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समोसे–पकौड़े बिना डर खाएं! जानिए डॉक्टर के बताए 4 बेस्ट तेल फ्राइंग के लिए

नई दिल्ली भारतीय लोगों को तले-भुने स्नैक्स खाना बहुत पसंद होता है. आलम तो ये है कि ज्यादातर घरों में शाम के स्नैक्स में चाय के साथ समोसे या पकौड़े खाए जाते हैं. क्या आप भी उन्हीं लोगों में से हैं जिन्हें समोसे, पकौड़े या फ्रेंच फ्राइज देखकर खुद पर कंट्रोल नहीं रहता? अगर हां, तो आपको इनका स्वाद भूलकर इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि ये सभी तेल में तला हुआ होता है. अगर आपको भी तेल का नाम आते ही सेहत का डर सताने लगता है, तो ये खबर आपके लिए है.   जाने-माने गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट (लिवर के डॉक्टर) डॉ. सौरभ सेठी ने हाल ही में बताया है कि अगर सही तेल चुना जाए, तो तला-भुना खाना उतना नुकसानदायक नहीं होता जितना हम समझते हैं. बस ध्यान ये रखना होता है कि तेल का स्मोक पॉइंट यानी वो तापमान, जिस पर तेल धुआं छोड़ने लगता है, ज्यादा होना चाहिए. क्योंकि जब तेल ज्यादा गरम होकर धुआं छोड़ने लगता है, तो उसमें मौजूद हेल्दी फैट्स टूटने लगते हैं, जिससे वो हानिकारक कंपाउंड्स में बदल सकता है. डॉ. सेठी ने ऐसे 4 तेल के बारे में बताया, जो फ्राइंग के लिए सबसे ज्यादा सेफ ऑप्शन हो सकते हैं. चलिए जानते हैं. 1. रिफाइंड नारियल तेल: डॉ.सेठी बताते हैं ये तेल सैचुरेटेड फैट्स से भरपूर होता है और लगभग 400°F के स्मोक पॉइंट के साथ फ्राइंग के लिए काफी स्टेबल है. इससे खाने में स्वाद भी बना रहता है और ये जल्दी खराब भी नहीं होता. 2. रिफाइंड ऑलिव ऑयल: जहां एक्स्ट्रा वर्जिन ऑलिव ऑयल सलाद या लो-हीट कुकिंग के लिए अच्छा होता है, वहीं रिफाइंड ऑलिव ऑयल का स्मोक पॉइंट 465°F तक होता है, जो डीप फ्राइंग के लिए परफेक्ट है. इसमें मौजूद मोनोअनसैचुरेटेड फैट्स हार्ट हेल्थ के लिए भी फायदेमंद हैं. 3. घी (क्लैरिफाइड बटर): घी पिछले कई दशकों से भारतीय रसोई का हिस्सा रहा है और इसका इस्तेमाल लोग काफी समय से कर रहे हैं. घी का स्मोक पॉइंट करीब 450°F होता है और ये तले हुए खाने में एक रिच फ्लेवर जोड़ देता है. घी में मौजूद ब्यूट्रिक एसिड डाइजेशन के लिए भी फायदेमंद माना जाता है. 4. एवाकाडो ऑयल: अगर आप हाई टेंप्रेचर पर डीप फ्राइंग करते हैं, तो एवाकाडो ऑयल सबसे बेहतरीन ऑप्शन होता है. इसका स्मोक पॉइंट लगभग 520°F होता है यानी ये आसानी से ज्यादा गर्मी झेल सकता है. साथ ही, इसमें मौजूद हेल्दी फैट्स हार्ट और स्किन दोनों के लिए अच्छे हैं.

भारत तैयार बढ़ाने के लिए रूसी तेल की खरीद, पुतिन का आकर्षक ऑफर

नई दिल्ली अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर बीते 27 अगस्त को 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाकर इसे 50% कर दिया है और ये अतिरिक्त टैरिफ जुर्माने के तौर पर लागू किया गया है, जिसके पीछे वजह है भारत की रूसी तेल की खरीद. जी हां, ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल और हथियारों की खरीद बढ़ाकर यूक्रेन के साथ युद्ध में उसकी आर्थिक मदद करने का आरोप लगाते हुए टैरिफ बम फोड़ा है. हालांकि, अमेरिका को उम्मीद थी कि उसके इस कदम से भारत दबाव में आ जाएगा, लेकिन ट्रंप का दांव उल्टा पड़ा है और रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की ओर से की जा रही अतिरिक्त छूट की पेशकश के चलते भारत तेल की खरीद बढ़ाने की तैयारी में है.  ट्रंप का भारत पर दबाव नहीं आया काम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रूसी क्रूड ऑयल की खरीद को लेकर भारत पर लगाए गए हाई टैरिफ की उनकी कोशिश उल्टी पड़ती नजर आ रही है. रिपोर्ट की मानें, तो अमेरिका के किसी भी दबाव में आने के बजाय भारत और पहले से भी ज्यादा रूसी तेल खरीदने के लिए तैयार है और इस बीच रूस की ओर से भारत को तेल पर भारी छूट का ऑफर भी दिया जा रहा है. ब्लूमबर्ग के अनुसार, सितंबर के अंत और अक्टूबर में भारत को रूसी यूराल क्रूड की आपूर्ति ब्रेंट क्रूड से 3 से 4 डॉलर प्रति बैरल कम पर की जाने का ऑफर है. कुछ हफ्त पहले, यह अंतर 2.50 डॉलर था. ये खबर ट्रंप के टैरिफ अटैक के बाद चीन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की हालिया बैठक के बाद हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद सामने आई है. गौरतलब है कि रूसी तेल का भारत अकेला खरीदार नहीं है, बल्कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी वाला चीन लंबे समय से रूसी तेल का सबसे बड़ा आयातक बना हुआ है. हालांकि, भारत की बात करें, तो यूक्रेन युद्ध के बाद भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद बढ़ाई गई और ये तेजी से बढ़ी है.  अमेरिकी टैरिफ के बाद बढ़ी तेल खरीद अमेरिका के 50% टैरिफ के बावजूद भारत ने अपने रणनीतिक हितों को प्राथमिकता देते हुए रूस के साथ संबंध मजबूत बनाए हुए हैं और इसका नजारा दुनिया ने एससीओ की बैठक के दौरान देखा. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप का एक्स्ट्रा टैरिफ लागू होने के बाद यानी 27 अगस्त से 1 सितंबर के बीच भारत में सरकारी और प्राइवेट रिफाइनरियों ने 11.4 मिलियन बैरल रूसी तेल का आयात किया है. वहीं ऐसा अनुमान भी जताया जा रहा है कि रूस से ऑफर की जा रही छूट के चलते अगले महीने भारत में रूसी तेल के आयात में 10-20% या 1,50,000 से 3,00,000 बैरल प्रतिदिन की अतिरिक्त वृद्धि देखने को मिल सकती है.  रूसी तेल से भारत को अरबों की बचत अमेरिका ने भारत पर तमाम आरोप लगाते हुए टैरिफ को डबल किया है, तो वहीं भारत सरकार की ओर से लगातार साफ किया गया है कि देश की ऊर्जा सुरक्षा के साथ कोई समझौता करने के मूड में नहीं है. बीते दिनों विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा था कि रूस के साथ भारत का ऑयल ट्रेड तेल की वैश्विक कीमतों को स्थिर रखता है. भारत ने जोर देकर अमेरिकी आरोपों के खिलाफ अपना पक्ष रखा है और दो टूक कहा है कि उसका तेल व्यापार किसी भी अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं करता और प्रतिबंधों में कच्चे तेल का आयात शामिल नहीं है.  अगर फायदे की बात करें, तो साल 2022 से भारत का रूसी तेल का आयात 1 फीसदी से बढ़कर करीब 40 फीसदी पर पहुंच चुका है. कई एनालिसिस से स्पष्ट हुआ है कि किफायती रूसी तेल की वजह से भारतीय रिफाइनरियों को अप्रैल 2022 और जून 2025 के बीच कम से कम 17 अरब डॉलर की बचत हुई है. बीते दिनों रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने एक इंटरव्यू में अमेरिकी टैरिफ को अनुचित करार देते हुए कहा था कि भारत की प्राथमिकता अपने 140 करोड़ लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है, तेल का व्यापार व्यावसायिक आधार पर होता है और अगर सौदा सही है, तो भारतीय कंपनियां सबसे अच्छे विकल्प से तेल खरीदेंगी.'

अचार बनाने की वजह से सरसों तेल की डिमांड ज्यादा, प्रतिदिन 20 टन की हुई खपत

भोपाल   बारिश में तेजी आने के साथ ही सरसों तेल में भी तेजी आ गई है। इसी माह में ही अब तक सरसों तेल करीब 18 फीसदी महंगा हो चुका है। हालांकि सोयाबीन, सींगदाना, सनफ्लावर जैसे खाद्य तेलों की वजह से सरसों तेल की महंगाई परेशान नहीं कर रही। इसलिए डिमांड में है ये दोनों आइटम इन दिनों अचार बनाने की वजह से सरसों तेल की डिमांड ज्यादा है। लेकिन कमजोर फसल, स्टॉक की कमी और आयात नहीं होने से सरसों तेल के भाव ऊपर जा रहे हैं। बिहार, उत्तरप्रदेश और दक्षिण भारत के राज्यों डिमांड के अनुरूप सरसों तेल मंगाना पड़ रहा है। प्रतिदिन 20 टन की खपत थोक कारोबारी कृष्ण कुमार बांगड के अनुसार राजधानी और आसपास के क्षेत्रों में सामान्य दिनों में जहां 10 से 12 टन की रोजाना खपत है।  सूरजमुखी और पॉम ऑयल भी महंगा खाद्य आपूर्ति मंत्रालय के डेटा के मुताबिक 14 जुलाई को रिटेल मार्केट में सरसों तेल के दाम 177.56 रुपए प्रति किलो रहा। जो एक साल पहले 140 रुपए प्रति किलो था। यानी एक साल में 27 फीसदी सरसों तेल महंगा हुआ। एक महीने पहले 16 जून को 171.48 रुपए प्रति किलो सरसों तेल का भाव था। सनफ्लावर ऑयल रिटेल मार्केट में 160.41 रुपए प्रति किलो में मिल रहा है जो एक साल पहले 122.25 रुपए प्रति किलो में मिल रहा था। यानी 31.21 फीसदी सूरजमुखी का तेल महंगा हुआ है। भाव पर एक नजर (थोक मंडी भाव प्रति लीटर) खाद्य तेल         -1 जुलाई               -17 जुलाई    सरसों तेल       155-160 रु.         से 175 180 रु. सोयाबीन तेल      120-125 रु.        से 128130 रु.     सनफ्लावर –   132-135 रु.         से 135-140 रु.     पाम तेल –      118-120 रु.         से 128-130 रु.     सींगदाना       150-160 रु          से 150-160 रु.     वनस्पति        110-115 रु          से 120-125 रु.