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56 घाटों पर शुरू हुआ दीप सजाने का कार्य, 28 लाख दीपों की तैयारी

अयोध्या दीपोत्सव 2025 जय श्रीराम के उद्घोष के साथ राम की पैड़ी के लिए रवाना हुए वालंटियर 56 घाटों पर शुरू हुआ दीप सजाने का कार्य, 28 लाख दीपों की तैयारी आईकार्ड के बिना घाटों पर प्रवेश वर्जित, वालंटियर को मिलेगी टी-शर्ट व कैप -योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दीपोत्सव रचेगा नया इतिहास अयोध्या में अयोध्या  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशन और मार्गदर्शन में नौवें दीपोत्सव 2025 को ऐतिहासिक बनाने की तैयारी चरम पर है। डॉ. राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय प्रशासन दीपोत्सव को भव्य और दिव्य स्वरूप देने में अपनी पूरी क्षमता के साथ जुटा हुआ है। गुरुवार को कुलपति डॉ. बिजेंद्र सिंह ने राम की पैड़ी पहुंचकर घाटों की तैयारियों का निरीक्षण किया। उन्होंने कहा कि “दीपोत्सव केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि यह हमारी आस्था, परंपरा और समर्पण का प्रतीक है। इसे भव्य व दिव्य रूप देना हम सभी का सौभाग्य है। जय श्रीराम के उद्घोष के साथ रवाना हुए वालंटियर विश्वविद्यालय परिसर से गुरुवार प्रातः 10 बजे सात बसों में सवार होकर वालंटियर “जय श्रीराम” के उद्घोष के साथ दीपोत्सव स्थल के लिए रवाना हुए। दीपोत्सव यातायात समिति के संयोजक प्रो. अनूप कुमार की देखरेख में राम की पैड़ी के घाटों पर दीए बिछाने का कार्य प्रारंभ हुआ। घाटों पर वालंटियरों का उत्साह देखते ही बन रहा था। दीपों को सजा रहे युवा जय श्रीराम के जयघोष के साथ दीपोत्सव को ऐतिहासिक बनाने के लिए जुटे दिखे। 56 घाटों पर शुरू हुआ दीप सजाने का कार्य दीपोत्सव नोडल अधिकारी प्रो. संत शरण मिश्र ने बताया कि दीपोत्सव की तैयारी अब अंतिम चरण में है। 56 घाटों पर दीयों की खेप पहुंच चुकी है और युद्धस्तर पर बिछाने का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि “घाटों पर दीए बिछाने का कार्य 18 अक्टूबर तक पूरा कर लिया जाएगा। दीपोत्सव के दिन 19 अक्टूबर को वालंटियर दीपों में तेल डालने, बाती लगाने और उन्हें प्रज्वलित करने का कार्य करेंगे। आईकार्ड के बिना घाटों पर प्रवेश वर्जित विश्वविद्यालय प्रशासन ने सभी वालंटियरों के लिए पहचान पत्र (आईकार्ड) अनिवार्य कर दिया है। बिना आईकार्ड घाटों पर प्रवेश वर्जित रहेगा। शुक्रवार तक सभी वालंटियरों को आईकार्ड, टी-शर्ट और कैप वितरित की जाएंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार दीपोत्सव की तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं। उनका स्पष्ट निर्देश है कि यह दीपोत्सव केवल अयोध्या की नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा का वैश्विक प्रदर्शन बने। कुलपति ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार जिस तरह दीपोत्सव को विश्व स्तर पर पहचान दिला रही है, वह अभूतपूर्व है। इस बार 56 घाटों पर 26 लाख 11 हजार 101 दीपों को प्रज्वलित कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा। इसके लिए 28 लाख से अधिक दीपों को घाटों पर बिछाया जा रहा है। दीपोत्सव 2025: आस्था, सेवा और समर्पण का पर्व अवध विश्वविद्यालय परिसर, महाविद्यालयों, इंटर कॉलेजों और स्वयंसेवी संस्थाओं के वालंटियर दीपोत्सव की सफलता में अपना योगदान दे रहे हैं। घाटों पर कार्य करते युवाओं की ऊर्जा और समर्पण इस बात का प्रमाण है कि दीपोत्सव अब केवल आयोजन नहीं, बल्कि “राममय अयोध्या” की आत्मा बन चुका है।

सीएम योगी आदित्यनाथ ने सहरसा में नामांकन रैली को किया संबोधित

राजद-कांग्रेस पर योगी का प्रहार, बोले- यह फर्जी वोट डलवाएंगे, चेहरा नहीं दिखलाएंगे बिहार विधानसभा चुनाव सीएम योगी आदित्यनाथ ने सहरसा में नामांकन रैली को किया संबोधित सहरसा से भाजपा उम्मीदवार आलोक रंजन झा, प्रदेश सरकार के मंत्री व सोनबरसा से एनडीए प्रत्याशी रत्नेश सादा, महिषी से गुंजेश्वर शाह तथा सिमरी बख्तियारपुर से संजय सिंह को जिताने की अपील की कोई भी बिहार को पुराने लालटेन युग में नहीं ले जाएगा, क्योंकि नीतीश जी इसे एलईडी की दूधिया लाइट में लेकर आगे बढ़ चुके हैंः मुख्यमंत्री माफिया, गुंडागर्दी, देशद्रोही, अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ सिर्फ एनडीए सरकार व कार्यकर्ता ही लड़ पाएगाः सीएम योगी बोले- पीएम मोदी कहते है कि 140 करोड़ का भारत मेरा परिवार, लालू कहते हैं कि राबड़ी देवी का परिवार ही मेरा परिवार यूपी में किसी ने 10 एकड़ जमीन कब्जा की है और उसके पास पुश्तैनी भूमि है तो सब मिलाकर ब्याज सहित वापस लिया गया, फिर गरीबों के मकान बनाए गएः योगी योगी ने राजद को खूब धोया वाले, बोले- कहते थे कि सड़क बनाओगे तो फिर कच्ची शराब कैसे बना पाओगे एनडीए गरीबों के मकान बनाती है, पहले यह पैसा कांग्रेस, राजद व उनके पार्टनर्स में बंट जाता था, जिसे दुनिया के बैंकों में जमा करके यह लोग आने वाली पीढ़ियों के लिए खजाना भरते थेः योगी सहरसा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार से बिहार विधानसभा के चुनावी रण में उतरे। उन्होंने दूसरी जनसभा सहरसा में की। यहां नामांकन रैली में सहरसा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार आलोक रंजन झा, प्रदेश सरकार के मंत्री व सोनबरसा से एनडीए प्रत्याशी रत्नेश सादा, महिषी से गुंजेश्वर शाह व सिमरी बख्तियारपुर से संजय सिंह (लोजपा) को जिताने की अपील की। सीएम ने कहा कि बिहार को आज जब मेट्रो, रेल कनेक्टिविटी, हाईवे, एक्सप्रेस वे, एयरपोर्ट, वाटरवे के रूप में पहचान मिल रही है तो इस पहचान को फिर से धूमिल करने के लिए राजद- कांग्रेस ने शिगूफा छोड़ा है कि विकास नहीं, बुर्का चाहिए, जिससे यह लोग फर्जी मतदान कराकर गरीबों-दलितों के हकों पर डकैती डाल सकें। चुनाव में यह विकास की बात नहीं कर रहे। इन्हें बुर्का चाहिए। सीएम ने दोनों विपक्षी दलों पर कटाक्ष किया कि फर्जी वोट डलवाएंगे, लेकिन चेहरा नहीं दिखवाएंगे। तीर्थयात्रा में विदेश जाएंगे, एयरपोर्ट पर चेहरा दिखाएंगे, पासपोर्ट पर फोटो भी दिखाएंगे, लेकिन बिहार में वोटिंग पर कहेंगे कि बुरका को छेड़ो मत, चेहरा दिखाओ मत, फर्जी वोट डलवाने दो। कांग्रेस व राजद फिर से गरीबों के हकों पर डकैती डालने की साजिश कर रही है। इनकी साजिश को सफल नहीं होने देना है, क्योंकि कांग्रेस व राजद ने बिहार के सामने पहचान का संकट खड़ा किया था। पीएम मोदी कहते है कि 140 करोड़ का भारत मेरा परिवार, लालू कहते हैं कि राबड़ी देवी का परिवार ही मेरा परिवार सीएम ने कांग्रेस पर प्रहार करते हुए कहा कि यह अपने शासनकाल में भारत को अपमानित करते थे। यह कहते थे कि राम-कृष्ण हुए ही नहीं। यह भारत व भारतीयों को गाली देते थे। घुसपैठ कराकर अराजकता फैलाते थे। राजद ने बिहार का नहीं, परिवार का विकास किया। एनडीए पूरे भारत के लिए सोचता है। पीएम मोदी कहते है कि 140 करोड़ का भारत मेरा परिवार है, जबकि लालू कहते हैं कि राबड़ी देवी का परिवार ही मेरा परिवार है। 20 वर्षों में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार विकास की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। बिहार में विकास नई आभा के साथ आगे बढ़ रहा है। बाढ़ की समस्या का समाधान बढ़ रहा है। अब गरीबों को मिलता है योजनाओं का लाभ, पहले यह कांग्रेस-राजद व उनके पार्टनर्स में बंट जाता था सीएम योगी ने कहा कि सर्वाधिक समय तक शासन करने वाली कांग्रेस गरीबों का मकान नहीं बना पाई, लेकिन एनडीए शासन में बिना भेदभाव गरीब, किसान, नौजवान को हर योजनाओं का लाभ मिल रहा है। पहले पैसा कांग्रेस, राजद व उनके पार्टनर्स में बंट जाता था और गरीब ताकता था। यहां का पैसा दुनिया के बैंकों में जमा करके आने वाली पीढ़ियों के लिए खजाना भर देते थे। मोदी जी अब कहते हैं कि गरीब के हक पर जो डाका डालेगा, उसकी जगह जेल में होगी। यूपी में हमने इसका उदाहरण दिया है। सीएम योगी ने यूपी के प्रयागराज जनपद से उपस्थित विधायक सिद्धार्थनाथ सिंह का नाम लेकर कहा कि इनकी विधानसभा में एक दुर्दांत माफिया के बंगले को हमने खाली कराया, बुलडोजर चलवाया। फिर हाईराइज बिल्डिंग बनाकर गरीबों को फ्री में आवास उपलब्ध करा दिया। हर जनपद में माफिया द्वारा कब्जा की गई भूमि पर यही कर रहे हैं। किसी ने 10 एकड़ जमीन कब्जा की है और उसके पास पुश्तैनी भूमि है तो सब मिलाकर ब्याज सहित वापस लिया गया, फिर गरीबों के मकान बनाए जा रहे हैं। माफिया, गुंडागर्दी, देशद्रोही, अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ सिर्फ एनडीए सरकार व कार्यकर्ता ही लड़ पाएगा सीएम योगी ने कहा कि माफिया, गुंडागर्दी, देशद्रोही, अराजकता फैलाने वालों के खिलाफ एनडीए सरकार व कार्यकर्ता ही लड़ पाएगा। कांग्रेस व राजद के कारण 2005 के पहले यहां का नौजवान पहचान को छिपाता था। किसान आत्महत्या को मजबूर था। उपचार और सड़कें नहीं थीं, राजद वाले कहते थे कि सड़क बनाओगे तो फिर कच्ची शराब कैसे बना पाओगे। यह लोग राज्य की पहचान को धूमिल करते थे। जिस बिहार ने देश को नेतृत्व दिया, जिस बिहार ने स्वर्णयुग में ले जाने का कार्य किया। वह बिहार कांग्रेस व राजद के समय पहचान के लिए मोहताज हो गया था पर जब एनडीए सरकार आई तो बिहार को उसकी पहचान मिली। भाजपा व एनडीए की डबल इंजन सरकार बिहार को विकास के पथ पर डबल स्पीड से ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। अब बिहार को कोई पुराने लालटेन युग में नहीं ले जाएगा सीएम योगी ने कहा कि अब कोई भी बिहार को पुराने लालटेन युग में नहीं ले जाएगा, क्योंकि नीतीश जी अब एलईडी की दूधिया लाइट में बिहार को लेकर आगे बढ़ चुके हैं। सीएम ने कहा कि जब भी अवसर मिला तो महापुरुषों की प्रेरणा से यूपी में हमने नया करने का कार्य किया है। सीएम ने जयप्रकाश जी की जन्मभूमि (सिताबदियारा) का जिक्र किया और कहा कि हमने उनका पावन स्मारक बनाया। 2017 … Read more

दिवाली पर सरकारी कर्मचारियों के चेहरे खिले, योगी सरकार ने दिया ₹7,000 बोनस का गिफ्ट

लखनऊ  दीपावली से पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों को एक बड़ा तोहफा देकर उनके चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी है. मुख्यमंत्री ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए राज्य कर्मचारियों को बोनस देने की घोषणा की है. त्येक पात्र कर्मचारी को 6,908 रुपए का लाभ होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यह बोनस कर्मचारियों की मेहनत, निष्ठा और योगदान के प्रति राज्य सरकार की ओर से सम्मान का प्रतीक है. उन्होंने कहा कि प्रदेश की प्रगति और सुशासन व्यवस्था में कर्मचारियों की भूमिका अत्यंत अहम है. सरकार हर स्तर पर यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि जो लोग प्रदेश के विकास के लिए दिन-रात कार्य कर रहे हैं, उन्हें समय पर प्रोत्साहन और सहयोग मिले. जारी हुआ आदेश  वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि राज्य कर्मचारियों को “उत्पादकता असंबद्ध बोनस” दिया जाएगा. यह बोनस 30 दिनों की परिलब्धियों के आधार पर होगा, जिसकी अधिकतम सीमा 7,000 रुपए तय की गई है. इसके अनुसार, प्रत्येक पात्र कर्मचारी को 6,908 रुपये का लाभ प्राप्त होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि दीपावली खुशियों और एकता का पर्व है. यह बोनस कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए सुख, आनंद और नए उत्साह का संदेश लेकर आएगा. सरकार चाहती है कि हर कर्मचारी इस पर्व को प्रसन्नता और गर्व के साथ मनाए. इस निर्णय से प्रदेश के लगभग 14 लाख 82 हजार कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलेगा. वित्त विभाग के अनुसार, इस पर कुल ₹1,022 करोड़ का व्यय भार आएगा. मुख्यमंत्री ने संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं कि बोनस का भुगतान समयबद्ध रूप से किया जाए ताकि दीपावली से पहले कर्मचारियों के खातों में राशि पहुंच सके. पूर्णकालिक अराजपत्रित कर्मचारियों को मिलेगा लाभ  सरकारी आदेश के अनुसार, इस बोनस का लाभ राज्य सरकार के पूर्णकालिक अराजपत्रित कर्मचारियों को मिलेगा, जिनके पद वेतन मैट्रिक्स लेवल-8 (₹47,600 से ₹1,51,100) तक हैं, जो पुराने ग्रेड पे ₹4,800 के समकक्ष है. इसके अलावा, राज्य निधि से सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थानों, प्राविधिक शिक्षण संस्थानों, स्थानीय निकायों, जिला पंचायतों तथा राजकीय विभागों में कार्यरत कार्यप्रभारित एवं दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी भी इस लाभ के पात्र होंगे. प्रदेश सरकार का यह कदम ऐसे समय आया है जब दीपावली की तैयारियां जोरों पर हैं. कर्मचारियों के लिए यह निर्णय किसी “त्योहारी बोनस” से कम नहीं है. सरकारी कार्यालयों से लेकर शिक्षण संस्थानों तक, इस घोषणा के बाद कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है. कई कर्मचारियों ने इसे “योगी सरकार की संवेदनशीलता और दूरदर्शिता” का उदाहरण बताया है. सभी डीएम को भी आदेश  वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि इस निर्णय का असर बाजारों पर भी सकारात्मक पड़ेगा. बोनस राशि के वितरण से उपभोग बढ़ेगा, जिससे दीपावली से पहले व्यापार और खरीदारी को बढ़ावा मिलेगा. इससे न केवल कर्मचारियों की जेब में राहत आएगी, बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी. सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बोनस वितरण की प्रक्रिया को पारदर्शी और त्वरित बनाने के लिए सभी जिलाधिकारियों और विभागीय प्रमुखों को दिशा-निर्देश भेज दिए गए हैं. भुगतान को लेकर कोई देरी न हो, इसके लिए वित्त विभाग ने विशेष निगरानी तंत्र भी बनाया है. योगी सरकार पहले भी समय-समय पर कर्मचारियों के हित में निर्णय लेती रही है. हाल ही में महंगाई भत्ते (DA) में वृद्धि के बाद यह दूसरा बड़ा फैसला है जिससे सरकारी कर्मचारियों को राहत मिली है. एक ओर केंद्र सरकार ने भी बीते 29 सितंबर 2025 को अपने कर्मचारियों के लिए बोनस की घोषणा की थी, वहीं प्रदेश सरकार ने उसी तर्ज पर राज्य के कर्मचारियों को समान लाभ देकर उनके उत्साह को दोगुना कर दिया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, सरकार का यह प्रयास है कि कोई भी कर्मचारी अपने परिश्रम का फल पाने से वंचित न रहे. प्रदेश की विकास यात्रा में हर कर्मचारी की भूमिका मूल्यवान है. उनके सहयोग से ही ‘समृद्ध और आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’ का सपना साकार हो रहा है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को लोकभवन में उज्जवला योजना के तहत माताओं-बहनों को देंगे निशुल्क सिलेंडर का उपहार

प्रदेश की करोड़ों माताओं और बहनों को योगी सरकार का दीपावली गिफ्ट  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को लोकभवन में उज्जवला योजना के तहत माताओं-बहनों को देंगे निशुल्क सिलेंडर का उपहार  यूपी की 1.86 करोड़ माताओं-बहनों को मिलेंगे दो मुफ्त एलपीजी रिफिल सिलेंडर, त्योहार पर महंगाई से मिलेगी बड़ी राहत वर्ष 2025-26 में योजना को लागू करने के लिए योगी सरकार की ओर से 1500 करोड़ रुपए की धनराशि का प्रावधान  दो चरणों में होगा वितरण, पहला चरण अक्टूबर 2025 से दिसंबर 2025 तक और दूसरा चरण जनवरी 2026 से मार्च 2026 तक  पहले चरण में आधार प्रमाणित 1.23 करोड़ लाभार्थियों को मिलेगा लाभ, लाभार्थियों के खाते में ट्रांसफर होगी सब्सिडी  योजना के पारदर्शी क्रियान्वयन के लिए हर जिले में सख्त मॉनिटरिंग और शिकायत निवारण तंत्र सक्रिय लखनऊ  योगी सरकार दीपावली के अवसर पर उत्तर प्रदेश की करोड़ों माताओं-बहनों के चेहरों पर मुस्कान लाने जा रही है। प्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग और वंचित परिवारों को राहत देते हुए दो निःशुल्क एलपीजी सिलेंडर रिफिल देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार को लोकभवन सभागार में इस योजना का शुभारंभ करेंगे और पात्र महिलाओं को मुफ्त सिलेंडर रिफिल का उपहार सौंपेंगे। यह कदम राज्य सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसके तहत वह गरीबों, महिलाओं और ग्रामीण परिवारों को स्वच्छ ईंधन और आर्थिक संबल देने की दिशा में लगातार काम कर रही है।  1.86 करोड़ परिवारों को मिला कनेक्शन उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना की शुरुआत मई 2016 में की गई थी, ताकि वे ग्रामीण और वंचित परिवार जो अब तक लकड़ी, कोयला, गोबर के उपले जैसे पारंपरिक ईंधन का उपयोग कर रहे थे, उन्हें एलपीजी जैसे स्वच्छ ईंधन की सुविधा मिल सके। इस योजना ने ग्रामीण भारत की रसोई को न केवल धुएं से मुक्त किया, बल्कि महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को भी कम किया। उत्तर प्रदेश इस योजना के क्रियान्वयन में अग्रणी राज्य रहा है. यहां अब तक 1.86 करोड़ परिवारों को उज्ज्वला कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं। दो चरणों में मिलेगा निःशुल्क रिफिल राज्य सरकार ने उज्ज्वला लाभार्थियों को प्रति वर्ष दो निःशुल्क एलपीजी रिफिल देने का निर्णय लिया है। यह वितरण वित्तीय वर्ष 2025-26 में दो चरणों में किया जाएगा। पहला चरण अक्टूबर 2025 से दिसंबर 2025 तक और दूसरा चरण जनवरी 2026 से मार्च 2026 तक। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रदेश सरकार ने ₹1500 करोड़ की धनराशि का प्रावधान किया है। आधार प्रमाणित लाभार्थियों को प्राथमिकता पहले चरण में आधार प्रमाणित लाभार्थियों को योजना का लाभ दिया जा रहा है। वर्तमान में राज्य में 1.23 करोड़ उज्ज्वला लाभार्थियों का आधार प्रमाणन पूरा हो चुका है। योजनान्तर्गत तीनों ऑयल कंपनियों (इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम) के माध्यम से यह वितरण सुनिश्चित कराया जा रहा है। राज्य स्तरीय समन्वयकों द्वारा मांगी गई ₹346.34 करोड़ की अग्रिम धनराशि ऑयल कंपनियों को प्रदान कर दी गई है, ताकि वितरण में किसी प्रकार की देरी न हो। ऐसे मिलेगा निःशुल्क रिफिल लाभार्थी अपने स्तर से प्रचलित उपभोक्ता दर (सब्सिडी सहित) के अनुसार 14.2 किग्रा एलपीजी सिलेंडर रिफिल खरीदेंगे। इसके बाद मात्र 3–4 दिनों के भीतर सब्सिडी की राशि उनके आधार प्रमाणित बैंक खातों में ऑयल कंपनियों द्वारा अंतरित कर दी जाएगी। केंद्र सरकार की और राज्य सरकार की ओर से सब्सिडी की राशि अलग-अलग लाभार्थियों के खातों में भेजी जाएगी। जिनके पास 5 किग्रा के सिलेंडर हैं, वे चाहें तो 14.2 किग्रा के सिलेंडर भी प्राप्त कर सकते हैं। वहीं, जिनके पास केवल एक कनेक्शन है, उन्हें भी योजना का लाभ मिलेगा। आधार प्रमाणन के लिए विशेष अभियान जिन लाभार्थियों का आधार अभी प्रमाणित नहीं हुआ है, उनका प्रमाणन प्रशासन और ऑयल कंपनियों के सहयोग से अभियान चलाकर किया जा रहा है। ऑयल कंपनियों द्वारा लाभार्थियों को एसएमएस भेजे जा रहे हैं ताकि वे शीघ्र अपना आधार सत्यापित करा सकें। आधार प्रमाणन हेतु विशेष एप विकसित किया जा रहा है, और वितरकों के यहां अतिरिक्त लैपटॉप लगाए जा रहे हैं। प्रत्येक वितरक के यहां बैनर, फ्लेक्सी और कैम्प के माध्यम से प्रचार-प्रसार कराया जा रहा है। लाभार्थियों की सुविधा के लिए रोस्टर आधारित आधार प्रमाणन प्रणाली लागू की गई है। कड़ी मॉनिटरिंग और शिकायत निवारण व्यवस्था योजना के प्रभावी क्रियान्वयन और निगरानी के लिए दो स्तरों पर समितियां गठित की गई हैं। राज्य स्तर पर खाद्यायुक्त कार्यालय में गठित समिति योजना की नियमित समीक्षा करेगी। वहीं, जनपद स्तर पर जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति साप्ताहिक समीक्षा बैठकें करेगी। साथ ही, शिकायत निवारण प्रणाली के माध्यम से उपभोक्ताओं की समस्याओं का समाधान किया जाएगा। पूर्ण मात्रा में गैस वितरण की निगरानी यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं कि उपभोक्ताओं को पूर्ण मात्रा (14.2 किग्रा) में गैस मिले। यदि किसी सिलेण्डर का वजन कम पाया जाता है, तो वितरक अपने संसाधनों से सिलेण्डर रिप्लेस करेगा। बांट माप विभाग और जिला प्रशासन को समय-समय पर जांच के आदेश जारी किए गए हैं। महिलाओं को महंगाई से राहत और स्वच्छ ऊर्जा का विस्तार वैश्विक स्तर पर पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में वृद्धि के बीच राज्य सरकार का यह निर्णय गरीब परिवारों को महंगाई से राहत देने वाला कदम है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ईंधन के प्रयोग की प्रवृत्ति बढ़ेगी और पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

14.82 लाख राज्य कर्मचारियों को मिलेगा बोनस, ₹1,022 करोड़ का व्ययभार वहन करेगी राज्य सरकार

उत्तर प्रदेश सरकार के कार्मिकों को दीपावली से पहले मुख्यमंत्री योगी का बड़ा उपहार 14.82 लाख राज्य कर्मचारियों को मिलेगा बोनस, ₹1,022 करोड़ का व्ययभार वहन करेगी राज्य सरकार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का निर्णय, कर्मचारियों के परिश्रम का सम्मान समयबद्ध भुगतान के निर्देश, परिवारों में उत्साह का माहौल लखनऊ  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दीपावली के शुभ अवसर पर राज्य कर्मचारियों को बड़ा उपहार देते हुए वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बोनस देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय कर्मचारियों के परिश्रम और निष्ठा के प्रति राज्य सरकार की सराहना का प्रतीक है। प्रदेश की प्रगति में सरकारी कर्मचारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, और सरकार हर स्तर पर उनके कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर वित्त विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, राज्य सरकार के कर्मचारियों को उत्पादकता असम्बद्ध बोनस अनुमन्य किया गया है। यह बोनस मासिक परिलब्धियों की अधिकतम सीमा ₹7,000 के आधार पर 30 दिनों की परिलब्धियों का आगणन करते हुए दिया जाएगा, जिससे प्रत्येक पात्र कर्मचारी को ₹6,908 का लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि दीपावली से पहले यह आर्थिक लाभ कर्मचारियों के परिवारों के लिए आनंद और उत्साह लेकर आएगा तथा शासन-प्रशासन में नई ऊर्जा का संचार करेगा। इस निर्णय से राज्य सरकार के लगभग 14 लाख 82 हजार कर्मचारी लाभान्वित होंगे, जिस पर कुल व्ययभार लगभग ₹1,022 करोड़ आएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि पात्र कर्मचारियों को बोनस का भुगतान समयबद्ध रूप से सुनिश्चित किया जाए ताकि सभी परिवार इस पर्व को उल्लासपूर्वक मना सकें। राज्य सरकार द्वारा अनुमन्य बोनस के दायरे में वे पूर्णकालिक अराजपत्रित कार्मिक शामिल हैं जिनके पद का वेतन मैट्रिक्स लेवल-8 (₹47,600- ₹1,51,100) तक है (सादृश्य ग्रेड वेतन ₹4,800 तक)। इसमें राज्य कर्मचारी, राज्य निधि से सहायता प्राप्त शिक्षण एवं प्राविधिक शिक्षण संस्थाओं के कर्मचारी, स्थानीय निकायों और जिला पंचायतों के कर्मचारी, राजकीय विभागों के कार्यप्रभारित एवं दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी सम्मिलित हैं। बता दें कि भारत सरकार द्वारा भी वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बीते 29 सितम्बर, 2025 द्वारा बोनस प्रदान किये जाने का निर्णय लिया गया है।

पंचायतों को आर्थिक आत्मनिर्भर बनाने के लिए पारदर्शिता, तकनीक और स्थानीय संसाधनों के उपयोग पर बल

ग्राम पंचायतें केवल प्रशासनिक इकाइयाँ नहीं, ग्रामीण विकास की आत्मा हैं: मुख्यमंत्री पंचायतों को आर्थिक आत्मनिर्भर बनाने के लिए पारदर्शिता, तकनीक और स्थानीय संसाधनों के उपयोग पर बल स्थानीय कर एवं यूज़र चार्ज संग्रह की प्रक्रिया ऑनलाइन, पंचायतों की स्वनिधि बढ़ाने के लिए सुधारात्मक कदम जारी जिला पंचायतों में भवन मानचित्र स्वीकृति हेतु सिविल इंजीनियर या आर्किटेक्ट की तैनाती के निर्देश ग्राम सचिवालयों में आधार केंद्र खोलकर पंचायतों की आय वृद्धि और नागरिक सुविधा दोनों सुनिश्चित होंगी: मुख्यमंत्री तालाबों/पोखरों का हो समयबद्ध पट्टा, प्राप्त राशि से जल संरक्षण व ग्राम्य हित के कार्य: मुख्यमंत्री लखनऊ  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ग्राम पंचायतों को आर्थिक आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्यों से नवाचारों को प्रोत्साहित करने पर बल दिया है। मंगलवार को पंचायती राज विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायतें केवल प्रशासनिक इकाइयाँ नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास की आत्मा हैं। इन इकाइयों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पारदर्शिता, तकनीक और स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। बैठक में प्रस्तुत विवरण के अनुसार, पंचायतों की स्वनिधि बढ़ाने के लिए विभिन्न सुधारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। स्थानीय कर एवं यूज़र चार्ज संग्रह की प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया है। पंचायतों की आय वृद्धि के लिए विभिन्न नवाचारों पर कार्य जारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पारदर्शिता और तकनीकी उपयोग के माध्यम से ग्राम पंचायतों की राजस्व प्राप्ति और जनसेवा की गुणवत्ता दोनों में सुधार सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि विकास प्राधिकरणों के अतिरिक्त जिला पंचायतों के अधीन क्षेत्रों में भवन मानचित्र स्वीकृति के लिए जिला पंचायतों के पास दक्ष मानव संसाधन की उपलब्धता होनी चाहिए। इस हेतु प्रत्येक जिला पंचायत में सिविल इंजीनियर अथवा आर्किटेक्ट की तैनाती की व्यवस्था की जाए, जिससे स्थानीय निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके। मुख्यमंत्री ने ग्राम पंचायतों की आय बढ़ाने के लिए ग्राम सचिवालयों में आधार केंद्र खोलने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड निर्माण, संशोधन, बायोमेट्रिक अपग्रेडेशन आदि कार्यों के लिए यह सुविधा उपलब्ध कराई जाए, जिससे नागरिकों को सुविधा मिले और मिलने वाले शुल्क से ग्राम पंचायत की आय में भी वृद्धि हो। बैठक में यह भी बताया गया कि पंचायती राज विभाग द्वारा तालाबों/पोखरों की सूचीकरण और उपयोग नीति पर कार्य किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि ग्राम पंचायत तथा जिला पंचायत के अधीन तालाबों/पोखरों का समयबद्ध पट्टा किया जाए और इनसे प्राप्त राशि को हर घर नल, जल संरक्षण तथा ग्राम्य हित के कार्यों में ही उपयोग किया जाए। उन्होंने इस हेतु एक स्पष्ट नियमावली तैयार करने के निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्राम पंचायतों के पास जितनी अधिक स्व-वित्तीय क्षमता होगी, उतनी ही तेजी से ग्रामीण विकास के कार्य आगे बढ़ेंगे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि पंचायत प्रतिनिधियों को वित्तीय प्रबंधन, डिजिटल सेवा वितरण और जनसुविधा संचालन के विषय में प्रशिक्षण दिया जाए। मुख्यमंत्री ने अंत में कहा कि “ग्राम पंचायतों की समृद्धि ही आत्मनिर्भर भारत की नींव है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि हर ग्राम पंचायत सेवा, स्वच्छता और स्वावलंबन की प्रतीक बने।”

हमारे नगर केवल इमारतें नहीं, जीवंत सामाजिक संरचनाएं हैं: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश में बनेगी व्यापक 'शहरी पुनर्विकास नीति' शहरों के समग्र पुनर्जागरण की दिशा में बड़ा कदम हमारे नगर केवल इमारतें नहीं, जीवंत सामाजिक संरचनाएं हैं: मुख्यमंत्री नई नीति में होगा आधुनिकता, परंपरा और मानवता तीनों का संतुलित समन्वय: मुख्यमंत्री नई नीति में भूमि पुनर्गठन, निजी निवेश व पारदर्शी पुनर्वास व्यवस्था पर होगा विशेष फोकस राज्य स्तरीय पुनर्विकास प्राधिकरण, सिंगल विंडो अप्रूवल प्रणाली और पीपीपी मॉडल को मिलेगी प्राथमिकता हर परियोजना में जनहित सर्वोपरि, प्रभावित परिवारों की आजीविका की होगी पूर्ण सुरक्षा: मुख्यमंत्री ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक पहचान और हरित भवन मानकों के संरक्षण के साथ होगा शहरी कायाकल्प भूमि के लोकेशन और उपयोग के आधार पर तय होगा बाह्य विकास शुल्क मुख्यमंत्री का निर्देश, बाह्य विकास शुल्क गणना को व्यावहारिक और जनहित के अनुकूल बनाएं विकास प्राधिकरण वर्तमान में सभी प्रकार के भूमि उपयोग आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक और कृषि पर समान शुल्क दरें लागू हैं, अब बदलेगी व्यवस्था नगर निकाय सीमा के भीतर और नगर निकाय सीमा के बाहर की भूमि पर भी शुल्क की दरों में होगा अंतर लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश के नगरों के तीव्र गति से बदलते विकास स्वरूप को देखते हुए अब एक व्यापक 'शहरी पुनर्विकास नीति' की आवश्यकता है। यह नीति केवल भवनों के पुनर्निर्माण तक सीमित न रहकर शहरों के समग्र पुनर्जागरण का मार्ग प्रशस्त करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे नगर केवल इमारतों का समूह नहीं, बल्कि जीवंत सामाजिक संरचनाएँ हैं। इनके पुनर्जीवन के लिए ऐसी नीति आवश्यक है, जो आधुनिकता, परंपरा और मानवता तीनों का संतुलित समन्वय करे। मुख्यमंत्री ने मंगलवार को आवास विभाग की बैठक में कहा कि नई नीति का उद्देश्य पुराने, जर्जर और अनुपयोगी क्षेत्रों को आधुनिक शहरी बुनियादी ढाँचे, पर्याप्त सार्वजनिक सुविधाओं और पर्यावरणीय संतुलन के साथ विकसित करना है। उन्होंने कहा कि नीति में ऐसे प्रावधान किए जाएँ, जिनसे निवास योग्य, सुरक्षित, स्वच्छ और सुव्यवस्थित नगरों का निर्माण सुनिश्चित हो। उन्होंने निर्देश दिए कि नीति में भूमि पुनर्गठन, निजी निवेश को प्रोत्साहन, पारदर्शी पुनर्वास व्यवस्था और प्रभावित परिवारों की आजीविका की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। हर परियोजना में 'जनहित सर्वोपरि' की भावना हो तथा किसी की संपत्ति या जीविका पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े। इसके लिए न्यायसंगत और मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि नई नीति में राज्य स्तरीय पुनर्विकास प्राधिकरण, परियोजनाओं की सिंगल विंडो अप्रूवल प्रणाली तथा पीपीपी मॉडल को प्राथमिकता दी जाए। निवेशकों को स्पष्ट दिशा-निर्देश, प्रोत्साहन और सुरक्षा दी जाए, ताकि निजी क्षेत्र पुनर्विकास में सक्रिय भागीदारी कर सके। साथ ही हर परियोजना में हरित भवन मानक, ऊर्जा दक्षता और सतत विकास के प्रावधान अनिवार्य किए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि नगरों की ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए। पुराने बाजारों, सरकारी आवास परिसरों, औद्योगिक क्षेत्रों और अनधिकृत बस्तियों के लिए क्षेत्रवार अलग रणनीति तैयार की जाए। नीति में सेवानिवृत्त सरकारी आवासों, पुरानी हाउसिंग सोसाइटियों तथा अतिक्रमण प्रभावित क्षेत्रों के पुनर्विकास को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि नई नीति का मसौदा जनप्रतिनिधियों, नगर निकायों और आम नागरिकों से प्राप्त सुझावों के आधार पर अंतिम रूप से तैयार किया जाए और शीघ्र मंत्रिपरिषद के अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाए। बैठक में नगरीय क्षेत्रों में विकास प्राधिकरणों द्वारा लिए जाने वाले बाह्य विकास शुल्क पर भी चर्चा हुईं मुख्यमंत्री ने बाह्य विकास शुल्क को व्यावहारिक और जनहित के अनुरूप बनाए जाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सभी प्रकार के भूमि उपयोग आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक और कृषि पर समान शुल्क दरें लागू हैं, जो व्यावहारिक नहीं हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि नई व्यवस्था में स्थान और भूमि उपयोग के आधार पर शुल्क दरों में अंतर रखा जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कृषि एवं औद्योगिक उपयोग की भूमि पर बाह्य विकास शुल्क, आवासीय और व्यावसायिक उपयोग की तुलना में कम होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि स्थानीय नगर निकाय सीमा के भीतर और नगर निकाय सीमा के बाहर की भूमि पर भी शुल्क की दरों में अंतर किया जाए, ताकि निवेशकों और आम नागरिकों दोनों के हितों का संतुलन बना रहे। मुख्यमंत्री ने बाह्य विकास शुल्क की गणना प्रणाली में पारदर्शिता और सरलता लाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिसमें सामान्य व्यक्ति भी बिना किसी परेशानी के स्वयं अपने शुल्क की गणना कर सके। इसके लिए शुल्क निर्धारण का फॉर्मूला स्पष्ट, ऑनलाइन और न्यूनतम मानव हस्तक्षेप वाला होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि बाह्य विकास शुल्क से प्राप्त धनराशि का उपयोग वास्तव में बाह्य बुनियादी सुविधाओं जैसे; सड़क, जलापूर्ति, सीवरेज, स्टॉर्म वाटर ड्रेनेज, विद्युत व अन्य जनसुविधाओं के विकास में ही किया जाए। इसके लिए विकास प्राधिकरणों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने आवास विभाग को निर्देश दिया कि बाह्य विकास शुल्क से संबंधित वर्तमान प्राविधानों की समीक्षा कर, जनसुलभ, पारदर्शी और व्यवहारिक नीति का प्रारूप शीघ्र तैयार किया जाए, ताकि नगरीय विकास योजनाओं में गति आए और नागरिकों को वास्तविक लाभ मिले।

गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में योगी सरकार का बड़ा कदम

यूपी में 'काऊ टूरिज्म' की संभावनाएं तलशेगी योगी सरकार, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगी नई पहचान  गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में योगी सरकार का बड़ा कदम दीपावली पर गोबर से बने दीपों और मूर्तियों के उपयोग को मिलेगा बढ़ावा  हर जिले में बनेगी एक आदर्श गोशाला, उन्हें बनाया जाएगा पर्यटन स्थल  गाय आधारित उत्पादों से बढ़ेगा स्वरोजगार, महिला स्वयं सहायता समूहों को मिलेगा सहयोग – मुख्यमंत्री के निर्देश पर विभागों को मिली कार्ययोजना बनाने की जिम्मेदारी – आत्मनिर्भर गोशालाओं के जरिए “वोकल फॉर लोकल” को मिलेगा बल लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार ने गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। प्रदेश की सभी गोशालाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के उद्देश्य से सरकार ने यह भी तय किया है कि प्रत्येक जनपद में एक आदर्श गोशाला स्थापित की जाएगी, जिसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके तहत 'काऊ टूरिज्म' की संभावनाओं को भी तलाशा जाएगा, जिससे गोशालाएं न केवल आत्मनिर्भर बन सकें बल्कि स्थानीय लोगों को भी रोजगार और आय का साधन उपलब्ध हो सके। सरकार की मंशा है कि गाय से प्राप्त पदार्थों, गोबर, गोमूत्र, दूध, घी और मूत्रजनित उत्पादों के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा देकर राज्य की गोशालाओं को आत्मनिर्भर बनाया जाए। इस दिशा में महिला स्वयं सहायता समूहों को भी जोड़ा जाएगा, ताकि स्थानीय स्तर पर गोबर से बने उत्पादों का उत्पादन और विपणन किया जा सके। इसके तहत सरकार ने निर्देश दिए हैं कि दीपावली पर्व पर गाय के गोबर से बने दीपों, मूर्तियों और अन्य उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए और इनके प्रचार-प्रसार के लिए जनमानस में जागरूकता अभियान चलाया जाए।  पशुधन एवं दुग्ध विकास मंत्री धर्मपाल सिंह के अनुसार दीपावली के अवसर पर गोबर से बने दीप, मूर्तियां और सजावटी सामग्री के उपयोग को लेकर बड़े स्तर पर अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इन उत्पादों की बाजारों में उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी ताकि आम नागरिक भी इनका उपयोग कर ‘वोकल फॉर लोकल’ को बढ़ावा दे सकें।  प्रमुख सचिव पशुधन एवं दुग्ध विकास मुकेश मेश्राम के अनुसार अधिकारियों को निर्देशित किया कि गोशालाओं में गोबर और गोमूत्र के व्यवसायिक उपयोग के लिए स्थानीय स्तर पर योजनाएं तैयार की जाएं। उनके अनुसार, गोशालाओं की आत्मनिर्भरता के साथ-साथ यह पहल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर शुरू की गई इस योजना से उम्मीद है कि उत्तर प्रदेश में न केवल गोवंश संरक्षण को नई गति मिलेगी, बल्कि गौ-आधारित उत्पादों के माध्यम से स्वदेशी उद्योगों को भी नई पहचान मिलेगी।

सेवा, संवेदना और सम्मान के भाव से दिव्यांगजनों के समग्र सशक्तिकरण के लिए कृतसंकल्पित है सरकार: मुख्यमंत्री

सभी मंडल मुख्यालयों पर स्थापित होंगे दिव्यांग पुनर्वास केंद्र: मुख्यमंत्री सेवा, संवेदना और सम्मान के भाव से दिव्यांगजनों के समग्र सशक्तिकरण के लिए कृतसंकल्पित है सरकार: मुख्यमंत्री प्राथमिकता के आधार पर स्थानीय जिला या सरकारी अस्पतालों के परिसर में स्थापित होंगे दिव्यांग पुनर्वास केंद्र लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी मंडल मुख्यालयों पर दिव्यांग पुनर्वास केंद्र स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का उद्देश्य है कि कोई भी दिव्यांगजन समाज की मुख्यधारा से वंचित न रहे। प्रत्येक मंडल मुख्यालय पर अत्याधुनिक पुनर्वास केंद्र विकसित किए जाएं, जहां दिव्यांग व्यक्तियों को चिकित्सकीय, शैक्षिक, मनोवैज्ञानिक और व्यावसायिक सहायता एक ही स्थान पर मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार 'सेवा, संवेदना और सम्मान' के भाव से दिव्यांगजनों के समग्र सशक्तिकरण के लिए कृतसंकल्पित है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि जिन जिलों में पहले से दिव्यांग पुनर्वास केंद्र संचालित हैं, उनकी सेवाओं को और सशक्त करते हुए मॉडल केंद्रों के रूप में विकसित किया जाए। वहीं जहां केंद्र नहीं हैं, वहां उन्हें प्राथमिकता के आधार पर स्थानीय जिला या सरकारी अस्पतालों के परिसर में स्थापित किया जाए ताकि चिकित्सकीय सुविधाओं के साथ इनका सहज समन्वय बन सके। यदि सरकारी अस्पताल में स्थान पर्याप्त नहीं है तो अलग भवन की व्यवस्था की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन केंद्रों में फिजियोथेरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी, स्पीच थेरेपी, मनोवैज्ञानिक परामर्श, ऑर्थोटिक व प्रॉस्थेटिक सेवाएं, उपकरण वितरण आदि सुविधाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध हों। बैठक में यह जानकारी दी गई कि वर्तमान में प्रदेश के 37 जिलों में दिव्यांग पुनर्वास केंद्र कार्यरत हैं, इनमें 11 मंडल मुख्यालयों पर हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन केंद्रों में तकनीकी संसाधन और विशेषज्ञ मानवबल को सुदृढ़ किया जाए। प्रत्येक केंद्र में प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट, क्लिनिकल साइकॉलजिस्ट, प्रॉस्थेटिस्ट, ऑर्थोटिस्ट, स्पीच थैरेपिस्ट और काउंसलर की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए। इसके साथ ही दिव्यांगजनों के लिए तकनीकी प्रशिक्षण, डिजिटल पंजीकरण, और ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाए ताकि सेवाओं की पारदर्शिता और निगरानी बनी रहे। बैठक में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में केंद्र संचालन समिति के स्वरूप पर भी चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार का लक्ष्य है कि दिव्यांगजन केवल सहानुभूति के पात्र बनकर न रहें, बल्कि आत्मनिर्भर और योगदानकारी नागरिक के रूप में समाज की मुख्यधारा में शामिल हों। बैठक में पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेन्द्र कुमार कश्यप सहित विभागीय अधिकारियों की उपस्थिति रही।

मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और नई दिल्ली में सैटेलाइट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन ऑफिस स्थापित किए जाएंगे:CM योगी

मुख्यमंत्री ने इन्वेस्ट यूपी के पुनर्गठन को दी मंजूरी, विशेषज्ञ सेल और सैटेलाइट ऑफिस स्थापित होंगे मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और नई दिल्ली में सैटेलाइट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन ऑफिस स्थापित किए जाएंगे टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल एवं इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सर्विस सेक्टर जैसे क्षेत्रों में गठित होंगे विशेषज्ञ सेल इन्वेस्ट यूपी को अधिक कार्यकुशल, विशेषज्ञता-आधारित और निवेशक-केंद्रित संस्था के रूप में विकसित करना है पुनर्गठन का उद्देश्य: मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री का निर्देश: प्रत्येक प्रकोष्ठ का कार्यक्षेत्र स्पष्ट, निवेशक केंद्रित और परिणामोन्मुख बनाया जाए 11 महाप्रबंधक/सहायक महाप्रबंधक पदों पर कार्योत्तर स्वीकृति, दो संयुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी (पीसीएस संवर्ग) की प्रतिनियुक्ति पर होगी तैनाती ‘एकल निवेश सुविधा एजेंसी’ के रूप में और व्यवस्थित होगी इन्वेस्ट यूपी 2024-25 में लगभग 4,000 नई फैक्ट्रियाँ स्थापित, कुल संख्या 27,000 तक पहुंची मुख्यमंत्री ने निवेश मित्र पोर्टल 3.0 के माध्यम से प्रक्रिया सरल और डिजिटल बनाने के निर्देश दिए ‘सेफ सिटी’ की तर्ज पर ‘सेफ इंडस्ट्री’ की परिकल्पना: सीसीटीवी, सुरक्षा और निवेशक विश्वास बढ़ाने पर जोर फोकस कंट्री डेस्क के माध्यम से होगा जापान, कोरिया, जर्मनी और खाड़ी देशों के निवेशकों से सक्रिय संवाद ‘चाइना+1’ रणनीति के तहत बहुराष्ट्रीय कंपनियों का उत्तर प्रदेश में निवेश, 219 कंपनियाँ सक्रिय चरण में मुख्यमंत्री का निर्देश, भूमि अधिग्रहण पर मिले उचित मुआवजा, सर्किल रेट असमानताओं का समापन करायें फॉर्च्यून 1000 सूची की 814 कंपनियों को अकाउंट मैनेजर आवंटित, अब तक 50 नए एमओयू हस्ताक्षरित,280 से अधिक कंपनियों से संवाद प्रगति पर लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को सम्पन्न इन्वेस्ट यूपी शासी निकाय की पहली बैठक में प्रदेश के औद्योगिक निवेश ढांचे को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में इन्वेस्ट यूपी के पुनर्गठन प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने स्वीकृति दी। नए ढांचे के तहत टेक्सटाइल, ऑटोमोबाइल एवं इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, केमिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और सर्विस सेक्टर जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञ सेल गठित किए जाएंगे। साथ ही मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई और नई दिल्ली में सैटेलाइट इन्वेस्टमेंट प्रमोशन ऑफिस स्थापित किए जाएंगे, जिनके माध्यम से घरेलू और वैश्विक निवेशकों से सीधा संवाद स्थापित कर उत्तर प्रदेश में निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इन कार्यालयों के संचालन में पारदर्शिता, दक्षता और परिणामोन्मुखी दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुनर्गठन का उद्देश्य इन्वेस्ट यूपी को अधिक कार्यकुशल, विशेषज्ञता-आधारित और निवेशक-केंद्रित संस्था के रूप में विकसित करना है। बैठक में 11 महाप्रबंधक/सहायक महाप्रबंधक पदों पर कार्योत्तर स्वीकृति दी गई। साथ ही, दो संयुक्त मुख्य कार्यपालक अधिकारी (पीसीएस संवर्ग) को प्रतिनियुक्ति पर तैनात करने तथा भूमि बैंक प्रकोष्ठ गठित करने का निर्णय लिया गया, जिसमें दो पीसीएस अधिकारी (उपजिलाधिकारी/अपर जिलाधिकारी स्तर) तैनात होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि नया ढांचा इन्वेस्ट यूपी को एक ‘एकल निवेश सुविधा एजेंसी’ के रूप में सशक्त बनाएगा, जो न केवल निवेश आकर्षित करेगी बल्कि परियोजनाओं के क्रियान्वयन तक उनकी सक्रिय निगरानी भी सुनिश्चित करेगी। उन्होंने निर्देश दिया कि इस ढांचे को त्वरित प्रभाव से लागू किया जाए और प्रत्येक प्रकोष्ठ का कार्यक्षेत्र स्पष्ट रूप से परिभाषित हो, ताकि निवेश संवर्धन की दिशा में समन्वित और परिणामोन्मुख व्यवस्था विकसित हो सके। बैठक में बताया गया कि बीते कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश ने औद्योगिक क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। वर्ष 2024-25 में लगभग 4,000 नई फैक्ट्रियाँ स्थापित हुईं, जिससे कुल संख्या लगभग 27,000 तक पहुँच गई है। वर्ष 2022-23 तक प्रतिवर्ष औसतन 500 नई इकाइयाँ स्थापित हो रही थीं, जिनमें अब कई गुना वृद्धि दर्ज की गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म’ मंत्र के सफल क्रियान्वयन से राज्य के औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र में आए सकारात्मक परिवर्तन का प्रमाण है। बैठक में निवेश प्रोत्साहन और सुविधा व्यवस्था की समीक्षा की गई। बताया गया कि फॉर्च्यून 1000 सूची की 814 कंपनियों को अकाउंट मैनेजर आवंटित किए गए हैं। अब तक 50 नए एमओयू हस्ताक्षरित हो चुके हैं तथा 280 से अधिक कंपनियों से संवाद प्रगति पर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि निवेशक इकाइयों को भूमि, सब्सिडी आदि के साथ-साथ प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध कराने के लिए भी संवाद बढ़ाया जाए। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में औद्योगिक निवेश अब नीतिगत प्रतिबद्धता नहीं, बल्कि ‘ग्राउंड लेवल डिलीवरी’ का उदाहरण बन चुका है। उन्होंने कहा कि निवेश मित्र पोर्टल 3.0 के माध्यम से आवेदन, स्वीकृति और प्रोत्साहन की प्रक्रिया को और सरल किया जा रहा है, जिससे 30% तक प्रक्रिया समय और 50% तक दस्तावेजी औपचारिकताओं में कमी आएगी। पोर्टल में सिंगल साइन-ऑन, डायनेमिक एप्लीकेशन सिस्टम, एआई आधारित चैटबॉट, थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन और डिजिटल मॉनिटरिंग जैसी सुविधाएँ शामिल की जा रही हैं, जो निवेशकों के अनुभव को और अधिक सुगम बनाएंगी। मुख्यमंत्री ने विभिन्न विभागों को निर्देश दिया कि वे मासिक लक्ष्य निर्धारित करें और स्वीकृत परियोजनाओं की ‘लेटर्स ऑफ कम्फर्ट’ जारी करने की प्रक्रिया समयबद्ध रूप से पूरी करें। उन्होंने कहा कि नीति के अनुरूप देय इंसेंटिव बिना किसी बाधा के समय पर वितरित किए जाएँ तथा इंडस्ट्रियल बिल्डिंग बायलॉज को और अधिक व्यावहारिक एवं निवेशक हितैषी बनाया जाए। बैठक में यह भी बताया गया कि फोकस कंट्री डेस्क के माध्यम से जापान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस, रूस, ताइवान, सिंगापुर और खाड़ी देशों के निवेशकों से सक्रिय संवाद स्थापित किया गया है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि वैश्विक मंचों पर उत्तर प्रदेश की औद्योगिक छवि को और सुदृढ़ किया जाए तथा प्रत्येक कंट्री डेस्क ठोस निवेश परिणामों पर कार्य करे। मुख्यमंत्री ने यूपीडा, यूपीसीडा, बीडा और अन्य औद्योगिक प्राधिकरणों को ऑटोमोबाइल, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और लेदर जैसे क्षेत्रों में क्लस्टर आधारित औद्योगिक विकास पर विशेष ध्यान देने को कहा। बैठक में यह भी अवगत कराया गया कि ‘चाइना+1’ रणनीति के तहत उत्तर प्रदेश अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों का पसंदीदा निवेश केंद्र बन रहा है। वर्तमान में 219 कंपनियाँ निवेश प्रक्रिया के सक्रिय चरण में हैं, जिनमें कई जापान, कोरिया और ताइवान की अग्रणी कंपनियाँ शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इन प्रस्तावों की सतत मॉनिटरिंग की जाए और सभी विभाग इन अवसरों को मूर्त रूप देने के लिए समन्वित ढंग से कार्य करें। बैठक में यह जानकारी भी दी गई कि औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के पास 25,000 एकड़ से अधिक ग्रीनफील्ड भूमि तथा 6,300 एकड़ से अधिक रेडी-टू-मूव भूमि निवेश हेतु उपलब्ध है। … Read more