किया.  सिवाय इसके कि फोटो और वीडियो अपलोड नहीं किए गए, लेकिन वह आवश्यक भी नहीं था. और चूंकि उस समय इस मुद्दे को चुनौती नहीं दी गई थी, इसलिए इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा. जज साहब ने क्या कहा? इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र भेजना असंवैधानिक नहीं था. हमने कुछ टिप्पणियां की हैं जिनके तहत भविष्य में अगर जरूरत पड़ी तो आप कार्यवाही कर सकते हैं.’ इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अंत में न्यायमूर्ति दत्ता ने बताया कि इन सभी तथ्यों के आधार पर हमने यह रिट याचिका खारिज कर दी है. पैनल ने क्या सिफारिश की थी दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने का प्रस्ताव लाने की सिफारिश की थी. याचिका में तत्कालीन CJI संजीव खन्ना द्वारा पीएम और राष्ट्रपति को 8 मई को की गई सिफारिश को रद्द करने की भी मांग थी. याचिका में कहा गया था कि उन्हें व्यक्तिगत सुनवाई का मौका दिए बिना ही दोषी ठहराया गया है. याचिका में तीन सदस्यीय जांच पैनल पर आरोप लगाया है कि उसने उन्हें पूरी और निष्पक्ष सुनवाई का मौका दिए बिना ही प्रतिकूल निष्कर्ष निकाले. क्या है पूरा कैश कांड जस्टिस यशवंत वर्मा कैश कांड इसी साल मार्च में आया. यह विवाद तब शुरू हुआ जब होली की रात यानी 14 मार्च को जस्टिस यशवंत वर्मा के नई दिल्ली स्थित घर से जले हुए नोट मिले. उनके घर पर आग लग गई थी. आग पर काबू पाने के लिए दमकल विभाग की टीम आई थी. इसी टीम ने उनके घर में कैश देखा था. कुछ कैश जले भी बरामद किए गए थे. इस घटना ने न्यायिक हलकों में हड़कंप मचा दिया. इसके बाद जस्टिस वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया गया और आरोपों की जांच के लिए एक आंतरिक समिति गठित की गई. सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने हटाने की सिफारिश की थी.

ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का तोहफा: 20 मिनट में फरीदाबाद से नोएडा, बिना जाम के सफर

नई दिल्ली दिल्ली और फरीदाबाद से नोएडा की यात्रा करते समय अक्सर यातायात जाम का सामना करना पड़ता है, क्योंकि यह मार्ग ट्रैफिक के लिए जाना जाता है. लेकिन अब इस समस्या से जल्द ही राहत मिलने वाली है, क्योंकि एक महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य जारी है. इस एक्सप्रेसवे के पूरा होने पर, 31 किलोमीटर तक आपको ट्रैफिक जाम की चिंता नहीं करनी पड़ेगी. रिपोर्टों के अनुसार, यह ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे 31 किलोमीटर लंबा होगा और इसमें 6 लेन होंगी. इसका निर्माण फरीदाबाद सेक्टर-65 से शुरू होकर जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक किया जा रहा है. यह एक्सप्रेसवे पश्चिम में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के डीएनडी-केएमपी स्पर से प्रारंभ होगा और पूर्व में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे तथा यमुना एक्सप्रेसवे को पार करते हुए नोएडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल पर समाप्त होगा. इस परियोजना का कार्य नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) द्वारा किया जा रहा है. कितना काम हो चुका पूरा? इस एक्सप्रेसवे के हरियाणा खंड का निर्माण कार्य अपेक्षाकृत धीमी गति से चल रहा है, जबकि उत्तर प्रदेश में इसका कार्य तेजी से प्रगति कर रहा है. रिपोर्टों के अनुसार, जेवर एक्सप्रेसवे का कार्य शुरू हुए दो वर्ष हो चुके हैं, और इसे पूरा करने की निर्धारित तिथि 21 जून 2025 थी, जो अब बीत चुकी है. अभी भी इस एक्सप्रेसवे का काफी काम बाकी है, और कुछ समय के लिए कार्य को रोकना भी पड़ा था. हरियाणा सेक्शन में कई स्थानों पर कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है, और अब 2026 के अंत तक इस एक्सप्रेसवे के पूर्ण होने की संभावना जताई जा रही है. 15 से 20 मिनट में पहुंचेंगे नोएडा इस परियोजना की कुल लागत लगभग 2,400 करोड़ रुपए से अधिक होने का अनुमान है. इस एक्सप्रेसवे के निर्माण से नोएडा और फरीदाबाद के बीच की दूरी काफी कम हो जाएगी. वर्तमान में, फरीदाबाद से जेवर एयरपोर्ट पहुंचने में दो घंटे से अधिक का समय लगता है, जबकि इस नए मार्ग के खुलने के बाद यह यात्रा केवल 15 से 20 मिनट में पूरी हो सकेगी. इस एक्सप्रेसवे के बनने से इन दोनों शहरों के बीच यात्रा करने वाले वाहन चालकों को काफी सुविधा मिलेगी. इन इलाकों से होकर गुजरेगा एक्सप्रेसवे फरीदाबाद और नोएडा एयरपोर्ट के बीच बन रहा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे इन दोनों शहरों के कई क्षेत्रों को आपस में जोड़ेगा. यह एक्सप्रेसवे गौतमबुद्ध नगर के वल्लभनगर, अम्पुर और झुप्पा गांवों से होते हुए हरियाणा के बहपुर, कलां, मोहना और नरहावली गांवों तक पहुंचेगा. इसके अतिरिक्त, यह कुंडली गाजियाबाद पलवल (KGP), यमुना एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मुंबई हाईवे और कुंडली, मानेसर, पलवल (KMP) हाईवे से भी जुड़ाव स्थापित करेगा.

सत्येंद्र जैन को राहत के बाद AAP का BJP पर हमला, सौरभ बोले- ‘अब दोषियों पर हो केस’

नई दिल्ली सीबीआई कोर्ट ने सोमवार को आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन को एक मामले में क्लीन चिट दी. इसके बाद, मंगलवार को आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर तीखा हमला किया. दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सत्येंद्र जैन को अभी आधा न्याय मिला है, और पूरा न्याय तब मिलेगा जब उन पर झूठे आरोप लगाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि हमारी मांग है कि सत्येंद्र जैन पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें बदनाम करने वाले बीजेपी के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता, साथ ही एलजी और सीबीआई के अधिकारियों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. ‘AAP को बदनाम करने के लिए की थी झूठी शिकायत’ सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि विजेंद्र गुप्ता पहले झूठी शिकायतें दर्ज कराते हैं, जिन्हें एलजी द्वारा सीबीआई को भेजा जाता है. इन शिकायतों में कोई ठोस आधार नहीं होता, फिर भी सत्येंद्र जैन के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जाते हैं. इसके बाद, बिना किसी सबूत के, सीबीआई जांच शुरू करती है, जिससे सत्येंद्र जैन और उनके परिवार के साथ आम आदमी पार्टी को लगातार परेशान किया जाता है. क्या इस प्रकार के उत्पीड़न के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? अदालत द्वारा इस मामले को बंद करने से यह स्पष्ट हो गया है कि विजेंद्र गुप्ता ने केवल सत्येंद्र जैन और “आप” को बदनाम करने के उद्देश्य से झूठी शिकायत की थी. ‘कुछ भी नहीं है शिकायत में’ सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उनके अनुसार, कानून में जहां भी अन्याय होता है, उसकी भरपाई का प्रावधान होना चाहिए. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली विधानसभा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने एक झूठी शिकायत दर्ज कराई. इसके बाद, बीजेपी द्वारा नियुक्त उपराज्यपाल ने उस शिकायत को सीबीआई को जांच के लिए भेज दिया, जबकि शिकायत में कोई ठोस तथ्य नहीं थे. इसके बावजूद, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन का नाम शिकायत में शामिल किया गया. ‘सत्येंद्र जैन के परिवार का हुआ उत्पीड़न ‘ सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एलजी साहब उस शिकायत को जांच के लिए आगे बढ़ाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सत्येंद्र जैन के खिलाफ एक मुकदमा दर्ज किया जाता है. इसके बाद, उनके घर पर सीबीआई द्वारा छापेमारी की जाती है और उनकी बदनामी की जाती है. इस प्रक्रिया में सत्येंद्र जैन के परिवार और बच्चों का उत्पीड़न होता है. हम यह जानना चाहते हैं कि क्या इस सामाजिक नुकसान की भरपाई के लिए कानून में कोई प्रावधान मौजूद है. क्या अब विजेंद्र गुप्ता और एलजी साहब के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए? क्या उन सीबीआई अधिकारियों पर भी मुकदमा नहीं चलाना चाहिए, जिन्होंने बिना किसी ठोस आधार के सत्येंद्र जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया? सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सीबीआई यह कह सकती थी कि बिना किसी नाम के मुकदमा दर्ज किया जाएगा, जिसके बाद वह अपनी जांच शुरू करती. लेकिन जब भ्रष्टाचार के कोई ठोस सबूत नहीं हैं, तो यह कैसे संभव है कि कोई यह दावा करे कि सत्येंद्र जैन ने भ्रष्टाचार किया है और सीबीआई को इसकी जांच करनी चाहिए. सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह स्पष्ट है कि बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता ने सत्येंद्र जैन को बदनाम करने के उद्देश्य से यह शिकायत की थी. उनका मानना है कि एलजी, विजेंद्र गुप्ता और सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. यदि इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो यह कानून का अपवाद होगा.

कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स की जीत: दिल्ली हाईकोर्ट का सातवां वेतनमान लागू करने का आदेश

नई दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है. कोर्ट ने दिल्ली नगर निगम के कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स को सातवें वेतनमान के अनुसार वेतन देने का आदेश दिया है. इस निर्णय का लाभ एमसीडी के लगभग ढाई हजार कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स को मिलेगा. जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस मधु जैन की बेंच ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि समान कार्य करने वाले व्यक्तियों को समान वेतन मिलना चाहिए. यह निर्णय समान कार्य के लिए समान वेतन के संवैधानिक सिद्धांत पर आधारित है. बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण निर्णय जगजीत सिंह बनाम पंजाब राज्य का उल्लेख करते हुए कहा कि एक ही कार्य करने वाले दो कर्मचारियों को भिन्न-भिन्न वेतन देना मानव गरिमा के खिलाफ है. बेंच ने यह प्रश्न उठाया कि जब निगम के स्कूल में नियमित और कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स समान कार्य कर रहे हैं, तो उनके वेतन में भिन्नता क्यों होनी चाहिए. यह स्पष्ट है कि वे समान वेतन पाने के हकदार हैं. कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स इसके हकदार यह मामला प्रारंभ में शहनाज परवीन और अन्य द्वारा दिल्ली नगर निगम के खिलाफ केन्द्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) में दायर किया गया था. कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स ने वकील अनुज अग्रवाल के माध्यम से यह मांग की थी कि उन्हें सातवें वेतन आयोग के अनुसार न्यूनतम वेतनमान दिया जाए. कैट ने इस मांग को स्वीकार कर लिया, लेकिन एमसीडी ने इसके आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने एमसीडी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि समान कार्य के लिए समान वेतन का प्रश्न है, और अनुबंध पर कार्यरत शिक्षक इसके हकदार हैं. ‘ब्याज सहित भुगतान करना होगा’ कैट ने 21 मई को दिए गए आदेश में स्पष्ट किया था कि शिक्षकों को एक जनवरी 2016 से नियमित शिक्षकों के समान वेतन दिया जाना चाहिए. इसके साथ ही, महंगाई भत्ता और अन्य लाभ भी प्रदान किए जाने की आवश्यकता है. यदि तीन महीने के भीतर यह भुगतान नहीं किया जाता है, तो एमसीडी को इस पर ब्याज का भुगतान भी करना होगा. हाईकोर्ट ने भी इस आदेश को बनाए रखा है.