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योगी सरकार में नवरात्रि का पर्व बना आस्था और विकास की एक अद्भुत मिसाल

जौनपुर का शीतला चौकिया धाम नवरात्रि का प्रमुख केंद्र बना, जहां नौ दिनों में 10 लाख से अधिक भक्त पहुंचे सहारनपुर के शाकम्भरी और त्रिपुर बाला सुंदरी मंदिरों में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, 20 लाख भक्तों ने किया दर्शन बलरामपुर का देवीपाटन धाम नवरात्रि में आस्था और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बना, 9 लाख श्रद्धालुओं ने किया पूजन भदोही के सीता समाहित स्थल, महाराजगंज के लेहड़ा देवी मंदिर और औरैया के देवी मंदिरों में 9 लाख से ज्यादा भक्तों ने जताई आस्था मिशन शक्ति 5.0 ने इस नवरात्रि को बनाया खास, महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण की झलक हर जगह देखने को मिली लखनऊ, उत्तर प्रदेश की पावन धरती पर शारदीय नवरात्रि केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और नारी शक्ति का विराट स्वरूप बनकर उभरा है। इस बार पूरे प्रदेश में देवी मंदिरों की तस्वीर देखें, तो यह साफ झलकता है कि योगी आदित्यनाथ सरकार ने बीते आठ वर्षों में न केवल प्राचीन धरोहर को संजोया है, बल्कि आधुनिक सुविधाओं से जोड़कर श्रद्धालुओं को नया अनुभव भी दिया है। यही कारण है कि पूर्वांचल के विंध्यवासिनी धाम से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शाकम्भरी मंदिर तक समस्त देवी मंदिरों में नवरात्रि के नौ दिनों में ही लगभग 2 करोड़ भक्तों ने मां के दरबार में हाजिरी लगाई। इनमें से केवल विंध्यवासिनी धाम में ही 50 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मां का आशीर्वाद लिया। मां विंध्यवासिनी धाम : रोजाना लाखों श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब मीरजापुर स्थित मां विंध्यवासिनी का मंदिर प्रदेश का सबसे प्रमुख सिद्धपीठ माना जाता है। यहां प्रतिदिन औसतन 4 से 5 लाख श्रद्धालु पहुंचे। आम दिनों की तुलना में यह संख्या कई गुना बढ़ गई। सरकार द्वारा बनाए गए विंध्याचल कॉरिडोर ने श्रद्धालुओं को नई सहूलियत दी है। नवरात्रि के अंतिम तीन दिनों में यहां रोज़ाना 6 से 7 लाख श्रद्धालु माता की आराधना में शामिल हुए। वाराणसी : विशालाक्षी शक्तिपीठ में दक्षिण भारत से उमड़ी आस्था 51 शक्तिपीठों में गिने जाने वाले मां विशालाक्षी मंदिर में सामान्य दिनों की तुलना में नवरात्रि पर भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ गई। सप्तमी से नवमी तक यहां 20 से 30 हजार श्रद्धालु रोज़ाना पहुंचे। वाराणसी के गायत्री शक्ति पीठ चौरा देवी मंदिर में नवमी तक 1 लाख से अधिक श्रद्धालु आए, जबकि दुर्गाकुंड स्थित मां कुष्मांडा मंदिर में नवरात्रि के नौ दिनों में 12 लाख से ज्यादा भक्त पहुंचे। यहां अंतिम तीन दिनों में प्रतिदिन करीब 2 लाख श्रद्धालु दर्शन करने आए। सहारनपुर : शाकम्भरी व त्रिपुर बाला सुंदरी धाम बने श्रद्धा के केंद्र पश्चिमी उत्तर प्रदेश का सहारनपुर जिला भी आस्था से सराबोर रहा। नवरात्रि के नौ दिनों में शाकम्भरी धाम में लगभग 7 लाख और मां त्रिपुर बाला सुंदरी मंदिर में करीब 4 लाख श्रद्धालुओं ने मत्था टेका। देवीपाटन : मां पाटेश्वरी मंदिर में लाखों भक्त और भव्य मेला बलरामपुर स्थित मां पाटेश्वरी मंदिर में इस नवरात्रि करीब 6.50 लाख श्रद्धालु पहुंचे। सप्तमी से नवमी तक यहां सबसे अधिक भीड़ रही। साथ ही मंदिर प्रबंधन ने 15 दिवसीय मेले का भी आयोजन किया, जिसमें आस्था और परंपरा का सुंदर संगम देखने को मिला।   प्रयागराज : गंगा तट पर आस्था की गूंज प्रयागराज के मां अलोप शंकरी धाम में नवरात्रि के दौरान करीब 12 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। सप्तमी, अष्टमी और नवमी पर प्रतिदिन ढाई लाख तक भक्त मां के दरबार में हाजिरी लगाने आए। मां कल्याणी देवी मंदिर में लगभग 6 लाख और मां ललिता देवी मंदिर में प्रतिदिन 70 से 80 हजार श्रद्धालु पहुंचे। सरकार ने यहां लगभग 6 करोड़ रुपये की लागत से यात्री शेड, लाइटिंग और सौंदर्यीकरण के कार्य कराए हैं। गोरखपुर : तरकुलहा व बुढ़िया माई धाम में भव्यता का नया रूप गोरखपुर स्थित तरकुलहा देवी मंदिर इस बार नवरात्रि में प्रमुख आस्था केंद्र बन गया। औसतन 50 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन पहुंचे, जबकि नवमी पर संख्या 1 लाख पार कर गई। अबतक 5 लाख से ज्यादा श्रद्धालु यहां दर्शन कर चुके हैं। वहीं कुसम्ही जंगल स्थित बुढ़िया माई मंदिर में 5 लाख भक्त पहुंचे। यहां नवरात्रि के अंतिम तीन दिनों में रोज़ाना 1 लाख श्रद्धालुओं की भीड़ रही। सरकार ने यहां पर्यटन विकास कार्यों पर करोड़ों रुपये खर्च कर सुविधाएं बढ़ाई हैं। गाजीपुर : हथियाराम मठ और कामाख्या मंदिर में उमड़ा विश्वास गाजीपुर के हथियाराम मठ में इस बार नवरात्रि पर लगभग 40 हजार लोग पहुंचे। वहीं कामाख्या देवी मंदिर में अबतक 1 लाख से अधिक भक्तों ने माता के चरणों में मत्था टेका। जौनपुर : चौकिया धाम में श्रद्धालुओं का रेला जौनपुर का मां शीतला चौकिया मंदिर नवरात्रि में भक्तों से खचाखच भरा रहा। प्रतिदिन 70 हजार और सप्तमी से नवमी तक करीब 1 लाख श्रद्धालु माता के दरबार में पहुंचे। नैमिषारण्य : महानवमी पर भक्तों का सैलाब नैमिषारण्य की तपोभूमि स्थित ललिता देवी मंदिर में नवरात्रि के नौ दिनों में दो लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। महानवमी पर यहां आस्था का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। आगरा : चामुंडा देवी मंदिर समेत कई धाम बने आकर्षण आगरा का 300 साल पुराना चामुंडा देवी मंदिर नवरात्रि में विशेष आकर्षण रहा। यहां करीब 2 लाख श्रद्धालु पहुंचे। इसके साथ कैला माता मंदिर में 15 लाख, सती माता मंदिर में 2 लाख, काली माता मंदिर में 1.5 लाख और शीतला माता मंदिर में 10 लाख श्रद्धालु पहुंचे। मथुरा : नरी सेमरी मंदिर में परंपरा का अनोखा स्वरूप मथुरा के छाता स्थित नरी सेमरी माता मंदिर में नवरात्रि पर 3 लाख श्रद्धालु पहुंचे। यहां मूर्ति के खड़े होने की परंपरा और लाठी-डंडे से पूजा की परंपरा श्रद्धालुओं को आकर्षित करती रही। झांसी : आल्हा-उदल की गाथा से जुड़े देवी मंदिर झांसी के पंचकुइया, कैमासन, महाकाली और लहर देवी मंदिर में नवरात्रि के नौ दिनों में 1-1 लाख से अधिक भक्त पहुंचे। यहां के मंदिरों का ऐतिहासिक महत्व और आस्था दोनों ही देखने को मिले। अन्य प्रमुख धाम : प्रदेशभर में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ महराजगंज के लेहड़ा देवी मंदिर में 2 लाख श्रद्धालु पहुंचे। औरैया के 15 मंदिरों में करीब ढाई लाख लोग दर्शन को आए। हापुड़, सिद्धार्थनगर और अन्य जिलों के मंदिरों में भी लाखों की भीड़ रही। अंततः यह स्पष्ट है कि योगी सरकार ने नवरात्रि पर आस्था और विकास का अद्भुत मेल कर प्रदेश के मंदिरों को … Read more

उपमुख्यमंत्री शर्मा ने नवरात्रि पर आस्था का संदेश दिया, कन्या पूजन कर किया शुभकामनाओं

रायपुर नवरात्रि के पावन पर्व पर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री  विजय शर्मा ने आज कबीरधाम जिले के कवर्धा और आसपास के माँ दुर्गा मंदिरों व पंडालों में पहुंचें। उन्होंने यहां विशेष पूजा-अर्चना कर प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। उपमुख्यमंत्री ने महाआरती में भाग लिया, श्रृंगार सामग्री अर्पित की और सेवा मंडली के साथ माता सेवा की। उपमुख्यमंत्री  शर्मा ने काली मंदिर, दंतेश्वरी मंदिर, चंडी मंदिर, परमेश्वरी मंदिर और ठाकुरपारा, कुम्हारपारा, राजमहल चौक, भोरमदेव रोड एवं सकरहा घाट में स्थापित दुर्गा पंडालों का दर्शन किया। उपमुख्यमंत्री ने दुर्गा उत्सव समितियों के पदाधिकारियों और श्रद्धालुओं से भेंटकर नवरात्रि की शुभकामनाएँ दीं। अपने प्रवास के दौरान उन्होंने छीरपानी कॉलोनी, माँ विंध्यवासिनी मंदिर, महामाया मंदिर और जनपद पंचायत कार्यालय के पास स्थित पंडालों में भी मां दुर्गा के दर्शन किए और बच्चों की खेल प्रतियोगिता में भाग लिया। उपमुख्यमंत्री  शर्मा ने वीर सावरकर सभागार, कवर्धा में आयोजित कन्या पूजन एवं भोजन कार्यक्रम में भी भाग लेकर बालिकाओं का पूजन किया और उन्हें भोजन कराया। उन्होंने कहा कि कन्या पूजन नवरात्रि पर्व की आत्मा है और यह नारी शक्ति, मातृशक्ति एवं बालिकाओं के प्रति आदर-सम्मान का प्रतीक है। समाज में स्त्रियों का सम्मान और सशक्तिकरण ही वास्तविक प्रगति का मार्ग है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि नवरात्रि शक्ति, आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा का पर्व है, जो हमें माता दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना कर सकारात्मक प्रेरणा देता है। उपवास, साधना, कन्या पूजन और सामूहिक भक्ति समाज में भाईचारा, सद्भाव और सेवा का संदेश फैलाते हैं। उन्होंने सभी से नवरात्रि पर्व को श्रद्धा, भक्ति और आपसी सद्भाव के साथ मनाने की अपील की और प्रदेश की खुशहाली, शांति एवं समृद्धि की मंगलकामना की। इस अवसर पर  शर्मा ने सांसद  संतोष पाण्डेय, पंडरिया विधायक मती भावना बोहरा, पूर्व संसदीय सचिव डॉ. सियराम साहू, जिला पंचायत उपाध्यक्ष  कैलाश चंद्रवंशी, नगर पालिका अध्यक्ष  चंद्रप्रकाश चंद्रवंशी, उपाध्यक्ष  पवन जायसवाल, जनपद अध्यक्ष मती गणपत सुषमा बघेल और जिला पंचायत सभापति  रामकुमार भट्ट सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे।

भक्ति का बड़ा चमत्कार: नवरात्रों में माता रानी ने बरसाई अपार कृपा, चमकी किस्मत

फाजिल्का   नवरात्रों के पवित्र दिनों के दौरान माता रानी की अपार कृपा फाजिल्का के एक परिवार पर हुई। शहर की मशहूर रूप चंद लॉटरी की दुकान से खरीदी गई टिकट ने एक व्यक्ति की जिंदगी खुशियों से भर दी। यह खुशकिस्मत व्यक्ति हैं गुरविंदर सिंह, जिन्हें कम नंबर 56062 के साथ दूसरा इनाम 45 हजार रुपये का मिला। गुरविंदर सिंह अपने बेटे की शादी के लिए सामान खरीदने फाजिल्का शहर आए थे। वापसी के दौरान वह रूप चंद लॉटरी की दुकान पर रुके और एक टिकट खरीदी। किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह टिकट उनकी किस्मत के दरवाजे खोल देगी। दुकान के संचालक बोबी बवेजा ने बताया कि अभी उनकी दुकान पर माता रानी के चरण भी नहीं पड़े थे कि माता ने गुरविंदर सिंह को अपनी कृपा से नवाज दिया। यह खबर मिलते ही गुरविंदर सिंह के चेहरे पर खुशी स्पष्ट थी। परिवार के सदस्यों ने इस खुशी को साझा करते हुए नवरात्रों के पकौड़ों के साथ सोस लगाकर मुंह मीठा करवाया। मौके पर मौजूद लोगों ने भी गुरविंदर सिंह को बधाई दी और माता रानी का धन्यवाद किया। रूप चंद लॉटरी के संचालक बोबी बवेजा ने बताया कि उनकी दुकान का पुराना इतिहास भी इनामों से भरपूर रहा है। शरादों के दौरान केवल 13 दिनों में उनकी दुकान से 14 इनाम निकले थे, जिसने इलाके में चर्चा पैदा कर दी थी। इसके अलावा, एक ही दिन में चार इनाम निकलने का रिकॉर्ड भी उनकी दुकान के नाम है, जिसे अब तक किसी और लॉटरी संचालक ने नहीं तोड़ा।

पवित्र नवरात्रि: फूलों, नारियल और दीपक से घर में बढ़ाएं सकारात्मक ऊर्जा

नवरात्रि का पर्व पूरे भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि खास तौर पर मां दुर्गा की साधना के लिए बहुत शुभ मानी जाती है. इन नौ दिनों में भक्त मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं और उन्हें फूल, नारियल, चुनरी, वस्त्र और दीपक आदि अर्पित करते हैं, लेकिन जब नवरात्रि खत्म होती है तो ज्यादातर लोगों के मन में एक सवाल उठता है कि आखिर पूजा में चढ़ाई गई चीजों का क्या करना चाहिए? क्या इन्हें ऐसे ही फेंक देना सही है या इसके लिए कुछ खास नियम बताए गए हैं? इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि नवरात्रि पूजा के बाद जली हुई बाती, नारियल, फूल, कलश, चुनरी और कपड़े का सही तरीका क्या है.  देवी पूजा के लिए जलाई हुई बाती का क्या करें? नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा की पूजा में जो बाती जलाई जाती है, उसे कभी भी कचरे में नहीं फेंकना चाहिए. चाहे वह आधी जली हो या पूरी, सभी बातियों को इकट्ठा करके पवित्र स्थान पर रख लें. नवरात्रि के आखिरी दिन इसमें कपूर, लौंग और थोड़ा सा घी डालकर दोबारा जलाएं. इसे घर में घुमाने से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मकता बढ़ती है. बाद में बची हुई राख को पौधे वाले गमले में डाल दें. मान्यता है कि यह भूत नजर दोष से बचाती है. माता को चढ़ाए गए फूलों का क्या करें? फूलों में देवी की ऊर्जा मानी जाती है. इन्हें कहीं भी फेंकने की बजाय प्रसाद मानकर अपने धन स्थान या पूजा घर में रखें. बाकी फूलों को गमले या पौधे में डाल दें ताकि वह खाद के रूप में काम आ सके. यह तरीका पर्यावरण के लिए भी अच्छा माना जाता है. नवरात्रि पूजा के कलश का क्या करें? पूजा के बाद कलश का जल परिवार और घर में छिड़कें. यह घर में शुभ ऊर्जा का प्रसार करता है. बचा हुआ जल पौधों में डाल दें. कलश में रखे सिक्कों को लाल कपड़े में बांधकर धन स्थान पर रखें. इसे देवी का आशीर्वाद माना जाता है. नारियल का क्या करें? मां दुर्गा की पूजा में चढ़ाया गया नारियल बहुत पवित्र माना जाता है. इसे परिवार के सभी सदस्यों और मित्रों में प्रसाद के रूप में बांट दें, अगर नारियल सूख गया हो तो नदी या समुद्र में प्रवाहित कर दें, अगर नारियल फोड़ने पर खराब निकल जाए तो इसे भूमि में दबा दें. मान्यता है कि ऐसा नारियल आपके कष्टों को अपने ऊपर ले लेता है. चुनरी का क्या करें? मंदिर में या पूजा में मिली चुनरी में मां का आशीर्वाद माना जाता है. इसे अपने घर के पवित्र स्थान, धन स्थान या वाहन पर बांध सकते हैं. पूजा-पाठ करते समय इसे सिर पर भी रख सकते हैं, अगर इसका उपयोग न हो पाए तो इसे मंदिर में या किसी श्रद्धालु को सम्मानपूर्वक दें. माता की चौकी और कपड़े का क्या करें? पूजा के बाद चौकी और वस्त्रों को साफ करके सुरक्षित रखें और आगे आने वाले अनुष्ठानों में उपयोग करें, अगर जरूरत न हो तो मंदिर में दान कर सकते हैं या किसी जरूरतमंद को दे सकते हैं.

इस शारदीय नवरात्र में भारत को मिलेगी सामरिक, आर्थिक और कूटनीतिक सफलता: शुभ संकेत

उज्जैन  अश्विन शुक्ल प्रतिपदा पर 22 सितंबर को सोमवार के दिन शारदीय नवरात्र का आरंभ हो रहा है। इस बार नवरात्र नौ के बजाय दस दिन के रहेंगे। देवी आराधना के पर्वकाल में तिथि वृद्धि का यह योग विश्व पटल पर भारत को सामरिक, आर्थिक, कूटनीतिक मोर्चों पर सफलता दिलाने वाला माना जा रहा है। ज्योतिष के जानकारों के अनुसार 81 साल में अब तक चार बार दस दिन के नवरात्र का योग बना है और इस योग ने हर बार भारत को विजयश्री का वरण कराया है। ज्योतिषाचार्य  ने बताया श्रीमद् भागवत देवी पुराण के अनुसार देवी दुर्गा की आराधना के नवरात्र के नौ दिन विशेष माने गए हैं। वर्षभर में चार बार नवरात्र का योग बनता है। इनमें दो गुप्त व दो प्राकट्य नवरात्र माने जाते हैं। चैत्र व अवश्विन मास की नवरात्र प्रकट तथा माघ व आषाढ़ मास के नवरात्र गुप्त नवरात्र माने गए हैं। आमतौर पर नवरात्र आठ या नौ दिन के होते हैं। लेकिन बीते 81 साल में चार बार ऐसा संयोग बना है, जब नवरात्र दस दिन के हुए हैं। अब तक ऐसा संयोग वर्ष 1944, 1971, 1998 तथा इस बार वर्ष 2025 में बनने जा रहा है। यह संयोग ही है कि जब-जब दस दिन के नवरात्र आए हैं, इसके आसपास युद्ध की स्थिति निर्मित हुई है। 1944 में विश्व युद्ध, 1971 में पड़ोसी देश से युद्ध, 1998 के बाद कारगिल वार तथा हाल ही में कुछ दिनों पहले आपरेशन सिंदूर की स्थिति निर्मित हो चुकी है। इन सभी के परिणाम किसी ना किसी दृष्टिकोण से भारत के अनुकूल रहे हैं। यह समय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को सुदृढ़ करने वाला भी रहा है। पंचांग के पांच अंगों की स्थिति एक समान 81 साल में चार बार जब-जब दस दिन के नवरात्र योग बना है, पंचांग के पांच अंग तिथि,वार,योग,नक्षत्र, करण एक समान रहा है। इस बार भी अश्विन शुक्ल प्रतिपदा, सोमवार का दिन, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र, शुक्ल योग, किंस्तुघ्न करण व कन्या राशि के चंद्रमा की साक्षी में नवरात्र का आरंभ होगा। प्रतिपदा तिथि के अधिपति अग्निदेव, सोमवार के अधिपति भगवान शिव, उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के अधिपति अर्यमा, शुक्ल योग की अधिष्ठात्री माता पार्वती तथा किंस्तुघ्न करण के स्वामी वायु देवता हैं। हर बार वैश्विक ऐतिहासिक परिवर्तन जब भी पंचांग के पांच अंगों का एक विशेष तिथि अथवा विशेष पर्वकाल के शुभारंभ पर संयुक्त योग बनता है, वह इतिहास बदल देता है। क्योंकि पंचांग के पांच अंगों का देवत्व अपनी विशिष्ट स्थितियों से यह परिवर्तन चक्र को प्रदर्शित करते हैं और आगाह करते हैं कि सावधानी के साथ सुरक्षा के आयामों को स्थापित करते हुए आगे बढ़ें। विदेश नीति में दूरदर्शिता की आवश्यकता भारत को इस समय संचार, तकनीक व सामरिक नीति के साथ साथ विदेश नीति में दूरदर्शिता रखना चाहिए। यह समय प्रतिद्वंदियों से संभलकर रहने और नए अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर चिंतन का है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक अपनी सूझबूझ से भारत पर किसी भी आर्थिक दबाव को आने नहीं दिया है। फिर भी पड़ोसी देशों से संभलकर रहने की आवश्यकता है, क्योंकि धोखे की संभावना बन सकती है।  

नवरात्रि पर मांस बेचने व काटने-पकाने पर रोक लगे, दिल्ली BJP विधायक ने उठाई मांग

नई दिल्ली  देशभर में त्योहारों की शुरुआत हो चुकी है। नवरात्रि भी जल्द ही शुरू होने वाले हैं। ऐसे में एक बार फिर खुले में मांस की बिक्री पर रोक लगने की मांग उठाई जा रही है। दिल्ली में ये मांग बीजेपी विधायक अजय महावर ने की है। उनका कहना है कि नवरात्रि के दौरान 9 दिनों का समय सनातन धर्म बहुत पवित्र समय होता है। ऐसे में खुले में मीट की बिक्री पर रोक लगनी चाहिए। उन्होंने कहा है कि इसके लिए सोमवार को एक पत्र भी लिखेंगे। उन्होंने आगे कहा, किसी को अपना रेस्टोरेंट चलाना होतो वह शीशे के अंदर पका सकता है, हमें कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन खुले में मांस काटने-पकाने और बेचने पर पाबंदी होनी चाहिए। इससे पहले सावन मास में कांवड़ यात्रा के दौरान भी इस तरह की मांग करते हुए पत्र लिखा गया था। इससे पहले दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने दिवाली के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में पटाखों पर प्रतिबंध को लेकर संतुलित रुख अपनाने का आह्वान कियाथा । सिरसा ने कहा था कि लोगों को पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना त्योहार मनाने की अनुमति दी जानी चाहिए। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि दिवाली न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि लाखों लोगों के लिए एक भावनात्मक अवसर भी है, जो अपनी परंपराओं और संस्कृति से गहराई से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि दिवाली का त्योहार उत्सव और खुशी का समय है, जो लोगों की भावनाओं और सांस्कृतिक पहचान से गहराई से जुड़ा हुआ है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने कहा कि जब पूरा देश पटाखे फोड़कर इस अवसर का जश्न मनाता है, तो अकेले राष्ट्रीय राजधानी में पूर्ण प्रतिबंध का सामना करना कोई मायने नहीं रखता।