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OTP पर निर्भर सुरक्षा: Mappls ने लॉन्च किया इंजन लॉक, चोरी पर पड़ेगा बड़ा अंकुश

नई दिल्ली ZOHO के मैसेजिंग ऐप Arattai की तरह ही अब स्वदेसी मैप Mappls को केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रमोट किया है. इसके बाद से ही इसके शेयर में करीब 10 परसेंट का उछाला आया है. लेकिन यहां हम कंपनी के शेयर नहीं बल्कि Mappls का एक ऐसा खास फीचर बताने जा रहे हैं, जो आपकी कार चोरों से दूर रखने का काम करेगा.  Mappls ऐप के अंदर Immobiliser नाम का फीचर दिया है. इस फीचर का इस्तेमाल करके आप आसानी से अपनी कार के इंजन को रिमोटली बंद कर सकते हैं. इसके लिए आपको पासवर्ड या OTP एंटर करना होगा.  MapMyIndia ने तैयार किया Mappls  Mappls को MapMyIndia ब्रांड ने तैयार किया है. मैप माय इंडिया के मार्केट में कई GPS कार ट्रैकर मौजूद हैं, जिनमें से कुछ प्रोडक्ट के अंदर आपको कार चोरी होने से बचाने की सर्विस मिलती है.  स्वदेसी Mappls ऐप के साथ ये ट्रैकर कंपेटेबल होते हैं. ऐसे में यूजर्स चाहें तो पूरा सेटअप कराने के बाद अपनी कार के इंजन को घर बैठे ऑफ कर सकते हैं. इसमें फ्यूल ऑफ आदि हो जाता है. कार के ECU को कंट्रोल करता है इम्मोबिलाइजर     दरअसल, कार के अंदर इम्मोबिलाइजर होता है, जो इंजन को ऑन करने में मदद करता है. दरअसल, कार की चाबी के अंदर एक ट्रांस्पोंडर चिप होती है.      ये चिप इंजन के कंट्रोल यूनिट (ECU) को एक खास कोड भेजता है. जब ECU कोड को वेरिफाई करता है और कोड सही होने के बाद सिस्टम इंजन को ऑन होने की परमिशन देता है.     अगर कोड गलत या मिशिंग होता है तो कार का ECU सिस्टम फ्यूल सप्लाई को रोक देता है, जिससे कार का इंजन ऑन नहीं होता है.   इम्मोबिलाइजर ऐसे काम करता है  सबसे पहले तो अपनी कार में Mappls या किसी अन्य कंपनी का GPS ट्रैकर इंस्टॉल कराना होगा, जिनमें गाड़ी का इंजन स्विच ऑफ करने करने का फीचर मिलता है. जीपीएस ट्रैकर कार में लगे इम्मोबिलाइजर को कमांड देता है, जिसके बाद कार का इंजन, फ्यूल सप्लाई और स्टार्टर बंद हो जाते हैं.  मोबाइल ऐप पर मिलता है एक्सेस  मोबाइल ऐप Mappls पर जीपीएस ट्रैकर का एक्सेस मिलता है. इसकी मदद से आप कार की लोकेशन, इंजन ऑन होने पर नोटिफिकेशन्स देख सकते हैं. अगर कोई चोरी-छिपे कार को ऑन करता है तो मोबाइल पर तुरंत अलर्ट आ जाता है.  रिएक्टिवेशन का भी फीचर  कार के इंजन को अगर आपने रिमोटली ऑफ किया था और जब आपको सुरक्षित तौर पर कार रिकवर हो जाती है. तो आपको रिएक्टिवेशन को ऑन करना होगा. इसके बाद आप कार के इंजन को ऑन करके उसे चला सकते हैं.

एसएमएस-ओटीपी पर निर्भरता खत्म: अप्रैल 2026 से आरबीआई के नए भुगतान प्रमाणीकरण नियम

 नई दिल्ली डिजिटल भुगतान पर नए नियम, जो एसएमएस-आधारित वन-टाइम पासवर्ड से परे दो-कारक प्रमाणीकरण (2एफए) का अनुपालन करने के अधिक तरीकों की अनुमति देते हैं, 1 अप्रैल से लागू होंगे। भारतीय रिजर्व बैंक ने गुरुवार को यह एलान किया। केंद्रीय बैंक ने कहा कि प्रमाणीकरण का आधार "यूजर्स के पास कुछ है", "यूजर जो जानता है" या "यूजर जो है" हो सकते हैं। इसमें अन्य बातों के साथ-साथ पासवर्ड, एसएमएस-आधारित ओटीपी, पासफ्रेज, पिन, कार्ड हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर टोकन, फिंगरप्रिंट या बायोमेट्रिक्स का कोई अन्य रूप (डिवाइस-नेटिव या आधार-आधारित) शामिल हो सकते हैं। भारत दुनिया के उन बाजारों में से एक है जो 2FA पर जोर देते हैं। इसके तहत वित्तीय क्षेत्र के खिलाड़ी लेनदेन को निष्पादित करने के लिए एसएमएस-आधारित अलर्ट पर भरोसा करते रहे हैं। आरबीआई ने (डिजिटल भुगतान लेनदेन के लिए प्रमाणीकरण तंत्र) निर्देश, 2025 लॉन्च किया है। इसमें यह स्पष्ट किया गया कि 2FA अनिवार्य बना रहेगा और एसएमएस ओटीपी का भी उपयोग किया जा सकता है। केंद्रीय बैंक ने पहली बार फरवरी 2024 में इस कदम की घोषणा की थी ताकि भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र को वैकल्पिक प्रमाणीकरण तंत्र को लागू करने के लिए तकनीकी प्रगति का लाभ उठाने में सक्षम बनाया जा सके। आरबीआई ने कहा कि जोखिम प्रबंधन के नजरिए से वित्तीय प्रणाली के हितधारक लेनदेन के स्थान, उपयोगकर्ता के व्यवहार पैटर्न, डिवाइस विशेषताओं, ऐतिहासिक लेनदेन प्रोफाइल आदि के आधार पर मूल्यांकन के लिए लेनदेन की पहचान कर सकते हैं। केंद्रीय बैंक ने कहा कि यदि इन निर्देशों का पालन किए बिना किए गए लेनदेन से कोई नुकसान होता है, तो जारीकर्ता को बिना किसी आपत्ति के ग्राहक को नुकसान की पूरी भरपाई करनी होगी। इसमें कार्ड जारीकर्ताओं से गैर-आवर्ती, सीमा-पार कार्ड नॉट प्रेजेंट (सीएनपी) लेनदेन को मान्य करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने को भी कहा गया है। इसके तहत 1 अक्टूबर, 2026 से विदेशी व्यापारी या विदेशी अधिग्रहणकर्ता की आरे से प्रमाणीकरण के लिए अनुरोध किया जा सकेगा।

आम आदमी के लिए बड़ी परेशानी: हर OTP के साथ देना होगा अतिरिक्त पैसा

नई दिल्ली  ऑनलाइन धोखाधड़ी पर लगाम लगाने और डिजिटल पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से दूरसंचार विभाग (DoT) ने मोबाइल नंबर वैलिडेशन (MNV) से जुड़ा एक नया मसौदा नियम तैयार किया है। प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, अब मोबाइल नंबर वेरिफिकेशन के लिए सभी संस्थाओं को DoT के प्लेटफॉर्म का ही उपयोग करना होगा और हर वेरिफिकेशन पर शुल्क भी देना होगा।    डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन का यह प्रस्ताव कहता है कि बैंक, फिनटेक और अन्य डिजिटल सेवाएं अब यूजर के मोबाइल नंबर को वेरिफाई करने के लिए केवल DoT के प्लेटफॉर्म का उपयोग करेंगी। बैंकों को प्रति वेरिफिकेशन ₹1.50 और अन्य संस्थाओं को ₹3 खर्च करना होगा। फर्जी या संदिग्ध नंबर को 90 दिनों के लिए बंद भी किया जा सकता है।   विशेषज्ञों के अनुसार, देश के करोड़ों परिवारों के पास एक ही मोबाइल होता है, जिसका उपयोग पूरा परिवार करता है — पेंशन देखने से लेकर डिजिटल शिक्षा और बैंकिंग तक। ऐसे में अगर हर खाते के लिए अलग मोबाइल नंबर की अनिवार्यता होती है, तो ग्रामीण और निम्नवर्ग डिजिटल सेवाओं से कट जाएंगे।