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जब युवा होंगे मजबूत और राष्ट्रभक्त, तभी साकार होगा विकसित भारत का सपना: मांडविया

वाराणसी युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय ने 19-20 जुलाई के बीच वाराणसी में ‘विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा’ विषय पर ‘युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन’ आयोजित किया है। शनिवार को सम्मेलन में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार तथा युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने देश को नशामुक्त बनाने की अपील की है। रुद्राक्ष इंटरनेशनल कोऑपरेशन एंड कन्वेंशन सेंटर में आयोजित शिखर सम्मेलन में डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा, “15 अगस्त 2022 को लाल किले से पीएम मोदी ने कहा था कि हमें 2047 तक विकसित भारत बनाना है। यह 25 साल का समय ‘अमृतकाल’ है। हमें ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने के लिए इन 25 वर्षों में क्या-क्या करना होगा, इसके लिए प्रधानमंत्री ने रोड मैप दिया है।” उन्होंने कहा, “पीएम मोदी ने कहा था कि हम विकसित भारत तभी बन पाएंगे जब गुलामी की मानसिकता का त्याग करेंगे। हम अपनी विरासत के आधार पर विकसित भारत बनाएंगे। उन्होंने देशवासियों से एक संकल्प और एक विचार से आगे बढ़ने की अपील की थी।” केंद्रीय मंत्री ने कहा, “युवा इस देश की बहुत बड़ी ताकत हैं। देश में 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 साल से कम उम्र की है। हम दुनिया के सबसे युवा राष्ट्र हैं। इस शक्ति को एकत्र करके हमें विकसित भारत बनना है। यह देश विकसित भारत की राह पर तब आगे बढ़ेगा, जब देश के युवा फिट, सशक्त, संस्कारी और राष्ट्रभक्त होंगे। नशा देश के युवाओं के जीवन को बर्बाद करता है। यह युवाओं के परिवार को बर्बाद करने के साथ राष्ट्र को नुकसान पहुंचाता है। दिन-प्रतिदिन यह समस्या गंभीर होती जा रही है।” मनसुख मांडविया ने प्रधानमंत्री की अपील को दोहराते हुए कहा, “पीएम ने कई बार अपने कार्यक्रम में देश के युवा को नशे से दूर रहने को कहा है। हमें विकसित भारत के सपने को साकार करने के लिए युवाओं को नशे से दूर रखना होगा। हर युवा पांच लोगों को नशा मुक्त अभियान से जोड़े, ताकि हमारा देश बर्बादी से बच सके। जब युवा संकल्प करते हैं, तो क्रांति होती है। अगर युवा संकल्प करते हैं, तो सिद्धि सुनिश्चित हो जाती है।” मनसुख मांडविया ने मोबाइल फोन की लत पर कहा, “आजकल लोगों को रील्स की लत लगी हुई है। लोग मोबाइल पर रील्स देखते हैं, इससे समय बर्बाद होता है। हमें इस समय को देश के लिए विकास में लगाना चाहिए।” इस मौके पर केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने कहा, “आज नशा हमारे लिए एक सामाजिक चुनौती बनता जा रहा है। पीएम मोदी ने देश के युवाओं की ताकत को पहचाना है। युवा जब एक बार सोच लेता है, तो असंभव से असंभव काम भी कर सकता है। नशा मुक्त भारत अभियान, आज यह सिर्फ अभियान ही नहीं है, बल्कि एक जनआंदोलन बन गया है।”  

कप्तान गिल की असली चुनौती — भारत को कैसी टीम बनाना चाहते हैं, अब होगा खुलासा

नई दिल्ली ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान ग्रेग चैपल का मानना है कि शुभमन गिल ने इंग्लैंड के खिलाफ बल्लेबाजी में शानदार प्रदर्शन किया है और युवा कप्तान के रूप में अपनी क्षमता की झलक दिखाई है, लेकिन उनकी असली परीक्षा अब शुरू होगी जबकि भारत पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-2 से पीछे चल रहा है। भारत इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स में तीसरा टेस्ट मैच 22 रन से हार गया और सीरीज में 1-2 से पिछड़ गया। दोनों टीमें 23 जुलाई से मैनचेस्टर में एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट में आमने-सामने होंगी। चैपल ने ईएसपीएनक्रिकइंफो में अपने कॉलम में लिखा, ‘‘भारतीय टीम अब इंग्लैंड के खिलाफ अंतिम दो टेस्ट मैच की तैयारी कर रही है। ऐसे में अब सभी की नजरें उनके 25 वर्षीय कप्तान शुभमन गिल पर टिकी हैं। एक प्रतिभाशाली युवा खिलाड़ी के रूप में उन्होंने बल्लेबाजी में कमाल का प्रदर्शन किया है और नेतृत्व क्षमता की झलक भी दिखाई है, लेकिन उनकी असली परीक्षा अब होगी। यह वह मौका है जो टेस्ट कप्तान के रूप में उनकी दिशा तय करेगा।’’ चैपल चाहते हैं कि गिल अपने प्रदर्शन से टीम के लिए मानदंड स्थापित करें। उन्होंने कहा, ‘‘गिल को यह दिखाना होगा कि वह भारत को किस तरह की टीम बनना चाहते हैं। कप्तान न केवल अपनी बातों से बल्कि अपने प्रदर्शन और स्पष्ट मानदंडों से टीम के अंदर माहौल तय करता है।’’ चैपल ने कहा, ‘‘इसका मतलब है टीम को मैदान पर अनुशासित बनाए रखना। भारत एक बार फिर खराब फील्डिंग वाली टीम बनने का जोखिम नहीं उठा सकता। सर्वश्रेष्ठ टीमें मैदान में शानदार होती हैं। वे आसानी से रन नहीं देते। वे मौके नहीं गंवाते।’’ चैपल चाहते हैं कि गिल उस टीम के चयन में दृढ़ रहें जो उन्हें लगता है कि उनके लिए मैच जीत सकती है। उन्होंने कहा, ‘‘चयनकर्ता और गिल जिन खिलाड़ियों का चयन करते हैं उन पर उन्हें भरोसा बनाए रखना होगा। उन्हें खिलाड़ियों के एक मुख्य समूह की पहचान करनी होगी जिन पर उन्हें विश्वास रहे कि वे अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।’’ चैपल ने लिखा है, ‘‘ उन्हें अपनी स्पष्ट योजना बनानी होगी और प्रत्येक खिलाड़ी को उसकी भूमिका से अवगत कराना होगा। टीम में शामिल प्रत्येक खिलाड़ी को अपनी भूमिका पता होनी चाहिए। उसे यह पता होना चाहिए कि उससे क्या अपेक्षा की जा रही है।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘अगर गिल एक महान टेस्ट कप्तान बनना चाहते हैं, तो यह उनके पास न केवल एक बल्लेबाज बाल कप्तान के रूप में भी अपनी साख स्थापित करने का मौका है। अगर गिल स्पष्ट सोच और दृढ़ इरादे के साथ नेतृत्व करते हैं, तो वह न केवल इस श्रृंखला को नया स्वरूप प्रदान करेंगे, बल्कि भारतीय क्रिकेट का भविष्य भी तय करेंगे।’’  

यात्रियों के लिए राहत! इंदौर में ई-रिक्शा का न्यूनतम किराया ₹10 फिक्स

इंदौर इंदौर में आठ हजार से ज्यादा ई रिक्शा सड़कों पर चल रहे है और रिक्शा चालक मनमाना किराया ले रहे है। इस पर लगाम लगाने की तैयारी अब हो रही है। संभागायुक्त दीपक सिंह ने ई रिक्शा के किराए को लेकर आदेश जारी किए है। ई रिक्शा चालक दो किलोमीटर तक प्रति यात्री दस रुपये तक किराया ले सकेंगे। दो किलोमीटर के बाद प्रति किलोमीटर के लिए पांच रुपये देना होंगे। यह दरें शुक्रवार से लागू की गई है। इससे ज्यादा किराया अब रिक्शा चालक नहीं ले सकते है।  क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी प्रदीप शर्मा ने कहा कि ई रिक्शा चालकों द्वारा मनमाना किराया लेने की शिकायतें प्राप्त हो रही थी। अब हमने किराया तय किया है। उससे अधिक किराया लेने पर रिक्शा चालकों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। उन्होंने किया कि इंदौर में ई रिक्शा चार या उससे अधिक बैठक क्षमता वाले संचालित हो रहे है। रुट भी तय नहीं,ट्रैफिक मे भी बाधक  प्रशासन ने ई रिक्शा के रुट तय करने की कवायद भी की थी, लेकिन अभी तक रुट नहीं बनाए गए। इंदौर में कई रुटों पर ई रिक्शा संचालित हो रहे। उनके स्टैंड भी नहीं है। इस कारण वे कही भी खड़े हो जाते है। चौराहों पर लेफ्ट टर्न पर भी कई बार ई रिक्शा खड़े नजर आते है। इंदौर में चार किलोमीटर के 80 से 100 रुपये तक ई रिक्शा चालक किराया वसूलते है। मनमाने किराए को लेकर कई बार यात्रियों के साथ बदसलूकी भी की जाती है। कई ई रिक्शा अटाला बेचने, सब्जी बेचने के उपयोग में भी आ रहे है।    

सागर के खुरई में हरियाली की लहर, एक दिन में 61,700 से ज्यादा पौधे लगाए गए

सागर  खुरई विधानसभा क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण को समर्पित 'एक पेड़ मां के नाम' अभियान के तहत एक भव्य पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें एक ही दिन में 61,700 से अधिक पौधे रोपे गए। इस वृहद अभियान में नगर निकायों और ग्राम पंचायतों की सक्रिय भागीदारी रही, और खुरई मॉडल स्कूल ग्राउंड में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समर्थ दादा गुरु महाराज थे, जबकि अध्यक्षता पूर्व गृहमंत्री व खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह ने की। इस अवसर पर अकेले खुरई में 10,000 से अधिक पौधे रोपे गए। कार्यक्रम में विभिन्न ग्राम पंचायतों और नगरीय निकायों में भी समारोहपूर्वक पौधारोपण किया गया। अपने संबोधन में समर्थ दादा गुरु महाराज ने कहा, "खुरई में आज सहस्रकोटि यज्ञ की तरह यह अभियान जीवंत हुआ है। श्रावण मास शिव-शक्ति की आराधना का समय है और इस पवित्र अवसर पर 51,000 से अधिक देव वृक्षों की स्थापना एक ऐतिहासिक कदम है। वृक्ष ही ऐसे जीव हैं जो माटी, वायु और जल तीनों का संरक्षण कर सकते हैं।" भूपेंद्र सिंह ने घोषणा की कि यह अभियान अब हर साल चलेगा और खुरई में प्रतिवर्ष 50,000 पौधे लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा, "खुरई पहले ही स्वच्छता, स्वास्थ्य और विकास के मामलों में अग्रणी है, अब हम इसे पर्यावरण संरक्षण का भी मॉडल बनाएंगे।" इस आयोजन ने खुरई को हरित भविष्य की दिशा में एक नई पहचान दी है और स्थानीय लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता और जिम्मेदारी का भाव भी पैदा किया है।  

राजधानी भोपाल में नाम बदलने की शुरुआत, ‘राम बाग’ बना अशोका गार्डन, अन्य क्षेत्रों की सूची तैयार

भोपाल  राजधानी शहर के प्रमुख जगहों के नाम बदलकर शहर सरकार 'शुद्धिकरण अभियान' चला रही है। दावा किया जा रहा है कि, अब गुलामी और विदेशी आंक्राताओं के नाम से नहीं, बल्कि भोपाल की पहचान भारतीय संस्कृति के नामों से होगी। इसी के चलते नगर निगम द्वारा हमीदिया कॉलेज, हमीदिया अस्पताल, हबीबगंज के साथ-साथ शहर के कई प्रमुख इलाकों के नाम बदलने के लिए शासन से मांग की है। इसी के तहत मेयर इन काउंसिल (MIC) ने शहर के बड़े और प्रमुख इलाके में शामिल अशोका गार्डन का नाम बदल भी दिया है। इस इलाको को अब 'राम बाग' नाम से जाना जाएगा। मीडिया से बातचीत के दौरान नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने कहा कि, गुलामी और विदेशी आक्रांताओं के नामों को बदलना जरूरी है। भारतीय संस्कृति के नामों से भोपाल को राजा भोजपाल की पहचान मिले। कई सड़कों और संस्थानों के नाम बदलने के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। शहर सरकार की शक्तियों का उपयोग कर अशोका गार्डन का नाम बदलकर राम बाग का प्रस्ताव पारित हुआ है। निगम अद्यक्ष ने कहा कि, भोपाल का नवाब रहा हमीदुल्लाह खान के नाम की सड़कों के नाम बदले। भोपाल का हमीदुल्लाह खान पाकिस्तान में विलय चाहता था। इसलिए ये शुद्धिकरण का अभियान है। विपक्ष के मति में भ्रम और अशुद्धि है।

ग्वालियर से RSS का मिशन समरसता, 150 दलित छात्रों को मिलेगा विशेष प्रशिक्षण

ग्वालियर  अनुसूचित जाति (SC) वर्ग के छात्रों के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का प्रकल्प विचार प्रवाह एक बड़ी पहल करने जा रहा है। ग्वालियर अंचल में लंबे समय से सामाजिक समरसता और शैक्षणिक जागरूकता को लेकर कार्य कर रहा यह संगठन अब 19 जुलाई से 24 घंटे का आवासीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित करेगा। यह शिविर शहर के श्याम वाटिका परिसर में होगा जिसमें अजा वर्ग के 150 छात्रों को शामिल किया जाएगा। इस प्रशिक्षण शिविर में देशभर के विषय विशेषज्ञ छात्रों को तथ्यात्मक इतिहास, विदेश में उच्च शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप प्राप्त करने की प्रक्रिया और प्रतियोगी परीक्षाओं की प्रभावी तैयारी के गुर सिखाएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों को समाज में व्याप्त भ्रामक विमर्शों से अवगत कराना और उन्हें सनातन मूल्यों के प्रति जागरूक करना है। शिविर के संयोजक मनीष राजौरिया और संघ की सामाजिक समरसता गतिविधियों के संयोजक सुधीर शर्मा ने बताया कि कुल आठ सत्रों में शिक्षण, सामाजिक और ऐतिहासिक विषयों पर विशेषज्ञ बातचीत करेंगे। इसमें प्रोफेसर, डॉक्टर्स, वकील और इंजीनियर जैसे बुद्धिजीवी भाग लेंगे। विचार प्रवाह पिछले तीन वर्षों से ग्वालियर जिले में सक्रिय है और 500 से अधिक अनुसूचित जाति वर्ग के बुद्धिजीवियों को जोड़ चुका है। संगठन तीन मुख्य कार्यों पर केंद्रित है – सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना, अनुसूचित वर्ग से जुड़ी घटनाओं का विश्लेषण करना और उनकी प्रगति के लिए शोध कार्यों को आगे बढ़ाना। ग्वालियर अंचल में जातिगत संगठनों की गतिविधियों में बढ़ोतरी के कारण समाज में राजनीतिक स्वार्थ से प्रेरित विभाजनकारी विमर्श फैलाए जा रहे हैं। ऐसे में विचार प्रवाह का यह प्रयास अजा वर्ग को सनातन विरोधी विचारधाराओं से सचेत करने और सामाजिक एकता को पुनः स्थापित करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। यदि ग्वालियर में यह प्रयोग सफल रहता है तो संघ इसे गुना, शिवपुरी, अशोकनगर, भिंड, मुरैना और श्योपुर जिलों में भी आयोजित करेगा। आगे चलकर यह नवाचार राष्ट्रीय स्तर पर भी लागू किया जा सकता है।

‘महिला सशक्तिकरण से ही सशक्त राष्ट्र’: RSS प्रमुख ने पुरानी सोच पर उठाए सवाल

नागपुर   राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि किसी भी देश की प्रगति के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण बेहद जरूरी है और उन्हें पुरानी व पिछड़ी सोच वाली परंपराओं से मुक्त किया जाना चाहिए। वे महाराष्ट्र के सोलापुर में उद्योगवर्धिनी नाम के एक गैर-सरकारी संगठन की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। 'महिलाएं किसी भी समाज का सबसे अहम हिस्सा' मोहन भागवत ने कहा, 'महिलाएं किसी भी समाज का सबसे अहम हिस्सा होती हैं। पुरुष जीवनभर काम करता है, महिला भी जीवनभर काम करती है, लेकिन उससे आगे जाकर वह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती है। बच्चों के मन और संस्कार मां के स्नेह में ही विकसित होते हैं।' उन्होंने आगे कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल समाज के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के विकास के लिए अनिवार्य है। मोहन भागवत ने कहा, 'ईश्वर ने महिलाओं को एक अतिरिक्त विशेषता दी है, जिससे वे वह सब कर सकती हैं जो पुरुष नहीं कर पाते। साथ ही, उन्हें पुरुषों के जैसे सभी गुण भी दिए हैं। इसलिए वे पुरुषों के बराबर हर काम कर सकती हैं।' राष्ट्रीय विकास के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण बेहद महत्वपूर्ण- भागवत उन्होंने कहा, “एक पुरुष अपनी मृत्यु तक काम करता है और एक महिला भी अंत तक काम करती है, लेकिन वह उससे भी आगे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती है. एक महिला के प्यार और स्नेह के तले बच्चे बढ़ते है, परिपक्व होते हैं और उनका विकास होता है.' इसके साथ ही आरएसएस प्रमुख ने कहा, “राष्ट्रीय विकास के लिए भी महिलाओं का सशक्तिकरण बेहद महत्वपूर्ण है.” ईश्वर ने महिलाओं को दिए हैं अतिरिक्त गुण- भागवत उन्होंने कहा, “ईश्वर ने पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कुछ अतिरिक्त गुण दिए हैं, जिससे महिलाएं वह सभी काम कर सकती हैं, जो सामान्य रूप से पुरुष नहीं कर सकते है. इसके साथ ही, ईश्वर ने महिलाओं को वे सभी गुण दिए हैं, जो उन्होंने पुरुषों को दिए हैं, जिसके कारण वे वह सब कुछ भी कर सकती हैं, जो पुरुष कर सकते हैं.” महिलाओं को वह करने दें, जो वे करना चाहती हैं- भागवत भागवत ने कहा, “इसलिए पुरुषों का यह दावा करना मूर्खता है कि वे महिलाओं का उत्थान करेंगे.” उन्होंने कहा, “इस तरह के अहंकार का कोई आधार नहीं है. महिलाओं को वह करने दें, जो वे करना चाहती हैं. बस उन्हें सशक्त बनाएं और उन्हें रूढिवादी रीति-रिवाजों और परंपराओं से मुक्त करें.” उन्होंने कहा, “जब एक महिला खुद का उत्थान करती है, तो वह पूरे समाज को ऊपर उठाती है.” वहीं, आरएसएस प्रमुख ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महिलाओं को सशक्त और मजबूत बनाने में उद्योगवर्धिनी के योगदान की सराहना भी की. उन्होंने कहा- पुरुषों को यह भ्रम नहीं पालना चाहिए कि वे महिलाओं का उत्थान करेंगे। ईश्वर ने महिलाओं को न केवल पुरुषों जैसी क्षमताएं दी हैं, बल्कि अतिरिक्त गुण भी दिए हैं जो उन्हें खास बनाते हैं। जिन शाखाओं में 100+ लोग, वहां पथ संचलन 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 साल पूरे हो रहे हैं। 2 अक्टूबर गांधी जयंती के दिन विजया दशमी भी है। विजया दशमी के दिन संघ की स्थापना हुई थी। संघ ने 2 अक्टूबर को अपने नए-पुराने स्वयं सेवकों को शाखाओं में पहुंचने का आह्वान किया है। एक ओर रामधुन बजेगी, वहीं जिन शाखाओं में 100 से अधिक स्वयं सेवक हैं, वहां पथ संचलन होगा। 4-6 जुलाई तक दिल्ली में संघ की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक में अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने शताब्दी वर्ष के कार्यक्रमों पर चर्चा की थी। घर-घर संपर्क अभियान संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि शताब्दी वर्ष में यूपी में संघ भीड़ जुटाने का कोई बड़ा कार्यक्रम आयोजित नहीं करेगा। आम लोगों से जुड़ने के लिए ग्राम पंचायत, न्याय पंचायत, ब्लॉक स्तर पर शाखाएं कार्यक्रम करेंगी। जिलों में चुनिंदा 100 से 200 लोगों की गोष्ठियां होगी। छोटी गोष्ठियां शाखा स्तर पर भी होंगी। ग्रामीण में मंडल व शहरी क्षेत्रों में बस्ती स्तर पर हिन्दू सम्मेलन होंगे। संघ ‘गृह संपर्क’ का अब तक का सबसे बड़ा अभियान चलाएगा। इसमें स्वयंसेवक 25 से 30 घरों में जाकर संघ के कार्यों की जानकारी देंगे। 'महिला आगे बढ़ती है, तो वह पूरे समाज को आगे ले जाती है' उन्होंने यह भी कहा कि पुरुषों को यह सोचना कि वे महिलाओं को ऊपर उठाएंगे, यह एक अहंकार की बात है। 'ऐसा सोचने की कोई जरूरत नहीं है। महिलाओं को बस स्वतंत्र छोड़ देना चाहिए, उन्हें पिछड़ी परंपराओं से मुक्त करना चाहिए और उन्हें खुद को विकसित करने देना चाहिए। जब एक महिला आगे बढ़ती है, तो वह पूरे समाज को आगे ले जाती है।' इस कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने उद्योगवर्धिनी संस्था की तरफ से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयासों की भी सराहना की। 

अदालत का स्पष्ट संदेश: बीमारी का हवाला देकर ट्रांसफर नहीं टाला जा सकता

ग्वालियर  मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर पीठ ने माध्यमिक शिक्षिका सुनीता यादव की ट्रांसफर रद्द करने संबंधी याचिका खारिज करते हुए सख्त टिप्पणी की है कि स्थानांतरण (ट्रांसफर) सेवा का अभिन्न हिस्सा है और जब तक कोई ट्रांसफर दुर्भावनापूर्ण या मनमाना न हो, अदालत उसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकती। क्या है पूरा मामला? शिक्षिका सुनीता यादव का स्थानांतरण 3 अक्टूबर 2024 को इंदरगढ़ के मढीपुरा मिडिल स्कूल से दतिया जिले के रुहेरा हाईस्कूल में किया गया था। उन्होंने इस ट्रांसफर को चुनौती देते हुए कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। प्रारंभ में कोर्ट ने उन्हें प्रतिवेदन देने का अवसर देते हुए जबरन ज्वॉइन न कराने के निर्देश प्रशासन को दिए थे। लेकिन प्रशासन ने उनका प्रतिवेदन 23 अप्रैल 2025 को खारिज कर दिया। इसके बाद शिक्षिका ने दोबारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। उन्होंने याचिका में दो प्रमुख तर्क दिए- 1. मढीपुरा स्कूल में शिक्षकों की कमी है 2. स्वयं स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही हैं कोर्ट ने क्या कहा? हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता द्वारा दिए गए प्रारंभिक प्रतिवेदन में कहीं भी स्वास्थ्य समस्याओं का उल्लेख नहीं था। साथ ही यह भी पाया गया कि मढीपुरा स्कूल में कुल तीन शिक्षक कार्यरत हैं और उनमें से सुनीता यादव को "सरप्लस" (अतिरिक्त शिक्षक) मानकर ही स्थानांतरण किया गया। ट्रांसफर को बताया सेवा का अभिन्न हिस्सा कोर्ट ने अपने फैसले में दो टूक कहा कि थानांतरण सरकारी सेवा का एक अनिवार्य पहलू है। जब तक कोई स्थानांतरण दुर्भावना से प्रेरित या असंगत न हो, तब तक उसमें न्यायिक हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने याचिका को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया। हालांकि, हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि यदि अब याचिकाकर्ता को कोई नई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हैं, तो वह प्रशासन के समक्ष पुनः आवेदन कर सकती हैं और प्रशासन चाहे तो उन पर विचार कर सकता है।

iPhone 17 Air के फीचर्स आए सामने, बैटरी में मिलेगा जुगाड़ वाला इनोवेशन

Apple जल्द ही अपने नए स्मार्टफोन्स को लॉन्च करने वाला है. कंपनी iPhone 17 सीरीज को सितंबर में लॉन्च कर सकती है. इस बार कंपनी चार नए iPhone लॉन्च करेगी, जिसमें iPhone 17, iPhone 17 Air, iPhone 17 Pro और iPhone 17 Pro Max होंगे. Air के तहत कंपनी अपना स्लिम फोन लॉन्च करेगी.  हालांकि, कंपनी ने आधिकारिक रूप से इन स्मार्टफोन्स को लेकर फिलहाल कोई जानकारी नहीं दी है. iPhone 17 Air ब्रांड का अब तक का सबसे पतला फोन होगा. इस फोन से जुड़ी नई डिटेल्स सामने आई हैं. MacRumors की मानें, तो iPhone 17 Air में सीमित बैटरी कैपेसिटी मिलेगी.  मिलेगी छोटी बैटरी इस फोन में कंपनी लाइटवेट और पतला होने पर फोकस करेगी. कयासों को सही मानें, तो कंपनी इस फोन में बैटरी से ज्यादा डिजाइन पर फोकस करेगी. MacRumors की रिपोर्ट के मुताबिक, iPhone 17 Air की बैटरी 3000mAh से छोटी हो सकती है.  कुछ रिपोर्ट्स की मानें, तो इस लाइटवेट स्मार्टफोन में 2800mAh की बैटरी मिल सकती है. अगर ये सच है, तो iPhone 16 Plus के मुकाबले इस फोन की बैटरी काफी कम होगी. बता दें कि iPhone 16 Plus में 4674mAh की बैटरी मिलती है, जिसमें Air में रिप्लेस कर दिया जाएगा.  iPhone 17 Air की मोटाई 5.5mm होगी, जिसकी वजह से फोन की बैटरी के लिए जगह कम मिलेगी. इस स्मार्टफोन में iOS 26 मिलेगा, जिसमें एडॉप्टिव पावर मोड दिया जाएगा. इस फीचर की वजह से आपको बेहतर बैटरी लाइफ मिलेगी. इंटरनल टेस्टिंग की मानें, तो 60 से 70 फीसदी यूजर्स को पूरे दिन बैटरी लाइफ मिलेगी.  यूजर्स को फोन दोबारा चार्ज नहीं करना होगा. वहीं पुराने मॉडल्स में 80 फीसदी से 90 फीसदी तक लोगों को बिना दोबारा चार्ज किए पूरे दिन बैटरी लाइफ मिलती है. रिपोर्ट्स की माने, तो ऐपल एक्सटेंडेड बैटरी लाइफ के लिए एक्सेसरीज भी तैयार कर रही है. यानी फोन पतला होगा, लेकिन बैटरी के लिए कंपनी अलग से एक्सेसरीज भी देगी.  iPhone 17 Air में 120Hz रिफ्रेश रेट वाला डिस्प्ले मिलेगा. ये पहला मौका होगा, जब Apple एक नॉन-प्रो iPhone में 120Hz रिफ्रेश रेट सपोर्ट वाली स्क्रीन देगी. बैटरी की बात हम पहले ही कर चुके हैं. हैंडसेट A19 प्रोसेसर के साथ आएगा और इसमें iOS 26 का सपोर्ट मिलेगा. कंपनी इस फोन को सितंबर में लॉन्च कर सकती है.

बालाघाट के जंगलों में गोलियां गूंजीं! सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच चल रही मुठभेड़

 बालाघाट  बालाघाट से बड़ी खबर सामने आ रही है जहां सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच भीषण मुठभेड़ जारी है। यह मुठभेड़ जिले के घने जंगलों में उस समय शुरू हुई जब सुरक्षा बलों द्वारा एक विशेष सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा था। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक, ऑपरेशन के दौरान सुरक्षाबलों की टीम का सामना नक्सलियों से हो गया, जिसके बाद दोनों ओर से फायरिंग शुरू हो गई। घटना की पुष्टि करते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने बताया कि मुठभेड़ अभी भी जारी है और मौके पर अतिरिक्त बलों को रवाना किया गया है। फिलहाल, किसी प्रकार के हताहत या गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। प्रशासन ने क्षेत्र में अलर्ट जारी कर दिया है और मुठभेड़ से संबंधित विस्तृत जानकारी का इंतजार किया जा रहा है। बालाघाट जिले लांजी थाना अंतर्गत मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सीमा से लगे झुलनापाठ के जंगल में शनिवार सुबह माओवादियों और सुरक्षा जवानों के बीच मुठभेड़ हुई है। इसमें कुछ माओवादियों के मारे जाने की सूचना आ रही है। पुलिस अधीक्षक आदित्य मिश्रा ने मुठभेड़ की घटना की पुष्टि की है। उन्होंने मुठभेड़ में माओवादियों के मारे जाने की बात से इनकार किया है, लेकिन ये स्पष्ट किया है कि जंगल में मुठभेड़ हुई है और मौके पर हाकफोर्स और कोबरा बटालियन के जवान तैनात हैं। वहीं, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (बैहर) आदर्शकांत शुक्ला ने बताया कि मुठभेड़ शनिवार सुबह नौ बजे के आसपास शुरू हुई थी। दो-तीन घंटे के बाद मुठभेड़ रुक गई। फिलहाल सुरक्षा जवान इलाके की सर्चिंग कर रहे हैं। मुठभेड़ में माओवादी के मारे जाने की भी जानकारी सामने आ रही है, लेकिन पुलिस का कहना है कि अभी किसी भी माओवादी का शव नहीं मिला है। इसलिए मुठभेड़ में माओवादी मारे गए हैं या नहीं, ये शव मिलने के बाद ही स्पष्ट होगा। 14 जून को मारी गईं थीं चार हार्डकोर महिला माओवादी बता दें कि 36 दिन पहले 14 जून को रूपझर थाना क्षेत्र के कटेझिरिया के जंगल में हाकफोर्स के जवानों ने चार हार्डकोर महिला माओवादियों को मार गिराया था। इसके बाद इस महीने हट्टा थाना क्षेत्र के ठाकुरटोला के नैनसिंह धुर्वे को पुलिस ने माओवादियों को विस्फोटक सामग्री उपलब्ध कराने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस मामले में पुलिस अब तक पांच संदेहियों को भी हिरासत में लेकर पूछताछ कर चुकी है। हाकफोर्स और कोबरा बटालियन के जवान मौके पर तैनात है। आशंका है कि फायरिंग में कुछ माओवादियों जान बचाकर जंगल में भाग गए हैं। अभी कोई शव बरामद नहीं हुआ है, लेकिन यह बताया जा रहा है कि कई माओवादियों को इसमें गोली लगी है। सर्चिंग पर निकले थे जवान जानकारी के मुताबिक हाकफोर्स और कोबरा बटालियन के जवान इलाके में सर्चिंग पर निकले थे। इसी दौरान वहां मौजूद माओवादियों ने गोलियां चलाना शुरू कर दी। बदले में जवानों ने भी डटकर उनका मुकाबला किया, इस दौरान कई माओवादी भागने पर मजबूर हो गए। छत्तीसगढ़ से भागकर आने की आशंका जिस इलाके में यह मुठभेड़ हुई वह छत्तीसगढ़ की सीमा के काफी करीब है, आशंका जताई जा रही है कि माओवादी वहीं से भागकर मध्य प्रदेश के बालाघाट में आए हैं। छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ सुरक्षाबलों का एक्शन लगातार जारी है। केंद्र सरकार ने अगले साल तक देश को माओवाद से मुक्त करने का निर्णय लिया है। ऐसे में मध्य प्रदेश में भी उनके छिपने के संभावित ठिकानों पर लगातार सर्चिंग की जा रही है।