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श्रीकृष्ण-कुब्जा मंदिर में राष्ट्रपति के दर्शन, धर्मस्थल की अनोखी मान्यता बनी चर्चा का विषय

मथुरा  राष्ट्रपति के मथुरा दाैरे के दाैरान सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता रहेगी। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की जाएगी। साथ ही जगह-जगह जैमर लगाए जाएंगे। पूरे क्षेत्र की ड्रोन कैमरे से निगरानी की जाएगी। घरों की छतों पर भी पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे। श्रीबांकेबिहारी और जन्मभूमि के साथ-साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 25 सितंबर को होलीगेट के अंतापाड़ा में स्थित श्रीकृष्ण-कुब्जा मंदिर में भी दर्शन करेंगी। उनके आगमन पर अधिकारियों ने शुक्रवार को मंदिर की व्यवस्थाएं परखीं। मंदिर के महंत आशीष चतुर्वेदी ने बताया कि श्रीकृष्ण-कुब्जा मंदिर परिक्रमा मार्ग पर स्थित है, जहां भगवान कृष्ण राधा के स्थान पर कुब्जा के साथ विराजमान हैं। प्राचीन मंदिर की मान्यता है कि कुब्जा का उद्धार करने के बाद कृष्ण ने उन्हें सुंदर रूप दिया था। उनका शरीर टेढ़ा था। उनकी भक्ति से प्रसन्न होने के बाद भगवान श्रीकृष्ण ने उनके कुरूप को समाप्त कर सुंदर बनाया था। हालांकि वर्तमान में मंदिर खस्ता हाल में है। राष्ट्रपति के आने की सूचना के बाद शुक्रवार को डीएम चंद्रप्रकाश सिंह, एसएसपी श्लोक कुमार और नगर निगम के अधिकारी मंदिर की व्यवस्थाएं देखने पहुंचे। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को मंदिर की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए और परिसर का सौंदर्यीकरण कराने को कहा है।  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 25 सितंबर को वृंदावन में श्रीबांकेबिहारी के दर्शन कर निधिवन और सुदामा कुटी जाएंगी। फिर मथुरा में कुब्ज कृष्णा मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मभूमि जाएंगी। राष्ट्रपति के प्रस्तावित दौरे से पूर्व ही वृंदावन नगरी को छावनी में तब्दील कर दिया जाएगा। प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। संभावना जताई जा रही है कि राष्ट्रपति की अगुवानी के लिए केंद्र और प्रदेश के शीर्ष स्तर के नेता भी आ सकते हैं। सूत्रों के अनुसार राष्ट्रपति 25 सितंबर को सुबह 10 बजे वृंदावन पहुंचेंगी। अपने वृंदावन दौरे के दौरान वे श्रीबांकेबिहारी मंदिर, निधिवन, सुदामा कुटी तथा मथुरा स्थित कुब्ज कृष्णा मंदिर और श्रीकृष्ण जन्मभूमि के दर्शन करेंगी। राष्ट्रपति की सुरक्षा को लेकर चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल की तैनाती की जाएगी। साथ ही जगह-जगह जैमर लगाए जाएंगे। पूरे क्षेत्र की ड्रोन कैमरे से निगरानी की जाएगी। घरों की छतों पर भी पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे। साथ ही गोल्फ कार्ट को विशेष रूप से सजाकर राष्ट्रपति के भ्रमण हेतु तैयार किया जाएगा। राष्ट्रपति के आगमन से पूर्व ही खुफिया एजेंसियां पूरी तरह एक्टिव हो चुकी हैं। एसपीजी, एटीएस, स्थानीय पुलिस और बम डिस्पोजल यूनिट सहित तमाम एजेंसियां संयुक्त रूप से दौरे की तैयारी में जुटी हैं। राष्ट्रपति के दौरे के लिए जिलाधिकारी व वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक तैयारियों में जुट गए हैं। रूट प्लान, यातायात नियंत्रण, आपातकालीन मेडिकल सुविधा और वीवीआईपी मूवमेंट से जुड़े हर पहलू पर मंथन किया जाएगा। एसएसपी श्लोक कुमार का कहना है कि पुलिस प्रशासन अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोडे़गा। जहां उनका आगमन है, वहां सुरक्षा का ऐसा घेरा होगा कि कोई परिंदा भी पर न मार सके। 

घर से अप्लाई करें ई-पासपोर्ट: जानें प्रक्रिया और किन्हें मिलेगा फायदा

नई दिल्ली अब भारतीय नागरिकों के लिए विदेश यात्रा करना और भी आसान और सुरक्षित हो जाएगा। भारत सरकार की ओर से ई-पासपोर्ट सेवा शुरू कर दी गई है। यह एक चिप-आधारित डिजिटल पासपोर्ट है, जिसे पासपोर्ट सर्विस 2.0 प्रोग्राम के तहत जून 2025 में लॉन्च किया गया है। अब आप सामान्य पासपोर्ट की तरह ही ई-पासपोर्ट के लिए भी घर बैठे ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ई-पासपोर्ट क्या है? ई-पासपोर्ट एक बुकलेट की तरह ही दिखता है, लेकिन इसके एक पेज में एक खास रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन चिप लगी होती है। इस चिप में पासपोर्ट धारक की सभी बायोमेट्रिक जानकारी (जैसे फिंगरप्रिंट और फोटो) डिजिटल रूप में स्टोर होती है। यह पासपोर्ट अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन के मानकों पर आधारित है, जिससे यह पूरी तरह से सुरक्षित और धोखाधड़ी-प्रूफ है। इसे केवल स्कैन करके ही धारक की पहचान की जा सकती है। ई-पासपोर्ट के फायदे यह नया पासपोर्ट कई मायनों में पुराने पासपोर्ट से बेहतर है: जालसाजी से सुरक्षा: डुप्लिकेट पासपोर्ट बनाना लगभग असंभव हो जाएगा। तेज वेरिफिकेशन: एयरपोर्ट पर लंबी लाइनों में लगने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि स्कैनिंग से कुछ ही सेकंड में वेरिफिकेशन हो जाएगा। विश्वसनीयता: यह दुनिया के सभी देशों में मान्य होगा। भविष्य की तकनीक: इसे भविष्य में एक डिजिटल आईडी के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकेगा। पर्यावरण के अनुकूल: पेपरलेस होने के कारण कागज की बचत होगी। ई-पासपोर्ट की पहचान उसके मुख्य पेज पर छपे एक छोटे से सुनहरे रंग के प्रतीक से होती है, जो इसे सामान्य पासपोर्ट से अलग करता है। ऑनलाइन आवेदन कैसे करें? ई-पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन करना बहुत आसान है: सबसे पहले, passportindia.gov.in पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करें। यूजर आईडी और पासवर्ड बनाएं और लॉग इन करें।  'न्यू पासपोर्ट' या 'री-इश्यू पासपोर्ट' पर क्लिक करें और 'ई-पासपोर्ट' चुनें। आवेदन फॉर्म भरें और जरूरी दस्तावेज अपलोड करें। अपनी बायोमेट्रिक डिटेल्स (फोटो और फिंगरप्रिंट) अपलोड करें। अब पासपोर्ट सेवा केंद्र (PSK) या डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्र (POPSK) चुनें। शुल्क का भुगतान करें और अपॉइंटमेंट की तारीख और समय शेड्यूल करें। तय तारीख पर केंद्र पहुंचकर अपने ओरिजिनल डॉक्यूमेंट जमा कराएं। बायोमेट्रिक डिटेल्स सबमिट करने के बाद, पुलिस वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी होगी।

बिहार में परिवहन को नई दिशा, पटना में शुरू होगी वॉटर मेट्रो सेवा

पटना पटना में शहरी जल परिवहन प्रणाली को आधुनिक व पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिए बिहार सरकार के पर्यटन विभाग और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) ने शुक्रवार को गुजरात के भावनगर में एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। लगभग 100 यात्रियों की होगी क्षमता पर्यटन विभाग के एक बयान में अनुसार, केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल और मनसुख मांडविया की मौजूदगी में 908 करोड़ रुपए की लागत से शहरी जल मेट्रो परियोजना के विकास को लेकर यह समझौता हुआ। इसमें कहा गया कि इस समझौता पत्र पर आईडब्ल्यूएआई के चेयरमैन सुनील कुमार सिंह और बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम के प्रबंध निदेशक नंद किशोर ने हस्ताक्षर किए। परियोजना के तहत अत्याधुनिक हाइब्रिड इलेक्ट्रिक कैटामारन जलयान ‘एमवी निशादराज' संचालित किया जाएगा जो बैटरी और ईंधन दोनों तरीके में चलने में सक्षम होगा। लगभग 100 यात्रियों की क्षमता वाला यह जलयान पूरी तरह वातानुकूलित होगा। संचालन दीघा घाट से कंगन घाट तक होगा संचालन बिहार के पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह ने बताया कि यह परियोजना पटना में पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होगी और शहरी परिवहन क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि साबित होगी। पर्यटन सचिव लोकेश कुमार सिंह ने बताया कि जल मेट्रो का संचालन दीघा घाट से कंगन घाट तक किया जाएगा, जिसमें दीघा पर्यटन घाट, एनआईटी घाट और गायघाट जैसे प्रमुख ठिकानों पर ठहराव होगा। उन्होंने बताया कि पटना से इस सेवा का शीघ्र परीक्षण किया जाएगा और भविष्य में 10 और स्थानों को इससे जोड़े जाने की योजना है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल पर्यटन को नई दिशा मिलेगी बल्कि शहर के प्रदूषण और यात्रा समय में भी कमी आएगी। पटना देश के उन 18 शहरों में शामिल है, जहां दक्ष और आधुनिक शहरी जल परिवहन प्रणाली विकसित की जा रही है।  

60 साल की सेवा के बाद मिग-21 रिटायर, भारतीय वायुसेना का ऐतिहासिक अध्याय होगा समाप्त

नई दिल्ली  मिग-21 के रिटायर होने के साथ भारतीय वायुसेना ने भारतीय सैन्य विमानन में एक ऐतिहासिक अध्याय समाप्त कर दिया है. यह विमान अपने पीछे बेजोड़ सेवा और एक ऐसी विरासत छोड़ गया है जिसे भारत द्वारा लड़ाकू विमानों की नई पीढ़ी में बदलाव के दौरान याद रखा जाएगा. भारतीय वायुसेना मिग-21 की जगह तेजस हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) मार्क 1ए को शामिल कर सकती है. भारतीय वायुसेना की रीढ़ कहे जाने वाले मिग-21 की लगभग 60 साल की सेवा भारत की वायु शक्ति को आकार देने में महत्वपूर्ण रही है. वायुसेना 26 सितंबर को मिग-21 लड़ाकू विमान को चरणबद्ध तरीके से हटाने की तैयारी कर रही है. भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने अपने प्रतिष्ठित मिग-21 लड़ाकू जेट को छह दशकों की शानदार सेवा का जश्न मनाते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की. एक्स पर एक पोस्ट में भारतीय वायुसेना ने विमान की सराहना करते हुए कहा कि यह एक ऐसा युद्धक घोड़ा है जिसने राष्ट्र के गौरव को आसमान में पहुंचाया.' जारी वीडियो में मिग-21 के उत्कृष्ट इतिहास को दर्शाया गया है. 1963 में शामिल किया गया मिग-21 लगभग छह दशकों से सेवा दे रहा है और भारत की वायु शक्ति का आधार रहा है. चंडीगढ़ में स्थापित इसकी पहली स्क्वाड्रन, 28 स्क्वाड्रन को भारत के पहले सुपरसोनिक लड़ाकू विमान के रूप में 'फर्स्ट सुपरसोनिक्स' उपनाम दिया गया था. मिग-21 विमान ने कई अभियानों में व्यापक भूमिका निभाई है. इनमें 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध भी शामिल है, जहाँ इसने अपनी युद्धक क्षमता साबित की. दशकों से इसने लड़ाकू पायलटों की कई पीढ़ियों को प्रशिक्षित किया है, जिनमें से कई इसे चुनौतीपूर्ण और लाभप्रद मानते हैं. 1971 के युद्ध में मिग-21 विमानों ने ढाका स्थित राज्यपाल के आवास पर हमला किया था. इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान को आत्मसमर्पण करना पड़ा था. इस विमान ने दुश्मन के कई लड़ाकू विमानों को मार गिराया है. 1971 में F-104 से लेकर 2019 में F-16 तक—जिससे यह भारतीय वायुसेना के इतिहास में सबसे अधिक युद्ध-परीक्षणित जेट विमानों में से एक बन गया है. मिग-21 को कारगिल युद्ध में भी इस्तेमाल किया गया था. प्रेस ब्यूरो ऑफ इनफॉर्मेशन के अनुसार यह अक्सर कमांडरों की पहली पसंद होता था, क्योंकि इसकी उच्च चपलता, तेज गति और त्वरित वापसी जैसी अनूठी विशेषताओं के कारण यह बेजोड़ परिणाम देता था. मिग-21 के सभी प्रकारों की बहुमुखी प्रतिभा ने दशकों से भारतीय वायुसेना के संचालन दर्शन को व्यापक रूप से आकार दिया है. मिग-21 को उड़ाने और उसका रखरखाव करने वाले पायलट, इंजीनियर और तकनीशियन इसकी असाधारण युद्ध क्षमता के प्रबल समर्थक रहे हैं. प्रमुख परिचालन उपलब्धियां हासिल करने के अलावा, मिग-21 ने स्वदेशी एयरोस्पेस उद्योग की तकनीकी और विनिर्माण क्षमताओं में क्रांतिकारी वृद्धि भी की. मिग-21 एफएल के चरणबद्ध तरीके से बाहर होने के साथ अथक प्रदर्शन, सटीक डिलीवरी और डराने वाले प्रदर्शन का युग भी समाप्त हो जाएगा.

PF खाताधारकों के लिए खुशखबरी, EPFO ने लॉन्च किया फटाफट डिटेल्स वाला नया फीचर

नई दिल्ली अगर आप भी प्राइवेट सेक्‍टर में काम करते हैं और EPF के तहत रजिस्‍टर्ड हैं तो एक नया फीचर लॉन्‍च हुआ है. EPFO ने पासबुक लाइट फीचर शुरू किया है. अब सदस्‍य बिना लॉग इन, बस एक क्लिक में पूरे PF अकाउंट का ब्‍यौरा देख सकते हैं. सीधे पोर्टल से ही अपने पीएफ अकाउंट की डिटेल देख सकेंगे. अभी तक पीएफ बैलेंस या ट्रांजेक्‍शन के देखने के लिए अलग से पासबुक पोर्टल पर लॉग इन करना पड़ता था, लेकिन नए पासबुक लाइट फीचर से यह दिक्‍कत भी समाप्‍त हो चुकी है. फोन में मैसेज नहीं आने पर भी अब आप फेसबुक लाइट के जरिए ये जानकारी ले सकते हैं कि आपके पीएफ अकाउंट में कितने रुपये डिपॉजिट हुए हैं.  क्‍या है पासबुक लाइट फीचर?  अब कर्मचारी सीधे सदस्य पोर्टल पर ही अपने योगदान, निकाला गया पैसा और कुल बैलेंस की पूरी जानकारी देख सकेंगे. इस सर्विस की जानकारी श्रम और रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने एक कार्यक्रम के दौरान दी. उन्‍होंने कहा कि यह सुधार न सिर्फ PF सदस्‍यों की सुविधा बढ़ाएगा, बल्कि मौजूदा पासबुक पोर्टल लोड भी कम करेगा.  पासबुक लाइट से क्‍या होंगे फायदे?  सबसे बड़ा फायदा होगा कि अब आपको अलग-अलग जानकारी के लिए कई जगहों पर जाने की जरूरत नहीं होगी. एक ही जगह पर पूरी जानकारी मिल जाएगी. एक स्‍क्रीशॉट लेकर भी पीएफ की सभी जानकारी रख सकते हैं. साथ ही जल्‍द डिटेल सर्च हो सकेगा, जिससे समय की बचत होगी. इसके अलावा, पासवर्ड आदि भी याद करने की झंझट भी खत्‍म होगी.  फटाफट ट्रांसफर होगा पीएफ  फॉर्म 13 के जरिए पीएफ ट्रांसफर की प्रक्रिया तेज होने वाली है, क्‍योंकि पुराना पीएफ ट्रांसफर करने के लिए पुराना ऑफिस Annexure K सर्टिफिकेट तैयार करता है और इस दस्तावेज को नए PF ऑफिस में भेजा जाता है ताकि पुराने खाते से पैसे सही तरीके से नए खाते में ट्रांसफर हो सके. अब ये प्रॉसेस आसान हो चुकी है. कर्मचारी सीधे मेंबर पोर्टल से Annexure K को PDF फॉर्मेट में डाउनलोड कर सकते हैं. इससे न सिर्फ ट्रांसफर की प्रक्रिया तेज हो गई है, बल्कि कर्मचारियों को अपने पीएफ ट्रांसफर से जुड़ी जानकारी पर बेहतर कंट्रोल भी होगा.  फंड ट्रांसफर में भी मददगार अब कर्मचारी अपने पीएफ ट्रांसफर के स्‍टेटस को ऑनलाइन ट्रैक कर सकते हैं, जिससे उन्हें यह पता चल सके कि उनका फंड पुराने खाते से नए खाते में सही तरीके से ट्रांसफर हुआ है या नहीं. इसके साथ ही वे यह भी देख सकते हैं कि उनके नए पीएफ खाते में बैलेंस और नौकरी का समय ठीक से अपडेट है या नहीं. 

हाथ पर बंधा कलावा कितने दिन तक रखना शुभ होता है?

कलावा बांधना धार्मिक रूप से शुभ और मंगलकारी माना गया है, हिंदू धर्म में कलावा विशेष महत्व रखता है. कलाई पर बंधा कलावा कितने दिन बाद उतारें, जानें कलावा उतारने की विधि और धार्मिक महत्व. कलावा यानी मौली या धागा, इसे कई बार पूजा के समय बांधा जाता है. हिंदू धर्म में मौली या कलावा बांधना शुभ माना गया है. इसे पूजा-पाठ, व्रत और धार्मिक कार्यों के समय बांधा जाता है. कलावा बांधने से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है. साथ ही भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है. कलावा बांधने का अर्थ है भगवान आपकी रक्षा कर रहे हैं, साथ ही सौभाग्य आएगा और देवी-देवताओं का आशीर्वाद आप पर बना रहेगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कलावा को उतारने का कोई निश्चित दिन नहीं बताया गया है. यह व्यक्ति की श्रद्धा और अवसर पर निर्भर करता है. ऐसा माना जाता है किसी भी धार्मिक कार्य पूरा होने के बाद कलावा उतारा जा सकते हैं. कई बार लंबे समय तक कलावा फट जाए या गंदा हो जाने पर या टूट जाने पर इसे उतार देना चाहिए.कलावे को उतारने के बाद बहते जल या पवित्र पेड़ के पास रखना शुभ माना जाता है. ऐसा करना शुभ होता है. ध्यान रखें कलावे को किसी के पैरों में ना आने दें और ही कूड़े में फेंके. अगर आप किसी नई पूजा में बैठे हैं तो नया कलावा पहनने से पहले पुराने कलावे को जरूर उतार दें और उसके बाद नए कलावे को बंधवाना चाहिए.

चौंकाने वाले आंकड़े: MP में बच्चों की दिल की बीमारी से मौतें 403% से 2250% तक बढ़ीं

भोपाल  देश के दिल कहलाने वाले मध्य प्रदेश के लोगों का दिल लगातार कमजोर होता जा रहा है। यह बात मह नहीं कह रहे हैं, बल्कि केंद्रीय महापंजीयक कार्यलय की एमसीसीडी की 2022 तक की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है।  राज्य में खेल-कूद की उम्र के बच्चों और युवाओं में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। जून 2025 में जारी भारत के महापंजीयक की रिपोर्ट-2022 के अनुसार, कोविड-19 के बाद दिल की बीमारियों से मौतों में अचानक वृद्धि देखी गई है। यह आंकड़ा राज्य में चिंता का विषय बन चुका है, क्योंकि पहले के मुकाबले इन मौतों की संख्या में भारी वृद्धि हो रही है कोविड से पहले वर्ष 2018 में 1 से 4 आयु वर्ग में ऐसी मौतें केवल 0.6% थीं, जो कोविड बाद 2022 में 14.1% हो गईं। इन चार वर्षों में 2250% की अविश्वसनीय वृद्धि दर्ज हुई। 5 से 14 आयु वर्ग में इन्हीं चार साल में यह आंकड़ा 3.7 से बढ़कर 18.6 हो गया, यानी 403% की वृद्धि। 15 से 24 आयु वर्ग में ऐसी मौतें 39.64% बढ़ी हैं। प्रदेश में हर तीसरी मेडिकल सर्टिफाइड मौत दिल संबंधी बीमारियों से हो रही है। संकेत है- दिल को संभालिए। कोरोना के बाद से युवा पीढ़ी में भी बढ़ी हार्ट संबंधी समस्या -डॉ.गौरव कवि भार्गव, कार्डियोलॉजिस्ट, जेएएच ग्वालियर और चंबल संभाग के मरीजों में यह देखने में आ रहा है कि युवा पीढ़ी में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़े हैं। कोरोना से पहले युवाओं में हार्ट संबंधी परेशानी 35 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में देखने आती है, लेकिन कोरोना के बाद युवा पीढ़ी में इन मामलों भी तेजी से देखी जा रही है। स्थिति यह है कि अब 18 वर्ष के युवा में भी देखने में आ रही है। इसके बचाव के लिए नियमित व्यायाम करें,ध्रूम्रपान नहीं करें। सीने में दर्द और घबराहट हो तो विशेषज्ञ को दिखाएं।  मध्य प्रदेश में कोविड के बाद आयु-वर्ग के अनुसार मृत्यु दर (प्रति लाख) मेडिकल सर्टिफाइड प्रति 100 के हिसाब से प्रतिशत में आयु वर्ग 2018 2022 वृद्धि/कमी (%) 1-4 0.6 14.1 +2250% 5-14 3.7 18.6 +403% 15-24 16.9 23.6 +39.64% 25-34 32.8 28.7 -12.8% 35-44 48.2 32.2 -33.19% 45-54 56.4 38.5 -31.73% 55-64 62.3 43.3 -30.39% 65-69 66.3 48.3 -27.15% 70+ 65.7 48.6 -26.03% कुल 42 33.9 -19.28% हृदय रोगों से होने वाली मौतों का प्रतिशत (राज्य और वर्ष के अनुसार) राज्य 2008 2013 2022 मध्य प्रदेश 19.2% 24.6% 33.9% छत्तीसगढ़ 20.7% 50.7% 27.2% बिहार 34.8% 29.7% 44.9% गुजरात 21.2% – 45.2% हरियाणा 28.3% – 26.3% राजस्थान 20.6% 18.5% 24.4% पंजाब 23.9% 24.7% 40.8% देश में कुल औसत 27% 29% 47.1% मप्र में हार्ट अटैक के मामलों में वृद्धि  मध्यप्रदेश के ग्वालियर और चंबल संभाग में युवा पीढ़ी में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से पहले 35 वर्ष से अधिक उम्र के लोग हार्ट अटैक का शिकार होते थे, लेकिन कोविड के बाद अब 18 साल के युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। रिपोर्ट से साफ हो गया है कि एमपी में कोविड के बाद दिल की बीमारी से मौतें बढ़ीं हैं। बच्चे को हार्ट अटैक आना बढ़ा है। साथ ही, युवाओं में हार्ट अटैक के केस बढ़े हैं।  जेएएच कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ. गौरव कवि भार्गव ने कहा कि यह स्थिति अब चिंता का विषय बन चुकी है। युवाओं में बढ़ती दिल की समस्याओं के कारण नियमित व्यायाम, धूम्रपान से बचाव और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह दी जा रही है। हार्ट अटैक के कारण और जोखिम  हार्ट अटैक का मुख्य कारण जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं जैसे गलत आहार, मानसिक तनाव, धूम्रपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी हो सकती है। कोविड-19 के बाद की स्थिति में मानसिक तनाव और अनियमित जीवनशैली ने इस समस्या को और बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि दिल से जुड़ी बीमारियों का पूर्वानुमान लगाना कठिन होता है क्योंकि इसके कोई स्पष्ट लक्षण नहीं होते। कई बार इसके कुछ दिनों पहले कोई संकेत नहीं मिलता और अचानक ही यह समस्या उत्पन्न हो जाती है।  दिल की बीमारियों से बचाव के उपाय नियमित व्यायाम: शारीरिक गतिविधि दिल को स्वस्थ रखने में मदद करती है और रक्त संचार को बेहतर बनाती है। स्वस्थ आहार: दिल को स्वस्थ रखने के लिए सही आहार जैसे फल, हरी सब्जियां, ओमेगा-3 से भरपूर आहार और कम वसा वाला आहार लेना चाहिए। धूम्रपान से बचाव: धूम्रपान दिल की बीमारियों का एक प्रमुख कारण है, इसलिए इससे बचना चाहिए। मानसिक तनाव से बचना: मानसिक तनाव को कम करने के लिए योग, प्राणायाम और ध्यान जैसी गतिविधियां अपनानी चाहिए।  बच्चों और युवाओं के लिए सुझाव विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों और युवाओं को अपनी जीवनशैली को सुधारने की जरूरत है। कोविड-19 ने हमें यह सिखाया है कि सही आहार और व्यायाम से हम कई बीमारियों से बच सकते हैं। बच्चों को खेलने और शारीरिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इसके अलावा मानसिक तनाव को कम करने के लिए बच्चों को खेलों में हिस्सा लेने और दोस्तों के साथ समय बिताने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।  एम्स भोपाल के कार्डियोलॉजिस्ट ने क्या कहा एम्स भोपाल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. भूषण शाह ने कहा कि 2023 से 2024 के बीच कम उम्र के लोगों में हार्ट अटैक और चलते-चलते गिरने के मामलों में वृद्धि देखी गई थी। हालांकि, अब परिस्थितियाँ बदल रही हैं और अब सामान्य आयु के मरीज भी सामने आ रहे हैं। डॉ. शाह के अनुसार, हार्ट अटैक का पूर्वानुमान लगाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि इसके एक या दो दिन पहले कोई स्पष्ट लक्षण नहीं मिलते। उन्होंने बताया कि यदि किसी को सीने में दर्द महसूस हो और यह दर्द गले तथा हाथों तक फैल जाए, तो तुरंत जांच और इलाज कराना बेहद जरूरी होता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हार्ट अटैक से बचाव के लिए सही जीवनशैली और पूरी नींद लेना सबसे प्रभावी तरीका है।  विभिन्न राज्यों में हृदय रोग से मृत्यु का प्रतिशत (2022) स्त्रोत- केंद्र के महापंजीयक कार्यलय की एमसीसीडी की 2022 तक की रिपोर्ट राज्य प्रतिशत (%) लक्षद्वीप 70.3 असम 62.7 आंध्र प्रदेश 60.3 तमिलनाडु 52.9 उत्तर प्रदेश … Read more

श्राद्ध का आख़िरी दिन: सर्वपितृ अमावस्या पर जानें तर्पण का शुभ समय

रविवार, 21 सितंबर को पितृ पक्ष का अंतिम दिन है. श्राद्ध पक्ष के आखिरी दिन सर्व पितृ अमावस्या मनाई जाती है, जिसे आमतौर पर महालया अमावस्या भी कहते हैं. हिंदू धर्म में सर्व पितृ अमावस्या का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि यह पितरों को विदाई देने का दिन होता है. पितृ पक्ष के दौरान हमारे पूर्वज 15 दिनों के लिए धरती पर आते हैं और सर्व पितृ अमावस्या के दिन वापस अपने लोक लौट जाते हैं. ऐसे में इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. अगर आप भी अपने पितरों को सर्व पितृ अमावस्या के दिन प्रसन्न करना चाहते हैं, तो चलिए आपको बताते हैं शुभ मुहूर्त और इस अमावस्या से जुड़ी जरूरी जानकारी. सर्व पितृ अमावस्या 2025 मुहूर्त     अमावस्या तिथि शुरू – 21 सितंबर को रात 12:16 बजे.     अमावस्या तिथि समाप्त – 22 सितंबर को रात 1:23 बजे.     कुतुप मुहूर्त – 21 सितंबर को दोपहर 12:07 से दोपहर 12:56 बजे तक.     रौहिण मुहूर्त – 21 सितंबर को दोपहर 12:56 से दोपहर 1:44 बजे तक.     अपराह्न काल – 21 सितंबर को दोपहर 1:44 से शाम 4:10 बजे तक. सर्व पितृ अमावस्या का क्या महत्व है? धार्मिक मान्यता के अनुसार, सर्वपितृ अमावस्या पर किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान से पितरों की आत्मा को तृप्ति और शांति मिलती है. कहते हैं कि इस दिन किए गए कर्मकांड सीधे पितृ लोक तक पहुंचते हैं, जिससे पितृ प्रसन्न होकर अपने वंशजों को लंबी उम्र, धन-धान्य और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं. सर्व पितृ अमावस्या क्यों मनाई जाती है? सर्व पितृ अमावस्या को पितृ मोक्ष अमावस्या या सर्व मोक्ष अमावस्या भी कहा जाता है. यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि अगर आपने अभी तक अपने पितरों का श्राद्ध नहीं किया है या उनकी श्राद्ध की तिथि पता नहीं है, तो आप इस दिन उनका श्राद्ध कर अपने पितरों को तृप्त कर सकते हैं. ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. सर्व पितृ अमावस्या के लिए कौन से मंत्र हैं? सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितृ दोष से मुक्ति और पितरों को प्रसन्न करने के लिए आप नीचे दिए गए मंत्रों का जाप कर सकते हैं:-     पितृ गायत्री मंत्र:- ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्.     दूसरा पितृ मंत्र:- ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:.     पितृ देवता मंत्र:- ॐ पितृ देवतायै नमः. सर्वपितृ अमावस्या को क्या करना चाहिए? सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने के बाद श्रद्धानुसार दान किया जाता है. सर्व पितृ अमावस्या के दिन पूजा के बाद अपनी आर्थिक स्थिति अनुसार दान करें और आप दान में अन्न, धन और कपड़े दे सकते हैं. इस दिन दान करने से व्यक्ति को अमोघ फल की प्राप्ति होती है. सर्व पितृ अमावस्या के दिन क्या दान करना चाहिए? सर्व पितृ अमावस्या के दिन अन्नदान, गौदान और वस्त्र दान का विशेष महत्व माना जाता है. सर्व पितृ अमावस्या पर ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन कराने, गुड़, चावल, गेहूं और घी का दान करने और गरीबों की सेवा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं. सर्व पितृ अमावस्या के दिन क्या नहीं करना चाहिए? सर्व पितृ अमावस्या के दिन बाल और नाखून नहीं काटने चाहिए, तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए, यात्रा और कपड़े धोने से बचना चाहिए और किसी से वाद-विवाद या मन में गलत विचार नहीं लाने चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इन कार्यों को करने से नकारात्मक ऊर्जा आती है और शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होती है. सर्व पितृ अमावस्या पर पितरों को खुश करने के क्या उपाय हैं? सर्व पितृ अमावस्या के दिन अपने पितरों को खुश करने के लिए पवित्र नदी में स्नान, श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करें. इसके अलावा, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें. अमावस्या की शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे चौमुखी दीपक जलाकर पितरों से क्षमा याचना करें और उन्हें विदाई दें.

भारत का सिंधु योजना प्लान: अब अपने राज्यों को मिलेगा ज्यादा पानी, पाकिस्तान की बढ़ेगी चिंता

नई दिल्ली दिल्ली और आसपास के राज्यों में बढ़ते जल संकट के बीच केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने  एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को दिए जाने वाले सिंधु जल संधि के तहत आने वाले पानी को अब दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान जैसे अन्य राज्यों की ओर मोड़ा जाएगा। यह कदम सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद उठाया जा रहा है, जो पहलगाम आतंकी हमले के बाद लिया गया था। खट्टर ने इसे "आपदा में अवसर" बताते हुए कहा कि अगले एक से डेढ़ वर्षों में यह पानी उपलब्ध हो सकेगा। खट्टर ने  घोषणा की कि पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि के निलंबन के कारण बचा पानी अगले एक से डेढ़ साल के भीतर दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान को उपलब्ध कराया जाएगा। राष्ट्रीय राजधानी के जल निकासी मास्टर प्लान की शुरुआत के अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा, ‘‘पाकिस्तान की ओर बड़ी मात्रा में छोड़ा जाने वाला पानी अब आने वाले एक से डेढ़ साल में दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान को उपलब्ध कराया जाएगा।’’ भारत ने अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में दशकों पुरानी इस संधि को निलंबित करने का फैसला किया था। पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। वर्ष 1960 से प्रभावी यह संधि भारत तथा पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी तथा उसकी सहायक नदियों के जल वितरण और उपयोग को नियंत्रित करती है। प्रभावित राज्य और जल संकट की स्थिति दिल्ली सहित उत्तर भारत के कई राज्य गंभीर जल संकट का सामना करते हैं। गर्मियों में यमुना नदी का जलस्तर न्यूनतम होने से पेयजल की कमी हो जाती है। हरियाणा और राजस्थान में भी सिंचाई के लिए पानी की किल्लत होती है। खट्टर के अनुसार, सिंधु की पश्चिमी नदियों से बचने वाला पानी इन राज्यों को राहत देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत को अतिरिक्त 30-40 अरब घन मीटर पानी उपलब्ध करा सकता है, हालांकि इसे स्टोर करने और वितरित करने के लिए बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे की जरूरत होगी।

त्योहार पर बिहार जाना हुआ आसान: रेलवे की स्पेशल ट्रेनों से छठ–दीवाली पर मिलेगी सुविधा

सीतामढ़ी.  त्योहारों के मौसम में यात्रियों की बढ़ती भीड़ को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने दिल्ली से बिहार के सीतामढ़ी के लिए स्पेशल ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है. यह ट्रेन आनंद विहार टर्मिनल से चलेगी और लखनऊ होते हुए सीतामढ़ी पहुंचेगी. रेलवे का कहना है कि त्योहारों के दौरान यात्रियों को सुविधा देने और सामान्य ट्रेनों पर दबाव कम करने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है. इस विशेष ट्रेन के शुरू होने से बिहार आने-जाने वाले यात्रियों को राहत मिलने की उम्मीद है, खासकर उन लोगों के लिए जो हर साल छठ, दिवाली और अन्य पर्वों पर अपने घर लौटते हैं. ट्रेन नंबर 04016 आनंद विहार-सीतामढ़ी स्पेशल ट्रेन का संचालन 29 सितंबर से 30 नवंबर तक किया जाएगा. यह ट्रेन हर दिन आनंद विहार से शाम 3.30 बजे प्रस्थान करेगी और दूसरे दिन सुबह 1.20 बजे लखनऊ पहुंचेगी. इसके बाद यह ट्रेन सीतामढ़ी की ओर बढ़ेगी और दोपहर करीब 3.00 बजे गंतव्य तक पहुंच जाएगी. वापसी में यह ट्रेन 04015 सीतामढ़ी-आनंद विहार स्पेशल ट्रेन के रूप में चलेगी. सीतामढ़ी से यह ट्रेन प्रतिदिन शाम 4.30 बजे खुलेगी और दूसरे दिन सुबह 8.40 बजे लखनऊ से गुजरते हुए दिल्ली पहुंचेगी. इसकी वापसी यात्रा 30 सितंबर से 1 दिसंबर तक निर्धारित की गई है. पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि त्योहारों को देखते हुए कई अन्य रूट पर भी विशेष व्यवस्था की जा रही है. लखनऊ होकर जाने वाली वीकली स्पेशल ट्रेनों का संचालन 27 सितंबर से किया जाएगा. इसके अलावा यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए गोमती नगर-बेंगलुरु-गोमती नगर ट्रेन के फेरे भी बढ़ा दिए गए हैं. अब यह ट्रेन दिसंबर तक नियमित रूप से चलेगी. रेलवे प्रशासन का कहना है कि इस निर्णय से यात्रियों को घर लौटने और अपने परिवार के साथ त्योहार मनाने में आसानी होगी. मऊ-उधना वीकली स्पेशल भी शुरू रेलवे ने यात्रियों की सुविधा के लिए मऊ-उधना वीकली स्पेशल ट्रेन भी चलाने का ऐलान किया है. ट्रेन नंबर 05017 मऊ-उधना वीकली स्पेशल 27 सितंबर से 1 नवंबर तक हर शनिवार को मऊ से शाम 5.30 बजे खुलेगी. यह ट्रेन उसी रात बादशाहनगर 2.02 बजे और ऐशबाग 2.40 बजे पहुंचेगी और दूसरे दिन दोपहर 12.00 बजे उधना पहुंचेगी. वापसी में ट्रेन नंबर 05018 उधना-मऊ के रूप में 28 सितंबर से 2 नवंबर तक हर रविवार को चलेगी. यह ट्रेन उधना से दोपहर 3.00 बजे खुलेगी और अगले दिन ऐशबाग 2.15 बजे तथा बादशाहनगर 2.47 बजे पहुंचते हुए आगे बढ़ेगी. रेलवे ने इन ट्रेनों के स्टॉपेज और टाइमिंग पहले ही साझा कर दिए हैं ताकि यात्रियों को सुविधा मिल सके और वे अपने यात्रा की योजना बना सकें.