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मोरपाल सुमन बीजेपी का चेहरा, पर अंता उपचुनाव की असली कमान वसुंधरा राजे के हाथ में

जयपुर/बारां राजस्थान की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रत्याशी भले ही मोरपाल सुमन है लेकिन असल में अब यह चुनाव वसुंधरा राजे का है। इस उपचुनाव के नतीजे राजस्थान की राजनीति में राजे की वापसी की राह तय करेंगे। उपचुनाव भले ही छोटा है लेकिन इसके नतीजे बहुत दूर तक असर करेंगे। बीजेपी ने शुक्रवार को बारां पंचायत समिति के प्रधान मौरपाल सुमन को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद देर शाम स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर दी, जिसमें जिसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, राधामोहन दास अग्रवाल, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के  अलावा केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव, अर्जुनराम मेघवाल, भागीरथ चौधरी, उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा और उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी का नाम शामिल हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि सुमन का टिकट राजे के कहने पर फाइनल किया गया है ऐसे में अब यह चुनाव वसुंधरा राजे की प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। वसुंधरा राजे टिकट ऐलान के साथ फील्ड में पूरी तरह सक्रिय भी हो गई हैं। हालांकि मुकाबला त्रिकोणीय है। कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया 5 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और 3 में उन्हें जीत मिली है। नरेश मीणा भी निर्दलीय के तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। वहीं  सुमन का यह पहला विधानसभा चुनाव है। हालांकि सुमन स्थानीय और लो प्रोफाइल नेता माने जाते हैं, लेकिन क्षेत्र के जातीय समीकरणों को देखते हुए भाजपा ने उन्हें एक सोची-समझी रणनीति के तहत मैदान में उतारा है। अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे सुमन को झालावाड़ विधायक और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का 'सियासी आर्शिवाद' प्राप्त है। कांग्रेस ने इस सीट से पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को प्रत्याशी बनाया है, जबकि नरेश मीना निर्दलीय रूप में चुनावी रण में उतरेंगे। ऐसे में अंता में त्रिकोणीय मुकाबला तय माना जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, भाजपा टिकट की दौड़ में पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी भी शामिल थे। सैनी और सुमन  दौनों ही माली समुदाय से आते हैं। पार्टी रणनीतिकारों ने जातीय समीकरण और स्थानीय स्तर पर स्वीकार्यता को ध्यान में रखते हुए सुमन को तरजीह दी। बताया जा रहा है कि प्रभुलाल सैनी को पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का समर्थन नहीं मिल पाया, और क्षेत्र में बाहरी छवि होने के कारण उनकी दावेदारी कमजोर हो गई। दूसरी ओर, सुमन वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं और स्थानीय स्तर पर मजबूत पकड़ रखते हैं। सुमन वर्तमान में बारां जिले के संयुक्त माली महासंघ के अध्यक्ष हैं। उनकी पत्नी तिसाया-लसड़िया पंचायत की सरपंच हैं, जिससे क्षेत्र में उनका सामाजिक जुड़ाव और प्रभाव और भी बढ़ जाता है। यह उपचुनाव भाजपा विधायक कंवरलाल मीना की सदस्यता रद्द होने के चलते हो रहा है। मीना को 20 साल पुराने एक मामले में SDM को पिस्तौल दिखाने का दोषी ठहराया गया था, जिसके बाद मई में उनकी विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई। निर्वाचन आयोग के नियमों के अनुसार, सीट खाली होने के छह माह के भीतर उपचुनाव कराया जाना अनिवार्य है। 1 अक्टूबर को प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची के अनुसार, अंता विधानसभा क्षेत्र में कुल 2,27,563 मतदाता हैं—1,15,982 पुरुष, 1,10,241 महिलाएं और चार तीसरे लिंग से संबंधित मतदाता। पिछले ड्राफ्ट की तुलना में मतदाताओं की संख्या में 1,336 की बढ़ोतरी हुई है। राज्य में सरकार बनने के बाद से भाजपा ने अब तक सात उपचुनावों में से पांच पर जीत दर्ज की है, जबकि कांग्रेस केवल एक सीट जीत सकी है। भाजपा ने खींवसर, डोली-उनियारा, झुंझुनूं, रामगढ़ और सलूंबर सीटों पर कब्जा जमाया है, वहीं कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) को इन उपचुनावों में भारी नुकसान उठाना पड़ा। हालांकि अंता का यह उपचुनाव विधानसभा में बहुमत को प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन इसे सरकार के प्रदर्शन पर जनमत संग्रह के रूप में देखा जा रहा है। यदि भाजपा यह सीट जीतने में सफल होती है, तो मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की नीतियों को जनता का समर्थन माना जाएगा। वहीं, हार की स्थिति में विपक्ष को सरकार पर हमला करने का बड़ा मुद्दा मिल सकता है। निर्वाचन कार्यक्रम इस प्रकार है:     गजट अधिसूचना जारी: 13 अक्टूबर     नामांकन की आखिरी तारीख: 21 अक्टूबर     नामांकन पत्रों की जांच: 23 अक्टूबर     नाम वापसी की अंतिम तिथि: 27 अक्टूबर     मतदान की तिथि: 11 नवंबर     मतगणना: 14 नवंबर

अंता उपचुनाव को लेकर वसुंधरा राजे से महत्वपूर्ण बैठक, जानें क्या हुआ फैसला

जयपुर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बीच मुलाकात से सियासी हलचल पैदा हो गई। तीनों नेताओं के बीच अंता विधानसभा उपचुनाव को लेकर विचार-विमर्श हुआ, लेकिन इस मुलाकता और भी मायनों में देखा जा रहा है। अंता विधानसभा सीट वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह के लोकसभा क्षेत्र में आती है। हाड़ौती अंचल को हमेशा से राजे का राजनीतिक क्षेत्र माना जाता रहा है। ऐसे में इस चुनाव से पूर्व मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा भी जुड़ी हुई है। यही वजह है कि भाजपा ने अभी तक अंता सीट से अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी इस चुनाव में राजे की राय को अहम मान रही है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ उनके आवास पर पहुंचे। अंता उपचुनाव में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है, जबकि भाजपा में टिकट को लेकर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। वसुंधरा राजे कंवरलाल मीणा के परिवार को टिकट देना चाहती हैं, लेकिन पार्टी के भीतर इस पर एकराय नहीं है। कंवरलाल मीणा, जो मनोहरथाना क्षेत्र के रहने वाले हैं और पहले विधायक भी रह चुके हैं, को स्थानीय नेता बाहरी मानते हैं। इसके अलावा कोर्ट से उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी आपराधिक छवि भी पार्टी के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। जातिगत और राजनीतिक समीकरणों के अनुसार पूर्व मंत्री प्रभुलाल सैनी इस सीट के लिए सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे हैं। हालांकि, वसुंधरा राजे उनके नाम पर पूरी तरह सहमत नहीं हैं। कभी प्रभुलाल सैनी को राजे समर्थक नेताओं में शामिल किया जाता था, लेकिन 2023 के विधानसभा चुनावों के बाद स्थितियां बदल गई हैं।

राजनीति और विचारों पर हुई चर्चा, वसुंधरा राजे ने मोहन भागवत से की बैठक

जोधपुर  पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने जोधपुर में RSS सरसंघचालक मोहन भागवत से मुलाकात की है. जोधपुर में दोनों के बीच यह मुलाकात करीब 25 मिनट तक चली. हालांकि दोनों के बीच की बातचीत का ब्यौरा अभी तक बाहर नहीं आ पाया है लेकिन इस मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है. बीजेपी सूत्रों की मानें तो सूबे में फिलहाल भाजपा संगठन में बदलाव को लेकर चर्चा चल रही है. माना जा रहा है कि दोनों के बीच इस पर चर्चा हुई है. राजे और भागवत की इस मुलाकात के राजनीति के जानकार कई मायने निकाल रहे हैं. जोधपुर फिलहाल आरएसएस के चिंतन का प्रमुख केंद्र बना हुआ है. भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में शामिल होने के लिए जोधपुर आए हैं. यह बैठक 5 से 7 सितंबर तक आयोजित होगी. बैठक की तैयारियों को लेकर बड़े स्तर पर स्वयंसेवक जुटे हुए हैं. भागवत का यहां 10 सितंबर तक रहने का कार्यक्रम बताया जा रहा है. भागवत दो दिन पहले सोमवार को जोधपुर आए थे. संघ के बड़े पदाधिकारियों का जोधपुर में लगा है जमावड़ा सोमवार को सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत के जोधपुर आने के बाद मंगलवार को संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले, सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, सी. आर. मुकुंदा, अरुण कुमार, रामदत्त चक्रधर, आलोक कुमार, अतुल लिमये और कार्यकारिणी सदस्य डॉ. मनमोहन वैध सहित अन्य अखिल भारतीय अधिकारी जोधपुर बैठक स्थल पर पहुंचे. वनवास आता है तो जाता भी है राजे ने बीते दिनों अपने दिल्ली दौरे के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की थी. राजे हाल ही में धौलपुर भी गईं थी. वहां उन्होंने एक धार्मिक कार्यक्रम में कहा था कि वनवास सभी के जीवन में कभी न कभी आता है. लेकिन यह भी सच है कि वनवास आता है तो जाता भी है. राजे इससे पहले भी कई कार्यक्रमों में इस तरह के बयान दे चुकी हैं जो राजनीतिक गलियारों में खासा चर्चा में रहे हैं. अब राजे की संघ प्रमुख से मुलाकात ने कई राजनीतिक चर्चाओं को जन्म दे दिया है.