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शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे ब्रह्मोस की पहली खेप का फ्लैग ऑफ

लखनऊ यूनिट से रवाना होगी ब्रह्मोस की पहली खेप, स्वदेशी रक्षा उत्पादन को मिलेगी नई उड़ान शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे ब्रह्मोस की पहली खेप का फ्लैग ऑफ उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर के लिए होगा ऐतिहासिक अवसर , यूपी बनेगा एयरोस्पेस और डिफेंस का हब कार्यक्रम के माध्यम से मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड में उत्तर प्रदेश बनेगा सशक्त साझेदार बूस्टर, एयरफ्रेम और वारहेड भवन के प्रदर्शन के साथ दिखाई देगी तकनीकी नवाचार की झलक डीजी ब्रह्मोस की ओर से मुख्यमंत्री को सौंपा जाएगा चेक और जीएसटी बिल, राज्य को मिलेगा राजस्व लाभ लखनऊ  उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ शनिवार को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचने जा रही है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरोजिनी नगर स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट से तैयार की गई ब्रह्मोस मिसाइलों के पहले बैच का फ्लैग ऑफ करेंगे। यह दिन न केवल उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (UPDIC) के लिए मील का पत्थर साबित होगा, बल्कि भारत की रक्षा उत्पादों में आत्मनिर्भरता के संकल्प को भी नई ऊर्जा प्रदान करेगा।  ब्रह्मोस एयरोस्पेस, जो विश्व की सबसे तेज और घातक सटीक प्रहार क्षमता वाली “ब्रह्मोस” सुपरसोनिक मिसाइल प्रणाली की निर्माता है, ने लखनऊ की नई इंटीग्रेशन एंड टेस्ट सुविधा से मिसाइल सिस्टम की पहली खेप सफलतापूर्वक तैयार कर ली है। यह अत्याधुनिक यूनिट 11 मई 2025 को उद्घाटन के बाद पूरी तरह संचालन में आई थी। यहां मिसाइल इंटीग्रेशन, टेस्टिंग और अंतिम गुणवत्ता परीक्षण की सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। सफल परीक्षण के बाद मिसाइलें भारतीय सशस्त्र बलों के लिए तैनाती हेतु तैयार की जाती हैं।  विभिन्न कार्यक्रमों का होगा आयोजन कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री बूस्टर भवन का उद्घाटन करेंगे तथा बूस्टर डॉकिंग प्रक्रिया का प्रदर्शन भी देखेंगे। इसी क्रम में एयरफ्रेम और एवियोनिक्स, वारहेड भवन में पीडीआई (प्री डिस्पैच इंस्पेक्शन) तथा ब्रह्मोस सिम्युलेटर उपकरणों का प्रेजेंटेशन किया जाएगा। इसके अलावा वृक्षारोपण कार्यक्रम, स्टोरेज ट्रॉली प्रदर्शन, जीएसटी बिल प्रस्तुतीकरण और मोबाइल ऑटोनमस लॉन्चर का प्रदर्शन भी इस अवसर पर आयोजित होगा। कार्यक्रम के दौरान डीजी (ब्रह्मोस) डॉ. जयतीर्थ आर. जोशी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक चेक और जीएसटी बिल सौंपेंगे, जिससे राज्य सरकार को राजस्व प्राप्त होगा। ब्रह्मोस मिसाइलों के उत्पादन से उत्तर प्रदेश को निरंतर जीएसटी आय प्राप्त होगी और उच्च कौशल वाले युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। डिफेंस कॉरिडोर की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना सरोजिनी नगर के भटगांव स्थित अत्याधुनिक ब्रह्मोस यूनिट उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर की सबसे महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक है। यहां मिसाइलों के असेंबली, इंटीग्रेशन और टेस्टिंग का कार्य उच्च तकनीकी मानकों के अनुरूप किया जाता है। इस यूनिट से पहली खेप के रवाना होने के साथ ही प्रदेश ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ के अभियान में एक सशक्त साझेदार बन गया है। लखनऊ ब्रह्मोस यूनिट उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर की पहली ऐसी सुविधा है, जहां मिसाइल सिस्टम के निर्माण से लेकर अंतिम परीक्षण तक की पूरी प्रक्रिया देश में ही की जाती है। यह परियोजना न केवल रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रदेश में रोजगार, निवेश और तकनीकी नवाचार के नए अवसर भी सृजित कर रही है। उत्तर प्रदेश बनेगा भारत का अगला एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण हब  ब्रह्मोस एयरोस्पेस ने भारतीय सशस्त्र बलों की बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी उत्पादन क्षमता में तेजी से विस्तार किया है। लखनऊ का यह मैन्युफैक्चरिंग सेंटर न केवल भारतीय सेना की आवश्यकताओं को समयबद्ध रूप से पूरा करेगा, बल्कि आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय निर्यात बाजार की मांगों को भी पूरा करने में सक्षम होगा। लखनऊ में स्थापित यह समर्पित ब्रह्मोस यूनिट उत्तर प्रदेश को भारत के अगले एयरोस्पेस और रक्षा विनिर्माण हब के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। यहां विकसित की जा रही अत्याधुनिक तकनीकें भविष्य में ब्रह्मोस एयरोस्पेस को और भी उन्नत वेरिएंट के मिसाइल सिस्टम विकसित करने में मदद करेंगी।

BrahMos का नया वेरिएंट: भारत-रूस की साझेदारी से बनेगी Mach 4.5 रफ्तार की मिसाइल, रक्षा क्षमता में वृद्धि

नई दिल्ली भारत और रूस की रक्षा साझेदारी एक नए मुकाम पर पहुंच गई है. दोनों के बीच हुई 800 मिलियन डॉलर की ‘घातक’ डील अब दुनिया के हथियार बाजार में हलचल मचा रही है. दोनों देशों की ज्वाइंट प्रोजेक्ट ब्रह्मोस एयरोस्पेस अब ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल को और भी घातक और तेज बनाने पर काम कर रही है. मौजूदा ब्रह्मोस की स्पीड जहां मैक-3 है, वहीं नए वेरिएंट को मैक-4.5 (Mach 4.5) की रफ्तार से उड़ने के लिए तैयार किया जा रहा है. यह अपग्रेड आने वाले दशकों तक भारत को विश्व स्तर पर बढ़त दिलाने वाला साबित हो सकता है. बताया जा रहा है कि यह अपग्रेड मिसाइल के रैमजेट इंजन (Ramjet Engine) को और शक्तिशाली बनाकर किया जाएगा. इससे इसकी मारक क्षमता 450 से 800 किलोमीटर तक बनी रहेगी. लेकिन रफ्तार दुश्मन के किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम को मात देने वाली होगी. यही नहीं इस मिसाइल की अंतरराष्ट्रीय मांग भी और अधिक बढ़ने की उम्मीद है. रैमजेट इंजन होगा और ताकतवर इस प्रोजेक्ट में रूस के वैज्ञानिक और भारत की DRDO (Defence Research and Development Organisation) मिलकर काम कर रहे हैं. इसका फोकस नए हाई-टेम्परेचर अलॉय और स्पेशल फ्यूल पर है, ताकि इतनी तेज गति पर भी इंजन और एयरफ्रेम सही तरह से काम करता रहे. मौजूदा एयरफ्रेम रहेगा कारगर विशेषज्ञों का कहना है कि मौजूदा ब्रह्मोस का एयरफ्रेम इतना मजबूत है कि वह बिना बड़े बदलाव के मैक-4.5 की रफ्तार झेल सकता है. हालांकि इतनी रफ्तार पर तापमान और दबाव से निपटने के लिए नई सामग्री का इस्तेमाल करना होगा. 2030 तक होगा तैयार जानकारी के मुताबिक, अपग्रेडेड ब्रह्मोस का ग्राउंड टेस्ट अगले तीन साल में शुरू हो सकता है. इसके बाद उड़ान परीक्षण और इंटीग्रेशन किया जाएगा. अनुमान है कि यह नया वेरिएंट 2030 की शुरुआत तक तैनाती के लिए तैयार हो जाएगा. दुश्मनों के पास नहीं होगा जवाब मैक-4.5 स्पीड हासिल करने के बाद दुश्मन देशों के पास मिसाइल को इंटरसेप्ट करने का वक्त नहीं बचेगा. यह किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम के लिए चुनौती होगी. साथ ही, इसकी हिट एनर्जी इतनी ज्यादा होगी कि यह अंडरग्राउंड बंकर, नौसैनिक जहाज और कमांड सेंटर्स तक को तबाह कर सकेगी. फिलहाल ब्रह्मोस मिसाइल को फिलीपींस और इंडोनेशिया जैसे देशों ने खरीदा है. लेकिन नए वेरिएंट के आने के बाद अन्य देशों से भी बड़े ऑर्डर मिलने की संभावना है. यह भारत को हथियारों के वैश्विक बाजार में और मजबूत करेगा.  

नई टेंशन अलर्ट: ब्रह्मोस मिसाइल से भारत ने चीन को दिया सशक्त संदेश

नई दिल्ली ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों की ताकत पूरी दुनिया ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देखी है। इन मिसाइलों की मदद से भारत ने पाकिस्तान को महज कुछ ही दिनों में घुटने पर ला दिया। अब चीन के एक पड़ोसी देश को भारत ब्रह्मोस मिसाइलों की तीसरी खेप देने जा रहा है। यह देश फिलीपींस है। भारत की ओर से फिलीपींस को कई ब्रह्मोस मिसाइलें मिलने की वजह से चीन की टेंशन बढ़ गई है। इससे पहले, पिछले साल की शुरुआत में भारत ने चीन को पहली और फिर इस साल मिसाइलों की दूसरी खेप भेजी थी। दोनों देशों के बीच साल 2022 में 375 मिलियन डॉलर का करार हुआ था, जिसके तहत भारत की ओर से फिलीपींस को सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें दी जानी थीं। ब्रह्मोस एयरोस्पेस संयुक्त उद्यम के सीईओ और प्रबंध निदेशक जयतीर्थ जोशी ने इंडिया टुडे को बताया, "रॉकेट तैयार हैं। हम उन्हें समय पर डिलिवर कर देंगे।" फिलीपींस को ये मिसाइलें उस समय दी जा रही हैं, जब पिछले कुछ सालों से दक्षिण चीन सागर में तनाव बढ़ा है। चीन इस सागर पर अपना हक जमाता है, जिसकी वजह से अमेरिका जैसे देशों से भी उसका विवाद हो चुका है। फिलीपींस इन मिसाइलों को किसी भी खतरे से बचने के लिए तटीय क्षेत्रों में ही तैनात किया जाएगा। ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत यह एक सुपरसोनिक मिसाइल है, जो ध्वनि की गति से भी तेज उड़ती है। इससे दुश्मनों के रडार को इसे ट्रैक करने में काफी मुश्किल आती है और यह लक्ष्यों को भेदने में कामयाब रहती है। एक बार लॉन्च किए जाने के बाद मिसाइल को किसी इंसानों के इनपुट की जरूरत नहीं पड़ती है। इसकी रेंज की बात करें तो पहले यह 290 किलोमीटर तक की थी, लेकिन अब इसे बढ़ाकर 450 से 800 किलोमीटर तक कर दिया गया है। इन्हीं मिसाइलों के जरिए ऑपरेशन सिंदूर में रावलपिंडी, सरगोधा, भोलारी और नूर खान एयरबेस को निशाना बनाया था।