samacharsecretary.com

धन संपन्न मंत्रियों की झलक: हरियाणा के 12 मंत्री करोड़पति, 3 नाम देश के शीर्ष अरबपतियों में

पानीपत देश की 27 राज्य विधानसभाओं, 3 केंद्रशासित प्रदेशों व केंद्रीय मंत्रिपरिषद से विश्लेषण किए गए 643 मंत्रियों में से 36 अरबपति हैं। इनमें हरियाणा से 3 मंत्री शामिल हैं। चुनावी शपथपत्र के अनुसार, हरियाणा से सबसे अमीर तोशाम से विधायक व महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रुति चौधरी हैं। उनकी संपत्ति 134.56 करोड़ है। गुरुग्राम से सांसद व केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत (121.54 करोड़) दूसरे, फरीदाबाद से विधायक व राजस्व एवं आपदा मंत्री विपुल गोयल (101.81 करोड़) तीसरे स्थान पर हैं। प्रदेश के 14 में से 12. मंत्री करोड़पति हैं। किसी मंत्री पर केस नहीं है। यह खुलासा एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉम्र्स (एडीआर) की रिपोर्ट में हुआ है। देखें आकड़े मंत्री संपत्ति देनवरी श्रुति चौधरी 134.56 करोड़ 13.37 करोड़ राव इंदीत  121.54 करोड़ 13 करोड़ आरती राव 101.81 करोड़ 5.28 करोड़ विपुल गोयल 68.27 करोड़ 2.55करोड़ कृष्णपाल गुर्जर  62.58 करोड़ 3.98 करोड़ राय नरबीर  58.79 करोड़ शून्य महीपाल ढांडा 14.29 करोड़ 1.60 करोड़ राजेश नागर 12.11करोड़ 34.82 लाख रणबीर मंगवा 11.62 करोड़ 52.53 लाख अरविंद शर्मा 6.90 करोड़ 3.56 करोड़ नायाब सिंह 5.80 करोड़  74 लाख कृष्णलाल 5.30 करोड़ 22 लाख कृष्णबेदी 4.80 करोड़ 2.28 लाख गौरव गौतम 4.50 करोड़ शून्य अनिल विज 1.49 करोड़ शून्य श्याम सिंह राणा 1.16 करोड़ शून्य  

मध्य प्रदेश: कांग्रेस 12 सितंबर को उज्जैन में बड़े प्रदर्शन के लिए तैयार, सीएम के गृह क्षेत्र से भिड़ेगी

 उज्जैन   वर्ष 2023 में विधानसभा और वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में करारी हार के बाद फिर से खड़ा होने की कोशिश कर रही कांग्रेस राज्य की भाजपा सरकार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह क्षेत्र उज्जैन से ललकारेगी। सरकार को घेरने कांग्रेस 12 सितंबर को उज्जैन में बड़ा प्रदर्शन करेगी। बड़ी रैली के बाद सभा भी होगी। इसमें सिंहस्थ क्षेत्र के भूमि अधिग्रहण, कानून-व्यवस्था, वोट चोरी, अवैध शराब के कारोबार सहित तमाम मुद्दों को उठाया जाएगा। पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल, सचिन पायलट, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी सहित कई वरिष्ठ नेता उपस्थित रहेंगे। बता दें, सिंहस्थ-2028 के लिए किसानों की जमीन लैंड पुलिंग के जरिये लिए जाने का किसान संगठन विरोध कर रहे हैं। संगठन के प्रतिनिधि भाजपा के बड़े नेताओं से भी मिल चुके हैं। प्रदेश में वर्ष 2027 से नगरीय निकायों के साथ चुनाव की शुरुआत होनी है। इसके बाद वर्ष 2028 में विधानसभा और वर्ष 2029 में लोकसभा चुनाव होंगे। कांग्रेस इसके लिए खुद को तैयार कर रही है। दरअसल, विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले वरिष्ठ नेताओं से नाराजगी के चलते कांग्रेस से बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता भाजपा में चले गए थे। इसका असर यह हुआ कि कई मतदान केंद्रों पर बैठाने के लिए कार्यकर्ता तक नहीं मिले। यह स्थिति आगे न बने और कार्यकर्ता हतोत्साहित न रहें, इसके लिए पीढ़ी परिवर्तन पर काम प्रारंभ किया गया। वोट चोर-गद्दी छोड़ अभियान के जरिये पूरे प्रदेश में माहौल बनाया जा रहा है। इसी क्रम में उज्जैन में बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी है। प्रदर्शन को प्रभावी बनाने का जिम्मा उज्जैन से लगे जिलों की टीम को दिया है। इसकी सफलता के आधार पर नए अध्यक्षों की क्षमता का आकलन भी होगा। नेतृत्व नए नेताओं के हाथ दे रही कांग्रेस मध्य प्रदेश में भाजपा से मुकाबला करने कांग्रेस नया नेतृत्व तैयार कर रही है। ओबीसी वर्ग से आने वाले जीतू पटवारी को जहां प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो आदिवासी वर्ग के उमंग सिंघार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाकर मौका दिया। संगठन सृजन अभियान चलाकर जिला अध्यक्ष बनाए गए। जयवर्धन सिंह, प्रियव्रत सिंह, ओमकार सिंह मरकाम जैसे वरिष्ठ नेताओं को जिला अध्यक्ष बनाकर संदेश दिया कि जिला इकाई सबसे महत्वपूर्ण है। जिले के बाद अब ब्लाक इकाइयों में परिवर्तन की तैयारी है। कार्यकर्ताओं को मिशन 2028 में जुटने का संदेश दिया जाएगा     अधिकतर जिलों में 'वोट चोर-गद्दी छोड़' अभियान के अंतर्गत प्रदर्शन हो चुके हैं इसलिए अब राज्य स्तरीय प्रदर्शन उज्जैन में होना है। मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र होने के साथ-साथ उज्जैन मालवा अंचल का महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां बड़ा प्रदर्शन करके पूरे प्रदेश के कार्यकर्ताओं को मिशन-2028 (विधानसभा चुनाव) में जुटने का संदेश दिया जाएगा। – संजय कामले, प्रदेश संगठन महामंत्री, कांग्रेस  

क्या सोनिया गांधी बिना भारतीय नागरिक बने वोटर बनीं? कोर्ट में उठा विवाद

नईदिल्ली   दिल्ली की एक अदालत में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई गई है। शिकायत में आरोप है कि सोनिया गांधी ने भारतीय नागरिक बनने से पहले ही खुद को मतदाता सूची में शामिल करवा लिया था, जो कानूनन अपराध है। याचिकाकर्ता की मांग है कि इस मामले में सोनिया गांधी के खिलाफ FIR दर्ज की जाए। शिकायत एक वकील की ओर से दर्ज कराई गई है, जिसमें यह आरोप लगाया गया है कि सोनिया गांधी का नाम वर्ष 1980 में नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल किया गया था, जबकि उन्होंने भारतीय नागरिकता वर्ष 1983 में प्राप्त की थी। यानी उनके भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले ही उनका नाम वोटर लिस्ट में दर्ज हो चुका था।  वकील का कहना है कि 1982 में उनका नाम सूची से हटा दिया गया था, लेकिन 1983 में नागरिकता प्राप्त करने के बाद फिर से उनका नाम वोटर लिस्ट में जोड़ दिया गया। वकील के अनुसार 1980 में भारत की नागरिक न होने के बावजूद उनका नाम मतदाता सूची में शामिल होना साफ तौर पर कानून का उल्लंघन है और यह एक प्रकार की जालसाजी मानी जानी चाहिए। वकील ने क्या मांग की? वकील ने कोर्ट से आग्रह करते हुए कहा कि यदि सोनिया गांधी ने भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले ही वोटर लिस्ट में अपना नाम जुड़वाया था तो यह तभी संभव हो सकता है जब उन्होंने नकली या फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया हो। वकील का तर्क है कि इससे यह स्पष्ट होता है कि सोनिया गांधी ने जानबूझकर गलत जानकारी दी या फिर जालसाजी करते हुए फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत किए, जो कि भारतीय दंड संहिता के अंतर्गत एक संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है। इसी आधार पर वकील ने अदालत से मांग की कि वह दिल्ली पुलिस को निर्देश दे कि सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। कोर्ट की प्रतिक्रिया क्या रही? यह मामला दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में विचाराधीन है, जहां अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने गुरुवार को इस याचिका पर कुछ समय तक सुनवाई की। फिलहाल अदालत ने न तो सोनिया गांधी को और न ही दिल्ली पुलिस को कोई नोटिस जारी किया है, लेकिन मामले की अगली सुनवाई की तारीख 10 सितंबर 2025 तय की गई है। इसी दिन यह तय होगा कि कोर्ट इस याचिका पर क्या अगला कदम उठाता है और क्या एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए जाएंगे। सोनिया गांधी की नागरिकता का इतिहास सोनिया गांधी का जन्म इटली में हुआ था और उन्होंने वर्ष 1968 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी से विवाह किया था। विवाह के बाद वह लंबे समय तक भारत में रहीं, लेकिन भारतीय नागरिकता उन्होंने अप्रैल 1983 में प्राप्त की। भारतीय कानून के अनुसार, किसी भी व्यक्ति का मतदाता बनने के लिए भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। ऐसे में नागरिकता प्राप्त करने से पहले वोटर लिस्ट में नाम दर्ज होना कानूनन उचित नहीं माना जा सकता।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव की निवेश संवर्धन पहल का परिणाम

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निवेश संवर्धन प्रयासों के फलस्वरुप ऊर्जा क्षेत्र और ज्यादा मजबूत हो रहा है। ऊर्जा सुरक्षा बढ़ रही है। मध्यप्रदेश पॉवर सरप्लस राज्य के रूप में पहचान बना चुका है। ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रयासों से अब इस क्षेत्र में नया निवेश आ रहा है। टोरेंट पॉवर और अडानी पॉवर जैसी बड़ी कंपनियों ने अब ऊर्जा उत्पादन के लिए प्रदेश में काम करना शुरू कर दिया है। टोरेंट पॉवर कंपनी 22 हजार करोड़ और अडानी पॉवर कंपनी 10 हजार 500 करोड़ रूपये का निवेश करेगी। इससे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार 17,000 को रोजगार मिलेगा। टोरेंट पॉवर 1600 मेगावॉट थर्मल प्रोजेक्ट के लिए प्रदेश में 22 हजार करोड़ रूपये का निवेश करेगी। टोरेंट पॉवर लिमिटेड को एमपी पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (MPPMCL) से 1,600 मेगावॉट के कोयला आधारित बिजली संयंत्र की स्थापना के लिए "लेटर ऑफ अवार्ड (LoA)" दे दिया है। यह अहमदाबाद-स्थित समूह द्वारा बिजली क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा निवेश है। यह परियोजना ग्रीनफील्ड 2×800 मेगावॉट की अल्ट्रा-सुपर क्रिटिकल तकनीक पर आधारित होगी और इसे डिज़ाइन, निर्माण, वित्तपोषण, स्वामित्व और संचालन (DBFOO) मॉडल के तहत विकसित किया जाएगा। टोरेंट इस संयंत्र की पूरी क्षमता MPPMCL को 25 साल की पॉवर परचेज एग्रीमेंट पॉवर परचेस एग्रीमेंट के तहत 5.829 रूपये प्रति यूनिट की दर से आपूर्ति करेगा। यह परियोजना PPA पर हस्ताक्षर होने के 72 महीनों के भीतर चालू होनी है। परियोजना लागत का लगभग 70% ऋण के माध्यम से पूरा किया जाएगा। इस संयंत्र के लिए कोयले का आवंटन MPPMCL द्वारा केंद्र सरकार की SHAKTI नीति के अंतर्गत किया जाएगा। यह परियोजना अल्ट्रा-सुपरक्रिटिकल तकनीक पर आधारित होगी, जिससे पारंपरिक थर्मल यूनिट्स की तुलना में बेहतर दक्षता और कम उत्सर्जन मिलेगा। टोरेंट पॉवर का यह निवेश केंद्र सरकार के 2032 तक 80 गीगावॉट अतिरिक्त कोयला आधारित क्षमता के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे ग्रिड को स्थिर करने के लिए आवश्यक बेसलोड क्षमता जुड़ेगी। इस परियोजना के निर्माण के दौरान 10 हजार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे। अडानी पॉवर मध्यप्रदेश में 800 मेगावॉट का ताप विद्युत संयंत्र 10 हजार 500 करोड़ रुपये की लागत से विकसित कर मध्यप्रदेश को बिजली आपूर्ति करेगी। इस परियोजना के तहत 800 मेगावॉट की क्षमता वाला एक नया ताप विद्युत संयंत्र स्थापित किया जाएगा। यह संयंत्र अनूपपुर ज़िले में स्थित होगा। संयंत्र को 54 महीनों में चालू किया जाएगा। यह कदम प्रदेश की ऊर्जा सुरक्षा को और मजबूत करेगा। एमपी पॉवर मैनेजमेंट कंपनी लिमिटेड (MPPMCL) अल्ट्रा-सुपर क्रिटिकल ताप विद्युत संयंत्र विकसित करने और उससे बिजली आपूर्ति के लिए लेटर ऑफ अवार्ड (LoA) दे चुकी है। यह संयंत्र डिज़ाइन, निर्माण, वित्त, स्वामित्व और संचालन (DBFOO) मॉडल के तहत स्थापित किया जाएगा। जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है, देश की बिजली की मांग, विशेष रूप से बेस लोड पॉवर की मांग, लगातार बढ़ रही है। ऐसे में ऊर्जा अधोसंरचना में निवेश अत्यंत आवश्यक है, जिससे बढ़ती आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। अनूपपुर संयंत्र विश्वसनीय, सस्ती और प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर बिजली उपलब्ध कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह न केवल भारत बल्कि मध्यप्रदेश की ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत करेगा और राज्य के सतत विकास को गति देगा। इस संयंत्र के लिए कोयले की आपूर्ति भारत सरकार की 'शक्ति योजना' (SHAKTI Policy) के तहत मध्यप्रदेश को आवंटित की गई है। परियोजना निर्माण चरण में 7,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा और चालू होने के बाद इसमें लगभग एक हजार स्थायी कर्मचारी कार्यरत होंगे।  

मध्यप्रदेश में बड़े पैमाने पर IAS ट्रांसफर, सीधी-रीवा-भिंड के कलेक्टर बदलना तय

भोपाल  मध्य प्रदेश में बहुप्रतीक्षित आईएएस अधिकारियों की तबादला सूची अनंत चतुर्दशी के बाद जारी होगी। इन दिनों गणेश विसर्जन के जुलूस निकल रहे हैं। इस दौरान कानून-व्यवस्था को देखते हुए अभी कलेक्टरों को बदला जा रहा है। नवरात्रि के दो-चार दिन पहले तबादला आदेश जारी होंगे ताकि नए कलेक्टर पदभार ग्रहण करने के कुछ दिनों में जिलों को समझ भी लें। मुख्यमंत्री सीधी, रीवा, भिंड सहित कुछ जिलों के कलेक्टरों से नाराज हैं जिनका तबादला होना निश्चित बताया जा रहा है। करीब एक दर्जन कलेक्टरों के साथ ही तीन संभाग के कमिश्नर भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। 2010 बैच के आईएएस अधिकारियों, जिन्हें तीन-चार महीने बाद सुपर टाइम स्केल मिलना है, को भी सुपर टाइम स्केल वाली पदस्थापना मिल सकती है। 2010 बैच के इंदौर के कलेक्टर आशीष सिंह का उज्जैन संभाग का कमिश्नर बनना तय माना जा रहा है। जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना को भी किसी बड़े संभाग का कमिश्नर बनाया जा सकता है। भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र सिंह भी 2010 बैच के अधिकारी हैं, उन्हें भी किसी बड़े विभाग का विभाग अध्यक्ष बनाने के साथ ही संबंधित कॉरपोरेशन का MD बनाने की चर्चा है।   प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की अपील का दिखा असर  मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने 3 सितंबर को अपना जन्मदिन परिवार के साथ बाबा महाकाल के दरबार में मनाया और भगवान महाकालेश्वर का आशीर्वाद लिया। मध्य प्रदेश में शायद पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी राजनीतिक हस्ती का जन्मदिन हो और कहीं पर भी होर्डिंग, बैनर और विज्ञापन नहीं दिखे। दरअसल खंडेलवाल ने अपने जन्मदिन से दो दिन पहले ही अपने सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से सभी कार्यकर्ताओं से अपील की थी कि उनके जन्मदिन पर किसी भी प्रकार का होर्डिंग, बैनर या किसी प्रचार माध्यम से शुभकामनाएं ना दें। उन्होंने न सिर्फ यह अपील की वरन यह सुनिश्चित किया कि इसका पालन भी हो वरना पूर्व में यह देखा गया है कि राजनीतिक हस्ती दिखावे के लिए अपील तो कर देती है लेकिन होता यही है कि अखबारों में पूरे पेज के विज्ञापन के साथ ही शहर जन्मदिन के होर्डिंग और बैनर से सजे रहते हैं लेकिन वाकई इस बार ऐसा नहीं हुआ।  केवल एक सदस्य के भरोसे मानव अधिकार आयोग  मध्य प्रदेश मानव अधिकार आयोग की संरचना के अनुसार अध्यक्ष और तीन सदस्य होते हैं, लेकिन वर्तमान में आयोग की स्थिति यह है कि पिछले कुछ महीनों से केवल एक ही सदस्य पूर्व आईपीएस अधिकारी राजीव टंडन ही कार्यरत हैं। जस्टिस एनके जैन के रिटायरमेंट के बाद अध्यक्ष पद पर तो पिछले दो वर्षों से कोई नहीं है। पूर्व न्यायाधीश मनोहर ममतानी थे तो केवल सदस्य लेकिन पिछले 2 वर्ष से कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे थे, लेकिन वे भी चार महीने पहले रिटायर हो चुके हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार आने वाले समय में इस महत्वपूर्ण संवैधानिक संस्था में अध्यक्ष और सदस्य की जल्द ही नियुक्ति करेगी। उप लोकायुक्त: एक पद भरा, अभी भी एक पद खाली  मध्य प्रदेश में उप लोकायुक्त पद पर प्रदेश के पूर्व प्रमुख सचिव विधि नरेंद्र प्रसाद सिंह की नियुक्ति राज्य शासन ने कर दी है। लोकायुक्त संगठन की संरचना के अनुसार दो उप लोकायुक्त की पदस्थापना की जा सकती है, यानी अभी भी एक पद खाली है। बता दें कि उप लोकायुक्त के दोनों पद पिछले दो साल से खाली रहे हैं। कुछ साल पहले लोकायुक्त के दोनों पद भरे हुए थे और इन पदों पर पूर्व न्यायाधीश उमेश माहेश्वरी और श्री पालो पदस्थ रहे हैं। इससे पहले भी पूर्व न्यायाधीश चंद्र भूषण भी इस पद पर रहे हैं। दो महत्वपूर्ण संस्थाओं के डीजी इस माह हो रहे रिटायर इस महीने महानिदेशक स्तर के दो आईपीएस अधिकारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ये अधिकारी हैं राजविंदर सिंह भट्टी, महानिदेशक, सीआईएसएफ और राहुल रसगोत्रा, महानिदेशक, आईटीबीपी। भट्टी बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं जबकि रसगोत्रा मणिपुर कैडर के हैं। इस बीच पता चला है कि 1991 से 1994 के बीच के लगभग एक दर्जन आईपीएस अधिकारी इस दोनों पदों को हासिल करने के लिए जोड़ तोड़ में जुट गए हैं। माना जा रहा है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय 20 सितंबर के बाद इन दोनों पदों के प्रमुखों के बारे में फैसला ले सकती है। 

हेल्थ अलर्ट: दो शहरों में ब्रेस्ट कैंसर के केस सबसे ज्यादा, पूर्वोत्तर में लंग कैंसर बढ़ा

 नई दिल्ली हाल ही में एक रिसर्च स्टडी में यह दावा किया गया है कि देश के दक्षिणी राज्यों में कैंसर का खतरा बढ़ता जा रहा है। JAMA ओपन नेटवर्क में प्रकाशित राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम की एक स्टडी रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद तो देश भर में स्तन कैंसर की राजधानी के रूप में उभरा है, जहाँ प्रति 100,000 महिलाओं में 54 इस असाध्य रोग के दंश से पीड़ित हैं जो देशभर में सर्वोच्च घटना दर है, जबकि बेंगलुरु का स्थान दूसरे नंबर पर आता है, जहां एक लाख महिलाओं में औसतन 46.7 महिलाएं ब्रेस्ट कैंसर की मार झेल रही हैं। स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण भारत के महानगर न केवल ओवरऑल कैंसर संकट का सामना कर रहे हैं, बल्कि वहां विशिष्ट प्रकार का कैंसर महामारी के रूप में उभर रहा है। रिपोर्ट में इस पर कंट्रोल करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत पर बल दिया गया है। स्तन कैंसर के मामले में टॉप पर साउथ के शहर वर्ष 2015 से 2019 के दौरान देशभर में 43 जनसंख्या-आधारित कैंसर रजिस्ट्रियों (PBCR) को कवर करने वाले इस स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक स्तन कैंसर दर वाले शीर्ष छह क्षेत्रों में से चार दक्षिण भारत के हैं। इनमें चेन्नई क्षेत्र में प्रति 100,000 महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की दर 45.4 है, जबकि केरल के अलाप्पुझा और तिरुवनंतपुरम में यह क्रमशः 42.2 और 40.7 है। यह पैटर्न दक्षिण भारत, विशेषकर इसके शहरी केंद्रों को भारत में स्तन कैंसर महामारी का केंद्र बनाता है। 2024 में राष्ट्रीय स्तर पर 238,085 महिलाओं के स्तन कैंसर से प्रभावित होने का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि यह भारतीय महिलाओं में सबसे आम कैंसर बन गया है। रिसर्च स्टडी के आंकड़ों से पता चलता है कि स्तन कैंसर दक्षिण भारतीय शहरों में तेजी से और व्यापक पैमाने पर पसरा है, जबकि देश के अन्य क्षेत्रों में दूसरे किस्म के कैंसर के मामले बढ़े हैं। रिपोर्ट में इन कैंसर मामलों के बढ़ने के पीछे विशिष्ट स्थानीय कारकों की ओर भी इशारा किया गया है। लंग्स कैंसर पर क्या रिपोर्ट? इस रिपोर्ट में कहा गया है कि स्तन कैंसर के मामले में जहां दक्षिण भारतीय शहर आगे हैं, वहीं फेफड़ों के कैंसर के मामले में पूर्वोत्तर के राज्य आगे हैं। स्टडी रिपोर्ट में कहा गया है कि फेफड़ों के कैंसर के मामलों में मणिपुर की राजधानी आइज़ोल में प्रति 100,000 महिलाओं में 33.7 इससे ग्रसित हैं जबकि इस राज्य का औसत दर 24.8 दर्ज किया गया है। हालांकि, दक्षिण भारतीय शहरों में भी लंग्स कैंसर की स्थिति चिंताजनक दिखाई देती हैं, जहाँ हैदराबाद में प्रति 100,000 पर 6.8 और बेंगलुरु में प्रति 100,000 में 6.2 केस दर्ज किए गए हैं। ओरल कैंसर के मामले में कौन सा शहर आगे? पुरुष फेफड़ों के कैंसर के पैटर्न के मामले में दक्षिण भारत में केरल सबसे आगे है, जहाँ को कई जिलों में यह दर बेहद ऊँची हैं। धरती पर का स्वर्ग कहलाने वाले कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में भी लंग्स कैंसर के मामले में उच्चतम दर (39.5 प्रति 100,000) पर हैं, जबकि केरल के जिले उसके बाद के स्थान पर हैं। केरल के कन्नूर में यह दर 35.4, मालाबार में 32.5, कासरगोड में 26.6, अलप्पुझा में 25.3 और कोल्लम में प्रति 100,000 पर 24.2 है।ओरल कैंसर के मामलों में भी हैदराबाद, बेंगलुरु सबसे आगे है, जबकि अहमदाबाद इस मामले में सबसे ऊपर है।

फूड डिलीवरी की दुनिया में बड़ा बदलाव, मंगवाना होगा महंगा और डिलिवरी वालों की आमदनी घटेगी

नई दिल्ली ऑनलाइन खाना ऑर्डर करना आज हमारे रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुका है. ऑफिस से थककर आने के बाद या वीकेंड पर दोस्तों संग पार्टी के लिए बस मोबाइल उठाइए और चंद मिनटों में खाना आपके दरवाज़े पर! लेकिन अब यह सुविधा शायद थोड़ी महंगी पड़ सकती है. सरकार के नए फैसले से जोमैटो और स्विगी जैसी बड़ी फूड डिलीवरी कंपनियों पर टैक्स का नया बोझ आ गया है. ये कंपनियां कह रही हैं कि वे यह खर्च अपने ग्राहकों से वसूल सकती हैं. यानी आने वाले दिनों में डिलीवरी चार्ज बढ़ सकते हैं और जेब पर थोड़ा और बोझ पड़ सकता है. 4 सिंतबर को जीएसटी काउंसिल ने स्पष्ट किया कि अब इन ऑनलाइन फूड डिलीवरी प्लेटफॉर्म्स को अपने डिलीवरी पार्टनर्स (जो ऑर्डर लेकर आते हैं) के लिए 18% GST खुद से भरना होगा. इसका मतलब यह है कि जोमैटो और स्विगी को हर साल लगभग 180-200 करोड़ रुपये अतिरिक्त टैक्स देना पड़ेगा. इससे पहले डिलीवरी बॉय पर यह टैक्स लागू नहीं था, यानी उनकी डिलीवरी फीस पर GST नहीं लगता था. अब सरकार ने कहा है कि प्लेटफॉर्म को उनकी डिलीवरी फीस पर 18 फीसदी GST देना होगा. उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी ऑर्डर की डिलीवरी फीस 50 रुपये है. पहले Zomato/Swiggy यह 50 रुपये सीधे डिलीवरी पार्टनर को दे देते थे और इस पर कोई GST नहीं लगता था. अब सरकार के नियम के अनुसार इन प्लेटफॉर्म्स को इन 50 रुपयों पर 18 फीसदी यानी 9 रुपये सरकार को टैक्स के रूप में चुकाना होगा. जाहिर है कि इससे कंपनी का खर्च बढ़ जाएगा. क्या ये खर्च कंपनियां खुद उठाएंगी? जोमैटो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि “इसका कुछ हिस्सा डिलीवरी वर्कर्स पर डाला जाएगा, जिससे उनकी कमाई थोड़ी कम हो सकती है. साथ ही ग्राहकों से भी अतिरिक्त चार्ज लेने पर विचार चल रहा है.” स्विगी के एक अधिकारी ने भी पुष्टि की कि कंपनी टैक्स का बोझ आगे बढ़ाने के बारे में सोच रही है. काउंसिल का यह फैसला लंबे समय से चल रहे उस विवाद को खत्म करने का काम करेगा कि डिलीवरी फीस पर टैक्स कौन भरेगा- प्लेटफॉर्म या डिलीवरी पार्टनर. दिसंबर 2024 में जोमैटो को GST अधिकारियों से 2019 से 2022 के समयांतराल के लिए 803 करोड़ रुपये टैक्स और पेनल्टी का नोटिस मिला था. स्विगी को भी इसी मुद्दे पर प्री-डिमांड नोटिस जारी हुआ था. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि नई स्पष्टता इन नोटिसों पर क्या असर डालती है. दोनों कंपनियों पर क्या असर होगा, ब्रोकरेज ने बताया ब्रोकरेज हाउस जैफरीज़ का मानना है कि यह फैसला जोमैटो और स्विगी दोनों के लिए हल्का निगेटिव साबित होगा, खासकर तब जब दोनों कंपनियों की ग्रोथ पहले से ही धीमी है. हाल के क्वार्टर में जोमैटो का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 451 करोड़ रुपये और स्विगी का 192 करोड़ रुपये रहा. Morgan Stanley ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कंपनियां यह अतिरिक्त बोझ ग्राहकों पर डाल सकती हैं, क्योंकि अब डिलीवरी फीस पर 18% जीएसटी चुकाना अनिवार्य होगा. मामले की जड़ सेंट्रल जीएसटी एक्ट की धारा 9(5) में है, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को अपने सर्विस प्रोवाइडर्स की तरफ से टैक्स इकट्ठा कर सरकार को जमा करने का आदेश देती है. हालांकि अब तक डिलीवरी फीस को लेकर स्पष्टता नहीं थी. कंपनियों का कहना है कि ग्राहकों से ली गई डिलीवरी फीस वे सीधे डिलीवरी पार्टनर्स को देते हैं, और कई बार ग्राहकों से कोई फीस नहीं ली जाती या डिस्काउंट दिया जाता है, लेकिन पार्टनर्स को तय रेट पर भुगतान करना ही पड़ता है. कुल मिलाकर, यह फैसला ग्राहकों और डिलीवरी पार्टनर्स दोनों के लिए बदलाव लेकर आएगा. अब देखना यह है कि कंपनियां इसे किस तरह संभालती हैं ताकि न तो ग्राहकों की जेब ज्यादा खाली हो और न ही डिलीवरी पार्टनर्स की कमाई बहुत घटे.  

सोशल मीडिया इनकम पर सरकार का नया नियम, लाइक्स-डील से होने वाली कमाई पर टैक्स अनिवार्य

भोपाल  सोशल मीडिया पर रील्स बनाकर फेमस होना, यूट्यूब पर वीडियोज से लाखों की कमाई करना या इंस्टाग्राम पर ब्रांड प्रमोशन से पैसा कमाना अब सिर्फ लाइक्स और फॉलोअर्स का खेल नहीं रहा. अगर आप भी डिजिटल दुनिया से कमाई कर रहे हैं, तो अब सरकार की नजर भी आप पर है. आयकर विभाग ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स, यूट्यूबर्स और ट्रेडर्स के लिए आईटीआर फाइलिंग से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है. आप भी सोशल मीडिया पर रील बनाकर पैसे कमाते हैं, तो यह खबर आपके लिए है। अब सरकार आपके हर लाइक्स व ब्रांड डील (Brand Deals) पर टैक्स लेगी। आयकर विभाग ने सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर (content creators) की कमाई को ट्रैक करने के लिए नया प्रोफेशनल कोड 16021 (New professional code) लागू किया है। इसके लागू होते ही प्रदेश के 300 से ज्यादा इन्फ्लुएंसर आयकर की रडार पर आ गए हैं। अब तक उन्हें कंपनियां टीडीएस काटकर रुपए देती थी। लेकिन पहली बार अब इनकम टैक्स रिटर्न भी भरना होगा। बताते हैं, मप्र में रील, सोशल मीडिया पर ब्रांडिंग करने वालों की संख्या दो हजार तक जा सकती है। सीए पंकज शर्मा ने कहा, बदलते समय में यह जरूरी है। डिजिटल प्लेटफॉर्म की आइटीआर-3 या आइटीआर-4 में दर्ज नए कोड के तहत, ब्रांड प्रमोशन, प्रोडक्ट बेचने या डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कंटेंट बनाने से होने वाली आय को आइटीआर-3 या आइटीआर-4 फॉर्म में स्पष्ट रूप से दर्ज करना अनिवार्य है। धारा 44 एडीए में अनुमानित आय पर टैक्स छूट लेने के लिए आइटीआर-4 फॉर्म भरना होगा। यदि सालाना प्रोफेशनल इनकम 50 लाख रुपए से कम है, तो 50 फीसदी आय यानी 25 लाख पर टैक्स लगेगा। जिनकी आय 50 लाख से अधिक है तो उन्हें 25 लाख पर टैक्स तो देना होगा। खर्च का ऑडिट भी कराना होगा। आयकर को नहीं पता चलता था कमाई का स्रोत अब तक कुछ इन्फ्लुएंसर आयकर रिटर्न को अन्य प्रोफेशनल कैटेगरी में भरते थे। इससे विभाग को उनका पेशा पता करने में दिक्कत होती थी। कमाई का स्रोत भी पता नहीं चलता था। 2020 तक देश में करीब 10 लाख इंफ्लुएंसर्स थे। 2024 में यह बढ़कर करीब 40 लाख से ज्यादा हो गए। देश के टॉप इंफ्लुएंसर     केरी मिनाटी- 21.3 मिलियन     भुवन बाम – 20.8 मिलियन     अमित भड़ाना- 9.8 मिलियन     प्रजकता कोली- 8.8 मिलियन     जाकिर खान- 7.8 मिलियन मप्र के टॉप इंफ्लुएंसर्स     पायल धरे- 4 मिलियन     नमन देशमुख- 3.6 मिलियन     ऋत्विक धनजानी- 3 मिलियन     तान्या मित्तल- 2.8 मिलियन अब कौन भरेंगे ITR-3 या ITR-4? अब तक सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर अन्य प्रोफेशनल कैटेगरी में आईटीआर भरते थे, जिससे उनकी आय का वर्गीकरण ठीक से नहीं हो पाता था. लेकिन अब यदि आप यूट्यूब, इंस्टाग्राम, फेसबुक या अन्य किसी डिजिटल प्लेटफॉर्म से ब्रांड प्रमोशन, डिजिटल कंटेंट या विज्ञापन से पैसा कमा रहे हैं, तो आपको ITR-3 या ITR-4 फॉर्म में नया कोड 16021 चुनना होगा. टैक्स कितना देना होगा? टैक्स का गणित आपकी सालाना आय पर निर्भर करता है. सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स भी अब प्रोफेशनल्स की तरह माने जाएंगे. अगर आपकी प्रोफेशनल इनकम सालाना 50 लाख से कम है, तो 44ADA के तहत आप अनुमानित 50% इनकम पर ही टैक्स दे सकते हैं. इससे टैक्स का बोझ कम हो सकता है. क्यों जरूरी है यह बदलाव? सरकार का मकसद है कि डिजिटल पेशों से होने वाली आय पारदर्शी तरीके से रिकॉर्ड हो. इसके अलावा टैक्स चोरी की संभावनाएं भी कम हों. सोशल मीडिया से कमाई करने वालों के लिए यह बदलाव एक अलार्म की तरह है.  अगर आप अपनी कमाई पर धारा 44ADA के तहत अनुमानित आय के आधार पर टैक्स देना चाहते हैं, तो आपको ITR-4 फॉर्म भरना होगा. लेकिन अगर आपकी आय कॉम्प्लिकेटेड है और प्रोफेशनल एकाउंटिंग करते हैं, तो ITR-3 जरूरी होगा. और भी पेशों के लिए जोड़े गए नए कोड * कमीशन एजेंट- 09029 * सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर- 16021 * सट्टा कारोबार- 21009 * वायदा-ऑप्शन ट्रेडर (F&O)- 21010 * शेयर ट्रेडिंग- 21011 

रीम शेख ने शेयर किया हॉट वीडियो, अदाओं से किया धमाल

 मुंबई   मशहूर टीवी अभिनेत्री रीम शेख को 'तुझसे है राब्ता' और 'फना: इश्क में मरजावां' जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों में देखा गया है। उन्होंने शुक्रवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया।पोस्ट किए गए वीडियो में रीम अनोखे अंदाज में नजर आ रही हैं, जो प्रशंसकों का ध्यान खींच रहा है।अभिनेत्री अलग-अलग स्टाइलिश पोज देती नजर आ रही हैं। कभी वह कैमरे की ओर देखकर मुस्कुराती हैं, तो कभी अपने बालों को संवारते हुए पोज देती हैं। उनकी यह अदा प्रशंसकों को खूब भा रही है। रीम ने वीडियो में काले रंग का सूट पहना है। मिनिमल मेकअप के साथ उन्होंने सफेद रंग के झुमके पहने हैं, जो उनके लुक को निखार रहे हैं। अभिनेत्री ने वीडियो के बैकग्राउंड में 'जब तक है जान' सॉन्ग ऐड किया। रीम ने वीडियो के साथ कैप्शन दिया, "तेरी आंखों के सजदे में।" वीडियो को देखकर प्रशंसक उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे। कई यूजर्स कमेंट सेक्शन में तरह-तरह के इमोजी शेयर कर रहे हैं। रीम शेख टीवी इंडस्ट्री की जानी-मानी अभिनेत्री हैं, जिन्होंने अपने अभिनय और आकर्षक व्यक्तित्व से दर्शकों का दिल जीता है। उनके इस नए वीडियो ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह न केवल एक्टिंग, बल्कि सोशल मीडिया पर भी अपनी मौजूदगी से लोगों को प्रभावित करने का हुनर रखती हैं। यह वीडियो उनके प्रशंसकों के लिए एक खास तोहफा है, जो उनकी हर अदा को पसंद करते हैं। अभिनेत्री ने करियर की शुरुआत बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में की थी। 6 साल की उम्र में ही रीम 'नीर भरे तेरे नैना देवी' टीवी सीरियल में नजर आई थीं। इसके बाद वह 'मैं आजी और साहिब', 'ये रिश्ता क्या कहलाता है', 'खेलती है जिंदगी आंखमिचोली', और 'दीया और बाती हम' जैसे कई टीवी शोज में नजर आईं थीं। वहीं, रीम अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी अक्सर चर्चाओं का विषय रहती हैं। उनका नाम सेहबान अजीम से लेकर शगुन पांडे तक से जुड़ा है। दो महीने पहले 22 साल की रीम की शादी की तस्वीरें इंटरनेट पर खूब वायरल हुई थीं, जिस पर अब एक्ट्रेस ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए उन फोटोज और खबर के पीछे का सच बताया था।