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बाढ़ से पहले भारत ने किया शानदार बचाव, पाकिस्तान में अलर्ट जारी

लाहौर  भारत ने एक बार फिर मानवीयता का परिचय देते हुए पड़ोसी देश पाकिस्तान को बाढ़ के खतरे से आगाह किया, जिसके बाद पाकिस्तानी प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए लगभग डेढ़ लाख लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। यह कदम जम्मू-कश्मीर में तवी नदी में संभावित बाढ़ की चेतावनी के बाद उठाया गया, जिसका असर सीमा पार पाकिस्तान में भी हो सकता है। भारत की इस पहल को दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण रिश्तों के बावजूद मानवीयता का एक बड़ा उदाहरण माना जा रहा है। भारत ने दी समय पर चेतावनी भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के माध्यम से पाकिस्तान को सूचित किया कि जम्मू में तवी नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यह चेतावनी ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पहली आधिकारिक बातचीत के रूप में सामने आई है। बता दें कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया था। इसके बावजूद, भारत ने मानवीय आधार पर यह कदम उठाया। बता दें कि भारत ने पाकिस्तान को यह अलर्ट केवल मानवीय आधार पर दिया है और इसका सिंधु जल संधि से कोई लेना-देना नहीं है। पाकिस्तान में बाढ़ का अलर्ट भारत की चेतावनी के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने तत्काल प्रभाव से बाढ़ का अलर्ट जारी किया। पाकिस्तान का पंजाब प्रांत पहले से ही मूसलाधार बारिश और नदियों के बढ़ते जलस्तर से प्रभावित है। वहां राहत और बचाव कार्य तेज कर दिए गए हैं। पंजाब आपातकालीन बचाव सेवा 1122 के प्रवक्ता फारूक अहमद ने बताया कि कसूर, ओकारा, पाकपट्टन, बहावलनगर और वेहारी जैसे जिलों में सिंधु, चिनाब, रावी, सतलुज और झेलम नदियों के किनारे बसे गांवों से पिछले 24 घंटों में करीब 20,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा जारी बाढ़ की चेतावनी के मद्देनजर ये कदम उठाए गए हैं। पाकिस्तानी प्रशासन ने निचले इलाकों में राहत शिविर स्थापित किए हैं और बचाव अभियान के लिए मशीनरी के साथ टीमें तैनात की हैं। एनडीएमए ने अगले 48 घंटों में और भारी बारिश की चेतावनी भी जारी की है, जिसके चलते इस्लामाबाद, रावलपिंडी, लाहौर और गुजरांवाला जैसे शहरों में बाढ़ का खतरा बना हुआ है। डेढ़ लाख लोगों को सुरक्षित निकाला पाकिस्तान में इस साल जून से शुरू हुए मॉनसूनी मौसम ने भारी तबाही मचाई है। संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय (OCHA) के अनुसार, हाल के दिनों में बाढ़ और भारी बारिश के कारण लगभग 500 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 190 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा, आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की टीमों ने 512 अभियानों में 25,644 लोगों को सुरक्षित निकाला है। हालांकि, कुछ अनुमानों के अनुसार, अब तक डेढ़ लाख से अधिक लोगों को बाढ़ प्रभावित इलाकों से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब प्रांतों में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। बच्चों की स्थिति भी चिंताजनक है, क्योंकि विस्थापन, शिक्षा में बाधा और स्वच्छ जल की कमी उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल रही है। यूनिसेफ के अनुसार, 15 अगस्त के बाद खैबर पख्तूनख्वा में 21 बच्चे मारे गए हैं।

साइबर किल चेन को रक्तबीज बताते हुए उसे तोड़ने के लिए वैश्विक समन्वय और संगठित प्रयास की आवश्यकता जताया गया जोर

चीन, पाकिस्तान जैसे देशों की 'ऑफेंसिव स्ट्रैटेजी' का डटकर मुकाबला करना बेहद जरूरी  -सीएम योगी के मार्गदर्शन में यूपीएसआईएफएस में जारी तीन दिनी सेमिनार के अंतिम दिन एक्सपर्ट्स ने कई प्रमुख विषयों पर पैनल डिस्कशन में लिया हिस्सा -साइबर किल चेन को रक्तबीज बताते हुए उसे तोड़ने के लिए वैश्विक समन्वय और संगठित प्रयास की आवश्यकता जताया गया जोर -अपराधियों को सजा दिलाने तथा न्यायिक प्रक्रिया को सही तरीके से लागू कराने के लिए पारंपरिक तौर-तरीकों से साथ भविष्य आधारित तकनीक के प्रयोग पर हुआ मंथन -फॉरेंसिक साइंस में उन्नति, जीनोम मैपिंग, जिनियोलॉजिकल डाटाबेस निर्माण व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग जैसे विषयों और बदलते परिदश्यों को लेकर हुई सकारात्मक चर्चा लखनऊ  उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार भविष्य आधारित तकनीकों के प्रयोग के जरिए प्रदेश के समक्ष उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करने की तैयारी कर रही है। इस दिशा में सीएम योगी के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंसेस (यूपीएसआईएफएस) में जारी तीन दिवसीय सेमिनार के तीसरे व अंतिम दिन बुधवार को कई अहम विषयों पर लेकर चर्चा हुई। इसमें साइबर सुरक्षा से लेकर फॉरेंसिक साइंस की उन्नति से लेकर कई विषयों पर पैनल डिस्कशन का आयोजन हुआ जिसमें जीनोम मैपिंग, जिनियोलॉजिकल डाटाबेस निर्माण, एआई व आंत्रप्रेन्योरशिप जैसे मुद्दे प्रमुख रहे।              इसी कड़ी में साइबर क्राइम को लेकर एक्सपर्ट्स ने माना कि चीन-पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की ओर से भारत की साइबर सुरक्षा में सेंध लगाने की बढ़ती कोशिशों पर लगाम लगाने की जरूरत है। एक्सपर्ट्स ने माना कि चीन-पाकिस्तान की ऑफेंसिव स्ट्रैटेजी का सामना करने के लिए भारत को तेजी से सिक्योर डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करनेकी जरूरत है। साइबर क्राइम की सबसे अहम कड़ी साइबर किल चेन को रक्तबीज बताते हुए उन्होंने कहा कि इसे वैश्विक प्रयासों के जरिए ही तोड़ा जा सकता है। वहीं, फॉरेंसिक की फील्ड में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और भविष्य आधारित तकनीकों के प्रयोग के जरिए पीड़ितों को न्याय व सहायता दिलाने के साथ दोषियों को दंड दिलाने पर जोर दिया गया। इस दौरान भारत समेत विश्व के कई मामलों का न केवल उल्लेख किया गया बल्कि, उससे मिलने वाली सीख पर भी चर्चा की गई।         छोटा सा परिवर्तन ला सकता है बहुत बड़ा इंपैक्ट बुधवार को पैनल डिस्कशन में हिस्सा लेते हुए महाराष्ट्र के प्रमुख सचिव ब्रजेश सिंह ने साइबर खतरे व पुलिसिंग के वैश्विक परिदृश्य को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि दुनिया में आज छोटा सा परिवर्तन बहुत बड़ा इंपैक्ट ला सकता है। हिज्बुल्ला पेजर अटैक इसका उदाहरण है। उन्होंने कहा कि साइबर किल चेन रक्तबीज की तरह है। भारत का सबसे बड़े पोर्ट यानी 3 महीने के लिए जीएनपीटी का पोर्ट ऑपरेट नहीं हो पाया एक मालवेयर के कारण। यह साइबर किल चेन का उदाहरण था। साइबर क्राइम इंफ्रास्ट्रक्चर को वैश्विक प्रयासों के जरिए ही तोड़ा जा सकता है। उन्होंने बताया कि लॉकबिट को तोड़ने के लिए 11 देशों की सुरक्षा एजेंसियों को साथ आकर काम करना पड़ा। यानी, साइबर क्राइम पर आकर ट्रेडिशनल पुलिसिंग के मेथड फेल हो जाते हैं। साइबर किल चेन मॉड्यूलर होता है। रेकॉन, वेपनाइजेशन, डिलीवरी व उत्पीड़न समेत 7 स्टेज इसका हिस्सा हैं।  संकट को रियल टाइम में मैप करना जरूरी ब्रजेश सिंह ने कहा कि संकट को रीयल टाइम में मैप करना जरूरी है। एक बार खतरा भांपने के बाद सबूतों को चिह्नित कर उन्हें सुरक्षित करने की जरूरत है। साइबर केसेस की भी चेन ऑफ कस्टडी भी फॉरेंसिक्स की तरह ही काम करती है। उन्होंने कहा कि अगले चरण में मनी कटऑफ जरूरी हो जाता है। इसमें वॉलेट, ब्लॉकचेन, डिजिटल मनी समेत जैसी सभी तथ्यों पर कार्य करने की जरूरत है। इसके अगले चरण में क्रिमिनल इंफ्रास्ट्रक्चर को सीज करने की जरूरत है। इसके अतिरिक्त, पोटेंशियल विक्टिम को अलर्ट करने व रिस्पॉन्स मैकेनिज्म पर कार्य करने की जरूरत है और उनकी मदद की जानी चाहिए। साइबर क्राइम पीड़ितों के लिए मदद, परामर्श और न्याय प्रदान करने की प्रक्रिया त्वरित होनी चाहिए। डिजिटल अरेस्ट समेत जितने भी साइबर फ्रॉड हैं उसे न केवल रोकना है बल्कि हर केस से सीख लेकर एक विस्तृत मैकेनिज्म तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने आरबीआई का साइबर सिक्योरिटी फ्रेमवर्क की तारीफ करते हुए जोर देकर कहा कि भारत में डिजिटल सॉवरेनिटी में फोकस करना होगा, इससे केस सॉल्विंग में मदद मिलेगी। साथ ही, यह भी कहा कि हेल्थ डेटा कितना जरूरी है इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अगर हमें पता होता कि जिन्ना को तपेदिक है तो शायद स्थिति अलग होती। साइबर सिक्योरिटी भी कृषि की तरह है, इसे बाहर से इंपोर्ट नहीं किया जा सकता है, इसे भारत में ही विकसित करना होगा।  तेजी से बदल रही है हैकिंग की प्रक्रिया ऑस्ट्रेलिया के साइबर एक्सपर्ट रॉबी अब्राहम ने वर्चुअल माध्यम से पैनल डिस्कशन में जुड़कर हैकिंग की बदलती प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि पहले प्रोग्रामिंग, स्क्रिप्टिंग, ओएस, नेटवर्किंग प्रोटेकॉल,शेलकोड राइटिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल होता था। उन्होंने विभिन्न मालवेयर की जानकारी देते हुए बताया कि फिलीपींस के एक स्टूडेंट ने आई लव यू वॉर्म बनाया था जिसे ईमेल से सर्कुलेट किया गया जिससे 8.7 बिलियन यूएस डॉलर का विश्व को नुकसान हुआ। इसी प्रकार, कन्फिगर वॉर्म के जरिए एक रूसी साइबर क्राइम ग्रुप ने 9 बिलियन यूएस डॉलर का नुकसान कुल 190 देशों में किया। क्रिप्टोलॉकर के पीछे रूसी साइबर क्राइम ग्रुप का हाथ होने की आशंका है जिसके जरिए 27 मिलियन बिटक्वॉइन की ग्लोबली कमाई की गई और इसको फिरौती के रूप में इस्तेमाल किया गया। पर आज के परिदृष्य में चीजें बदल चुकी हैं। उनके अनुसार, अब ई-मेल व सोशल मीडिया पर रैनसमवेयर और फिशिंगवेयर के जरिए साइबर हमले हो रहे हैं। इसके जरिए ब्राउजिंग डाटा, क्रिप्टो वॉलेट समेत कॉन्फिडेंशियल जानकारियों तक हैकर्स का एक्सेस बढ़ जाता है। अब हैकिंग के बजाए हैकर्स लॉगिंग पर फोकस करते हैं। इससे वह सिस्टम एक्सेस कर ऐसे क्रिडेंशियल्स को हासिल कर लेते हैं जो या तो सीधे तौर पर फायदा पहुंचाता है या उसे डार्क वेब पर बेच देते हैं। इसे रोकने के लिए रेगुलर सिक्योरिटी ट्रेनिंग, सभी अकाउंट को एमएफए इनेबल करना, एंटीवायरस का इस्तेमाल, ई-मेल और मैसेज के प्रति … Read more

पाकिस्तान को 300 KM दूर से दी मात, भारतीय वायुसेना ने रचा अनोखा रिकॉर्ड

नई दिल्ली. ऑपरेशन सिंदूर के तीन महीने बाद भारतीय वायुसेना (IAF) ने पहली बार सार्वजनिक रूप से उस बड़े हमले का खुलासा किया है, जिसे सैन्य अधिकारी आधुनिक हवाई युद्ध के इतिहास में अभूतपूर्व मानते हैं। शनिवार को बेंगलुरु में एक व्याख्यान के दौरान वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए. पी. सिंह ने बताया कि 7 मई को पाकिस्तान का एक बड़ा हवाई प्लेटफार्म लगभग 300 किलोमीटर की दूरी से मार गिराया गया। यह संभवतः इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस (ELINT) या एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) विमान हो सकता है। उन्होंने इसे अब तक का सबसे लंबी दूरी से दर्ज सतह-से-आकाश में मारने वाली घटना बताया है। वायुसेना चीफ ने स्पष्ट किया कि “300 किमी की दूरी पर यह रिकॉर्ड किसी विमान के आकार को लेकर नहीं, बल्कि दूरी के लिहाज से है।” ऐसे हमलों की पुष्टि अक्सर कठिन होती है क्योंकि मलबा दुश्मन देश की सीमा में गिरता है और स्वतंत्र रूप से सत्यापन संभव नहीं होता। इस मामले में, वायुसेना प्रमुख का बयान संभवतः इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग के जरिए पुष्टि के बाद ही दिया गया। अधिकारियों के अनुसार, “हमारे पास इलेक्ट्रॉनिक तरीके हैं जिससे हम किसी लक्ष्य को गिराने की पुष्टि कर सकते हैं। रडार पर एक ब्लिप दिखाई देता है और फिर गायब हो जाता है।” 300 किमी दूरी क्यों है खास? इतनी लंबी दूरी से किसी हवाई लक्ष्य को गिराने के लिए सिर्फ़ लंबी दूरी के इंटरसेप्टर मिसाइल (Surface-to-Air Missile – SAM) ही नहीं, बल्कि सटीक ट्रैकिंग, स्थिर टार्गेट लॉक और लक्ष्य तक हथियार की निरंतर मार्गदर्शन क्षमता की जरूरत होती है। भारतीय वायुसेना ने यह क्षमता हाल ही में रूसी S-400 प्रणाली के आगमन के साथ हासिल की। अधिकारियों के मुताबिक, S-400 प्रणाली की 400 किमी तक की मारक क्षमता ने पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को इतनी दूरी पर रोक दिया कि वे लंबी दूरी के ग्लाइड बम का भी इस्तेमाल नहीं कर सके। दुनिया में दुर्लभ उदाहरण हाल के संघर्षों में इतनी लंबी दूरी से सतह-से-आकाश मार के मामले बहुत कम सामने आए हैं। फरवरी 2024 में यूक्रेन ने दावा किया कि उसने रूस के A-50 जासूसी विमान को 200 किमी से अधिक दूरी पर गिराया। फरवरी 2022 में यूक्रेन का एक Su-27 लड़ाकू विमान रूसी S-400 से लगभग 150 किमी की दूरी पर गिरा। 300 किमी की दूरी से इस तरह का हमला सार्वजनिक रूप से दर्ज होना अत्यंत दुर्लभ है। भारत को रूस से अब तक 5 में से 3 S-400 यूनिट मिल चुकी हैं, जिन्हें पाकिस्तान और चीन की सीमा पर तैनात किया गया है। बाकी 2 यूनिट 2025–26 तक मिलने की उम्मीद है। अधिकारियों ने इसकी तुलना ऐसी टॉर्च से की जो सीमा से कई किलोमीटर भीतर तक देख सकती है। ऑपरेशन ‘सिंदूर’ में S-400 के साथ-साथ बराक-8 मीडियम रेंज SAM और स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद ने S-400 के लिए व्यापक वार्षिक रखरखाव अनुबंध को मंजूरी दी है। CAATSA और S-400 डील भारत ने S-400 सौदा 2018 में रूस के साथ किया था, ठीक एक साल बाद जब अमेरिका ने काउंटरिंग अमेरिका’स एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) लागू किया था। यह कानून रूस, ईरान या उत्तर कोरिया से बड़े रक्षा सौदे करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति देता है।  

पाकिस्तान की घोषणा से बढ़ा तनाव: ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम पर अब क्या रुख लेगा अमेरिका?

लाहौर  जिस मकसद को हासिल करने के लिए अमेरिका ने ईरान के नतांज, फोर्डो और इस्फहान न्यूक्लियर साइट पर बी-2 बॉम्बर से विनाशक बम गिराए, जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इजरायल ने ईरान पर हमला किया. पाकिस्तान ने इस मकसद के खिलाफ खुल्लम खुल्ला बयान दिया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा है कि उनका देश ईरान के न्यूक्लियर ड्रीम को सपोर्ट करता है. बता दें कि ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन पाकिस्तान के दौरे पर हैं.  पाकिस्तान पहुंचे राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन का गर्मजोशी से स्वागत किया गया. उनके स्वागत के लिए पीएम शहबाज शरीफ और डिप्टी पीएम इशाक डार एयरपोर्ट पहुंचे. इस दौरे में दोनों देशों ने आर्थिक,सांस्कृतिक रिश्तों को मजबूत करने का वादा किया.  पाकिस्तान और ईरान ने द्विपक्षीय व्यापार को 3 गुना से ज्यादा करने पर सहमति जताई है. पाकिस्तान और ईरान के बीच मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार 3 अरब डॉलर का है. अब इसे दोनों देशों ने 10 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. इसके अलावा प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन के बीच वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने 12 समझौतों और सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए.  ईरान के न्यूक्लियर ड्रीम को पाकिस्तान का समर्थन लेकिन पाकिस्तान द्वारा ईरान के परमाणु शक्ति बनने के सपने को समर्थन देना इस दौरे की अहम बात रही. यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब ईरान और इजरायल/अमेरिका के बीच तनाव चरम पर है, खासकर जून 2025 में इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर हवाई हमलों के बाद.  पाकिस्तान की यह घोषणा न केवल क्षेत्रीय शक्ति संतुलन को प्रभावित करती है, बल्कि यह अमेरिका के साथ उसके रिश्तों पर भी सवाल उठाती है. गौरतलब है कि ट्रंप की नीतियों में अभी पाकिस्तान फोकस में है. ट्रंप ने टैरिफ में पाकिस्तान को अच्छी खासी रियायत दी है और पाकिस्तान पर 19 फीसदी टैरिफ ही लगाया है.  ट्रंप ने पाकिस्तान में तेल निकालने का जुमला भी फेंका है. ट्रंप की इन घोषणाओं से पाकिस्तानी नेतृत्व ऊपरी तौर पर गदगद है. लेकिन ईरान के परमाणु सपने का समर्थन कर पाकिस्तान ने डबल गेम का पासा फेंका है.  पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि ईरान को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग का अधिकार है. ईरान का यही मुद्दा हाल में इजरायल के साथ टकराव की वजह रही थी.  शरीफ ने कहा, "पाकिस्तान शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा प्राप्ति के ईरान के उद्देश्यों के साथ खड़ा है." उन्होंने ईरान के खिलाफ हाल के इजरायली हमलों की निंदा की और अपने मुल्क की रक्षा के लिए तेहरान की सराहना की.  ईरान के परमाणु कार्यक्रम के ऐतिहासिक विरोधी रहे हैं अमेरिका-इजरायल गौरतलब है कि इजरायल और अमेरिका ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर ऐतिहासिक रूप से सख्त और विरोधी रहे हैं. दोनों देश ईरान के परमाणु हथियार विकसित करने की संभावना को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं। अमेरिका ने 2015 के JCPOA (ईरान परमाणु समझौता) के तहत ईरान की परमाणु गतिविधियों पर निगरानी और प्रतिबंध लगाए, लेकिन 2018 में ट्रम्प प्रशासन ने इसे रद्द कर कड़े प्रतिबंध लागू किए.  इजरायल तो ईरान को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है. दोनों देश IAEA की सख्त निगरानी और ईरान पर दबाव बनाए रखने के पक्षधर हैं.  अमेरिका और इजरायल ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को, भले ही वह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए हो, संदेह की दृष्टि से देखते हैं. दोनों देशों का मानना है कि ईरान का दावा "शांतिपूर्ण" होने का एक आवरण हो सकता है, जिसके पीछे सैन्य परमाणु हथियार विकसित करने की मंशा छिपी हो सकती है.  ट्रंप को क्या सफाई देंगे आसिम मुनीर? अब सवाल यह है कि ट्रंप के साथ खाना खाने वाले पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर शहबाज शरीफ के इस कदम पर क्या कहेंगे? मुनीर यह जोर दे सकते हैं कि पाकिस्तान केवल ईरान के शांतिपूर्ण न्यूक्लियर प्रोग्राम का समर्थन करता है, जैसा कि शहबाज शरीफ ने कहा है. यह रुख अमेरिका को यह संदेश देगा कि पाकिस्तान का समर्थन सैन्य न्यूक्लियर महत्वाकांक्षाओं के लिए नहीं है, बल्कि केवल नागरिक उपयोग के लिए है.  गौरतलब है कि ईरान-इजरायल जंग के दौरान एक पूर्व ईरानी जनरल ने यह कहकर सनसनी मचा दी थी कि पाकिस्तान ने हमें आश्वासन दिया है कि यदि इजरायल ईरान पर परमाणु बम का इस्तेमाल करता है, तो वे भी इजरायल पर परमाणु बम से हमला करेंगे. हालांकि पाकिस्तान ने इसकी पुष्टि नहीं की थी.  इस स्थिति में पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व यह कह सकता है कि पाकिस्तान ने ईरान के साथ कोई नया सैन्य सहयोग शुरू नहीं किया है और उसका ये बयान भू-राजनीतिक जरूरतों के अनुरूप है.