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राजस्व में बंपर उछाल, GST कलेक्शन ₹1.96 लाख करोड़ के पार गया

नईदिल्ली   केंद्र सरकार ने जुलाई महीने के जीएसटी कलेक्शन के आंकड़े जारी कर दिए हैं। बीते जुलाई में जीएसटी कलेक्शन बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपये हो गया, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 7.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दिखाता है। यह लगातार 7वां महीना है जब जीएसटी कलेक्शन 1.80 लाख करोड़ रुपये से जयादा है। हालांकि, यह वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के औसत 2.1 लाख करोड़ रुपये से कम है। यह ग्रोथ डोमेस्टिक ट्रांजैक्शन के साथ-साथ आयात से अधिक कलेक्शन के कारण हुई, जो स्थिर आर्थिक गतिविधि का संकेत है। हालांकि, डेवलपमेंट की गति पिछले महीनों की तुलना में धीमी रही। कुल ग्रॉस जीएसटी राजस्व में शामिल ग्रॉस कलेक्शन में सीजीएसटी ₹35470 करोड़ है। वहीं, एसजीएसटी की बात करें तो 44059 करोड़ रुपये है। इसके अलावा आईजीएसटी ₹1,03,536 करोड़ रहा। इसमें आयात पर एकत्रित ₹51626 करोड़ शामिल है। वहीं, उपकर की बात करें तो ₹12670 करोड़ (आयात पर एकत्रित ₹1086 करोड़ सहित) पर पहुंच गया। किस राज्य के कलेक्शन में कितना ग्रोथ जुलाई के दौरान मध्य प्रदेश के टैक्स कलेक्शन में 18% की वृद्धि देखी गई, जो बड़े राज्यों में सबसे आगे रहा। वहीं, बिहार के कलेक्शन में 16% की वृद्धि दर्ज की गई जबकि आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में क्रमशः 14% और 12% की वृद्धि दर्ज की गई। दूसरी ओर, मणिपुर, मिजोरम और झारखंड में क्रमशः -36%, -21% और -3% की गिरावट दर्ज की गई। महाराष्ट्र 30,590 करोड़ रुपये से अधिक कलेक्शन के साथ सबसे बड़ा कंट्रीब्यूटर बना रहा। जून में जीएसटी कलेक्शन इससे पहले जून में जीएसटी कलेक्शन 6.2 प्रतिशत बढ़कर 1.84 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है। बता दें कि जीएसटी कलेक्शन मई में 2.01 लाख करोड़ रुपये रहा था। वहीं, इस साल अप्रैल में जीएसटी कलेक्शन 2.37 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्चस्तर पर पहुंच गया था। GST के 8 साल पूरे पिछले महीने देश में GST लागू हुए 8 साल पूरे हो गए हैं। 1 जुलाई 2017 को देश में GST लागू किया गया था। इस दौरान टैक्स कलेक्शन के आंकड़ों ने नया रिकॉर्ड बनाया है। वित्त वर्ष 2024-25 में ग्रॉस GST कलेक्शन 22.08 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है, जो 5 साल पहले 2020-21 में सिर्फ 11.37 लाख करोड़ था। यानी, 5 साल में टैक्स वसूली लगभग दोगुनी हो गई है। 2024-25 में हर महीने औसत GST कलेक्शन 1.84 लाख करोड़ रुपए रहा। ये 5 साल पहले 2020-21 में 95 हजार करोड़ रुपए था। टैक्सपेयर्स की संख्या भी दोगुनी से ज्यादा बढ़ी GST लागू होने के वक्त 2017 में रजिस्टर्ड टैक्सपेयर्स की संख्या 65 लाख थी, जो अब बढ़कर 1.51 करोड़ से ज्यादा हो गई है। इससे सरकार का टैक्स बेस भी मजबूत हुआ है। सरकार का कहना है कि GST लागू होने के बाद टैक्स कलेक्शन और टैक्स बेस दोनों में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। इससे देश की फिस्कल पोजिशन मजबूत हुई है और टैक्स सिस्टम ज्यादा पारदर्शी और आसान बना है। इतिहास में सबसे बड़ा टैक्स कलेक्शन अप्रैल 2025 में सरकार ने अप्रैल 2025 में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) से 2.37 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे। सालाना आधार पर इसमें 12.6% की बढ़ोतरी हुई थी। ये GST कलेक्शन का रिकॉर्ड है। इससे पहले हाईएस्ट जीएसटी कलेक्शन का रिकॉर्ड अप्रैल 2024 में बना था। तब सरकार ने 2.10 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे। इकोनॉमी की हेल्थ दिखाता है GST कलेक्शन जीएसटी कलेक्शन इकोनॉमिक हेल्थ का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। हायर कलेक्शन मजबूत उपभोक्ता खर्च, औद्योगिक गतिविधि और प्रभावी कर अनुपालन का संकेत देते हैं। अप्रैल महीने में बिजनेसेज अक्सर मार्च से वर्ष के अंत के लेन-देन को क्लियर करते हैं, जिससे टैक्स फाइलिंग्स और कलेक्शन्स में वृद्धि होती है। KPMG के नेशनल हेड अभिषेक जैन ने कहा कि अब तक का हाईएस्ट GST कलेक्शन मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था को दर्शाता है। 2017 में लागू हुआ था GST सरकार ने 1 जुलाई 2017 को देशभर में GST लागू किया था। इसके बाद केंद्र और राज्य सरकारों के 17 करों और 13 उपकरों को हटा दिया गया था। GST के 7 साल पूरे होने पर वित्त मंत्रालय ने पिछले सात वर्षों के दौरान हासिल की गई उपलब्धियों को लेकर पोस्ट किया। GST एक इनडायरेक्ट टैक्स है। इसे कई तरह के इनडायरेक्ट टैक्स जैसे VAT, सर्विस टैक्स, परचेज टैक्स, एक्साइज ड्यूटी को रिप्लेस करने के लिए 2017 में लागू किया गया था। GST में 5, 12, 18 और 28% के चार स्लैब हैं। GST को चार हिस्सों में डिवाइड किया गया है:     CGST (केंद्रीय जीएसटी): केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किया जाता है।     SGST (राज्य जीएसटी): राज्य सरकारों द्वारा एकत्र किया जाता है।     IGST (एकीकृत जीएसटी): अंतरराज्यीय लेनदेन और आयात पर लागू, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विभाजित।     उपकर: स्पेसिफिक पर्पज के लिए फंड जुटाने के लिए स्पेसिफिक गुड्स (जैसे, लग्जरी आइटम्स, तंबाकू) पर लगाया जाने वाला अतिरिक्त शुल्क।

GST संरचना से जूझ रहा दवा व्यापार, इनपुट पर टैक्स कटौती की मांग

इंदौर दवाओं के निर्माण के लिए जो कच्चा माल खरीदना पड़ रहा है, उस पर (टैक्स) की दर ज्यादा है जबकि तैयार दवाओं की बिक्री पर जीएसटी की दर कम है। दवा निर्माताओं के संगठन ने मांग उठाई है कि कच्चे माल और दवा के बीच जीएसटी के अलग-अलग रेट का भेद खत्म किया जाना चाहिए। साथ ही दवा बनाने के मटैरियल और तैयार दवा दोनों पर जीएसटी की दर घटाकर पांच प्रतिशत के स्लैब में लाना चाहिए। यह मांग ठीक ऐसे समय उठाई गई है जब आने वाले दिनों में जीएसटी काउंसिल की अहम बैठक होने जा रही है। इसमें जीएसटी की स्लैब व अन्य प्रविधानों में आठ वर्षों में सबसे बड़े बदलाव की उम्मीद है। बेसिक ड्रग डीलर्स एसोसिएशन मप्र ने सरकार को पत्र लिखकर दवाओं के कच्चे माल और तैयार दवाओं दोनों पर जीएसटी की दर पांच प्रतिशत करने की मांग की है। एसोसिएशन ने इस संबंध में पत्र लिखा है और मांग की है कि प्रदेश की ओर से जीएसटी काउंसिल को इस बारे में प्रस्ताव भेजा जाना चाहिए। बेसिक ड्रग डीलर्स एसोसिएशन के महासचिव जयप्रकाश मूलचंदानी कहते हैं कि वर्तमान में दवा बनाने के कच्चे माल पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू होता है।   ब्रिक्री पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है इस मटैरियल से जो दवा तैयार होती है, उसकी बिक्री पर 12 प्रतिशत जीएसटी लगता है। टैक्स की दर का यह अंतर व्यापार में व्यावहारिक परेशानी पैदा कर रहा है। टैक्स के रूप में दवा कारोबारियों का छह प्रतिशत जीएसटी विभाग के पास जमा रहता है। जबकि निर्माण लागत बढ़ने से उपभोक्ताओं के लिए दवाएं महंगी हो जाती हैं। एसोसिएशन ने मांग रखी है कि दवाओं और कच्चे माल दोनों पर ही जीएसटी की दर पांच प्रतिशत की जानी चाहिए। इनवर्टेड ड्यूटी के अलग नियम कर सलाहकार आरएस गोयल के अनुसार जीएसटी कर प्रणाली में कई वस्तुओं में कच्चे माल पर अधिक व तैयार उत्पाद पर कम टैक्स लागू है। इसके लिए एक इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर लागू होता है। इसमें सरकार ने प्रविधान किया है कि कच्चे माल पर अधिक टैक्स देकर तैयार माल कम टैक्स पर बेचा जाता है तो जो टैक्स का अंतर होता है, उसका रिफंड दिया जाए। व्यापारी को अधिकार होता है कि वह रिफंड हासिल करे। दवाओं के मामले में भी रिफंड का यह नियम लागू है। हालांकि रिफंड लेने के लिए कागजी कार्रवाई तो करना ही होगी। काउंसिल व्यापारियों को राहत देने के लिए कागजी कार्रवाई का बोझ कम कर प्रक्रिया को आसान बना सकती है।

512 करोड़ का फर्जीवाड़ा करने वाला Mastermind Arrested का साथी भी हुआ गिरफ्तार

भोपाल   देश में चल रहे बड़े जीएसटी घोटाले में एक और गिरफ्तारी हुई है। भोपाल पुलिस ने बुधवार को छत्तीसगढ़ के मरवाही से शेख जफर को पकड़ा है। जफर, घोटाले के मुख्य आरोपी विनोद सहाय का साथी बताया जा रहा है। पुलिस ने विनोद सहाय को पहले ही रांची से गिरफ्तार कर लिया था। उसकी गिरफ्तारी 25 जून को हो चुकी है। जांच में पता चला है कि जफर और सहाय मिलकर फर्जी बिल और शेल कंपनियों के जरिए कोयले के व्यापार में हेराफेरी कर रहे थे। उन्होंने लगभग 512 करोड़ रुपये का जीएसटी घोटाला किया। पुलिस अब जफर से पूछताछ कर इस मामले की तह तक जाने की कोशिश कर रही है। एक्शन में जांच एजेंसियां ईडी और दूसरी जांच एजेंसियां भी इस नेटवर्क पर नजर रख रही हैं। यह मामला एमपी से लेकर छत्तीसगढ़, झारखंड और महाराष्ट्र तक फैले एक बड़े जीएसटी फर्जीवाड़े का हिस्सा माना जा रहा है। जांच में पता चला है कि शेख जफर मध्य प्रदेश के अनूपपुर का रहने वाला है। वह विनोद सहाय के साथ मिलकर फर्जी बिल बनाता था। ये लोग शेल कंपनियों के नाम पर कोयले का व्यापार दिखाते थे। इस तरह उन्होंने करोड़ों रुपये की हेराफेरी की। फर्जी कंपनियां बनकर किया धोखा आरोपियों ने फर्जी कंपनियां बनाकर सरकार को लगभग 512 करोड़ रुपये का जीएसटी में चूना लगाया। शेख जफर के नाम पर भी दो कंपनियां हैं। इनके नाम अम्बर कोल डिपो और अनम ट्रेडर्स हैं। ये कंपनियां जबलपुर के रानीताल में रजिस्टर्ड हैं। इन कंपनियों के जरिए अभिजीत ट्रेडर्स, मां रेवा ट्रेडर्स, नमामि ट्रेडर्स के साथ व्यापार दिखाया गया।  

छत्तीसगढ़ में जीएसटी कलेक्शन में ऐतिहासिक बढ़त: 18% वृद्धि दर के साथ देश में अव्वल

मुख्यमंत्री साय ने जीएसटी विभाग की समीक्षा बैठक में कर अपवंचन पर सख्ती के दिए निर्देश मुख्यमंत्री साय ने राजस्व संग्रहण की विस्तार से जानकारी प्राप्त की और कर संग्रहण बढ़ाने के उपायों पर कार्य करने के निर्देश दिए छत्तीसगढ़ में जीएसटी कलेक्शन में ऐतिहासिक बढ़त: 18% वृद्धि दर के साथ देश में अव्वल रायपुर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मंत्रालय स्थित महानदी भवन में वाणिज्यिक कर (जीएसटी) विभाग की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने विभाग के कार्यों एवं राजस्व संग्रहण की विस्तार से जानकारी प्राप्त की और कर संग्रहण बढ़ाने के उपायों पर कार्य करने के निर्देश दिए।  मुख्यमंत्री साय ने कहा कि कर की राशि का उपयोग देश और प्रदेश के विकास कार्यों में होता है, इसलिए सभी को ईमानदारी पूर्वक कर अदा करना चाहिए। साय ने कहा कि जो लोग कर (जीएसटी) की चोरी करते हैं, उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए तथा उनसे कर की वसूली सुनिश्चित की जाए। बैठक के दौरान अधिकारियों ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य को जीएसटी एवं वैट से कुल 23,448 करोड़ रुपये का कर राजस्व प्राप्त हुआ, जो राज्य के कुल कर राजस्व का 38% है। छत्तीसगढ़ ने 18% की जीएसटी वृद्धि दर हासिल की है, जो देश में सर्वाधिक है। बैठक में वित्त एवं वाणिज्यिक कर (जीएसटी) मंत्री ओ.पी. चौधरी ने विभागीय जानकारी साझा की। मुख्यमंत्री साय ने जीएसटी संग्रहण हेतु विभाग द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की और कहा कि आगे भी नियमों के अनुरूप संग्रहण बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जाएं। उन्होंने विभागीय अधिकारियों के साथ कर अपवंचन के मामलों एवं उनसे निपटने के उपायों पर भी विस्तार से चर्चा की। मुख्यमंत्री साय ने फर्जी बिल, दोहरी बहीखाता प्रणाली और गलत टैक्स दरों का उपयोग कर अनुचित लाभ लेने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए। उन्होंने विभाग की नवाचारी पहलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि जीएसटी पंजीकरण की औसत समय सीमा को 13 दिन से घटाकर 2 दिन कर दिया गया है।  बैठक में अधिकारियों ने जीएसटी विभाग द्वारा हाल ही में की गई बड़ी कार्रवाइयों एवं कर चोरी की राशि की वसूली की जानकारी दी। बैठक में बताया गया कि विभाग द्वारा की गई कार्रवाइयों से शासन के कर राजस्व में निरंतर वृद्धि हो रही है।  उल्लेखनीय है कि प्रदेश के सभी 33 जिलों में जीएसटी कार्यालय स्थापित किए गए हैं, जिससे कर संग्रहण एवं जीएसटी से जुड़ी सेवाओं का कार्य पारदर्शिता और समयबद्धता के साथ संपादित किया जा रहा है। बैठक में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव मुकेश कुमार बंसल, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत तथा आयुक्त वाणिज्यिक कर पुष्पेंद्र मीणा सहित वरिष्ठ अधिकारीगण उपस्थित थे।

मोदी सरकार जीएसटी स्लैब बदलने पर गंभीर, 12 फीसदी का GST Slab अब 5 फीसदी करने की योजना

नई दिल्ली जीएसटी (GST) को लेकर सरकार की बड़ी प्लानिंग है और इसके तहत मिडिल क्लास व लोअर इनकम ग्रुप वाले लोगों को राहत मिल सकती है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जल्द ही जीएसटी में बड़ी राहत दी जा सकती है और केंद्र सरकार जीएसटी रेट्स में कटौती (GST Rate Cut) की जा सकती है. ऐसा बताया जा रहा है कि मोदी सरकार जीएसटी स्लैब बदलने पर गंभीरता से विचार कर रही है और 12 फीसदी का GST Slab अब 5 फीसदी में आ सकता है.  12% की जगह 5% के स्लैब की तैयारी   सूत्रों के मुताबिक, सरकार की ओर से जीएसटी पर ऐसे सामानों पर राहत मिल सकती है, जो खासतौर पर मिडिल और लोअर इनकम वाले घरों में आमतौर पर इस्तेमाल किए जाते हैं और 12 फीसदी के GST Tax Slab के अंतर्गत आते हैं. सरकार अब विचार कर रही है ऐसे अधिकांश सामानों को या तो 5 फीसदी के टैक्स स्लैब में ट्रांसफर किया जा सकता है या फिर इनपर लगने वाला 12 फीसदी का स्लैब ही समाप्त किया जा सकता है. गौरतलब है कि रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले ज्यादातर सामान इसी स्लैब में आते हैं.  कपड़ों से लेकर साबुन तक हो सकते हैं सस्ते जीएसटी काउंसिल की अगली 56वीं बैठक में इसे लेकर बड़ा फैसला लिया जा सकता है औ ये GST Counsil Meet इसी महीने हो सकती है. अगर सरकार की ओर से ये निर्णय लिया जाता है, जो अभी तक 12 फीसदी के स्लैब में आने वाले जूते-चप्पल, मिठाई, कपड़े, साबुन, टूथपेस्ट और डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे कई सामान सस्ते हो सकते हैं. इसके अलावा पनीर, खजूर, सूखे मेवे, पास्ता, जैम, पैकेज्ड फ्रूट जूस, नमकीन, छाते, टोपी, साइकिल, लकड़ी से बने फर्नीचर, पेंसिल, जूट या कपास से बने हैंडबैग, शॉपिंग बैग भी इसमें शामिल हैं. GST के भारत में कितने स्लैब साल 2017 में देश में जीएसटी लागू किया गया था और बीते कारोबारी दिन 1 जुलाई को ही इसने आठ साल पूरे किए हैं. देश में जीएसटी दरें GST Counsil द्वारा तय की जाती हैं और इनमें बदलाव के किसी भी फैसले में राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि भी शामिल रहते हैं. बात करें भारत में GST Slabs के बारे में, तो अभी चार जीएसटी स्लैब हैं. 5%, 12%, 18% और 28% हैं. अनाज, खाद्य तेल, चीनी, स्नैक्स और मिठाई के अलावा सोना-चांदी और अन्य तमाम सामानों को अलग-अलग कैटेगरी के हिसाब से इन्ही टैक्स स्लैब में रखा गया है. सरकार की ओर से पहले से मिल रहे संकेत जीएसटी (GST) के मोर्चे पर बड़ी राहत के संकेत पहले से ही सरकार की ओर से मिल रहे हैं. बीते मार्च महीने में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने भी कहा था कि जीएसटी टैक्स स्लैब को तर्कसंगत बनाने का प्रोसेस पूरा होने के बाद जीएसटी रेट्स में और भी कमी आएगी. इसके बाद से ही GST Tax Slab Change किए जाने की उम्मीद लगाई जा रही थी और अब सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अगली काउंसिल बैठक में ये बड़ा फैसला लिया जा सकता है.  

GST : पिछले 5 साल में डबल हो गया कलेक्शन, 2024-25 में रिकॉर्ड ₹22.08 लाख करोड़ आया टैक्स

नई दिल्ली देश में 1 जुलाई 2025 को गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) को लागू हुए 8 साल हो जाएंगे। यह 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ था। सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 5 साल में GST कलेक्शन दोगुना हो चुका है। वित्त वर्ष 2024-25 में ग्रॉस GST कलेक्शन 22.08 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। यह एक साल पहले के कलेक्शन के मुकाबले 9.4 प्रतिशत अधिक है। वित्त वर्ष 2020-21 में GST कलेक्शन का आंकड़ा 11.37 लाख करोड़ रुपये था। आंकड़ों की मानें तो वित्त वर्ष 2024-25 में GST का एवरेज मंथली कलेक्शन 1.84 लाख करोड़ रुपये दर्ज किया गया। वित्त वर्ष 2023-24 में यह 1.68 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 1.51 लाख करोड़ रुपये था। 5 सालों के आंकड़ों की बात करें तो वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कुल GST कलेक्शन 11.37 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान GST कलेक्शन बढ़कर 14.83 लाख करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2022-23 में यह 18.08 लाख करोड़ रुपये, 2023-24 में 20.18 लाख करोड़ रुपये और 2024-25 में 22.08 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। GST ने देश में इनडायरेक्ट टैक्सेज के मकड़जाल को हटाकर उसकी जगह एक सिंगल इंटीग्रेटेड सिस्टम को स्थापित किया। हाल ही में आई डेलॉइट की ‘GST@8’ टाइटल वाली रिपोर्ट में GST के लिहाज से पिछले वर्ष को बेहद ही सफल करार दिया गया है। GST के तहत रजिस्टर्ड टैक्सपेयर बढ़कर 1.51 करोड़ GST के तहत रजिस्टर्ड टैक्सपेयर्स की संख्या 2017 में 65 लाख थी। 8 साल में यह बढ़कर 1.51 करोड़ से अधिक हो गई है। एक सरकारी बयान में कहा गया, ‘‘लागू होने के बाद से, जीएसटी ने रेवेन्यू कलेक्शन और टैक्स बेस को बढ़ाने में मजबूत वृद्धि दिखाई है। इसने भारत की राजकोषीय स्थिति को लगातार मजबूत किया है और इनडायरेक्ट टैक्सेशन को अधिक एफिशिएंट और पारदर्शी बनाया है।’’ GST परिषद तय करती है दरें भारत में GST की दरें GST परिषद तय करती है। इस परिषद में केंद्र और राज्य या केंद्र-शासित प्रदेश की सरकारों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। GST में रेट के वर्तमान में 4 स्लैब हैं- 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत। ये दरें देशभर में ज्यादातर सामान और सेवाओं पर लागू होती हैं। इन स्लैब्स के अलावा 3 विशेष दरें भी हैं- – सोना, चांदी, हीरे और ज्वैलरी पर 3 प्रतिशत – कटे और पॉलिश किए गए हीरे पर 1.5 प्रतिशत – कच्चे हीरे पर 0.25 प्रतिशत। तंबाकू प्रोडक्ट्स, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स और मोटर व्हीकल जैसे चुनिंदा सामानों पर GST की अलग-अलग दरों के साथ GST कंपंजेशन सेस भी लगाया जाता है। इस सेस का इस्तेमाल राज्यों को GST सिस्टम को अपनाने के चलते रेवेन्यू में होने वाले किसी भी नुकसान की भरपाई के लिए किया जाता है। खर्च में 4% बचत सरकारी बयान में कहा गया, 'GST कंस्यूमर फ्रेडली रिफॉर्म है। कई टैक्सेज को हटाने और नियमों का पालन आसान बनाए जाने से ऐवरेज टैक्स रेट घटे हैं। इससे टैक्स बेस बढ़ा है और सरकार को कई जरूरी चीजों पर रेट घटाने में मदद मिली है।' इसके मुताबिक, 'अनाज, खाद्य तेल, चीनी, स्नैक्स और मिठाइयों पर अब कम टैक्स रेट लग रहा है। फाइनैंस मिनिस्ट्री की एक स्टडी के मुताबिक, जीएसटी से परिवारों को अपने नासिक खर्च में कम से कम 4% बचत करने में मदद मिली है। उपभोक्ता अब दैनिक जरूरतों पर कम खर्च करते हैं।" लगातार सेंटिमेंट में सुधार सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'डेलॉयट की हाल में आई GST@8 रिपोर्ट में पिछले साल को जीएसटी के लिए ब्लॉकबस्टर बताया गया। इसमें कहा गया कि सरकार के समय पर किए गए सुधारों, टैक्सपेयर्स के लिए स्पष्ट दिशानिर्देशों और जीएसटी पोर्टल को अपग्रेड किए जाने से यह सफलता मिली।' डेलॉयट के इसी सर्वे का हवाला देते हुए कहा गया कि उद्योग जगत के 85% लोगों ने अपने सकारात्मक अनुभव की जानकारी दी है। बयान में कहा गया, 'लगातार चौथे साल सेंटिमेंट में सुधार हुआ है। जीएसटी के 8 साल पूरे जीएसटी लागू होने के 8 साल पूरे हो गए हैं. 1 जुलाई 2017 को इसे लॉन्च किया गया था. इसके तहत 17 अलग-अलग स्थानीय टैक्स और 13 उपकरों (cesses) को मिलाकर पांच टैक्स स्लैब बनाए गए, जिससे टैक्स सिस्टम सरल हुआ और व्यापारियों को भी राहत मिली. अप्रैल 2025 में जीएसटी वसूली ₹2.37 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी, जो किसी भी महीने में अब तक की सबसे अधिक वसूली थी. मई 2025 में यह आंकड़ा ₹2.01 लाख करोड़ रहा. जून के आंकड़े 1 जुलाई को जारी किए जाएंगे. सरकार का कहना है कि जीएसटी ने भारत की वित्तीय स्थिति को मजबूत किया है और अब यह एक आधुनिक, डिजिटल और पारदर्शी टैक्स सिस्टम का उदाहरण बन चुका है.