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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा – लोन चुकता होते ही बंधक संपत्ति मॉर्टगेज या डबल मॉर्टगेज से हो जाएगी मुक्त

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि उद्योगों के हित में ही राष्ट्र का हित निहित है। लघु और कुटीर उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। सीमित संसाधनों का समुचित उपयोग कर हम इन उद्योगों के विकास की ओर बढ़ रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि स्वतंत्रता के अमृत काल में लघु उद्योग भारती के प्रदेश कार्यालय का लोकार्पण हमारे उत्कर्ष को दर्शाता है। उद्योगों के विकास के लिए हमें पूरे देश के परिदृश्य में सोचना होगा। सभी जगह समान रूप से उद्योग लगाने होंगे, तभी संतुलित विकास हो सकेगा। देश हित में हम सब मिलजुलकर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि हम उद्योगों को विस्तार देने के लिए उद्योगपतियों के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगे। हमने समाज के सभी वर्गों का बराबर ध्यान रखा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार को लघु उद्योग भारती के गोविंदपुरा औद्योगिक प्रक्षेत्र में नवनिर्मित प्रदेश कार्यालय के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने लघु उद्योग भारती के करीब 4 करोड़ रुपए की लागत से नवनिर्मित प्रदेश कार्यालय भवन 'उद्यम सेतु'का वैदिक मंत्रोच्चार के बीच फीता काटकर लोकार्पण किया।लोकार्पण अवसर पर लघु उद्योग भारती का द्वि-वार्षिक प्रादेशिक सम्मेलन और स्टार्टअप एवं लघु उद्यमी महाकुंभ-2025 भी आयोजित किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अन्य अतिथियों के साथ लघु उद्योग भारती के नए ब्रोशर का विमोचन भी किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने घोषणा की कि किसी भी प्रकार का संस्थागत या बैंक लोन चुकता होते ही संबंधित बंधक संपत्ति मॉर्टगेज या डबल मॉर्टगेज से मुक्त हो जाएगी। इस प्रावधान का लाभ हम सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम उद्योगों (एमएसएमई इंडस्ट्री) को भी देंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेश में लघु उद्योगों की स्थापना और इससे जुड़ी सभी कठिनाइयों का समुचित हल भी निकाला जायेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हम एमएसएमई उद्योगों की स्थापना से जुड़ी सभी प्रकार की अनुमतियां को समयबद्ध कार्य योजना की अनुरूप समय-सीमा में देने का प्रावधान करने जा रहे हैं। प्रदेश में रोजगार आधारित उद्योग लगाने वाले उद्योगपतियों को प्रोत्साहन दे रहे हैं। प्रदेश में नया आईटीआई पॉलिटेक्निक कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने के लिए भी नीति से प्रावधान अनुसार सब्सिडी दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम प्रदेश में रिसर्च वर्क को बढ़ावा देने के लिए आगे आ रहे हैं। आईआईटी इंदौर में शोध कार्यों के लिए देशी और विदेशी शिक्षण संस्थानों के स्टडी सेंटर के लिए हमारी चर्चा चल रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार लघु उद्योगों के साथ हमेशा साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमें लघु उद्योगों को पुनर्जीवित करना होगा। इसी से हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा है कि विरासत से विकास का सबसे सटीक उदाहरण भारतीय लघु उद्योग ही हैं। यह कारोबार नहीं, बल्कि करोड़ों परिवारों की आशा, आत्म-सम्मान और आर्थिक स्वावलंबन का आधार हैं। जैसे शरीर की मजबूती रीढ़ पर टिकी होती है, वैसे ही भारत की अर्थव्यवस्था की मजबूती लघु उद्योगों पर टिकी है। लघु उद्योग सिर्फ कारखाने नहीं हैं, ये रोज़गार के सबसे बड़े निर्माता हैं। एमएसएमई वह पुल है, जो मेहनतकश हाथों को बड़े बाज़ारों से जोड़ता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज भारत में 6 करोड़ से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) हैं, जो देश की जीडीपी में लगभग 30 प्रतिशत से अधिक योगदान देते हैं और कुल निर्यात में 45 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं। आज हम विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाए हैं, तो इसमें एक बड़ा योगदान लघु उद्योगों का ही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का "मेक इन इंडिया" और "वोकल फॉर लोकल" का आव्हान हमें बताता है कि आत्मनिर्भर भारत का मार्ग बड़े -बड़े उद्योगों से नहीं, बल्कि घर-घर की चौखट से चलने वाले छोटे उद्योगों से ही निकलता है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री ने माइक्रो, स्माल और मीडियम इंटरप्राइजेज को मैक्सिमम स्पोर्ट देने की बात कहीं है, जिससे ये सभी उद्योग मैक्सिमम ग्रोथ हासिल कर सकें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि लघु उद्योग भारती से जुड़े लघु उद्योगपति केवल मुनाफे के लिए काम नहीं करते, गौरव, परंपरा और नवाचार को बढ़ावा देते हैं। आप हर छोटे उद्यमी की आवाज़ बन रहे हैं। आप संगठन में शक्ति को चरितार्थ कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि लघु उद्योगपति "दाम कम, दम ज्यादा" मंत्र के साथ अपनी विश्वसनीयता बनाएं, एक बार जो आपका प्रोडक्ट खरीदे, वो बार-बार खरीदें। तकनीकी से जुड़ें, मार्केटिंग सीखें, ऑनलाइन बाजार से जुड़ें। अपने उत्पादों को ई-कॉमर्स बेवसाइट से जोड़कर लोकल से ग्लोबल बनाएं। कौशल भारत अभियान और नई शिक्षा नीति इस दिशा में बड़ा कदम है। छोटे उद्योगों के केंद्र में हमारी मातृशक्ति है। लाड़ली बहनों की भागीदारी से न सिर्फ परिवार की आमदनी बढ़ती है, साथ ही समाज में आर्थिक आत्मनिर्भरता और सामाजिक सशक्तिकरण का मार्ग भी खुलता है। लघु उद्योग ही स्वदेशी का आधार हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2047 में जब भारत विकसित और आत्मनिर्भर होगा, उसमें लघु उद्योगों की भूमिका सबसे बड़ी होगी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा- बच्चे देश की अमूल्य धरोहर हैं

बागवानी संवर्धन और फ्लॉवर डेकोरेशन को बढ़ावा दे रही हमारी सरकार उज्जैन में समाज की धर्मशाला निर्माण के लिए देंगे सहायता राशि भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि बच्चे देश की अमूल्य धरोहर हैं। इनमें निहित असीमित प्रतिभाओं को निखारना और आगे बढ़ाना हम सबका दायित्व है। बच्चों और युवाओं की प्रतिभाएं ही देश को विकास पथ पर आगे ले जाती है। उन्होंने कहा कि बच्चे खूब पढ़े-लिखें और अपना भविष्य संवारें, सरकार हर घड़ी उनके साथ खड़ी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रायमरी कक्षा से लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को हमारी सरकार छात्रवृत्ति दे रही है। सबके रोजगार की व्यवस्था भी हम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम 1 लाख पदों पर भर्ती करने जा रहे हैं। अगले पांच साल में 2.50 लाख शासकीय पदों पर भर्ती करेंगे। पुलिस की भर्तियां भी जारी हैं। इस साल 7500 पदों पर भर्तियां निकाली हैं। पुलिस की भर्ती के लिए अलग से पुलिस भर्ती बोर्ड भी बनाया जा रहे हैं। अगले तीन साल में हर साल 7500 पदों पर भर्ती कर हम पुलिस विभाग के सभी रिक्त पदों की पूर्ति कर लेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रविवार को भोपाल स्थित हिन्दी भवन में फूल माली समाज के 16वें राज्यस्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समारोह में विभिन्न परीक्षाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने और प्रावीण्य सूची में स्थान पाने वाले फूल माली समाज के प्रतिभाशाली एवं मेधावी विद्यार्थियों को मंच से प्रशस्ति-पत्र और सम्मान निधि देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि फूल-माली समाज के व्यवसाय को बढ़ाने के लिए हमारी सरकार पुष्प कलाकारी (फ्लॉवर डेकोरेशन) को बढ़ावा दे रही है। अभी हाल ही में जन्माष्टमी में सरकार ने सभी श्री कृष्ण मंदिरों में पुष्प सज्जा के लिए आकर्षक पुरस्कार भी घोषित किए। उन्होंने कहा कि पुष्प और संस्कार दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। जिस तरह फूल सभी को प्रिय हैं, उसी प्रकार फूल-माली समाज भी सबका प्रिय है। खेती-किसानी और बागवानी का चोली-दामन का साथ है। किसान खेत में परिश्रम करता है और फूल माली समाज बागों में। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बागवानी संवर्धन के लिए भी राज्य सरकार अनेक कदम उठा रही है।  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि फूल माली समाज ने अपने परिश्रम, लगन और कर्मठता से एक अलग पहचान बनाई है। समाज के बच्चों और युवाओं ने अपनी प्रतिभा से न केवल प्रदेश, बल्कि देश-विदेश में भी नाम रोशन किया है। ऐसे होनहारों का सम्मान करना वास्तव में हम सबके लिए गर्व की बात है। मुख्यमंत्री ने बच्चों और युवाओं को कड़ी मेहनत, लगन और ईमानदारी से अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा कि वे बड़ा करने का सपना देखें। सपने पूरा करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार हमेशा उनके साथ है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि हमारी सरकार समाज के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, स्वरोजगार, व्यवसाय के साथ पुष्प श्रृंगार कला को और अधिक संवर्धन पर ध्यान दे रही है। राज्य सरकार सबका साथ-सबका विकास के साथ-साथ सबका विश्वास-सबका प्रयास के मूल मंत्र पर काम कर रही है। विकास की धारा से किसी भी समाज को वंचित नहीं रहने दिया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव का फूलमाली समाज के प्रतिनिधियों द्वारा पगड़ी पहनाकर स्वागत किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समाज के मांग-पत्र पर उज्जैन में समाज के लिए धर्मशाला निर्माण के लिए सहायता राशि दिए जाने और समाज की राष्ट्रीय विभूतियों को भारत रत्न दिए जाने के लिए समर्थन की मांग की गई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने उज्जैन में समाज की धर्मशाला के निर्माण के लिए हर संभव सहायता देने की बात कही। स्वागत उद्बोधन में फूल माली समाज के प्रादेशिक पदाधिकारी श्री हरिनारायण माली ने बताया कि समाज का यह 16वां प्रतिभा सम्मान समारोह है। समाज की गतिविधियों के विस्तार के लिए सरकार का साथ चाहिए। समारोह में पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती कृष्णा गौर, विधायक श्री भगवान दास सबनानी, नगर निगम अध्यक्ष श्री किशन सूर्यवंशी, समाजसेवी श्री रविन्द्र यति, श्री जी.पी. माली, श्री हरिनारायण माली, श्री भगवान भाई माली, श्रीमती शांति, श्री गीता प्रसाद,श्री नरेन्द्र राहुल सहित समाज के अन्य पदाधिकारी तथा बड़ी संख्या में समाजजन एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।  

प्रदेश के स्थापना दिवस पर राजधानी भोपाल में होगा सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

सम्मान समारोह के साथ सुगम संगीत और ड्रोन शो भी होगा मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने स्थापना दिवस समारोह की तैयारियों की ली जानकारी अधिक से अधिक युवाओं को कार्यक्रमों से जोड़ने के निर्देश भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गुरूवार को मंत्रालय में आयोजित बैठक में आगामी 1 नवंबर को मध्यप्रदेश स्थापना दिवस समारोह की तैयारियों की जानकारी प्राप्त की। प्रस्तावित कार्यक्रमों के अनुसार स्थापना दिवस कार्यक्रमों के अंतर्गत विभिन्न प्रस्तुतियां होंगी। भोपाल के लाल परेड मैदान में राज्य स्तरीय कार्यक्रम में सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन होगा। जनकल्याण, सुशासन और शौर्य के पर्याय सम्राट विक्रमादित्य के जीवन और योगदान से नागरिकों को महानाट्य के माध्यम से परिचित करवाने के लिए दक्ष कलाकार राजधानी आएंगे। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष नई दिल्ली में भी सम्राट विक्रमादित्य महानाट्य का मंचन सफलतापूर्वक हुआ है, जिसे व्यापक प्रशंसा मिली। इसके साथ ही स्थापना दिवस पर प्रख्यात कलाकारों द्वारा सुगम संगीत कार्यक्रम एवं ड्रोन-शो का आयोजन होगा। ड्रोन-शो के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के माध्यम से आवश्यक तैयारियां प्रारंभ की गई हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिक से अधिक संख्या में युवाओं को कार्यक्रम से जोड़ने के निर्देश दिए। मध्यप्रदेश स्थापना दिवस राजधानी से लेकर जिलों तक मनाया जाएगा मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राजधानी भोपाल सहित जिलों में होने वाले स्थापना दिवस कार्यक्रम के गरिमामय आयोजन के लिए आवश्यक तैयारी की जाए। नारी सशक्तिकरण के प्रतीक स्व-सहायता समूह की बहनों को भी आमंत्रित किया जाए। नागरिकों की व्यापक भागीदारी होना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने निर्देश दिए कि स्वास्थ्य सहित विभिन्न सेवा क्षेत्र में गतिविधियों का आयोजन किया जाए। प्रदेश के स्थापना दिवस का अवसर उल्लास और उमंग का अवसर है और इसमें हर व्यक्ति की सहभागिता होना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शिक्षा विभाग के सहयोग से सामान्य ज्ञान और अन्य स्पर्धाएं आयोजित की जाएं। राज्य शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन की जानकारी और प्रमुख उपलब्धियां भी जन-जन पहुंचे। इसके लिए प्रदर्शनी भी आयोजित की जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र, नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र, सुशासन और अन्य कई क्षेत्रों में नवाचार किए गए हैं। अनेक उपलब्धियां राज्य ने अर्जित की हैं। इन उपलब्धियां की जानकारी आम लोगों तक पहुंचना चाहिए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जिला पर्यटन परिषद को भी आयोजनों से जोड़ा जाए। बैठक में बताया गया कि भोपाल के लाल परेड मैदान पर राज्य स्तरीय कार्यक्रम के साथ ही जिला मुख्यालय पर भी स्थापना दिवस के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है। जिला स्तर पर जिला उत्पादों का प्रदर्शन और उत्कृष्ट कार्यो पर आधारित प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। सभी शासकीय भवनों में एक नवंबर को प्रकाश सज्जा की जाएगी। बैठक में मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, पुलिस महानिदेशक श्री कैलाश मकवाना, मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव श्री नीरज मंडलोई, प्रमुख सचिव पर्यटन श्री शिव शेखर शुक्ला, आयुक्त एवं सचिव जनसंपर्क डॉ. सुदाम खाड़े और अन्य संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।  

रेयर अर्थ एलिमेंट्स का भंडार MP में, चीन से आज़ादी की राह आसान: मुख्यमंत्री यादव

मध्यप्रदेश अब बनेगा क्रिटिकल मिनरल्स हब: मुख्यमंत्री डॉ. यादव रेयर अर्थ एलिमेंट्स का भंडार MP में, चीन से आज़ादी की राह आसान: मुख्यमंत्री यादव मध्यप्रदेश में मिला रेयर अर्थ एलिमेंट्स का भंडार, चीन पर निर्भरता होगी समाप्त: मुख्यमंत्री डॉ. यादव भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मध्यप्रदेश अब क्रिटिकल मिनरल्स हब बनेगा। मध्यप्रदेश ऊर्जा राजधानी के साथ क्रिटिकल मिनरल्स की राजधानी भी कहलाएगा। इसके साथ ही भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी देश बनेगा। सिंगरौली जिले में रेयर अर्थ एलिमेंट्स (आरईई) का अकूत भंडार मिलने से अब भारत की चीन जैसे देशों पर निर्भरता नहीं रहेगी। केन्द्रीय कोयला एवं खान मंत्री जी. किशन रेड्डी ने संसद में जानकारी दी थी कि भारत में पहली बार इतनी विशाल मात्रा में इन दुर्लभ तत्वों का पता चला है। यह उपलब्धि भारत को ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा तकनीक के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। भारत को आत्मनिर्भर बनाने की ओर बड़ा कदम रेयर अर्थ एलिमेंट्स को आधुनिक तकनीक का आधार कहा जाता है। अब तक भारत इन खनिजों के लिए चीन और अन्य देशों पर निर्भर रहा है। प्रदेश के सिंगरौली की यह खोज भारत को आयात-निर्भरता से मुक्त कर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनाएगी। आने वाले समय में यह खोज आत्मनिर्भर भारत अभियान को मजबूती देने के साथ ही औद्योगिक विकास को नई रफ्तार देगी। सिंगरौली : भविष्य का क्रिटिकल मिनरल हब कोल इंडिया लिमिटेड द्वारा किए गए शोध में सिंगरौली की कोयला खदानों और चट्टानों में REEs (जैसे स्कैंडियम, यिट्रियम आदि) की आशाजनक सांद्रता पाई गई है। कोयले में इनकी औसत मात्रा 250 पीपीएम और गैर-कोयला स्तर पर लगभग 400 पीपीएम आंकी गई है। जुलाई 2025 में इस खोज की आधिकारिक घोषणा हुई। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में कोयले की राख और ओवरबर्डन भी क्रिटिकल मिनरल्स का सैकण्डरी स्रोत बन सकते हैं। आईआरईएल के साथ सहयोग रेयर अर्थ एलिमेंट्स की खोज को देखते हुए राज्य सरकार अब इनके प्रसंस्करण और शोध-अन्वेषण के लिए बेसिक इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में जुटी है। हाल ही में खनिज संसाधन विभाग के प्रतिनिधिमंडल ने इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड (आईआरईएल) की भोपाल इकाई का दौरा किया और संभावित सहयोग पर चर्चा की। विभाग रेयर अर्थ एलिमेंट्स पर सेंटर ऑफ एक्सीलेंस स्थापित करने की संभावनाएं तलाश रहा है, जो अनुसंधान, प्रशिक्षण और उद्योग को विश्वस्तरीय आधार प्रदान करेगा। वैश्विक नेतृत्व की ओर भारत सिंगरौली जिले में मिले इस खजाने से भारत ग्रीन एनर्जी, इलेक्ट्रिक वाहनों और उच्च तकनीकी उद्योगों में आत्मनिर्भर बनेगा। आने वाले वर्षों में मध्यप्रदेश केवल ऊर्जा राजधानी ही नहीं बल्कि क्रिटिकल मिनरल्स की राजधानी भी कहलाएगा। चीन पर निर्भरता समाप्त होगी और भारत वैश्विक मंच पर शक्तिशाली देश के रूप में स्थापित होगा। प्रमुख स्रोत और भूगर्भीय संरचनाएँ रेयर अर्थ एलिमेंट्स प्राकृतिक रूप से कई खनिज संरचनाओं में पाए जाते हैं। इनमें बास्टनेसाइट, जेनोटाइम, लोपेराइट और मोनाजाइट प्रमुख हैं। भारत के तटीय क्षेत्रों की रेत और अपक्षयित ग्रेनाइट मिट्टी भी इन तत्वों से समृद्ध मानी जाती है। रेयर अर्थ एलिमेंट्स के उपयोग रेयर अर्थ एलिमेंट्स का उपयोग अनेक आधुनिक उद्योगों में किया जाता है, इसमें प्रमुख हैं:-     रक्षा और अंतरिक्ष तकनीक : सैमरियम-कोबाल्ट और नियोडिमियम चुम्बक उच्च-प्रदर्शन वाले हथियारों, उपग्रह संचार और रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स में अनिवार्य हैं।     पेट्रोलियम उद्योग : लैंथेनम और सेरियम का उपयोग ऑटोमोटिव कैटेलिटिक कन्वर्टर्स और रिफाइनिंग में उत्सर्जन कम करने में होता है।     स्थायी चुम्बक : नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन तथा सैमरियम-कोबाल्ट चुम्बक इलेक्ट्रिक वाहनों और पवन ऊर्जा संयंत्रों के लिए आवश्यक हैं।     डिस्प्ले और प्रकाश उपकरण : यूरोपियम, टर्बियम और यिट्रियम एलईडी, एलसीडी और फ्लैट पैनल डिस्प्ले में उपयोग में आते हैं। कैमरा और स्मार्टफोन लेंस 50% तक लैथेनम से निर्मित होता है।     ऑटोमोबाइल सेक्टर : हाइब्रिड वाहनों की बैटरियों में लैथेनम आधारित मिश्र धातुओं का प्रयोग होता है।     इस्पात और मिश्रधातु : मिशमेटल (सेरियम, लैथेनम, नियोडिमियम और प्रेजोडायमियम का मिश्रण) इस्पात की गुणवत्ता सुधारने में उपयोगी है।     स्वास्थ्य क्षेत्र : गैडोलीनियम MRI स्कैन में कंट्रास्ट एजेंट के रूप में प्रयोग होता है, जबकि ल्यूटेटियम और यिट्रियम समस्थानिक कैंसर उपचार और PET इमेजिंग में सहायक हैं।  

मध्यप्रदेश की नदियाँ हैं भारत की संस्कृति की धारा, मुख्यमंत्री डॉ. यादव

मध्यप्रदेश की नदियाँ भारत की सनातन संस्कृति की संवाहक : मुख्यमंत्री डॉ. यादव मध्यप्रदेश है नदियों का मायका भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारत का हृदय मध्यप्रदेश, यहां के अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य और अथाह, अविरल जल राशि के लिए समूचे विश्व में जाना जाता है। मध्यप्रदेश में बहने वाली नदियां भारत की सनातन संस्कृति की संवाहक हैं, जिनके किनारे सदियों से हमारी शाश्वत सभ्यता फल फूल रही है। यहाँ की पहचान केवल प्राचीन धरोहरों, मंदिरों, किलों और जनजातीय संस्कृति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यहाँ की छोटी-बड़ी 750-800 नदियों से भी है।प्रदेश की इस समृद्ध जल राशि के कारण ही मध्यप्रदेश को ‘नदियों का मायका’ कहा जाता है। मध्यप्रदेश से उद्गमित छोटी-बड़ी नदियाँ, गंगा, नर्मदा, ताप्ती, गोदावरी, माही और महानदी जैसे विशाल नदी प्रवाह तंत्रों में समाहित होकर पूरे भारत की जीवन-रेखा बनाती हैं। मध्यप्रदेश की नदियाँ केवल भौतिक जल स्रोत नहीं, बल्कि संस्कृति की वाहक भी हैं। नदियों के किनारे प्राचीन नगरों, धार्मिक स्थलों और व्यापारिक मार्गों का विकास हुआ। क्षिप्रा नदी के तट पर बसा उज्जैन प्राचीन समय से ही खगोल विज्ञान और श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लंग के कारण धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है। प्राचीन उज्जयिनी सिंहस्थ ‘कुंभ’ समागम का तीर्थ क्षेत्र भी है। नर्मदा नदी के तट पर बसे महेश्वर और ओंकारेश्वर शहर शैव परंपरा के प्रमुख तीर्थ-स्थल हैं। ओंकारेश्वर 12 ज्योर्तिलिंगों में एक है। बेतवा नदी के तट औऱ प्रवाह क्षेत्र के ओरछा, सांची और विदिशा मध्यकालीन भारत की सांस्कृतिक यशोगाथा के प्रतीक होने के साथ ही बौद्ध संस्कृति के उदयावसान के साक्षी भी रहे हैं। मध्यप्रदेश का अधिकांश भूभाग विंध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियों से आच्छादित है। यही कारण है कि यह अनेक महत्वपूर्ण नदियों का उद्गम स्थल है। नर्मदा और ताप्ती पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ हैं, जबकि सोन, क्षिप्रा, चंबल, बेतवा उत्तर और पूर्व की ओर बहकर अपनी अथाह जलराशि के साथ गंगा-यमुना में समाहित हो जाती हैं। माही, वैंगंगा, तवा जैसी नदियाँ भी अलग-अलग बेसिन को जल-पोषित करती हैं। इस भौगोलिक विविधता ने ही प्रदेश को नदी समृद्ध राज्य के रूप में प्रतिष्ठा दी है। पुण्य सलिला मां नर्मदा का दूसरा नाम रेवा भी है।भगवान शिव की पुत्री मानी जाने वाली रेवा मध्यप्रदेश और गुजरात दोनों की जीवन रेखा है। मान्यता है कि मां नर्मदा के दर्शन मात्र से ‘गंगा स्नान’ का पुण्य मिलता है। श्रद्धालुओं के लिए 3000 किमी से अधिक लंबी नर्मदा परिक्रमा जीवन का सबसे बड़ा तप माना जाता है। मां नर्मदा अमरकंटक से जन्म लेकर लेकर जबलपुर में धुआंधार जलप्रपात बनाती हुई गुजरात को अभिसिंचित कर लगभग 1312 किलोमीटर की यात्रा तय कर अरब सागर की खंभात की खाड़ी में विराम पाती हैं। महाभारत काल में चंबल नदी का नाम चर्मणवती था। यह भगवान परशुराम के जन्म-स्थल जानापाव से निकली। यह राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा बनाती है। जानापाव से निकलकर चंबल नदी मध्यप्रदेश-उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित ‘पंचनदा’ संगम पर यमुना में परिमित जलराशि के साथ समाहित हो जाती है। बेतवा (वेत्रवती)  को मध्यप्रदेश की गंगा भी कहा जाता है। इसके तट पर राम राजा का ऐतिहासिक शहर ओरछा बसा है। विदिशा और सांची जैसे नगरों को भी इसने पोषित किया है। विंध्यांचल पर्वत से निकल कर लगभग 590 किलोमीटर दूरी तय कर यमुना नदी में जा मिलती है।  मोझदायिनी क्षिप्रा नदी के तट पर प्राचीन उज्जयिनी शहर बसा है। ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर और सिंहस्थ कुम्भ समागम का यह तीर्थ क्षेत्र विश्वविख्यात है। क्षिप्रा को भी मालवा की गंगा कहा जाता है। क्षिप्रा नदी इंदौर जिले में उज्जैनी-मुंडला गांव के ककड़ी-बड़ली नामक स्थान से निकल कर लगभग 195 किलोमीटर की यात्रा के बाद चंबल नदी में मिल जाती है। रामायण और महाभारत में सोन नदी का उल्लेख मिलता है। इसे पुरुष वाचक ‘नद’ की संज्ञा भी दी गई है। महर्षि वाल्मीकि ने इसे सुभद्र कहा है। यह नदी प्रदेश में शहडोल और रीवा के क्षेत्रों को सींचती हुई बिहार में प्रवेश कर लगभग 784 किलोमीटर लंबी यात्रा के बाद पतितपावनी गंगा से संगम करती है। ताप्ती नदी सतपुड़ा की पहाड़ियों से निकलकर गुजरात तक जाती है और लगभग 724 किलोमीटर की दूरी तय कर खंभात की खाड़ी में मिल जाती है। माही नदी की विशेषता है कि यह कर्क रेखा को दो बार पार करती है। माही नदी भी मध्यप्रदेश से गुजरात तक 583 किलोमीटर की यात्रा कर खंभात की खाड़ी में मिल जाती है। मध्यप्रदेश से उद्गम पाने वाली अन्य प्रमुख नदियों में वैंनगंगा गोंडवाना क्षेत्र की जीवनरेखा है। तवा नर्मदा की सहायक नदी है, जिस पर मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा बाँध बना है। कालीसिंध, पार्वती, केन, शक्कर, जोहिला  स्थानीय कृषि और वन्य जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। मध्यप्रदेश की नदियों पर अनेक सिंचाई एवं जलविद्युत परियोजनाएँ बनी हैं, जिनसे लाखों हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होती है। चंबल-पार्वती-कालीसिंध रिवर लिंक परियोजना मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों के साझा महत्व की परियोजना है। केन-बेतवा रिवर लिंक परियोजना मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए समृद्धि की गंगोत्री मानी जा रही है। ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्च परियोजना मध्यप्रदेश के बुरहानपुर एवं खंडवा और महाराष्ट्र के अकोला, अमरावती और बुलढाणा ज़िलों के भू-जल संकट और अनियमित वर्षा की समस्या का स्थायी समाधान मानी जा रही है। बाणसागर परियोजना सोन नदी पर बनी है। इससे शहडोल, रीवा और सीधी जिलों को लाभ पहुंच रहा है। तवा परियोजना नर्मदा की सहायक तवा पर निर्मित है। इससे होशंगाबाद क्षेत्र को सिंचाई और पेयजल की पूर्ति हो रही है। गांधीसागर परियोजना चंबल नदी पर बनाई गई है। इससे  जलविद्युत बनाई जा रही है, साथ ही बड़े क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। ओंकारेश्वर एवं बरगी परियोजना नर्मदा नदी पर निर्मित है। यह प्रदेश की ऊर्जा और जल आपूर्ति के प्रमुख आधारों में से एक है।

तमोट में विस्तार लेगा औद्योगिक क्षेत्र, निवेश की दिशा में आगे बढ़ेगा प्रदेश: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव औद्योगिक विकास को धरातल पर उतारने के अपने सतत प्रयासों के क्रम में आज रायसेन जिले के तामोट औद्योगिक क्षेत्र में निवेश संवाद, इकाइयों के भूमिपूजन, लोकार्पण और आशय पत्र वितरण करेंगे। मुख्यमंत्री का यह दौरा उद्योगों को लेकर उनकी प्रतिबद्धता और कार्य संस्कृति का प्रतिबिंब है, जिसमें नीति के साथ क्रियान्वयन को भी बराबरी का महत्व दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव तामोट में संचालित सागर मैन्युफैक्चरर प्रा. लि. की इकाई का भ्रमण करेंगे और रक्षाबंधन के अवसर पर आयोजित सामाजिक कार्यक्रम में सहभागिता करेंगे। साथ ही मुख्यमंत्री डॉ. यादव मेसर्स आनंद टैक लास्ट प्राइवेट लिमिटेड प्लास्टिक पार्क का भ्रमण भी करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव उद्योगपतियों से संवाद करेंगे और प्रदेश में बन रहे निवेश अनुकूल वातावरण से उन्हें अवगत कराएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव औद्योगिक क्षेत्र तामोट में 566 करोड़ रुपए के निवेश एवं 1781 रोजगार देने वाली 14 इकाइयों का भूमिपूजन एवं लोकार्पण के साथ आशय पत्र वितरण करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव 416 करोड़ के विकास कार्यों का भूमिपूजन और लोकार्पण भी करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव औद्योगिक क्षेत्र तामोट में 300 करोड़ निवेश एवं 970 रोजगार देने वाली 6 इकाइयों का भूमिपूजन और 116 करोड़ रुपए से अधिक निवेश एवं 211 रोजगार देने वाली 6 इकाइयों का लोकार्पण करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव उद्यमियों को भूमि आवंटन से संबंधित आशय-पत्र प्रदान करेंगे और औद्योगिक विकास के प्रति प्रदेश सरकार की प्राथमिकताओं को साझा करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का यह प्रयास निवेशकों को आश्वस्त करने के साथ-साथ युवाओं के लिए नए रोजगार अवसरों का रास्ता भी खोलेगा। औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन तथा एमएसएमई प्रमुख सचिव श्री राघवेंद्र सिंह प्रदेश की औद्योगिक रणनीति और नीतिगत परिवर्तनों की जानकारी साझा करेंगे। जे.बी.एम, विनप्रो और मंडीदीप औद्योगिक एसोसिएशन जैसे प्रमुख निवेशक समूहों के प्रतिनिधि मध्यप्रदेश में निवेश अनुकूल माहौल और प्रदेश की निवेश फ्रेंडली नीतियों के संबंध में विचार साझा करेंगे। लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री श्री नरेन्द्र शिवाजी पटेल, भोजपुर विधायक श्री सुरेंद्र पटवा और विधायक श्री नारायण सिंह पंवार भी कार्यक्रम में सहभागिता करेंगे। 

प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में बन रहे हैं गीता भवन, श्रीकृष्ण की लीला स्थलों को तीर्थ बना रहे : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

सबके दिलों में हमेशा बनें रहेंगे गोस्वामी तुलसीदास : मुख्यमंत्री डॉ. यादव भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के चरित्र में समाई है पूरी भारतीय संस्कृति प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में बन रहे हैं गीता भवन श्रीकृष्ण की लीला स्थलों को तीर्थ बना रहे हैं गुरू गोविंद देव गिरि महाराज को मिला पं. रामकिंकर राष्ट्रीय सम्मान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने श्रीराम संग्रहालय निर्माण के लिए 5 करोड़ रुपए देने की घोषणा की मानस भवन में हुआ तुलसी जयंती एवं अलंकरण समारोह भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि गोस्वामी तुलसीदास का 528वां जन्मोत्सव मनाया जा रहा है। तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस देश का पुरातन महाकाव्य है। आज हम सब जिन समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक परम्पराओं में पोषित और पल्लवित हो रहे हैं, उसकी नीव सदियों पहले गोस्वामी तुलसीदास ने रख दी थी। रामचरित मानस के जरिए देश को एक ऐसी काव्यधारा मिली है, जो जन-जन को धर्म, नीति, जीवन मूल्य और मर्यादा का मार्ग दिखाती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गोस्वामी तुलसीदास की अमर कृति रामचरित मानस को भारतीय साहित्य और संस्कृति की अमूल्य धरोहर बताते हुए कहा कि हमारी संस्कृति को समृद्ध बनाने में उनका योगदान अमिट और चिर-स्मरणीय रहेगा। वे भारतीयों के हृदय में सदैव जीवित रहेंगे। उनकी वाणी आज भी हमारे जीवन को दिशा देती है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभी से तुलसी साहित्य को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने विरासत से विकास की संस्कृति को अपनाया है। भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के चरित्र में पूरी भारतीय संस्कृति समाई हुई है, इसलिए हम भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण के बताए जीवन मार्ग पर चलने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में गीता भवन बनाने का निर्णय लिया है। सरकार प्रदेश में श्रीराम वनगमन पथ विकसित करने के अलावा मध्यप्रदेश में श्रीकृष्ण की लीला स्थलों को तीर्थ बनाने की दिशा में तेजी से कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को मानस भवन में तुलसी मानस प्रतिष्ठान के तत्वावधान में आयोजित तुलसी जयंती एवं अलंकरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गुरु गोविंद देव गिरि महाराज को पंडित रामकिंकर उपाध्याय राष्ट्रीय सम्मान से अलंकृत किया। अलंकरण के रूप में गुरु गोविंद देव गिरि महाराज को अंगवस्त्र, सम्मान पट्टिका एवं दोलाख रुपए सम्मान राशि दी गई। गोविंद देव महाराज प्रख्यात चिंतक हैं और अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि न्यास के न्यासी हैं। इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने भोपाल में राम संग्रहालय बनाने के लिए तुलसी मानस प्रतिष्ठान को 5 करोड रुपए की विकास राशि देने की घोषणा की। कार्यक्रम में पंडित रामकिंकर उपाध्याय की शिष्या एवं मानस पुत्री सुमंदाकनी दीदी, तुलसी मानस प्रतिष्ठान के कार्याध्यक्ष रघुनंदन शर्मा, विधायक भगवानदास सबनानी, नगर निगम के अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी, प्रमुख सचिव संस्कृति शिवशेखर शुक्ला, समाजसेवी रविन्द्र यति सहित बड़ी संख्या में तुलसी साहित्यप्रेमी एवं सुधिजन उपस्थित थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि रामायण हमारा राष्ट्रग्रंथ है। गोस्वामी तुलसीदास के संकल्प से ही आज घर-घर में रामायण पहुंची है। प्रदेश सरकार रामराज्य स्थापित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। वर्ष 2024 में 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद अयोध्या में श्रीराम मंदिर में रामलला विराजमान हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राम मंदिर के लोकार्पण और भूमि-पूजन में शामिल हुए। पहलगाम में जब बहनों का सिंदूर उजाड़ा गया तो भारत सरकार की कार्रवाई में श्रीराम की दिव्य शक्ति दिखाई देती है। राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में 2020 में नई शिक्षा नीति लागू की। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि श्रीराम और श्रीकृष्ण के चरित्र में ही पूरी भारतीय संस्कृति समाई है इसलिए उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने विद्यार्थियों को रामायण और गीता से जोड़ा। सरकार ने प्रदेश के हर नगरीय निकाय में सर्वसुविधायुक्त गीता भवन बनाने का निर्णय लिया है। जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं हुई हैं, उन्हें हम तीर्थ के रूप में विकसित कर रहे हैं। प्रदेश सरकार राम वन गमन पथ के साथ श्रीकृष्ण पाथेय पर भी कार्य कर रही है। उन्होंने कहा कि विरासत का संरक्षण करते हुए हम राजधानी भोपाल में राजाभोज और विक्रमादित्य द्वार के नाम से दो प्रवेश द्वारों का निर्माण करा रहे हैं। गुरु गोविंद देव गिरि महाराज ने कहा कि भारत ने संपूर्ण विश्व को संस्कृति प्रदान की है। प्राचीन संस्कृति का पूरा दर्शन भगवान श्रीराम के जीवन में दिखाई देता है। हमारी परंपरा में 10 मूल्यों को धर्म कहा गया है। ये सभी मूल्य श्रीराम में नजर आते हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विरासत के साथ विकास का संकल्प लिया है। विदेशी आक्रांताओं ने देश में सदियों तक शासन किया, लेकिन फिर भी हम अपनी संस्कृति के साथ खड़े हुए हैं। उनके द्वारा तोड़े गए श्रीराम मंदिर का पुनर्निमाण हुआ है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गीता भवन निर्माण, शासकीय विद्यालयों और कारागारों में गीता पढ़ाने की अनुमति प्रदान की है। यह अत्यंत प्रशंसनीय कार्य है। उन्होंने इस कार्य के लिए मध्यप्रदेश सरकार का अभिनंदन कर मुख्यमंत्री डॉ. यादव का आभार जताया। पंडित राम किंकर उपाध्याय की शिष्या सुमंदाकिनी दीदी ने कहा कि राज्य की वर्तमान सरकार सनातन संस्कृति को समृद्ध करने के लिए अथक प्रयास कर रही है। उज्जैन के महाकालेश्वर से लेकर ओरछा के रामराजा मंदिर को विकसित किया गया है। आज पाश्चात्य संस्कृति की आंधी में हमारा समाज वैदिक संस्कृति से कट गया है। आज संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता है। पंडित राम किंकर उपाध्याय ने राष्ट्र मंगल के लिए देशभर में रामकथाएं की। महाराज की विचारधारा से मानस भवन के मंच से लगभग 50 साल से श्रीराम कथा वाचन एवं प्रवचन चल रहा है। उन्होंने इस तरह के संस्कृति संरक्षण से जुड़े आयोजनों के लिए मध्यप्रदेश सरकार की मुक्तकंठ से सराहना की। प्रमुख सचिव, संस्कृति शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि पद्मभूषण से सम्मानित युगतुलसी रामकिंकर उपाध्याय राष्ट्रीय अलंकरण समारोह का यह दूसरा वर्ष है। उन्होंने राष्ट्रीय सम्मान से अलंकृत किए गए गुरु गोविंद देव गिरि महाराज के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इन्होंने मात्र 8 वर्ष की छोटी उम्र से ही रामायण, श्रीमद् भगवत् गीता और महाभारत की कथाएं करना आरंभ कर दिया था। तुलसी साहित्य की बड़ी प्रखरता … Read more

मछुआरों की सुरक्षा की दिशा में जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं: मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि मछुआरों की सुरक्षा और समृद्धि सरकार की प्राथमिकता है। उनकी सुरक्षा की दिशा में जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में कंट्रोल कमांड सेंटर और ट्रांजिट हाउस जैसी पहल की जा रही हैं। राज्य के बड़े जलाशयों में मछुआरों की सुरक्षा और मत्स्य बीज संचयन की निगरानी के लिये आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। मध्यप्रदेश मत्स्य महासंघ द्वारा पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश के सबसे बड़े जलाशयों में शामिल इंदिरा सागर में ड्रोन, जीपीएस और सीसीटीवी युक्त आधुनिक कमांड कंट्रोल रूम की स्थापना की जा रही है। आपात स्थिति में इस प्रणाली से मछुआरों को शीघ्र सहायता पहुंचाई जा सकेगी। ये पहल ब्रीडिंग ग्राउंड के चिन्हांकन के साथ मत्स्य आखेट पर निगरानी को और ज़्यादा आसान, सुलभ और प्रभावशाली बनाएगी। कमांड कंट्रोल रूम की मदद से मुख्यालय स्तर से ही 24X7 निगरानी संभव हो सकेगी। ड्रोन के माध्यम से जल क्षेत्र की लाइव मॉनिटरिंग और जीपीएस सिस्टम से नावों की ट्रैकिंग की जा सकेगी और आपात स्थिति में मछुआरों को तुरंत सहायता उपलब्ध कराई जा सकेगी। मछुआरों के लिए बनेंगे ट्रांजिट हाउस और फ़्लोटिंग प्लेटफ़ॉर्म मत्स्य महासंघ के जलाशयों में कार्यरत मछुआरों को कई बार 15 दिन से लेकर एक महीने तक खुले टापुओं या जलाशय के किनारों पर अपनी नावों में रात्रि विश्राम करना पड़ता है। वर्षा ऋतु में टापुओं का जलस्तर बढ़ जाता है, ऐसे में मछुआरों को जलीय जीव-जंतुओं से जान-माल की हानि की आशंका बनी रहती है। मछुआरों को इससे बचाने के लिए महासंघ ने गांधी सागर और इंदिरा सागर के टापुओं पर 5 ट्रांजिट हाउस और जल के मध्य 2 फ्लोटिंग प्लेटफॉर्म बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। मछुआरों के लिए इसमें आपातकालीन स्थिति में भोजन निर्माण, सोलर मोबाइल चार्जिंग और बायो टॉयलेट जैसी सुविधाएं मिलेंगी। राज्य सरकार की यह पहल मछुआरों की सुरक्षा और सुविधा को बेहतर बनाएगी, साथ ही जल आधारित संसाधनों के टिकाऊ प्रबंधन और मत्स्य उत्पादन की वृद्धि में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आधुनिक तकनीक के समावेश से अब राज्य में मत्स्याखेट और मछलीपालन नए आयाम स्थापित करने की दिशा में अग्रसर हैं। भोपाल में बनेगा आधुनिक केवट प्रशिक्षण संस्थान राज्य में मॉडर्न एक्वाकल्चर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक अहम पहल की जा रही है। केन्द्र सरकार की फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट फंड योजना के तहत भोपाल में 5 करोड़ रुपये की लागत से आधुनिक केवट प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जा रही है। इस संस्थान में केज कल्चर, बायोफ्लॉक, रिसर्कुलेटरी एक्वा कल्चर सिस्टम, मछलियों की हाइजेनिक हैंडलिंग, फिश प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और वैल्यूएडिशन जैसे विषयों पर मछुआ समुदाय को प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। मछुआरों को इससे वैश्विक मानकों के अनुरूप मछली पालन तकनीक की जानकारी और व्यावसायिक दक्षता प्राप्त होगी।  

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विश्वविद्यालय महापरिषद की बैठक में दिए निर्देश

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में वर्तमान आवश्यकताओं के अनुसार साइबर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर केंद्रित पाठ्यक्रम आरंभ किए जाएं साथ ही विश्वविद्यालय, मीडिया के क्षेत्र में एडवांस्ड रिसर्च इंस्टीट्यूट के रूप में अपनी पहचान बनाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने राज्य शासन द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं के संप्रेषण और उनकी प्रभावशीलता के सर्वेक्षण संबंधी गतिविधियां भी विश्वविद्यालय में आरंभ करने की आवश्यकता बताई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मुख्यमंत्री निवास स्थित समत्व भवन में विश्वविद्यालय की महापरिषद की बैठक में यह निर्देश दिए। बैठक में उच्च शिक्षा मंत्री श्री इंदर सिंह परमार, इंदौर सांसद श्री शंकर लालवानी, विश्वविद्यालय के कुलगुरू श्री विजय मनोहर तिवारी, अपर मुख्य सचिव वित्त श्री मनीष रस्तोगी, सचिव एवं आयुक्त जनसम्पर्क डॉ. सुदाम खाड़े सहित महापरिषद के सदस्यगण उपस्थित थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने विश्वविद्यालय के रीवा और खंडवा परिसरों में रोजगार परक पाठ्यक्रम संचालित करने संबंधी कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। बैठक में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत एक वर्षीय स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम आरंभ करने को स्वीकृति प्रदान की गई। स्वीकृति के बाद एम.ए. (जर्नलिज्म एंड क्रिएटिव एंड राइटिंग), एम.ए. (मास कम्युनिकेशन), एम.ए.( एडवरटाइजिंग एंड पब्लिक रिलेशंस), एम.एससी (इलेक्ट्रॉनिक मीडिया) और एम.एसी.ए. के एक वर्षीय पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय द्वारा संचालित किए जाएंगे। बैठक में विश्वविद्यालय के पी.एचडी. अधिनियम को यू.जी.सी. पीएचडी अधिनियम 2022 के अनुसार अद्यतन कर इस आधार पर पी. एचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश प्रक्रिया आरंभ करने की स्वीकृति भी प्रदान की गई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने रीवा परिसर के सभागार का नाम लाल बलदेव सिंह सभागार रखने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की। महापरिषद ने वित्त विभाग के 14 अगस्त 2023 के आदेश अनुसार चतुर्थ समयमान उच्चतर वेतन मान को विश्वविद्यालय में लागू करने के प्रस्ताव को स्वीकृत किया। विश्वविद्यालय में फेस डिटेक्शन मशीन के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था पर भी सहमति प्रदान की गई। विश्वविद्यालय के नवीन मीडिया प्रौद्योगिकी विभाग में अध्ययनरत विद्यार्थियों को प्रिंटिंग एवं पैकेजिंग विषय का व्यवसायिक प्रशिक्षण देने के लिए प्रिंटिंग प्रेस व लैब तथा पैकेजिंग लैब की स्थापना का प्रस्ताव भी स्वीकृत हुआ। बैठक में अन्य कार्यालयीन तथा प्रबंधकीय विषयों पर भी निर्णय लिए गए। 

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा- सामाजिक समरसता से सशक्त समाज और राष्ट्र का निर्माण

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि समाज के सर्वांगीण विकास और सामाजिक समरसता को सुदृढ़ करने के लिए राज्य सरकार संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर की सामाजिक समरसता की भावना के अनुसार सतत प्रयासरत है। उन्होंने कहा है कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं से प्रदेश के सामाजिक परिदृश्य में तेजी से सकारात्मक बदलाव आ रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि विकास की मुख्यधारा में हर वर्ग को साथ लेकर चलने से ही सामाजिक एकता मजबूत होती है। सामाजिक समरसता ही वह भावना है जो कठिन परिस्थितियों में भी परस्पर सहयोग और मदद के लिए प्रेरित करती है। सशक्त समाज से ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण होता है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में ग्वालियर में शनिवार को ‘समरसता कार्यक्रम’ का आयोजन किया जा रहा है। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. यादव ग्वालियर के जौरासी गांव में बनने वाले अंबेडकर धाम का भूमि-पूजन करेंगे। यह स्थल सामाजिक समरसता, न्याय और समानता के प्रतीक डॉ. अंबेडकर के विचारों का जीवंत केंद्र बनेगा। मुख्यमंत्री इस अवसर पर विभिन्न शासकीय योजनाओं के हितग्राहियों को लाभ वितरित करेंगे, सामाजिक समरसता की शपथ दिलाएंगे और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले नागरिकों को सम्मानित करेंगे। कार्यक्रम में सामाजिक एकता पर विषय विशेषज्ञ अपने विचार व्यक्त करेंगे। इस अवसर पर सहभोज का आयोजन भी किया गया है। दृढ़ सामाजिक समरसता के लिए संकल्पित सरकार राज्य सरकार ने भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों और योगदान को सम्मान देते हुए सामाजिक समरसता को सशक्त करने के लिए शिक्षा, रोजगार, सांस्कृतिक संरक्षण और सामाजिक न्याय को केंद्र में रखकर कई योजनाएं शुरू की हैं। डॉ. अंबेडकर के जीवन, विचारों और योगदान को सम्मान देते हुए अनुसूचित जाति वर्ग के सशक्तिकरण के लिए राज्य शासन की कई प्रभावी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। योजनाओं का उद्देश्य सामाजिक समरसता, आर्थिक उन्नयन, शैक्षिक प्रगति और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण करना है। डॉ. अंबेडकर से जुड़े पांच प्रमुख स्थलों — महू (जन्मस्थली), दिल्ली (महापरिनिर्वाण स्थल), नागपुर (दीक्षाभूमि), मुंबई (चैत्यभूमि) और लंदन (शिक्षा स्थल) — को मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना में शामिल किया गया है। महू स्थित डॉ. अंबेडकर की जन्मस्थली का समग्र विकास किया गया है, जिसमें स्मारक, संग्रहालय, पार्क, सभागार और स्वागत द्वार का निर्माण हुआ है। साथ इस “आस्था स्थल” और अंतरराष्ट्रीय शोध केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में भी कार्य चल रहा है।भोपाल स्थित डॉ. अंबेडकर स्मारक, पुस्तकालय और भवन का भी नवीनीकरण एवं विस्तार किया गया है। राज्य में वर्ष 2004 से संचालित डॉ. भीमराव अंबेडकर आर्थिक कल्याण योजना में अनुसूचित जाति वर्ग के बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार के लिए ऋण और ब्याज सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है। हाल ही में डॉ. अंबेडकर कामधेनु योजना की शुरुआत की गई है, जिसका उद्देश्य दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहन और पशुपालकों को आर्थिक सहयोग प्रदान करना है। योजना के अंतर्गत 42 लाख तक के ऋण पर 33% तक की सब्सिडी दी जा रही है। डॉ. अंबेडकर उद्योग उदय योजना के माध्यम से एससी-एसटी उद्यमियों को एमएसएमई क्षेत्र में प्रोत्साहन और वित्तीय सहयोग दिया जा रहा है। डॉ. भीमराव अंबेडकर मेधावी विद्यार्थी पुरस्कार योजना के अंतर्गत बोर्ड परीक्षाओं में श्रेष्ठ अंक प्राप्त करने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को 30 हजार रुपये तक का पुरस्कार दिया जाता है। डॉ. अंबेडकर छात्रवृत्ति योजना और अंबेडकर फेलोशिप के जरिए उच्च शिक्षा और अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन को बढ़ावा दिया जा रहा है। सीहोर और मुरैना में स्थापित डॉ. अंबेडकर तकनीकी शिक्षा संस्थानों में आवासीय प्रशिक्षण और छात्रवृत्ति भी प्रदान की जा रही है। सागर जिले में डॉ. अंबेडकर वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना अप्रैल माह में की गई है। भोपाल में प्रदेश के सबसे लंबे फ्लाई-ओवर का नामकरण डॉ. अंबेडकर के नाम पर किया गया है। जून 2025 में अंबेडकर गौशाला विकास योजना को मंजूरी दी गई, जिसके तहत 5 हजार से अधिक पशुओं वाली गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। डॉ. अंबेडकर सामाजिक समरसता अभियान के तहत प्रदेशभर में पंचायत स्तर तक जनसंवाद, रैलियाँ, नाटक, प्रतियोगिताएं और संविधान जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। प्रदेश के कई बस स्टैंड, सड़कें, उद्यान, पुस्तकालय एवं महाविद्यालयों का नामकरण डॉ. अंबेडकर किया गया है। वर्ष 2016 में महू रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर अंबेडकर नगर स्टेशन किया गया। केन्द्र सरकार ने डॉ. अंबेडकर के विचारों, योगदान और आदर्शों को जन-जन तक पहुँचाने के लिए महत्वपूर्ण पहल की है। इनका उद्देश्य सामाजिक न्याय, शिक्षा, सशक्तिकरण और समावेशी विकास को मजबूती देना है। डॉ. अंबेडकर को वर्ष 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो उनके ऐतिहासिक योगदान का राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान था। डॉ. अंबेडकर की स्मृति से जुड़े बड़ोदरा स्थित संकल्प भूमि ‘बनयान ट्री कैंपस’ और सतारा (महाराष्ट्र) स्थित प्रताप राव भोंसले हाई स्कूल को राष्ट्रीय महत्व के स्मारक घोषित किया गया है। यहां उनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई थी। सामाजिक न्याय मंत्रालय ने देश के कई विश्वविद्यालयों में डॉ. अंबेडकर सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की गई है, जिनका उद्देश्य अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों को गुणवत्ता युक्त उच्च शिक्षा में सहायता प्रदान करना है।