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सहारा केस: सिब्बल ने जताई आपत्ति, कहा टुकड़ों में बिक्री से नुकसान; सुप्रीम कोर्ट बोले- देखेंगे!

नई दिल्ली सहारा इंडिया ग्रुप चाहता है कि उसकी प्रॉपर्टीज एक साथ बेच दी जाएं. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई के दौरान Sahara India Commercial Corporation Ltd (SICCL) ने यही गुहार लगाई. ग्रुप ने विभिन्न संपत्तियों जिनमें अंबी वैली (महाराष्ट्र) और सहारा शहर (लखनऊ) जैसी हाई-वैल्यू प्रॉपर्टीज शामिल हैं, को Adani Properties Pvt Ltd को बेचने की अनुमति मांगी है. कोर्ट ने कहा कि पहले यह तय किया जाएगा कि किन प्रॉपर्टीज पर विवाद है और किन पर नहीं. चीफ जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश की बेंच ने केंद्र सरकार, SEBI और अमिकस क्यूरी को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. अब अगली सुनवाई 17 नवंबर को होगी. ‘अंबी वैली’ से ‘सहारा शहर’ तक, 88 प्रॉपर्टीज की सूची, पर कई पर विवाद     सहारा की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि समूह अपनी संपत्तियां बेचकर बकाया राशि चुकाने की योजना बना रहा है. उनके मुताबिक, इन संपत्तियों की वैल्यू लगभग 1.6 लाख करोड़ रुपये है. सिब्बल ने कहा, ‘इनमें 88 प्रॉपर्टीज शामिल हैं. इन्हें एक साथ बेचना जरूरी है. टुकड़ों में बेचने से खरीदार नहीं मिलेंगे.’     SEBI की ओर से कहा गया कि सहारा इन प्रॉपर्टीज को बेच सकता है, बशर्ते बिक्री मार्केट रेट के 90% से कम पर न हो. SEBI ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोर्ट अनुमति देती है, तो उन्हें किसी प्रस्ताव की अलग से जांच करने की आवश्यकता नहीं.     वहीं, एडवोकेट मुकुल रोहतगी, जो Adani Properties Pvt Ltd की ओर से पेश हुए, ने कहा कि कंपनी सभी प्रॉपर्टीज खरीदने को तैयार है. उन्होंने कहा, ‘अगर इसे हिस्सों में बेचा गया तो मुकदमेबाजी कभी खत्म नहीं होगी. हम सब कुछ, सभी क्लेम्स के साथ लेने को तैयार हैं.’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा- पहले अधिकार तय करो, फिर बिक्री होगी     सुनवाई के दौरान अदालत ने साफ किया कि फिलहाल किसी बिक्री पर अनुमति देने से पहले सभी पक्षों के अधिकारों को क्रिस्टलाइज करना जरूरी है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ‘कुछ प्रॉपर्टीज पर कई दावेदार हैं, कुछ पर मुकदमे चल रहे हैं. पहले यह साफ होना चाहिए कि कौन सी प्रॉपर्टी विवादित है और कौन सी नहीं.’     सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन (अमिकस क्यूरी) ने कहा कि कुछ जमीनें ऐसी हैं जिन्हें बेचा ही नहीं जा सकता, क्योंकि वे ‘वेटलैंड्स (जल क्षेत्र)’ हैं. इस पर सीजेआई गवई ने कहा, ‘अगर कोई वेटलैंड खरीदे भी तो वहां निर्माण संभव नहीं होगा.’     कोर्ट ने अमिकस को निर्देश दिया कि वह एक विस्तृत चार्ट तैयार करें, जिसमें यह दर्ज हो कि कौन सी संपत्तियां विवादित हैं, किन पर हक तय हो चुका है, और किन पर ‘शैडो ऑफ डाउट’ है. केंद्र, SEBI और सहारा, तीनों को जवाब दाखिल करने का निर्देश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, जो केंद्र की ओर से पेश हुए, ने कहा कि यह मामला राष्ट्रीय महत्व का है और सरकार को भी अपनी राय रखने का अवसर मिलना चाहिए. इस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि वित्त मंत्रालय (MoF) को भी पार्टी बनाया जाए ताकि केंद्र सरकार इस पर अपना रुख साफ कर सके. सिब्बल ने बताया कि सहारा ने हाल ही में SEBI–Sahara फंड से 500 करोड़ रुपये जारी किए हैं ताकि कुछ कोऑपरेटिव सोसायटीज के भुगतान किए जा सकें. लेकिन अन्य वकीलों ने दावा किया कि अभी भी करीब 9000 करोड़ रुपये का डेफिसिट है. अदालत ने कहा कि सहारा को पहले कर्मचारियों के दावों और बकाया राशि की स्थिति स्पष्ट करनी होगी. ‘एक साथ बिक्री जरूरी’, सिब्बल की दलील, कोर्ट ने कहा ‘देखेंगे’ कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि संपत्तियों को ‘एक बास्केट में’ बेचना ही व्यवहारिक विकल्प है. उन्होंने कहा, ‘अगर एक-एक करके बेचा गया तो निवेशक पीछे हट जाएंगे, जैसा पहले वर्सोवा प्रोजेक्ट में हुआ था.’ जस्टिस गवई ने कहा कि अदालत यह तय करेगी कि प्रॉपर्टीज को एकमुश्त (en bloc) बेचा जाए या अलग-अलग (piecemeal). सीनियर एडवोकेट अरविंद दातर ने सुझाव दिया कि जिन प्रॉपर्टीज पर कोई विवाद नहीं है, उन्हें पहले बेचा जा सकता है और बाकी पर अलग सुनवाई हो.  

यूनाइटेड स्पिरिट्स की जमीन पर जांच शुरू, ईओडब्ल्यू ने विजय माल्या से जुड़े मामले को लिया निशाने पर

भोपाल   सहारा समूह की बेशकीमती जमीन के गड़बड़झाले के बाद अब आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने विजय माल्या के आधिपत्य वाली यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमिटेड के जमीन से जुड़े मामले की जांच शुरू की है। रातीबड़ के किसानों ने ईओडब्ल्यू से 20.16 एकड़ जमीन से जुड़े मामले को लेकर शिकायत की थी। ईओडब्ल्यू (EOW) ने माल्या की कंपनी के बेंगलूरु दफ्तर को नोटिस भेजा है। आरोप है कि जमीन विटारी डिस्लरी की है। माल्या की कंपनी अपना बता बेचने का प्रयास कर रही है। प्राथमिक पड़ताल में सामने आया है कि हर्ष पैकेजिंग की ओर से भोपाल की इस जमीन पर कब्जा जताया जा रहा है। दावा है कि उन्होंने जमीन बोली के जरिए खरीदी। बेचने वाली यूनाइटेड स्पिरिट्स खुद इस जमीन का कागजों में मालिकाना हक नहीं रखती। जांच के लिए ईओडब्ल्यू ने हर्ष पैकेजिंग को नोटिस जारी कर किया है। ऐसे समझिए विवाद – 1999 में विटारी डिस्टलरीज ने 20 एकड़ जमीन खरीदी। चार एकड़ में प्लांट और 16 एकड़ में किसान खेती के लिए थी। – मई 2001 में विटारी का माल्या की मैगडॉवल स्पिरिट्स लि. में कोर्ट के जरिए विलय हो गया, लेकिन राजस्व रिकॉर्ड में जमीन विटारी के नाम रही। – 2019 में नामांतरण की फाइल बढ़ाई तो जिला डिप्टी रजिस्ट्रार ने स्टाम्प शुल्क पेनल्टी सहित 3.50 करोड़ तय किए। – 26 मार्च 2023 को कंपनी ने 1.59 स्टाम्प शुल्क जमा किया तो तहसीलदार ने 20 जून 2023 को यूनाइटेड स्पिरिट्स के रिकॉर्ड में दर्ज किया। – 2023 में शुल्क बदलकर 1.59 करोड़ कर दिया। इस पर काफी विवाद हुआ। – किसानों ने कब्जे को लेकर विवाद किया तो 12 जुलाई 2023 को यूनाइटेड स्पिरिट्स का नामांतरण निरस्त कर दिया गया। – 21 अक्टूबर 2024 को तहसीलदार ने फिर से यूनाइटेड स्पिरिट्स का नामांतरण दर्ज कर दिया। बिना रजिस्ट्री के बेचने नियुक्त किए दो प्रतिनिधि जमीन 1999 में विटारी डिस्लरी प्रालि. ने खरीदी। बाद में विलय मेसर्स मैगडॉवल स्पिरिट्स लि. में हो गया। 2006 में केंद्र ने मैगडॉवल से यूनाइटेड स्पिरिट्स लिमि. कर दिया। रिकॉर्ड में जमीन विटारी के नाम रही। माल्या के प्रतिनिधि गुलाम, राकेश सिन्हा ने कलेक्टर न्यायालय ऑफ स्टाम्प में आवेदन कर नामांतरण का प्रयास किया।

EOW का शिकंजा: विधायक संजय पाठक की कंपनियों के खिलाफ जांच शुरू, मामला दर्ज

भोपाल  सहारा समूह की 310 एकड़ बेशकीमती जमीनों की खरीद-फरोख्त में 72.82 करोड़ रुपए के गबन का खुलासा हुआ है। हैरानी यह है कि 310 एकड़ जमीन का बाजार मूल्य करीब 1000 करोड़ था। उसे पहले 90 करोड़ रुपए में बेचा। इसमें भी 72.82 करोड़ का गबन ही कर लिया गया। इस मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष (ईओडब्ल्यू) ने शुक्रवार को एफआइआर दर्ज की है।  जनवरी से अबतक 6 माह में जमीनों के खरीदार और विक्रेता पक्ष से सवाल-जवाब करने के बाद ईओडब्ल्यू ने सहारा के तीन प्रमुख अधिकारियों सहारा प्रमुख सुब्रता रॉय के भाई जेबी रॉय, बेटे सीमांतो रॉय और ओपी श्रीवास्तव समेत अन्य पर केस दर्ज किया है। बता दें, चे जमीनें बिजयराघवगढ़ के भाजपा विधायक संजय पाठक (bjp mla sanjay pathak) के परिवार की शेयर होल्डिंग कंपनियों के जरिए खरीदी गई है। बताते है, इस एफआइआर के बाद विधायक पाठक की मुश्किलें भी बढ़ सकती है। कौन है तीनों आरोपी     सीमांतो रॉय, कॉर्पोरेट कंट्रोल मैनेजमेंटसहारा प्रमुख सुब्रत रॉय के बेटे हैं। जबलपुर और कटनी के जमीन सौदे के निर्णय में सीधे तौर पर शामिल थे।     जेबी रॉय डिप्टी मैनेजिंग वर्करसहारा प्रमुख के भाई हैं। भोपाल की जमीन सौदे में सक्रिय भूमिका थी। लंबे समय से विदेश में हैं।     ओपी श्रीवास्तव डिप्टी मैनेजिंग वर्करसहारा के लैंड डिविजन के प्रमुख हैं। इसलिए जमीनों की खरीद-फरोख्त के मसले में आरोपी बनाया गया। हैरान कर देने वाला विचित्र घोटाला सहारा समूह की भोपाल, सागर, जबलपुर, कटनी और ग्वालियर स्थित जमीनों में गबन किया गया है। ईओडब्ल्यू की जांच में खुलासा हुआ है कि भोपाल और सागर में सहारा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन किया। नियमानुसार, जमीन बेचने के बाद पूरी राशि सहारा और सेबी के संयुक्त खाते में जमा करना था। लेकिन 48 करोड़ में जमीन बेचने के बाद भी एक पैसा जमा नहीं किया। जबलपुर और कटनी में भूमि विकास व्यय और विविध शासकीय व्यय के नाम पर 9.6 करोड़ से अधिक राशि काट ली गई। ग्वालियर में भी 1.22 करोड़ की राशि काटकर गबन किया गया। विधायक संजय पाठक की पारिवारिक फर्मों ने किया सौदा सहारा की 310 एकड़ जमीन कौड़ी के भाव विजयराघवगढ़ से भाजपा विधायक संजय पाठक के परिकर की फर्मों से किया। भोपाल में 110 एकड़ जमीन पाठक की पारिवारिक कर्म सिनाप रियल एस्टेट प्रालि को बेची। फर्म में विधायक की मां निर्मला पाठक और बेटे यश पातक की 50-50% शेयर हैं। कटनी और जबलपुर में सहारा की करीब 200 एकड़ जमीन थी। इसका सौदा भी मेसर्स नामसा देवबिल्ड प्राप्ति से किया। इस फर्म में भी निर्मला पाठक और यश 50 50% के शेयर होल्डर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिया था ये आदेश सहारा को जमीनों की बिकी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 11 जुलाई 2016 को स्पष्ह निर्देश जामी इलाके अनुसार, सहामा की संपति की बिक्री की राशि सेबी-सहारा रिफंड अकाउंट में उमा करनी थी। ताकि सहारा के निवेशकों का लौटाया जा सके। इसी आदेश का उल्लघन किया गया।