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दिल्ली दंगों के आरोपियों की रोक लगाने की याचिका खारिज, अब जल्द रिलीज होगी विवादित फिल्म

नई दिल्ली/ इंदौर  भारत की पहली वन-शॉट हिंदी फीचर फिल्म ‘2020 दिल्ली’ अब 14 नवंबर 2025 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है। यह फिल्म पूरी तरह इंदौर में शूट की गई है। फिल्म को लेकर लंबे समय से विवाद और विरोध चलते रहे, लेकिन आखिरकार दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी याचिकाएं खारिज करते हुए इसे रिलीज की हरी झंडी दे दी।दिल्ली दंगों के 7 आरोपियों ने हाईकोर्ट में फिल्म पर रोक लगाने की अपील की थी। वहीं, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने फिल्म की तारीफ की है। उन्होंने कहा कि इस तरह की फिल्म बनती रहना चाहिए। CAA का मुद्दा तो उस दौरान भी सही था और आज भी सही है। आरोपियों की रोक लगाने की मांग खारिज दिल्ली दंगों से जुड़े सात आरोपियों ने कोर्ट में फिल्म पर रोक लगाने की अपील की थी। उनका कहना था कि फिल्म से लोगों की नजरों में उनके खिलाफ नकारात्मक छवि बनेगी। लेकिन हाईकोर्ट ने साफ कह दिया कि रचनात्मक आज़ादी पर रोक नहीं लगाई जा सकती। फिल्म को सेंसर बोर्ड से UA 16+ सर्टिफिकेट मिला है।  दंगों के आरोपियों ने क्यों की थी बैन की मांग भारतीय सिनेमा में एक नया कीर्तिमान स्थापित करते हुए, पूरी तरह से इंदौर में शूट की गई देश की पहली वन-शॉट हिंदी फीचर फिल्म “2020 दिल्ली” 14 नवंबर, 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार है। देवेंद्र मालवीय द्वारा निर्देशित यह फिल्म अपनी अनूठी तकनीक और संवेदनशील विषय के कारण रिलीज से पहले ही काफी विवादों में घिर गई थी, लेकिन अंततः सेंसर बोर्ड और दिल्ली हाईकोर्ट से इसे हरी झंडी मिल गई है। विवादों और कानूनी लड़ाई को पार किया निर्देशक देवेंद्र मालवीय ने बताया कि फिल्म का ट्रेलर सामने आते ही इस पर राजनीतिक बहस छिड़ गई थी। कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने इसे “भाजपा का प्रोपेगेंडा” बताते हुए चुनाव आयोग से इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। इसके अलावा, दिल्ली दंगों के सात आरोपियों, जिनमें शरजील इमाम भी शामिल हैं, ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कर फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग की। उनका तर्क था कि फिल्म उनके खिलाफ जनमानस में पूर्वाग्रह पैदा कर सकती है। हालांकि, कोर्ट ने रचनात्मक स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए सभी सात याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसके बाद सेंसर बोर्ड ने फिल्म को UA 16+ सर्टिफिकेट प्रदान किया। भारतीय सिनेमा में एक नया कीर्तिमान “2020 दिल्ली” को बिना किसी कट के एक ही टेक में शूट किया गया है, जिसकी कुल अवधि 2 घंटे 16 मिनट है। यह भारतीय सिनेमा में अपनी तरह का पहला प्रयोग है। अब तक इस तकनीक का इस्तेमाल केवल हॉलीवुड और वर्ल्ड सिनेमा में ही देखा गया है। फिल्म का लेखन, निर्देशन और निर्माण देवेंद्र मालवीय ने किया है। मध्य प्रदेश की प्रतिभा को मिला मंच यह फिल्म मध्य प्रदेश के फिल्म उद्योग के लिए एक मील का पत्थर मानी जा रही है। इसकी पूरी शूटिंग इंदौर में हुई है और इसमें 300 से अधिक स्थानीय कलाकारों और तकनीशियनों ने काम किया है। फिल्म का पोस्ट-प्रोडक्शन और संगीत भी इंदौर में ही तैयार किया गया है, जो स्थानीय प्रतिभा को बढ़ावा देने का एक बड़ा उदाहरण है। CAA और दिल्ली दंगों पर आधारित कहानी फिल्म की कहानी नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA), पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थियों की पीड़ा और 2020 में हुए दिल्ली दंगों की घटनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म यह दर्शाने का प्रयास करती है कि कैसे CAA के विरोध की आड़ में देश के खिलाफ एक वैचारिक और सांस्कृतिक हमला किया गया। आय का हिस्सा हिंदू शरणार्थियों को निर्देशक देवेंद्र मालवीय ने घोषणा की है कि फिल्म से होने वाली आय का एक हिस्सा पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए दान किया जाएगा। उन्होंने कहा, “यह फिल्म प्रोपेगेंडा नहीं, बल्कि मेरी 5 साल की मेहनत और सच्चाई का पक्ष है।” बुधवार को भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने फिल्म का शीर्षक गीत “युद्ध कर” लॉन्च किया, जिसे संस्कृत और हिंदी शब्दों में लिखा गया है।  डायरेक्टर बोले- हमने पूरी ताकत लगाई फिल्म के लेखक, डायरेक्टर और निर्माता देवेंद्र मालवीय का कहना है कि शुरुआत से ही फिल्म को लेकर उनका अनुभव शानदार रहा। लेकिन जब विवाद खड़ा हुआ तो टीम ने और ज्यादा मेहनत की। उन्होंने कहा – “कुछ लोग किसी भी हाल में इस फिल्म को रोकना चाहते थे, लेकिन हमने हिम्मत नहीं हारी। आखिरकार हमारी मेहनत रंग लाई।” “बीमारी का इलाज नाम लेने से ही होता है” देवेंद्र मालवीय ने फिल्म के विरोध करने वालों पर तंज कसते हुए कहा कि अगर किसी बीमारी का नाम ही न लिया जाए तो उसका इलाज कैसे होगा? इसी तरह समाज की समस्याओं पर खुलकर बात करना ज़रूरी है। विजयवर्गीय ने की तारीफ, टैक्स फ्री कराने का वादा भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने फिल्म के टाइटल सॉन्ग ‘युद्ध कर’ को लॉन्च किया। इस गीत को हिंदी और संस्कृत शब्दों में लिखा गया है और इसे भी डायरेक्टर मालवीय ने ही लिखा है। विजयवर्गीय ने कहा कि वह चाहते हैं यह फिल्म ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार से बात कर फिल्म को टैक्स फ्री कराने की कोशिश करेंगे। इंदौर से निकली आग पूरे देश में फैलेगी विजयवर्गीय ने कहा कि यह गर्व की बात है कि इंदौर के निर्देशक ने इतनी बड़ी फिल्म बनाई है। उन्होंने कहा – “फिल्म में जो आग दिखाई गई है, वह इंदौर से उठकर पूरे देश में असर दिखाए।”

CAA : केंद्र ने लिया महत्वपूर्ण निर्णय, अल्पसंख्यक नागरिकों की भारत में रहने की अवधि बढ़ी

नई दिल्ली केंद्र सरकार ने धार्मिक उत्पीड़न से बचकर भारत आए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों को बड़ी राहत दी है. गृह मंत्रालय ने एक आदेश में कहा कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के वे लोग, जो 31 दिसंबर 2024 तक भारत आए हैं, उन्हें पासपोर्ट या अन्य ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स के बिना भी देश में रहने की अनुमति दी जाएगी. यह आदेश इमीग्रेशन एंड फॉरेनर्स एक्टर, 2025 के तहत जारी किया गया है. इसके तहत उन लोगों को राहत मिलेगी जो मान्य पासपोर्ट और वीजा के बिना भारत में आए या जिनके डॉक्यूमेंट्स की वैधता खत्म हो चुकी है. गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि ऐसे लोग जो धार्मिक उत्पीड़न या उसके भय से भारत आए और 31 दिसंबर 2024 तक देश में दाखिल हुए, उन्हें पासपोर्ट और वीजा रखने के नियम से छूट दी जाएगी. पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत आए अल्पसंख्यकों के पासपोर्ट नियमों में बदलाव किया गया है। गृह मंत्रालय ने आदेश जारी करते हुए कहा कि 31 दिसंबर 2024 से पहले इन तीन देशों से भारत आने वाले अल्पसंख्यकों को पासपोर्ट दिखाने की जरूरत नहीं है। वो बिना पासपोर्ट के भी देश में रह सकते हैं। यह आदेश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए 6 अल्पसंख्यकों – हिंदू, ईसाई, सिक्ख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों पर लागू होगा। अगर यह लोग 21 दिसंबर 2024 से पहले भारत में आए हैं, तो ये बिना पासपोर्ट के यहां रह सके हैं। नेपाल-भूटान के नागरिकों पर भी लागू होगा नियम गृह मंत्रालय ने  Immigration and Foreigners (Exemption) Order 2025 जारी किया है। इस आदेश के अनुसार, 1959 से 30 मई 2003 तक नेपाल, भूटान और तिब्बत से भारत आए लोगों को विदेशी रजिस्ट्रेशन ऑफिसर के पास अपना नाम रजिस्टर करवाना होगा, जिसके बाद वो भी बिना पासपोर्ट के भारत में रह सकते हैं। हालांकि, चीन, मकाउ, हांगकांग और पाकिस्तान से भारत आने वाले नेपाली और भूटानी नागरिकों पर यह नियम लागू नहीं होंगे। गौरतलब है कि सीएए, पिछले साल लागू हुआ था. इसके तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों – हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई – को, अगर वे 31 दिसंबर 2014 तक भारत आ चुके हैं, तो भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. कई लोग 2014 के बाद भी धार्मिक उत्पीड़न से बचकर भारत आए थे. इनमें खासतौर पर पाकिस्तान से आए हिंदुओं की संख्या अधिक है. ऐसे लोगों के लिए यह आदेश बड़ी राहत लेकर आया है क्योंकि अब उन्हें देश में रहने के लिए पासपोर्ट या वीजा की वैधता दिखाने की जरूरत नहीं होगी. गृह मंत्रालय ने आदेश में क्या कहा?     31 दिसंबर 2024 तक भारत आए अल्पसंख्यक समुदायों को पासपोर्ट और वीजा की अनिवार्यता से छूट दी जाएगी.     चाहे वे लोग बिना डॉक्यूमेंट्स आए हों या वैध डॉक्यूमेंट्स लेकर आए हों जिनकी अब वैधता समाप्त हो चुकी है.     यह छूट विशेष रूप से उन लोगों को दी गई है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है. क्यों अहम है यह फैसला? यह कदम हजारों लोगों की चिंता दूर करेगा, खासकर पाकिस्तान से आने वाले हिंदू परिवारों को राहत मिलेगी. अब वे देश में बिना किसी कानूनी डर के रह सकेंगे. हालांकि, नागरिकता का अधिकार फिलहाल CAA के प्रावधानों के अनुसार 2014 तक आने वालों को ही मिलेगा, लेकिन 2014 के बाद आए लोगों के लिए यह आदेश भारत में रहने को लेकर एक बड़ी सुरक्षा कवच साबित होगा.