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मंत्री राकेश सिंह की अगुवाई में ऐतिहासिक पौधरोपण महाअभियान का शुभारंभ किया

लोक निर्माण विभाग ने एक दिन में लगाए 2 लाख से अधिक पौधे पौधारोपण स्थल की जियोमैपिंग कर सैटेलाइट से की जायेगी मॉनिटरिंग पौधों के विकास की निगरानी का अभिनव प्रयोग भोपाल  हरित मध्यप्रदेश की परिकल्पना को साकार करने के लिए लोक निर्माण विभाग ने मंत्री श्री राकेश सिंह की अगुवाई में ऐतिहासिक पौधरोपण महाअभियान का शुभारंभ किया। इस एक दिन में विभाग द्वारा पूरे प्रदेश में 2 लाख से अधिक पौधों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक प्रेरणादायक कीर्तिमान स्थापित किया है, जो सतत विकास और हरियाली के प्रति विभाग की सशक्त प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भोपाल में आयोजित मुख्य कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोक निर्माण मंत्री श्री राकेश सिंह ने कहा की “पौधरोपण सिर्फ औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ, सुरक्षित और समृद्ध भविष्य देने का हमारा दृढ़ संकल्प है।” उन्होंने कहा कि प्रारंभ में जहाँ 1 लाख पौधों का लक्ष्य रखा गया था, वहीं विभाग के अधिकारियों और इंजीनियरों की प्रतिबद्धता, समर्पण और उत्साह के चलते यह संख्या बढ़कर 2 लाख से अधिक पौधों तक पहुँच गई। यह केवल एक आंकड़ा नहीं बल्कि हरित मध्यप्रदेश की दिशा में एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक उपलब्धि है जो सामूहिक प्रयासों की शक्ति को दर्शाती है। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि इस पौधारोपण को वैज्ञानिक पद्धति से जोड़ा गया है। प्रत्येक पौधे की सैटेलाइट मॉनिटरिंग की योजना बनाई गई है, जिसमें अहमदाबाद स्थित भास्कराचार्य संस्थान का सहयोग प्राप्त हो रहा है। इसके माध्यम से पौधों की वृद्धि और संरक्षण की डिजिटल निगरानी सुनिश्चित की जा सकेगी। यह वृक्षारोपण सड़क किनारे, विभागीय भवन परिसरों, तालाबों एवं सार्वजनिक स्थलों पर किया गया है, जिससे शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में हरियाली को बढ़ावा मिलेगा। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘हरित भारत’ के संकल्प और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पर्यावरण-अनुकूल विकास के विजन ने मध्यप्रदेश में वृक्षारोपण और प्रकृति संरक्षण को एक जनआंदोलन का रूप दिया है। उन्होंने कहा कि आज जब पूरी दुनिया पर्यावरण संकट से जूझ रही है, ऐसे समय में यह पहल प्रेरक उदाहरण बनेगी। उन्होंने आमजन, विभागीय अधिकारियों, अभियंताओं और उनके परिवारों से इस अभियान में सक्रिय भागीदारी करने का आह्वान किया। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि लोक निर्माण विभाग अब केवल भौतिक संरचनाओं के निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि जल संरक्षण, हरित तकनीकों के उपयोग और पारिस्थितिकी संतुलन को अपनी कार्यशैली में प्राथमिकता दे रहा है। उन्होंने कहा कि “लोक निर्माण से लोक कल्याण” केवल एक नारा नहीं है, बल्कि विभाग की मूल कार्यनीति है, जिसमें अब पर्यावरणीय संतुलन को अनिवार्य रूप से शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि विकास की तेज़ रफ्तार के साथ प्रकृति का संरक्षण अब प्रत्येक अभियंता और अधिकारी की सामूहिक जिम्मेदारी है। इसी दृष्टिकोण से विभाग ने ‘लोक कल्याण सरोवर’ योजना की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत सड़क निर्माण में उपयोग हुई मिट्टी का युक्तियुक्त उपयोग करते हुए स्थायी जल संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है। इन सरोवरों को विज्ञानसम्मत ढंग से डिज़ाइन किया गया है तथा उनका सौंदर्यीकरण, वृक्षारोपण, सूचना पटल और जियो-टैगिंग की जा रही है। इस योजना के तहत 500 लोक कल्याण सरोवर बनाए जाने का लक्ष्य रखा गया है। मंत्री श्री सिंह ने कहा कि विभाग ने सड़क किनारे रिचार्ज बोर निर्माण की पहल भी शुरू की है, जिससे वर्षा जल को भूगर्भ तक पहुँचाकर ग्राउंडवाटर रिचार्ज किया जा सकेगा।वर्तमान और निर्माणाधीन फ्लाईओवर और आरओबी में वर्षा जल संचयन के लिए आवश्यक निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने आश्वस्त किया कि आने वाले वर्षों में इस अभियान को और अधिक व्यापक बनाया जाएगा तथा हर परियोजना में प्रकृति का समावेश सुनिश्चित किया जाएगा। विधायक श्री भगवानदास सबनानी ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया। कार्यक्रम में शिक्षाविद एवं सलाहकार समिति सदस्य श्री विक्रांत सिंह तोमर, सलाहकार समिति सदस्य श्री अजय के जैन सहित प्रमुख अभियंता शामिल थे। प्रदेशभर से लोक निर्माण विभाग के अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े।  

ट्रंप के फैसले से वैश्विक संकट? रिपोर्ट में दावा– 2030 तक करोड़ों की जान जा सकती है

वॉशिंगटन/न्यूयॉर्क अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में विदेशी मानवीय सहायता में की गई जबरदस्त कटौती ने पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल The Lancet में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अगर अमेरिका ने विदेशी सहायता में मौजूदा स्तर की कटौती जारी रखी, तो साल 2030 तक दुनियाभर में 1.4 करोड़ अतिरिक्त मौतें हो सकती हैं। हर साल लाखों बच्चों की जान पर संकट रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि इस अनुमानित मौतों में से करीब 45 लाख मौतें 5 साल से कम उम्र के बच्चों की हो सकती हैं। यानी हर साल औसतन 7 लाख मासूमों की जान जा सकती है – वो भी सिर्फ इसलिए क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी ताकत ने अपना मानवीय समर्थन पीछे खींच लिया है। USAID की योजनाएं 80% तक रद्द, सबसे ज्यादा असर गरीब देशों पर ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका की विकास सहायता एजेंसी USAID की 80% से अधिक योजनाएं रद्द कर दी हैं, जिससे अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के गरीब व मध्यम आय वर्ग के देशों में स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस कटौती की पुष्टि की थी। रिपोर्ट की बड़ी चेतावनी   The Lancet की रिपोर्ट के सह-लेखक और ग्लोबल हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. डेविड रासेला ने कहा, “इतने बड़े पैमाने पर सहायता में कटौती का असर किसी महामारी या युद्ध जैसा विनाशकारी हो सकता है। इससे दो दशकों की प्रगति एक झटके में रुक सकती है।”   भूख और कुपोषण से हाहाकार कटौती का सीधा असर उन देशों पर पड़ा है, जहां पहले से ही संसाधनों की भारी कमी है। केन्या के काकुमा शरणार्थी कैंप में हालात इतने खराब हो चुके हैं कि बच्चे भूख से तड़प रहे हैं। एक रिपोर्ट में एक बच्ची का ज़िक्र किया गया है जिसकी हालत इतनी गंभीर थी कि वह हिल भी नहीं पा रही थी, और उसकी त्वचा गिरने लगी थी। UN की चेतावनी  संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी ट्रंप प्रशासन की इस नीति को लेकर गहरी चिंता जताई है। अधिकारियों का कहना है कि यह स्थिति एक "गंभीर मानवीय आपदा" जैसी है, जिसमें लाखों लोगों की जानें जोखिम में हैं।  

लोकार्पण: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का काफिला जनता के उत्साह ने रोका, पैदल चलकर स्वीकार किया अभिवादन

गोरखपुर आयुष विश्वविद्यालय के लोकार्पण कार्यक्रम से लौटते समय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का काफिला उस समय रुक गया। जब असुरन चौक पर भारी संख्या में लोग उनका स्वागत करने के लिए जुट गए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जब वापस लौट रही थीं, तभी लोगों का उत्साह देख वह खुद को रोक नहीं पाईं। उन्होंने गाड़ी से उतरकर जनता का अभिवादन स्वीकार किया। इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ थे। राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री को अचानक अपने बीच देखकर लोग और ज्यादा उत्साहित हो गए। राष्ट्रपति ने हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन किया और कुछ कदम पैदल भी चलीं। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था के कड़े इंतजाम किए गए थे, लेकिन लोगों का जोश देखते ही बन रहा था। दरअसल राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को यूपी को पहले आयुष विश्वविद्यालय की सौगात दी। गोरखपुर में 52 एकड़ में स्थापित गुरु गोरक्षनाथ आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण करने के बाद उन्होंने कहा कि आयुष विश्व में भारत का डंका बजा रहा है। उन्होंने स्वास्थ्य को संपदा बताते हुए इसे ठीक रखने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक विकसित हो, इसके लिए हमें भी आज से ही प्रयास करना होगा। शैक्षणिक, चिकित्सा समेत यह संस्था भी इसका माध्यम बनेगी। राष्ट्रपति ने महायोगी गुरु गोरखनाथ की पवित्र धरती को नमन करते हुए अपनी बात शुरू की। उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ के बारे में कहा गया है कि आदि गुरु शंकराचार्य के बाद इतना प्रभावशाली महापुरुष भारत में दोबारा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ के नाम पर स्थापित यह विश्वविद्यालय समृद्ध, प्राचीन परंपराओं का नवनिर्मित व प्रभावशाली आधुनिक केंद्र है। यह उत्तर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश में मेडिकल एजुकेशन व चिकित्सा सेवा के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। इस विश्वविद्यालय से संबद्ध लगभग 100 आयुष कॉलेज उत्कृष्टता से लाभान्वित हो रहे हैं। आयुष पद्धतियों में स्नातक से लेकर उच्चतम उपाधियों के स्तर पर भी शिक्षण एवं शोध कार्य किया जाएगा। यहां आयुष पद्धति से जुड़े रोजगारपरक पाठ्यक्रमों की शिक्षा दी जाएगी। पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विश्वस्तरीय व स्वीकार्य बनाने के लिए शोध कार्य पर विशेष बल दिया जाएगा। राष्ट्रपति ने की योगी के परिश्रम को सराहा राष्ट्रपति ने यूपी के प्रथम आयुष विश्वविद्यालय की उत्कृष्ट परिकल्पना व निर्माण को दिशा-गति प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया। राष्ट्रपति ने अथक शब्द की चर्चा की, उन्होंने बताया कि अथक मतलब थकना मना है। दिन रात परिश्रम करना पड़ेगा। निद्राजीत बनना है। डॉक्टर कहते हैं कि छह से आठ घंटे सोना पड़ेगा, वरना शरीर साथ नहीं देगा, लेकिन सीएम आदित्यनाथ जैसे योगी कहते हैं कि निद्रा पर जय करने और खुद को शारीरिक व मानसिक सशक्त बनाने के लिए योग करना होगा। योग करने से आठ घंटे की नींद तीन घंटे में पूरी होगी। सीएम योगी का अथक परिश्रम और जनता के प्रति समर्पण भाव है। इस एरिया में इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि सुविधाएं जनता को समर्पित हैं।  

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा- सीएम योगी बिना थके, बिना रुके कार्य कर रहे हैं, डॉक्टर व नर्स को भी ऐसा ही बनना होगा

गोरखपुर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंगलवार को गोरखपुर में उत्तर प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण किया। यह आयुष विश्वविद्यालय भटहट क्षेत्र के पिपरी में 52 एकड़ क्षेत्रफल में बना है। इस विश्वविद्यालय के निर्माण में 267.50 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। राष्ट्रपति सोमवार से उत्तर प्रदेश के दो दिवसीय दौरे पर हैं। आयुष विश्वविद्यालय के लोकार्पण के अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि तपस्या साधना की धरती गोरखपुर राष्ट्रप्रेम की भी भूमि है। गोरखपुर धरती से जुड़ी महानविभूतियों को नमन करते हुए राष्ट्रपति ने गीता प्रेस का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मंदिर में पूजा-अर्चना करने के मौके पर कल गीता प्रेस की ओडिया भाषा में मुझे शिव पुराण और भगवद्गीता पुस्तक भेंट की गयी। गीता प्रेस का योगदान बहुत अच्छा है। उन्होंने कहा कि महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण करके हमें प्रसन्नता हो रही है। मुझे खुशी हो रही है कि यहां उच्चस्तरीय सुविधाओं की व्यवस्था की गयी है। यहां आयुष पद्धतियों में स्नातक से लेकर उच्च स्तर का शिक्षण किया जाएगा। आयुष पद्धतियों से जुड़ी शिक्षा, पारम्परिक पद्धतियों के शोध कार्य पर विशेष जोर दिया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी को धन्यवाद देना चाहती हूं। उन्होंने अथक और निद्राजीत का उल्लेख करते हुए कहा कि योगी बिना थके, बिना रुके कार्य कर रहे हैं। डाक्टर और नर्स को भी अथक और निद्राजीत बनना होगा। आप सब जीवनदायिनी हैं। आपको आत्मावलोकन करना चाहिए कि क्या हम बेहतर कर पा रहे हैं। भारत योगी और ऋषियों की भूमि है। राष्ट्रपति ने कहा कि जल, थल, आकाश, वायु और अग्नि से मिलकर बना यह शरीर है। हमारे पास आज सारी सुविधाएं हैं। क्या यह सारी सुविधाओं का हमे उपयोग करना ठीक है। हम आभारी हैं प्रधानमंत्री मोदी के, उन्होंने योग का बढ़ावा दिया। आज भारत का डंका पूरे विश्व में बज रहा है। हम कहते हैं कि स्वास्थ्य ही संपदा है। भारत को विश्व गुरु बनने के लिए हमें आज से ही प्रयास करना होगा। राष्ट्रपति ने आहार, विहार पर भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि हमे स्वथ रहना है तो इलाज के साथ इसे भी अपनाना होगा। आयुर्वेद दवाओं की एक्सपायरी नहीं है। देश-विदेश की उपयोगी चिकित्सा पद्धतियों को 2014 के बाद देश और 2017 के बाद उप्र ने आयुष विभाग स्थापित कर अपनाया है। आयुष पद्धतियों की लोकप्रियता बढ़ रही है। महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विवि इसमें बहुत ही उपयोगी साबित होगा। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि आयुष विवि खुलने से इलाज बेहतर होगा। साथ ही किसानों को भी फायदा होने वाला है। आयुर्वेद की दवाएं बनाने के लिए कई विशेष प्लांट चाहिए। वह खेत में ही होगा। इन दवाओं में केमिकल नहीं उपयोग किया जाएगा। हमारे पास एलोपैथी, आयुर्वेद और होम्योपैथी भी है। हमें अपनी पद्धति का प्रचार करना होगा। हमारे डाक्टरों, जनप्रतिनिधियों, समाजसेवियों की कमी की वजह से प्रचार नहीं हुआ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज का यह दिन अत्यंत गौरवशाली क्षण है। राष्ट्रपति के कर कमलों से आयुष विवि का लोकार्पण हो रहा है। हम सब जानते हैं कि 2014 के पहले हमारी पारम्परिक चिकित्सा को स्थान मिलना चाहिए, वह नहीं मिल पाया था। केन्द्र में मोदी सरकार आने के बाद से योग, नेचुरोपैथी, आयुर्वेद, युनानी जैसी अन्य परम्परागत पद्धतियों को नई पहचान मिल रही है। अब इस विवि में पढ़ाई के लिए प्रवेश शुरू हो जाएगा।इस माैके पर उप्र के मंत्री सूर्य प्रताप शाही, स्वतंत्र देव सिंह, संजय निषाद, दयाशंकर मिश्र दयालु, सांसद रविकिशन शुक्ल समेत कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे।  

एक लीक फोन कॉल ने इस महिला प्रधानमंत्री को अपने पद से सस्पेंड करवा दिया.

बैंकॉक  थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने  प्रधानमंत्री पैतोंगटर्न शिनावात्रा को उनके पद से अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। यह फैसला एक लीक हुई फोन कॉल को लेकर लिया गया है, जिसमें कथित तौर पर सरकारी शक्तियों के दुरुपयोग का संकेत मिलता है। क्या है पूरा मामला? शिनावात्रा पर आरोप है कि उन्होंने एक गुप्त फोन कॉल के जरिए संवैधानिक सीमाओं से परे जाकर सरकारी हस्तक्षेप किया। इस कॉल में वे न्यायिक और प्रशासनिक संस्थाओं को प्रभावित करने की बात करती हुई सुनाई दीं। अदालत ने इसे संविधान के अनुच्छेदों के उल्लंघन के रूप में देखा और तत्काल प्रभाव से उन्हें पद से हटाने का आदेश दिया।  कौन करेगा अब काम? प्रधानमंत्री पद से निलंबन के बाद, कार्यवाहक प्रधानमंत्री का काम उप-प्रधानमंत्री को सौंपा गया है। हालांकि, कोर्ट में मामले की अंतिम सुनवाई पूरी होने तक शिनावात्रा अपनी शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकेंगी। पार्टी की प्रतिक्रिया शिनावात्रा की पार्टी, फ्यू थाई पार्टी, ने इस फैसले पर निराशा जताई है और कहा है कि यह एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा हो सकता है। पार्टी समर्थकों ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है।   राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि अदालत उन्हें दोषी ठहराती है, तो नई सरकार बनाने या मध्यावधि चुनाव कराने की स्थिति बन सकती है। फिलहाल देश में राजनीतिक अस्थिरता गहराने के संकेत मिल रहे हैं। सीमा विवाद को सुलझाने के लिए शिनावात्रा ने कंबोडिया के ताकतवर नेता हुन सेन के साथ फोन पर बातचीत की थी, जिसकी कॉल रिकॉर्डिंग लीक हो गई. इस फोन कॉल के दौरान दोनों नेताओं ने सीमा विवाद पर चर्चा की और बातचीत में शिनावात्रा ने हुन सेन को 'अंकल' कहकर संबोधित किया. साथ ही कहा कि अगर उन्हें कुछ चाहिए तो वह उसका ख्याल रखेंगी. इसके अलावा शिनावात्रा ने थाई सैन्य कमांडर को अपना 'प्रतिद्वंद्वी' बताया, जिसके कारण पीएम की काफी आलोचना हुई और उन पर दुश्मन देश के आगे घुटने टेकने का आरोप लगा.  दुश्मन देश के आगे झुकने का आरोप रूढ़िवादी सांसदों ने उन पर कंबोडिया के सामने झुकने और सेना को कमजोर करने का आरोप लगाया है. साथ ही आरोप लगाया है कि उन्होंने मंत्रियों के बीच 'स्पष्ट ईमानदारी' और 'नैतिक मानकों' की जरूरत वाले संवैधानिक प्रावधानों के खिलाफ जाकर काम किया है. इसी लीक फोन कॉल के बाद पूरे देश में पीएम शिनावात्रा के खिलाफ आक्रोश फैल गया और उनको संवैधानिक जांच का सामना करना पड़ रहा है. पैटोंगटार्न शिनावात्रा ने सोमवार को कहा कि वह अदालती प्रक्रिया को स्वीकार करेंगी और उसका पालन करेंगी. हालांकि वह नहीं चाहतीं कि उनके काम में कोई रुकावट आए. उन्होंने पत्रकारों से कहा, 'अगर आप मुझसे पूछें कि क्या मैं चिंतित हूं, तो मैं परेशान हूं.' इससे पहले थाईलैंड के राजा महा वजिरालोंगकोर्न ने मंत्रिमंडल में फेरबदल का समर्थन किया था, जो उस समय मजबूरी में किया गया था, जब लीक हुए फोन कॉल की वजह से एक प्रमुख पार्टी ने शिनावात्रा की गठबंधन सरकार से नाता तोड़ दिया था. कैबिनेट में हुआ फेरबदल इस फेरबदल में पूर्व उप प्रधानमंत्री अनुतिन चारविरकुल को पद से हटाया गया, जो भूमजैथई पार्टी के नेता थे, जिन्होंने फोन कॉल लीक के बाद सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. अनुतिन की जगह फुमथम वेचायाचाई की नियुक्ति की गई है, जो पहले रक्षा मंत्री थे और अब उन्हें गृह मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. रक्षा मंत्री का पद खाली छोड़ दिया गया और उप मंत्री को कार्यवाहक मंत्री बनाया गया है. शिनावात्रा ने खुद संस्कृति मंत्री का पद संभाला है. उन्होंने कहा कि वह वैश्विक स्तर पर थाई संस्कृति को बढ़ावा देना चाहती हैं. प्रधानमंत्री बनने से पहले शिनावात्रा ने थाईलैंड के भोजन, संस्कृति और खेल पर फोकस करते हुए देश की 'सॉफ्ट पावर' को बढ़ावा देने में अहम रोल निभाया था. पीएम पद भी जा सकता है संवैधानिक न्यायालय ने पिछले साल नैतिकता के उल्लंघन के कारण उनके पूर्ववर्ती श्रेथा थाविसिन को बर्खास्त कर दिया था. पूर्व पीएम थाविसिन पर एक अपराधी को मंत्री बनाने का आरोप था. थाईलैंड की अदालतों, विशेष रूप से संवैधानिक कोर्ट को राजशाही प्रतिष्ठान के एक गढ़ के रूप में देखा जाता है, जिसने राजनीतिक विरोधियों को डुबोने के लिए उनका और चुनाव आयोग जैसी नाममात्र की स्वतंत्र एजेंसियों का इस्तेमाल किया है. शिनावात्रा को राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोधक आयोग के कार्यालय की तरफ से कथित तौर पर नैतिकता के उल्लंघन की जांच का भी सामना करना पड़ रहा है, जिसका फैसला आने पर उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाया भी जा सकता है. इस कॉल पर आक्रोश विशेष तौर पर शिनावात्रा की तरफ से थाई सैन्य कमांडर पर दिए बयानों और सीमा पर तनाव कम करने के लिए कंबोडियाई नेता हुन सेन को खुश करने की कोशिशों को लेकर था. पैटोंगटार्न शिनावात्रा थाईलैंड की सबसे युवा प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ देश की दूसरी महिला पीएम हैं. वह पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनावात्रा की सबसे छोटी बेटी हैं. पैटोंगटार्न अपने परिवार से थाईलैंड की पीएम बनने वाली तीसरी नेता हैं. उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा और बुआ यिंगलुक शिनावात्रा भी पीएम रह चुके हैं. 

IND vs ENG: Playing XI में उलटफेर तय? एजबेस्टन टेस्ट में ये हो सकते हैं नए चेहरे

नई दिल्ली भारत को चयन के मामले में पारंपरिक सोच से अलग हटकर इंग्लैंड के खिलाफ बुधवार से शुरू हो रहे दूसरे टेस्ट मैच में फैसला लेना चाहिए। बल्लेबाजों की मददगार पिच पर ऐसे गेंदबाजों को चुनना होगा जो पूरे 20 विकेट ले सकें। हेडिंग्ले में पहले टेस्ट के आखिरी दिन इंग्लैंड ने जब 371 रन का लक्ष्य आसानी से हासिल कर लिया तब भारतीय टीम प्रबंधन ने खुद स्वीकार किया था कि कुलदीप यादव की कमी टीम को खली। सहायक कोच रियान टेन डोइशे ने कहा कि भारत टीम संयोजन तलाशने की कोशिश में है जिससे बल्लेबाजी की गहराई पर असर नहीं पड़े और ऐसे गेंदबाज भी हों जो 20 विकेट ले सकें। डोइशे ने कहा, रणनीति की बात करें तो हम हर गेंदबाज को व्यक्तिगत तौर पर देख रहे हैं कि वे विकेट ले सकते हैं या नहीं। हम संतुलन बनाने की कोशिश कर रहे हैं और सर्वश्रेष्ठ टीम संयोजन लेकर उतरना चाहेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘टीम को पूरे 20 विकेट की जरूरत है । इंग्लैंड टीम भी इसी प्रयास में होगी और हमें उसका भी ध्यान रखना है । हम इस पर लगातार बात कर रहे हैं और हल निकालने की कोशिश में हैं।’’ बर्मिंघम में मौसम गर्म है और पिच पर ऊपर घास है लेकिन नीचे से यह सूखी है। इसी मैदान पर तीन साल पहले इंग्लैंड ने 378 रन का लक्ष्य हासिल करके श्रृंखला ड्रॉ कराई थी। पिछले कुछ साल में काउंटी क्रिकेट में इस मैदान पर काफी रन बने हैं। इस मैदान पर स्पिनरों की भूमिका अहम होगी और भारत को तय करना है कि वे रविंद्र जडेजा की मदद करने वाले वॉशिंगटन सुंदर को उतारेगा या विकेट लेने में माहिर कुलदीप को जगह मिलेगी। यह तो तय है कि भारत दो स्पिनरों के साथ उतरेगा। पहले टेस्ट में शार्दुल ठाकुर तेज गेंदबाज हरफनमौला थे लेकिन संभव है कि बल्लेबाजी हरफनमौला नीतिश कुमार रेड्डी को दूसरे टेस्ट में जगह मिले। ठाकुर ने पहले टेस्ट में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन नहीं किया लेकिन एक टेस्ट के बाद बाहर करना भी ज्यादती होगी। जसप्रीत बुमराह की उपलब्धता पर भी संदेह है। अगर वह दूसरा टेस्ट नहीं खेलते हैं तो तेज गेंदबाजी का जिम्मा मोहम्मद सिराज, आकाश दीप और प्रसिद्ध कृष्णा संभालेंगे। बुमराह के नहीं खेलने पर इस तिकड़ी को अतिरिक्त जिम्मेदारी निभानी होगी। हेडिंग्ले में पांचवें दिन टर्निंग पिच पर कोई कमाल नहीं कर सके जडेजा अपनी उपयोगिता साबित करने को बेताब होंगे। पहले टेस्ट में भारत की कैचिंग काफी खराब रही और यशस्वी जायसवाल को स्लिप से हटाना पड़ गया। पहले टेस्ट की दोनों पारियों में भारत के निचले क्रम के बल्लेबाजों ने कोई योगदान नहीं दिया जिसमें सुधार करना होगा। पहले मैच में शतक लगाने वाले केएल राहुल, यशस्वी जायसवाल, ऋषभ पंत और कप्तान शुभमन गिल इस लय को कायम रखना चाहेंगे। साइ सुदर्शन और करूण नायर को खराब शुरूआत के बावजूद फिर मौका मिल सकता है। दूसरी ओर इंग्लैंड के तेज गेंदबाज जोफ्रा आर्चर ने परिवार में इमरजेंसी के कारण मैच से नाम वापिस ले लिया है लेकिन क्रिस वोक्स की अगुवाई में गेंदबाजी आक्रमण आत्मविश्वास से भरा है। उन्होंने दो बार भारत के पूरे दस विकेट लिये थे। टीमें : इंग्लैंड : जैक क्रॉली, बेन डकेट, ओली पोप, जो रूट, हैरी ब्रुक, बेन स्टोक्स (कप्तान), जेमी स्मिथ (विकेट कीपर), क्रिस वोक्स, ब्रायडन कार्स, जोश टंग और शोएब बशीर। भारत: शुभमन गिल (कप्तान), ऋषभ पंत (उपकप्तान और विकेटकीपर), यशस्वी जायसवाल, केएल राहुल, साई सुदर्शन, अभिमन्यु ईश्वरन, करुण नायर, नितीश रेड्डी, रवींद्र जडेजा, ध्रुव जुरेल (विकेटकीपर), वाशिंगटन सुंदर, शार्दुल ठाकुर, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, प्रसिद्ध कृष्णा, आकाश दीप, अर्शदीप सिंह, कुलदीप यादव, हर्षित राणा। समय: मैच भारतीय समयानुसार दोपहर 3:30 पर शुरू होगा।  

महिला प्रधानमंत्री की गुप्त बातचीत लीक, बर्खास्तगी तक पहुंचा मामला

थाईलैंड थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने कंबोडिया के एक पूर्व नेता के साथ फोन कॉल के लीक होने के मामले में जांच लंबित रहने तक प्रधानमंत्री पेटोंगटार्न शिनवात्रा को पद से निलंबित कर दिया है। न्यायाधीशों ने नैतिकता के उल्लंघन के आरोप वाली याचिका पर सर्वसम्मति से विचार किया और उन्हें पद से निलंबित करने के पक्ष में दो के मुकाबले सात मतों से मतदान किया। पेटोंगटार्न को कंबोडिया के साथ हालिया सीमा विवाद से निपटने के लिए बढ़ते असंतोष का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें 28 मई को एक सशस्त्र टकराव शामिल है जिसमें एक कंबोडियाई सैनिक मारा गया था। सीमा विवाद पर कूटनीतिक पहल के दौरान लीक हुए इस फोन कॉल के कारण उनके खिलाफ कई शिकायतें और सार्वजनिक विरोध सामने आए। ऑडियो कॉल में क्या था मीडिया रिपोर्ट्स के दौरान कुछ समय पहले ही एक फोन कॉल लीक हुआ था। इसमें पेटोंगटार्न कंबोडिया के पूर्व नेता हुन सेन से बात कर रही थीं। रिकॉर्डिंग में वह थाईलैंड के बड़े सैन्य अधिकारी से बात कर रही थीं और सेन को 'अंकल' बता रही थीं। साथ ही यह आश्वासन भी दे रही थीं कि सेन कुछ चाहते हैं, तो 'वह इस बात का ध्यान रखेंगी।' हो रही थी इस्तीफे की मांग थाईलैंड की राजधानी में शनिवार को हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी पेटोंगटार्न के इस्तीफे की मांग कर रहे थे। यह प्रदर्शन फोन पर हुई बातचीत के लीक होने के बाद पैदा हुई राजनीतिक उथल-पुथल के बीच हो रहे थे। कंबोडिया के साथ 28 मई को हुए सीमा विवाद में सशस्त्र टकराव के बाद पेटोंगटार्न के प्रति असंतोष बढ़ गया है। कंबोडिया के एक सैनिक की विवादग्रस्त क्षेत्र में हत्या कर दी गई थी। दरअसल शिनावात्रा की क्षेत्रीय सेना कमांडर के प्रति टिप्पणियां और सीमा पर तनाव कम करने के लिए कंबोडियाई सीनेट के अध्यक्ष हुन सेन की कथित खुशामद के प्रयासों को लेकर लोगों में रोष है। सूरत थानी प्रांत के 47 वर्षीय गाइड तचाकोर्न श्रीसुवान ने कहा कि वह लीक बातचीत के मद्देनजर शिनावात्रा के इस्तीफे की मांग करने के लिए बैंकॉक पहुंचे हैं। उन्होंने कहा, 'हमारे पास कभी भी ऐसा कमजोर प्रधानमंत्री नहीं रहा। हम किसी पर आक्रमण नहीं करना चाहते, लेकिन हम यह कहना चाहते हैं कि हम थाई नागरिक हैं और हम थाईलैंड की संप्रभुता की रक्षा करना चाहते हैं।' दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय विवादों का एक लंबा इतिहास है। वहीं शिनावात्रा ने अपने बचाव में कहा, 'फोन कॉल से यह स्पष्ट हो गया कि मुझे इससे कोई लाभ नहीं मिलना था और मैंने देश को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है।'

फिर से एनडीए सरकार, जदयू ऑफिस में मोदी-नीतीश की साझा मौजूदगी

पटना बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले सियासी गलियारे में पोस्टर पॉलिटिक्स चरम पर है। इस बीच पटना में जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के कार्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पोस्टर लगाए गए हैं। पोस्टर में एनडीए सरकार की उपलब्धियों को बताते हुए दोबारा सरकार बनाने की अपील करते हुए नारे लिखे गए हैं। इन पोस्टर के जरिए बीजेपी और जेडीयू में एकजुटता को दिखाने की कोशिश की गई है। बताया जा रहा है कि यह पहला मौका है जब जेडीयू दफ्तर में औपचारिक रूप से मोदी और नीतीश के एक साथ पोस्टर लगाए गए हैं। जेडीयू कार्यालय के बाहर मंगलवार को बड़ी संख्या में पोस्टर लगाए गए हैं। कार्यालय की बाहरी दीवार इनसे पटी हुई है। पोस्टर में पीएम मोदी और सीएम नीतीश की तस्वीरें हैं। उनके साथ अलग-अलग नारे लिखे गए हैं, जैसे- महिलाओं की जय-जयकार, लग रहे उद्योग मिल रहा रोजगार, नौकरी रोजगार खुशहाल बिहार, फिर से एनडीए सरकार। जेडीयू के पोस्टरों में नीतीश के साथ मोदी का फोटो होना सियासी गलिरायों में चर्चा का विषय बना हुआ है। बिहार में आगामी अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जेडीयू मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही एनडीए का सीएम कैंडिडेट बता रही है। सहयोगी दल भाजपा के नेता भी नीतीश के नेतृत्व में ही आगामी चुनाव में उतरने की बात कह रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार में हुई रैलियों में नीतीश अक्सर साथ नजर आए और एकजुटता का संदेश दिया। हालांकि, बीच-बीच में पार्टी के सीनियर नेताओं द्वारा चुनाव के बाद सीएम पर फैसला करने की बात कहकर थोड़ी कंफ्यूजन भी पैदा की जाती रही है। पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार का सीएम कौन बनेगा, इसका फैसला समय पर छोड़ दिया था। इससे बीजेपी और जेडीयू के बीच खटपट की अटकलें भी चलीं।  

रवि शास्त्री ने कहा- गिल की अगुवाई वाली टीम को पांच मैचों की सीरीज में वापसी के लिए तुरंत जवाबी हमला करना होगा

नई दिल्ली भारतीय टीम के पूर्व कोच रवि शास्त्री ने इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट से पहले टीम इंडिया के लिए मैसेज भेजा है। शास्त्री ने कहा कि शुभमन गिल की अगुवाई वाली टीम को पांच मैचों की सीरीज में वापसी के लिए तुरंत जवाबी हमला करना होगा। टीम इंडिया को पूरे मैच में दबदबा बनाए रखने के बावजूद इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में पांच विकेट से हार का सामना करना पड़ा था। रवि शास्त्री ने आईसीसी रिव्यू से कहा, “भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह तुरंत जवाबी हमला करे। जब आप इस तरह का टेस्ट मैच हारते हैं, एक ऐसा मुकाबला जिसमें आप ज्यादातर समय हावी रहते हैं और फिर आखिरी दिन हार जाते हैं। इंग्लैंड को अपना संयम बनाए रखने के लिए पूरा क्रेडिट मिलता हैं। ऐसे में सीरीज में वापसी करने के लिए बहुत अधिक जज्बे की जरूरत होती है।” उन्होंने आगे कहा, “अभी भी तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह के दूसरे टेस्ट में खेलने पर सवाल बना हुआ है, क्योंकि उनके वर्कलोड को मैनेज किया जा रहा है, जबकि टीम इस बात पर भी विचार कर रही है कि स्पिन ऑलराउंडर रवींद्र जडेजा की मदद के लिए दूसरे स्पिनर को टीम में शामिल किया जाए, या नहीं।” शास्त्री ने कहा, “अब, बुमराह खेलेंगे या नहीं, यह तो कोई नहीं जानता। लेकिन उम्मीद करते हैं कि वह खेलेंगे, क्योंकि यह बहुत महत्वपूर्ण टेस्ट मैच है। सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। बस आपको एक बार में एक मैच पर ध्यान देना है। यह पांच मैचों की सीरीज है। भारत वापसी की उम्मीद कर रहा होगा।” रवि शास्त्री का मानना है कि टेस्ट टीम के नए कप्तान शुभमन गिल ने सीरीज के पहले मैच में भारत की हार से बहुत कुछ सीखा होगा। शास्त्री को उम्मीद है कि युवा कप्तान सीरीज के बाकी मैचों में अधिक सक्रिय रहेंगे। रवि शास्त्री ने कहा, “लोग कहते हैं कि वह थोड़ा रिएक्टिव थे। ऐसा तब हो सकता है, जब आप अपना पहला टेस्ट मैच (बतौर कप्तान) खेल रहे हों। खासकर उस वक्त, जब बल्लेबाजी के लिए अच्छी परिस्थितियां हों। आउटफील्ड तेज हो, तो चीजें इस तरह से हो सकती हैं, लेकिन गिल ने इससे बहुत कुछ सीखा होगा। अब जब मौका आएगा तो वह थोड़ा और सक्रिय होना चाहेंगे, जिसका मतलब है कि गेंदबाजों और फील्डर्स को उन्हें सपोर्ट करना होगा। गिल को पता होना चाहिए कि उनकी भूमिका क्या है और उन्हें वहां जाकर उसे अंजाम देना चाहिए।”  

युक्तियुक्तकरण के तहत अब पाकरगांव प्राथमिक शाला को दो शिक्षक उपलब्ध कराए गए

: युक्तियुक्तकरण से लौटी स्कूलों की रौनक, स्कूलों में फिर सुनाई दे रहे हिंदी अंग्रेजी के पाठ और गणित के सवालों की गूंज चार साल तक एकल, फिर शिक्षकविहीन रहा स्कूल अब बन गया शिक्षा का केंद्र युक्तियुक्तकरण के तहत अब पाकरगांव प्राथमिक शाला को दो शिक्षक उपलब्ध कराए गए  रायपुर छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में शुरू की गई युक्तियुक्तकरण नीति अब राज्य के दूरस्थ अंचलों के गांवों के विद्यालयों में नए उत्साह का संचार कर रही है। रायगढ़ जिले के लैलूंगा विकासखंड के पाकरगांव स्थित प्राथमिक शाला इसका जीवंत उदाहरण बन चुकी है। लंबे समय तक शिक्षकविहीन रह चुकी यह शाला अब शिक्षा की आवाज़ से गूंज रही है। पाकरगांव का यह स्कूल पहले चार वर्षों तक एकल शिक्षक के भरोसे संचालित होता रहा। बाद में शिक्षक के अन्यत्र तबादले के कारण स्कूल पूरी तरह शिक्षकविहीन हो गया। परिणामस्वरूप बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई और पालकों में भी अपने बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता बढ़ने लगी थी। कई बच्चों ने स्कूल आना तक बंद कर दिया था। सरकार द्वारा लागू युक्तियुक्तकरण के तहत अब पाकरगांव प्राथमिक शाला को दो शिक्षक उपलब्ध कराए गए हैं। इनकी नियमित उपस्थिति से विद्यालय की गतिविधियाँ फिर से सुचारू रूप से शुरू हो गई हैं। बच्चों को अब न केवल अक्षरज्ञान मिल रहा है, बल्कि हिंदी, अंग्रेजी और गणित जैसे विषयों की व्यवस्थित शिक्षा भी मिल रही है। अंग्रेजी शब्दों का उच्चारण, हिंदी के पाठ, पहाड़े और गणित के सवालों के साथ कक्षा में फिर से रौनक लौट आई है। बच्चों के साथ-साथ पालकों और ग्रामवासियों में भी खासा उत्साह देखा जा रहा है। विद्यालय में नियमित कक्षाएं लगने से अब पालक अपने बच्चों को विद्यालय भेजने के लिए उत्साहित हैं। ग्रामवासी इस बदलाव को एक नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं। पाकरगांव प्राथमिक शाला प्रबंधन समिति के अध्यक्ष त्रिनाथ सतपथी ने इस पहल को सराहते हुए कहा कि युक्तियुक्तकरण के चलते हमारे गांव के बच्चों को अब फिर से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल रही है। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा दो शिक्षकों की पदस्थापना से शाला में शिक्षा का माहौल सशक्त हुआ है और यह विद्यालय अब वास्तव में ज्ञान का केंद्र बन चुका है। उन्होंने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और शासन प्रशासन के प्रति गांववासियों की ओर से आभार व्यक्त किया। युक्तियुक्तकरण के माध्यम से न केवल शिक्षकविहीन स्कूलों को संबल मिला है, बल्कि यह नीति ग्रामीण अंचलों में शिक्षा की पहुँच और गुणवत्ता को भी नई ऊंचाई दे रही है।