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Maruti Escudo का धमाका: ब्रेज़ा से बड़ा, ग्रैंड विटारा से किफायती, लॉन्च डेट तय

मुंबई  देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी अपने एसयूवी पोर्टफोलियो को बड़ा अपडेट देने की तैयारी में है. एक तरफ कंपनी अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार के तौर पर 'Maruti e Vitara' को पेश करने जा रही है. दूसरी ओर कंपनी एक और 5-सीटर एसयूवी लॉन्च करने की तैयारी में है. जो मौजूदा मारुति ग्रैंड विटारा और मारुति ब्रेजा के बीच पोजिशन करेगी.  हालांकि कंपनी ने अभी इस एसयूवी के नाम के बारे में कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स में से इसे 'Maruti Escudo' के नाम से पेश किए जाने की बात कही जा रही है. मारुति सुजुकी इस नई मिड-साइज एसयूवी को अपने एरिना (Arena) डीलरशिप के माध्यम से बेचेगी. हाल के दिनों इस एसयूवी को कई बार अलग-अलग मौकों पर टेस्टिंग के दौरान स्पॉट भी किया गया है.  कैसी होगी नई Maruti Escudo? टेस्टिंग मॉडल के स्पाई तस्वीरों से पता चलता है कि, इसमें बूमरैंग स्टाइल 3D एलईडी टेललैंप दिया जा सकता है. ये एक 5-सीटर एसयूवी होगी और बाजार में ये मौजूदा ब्रेजा और ग्रैंड विटारा के बीच पोजिशन करेगी. यानी साइज में ये मारुति ब्रेजा से बड़ी हो सकती है. इसमें बड़ा टेलगेट दिए जाने की भी उम्मीद है. इसके अलावा इसमें इंटिग्रेटेड स्पॉइलर और एक हाई-माउंटेड स्टॉप लैंप के साथ-साथ शार्क फिन एंटीना भी दिया जाएगा.  मारुति सुजुकी एस्कुडो में वहीं पावरट्रेन ऑप्शन देगी जो आपको मौजूदा ग्रैंड विटारा में मिलता है. इस SUV में माइल्ड हाइब्रिड तकनीक के साथ 1.5L नेचुरल एस्पिरेटेड पेट्रोल और स्ट्रांग हाइब्रिड तकनीक के साथ टोयोटा से लिया गया 1.5 लीटर TNGA पेट्रोल इंजन मिलने की संभावना है. ख़बर ये भी है कि कंपनी इस एसयूवी को CNG पावरट्रेन के साथ भी पेश कर सकती है. Maruti Escudo में एक बड़ा केबिन और एडवांस फीचर्स से लैस इंटीरियर दिए जाने की उम्मीद है. ख़बर तो ये भी है कि, इसकी कुल लंबाई मौजूदा गैंड विटारा से थोड़ी बड़ी हो सकती है. बता दें कि, ग्रैंड विटारा की लंबाई 4,345 मिमी है, ऐसे में इस एसयूवी में ज्यादा स्पेश और बूट मिलने की उम्मीद है. ग्रैंड विटारा में 373 लीटर का बूट स्पेस मिलता है.  मिलेंगे स्मार्ट फीचर्स Maruti Escudo में कंपनी 9 इंच का टचस्क्रीन इंफोटेंमेंट सिस्टम दे सकती है. जो वायरलेस एप्पल कारप्ले और एंड्रॉइड ऑटो को सपोर्ट करेगा. सेफ्टी के तौर पर इस कार में बतौर स्टैंडर्ड 6 एयरबैग, वायरलेस फ़ोन चार्जर और सेमी-डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर जैसे एडवांस फीचर्स की उम्मीद है. इसके अलावा इसमें फ्लैट-बॉटम स्टीयरिंग व्हील, ऑटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल और मल्टीपल ड्राइविंग मोड भी शामिल होने की संभावना है. कब होगी लॉन्च और कहां होगा प्रोडक्शन? मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मारुति सुजुकी अपनी इस नई एसयूवी का प्रोडक्शन हरियाणा के खरखौदा में स्थित अपने प्लांट में करेगी. उम्मीद है कि भविष्य में टोयोटा भी इस एसयूवी पर बेस्ड अपना नया मॉडल पेश करेगी. जानकारी के अनुसार इस नई एसयूवी को आगामी 3 सितंबर को भारतीय बाजार में लॉन्च किया जाएगा.  क्या होगी कीमत? मारुति सुजुकी हाई-वॉल्यूम मिड-साइज़ एसयूवी सेगमेंट को टार्गेट कर रही है. बाजार में इसका मुकाबला मिड-साइज एसयूवी सेग्मेंट की लीडर हुंडई क्रेटा और किआ सेल्टोस से होगा. हालांकि लॉन्च से पहले इसकी कीमत के बारे में कुछ भी कहना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन माना जा रहा है कि, कंपनी इस एसयूवी को 10 लाख रुपये की शुरुआती कीमत में पेश कर सकती है.

जानें कैसे कुछ हथियारों से ही पाकिस्तान हार मान बैठा, ऑपरेशन सिंदूर का खुलासा

नई दिल्ली पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में मई महीने में चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान की कमर तोड़ दी। वहां और पीओके में रहने वाले 100 से ज्यादा आतंकियों को हवाई हमलों में ढेर कर दिया गया। साथ ही, कई एयरबेस भी तबाह किए गए। वायुसेना उप प्रमुख नर्मदेश्वर तिवारी ने ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ा नया खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि इस ऑपरेशन के दौरान भरत को सिर्फ 50 से भी कम हथियार दागने पड़े थे। महज इतने हथियारों से ही पाकिस्तान ने घुटने टेक दिए और सीजफायर की गुहार लगाने लगा। एनडीटीवी से बात करते हुए एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने कहा कि पाकिस्तान को सीजफायर की टेबल तक लाने के लिए भारतीय वायुसेना को 50 से भी कम हथियार दागने पड़े। उन्होंने कहा, ''प्रस्तुत विकल्पों की सूची में से हमारे पास बड़ी संख्या में टारगेट सेट्स थे और 9 ठिकानों को टारगेट किया। हमारे लिए मुख्य बात यह थी कि 50 से भी कम हथियारों के साथ सीजफायर हुआ। इसलिए यही वह महत्वपूर्ण बात है, जिसे मैं आपको समझाना चाहता हूं।'' उन्होंने आगे कहा, ''किसी भी युद्ध को शुरू करना काफी आसान होता है, लेकिन उसे खत्म करना आसान नहीं होता। यह बात ध्यान में रखने योग्य है, ताकि हमारी सेना सक्रिय रहे, तैनात रहे और वे किसी भी संभावित स्थिति के लिए तैयार रहें।" उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का क्रेडिट भारत की एकीकृत वायुकमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS) को दिया जो आक्रामक और रक्षात्मक दोनों ही अभियानों की रीढ़ रही। इसी सिस्टम ने भारत को कड़ा जवाब देने में सक्षम बनाया और इसके चलते पाकिस्तान ने सीजफायर की मांग की। क्यों और कब हुआ था ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान के आतंकियों ने भारतीय पर्यटकों को करीब से गोली मारी थी, जिसमें 26 की जान चली गई थी। इससे पूरे देशभर में गुस्सा था। भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पहले सिंधु जल संधि को रद्द करने समेत कई फैसले लिए और फिर सात मई को ऑपरेशन सिंदूर चलाते हुए पाकिस्तान और पीओके के 9 ठिकानों पर हवाई हमले कर दिए। इसमें 100 से ज्यादा आतंकी मार गिराए गए, जिसमें लश्कर और जैश के अहम आतंकी भी शामिल थे। इसके बाद भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ गया। पाक ने भी तुर्किए के ड्रोन की मदद से भारत पर जवाबी हमले की कोशिश की, लेकिन भारत ने सभी को नाकाम कर दिया। इसके बाद फिर से भारत ने पाकिस्तान पर हवाई हमले करके वहां के कई एयरबेस को ध्वस्त कर दिया। चार दिनों तक चरम पर तनाव रहने के बाद आखिरकार पाकिस्तान ने भारत से सीजफायर की मांग की और दोनों देशों में इसके लिए सहमति बन सकी।

मोदी सरकार का तोहफा: प्रधानमंत्री जनधन योजना में अब मिलेगी ₹10,000 तक ओवरड्राफ्ट सुविधा

नई दिल्ली  नरेंद्र मोदी सरकार की चर्चित योजना- प्रधानमंत्री जनधन के 11 साल पूरे हो गए हैं। योजना के तहत खोले गए खातों की संख्या 11 वर्ष में बढ़कर 56.16 करोड़ हो गई है। वहीं, खातों में 2.68 लाख करोड़ रुपये जमा किए गए। योजना के तहत खाताधारकों को कई बड़ी सुविधाएं मिलती हैं। इनमें से एक सुविधा ओवरड्राफ्ट की है। आइए इस सुविधा के बारे में विस्तार से जान लेते हैं। क्या है ओवरड्राफ्ट लिमिट प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत लाभार्थी 10000 रुपये तक की ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। बता दें कि ओवरड्राफ्ट के तहत अगर आपके खाते में पर्याप्त पैसा नहीं है, फिर भी आप एक निश्चित सीमा तक पैसे निकाल सकते हैं या लेनदेन कर सकते हैं। योजना के तहत सभी लाभार्थियों को 2 लाख रुपये के दुर्घटना बीमा कवर के साथ एक निःशुल्क रुपे डेबिट कार्ड प्राप्त होता है। क्या कहते हैं आंकड़े बीते दिनों वित्त मंत्रालय ने बताया कि जनधान के तहत खातों की संख्या मार्च 2015 के 14.72 करोड़ से बढ़कर 13 अगस्त 2025 तक 56.16 करोड़ हो गई है। खाताधारकों में 56 प्रतिशत महिलाएं शामिल हैं। वहीं 67 प्रतिशत खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं। प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से लाभार्थियों के खातों में सीधे 45 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए गए। भारत की 94 प्रतिशत वयस्क आबादी का अब बैंक खाता है। 38.68 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड जारी प्रधानमंत्री जनधन योजना के खाताधारकों को कुल 38.68 करोड़ रुपे डेबिट कार्ड जारी किए गए हैं। इससे उन्हें नकदी रहित लेनदेन की सुविधा मिली है और अंतर्निहित दुर्घटना बीमा कवर तक पहुंच प्राप्त हुई है। ये खाते प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी), प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई), अटल पेंशन योजना (एपीवाई), और माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी बैंक (मुद्रा) योजना के लिए पात्र हैं।

सरकार ने बढ़ाई PM SVANidhi स्कीम की डेडलाइन, बिना गारंटी मिलेगा लोन

नई दिल्ली कोरोना महामारी के दौर में, जब लोगों के छोटे रोजगार ठप हो गए थे और खासतौर पर रेहड़ी-पटरी वालों का बिजनेस पूरी तरह से खत्म हो गया था, तो ऐसे समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने इनकी मदद के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर्स आत्मनिर्भर निधि या पीएम स्वनिधि योजना की शुरुआत की थी, जिसके तहत उन्हें अपना बिजनेस खड़ा करने में मदद के लिए सरकार 80,000 रुपये तक का लोन मुहैया करा रही थी और वो भी बिना गांरटी के, अब मोदी सरकार ने इस स्कीम के तहत मिलने वाले लोन की लिमिट में इजाफा कर दिया है और अब लाभार्थियों को 80 हजार नहीं, बल्कि 90,000 रुपये तक का गारंटी-फ्री लोन मिलेगा. यही नहीं स्वनिधि योजना की डेडलाइन भी 2030 तक बढ़ाई गई है.  31 मार्च 2030 तक मिलेगा फायदा केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के विस्तार और पुनर्गठन को मंजूरी दे दी है, जो करोड़ों रेहड़ी-पटरी वालों और छोटे विक्रेताओं के लिए बड़ी राहत भरा कदम है. रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के इस फैसले से 1.15 करोड़ रेहड़ी-पटरी वालों को लाभ मिलेगा, जिनमें 50 लाख नए लाभार्थी भी शामिल हैं. आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के साथ वित्त सेवा विभाग द्वारा इसका संचालन 31 मार्च 2030 तक जारी रहेगा. इस फैसले से सरकारी खजाने पर 7,332 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय आएगा.  80 नहीं, अब 90 हजार तक लोन   सरकार ने पीएम स्वनिधि योजना की डेडलाइन को बढ़ाने के साथ ही इसके तहत लाभार्थियों को मिलने वाले लोन की लिमिट में भी बढ़ोतरी की है. बता दें कि इसमें जरूरतमंदों को सरकार तीन किस्तों में 80,000 रुपये का लोन देती है और 10, 20 और 50 हजार रुपये तीन चरणों में दिए जाते थे. लेकिन अब इसकी लिमिट को बढ़ाते हुए स्मॉल बिजनेस की शुरुआत के लिए पहले चरण में 15,000 रुपये, दूसरे चरण में 25,000 रुपये और तीसरे चरण में 50,000 रुपये का लोन मिलेगा. इस सरकारी योजना का पूरा लाभ लेने के लिए क्रेडिबिलिटी जरूरी है. मतलब कोई व्यक्ति अपना व्यापार शुरू करने के लिए अप्लाई करता है, तो पहले उसे 15,000 रुपये का लोन मिलेगा और फिर उसके द्वारा ये लोन की रकम निर्धारित समय में चुकाने ही वो स्कीम के तहत अगला 25,000 रुपये का लोन पा सकेगा. इसी तरह जब वो इस लोन को चुका देगा, तो उसे एकमुश्त 50,000 रुपये का लोन पाने का योग्य माना जाएगा. सरकारी डेटा पर नजर डालें, तो 30 जुलाई 2025 तक 68 लाख से ज्यादा लाभार्थियों को 13,797 करोड़ रुपये के 96 लाख से ज्यादा लोन वितरित किए गए हैं. करीब 47 लाख लाभार्थी डिजिटली सक्रिय हैं, जिन्होंने 6.09 लाख करोड़ रुपये वैल्यू के 557 करोड़ से ज्यादा ट्रांजैक्शन किए हैं. सिर्फ आधार लाएं और लोन ले जाएं जैसा कि बताया कि ये सरकार की बिना गारंटी वाली लोन स्कीम है, यानी इसे लेने के लिए आपको किसी भी तरह की कोई चीज गारंटी के तौर पर गिरवी नहीं रखनी होगी. सिर्फ आधार कार्ड के जरिए आपको ये लोन आसानी से चरणबद्ध तरीके से मिल जाता है. आपको करना ये है कि पैसा तय समय में वापस करना है. नियमों को देखें, तो पीएम स्वनिधि योजना के तहत जितनी लोन की राशि ली जाती है, उसे सालभर में चुकाया जा सकता है. यही नहीं इसमें EMI Payment की सुविधा भी मिलती है.  रुपे क्रेडिट कार्ड समेत ये सुविधाएं भी सरकार द्वारा साफ किया गया है कि पीएम स्वनिधि योजना के जो लाभार्थी समय पर दूसरा लोन चुकाएंगे, उन्हें यूपीआई-लिंक्ड रुपे क्रेडिट कार्ड भी मिलेगा, जिससे उनकी व्यावसायिक और व्यक्तिगत आर्थिक जरूरतें पूरा करने में उन्हें मदद मिलेगी. इसके अलावा स्मॉल बिजनेस शुरू करने वाले लाभार्थियों को डिजिटल पेमेंट के लिए प्रोत्साहित करने के लिए रिटेल और थोक लेन-देन के लिए 1,600 रुपये तक का डिजिटल कैशबैक भी मिलेगा. योजना के विस्तार के साथ सरकार का लक्ष्य इसकी पहुंच को और व्यापक बनाने के साथ छोटे व्यापारियों के लिए वित्तीय सहायता को मजबूत करना है.

बुंदेलखंड में नया धार्मिक स्थल, छतरपुर में बन रहा पहला श्रीकृष्ण धाम

छतरपुर  मध्य प्रदेश के छतरपुर में बुंदेलखंड का पहला श्रीकृष्ण धाम बनकर तैयार हो गया है। 30 अगस्त को पूरी भव्यता और गरिमा के साथ बनाए जा रहे श्रीकृष्ण महोत्सव में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे। छतरपुर विधायक और भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष ललिता यादव ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव मेला ग्राउण्ड में आयोजित मंचीय कार्यक्रम में शामिल होने के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण की शोभायात्रा में भी शामिल होगे। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव हवाई मार्ग से दोपहर 12 बजे छतरपुर आएगे। वे मेला ग्राउण्ड पहुंचेगे जहां मंचीय कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर नौगांव रोड पर 2 करोड़ 20 लाख की लागत से बनने वाले श्रीकृष्ण धाम के बारे में एलईडी के माध्यम से प्रस्तुति दी जाएगी। श्रीकृष्ण धाम में भगवान श्रीकृष्ण का विग्रह होगा तथा बचपन से लेकर रहसलीला का चित्रण किया जाएगा। श्रीकृष्ण धाम में गरीब बेटियों के विवाह के लिए बेटी विवाह वाटिका बनाई जाएगी तथा बारातियों को ठहरने के लिए कमरों का भी निर्माण होगा। यहां सुंदर और आर्कषक पार्क एवं ध्यानकेंद्र भी बनाया जाएगा।  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव यही पर श्रीकृष्ण धाम का भूमि-पूजन करेंगे। इस अवसर पर वृंदावन के कलाकारों द्वारा मयूर नृत्य और रहसलीला की मनोहारी प्रस्तुतियां दी जाएगी। बनारस के कलाकार शंखनाद करेंगे जबकि हरिद्धार के पंडितों द्वारा गंगा आरती की प्रस्तुति की जाएगी। समारोह में मुंबई की भजन गायिका द्वारा राधाकृष्णों के भजनों की प्रस्तुति दी जाएगी। मंचीय कार्यक्रम के बाद मेला ग्राउण्ड से भगवान श्रीकृष्ण की शोभायात्रा प्रारंभ होगी जो छत्रसाल चौक, महल, चौक बाजार, हटवारा होकर बस स्टैंड पहुंचेगी जहां इसका समापन हो जाएगा। शोभायात्रा में भगवान श्रीकृष्ण और राधा सहित विभिन्न अवतारों की झांकियां आकर्षण का केंद्र रहेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सहित अनेक अतिथि शोभायात्रा में सहभागिता करेंगे। इस दौरान रास्ते में जगह-जगह मटकी फोड़ के आयोजन होगे। विधायक ललिता यादव ने सभी क्षेत्रवासियों, नगरवासियों, श्रद्धालुओं तथा भाजपा पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं से श्रीकृष्ण महोत्सव में पूरी उत्साह और उमंग के साथ शामिल होने तथा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का स्वागत करने की अपील की है।

भारत ने बचाया दुनिया को तेल संकट से, रिपोर्ट में सामने आया बड़ा खुलासा

नई दिल्ली अमेरिका ने रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत पर टैरिफ को बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक कर दिया है और बार-बार भारत पर हमला बोल रहा है. ट्रंप के सहयोगी पीटर नवारो ने यहां तक दावा किया है कि यूक्रेन संघर्ष असल में 'मोदी का युद्ध' है, और आरोप लगाया कि भारत रियायती तेल खरीद के जरिए रूस का समर्थन कर रहा है.  इस बीच, उद्योग सूत्रों ने कई तथ्‍यों के हवाले से सभी झूठ को खारिज कर दिया है और यह बताया है कि अगर भारत रूसी तेल नहीं खरीदता तो वैश्विक स्‍तर पर परिणाम कितने भयानक हो सकते थे. सूत्रों का कहना है कि भारत ने रूसी तेल खरीदकर एक ग्‍लोबल संकट को रोका. अगर भारत खरीदना बंद कर देता, तो आज कच्चे तेल की कीमत 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती थी.   रिपोर्ट में सोर्स के हवाले कहा गया है कि भारत के आयात ने वैश्‍विक बाजारों को स्थिर किया है और रूस को आर्थिक मदद देने के बजाय, दुनियाभर के कंज्‍यूमर्स के लिए ईंधन की कीमतों को स्थिर बनाए रखने में मदद की है. इस कदम की अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन समेत कई इंटरनेशनल हस्तियों ने भी सराहना की है.  जब 137 डॉलर प्रति बैरल हुआ था कच्‍चा तेल ग्‍लोबल मार्केट से रूसी तेल के बाहर हो जाने की पिछली आशंकाओं ने ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें बढ़ा दी थीं. मार्च 2022 में इसकी कीमत 137 डॉलर प्रति बैरल उच्‍च स्‍तर पर पहुंच चुका था. जिसके बाद भारत ने रूसी तेल की खरीदारी करते हुए ग्‍लोबल स्थिति को संभाला है. ANI के सूत्रों के अनुसार, भारत ने नियमों के तहत ही रूसी तेल की खरीदारी की है और किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं किया है.  नवारो का क्‍या है दावा  ट्रंप के सहयोगी पीटर नवारो ने इस सप्‍ताह के शुरुआत में ही ब्‍लूमबर्ग को एक इंटरव्‍यू दिया, जिसमें उन्‍होंने दावा किया कि भारत रियायती दर पर तेल खरीदकर रूस की मदद कर रहा है. अगर भारत रूसी तेल को खरीदना अभी बंद कर दे तो उसे अमेरिकी टैरिफ में तुरंत 25 फीसदी की छूट मिल सकती है. नवारो ने कहा कि यूक्रेन में शांति का रास्‍ता, भारत से होकर जाता है. उद्योग के सूत्रों ने बताया कि प्रचलित दावों के विपरीत, भारतीय रिफाइनर रूसी तेल के लिए अमेरिकी डॉलर का उपयोग नहीं करते हैं. सूत्रों ने कहा कि खरीद तीसरे देशों के व्यापारियों के माध्यम से की जाती है और AED जैसी मुद्राओं में निपटाई जाती है. अमेरिकी सरकार ने कभी भी भारत से खरीद बंद करने के लिए नहीं कहा. भारत का व्यापार पूरी तरह से वैध है और G7 और यूरोपीय संघ के तय प्राइस नियमों के अंतर्गत है.  कालाबाजारी तेल पर क्‍या कहा?  भारत द्वारा तेल की कालाबाजारी की अटकलों का भी खंडन किया गया. सूत्रों ने आगे कहा, 'रूसी तेल पर ईरानी या वेनेज़ुएला के तेल की तरह प्रतिबंध नहीं है. इसे पश्चिमी देशों द्वारा मुनाफाखोरी रोकने के लिए बनाई गई तय लिमिट सिस्‍टम के तहत बेचा जाता है. अगर अमेरिका रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाना चाहता, तो उसने प्रतिबंध लगा दिया होता, उसने ऐसा नहीं किया क्योंकि उसे बाजार में रूसी तेल की जरूरत है.'  भारत रूसी तेल पर फोकस  भारत के रूसी तेल शोधन का केंद्र बनने के आरोपों को भी खारिज कर दिया है. उद्योग के सूत्रों ने कहा कि भारत दशकों से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रिफाइनर रहा है. कच्‍चे तेल का शोधन और ईंधन का निर्यात, ग्‍लोबल व्‍यवस्‍था इसी तरह काम करती है. रूसी कच्‍चे तेल पर प्रतिबंध लगाने के बाद यूरोप खुद भारतीय डीजल और जेट ईंधन पर निर्भर हो गया है.  क्या रिफाइनरियां अपना मुनाफ़ा विदेश भेज रही हैं, इस पर सूत्रों ने स्पष्ट किया कि करीब 70% रिफाइंड ईंधन घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत में ही रहता है. रिलायंस की एक रिफाइनरी इस युद्ध से बहुत पहले, 2006 से ही निर्यात पर फोकस है. घरेलू उपयोग बढ़ने के साथ ही रिफाइंड ईंधन का निर्यात वास्तव में कम हुआ है.

पेंशन के लिए बड़ा बदलाव, EPFO ने तय किया—1 महीने के योगदान से मिलेगा लाभ

नई दिल्ली कर्मचारियों की पेंशन को लेकर ईपीएफओ ने एक बड़ा बदलाव किया है. अब छह महीने से कम तक भी नौकरी करके छोड़ने वाले व्‍यक्तियों को EPS का लाभ दिया जाएगा. इन लोगों को अब अपनी पेंशन में कंट्रीब्‍यूशन खोना नहीं पड़ेगा.  रिटायरमेंट फंड जुटाने वाली संस्‍थान ने EPS नियम के तहत पहले कोई भी सर्विस, जो 6 महीने के अंदर खत्म होती थी उसे 'जिरो कम्‍प्‍लीट ईयर' के परिणाम में पेंशन मिलने के उपयोग नहीं मानती थी और 5 महीने तक नौकरी करके छोड़ने वालों को पेंशन का अधिकार नहीं दिया जाता था. हालांकि अब नए नियमों के तहत अप्रैल- मई 2024 के दौरान जारी किए गए एक सर्कुलर में ये अधिकार दे दिया गया है.  ईपीएफओ ने स्पष्‍ट कर दिया है कि अगर कोई व्‍यक्ति 1 महीने की भी सेवा पूरी करता है और ईपीएस के तहत योगदान देता है तो उसे भी ईपीएस के तहत पेंशन का अधिकार होगा.  क्या है EPFO का नया नियम? कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के नए नियम के मुताबिक, कोई व्यक्ति चाहे 1 महीने नौकरी करे, लेकिन यदि उसने EPS में योगदान किया है तो वह EPS पेंशन के लिए पात्र होगा। यानी पेंशन पाने का हक अब सेवा के पूरे साल की बजाय, योगदान के आधार पर तय किया जाएगा। EPFO ने क्यों बदले नियम? ईपीएफओ का यह फैसला उन सेक्टर्स के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जहां कम समय के लिए जॉब ऑफर की जाती है। मसलन, BPO, लॉजिस्टिक्स, अनुबंध (Contract) स्टाफिंग और शॉर्ट-टर्म प्रोजेक्ट्स में हर साल हजारों लोगों को चंद महीने बाद ही फायर कर दिया जाता है। फाइनेंस और सेल्स से जुड़ी जॉब भी ऐसे ही होती हैं।  ये बदलाव क्‍यों था जरूरी?  इस बदलाव से बहुत लोगों को राहत मिलने वाली है. खासकर बीपीओ, लॉजिस्टिक्स और अनुबंध स्टाफिंग को, जहां जल्दी निकासी सामान्य है. यह युवा कर्मचारियों को नौकरी के हितों की रक्षा करेगा. ये उन सभी के लिए काफी लाभदायक साबित होगा, जो काफी कम समय के लिए किसी कंपनी को ज्‍वाइन करते हैं. मान लीजिए अगर किसी ने एक महीने तक ही नौकरी की और फिर नौकरी नहीं कर पाए, फिर उसे पीएफ का पैसा तो मिल सकता है, लेकिन ईपीएस में कंट्रीब्‍यूशन समाप्‍त हो जाएगा. ऐसे में यह नियम उन कर्मचारियों के लिए लाभदायक होगा.  इन सेक्टरर्स में छह माह से कम नौकरी करने वाले हजारों कर्मचारी EPS कंट्रीब्यूशन के बावजूद पेंशन से वंचित हो जाते थे। उनका EPS कंट्रीब्यूशन भी बेकार हो जाता था। नया नियम युवाओं और अनियमित कार्यबल के लिए एक बड़ी राहत होगी। PF खाताधारक क्या करें? आपने यदि किसी कंपनी में 6 महीने से कम नौकरी की है और EPS कंट्रीब्यूशन किया है। तो अपने PF पासबुक की जांच करें कि EPS कंट्रीब्यूशन दर्ज है या नहीं। अगर EPS हिस्सा नहीं दिख रहा तो 2024 के सर्कुलर का हवाला देते हुए EPFO को शिकायत करें। शिकायत करते समय पासबुक का स्क्रीनशॉट या PDF फॉर्मेट सेव कर लें। पुराने नियमों में क्या था? 6 महीने से कम सेवा को शून्य पूर्ण सेवा वर्ष (Zero completed year) माना जाता था। ऐसे कर्मचारियों को EPS राशि निकालने की अनुमति नहीं होती थी, जिससे उनका योगदान वहीं अटक जाता था। यह प्रक्रिया न्यायसंगत नहीं मानी जा रही थी, क्योंकि योगदान देने के बावजूद अधिकार नहीं मिल रहा था। एक्सपर्ट्स की राय रिटायरमेंट प्लानिंग विशेषज्ञों का कहना है कि यह फैसला पेंशन फंड की समावेशिता बढ़ाने वाला है और उन कर्मचारियों के हित में है, जिनका करियर शुरुआती दौर में अस्थिर होता है। आप भी पीएफ खाताधारक हैं तो ये जान लीजिए  अगर आपने 6 महीने के अंदर इस्‍तीफा दिया है तो EPS योगदान के लिए अपने PF पासबुक की जांच करें और अगर आपको पेंशन का हिस्सा नहीं दिया गया है, तो 2024 के स्पष्टीकरण का उल्लेख करते हुए EPFO को शिकायत करें.  आवेदन करते वक्‍त अपने पासबुक का स्‍क्रीनशॉट या पीडीएफ सेव कर लें. अक्‍सर देखा गया है कि कम उम्र के सेवा वाले कर्मचारियों को ईपीएस फंड निकालने की अनुमति नहीं दी जाती थी, जिससे उनका कंट्रीब्‍यूशन वहीं फंसा रह जाता था, लेकिन ईपीएफओ के इस बदलाव ने इन लोगों को भी ये अधिकार दिया है.