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NDA की उम्मीदवार सूची का ऐलान टला, मांझी-कुशवाहा विवाद बना बाधा

पटना बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सीट बंटवारे को लेकर जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की नाराजगी ने सीट और कैंडिडेट लिस्ट की घोषणा टलवा दी है। शाम 4 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस की सूचना थी, लेकिन वह स्थगित हो गई। इस बात की जानकारी देने वाला जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) का ट्वीट भी डिलीट हो गया है। एनडीए नेताओं ने रविवार की शाम सीट बंटवारे को आपसी सहमति से करने का दावा किया था। मांझी को छोड़कर बाकी सारे नेताओं ने एक ही तरह का ट्वीट भी किया था। बाद में मांझी ने कहा कि जो मिला वो संतुष्ट हैं, लेकिन कम सीट मिलने का खामियाजा एनडीए को भुगतना पडे़गा। बाद में कुशवाहा भी शेरो-शायरी करने लगे। धर्मेंद्र प्रधान संकट को सुलझा रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा है कि कल ऐलान होगा और 15 से 18 अक्टूबर तक एनडीए के सारे कैंडिडेट नामांकन कर देंगे। एनडीए के सीट बंटवारे में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जेडीयू को 101-101 सीट मिली है। चिराग पासवान की लोजपा-आर को 29, उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो और जीतनराम मांझी की हम को 6-6 सीट मिली है। इसको लेकर कुशवाहा और मांझी की पार्टी में भारी बवाल मचा है। मांझी 15 सीट मांग रहे थे जबकि कुशवाहा भी कम से कम 10 सीट की उम्मीद में थे। चिराग ने इन दोनों नेताओं से लगभग 5 गुना सीट झटका है जो उनकी परेशानी का कारण है। दोनों की पार्टी में भी टिकट के दावेदारों के इस्तीफे का दबाव है। नीतीश फिनिश, संजय झा ने मिशन पूरा कर लिया; एनडीए के सीट बंटवारे पर बोले पप्पू यादव एनडीए के सीट बंटवारे को लेकर विपक्षी दल भी जेडीयू और नीतीश कुमार की स्थिति पर तंज कस रहे हैं। राजद प्रवक्ता मनोज झा और निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने कहा कि असल में इस सीट बंटवारा में बीजेपी प्लस 142 है और नीतीश की जेडीयू 101। राजद और कांग्रेस के नेताओं ने जेडीयू और बीजेपी के बराबर सीटें लड़ने को लेकर कहा है कि चुनाव के बाद नीतीश कुमार को कुर्सी से उतार दिया जाएगा।  

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पटना  बात-मुलाकात से सीटों पर समझौता नहीं होता देख भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने सीट शेयरिंग की रणनीति बदल ली है। नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सहयोगी दलों के नेताओं चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को मनाने का काम भाजपा को दिया है। बीजेपी और जेडीयू की अब रणनीति है कि पहले चिराग, मांझी और कुशवाहा की सीट तय कर ली जाए और फिर बची सीटों को भाजपा और जदयू आपस में बांट ले। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दोनों दल 100 से कम सीट लड़ना चाहते हैं। तीनों नेताओं ने कुल 75 सीटें मांगी हैं, जिन्हें समझाने-मनाने में धर्मेंद्र प्रधान, विनोद तावड़े, नित्यानंद राय, मंगल पांडेय और सम्राट चौधरी मिशन मोड में जुटे हैं। सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार की पार्टी ने भाजपा से कहा है कि पहले वो सहयोगी दलों के मसले सुलझा ले, फिर वो दोनों सीट बांट लेंगे। दोनों के बीच इस बात पर सहमति है कि बची हुई सीटों में दोनों आधा-आधा रख लेंगे। जदयू की चाहत है कि वो भाजपा से कम से कम एक सीट ज्यादा लड़े। चिराग, मांझी और कुशवाहा के तेवर ने नीतीश और बीजेपी को नई रणनीति बनाने के लिए मजबूर किया है। अब दोनों प्रमुख दल सहयोगियों का मामला पहले निपटा लेंगे, तब वो अपनी-अपनी देखेंगे। 20 महीने में हर परिवार को एक सरकारी नौकरी देंगे, कानून बनेगा: तेजस्वी यादव का बड़ा चुनावी वादा चिराग पासवान की लोजपा-आर 40 सीट, उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो को 20 सीट और जीतन राम मांझी की हम 15 सीट मांग रही है। बिहार बीजेपी प्रभारी विनोद तावड़े और चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान की इन नेताओं से पहले राउंड की बातचीत में कोई नीचे उतरने को तैयार नहीं है। तीनों नेता अपनी-अपनी सीटों की डिमांड पर अड़े हुए हैं जो नंबर 75 हो जाता है। सबकी बात मान ली जाए तो 168 सीटें बचती हैं, जिसमें जेडीयू या बीजेपी का गुजारा नहीं होगा। दोनों दलों ने 101-103 सीटें लड़ने का टारगेट बना रखा है। कोशिश है कि 38-40 सीट में तीनों सहयोगी दलों को मना लिया जाए।