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भोपाल में मतदाता सूची सुधार कार्य में चूक, चार बीएलओ निलंबित

भोपाल  मतदाता सूची अपग्रेड करने के काम में लापरवाही बरतने वाले चार बीएलओ को भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने निलंबित कर दिया है। गोविंदपुरा एसडीएम रवीश कुमार श्रीवास्तव ने निलंबन का प्रस्ताव भेजा था। बीएलओ को पहले नोटिस दिए गए थे, लेकिन सही जवाब नहीं मिलने पर यह कार्रवाई की गई। अब अन्य बीएलओ पर भी कार्रवाई हो सकती है। एसडीएम ने 77 बीएलओ और 4 सुपरवाइजरों को नोटिस दिए थे। बीएलओ पर कार्रवाई स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (विशेष गहन पुनरीक्षण-2025) के तहत भोपाल में भी पुनरीक्षण की कार्रवाई की जा रही है। जिसके अंतर्गत मतदाता सूची का अपडेशन नए तरीके से किया जा रहा है। जिसमें साल 2003 की मतदाता सूची से 2025 की मतदाता सूची का मिलान किया जा रहा है। जो मतदाता 2003 की मतदाता सूची में थे। वह और उनके परिवार स्वतः ही 2025 की मतदाता सूची में शामिल हो जाएंगे। अन्य मतदाताओं का भौतिक सत्यापन बीएलओ डोर टू-डोर सर्वे के जरिए करेंगे। इस संबंध में समस्त मतदाताओं को आवश्यक दस्तावेज दिखाने के बाद ही उनका नाम मतदाता सूची में जोड़ा जाएगा। इसी काम में बीएलओ पर कार्रवाई की गई है। इन्हें किया निलंबित मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम 1966 के तहत बीएलओ शेरसिंह सिकरवार, विवेकानंद मुखर्जी, शंभू सिंह रघुवंशी और रोशनी प्रजापति पर कार्रवाई हुई है। साथ ही कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी सिंह ने जिले के सभी बीएलओ और बीएलओ सुपरवाइजरों को निर्देशित किया है कि निर्वाचन कार्य में लापरवाही करने पर उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी।

मतदाता मैपिंग में गलती, सिंगरौली में BLO को फौरन निलंबित करने का आदेश!

सिंगरौली  मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में चुनावी तैयारियों की गंभीरता पर फिर एक बार रोक-टोक हुई है। कलेक्टर व जिला निर्वाचन अधिकारी चन्द्रशेखर शुक्ला ने मतदान केंद्र क्रमांक 291 (विन्दुल) के बीएलओ राम लल्लू सिंह को निलंबित कर दिया है। राम लल्लू सिंह वर्तमान में उस ही केंद्र पर सहायक अध्यापक के पद पर तैनात थे, लेकिन निर्वाचन सूची में मतदाताओं की मैपिंग में अनदेखी पाए जाने के बाद उन पर कार्रवाई की गई। कलेक्टर कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार राम लल्लू सिंह को पहले कारण‑बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिसका सही समय पर उत्तर नहीं मिला। इसलिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 32 तथा मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियम, 1966 के तहत उन्हें निलंबित किया गया है। निलंबन के दौरान उन्हें विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी के कार्यालय में रिपोर्ट करना अनिवार्य रहेगा; इसी अवधि में नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा। कलेक्टर चन्द्रशेखर शुक्ला ने स्पष्ट कहा कि निर्वाचन कार्य में कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह कार्रवाई सिर्फ एक कर्मचारी तक सीमित नहीं है, बल्कि चुनावी जिम्मेदारियों के प्रति सभी कर्मचारियों के लिए चेतावनी है — अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ निभाना होगा। 

छत्तीसगढ़ में भी शुरू होगी वोटर लिस्ट की जांच प्रक्रिया (SIR), BLO को मिल रही ट्रेनिंग

जगदलपुर  मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) को लेकर राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप जारी है। एसआइआर कोई नया प्रविधान नहीं है। पहले भी ऐसा किया जा चुका है। मध्य प्रदेश के विभाजन के बाद छत्तीसगढ़ में पहले विधानसभा चुनाव 2003 के पूर्व मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण किया गया था। बता दें कि 22 वर्ष बाद इस साल दोबारा एसआइआर प्रस्तावित है। यहां बस्तर में भी इसकी तैयारी शुरू हो चुकी है। हालांकि भारत निर्वाचन आयोग ने अभी इसके लिए कार्यक्रम विवरण जारी नहीं किया है। निर्वाचन आयोग से मिले दिशा निर्देशों के अनुसार हाल ही में बूथ लेवल आफिसर्स (बीएलओ) को पहले चरण का प्रशिक्षण दिया गया है। बस्तर जिले में 783 मतदान केंद्र और इतने की बूथ लेवल आफिसर्स हैं जो इस कार्य को करेंगे। जिले में साढ़े छह लाख से अधिक मतदाता हैं। जिला निर्वाचन कार्यालय में कार्यरत रहे कुछ पुराने कर्मचारियों से चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि एसआइआर सामान्य प्रक्रिया है और पहले भी हो चुकी है। मतदाता सूची के पुनरीक्षण के लिए दो प्रविधान है। विशेष गहन पुनरीक्षण अर्थात एसआइआर और दूसरा विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण। 2003 में विशेष गहन पुनरीक्षण किया गया था। इसके बाद प्रति वर्ष और विशेषकर विधानसभा, लोकसभा चुनाव से पहले विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण अभियान चलाकर मतदाता सूची को अपडेट किया जाता रहा है। इसके तहत नाम जोड़ने, विलोपित करने, निवास पता की जानकारी परिवर्तित करने आदि किया जाता है। विशेष गहन पुनरीक्षण में एक-एक मतदाता का नए सिरे से दस्तावेजी साक्ष्य के आधार पर सत्यापन का प्रविधान है। इससे गलत जानकारी देकर मतदाता सूची में नाम जुड़वाने वाले बाहर हो जाएंगे। चुनाव कार्यालय में लंबे समय तक कार्य कर चुके सेवा निवृत कर्मचारियों-अधिकारियों की माने तो पांच वर्ष में एक बार एसआइआर जरूर होना चाहिए। 2003 और 2025 की सूची की जांच होगी बताया गया कि एसआइआर में 2003 और 2025 की मतदाता सूची की जांच की जाएगी। प्रशिक्षण में बीएलओ को एक प्रपत्र दिया गया है। जिसमें ऐसे मतदाता जिनका नाम दोनों मतदाता सूची में हैं उनकी सूची तैयार की जाएगी। ऐसे मतदाता जिनका नाम 2025 की मतदाता सूची में हैं लेकिन 2003 की सूची में नहीं है उनकी पहचान की जाएगी। 2025 की सूची में शामिल ऐसे मतदाता जिनके माता-पिता में किसी का भी नाम 2003 की सूची में शामिल है उनकी सूची भी तैयार की जाएगी। ऐसे मतदाताओं के साथ कोई दिक्कत नहीं है उनका सत्यापन बीएलओ सूची तैयार करने के बाद घर-घर जाकर करेंगे। ऐसे मतदाता जो 2003 के बाद जुड़े हैं और उनके माता-पिता में किसी का नाम पुरानी सूची में नहीं है उन्हें अपनी यहां का निवासी होने और पहचान स्थापित करने के लिए आवश्यक दस्तावेज जमा करना होगा।