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आपसी खटपट के बावजूद पंजाब मुद्दे पर साथ आईं स्वाति मालीवाल और केजरीवाल

नई दिल्ली  राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल और उन्हीं के पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल के बीच संबंध कैसे हैं, किसी से छिपा नहीं है। सीएम रहते मुख्यमंत्री आवास में कथित पिटाई के बाद से तो स्वाति केजरीवाल पर और मुखर हो गई हैं। दो दिन पहले ही उन्होंने पंजाब में भयावह स्थिति पर केजरीवाल के वहां न जाने पर निशाना साधा था,लेकिन आज उन्होंने पूर्व सीएम की एक बात मान ली है। स्वाति मालीवाल अपनी 1 महीने की सैलरी बाढ़ पीढ़ितों की मदद के लिए दान देंगी। उन्होंने बकायदा एक्स पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है। स्वाति मालीवाल ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि देश में कहीं कोई संकट आए तो पंजाबी दिल खोलकर वहां सेवा करने पहुंचते हैं। आज पंजाब बाढ़ की चपेट में है, बहुत नुकसान हुआ है। मैं अपनी एक महीने की सैलरी पंजाब के बाढ़ पीड़ितों के लिए डोनेट कर रही हूं। ये बहुत छोटी पहल है लेकिन मुझे उम्मीद है और लोग इस पहल से जुड़ेंगे। वाहेगुरु जी सबकी मदद करें। स्वाति मालीवाल ने आगे कहा कि पूरे उत्तर भारत में बाढ़ आई हुई है- खासकर पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में। पंजाब में स्थिति बहुत गंभीर है। कई जानें जा चुकी हैं, और सबसे पहले, मैं उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं जिनका निधन हुआ है। दिल्ली में भी बाढ़ जैसे हालात बन रहे हैं। मैं ITO, शास्त्री पार्क और यमुना बाजार भी गई थी, जहां पानी का स्तर काफी बढ़ गया है। सरकार लोगों को निकाल रही है; मैंने देखा है कि टेंट लगाए गए हैं और खाने-पीने का भी इंतजाम है। बता दें कि आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को कहा था कि पार्टी के विधायक और सांसद बाढ़ प्रभावित राज्य को मदद पहुंचाने के लिए अपने एक महीने का वेतन पंजाब के मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर रहे हैं। आम आदमी पार्टी के दिल्ली, गुजरात, कश्मीर, गोवा और देश भर के सभी सांसद और विधायक बाढ़ प्रभावित परिवारों की मदद के लिए अपने एक महीने का वेतन पंजाब के मुख्यमंत्री राहत कोष में दान कर रहे हैं। आज पूरा देश पंजाब के साथ है।  

3 मिशन, 3 थीम और 12 सेक्टर पर आधारित है विकसित उत्तर प्रदेश का खाका

मिशन विकसित यूपी 2047: हर नागरिक को घर, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाएं उद्योग, कृषि और सेवा क्षेत्र में यूपी को मिलेगा आर्थिक नेतृत्व परंपरा और आधुनिकता के संगम से होगा सांस्कृतिक पुनर्जागरण 12 सेक्टरों में कृषि, उद्योग, आईटी, पर्यटन, शिक्षा और सुशासन शामिल लखनऊ उत्तर प्रदेश को 2047 तक विकसित प्रदेश बनाने के विज़न को साकार करने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने एक ठोस कार्ययोजना तैयार की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में प्रदेश सरकार ने 3 मिशन, 3 थीम और 12 सेक्टर की मजबूत रूपरेखा तय की है। यह खाका न केवल राज्य की विकास आवश्यकताओं को पूरा करेगा, बल्कि इसे आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से भी नई ऊंचाइयों पर ले जाने का लक्ष्य रखता है। योगी सरकार के तीन मिशन समग्र विकास मिशन : हर नागरिक को घर, पानी, बिजली और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना। यह मिशन जीवन स्तर को ऊंचा उठाने और बुनियादी जरूरतों की पूर्ति पर केंद्रित होगा। आर्थिक नेतृत्व मिशन : उद्योग, कृषि और सेवा क्षेत्र को प्रतिस्पर्धी बढ़त दिलाकर उत्तर प्रदेश को राष्ट्रीय ही नहीं, वैश्विक स्तर पर आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करना। सांस्कृतिक पुनर्जागरण मिशन : परंपरा और आधुनिकता का संतुलित संगम प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रदेश को सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ आधुनिक तकनीक और नवाचार का गढ़ बनाना। योगी सरकार के तीन थीम अर्थ शक्ति : आर्थिक विकास और निवेश के नए अवसरों को बढ़ावा। सृजन शक्ति : नवाचार, शिक्षा, कौशल और तकनीकी विकास पर जोर। जीवन शक्ति : नागरिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा, समाज कल्याण और जीवन स्तर को बेहतर बनाना। 12 प्रमुख सेक्टर और उनसे जुड़े विभाग कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र : कृषि विभाग, कृषि शिक्षा, उद्यान, गन्ना विकास, सिंचाई व सहकारिता विभागों की समग्र भूमिका। पशुधन संरक्षण : पशुपालन, डेयरी विकास और मत्स्य विभाग के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती। औद्योगिक विकास : औद्योगिक विकास, एमएसएमई और खनन विभाग के जरिए रोजगार और निवेश को गति। आईटी एवं इमर्जिंग टेक्नोलॉजी : आईटी, इलेक्ट्रॉनिक्स और विज्ञान-प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा डिजिटल और नवाचार आधारित विकास। पर्यटन एवं संस्कृति : पर्यटन, धर्मार्थ कार्य और संस्कृति विभाग से धार्मिक-सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण व प्रसार। नगर एवं ग्राम्य विकास : नगर विकास, आवास-शहरी नियोजन, ग्राम्य विकास, पंचायती राज और नमामी गंगे से संतुलित शहरी-ग्रामीण विकास। अवस्थापना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) : परिवहन, नागरिक उड्डयन, लोक निर्माण और ऊर्जा विभाग से बेहतर बुनियादी ढांचा। संतुलित विकास : पर्यावरण, वन, जलवायु परिवर्तन और अतिरिक्त ऊर्जा स्रोतों से सतत विकास। समाज कल्याण : समाज कल्याण, खाद्य एवं आपूर्ति, श्रम, महिला-बाल विकास, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग व दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग से सर्वांगीण कल्याण। स्वास्थ्य क्षेत्र : स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, प्रशिक्षण और आयुष विभाग से सुलभ व सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं। शिक्षा क्षेत्र : बेसिक, माध्यमिक, उच्च, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा तथा कौशल विकास विभाग से युवाओं को भविष्य के अनुरूप तैयार करना। सुरक्षा एवं सुशासन : गृह विभाग, होमगार्ड, भाषा और सामान्य प्रशासन विभाग से सुरक्षित व पारदर्शी शासन। विकास का बहुआयामी खाका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि यह खाका केवल कागज पर बनी योजना नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के हर नागरिक को इसका सीधा लाभ मिलेगा। सरकार का उद्देश्य है कि 2047 तक उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य बने जो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर, सांस्कृतिक रूप से समृद्ध और सामाजिक रूप से समान व न्यायपूर्ण हो।

मुख्यमंत्री ने की “समर्थ उत्तर प्रदेश विकसित उत्तर प्रदेश @ 2047” महाअभियान की शुरुआत

– हमें कैसा भारत और यूपी चाहिए ये विजन में होना चाहिए, उसी तरह से हमें अपने युवाओं को तैयार करना होगा – सीएम योगी – बीते आठ वर्षों में हमने यूपी की निराशा को उत्साह में बदला- मुख्यमंत्री – देश में सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था उत्तर प्रदेश की है- सीएम योगी – बीते आठ वर्षों में उत्तर प्रदेश देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनी- सीएम योगी – सभी प्रबुद्धजनों का सहयोग युवाओं को जागरूक करने और अभियान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगा- मुख्यमंत्री – 16वीं-17वीं शताब्दी में भारत वैश्विक जीडीपी में 25% हिस्सा रखता था- सीएम – 1947 और 1960 तक यूपी का राष्ट्रीय जीडीपी में योगदान 14% था, लेकिन 2016-17 तक यह 8% हो गया- मुख्यमंत्री – यूपी 8 वर्ष में बीमारू से ग्रोथ इंजन बन सकता है, तो 2047 में विकसित उत्तर प्रदेश का लक्ष्य हासिल करेगा- सीएम योगी लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनता का आह्वान करते हुए कहा कि भारत और यूपी का भविष्य कैसा हो, यह हमें तय करना है। हमें अपने युवाओं को तैयार करना है, क्योंकि हम जिस मनोदशा में जिएंगे, उसी दिशा में आगे बढ़ेंगे। हमें कैसा भारत और उत्तर प्रदेश चाहिए, यह हमारे विजन में होना चाहिए। सीएम योगी लोक भवन सभागार में "समर्थ उत्तर प्रदेश – विकसित उत्तर प्रदेश @2047" अभियान के शुभारंभ के अवसर पर कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘समर्थ उत्तर प्रदेश’ पोर्टल का शुभारंभ किया। यह पोर्टल प्रदेशवासियों को अपने सुझाव देने का मंच प्रदान करेगा, जो 12 प्रमुख सेक्टरों- कृषि, पशुधन संरक्षण, औद्योगिक विकास, आईटी-टेक्नोलॉजी, पर्यटन, नगर व ग्राम्य विकास, आधारभूत संरचना, संतुलित विकास, समाज कल्याण, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा व सुशासन- पर केंद्रित विजन डॉक्यूमेंट का हिस्सा बनेंगे। विजन डॉक्यूमेंट "अर्थ शक्ति, सृजन शक्ति और जीवन शक्ति" थीम पर आधारित है। कार्यशाला में प्रशासन, पुलिस, वन सेवा, कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों से सेवानिवृत्त 400 से अधिक अधिकारियों और प्रबुद्धजनों ने हिस्सा लिया। कार्यशाला की शुरुआत में 2017 के बाद उत्तर प्रदेश की विकास यात्रा और विजन@2047 पर आधारित एक लघु फिल्म दिखाई गई। प्रबुद्धजनों का सहयोग युवाओं को जागरूक करना महत्वपूर्ण- सीएम योगी कार्यशाला को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि यह अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के संकल्प का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि  "विकसित भारत विकसित उत्तर प्रदेश” शताब्दी संकल्प अभियान के क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार निरंतर प्रयत्नशील है। इस अभियान में 25 करोड़ जनता को भागीदार बनाना है। आप सभी प्रबुद्धजनों का सहयोग युवाओं को जागरूक करने और आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण होगा। रिटायर्ड होने का मतलब टायर्ड होना नहीं है। आपका अनुभव इस अभियान को गति देगा। 16वीं-17वीं शताब्दी में भारत वैश्विक जीडीपी में 25% हिस्सा रखता था- सीएम उन्होंने पीएम मोदी के नेतृत्व में देश की प्रगति का उल्लेख करते हुए कहा कि 16वीं-17वीं शताब्दी में भारत वैश्विक जीडीपी में 25% हिस्सा रखता था, जो 1947 तक 2% रह गया। 2014 में भारत 11वीं अर्थव्यवस्था था, लेकिन आज चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और 2027 तक तीसरी बनेगा। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। अगर यही गति रही, तो 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य संभव है। बीते आठ वर्षों में हमने यूपी की निराशा को उत्साह में बदला- सीएम योगी उत्तर प्रदेश के संदर्भ में सीएम ने कहा कि 1947 और 1960 तक यूपी का राष्ट्रीय जीडीपी में योगदान 14% था, लेकिन 2016-17 तक यह 8% हो गया और यूपी आठवीं अर्थव्यवस्था बन गया। बीते आठ वर्षों में हमने निराशा को उत्साह में बदला। आज उत्तर प्रदेश देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रकृति और परमात्मा की कृपा से यूपी के पास सब कुछ है, बस संकल्प की जरूरत है। जैसी मनोदशा होगी, वैसा विकास होगा- सीएम योगी सीएम ने प्रख्यात वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बसु का जिक्र करते हुए कहा कि जैसी मनोदशा होगी, वैसा विकास होगा। बसु ने दो पौधों पर प्रयोग किया, एक को प्रेरित किया, तो वह बड़ा वृक्ष बना, जबकि दूसरे को धिक्कारा, तो वह मुरझा गया। उन्होंने कहा कि यह जीव मात्र पर लागू होता है। मनुष्य ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है। यूपी और भारत की स्थिति भी यही थी। नकारात्मकता से निराशा बढ़ी, लेकिन अब उत्साह का माहौल है। 2016-17 से पहले यूपी बीमारू कहलाता था, लेकिन अब सकारात्मक बदलाव आया- मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने कहा कि 2016-17 से पहले यूपी बीमारू कहलाता था, लेकिन अब सकारात्मक बदलाव आया है। जीएसडीपी 13 लाख करोड़ से बढ़कर इस वर्ष 35 लाख करोड़ होने जा रही है। प्रति व्यक्ति आय में भी वृद्धि हुई है। कोविड काल में वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट योजना से एमएसएमई को बढ़ावा मिला, जिससे निर्यात 2 लाख करोड़ तक पहुंचा। कोविड में 1 करोड़ लोगों को रहने-खाने की व्यवस्था दी गई, जिसमें 40 लाख यूपी के कारीगर थे। एक भावुक किस्सा साझा करते हुए सीएम योगी ने कहा कि बिहार चुनाव के दौरान एक गरीब व्यक्ति ने खाली डिब्बा दिखाकर उन्हें धन्यवाद दिया, जो कोविड के समय में यूपी में मिले भोजन का था। उन्होंने कहा कि यह सेवा का भाव है, जो लोगों के मन में विश्वास जगाता है। सीएम योगी ने बताई अभियान की रूपरेखा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अभियान का पहला चरण प्रबुद्धजनों के साथ अकादमिक संस्थानों में गोष्ठियों से शुरू होगा।  

योगी सरकार के प्रयासों से 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में आया आमूलचूल बदलाव

शिक्षक दिवस पर विशेष  एक शिक्षक की तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कमजोर शैक्षिक व्यवस्था को पहचाना और उसे दूर किया  निपुण भारत मिशन से लेकर डिजिटल स्टूडियों जैसी पहलों ने प्रदेश की शिक्षा को दी नई ऊर्जा और दिशा  निपुण भारत मिशन से 48,000 से अधिक विद्यालयों में रखी गई बच्चों की मजबूत नींव  4.33 लाख शिक्षकों को मिला प्रशिक्षण, 2.61 लाख शिक्षकों को मिले टैबलेट पीएम श्री विद्यालय बने आधुनिक शिक्षा के मॉडल, 88,500 छात्रों को मिला वैज्ञानिक एक्सपोजर “एक पेड़ मां के नाम” अभियान में लगाए गए 27 लाख पौधे, सभी विद्यालयों में बने इको क्लब माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगात्मक शिक्षा, खोजी बॉक्स और शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम शुरू प्रत्येक विद्यालय को खेलकूद सामग्री के लिए बजट, समर कैम्प से बच्चों का समग्र विकास लखनऊ उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था लंबे समय तक बदहाल स्थिति में रही। 2017 से पहले विद्यालयों में शिक्षक तो थे, लेकिन प्रशिक्षण और संसाधनों की भारी कमी थी। अधिकांश विद्यालयों में न तो पुस्तकालय थे और न ही बच्चों के लिए खेलकूद या डिजिटल शिक्षा जैसी सुविधाएं। ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में तो बच्चों को बुनियादी पठन-पाठन सामग्री तक उपलब्ध नहीं होती थी। विद्यालयों में पर्यवेक्षण की व्यवस्था लगभग निष्क्रिय थी और शिक्षकों को पढ़ाने के लिए आधुनिक संसाधन नहीं मिलते थे। परिणामस्वरूप साक्षरता दर और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रही थीं। वर्ष 2017 में सत्ता संभालने के बाद योगी सरकार ने शिक्षा सुधार को मिशन मोड में लेकर काम किया। एक शिक्षक की तरह उन्होंने कमजोर शैक्षिक व्यवस्था की नस को पकड़ा और‘निपुण भारत मिशन’ से लेकर ‘पीएम श्री विद्यालय’, ‘विद्या समीक्षा केंद्र’ से लेकर ‘डिजिटल स्टूडियो’ तक ऐसी नई पहलों को शुरू किया जिसकी मदद से आज यूपी की शिक्षा व्यवस्था नए आयाम गढ़ रही है। योगी सरकार के प्रयासों ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में नई ऊर्जा और दिशा दी है। जहां पहले विद्यालय केवल पढ़ाई तक सीमित थे, वहीं अब वे डिजिटल नवाचार, विज्ञान, खेलकूद और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के केंद्र बन गए हैं। निपुण भारत मिशन से मजबूत हो रही बच्चों की नींव सरकार का लक्ष्य वर्ष 2026-27 तक प्राथमिक स्तर पर सार्वभौमिक साक्षरता और संख्या ज्ञान सुनिश्चित करना है। अब तक 48,061 विद्यालय ‘निपुण विद्यालय’ घोषित किए जा चुके हैं। यह पहले की स्थिति से बिल्कुल अलग तस्वीर है, जब बच्चों की नींव कमजोर रह जाती थी। यही नहीं,  शिक्षक सशक्तीकरण बन रहा शिक्षा सुधारों की धुरी 2017 से पहले शिक्षकों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग बेहद सीमित था। आज स्थिति बदल चुकी है। अब तक 4.33 लाख शिक्षकों और शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण दिया गया है। 2.61 लाख शिक्षकों को टैबलेट वितरित किए गए हैं। साथ ही गणित किट, टीएलएम, बिग बुक्स, संदर्शिका और शिक्षक डायरी उपलब्ध कराई गई है, जिससे कक्षा-शिक्षण अधिक प्रभावी हुआ है। स्मार्ट क्लास से डिजिटल स्टूडियो तक शिक्षा का डिजिटलीकरण पहले ज्यादातर विद्यालयों में ब्लैकबोर्ड ही शिक्षा का एकमात्र माध्यम था। आज प्रदेश के 25,790 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास स्थापित हो चुकी हैं। 4,688 विद्यालयों में आईसीटी लैब्स, 880 विकासखंडों में आईसीटी लेब्स और पीएम श्री योजना के तहत 1,129 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास व डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित की गई हैं। इतना ही नहीं, लखनऊ में ₹10 करोड़ की लागत से डिजिटल स्टूडियो बना है और विद्या समीक्षा केंद्र से डेटा आधारित मॉनिटरिंग की जा रही है। सुपरविजन और नवाचार जहां पहले निरीक्षण का काम औपचारिकता मात्र रह गया था, वहीं अब सरकार ने एक संगठित तंत्र विकसित किया है। प्रत्येक विकासखंड में एआरपी, प्रत्येक जनपद में एसआरजी और डायट मेंटर्स नियमित रूप से विद्यालयों का सहयोगात्मक पर्यवेक्षण करते हैं। शिक्षक संकुल बैठकें मासिक एजेंडा आधारित होती हैं और इनमें बेस्ट प्रैक्टिस साझा की जाती हैं। पीएम श्री विद्यालय और राष्ट्रीय आविष्कार अभियान पीएम श्री विद्यालय आधुनिक संसाधनों और शिक्षण पद्धतियों का मॉडल बन चुके हैं। इनमें लाइब्रेरी, खेलकूद सामग्री, प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग, स्मार्ट क्लास और डिजिटल लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं शामिल हैं। वहीं, राष्ट्रीय आविष्कार अभियान के तहत अब तक 88,500 विद्यार्थियों का एक्सपोजर विजिट कराया गया है। 2025-26 में 150 मेधावी छात्रों को इमरी, बार्क, अहमदाबाद और गांधीनगर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का भ्रमण कराया जाएगा। सभी 10 मंडलों में साइंस पार्क भी स्थापित हो रहे हैं। इको क्लब और हरित पहल जहां पहले शिक्षा और पर्यावरण का कोई खास तालमेल नहीं था, वहीं अब सभी विद्यालयों में इको क्लब बनाए गए हैं। “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत 27 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं। माध्यमिक विद्यालयों में बड़ा सुधार पहले माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगात्मक शिक्षा का अभाव था। अब यहाँ गणित किट, खोजी बॉक्स, टीएलएम प्रदर्शनी, शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम और उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की गई है। प्रधानाचार्यों व शिक्षकों को लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है और अंग्रेजी, गणित व विज्ञान विषयों के लिए एसआरजी समूह बनाए गए हैं। खेलकूद और समग्र विकास पहले खेलकूद की सुविधाएं केवल चुनिंदा विद्यालयों तक सीमित थीं। अब प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय को ₹5,000 और प्रत्येक उच्च प्राथमिक विद्यालय को ₹10,000 खेलकूद सामग्री के लिए दिए गए हैं। साथ ही 45,614 उच्च प्राथमिक/कम्पोजिट विद्यालयों में समर कैम्प आयोजित कर बच्चों को खेल, कला, संस्कृति और टीमवर्क का अनुभव कराया गया है।

‘जय जगत’ का उद्घोष दुनिया के सर्वोच्च स्थान तक पहुँच गया है: राज्यसभा सांसद डा. सुधांशु त्रिवेदी

सी.एम.एस. शिक्षकों ने निकाला ‘चरित्र निर्माण मार्च’, एक करोड़ से अधिक धनराशि के पुरस्कारों से नवाजे गये सी.एम.एस. शिक्षक लखनऊ शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में सिटी मोन्टेसरी स्कूल द्वारा ‘शिक्षक सम्मान समारोह’ का भव्य आयोजन आज सी.एम.एस. गोमती नगर एक्सटेंशन कैम्पस ऑडिटोरियम में सम्पन्न हुआ। समारोह का शुभारम्भ मुख्य अतिथि डा. सुधांशु त्रिवेदी, राज्यसभा सांसद, द्वारा दीप प्रज्वलन एवं पूर्व राष्ट्रपति डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर मार्ल्यापण से हुआ। इस अवसर पर अपने संबोधन में डा. त्रिवेदी ने सी.एम.एस. संस्थापक स्व. डा. जगदीश गाँधी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सी.एम.एस. द्वारा हस्ताक्षरित ‘जय जगत’ का उद्घोष आज दुनिया के सर्वोच्च स्थान तक पहुँच गया है और सी.एम.एस. छात्र शुभांशु शुक्ला ने अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन पर पहुँचकर इसे साकार कर दिखाया है। उन्होंने कहा कि भारत सदा से ही जगत गुरू रहा है और हरेक क्षेत्र में भारत ने विश्व का मार्गदर्शन किया है। आज शुभांशु जैसे हजारों सी.एम.एस. छात्र विभिन्न क्षेत्रों में भारत का परचम लहरा रहे हैं। वास्तव में, शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान का नाम नहीं है अपितु इसमें संस्कार, परम्परायें व सद्गुणों का विकास भी शामिल है। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि आर्टिफिशियल इन्टेलीजेन्स के इस दौर में छात्रों में जीवन मूल्यों व संस्कारों के विकास पर जोर दें।     इस अवसर पर सी.एम.एस. संस्थापिका-निदेशिका डा. भारती गाँधी ने विद्यालय के विद्वान शिक्षकों का हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षक ही समाज के भाग्यविधाता हैं। मुझे प्रसन्नता है कि सी.एम.एस. शिक्षक अपनी जिम्मेदारी को बड़ी मेहनत व ईमानदारी से निभा रहे हैं। इससे पहले, मुख्य अतिथि व अन्य गणमान्य अतिथियों समेत सी.एम.एस. शिक्षकों व कार्यकर्ताओं का हार्दिक स्वागत करते हुए सी.एम.एस. प्रबन्धक प्रो. गीता गाँधी किंगडन ने कहा कि सी.एम.एस. के सभी शिक्षक व अन्य कार्यकर्ता बधाई के पात्र हैं जो बच्चों को पढ़ाई के साथ ही उनका चरित्र निर्माण कर भविष्य निर्माण भी कर रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उल्लेख करते हुए प्रो. किंगडन ने कहा कि भावी पीढ़ी का सर्वांगीण विकास हम सबकी जिम्मेदारी है। सी.एम.एस. के क्वालिटी अश्योरेन्स एवं इनोवेशन डिपार्टमेन्ट की हेड सुश्री सुस्मिता घोष ने भी शिक्षकों का स्वागत करते हुए सी.एम.एस. शिक्षकों की वर्ष भर की उपलब्धियों पर चर्चा की।      इस भव्य समारोह में सी.एम.एस. शिक्षकों को उनकी अतुलनीय सेवाओं के लिए नगद पुरस्कारों व उपहारों से सम्मानित किया। कुल मिलाकर, सी.एम.एस. के सभी शिक्षकों व कार्यकर्ताओं को एक करोड़ रूपये से अधिक धनराशि के नगद पुरस्कारों व उपहारों से पुरष्कृत कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर वर्ष 2024-25 के लिए कक्षा-3 से लेकर कक्षा-9 एवं कक्षा-11 के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों को नगद पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिनमें सुश्री अवन्तिका गुप्ता, सुश्री आकांक्षा सिंह, सुश्री अपूर्वा पाण्डेय, सुश्री प्रियंका अग्रवाल, सुश्री निदा मोईन, श्री श्रीकृष्ण एवं श्री अविनाश कुमार शामिल हैं। इस अवसर पर सी.एम.एस. शिक्षकों ने एक से बढ़कर एक शिक्षात्मक-साँस्कृतिक कार्यक्रमों की इन्द्रधनुषी प्रस्तुतियों से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।      सी.एम.एस. के हेड, कम्युनिकेशन्स श्री ऋषि खन्ना ने बताया कि शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में आज सी.एम.एस. के 3000 से अधिक शिक्षक/शिक्षिकाओं व कार्यकर्ताओं ने विशाल ‘चरित्र निर्माण मार्च’ निकालकर युवा पीढ़ी के चरित्र निर्माण की पुरजोर अपील की एवं भावी पीढ़ी को चरित्रिक व मानवीय गुणों से युक्त बनाने का आहवान किया। सी.एम.एस. शिक्षकों का यह विशाल मार्च आज प्रातः गोमती नगर एक्सटेंशन स्थित मकदूमपुर पुलिस स्टेशन से प्रारम्भ हुआ एवं सी.एम.एस. गोमती नगर एक्सटेंशन कैम्पस ऑडिटोरियम पहुँचकर शिक्षक सम्मान समारोह में परिवर्तित हो गया।

शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव और स्किल डेवलपमेंट पर जोर

– थर्मल पावर को न्यूक्लियर पावर में बदलने की जरूरत : विशेषज्ञ – हर गांव में वॉटर एटीएम और स्वच्छ पेयजल पर फोकस – ओडीओपी, मिठाई और दूध उत्पादों के देशव्यापी प्रसार पर जोर – संस्कृति, समाज और परिवार को 2047 के विकास मॉडल में प्रमुखता दिये जाने की जरूरत – बजट का 5% हिस्सा रिसर्च पर खर्च करने का सुझाव लखनऊ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत @2047” विज़न को साकार करने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को एक बड़े अभियान की शुरुआत की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में “समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश @2047” अभियान का शुभारंभ हुआ। राजधानी के लोकभवन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी और विशेषज्ञ जनों ने अपने विचार रखे और प्रदेश को विकसित राज्य बनाने के रोडमैप पर गहन विमर्श किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने 2047 तक उत्तर प्रदेश को विकसित राज्य बनाने और 6 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, अनुसंधान, संस्कृति और सामाजिक संरचना पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता जताई। स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी प्रेरणा की आवश्यकता प्रो. विघ्नेश कुमार ने सुझाव दिया कि स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी गाथाओं को इस अभियान का हिस्सा बनाया जाए ताकि समाज में ऊर्जा और विरासत के सम्मान का मोमेंटम लगातार बना रहे। कृषि और शिक्षा व्यवस्था पर जोर डॉ. विजय सिंह निरंजन, पूर्व अधिकारी, ने किसानों के हित में खाद्य का भंडारण सीधे उनके घर पर करने की व्यवस्था का सुझाव दिया। उन्होंने कोचिंग संस्थानों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक कोचिंग बंद रहनी चाहिए, ताकि बच्चे नियमित रूप से स्कूल-कॉलेज जा सकें और शिक्षा व्यवस्था प्रभावित न हो। साथ ही, विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही एक समान योजनाओं को एकीकृत कर कार्यकुशलता बढ़ाने की आवश्यकता बताई। प्रजेंटेशन और जागरूकता का विस्तार रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी रंजन द्विवेदी ने सुझाव दिया कि इस पूरे अभियान को क्षेत्रवार प्रस्तुत किया जाए और सोशल मीडिया के जरिए इसका प्रसार होना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ सकें। शिक्षा और रिसर्च में क्रांति रिटायर्ड आईएएस आनंद कुमार ने शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ट्यूशन कल्चर को कम करना होगा और स्कूलों में स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा देना होगा। साथ ही, भारतीय संस्कारों को शिक्षा में समाहित करना चाहिए। उन्होंने उत्तर प्रदेश में रिसर्च हब और रिसर्च सेंटर बनाने की आवश्यकता भी बताई। बुनियादी ढांचे और ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव रिटायर्ड रेलवे अफसर विजय कुमार दत्त ने कहा कि प्रदेश में 78 हजार किलोमीटर लंबे मार्गों को रेलवे लाइनों के साथ मैप करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि थर्मल पावर प्लांट्स को न्यूक्लियर पावर प्लांट्स में बदलने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। संस्कृति और परंपरा का महत्व संस्कृत प्रोफेसर विपिन त्रिपाठी ने विकास योजना में भारतीय परंपराओं को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि योजना को 12 माह और 12 राशियों से जोड़कर देखा जा सकता है और संस्कृत विद्या को इसमें प्रमुखता दी जानी चाहिए। उद्योग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था रिटायर्ड रेलवे अधिकारी शैलेन्द्र कपिल ने सुझाव दिया कि दूध उत्पादों का देशव्यापी प्रसार और मिठाई उद्योग को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की मिठाइयों की प्रसिद्धि को देश के अन्य राज्यों तक पहुंचाना होगा। टाउनशिप और उच्च शिक्षा पूर्व प्रोफेसर ए.के. जयंतली ने बताया कि बैरन लैंड पर छोटे-छोटे टाउनशिप बनाए जाने चाहिए ताकि गांव भी विकसित हों। उन्होंने खेती की जमीन पर शहरीकरण को रोकने, उच्च शिक्षा में “एंड्रोगोगी” पद्धति अपनाने और स्किल डेवलपमेंट पर जोर देने की बात कही। अन्य महत्वपूर्ण सुझाव – ओडीओपी (ODOP) पर फोकस करना। – एम्स की तरह प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करना। – बच्चों के स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता, हर गांव में वॉटर एटीएम की स्थापना। – आपदा राहत और थ्रेट प्रोटेक्शन की योजनाएं। – ग्रामीण क्षेत्रों में शराब के ठेकों पर नियंत्रण। – जनता से संवाद के लिए अधिक समय उपलब्ध कराना। – 2047 विकसित यूपी अभियान में संस्कृति, समाज और परिवार को प्राथमिकता। – पशु-पक्षियों के कल्याण को भी विकास योजना में शामिल करना। – कुल बजट का 5% हिस्सा रिसर्च के लिए निर्धारित करना। – सामाजिक समरसता और क्षेत्रवार विकास को महत्व देना। कार्यक्रम के अंत में विद्वानों ने एक स्वर में कहा कि उत्तर प्रदेश के विकास की राह शिक्षा, स्वास्थ्य, अनुसंधान, संस्कृति और सामाजिक समरसता से होकर ही गुजरती है। यदि इन बिंदुओं पर ध्यान दिया गया, तो 2047 तक “विकसित उत्तर प्रदेश” का संकल्प अवश्य पूरा होगा। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, स्वतंत्रदेव सिंह, मुख्य सचिव दीपक कुमार, प्रमुख सचिव नियोजन आलोक कुमार, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद, वरिष्ठ अधिकारीगण, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, अवकाश प्राप्त अधिकारीगण, प्रोफेसर आदि गणमान्य मौजूद रहे।

हमले के बाद और सख़्त हुई रेखा गुप्ता, नई व्यवस्था के साथ फिर शुरू की ‘जन सुनवाई’

नई दिल्ली  दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने बुधवार सुबह कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच अपने ‘कैंप कार्यालय’ में जनसुनवाई फिर से शुरू की। एक पखवाड़े पहले ही जनसुनवाई कार्यक्रम के दौरान एक व्यक्ति ने उन पर हमला कर दिया था। सुबह 8 बजे शुरू हुए इस कार्यक्रम के दौरान दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से आए लोगों ने अपनी-अपनी शिकायतें दर्ज कराईं और मुख्यमंत्री से मदद की गुहार की। अब टेबल-कुर्सी और माइक्रोफोन वाली व्यवस्था गुप्ता एक कुर्सी पर बैठी थीं, जबकि लोग एक-एक करके उनके सामने आकर अपने आवेदन जमा कर रहे थे और इस उद्देश्य के लिए उनकी मेज पर लगाए गए माइक्रोफोन के माध्यम से उनसे बातचीत कर रहे थे। इससे पहले गुप्ता अपने आवास-सह-कैंप कार्यालय में ‘जन सुनवाई’ के लिए एकत्रित लोगों के बीच जाती थीं और उनसे खुलकर बातचीत करती थीं। सुरक्षा में इजाफा मुख्यमंत्री के जनसुनवाई करने के दौरान महिला सुरक्षाकर्मियों सहित पुलिसकर्मियों ने उनके चारों ओर घेरा बना रखा था। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए उचित सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, जिसमें मेटल डिटेक्टर से प्रतिभागियों की तलाशी लेना और सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से कार्यवाही की निगरानी करना शामिल था। गुप्ता पर 20 अगस्त को राज निवास मार्ग स्थित उनके ‘कैंप कार्यालय’, मुख्यमंत्री जन सेवा सदन में जनसुनवाई के दौरान राजकोट (गुजरात) के एक व्यक्ति ने हमला किया था। 165 लोगों की सुनीं शिकायतें अपनी समस्याओं के समाधान की उम्मीद और सरकार से मदद की गुहार लगाने के लिए बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएं मुख्यमंत्री आवास पर एकत्रित हुए। अधिकारियों ने बताया कि लगभग 165 लोगों ने मुख्यमंत्री को अपनी शिकायतें और सुझाव सौंपे, जिन पर उन्होंने आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए। इस अवसर पर कई लोगों ने गुप्ता को गुलदस्ते देकर बधाई दी। क्या बोलीं सीएम दिल्ली की मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि उन्होंने समूची दिल्ली से आए लोगों से मुलाकात की और अधिकारियों को उनकी शिकायतों के तत्काल निवारण के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, ‘जनता से बातचीत मुझे हमेशा एक नई ऊर्जा से भर देती है और सेवा के प्रति मेरी प्रतिबद्धता को और गहरा करती है। जन सुनवाई एक नई परंपरा है।’ उन्होंने कहा, ‘जन सुनवाई के दौरान हर नागरिक की बात सुनी जाती है और हर सुझाव दिल्ली के विकास का प्रतीक बन जाता है।’ उन्होंने कहा कि जनसेवा और हर शिकायत का निवारण दिल्ली सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।  

जंग का नया दौर… रूस ने यूक्रेन पर बरसाए सैकड़ों ड्रोन और मिसाइलें

कीव  रूस और यूक्रेन के बीच 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ युद्ध 42 महीने से अधिक समय से चल रहा है और अभी भी इसके रुकने के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं। इस युद्ध के कारण हर दिन जान-माल का नुकसान हो रहा है। यूक्रेन में अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं और कई शहर तबाह हो चुके हैं। रूस के भी कई सैनिक इस युद्ध में मारे गए हैं। इतने नुकसान के बावजूद, रूस के यूक्रेन पर हमले जारी हैं। बीती रात रूस ने एक बार फिर यूक्रेन पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला किया। रूस ने यूक्रेन पर दागे 500 ड्रोन-मिसाइलें रूस ने एक बार फिर यूक्रेन पर बड़े पैमाने पर हमला करते हुए देर रात 526 ड्रोन-मिसाइलें दागीं, जिनमें 502 ड्रोन और 24 मिसाइलें शामिल थीं। यूक्रेन की वायुसेना ने इस रूसी हमले की जानकारी दी। इस हमले में मुख्य रूप से यूक्रेन का पश्चिमी हिस्सा निशाना बना। यूक्रेनी वायुसेना के अनुसार, रूस द्वारा दागे गए 69 ड्रोन और 3 मिसाइलें 14 अलग-अलग स्थानों पर गिरीं। बाकी ड्रोन और मिसाइलों को यूक्रेनी वायुसेना ने नष्ट कर दिया, लेकिन उनका मलबा भी कई जगहों पर गिरा। इस हमले में कई लोग घायल हुए, जिन्हें नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है, जहां उनका इलाज चल रहा है। इस हमले से कई घरों, इमारतों और नागरिक बुनियादी ढांचे को भी नुकसान पहुंचा। हाल के दिनों में हमले तेज हाल के दिनों में दोनों पक्षों की ओर से हवाई हमले तेज हो गए हैं। रूस, यूक्रेन की बिजली और परिवहन व्यवस्था को निशाना बना रहा है। दूसरी ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जल्द से जल्द युद्ध समाप्त करना चाहते हैं। अगस्त में ट्रंप ने रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपतियों से अलग-अलग मुलाकात की थी। जेलेंस्की ने ट्रंप के युद्धविराम और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ आमने-सामने शांति वार्ता के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, लेकिन क्रेमलिन ने इस पर आपत्ति जताई है। हाल ही में कूटनीतिक गतिविधियों के बीच, पुतिन ने चीन में चीनी नेता शी जिनपिंग, उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। वाशिंगटन का दावा है कि ये देश रूस के युद्ध प्रयासों का समर्थन कर रहे हैं। चीन और भारत ने रूसी तेल खरीदा है, जिससे अप्रत्यक्ष रूप से रूस की युद्ध अर्थव्यवस्था को मदद मिल रही है। वहीं, यूक्रेन पर लगातार हो रहे हमलों के बीच जेलेंस्की ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाने की मांग की है। मंगलवार शाम को अपने संबोधन में जेलेंस्की ने कहा कि रूसी ड्रोन हमलों की संख्या बढ़ रही है, जिसमें दिन के उजाले में भी हमले शामिल हैं। उन्होंने सहयोगी देशों से और समर्थन मांगा है, ताकि रूस के हमलों का जवाब दिया जा सके।  

उपनिरीक्षक भर्ती 2021 पेपर लीक मामला: जांच में नया खुलासा, प्रोबेशनर गिरफ्तार

जयपुर राजस्थान में चर्चित उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा 2021 पेपर लीक मामले में एसओजी ने एक और बड़ी कार्रवाई करते हुए एक और प्रशिक्षु उपनिरीक्षक को गिरफ्तार किया है। अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस, एटीएस एवं एसओजी वी.के. सिंह ने बताया कि अनुसंधान के दौरान मिली गोपनीय जानकारी और साक्ष्यों के आधार पर नागौर जिले के रहने वाले अशोक सिंह राजपुरोहित को हिरासत में लिया गया। जानकारी के मुताबिक, अशोक सिंह ने वर्ष 2021 में आयोजित उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा से पहले कथित रूप से पेपर लीक गिरोह के सदस्य विनोद कुमार रेवाड़ से संपर्क किया। उसने 8 लाख रुपये में सौदा कर परीक्षा से पहले वाट्सऐप पर सॉल्वड पेपर प्राप्त किया और परीक्षा में शामिल हुआ। इस अवैध तरीके से उसने कुल 310.39 अंक हासिल कर लिखित परीक्षा पास की और अंततः मेरिट क्रमांक 396 पर चयनित हुआ। जांच में सामने आया कि आरोपी ने नियमों को ताक पर रखकर गैरकानूनी तरीके से उपनिरीक्षक के पद पर चयन प्राप्त किया। इस पर तीन सितंबर 2025 को उसे गिरफ्तार कर लिया गया। गौरतलब है कि इस पेपर लीक प्रकरण में अब तक 55 प्रशिक्षु उपनिरीक्षकों समेत कुल 124 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एसओजी और एटीएस की संयुक्त टीम इस मामले की तह तक जाने के लिए लगातार जांच कर रही है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में और भी खुलासे हो सकते हैं। यह गिरफ्तारी न केवल भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि पुलिस महकमे में घुसपैठ करने के लिए संगठित अपराध किस हद तक सक्रिय है।

डैम हादसे में 4 लोगों की जान गई, 3 घायल – मुख्यमंत्री साय ने की संवेदना व्यक्त

रायपुर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बलरामपुर जिले के ग्राम धनेशपुर स्थित लुत्ती (सतबहिनी) डैम टूटने की घटना पर गहरा शोक व्यक्त किया है। इस हादसे में 4 लोगों की मृत्यु, 3 लोगों के घायल होने तथा 3 लोगों के लापता होने की सूचना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह अत्यंत दुखद और पीड़ादायी घटना है। ईश्वर से दिवंगत आत्माओं की शांति और घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करता हूं। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारी वर्षा के कारण उत्पन्न इस प्राकृतिक आपदा से जनहानि के साथ-साथ भवनों को क्षति पहुंची है, फसलों का नुकसान हुआ है और पशुहानि भी हुई है। यह स्थिति प्रभावित परिवारों के लिए बेहद कठिन और दुखदायी है। मुख्यमंत्री ने आश्वस्त किया कि इस कठिन घड़ी में प्रदेश सरकार शोकाकुल परिवारों के साथ खड़ी है। उन्होंने बताया कि राहत और बचाव कार्यों के लिए जिला प्रशासन, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और स्थानीय टीमें पूरी तत्परता से जुटी हुई हैं। घायलों के उपचार की समुचित व्यवस्था कराई गई है तथा लापता लोगों की खोज के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री साय ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि घटना में हुई जनहानि के लिए शासकीय नियमों के अनुरूप अनुग्रह सहायता स्वीकृति का प्रस्ताव शीघ्र तैयार किया जाए। प्रभावित परिवारों को अस्थायी आश्रय, खाद्यान्न और अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई जाए। साथ ही मकान, फसल और पशुहानि का विस्तृत सर्वे कर शीघ्र राहत सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए है और प्रभावित परिवारों को हरसंभव सहायता एवं सहयोग उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।