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बिहार की महिलाओं के खाते में 26 सितंबर को आएंगे 10,000 रुपये, मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत ट्रांसफर करेंगे PM मोदी

पटना बिहार सरकार ने राज्य की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए एक महत्वाकांक्षी कदम उठाया है। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत प्रत्येक परिवार की एक पात्र महिला को स्वरोजगार मुहैया कराने के लिए 10 हजार रुपये की सहायता राशि मुहैया कराई जाएगी। योजना की विधिवत शुरुआत 26 सितंबर को होने जा रही है। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑनलाइन जुडे़ंगे। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे। 75 लाख महिलाओं के खाते में आएंगे 10,000 रुपये इसमें राज्य की 75 लाख महिलाओं के बैंक खाते में 10-10 हजार रुपये की राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से ट्रांसफर की जायेगी। इन महिलाओं के बीच साढ़े सात हजार करोड़ रुपये का वितरण किया जाएगा। इस कार्यक्रम को आयोजित करने को लेकर ग्रामीण विकास विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह ने इसे लेकर सभी जिलों के जिलाधिकारी को पत्र जारी किया है। इसमें खासतौर से यह निर्देश दिया गया है कि इस मौके पर संकुल स्तरीय संघ ग्राम संगठन स्तर पर इसे उत्सव के तौर पर मनाया जाएगा। इस ऐतिहासिक अवसर को उत्सव के तौर पर मनाने एवं जन-जन तक इसकी जानकारी पहुंचाने के साथ ही महिला समूहों एवं सामुदायिक संगठनों को जागरूक करने के उदेश्य से राज्य मुख्यालय में आयोजित कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया जाएगा। ग्राम पंचायत स्तर पर भी इस कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें जीविका स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्यों की सहभागिता होगी। योजना का लाभ लेने के लिए अब तक शहरी और ग्रामीण इलाकों की एक करोड़ 11 लाख 66 हजार महिलाओं ने आवेदन किया है। अब तक एक करोड़ 11 लाख 66 हजार महिलाओं ने किया आवेदन  योजना का लाभ लेने के लिए अब तक शहरी और ग्रामीण इलाकों की एक करोड़ 11 लाख 66 हजार महिलाओं ने आवेदन किया है। इस कार्यक्रम की रूपरेखा निर्धारित की गई है। सभी 38 जिला मुख्यालय में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसमें जन प्रतिनिधि के अलावा जिला स्तरीय अधिकारी एवं स्वयं सहायता समूह से जुड़ी कम से कम एक हजार महिलाएं भाग लेंगी। सभी 534 प्रखंड मुख्यालय में बीडीओ (प्रखंड विकास पदाधिकारी) की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम होगा। इसमें प्रखंड स्तरीय जन प्रतिनिधि, अधिकारी और एसएचजी से जुड़ी 500 महिलाएं भाग लेंगी।जीविका के सभी 1680 संकुल स्तरीय संघ पर भी इस कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसमें संकुल स्तरीय जीविका समूह की 200 महिलाएं शामिल होंगी। जीविका के सभी 70 हजार ग्राम संगठन स्तर पर भी इस कार्यक्रम के लाइव प्रसारण की व्यवस्था की गई है। इसमें एसएचजी से जुड़ी 100 महिलाएं भाग लेंगी। महिलाओं को आर्थिक रुप से सशक्त करना योजना का मुख्य उद्देश्य योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की महिलाओं विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को समान रूप से लाभ पहुंचाना है। इसके लिए ऑनलाइन पंजीकरण और आवेदन प्रक्रिया को सरल रखा गया है जिससे अधिक से अधिक महिलाएं इसका लाभ उठा सकें। इसका लाभ लेने के लिए सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र से अब तक एक करोड़ सात लाख जीविका दीदियों ने आवेदन किया है। इसके अतिरिक्त 1 लाख 40 हजार से अधिक महिलाओं ने समूह से जुड़ने के लिए आवेदन किया है। निर्धारित प्रावधान के मुताबिक, किसी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं ही इसका लाभ ले सकती हैं। मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना ने ग्रामीण और शहरी, हर वर्ग की महिलाओं में नई उम्मीद जगाई है। ग्रामीण क्षेत्र के अलावा शहरी इलाके की महिलाएं भी बड़ी संख्या में इसका लाभ लेने के लिए इसमें रूचि दिखा रही हैं। अब तक शहरी इलाकों में कार्यरत चार लाख 66 हजार जीविका दीदियों ने इसके तहत आवेदन किया है। इसके साथ ही जीविका के अंतर्गत संचालित स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) से जुड़ने के लिए चार लाख चार हजार से ज्यादा शहरी महिलाओं ने भी आवेदन किया है।

बिजली कनेक्‍शन में नाम परिवर्तन करना हुआ आसान

भोपाल. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने कंपनी कार्य क्षेत्र के भोपाल,  नर्मदापुरम, ग्‍वालियर एवं चंबल संभाग अंतर्गत आने वाले 16 जिलों के विद्युत उपभोक्ताओं को कंपनी के सरल संयोजन पोर्टल के माध्‍यम से विद्युत कनेक्‍शन के नाम में परिवर्तन करने के लिए ऑनलाइन सुविधा उपलब्‍ध कराई है। अब उपभोक्‍ताओं को उनके परिसरों में पूर्व से विद्यमान कनेक्‍शन के नाम में परिवर्तन करना बेहद आसान हो गया है। मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने कहा है कि जिन उपभोक्ताओं को अपने मीटर से संबंधित नाम में परिवर्तन करना है वह कंपनी की वेबसाइट https://portal.mpcz.in/web/ में एलटी सर्विसेस के एलटी अदर सर्विसेस में दिये गये नेम ट्रांसफर अथवा सीधे  https://saralsanyojan.mpcz.in पर जाकर अदर यूजफुल लिंक्‍स में दिये गये अप्‍लाय फॉर अदर सर्विसेस के माध्‍यम से आसानी से करा सकते हैं।   कंपनी ने कहा है कि विद्युत उपभोक्ताओं को नाम परिवर्तन के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के दौरान अपना आईवीआरएस नंबर,संबंधित समग्र आईडी,पैन कार्ड एवं आवश्‍यक दस्‍तावेज अपलोड करने के उपरांत लिंक मोबाइल नंबर पर प्राप्‍त ओटीपी दर्ज कर निर्धारित शुल्‍क 170/- रूपये का भुगतान करना होगा। ऑनलाइन आवेदन देने के पश्चात उपभोक्ता आवेदन क्रमांक अथवा मोबाइल नंबर से आवेदन की स्थिति भी देख सकते हैं।  

राजस्थान से पंजाब का सफर आसान: उदयपुर-चंडीगढ़ के बीच पहली सीधी ट्रेन, देखें पूरा टाइमटेबल

रायपुर पर्यटन को बढ़ावा देने और दो प्रमुख शहरों को जोड़ने की दिशा में भारतीय रेलवे एक बड़ा कदम उठाने जा रहा है। उदयपुर और चंडीगढ़ के बीच पहली बार सीधी सुपरफास्ट ट्रेन सेवा की शुरुआत हो रही है। इस नई रेल सेवा का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 सितंबर को बांसवाड़ा से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए करेंगे। रेलवे प्रशासन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, इस मौके पर मावली जंक्शन और भीलवाड़ा स्टेशन पर भी स्थानीय जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। ट्रेन की टाइमिंग और दिन ट्रेन संख्या 20989 – उदयपुर से चंडीगढ़ चलने का दिन: हर बुधवार और शनिवार समय: दोपहर 4:05 बजे उदयपुर से रवाना पहुंचने का समय: अगले दिन सुबह 9:50 बजे चंडीगढ़ ट्रेन संख्या 20990 – चंडीगढ़ से उदयपुर चलने का दिन: हर गुरुवार और रविवार समय: सुबह 11:20 बजे चंडीगढ़ से रवाना पहुंचने का समय: अगले दिन सुबह 5:25 बजे उदयपुर नियमित संचालन कब से? 27 सितंबर 2025 से नियमित सेवाएं शुरू हो जाएंगी। यह सुपरफास्ट ट्रेन हर हफ्ते दो दिन चलेगी। किन शहरों को मिलेगा सीधा लाभ? यह नई ट्रेन न केवल राजस्थान के उदयपुर और पंजाब/हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ को सीधे जोड़ेगी, बल्कि मार्ग में पड़ने वाले कई प्रमुख स्टेशनों के यात्रियों को भी बेहतर कनेक्टिविटी देगी। इससे विशेष रूप से पर्यटकों, व्यापारियों और छात्रों को फायदा होगा। पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा उदयपुर और चंडीगढ़ दोनों ही अपने-अपने क्षेत्रों के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। ट्रेन सेवा शुरू होने से जहां राजस्थान से हिमाचल और पंजाब की ओर घूमने वालों की सुविधा बढ़ेगी, वहीं चंडीगढ़ व आसपास के यात्रियों को भी अब बिना किसी बदलाव के उदयपुर तक की सीधी यात्रा मिल सकेगी।  

मध्यप्रदेश के बाघ अब राजस्थान, छत्तीसगढ़ और ओडिशा के जंगलों में रौनक बढ़ाएंगे

भोपाल  टाइगर स्टेट का गौरव हासिल कर चुके मध्यप्रदेश के बाघ अब पड़ोसी राज्यों के जंगलों की शोभा बढ़ाएंगे। बांधवगढ़, कान्हा और पन्ना टाइगर रिजर्व से बाघों का ट्रांसलोकेशन राजस्थान, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में किया जाएगा। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) के निर्देश पर इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। खर्च संबंधित राज्य उठाएंगे। कान्हा टाइगर रिजर्व (Kanha Tiger Reserve) के क्षेत्र संचालक रविंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि कान्हा से से दो बाघों का ट्रांसलोकेशन होना है। अन्य नेशनल पार्क से भी बाघ भेजे जाएंगे। इसकी तैयारियां शुरू की जा रही है। कान्हा के बाघ कहां भेजे जाएंगे यह आने वाले एक दो दिन में तय हो जाएगा। अक्टूबर में होगा प्रशिक्षण बाघों के नए ठिकाने वाले टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को अक्टूबर में विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें बाघों की देखभाल, ट्रैकिंग और संरक्षण की जानकारी दी जाएगी। इसके बाद बाघों को सीसीटीवी युक्त विशेष ट्रक से भेजा जाएगा। ट्रक के साथ पशु चिकित्सक और अन्य विशेषज्ञ भी रहेंगे। रास्ते में भोजन, पानी और स्वास्थ्य जांच की व्यवस्था रहेगी। छत्तीसगढ़ को सबसे ज्यादा बाघ मप्र से राजस्थान को 3 छत्तीसगढ़ को 4 और ओडिशा को 3 बाघ भेजे जाएंगे। इनमें नर-मादा की जोड़ियां भी शामिल हैं। वर्तमान में मप्र में 785 बाघ हैं। संख्या के लिहाज से यह देश का सबसे बड़ा टाइगर स्टेट है। बाघों की बढ़ती संख्या से टेरेटरी को लेकर आपसी संघर्ष बढ़ रहे हैं। मप्र के अलग-अलग टाइगर रिजर्व से कम घनत्व वाले क्षेत्रों में बाघों को भेजा जाएगा। कान्हा से ट्रांसलोकेशन के लिए दो बाघ तैयार रखने को कहा गया है। वे कहां जाएंगे, यह दो दिन बाद तय होगा।- रविंद्रमणि त्रिपाठी, क्षेत्र संचालक, कान्हा टाइगर रिजर्व

मुरैना में बंदूक लाइसेंस को लेकर बड़ी कार्रवाई, 282 रद्द, 411 पर तलवार लटकाई गई

मुरैना मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में लाइसेंसी बंदूकधारियों पर प्रशासन और पुलिस ने कड़ी कार्रवाई की है। प्रशासन ने ऐक्शन लेते हुए  जिले के ऐसे 282 लोगों के शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिए हैं, जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज या लंबित हैं। इस मामले की जानकारी देते हुए एक अधिकारी ने बताया कि जिले के इतिहास में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में शस्त्र लाइसेंस निलंबित किए गए हैं। इस मामले की जानकारी देते हुए जिला कलेक्टर अंकित अस्थाना ने बताया कि पुलिस अधीक्षक की ओर से 411 ऐसे लाइसेंसी शस्त्रधारियों की सूची तैयार की गई थी, जिनके खिला आपराधिक मामले दर्ज हैं या फिर वे अदालत में लंबित हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक की अनुशंसा पर जिला दंडाधिकारी अदालत ने जिले के 411 लाइसेंसी शस्त्रधारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। अस्थाना ने बताया कि इनमें से सिर्फ 129 लोगों ने ही अपने विरुद्ध उल्लेखित अपराध में दोष मुक्त होने के आदेश प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि शेष 282 लोगों द्वारा दस्तावेज जमा न करने के कारण उनके लाइसेंस निलंबित कर दिए गए। मुरैना के पुलिस अधीक्षक समीर सौरभ ने बताया कि उन्होंने पिछले 16 वर्षों का रिकॉर्ड खंगालकर 411 लाइसेंसधारियों की सूची तैयार की थी। उन्होंने कहा कि अब जिनके लाइसेंस निलंबित हुए हैं, उन्हें जल्द ही अपने हथियार जमा कराने होंगे। ऐसा न करने पर शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा। मध्यप्रदेश के ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में लंबे समय से लोग बंदूक को अपनी शान समझते रहे हैं और अक्सर यहां हर्ष फायरिंग और आपसी विवादों में लाइसेंसी बंदूकों के इस्तेमाल की शिकायतें मिलती रही हैं। सिर्फ मुरैना जिले में शस्त्र लाइसेंस धारकों की संख्या 25 हजार से अधिक है।

महाकाल महालोक तक उज्जैन में अंडरपास बनेगा, यातायात और श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित

उज्जैन  धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध उज्जैन शहर में हरिफाटक चौराहे से महाकाल महालोक तक नया अंडरपास बनने जा रहा है। इस पर 40 करोड़ 57 लाख रुपये खर्च होंगे। लोक निर्माण विभाग के अनुसार, अंडरपास न केवल हरिफाटक पुल पर यातायात का दबाव कम करेगा, बल्कि श्रद्धालुओं को महाकाल मंदिर और प्रमुख स्थलों तक सुगम और सुरक्षित पहुंच भी सुनिश्चित करेगा। निर्माण भारतीय सड़क कांग्रेस के मानकों के अनुसार किया जाएगा। इसमें अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग किया जाएगा। निर्माण के दौरान भी यातायात को सुचारू रखने के लिए योजना बनाई जा रही है। अंडरपास की डिजाइन इस तरह तैयार की गई है कि इंदौर-देवास की तरफ से आने वाले श्रद्धालु हरिफाटक पुल पर चढ़े बिना सीधे महाकाल महालोक के नंदी द्वार (जहां भगवान गणेश की विशाल मूर्ति स्थापित है) तक पहुंच सकें। इसकी लंबाई 600 और चौड़ाई 22 मीटर तय की है। मार्ग का कुछ हिस्सा भूमिगत होगा। निर्माण से जिला पंचायत का संभागीय हाट बाजार भी प्रभावित होगा। नया मार्ग महाकाल महालोक के साथ चारधाम मंदिर, त्रिवेणी कला संग्रहालय और रोपवे के बनने वाले दूसरे स्टेशन तक की पहुंच आसान बनाएगा। सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखकर तैयारी परियोजना को उज्जैन में वर्ष 2028 में लगने जा रहे महाकुंभ सिंहस्थ को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। उस समय करोड़ों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचेंगे और तब यह अंडरपास भीड़ नियंत्रण और यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा। इससे न केवल पुलिस और प्रशासन का प्रबंधन आसान होगा, बल्कि आम श्रद्धालुओं को भी परेशानी नहीं होगी। ऐतिहासिक नगरी की सबसे बड़ी जरूरत अंडरपास न केवल एक ट्रैफिक प्रबंधन उपाय है, बल्कि उज्जैन को धार्मिक पर्यटन हब के रूप में सशक्त बनाने की दिशा में ठोस कदम भी है। यह परियोजना उज्जैन को ऐसे माडल शहर के रूप में स्थापित करेगी, जहां परंपरा और आधुनिकता का सुंदर संगम हो। इस अंडरपास से उज्जैन का महाकाल क्षेत्र पहले से ज्यादा पहुंच योग्य, सुविधाजनक और सुरक्षित बन जाएगा और यही इस ऐतिहासिक नगरी की सबसे बड़ी जरूरत है। – रौशन कुमार सिंह, कलेक्टर

रेलवे टेक्नीशियन का अभिनव अविष्कार: इंदौर में कप्लर टेस्टिंग डिवाइस से समय की होगी बचत

इंदौर  रेलवे में तकनीकी जांच के क्षेत्र में एक नई और रोचक पहल सामने आई है। पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल के इंदौर में पदस्थ इलेक्ट्रिक टेक्नीशियन-वन भगवती लाल सालवी ने लोको इंजन और कोच को जोड़ने वाली बिजली की केबल की जांच के लिए एक यूआईसी कप्लर टेस्टिंग डिवाइस बनाई है। इस मशीन ने रेलवे कर्मचारियों का काम आसान कर दिया है और घंटों का काम मिनटों में पूरा हो रहा है। इस नवाचार से न केवल रेलवे की कार्यप्रणाली में सुधार होगा, बल्कि यह तकनीकी दक्षता को भी बढ़ाएगा। सालवी की इस पहल ने रेलवे के कर्मचारियों के लिए एक नई उम्मीद जगाई है, जिससे वे अपने कार्य को और अधिक प्रभावी ढंग से कर सकेंगे। समय की बचत होती तो ट्रेनों समय से रवाना की जा सकेंगी। एक व्यक्ति ही 10 मिनट में कर लेगा परीक्षण लोको और कोच की इन केबल की जांच के लिए पहले दो कर्मचारियों की आवश्यकता होती थी। ये कर्मचारी केबल की जांच आधे से एक घंटे में पूरा करते थे। इस समय को बचाने के लिए टेक्नीशियन-वन सालवी ने कप्लर टेस्टिंग डिवाइस बनाई। इस डिवाइस के परीक्षण का कार्य अब सिर्फ एक व्यक्ति द्वारा सिर्फ दस मिनट में किया जा सकता है। सालवी के इस नवाचार के लिए पश्चिम रेलवे के चीफ इंजीनियर डीके राठी ने मुंबई में 19 सितंबर को उन्हें पुरस्कृत किया। सालवी ने बताया कि इस डिवाइस के उपयोग से इंदौर में ट्रेनों के केबल की जांच हो रही है, जबकि पहले यह काम मैनुअल किया जाता था और इसमें अधिक समय लगता था। एक ही व्यक्ति आसानी से सभी पिन की जांच करेगा इस डिवाइस की विशेषता यह है कि लोको और कोच को जोड़ने वाली इस केबल में करीब 13 पिन होती हैं। इन्हें मैनुअल मल्टीमीटर से जांचने में आधे से एक घंटे से अधिक का समय लगता था और दो कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ती थी। सालवी की बनाई डिवाइस से अब एक ही व्यक्ति आसानी से सभी पिन की जांच कर सकता है। इससे समय की बचत के साथ-साथ खराब केबल को तुरंत पहचान कर बदलने की प्रक्रिया भी तेज हो गई है। इससे ट्रेनों के संचालन में भी कोई देरी नहीं होती है।

मंडला का नया कदम: शराब पीने पर भारी जुर्माना, शिकायतकर्ता को मिलेगा इनाम; नशा मुक्ति अभियान को मिली नई ताकत

मंडला मंडला जिले में नशा मुक्ति अभियान (Nasha Mukti Abhiyan) अब जन आंदोलन का रूप लेता जा रहा है। मोहगांव के ग्राम पंचायत कौआडोंगरी के पोषक ग्राम सकरी एवं खैरी रैयत में ग्रामीणों ने एकजुट होकर संपूर्ण ग्राम को नशा मुक्त बनाने की ठानी है। गांव में ग्रामवासियों की बैठक आयोजित की गई। बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि गांव में शराब बनाने व पीने वालों पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। शराब बनाने या पीने वालों की जानकारी देने वाले को 5 हजार रुपए का पुरस्कार दिया जाएगा। इसके बाद ग्रामीणों ने गांव में रैली भी निकाली। महिलाओं की दिखी अधिक भागीदारी ग्रामवासियों ने सामूहिक रूप से संकल्प लिया कि गांव को पूरी तरह नशामुक्त बनाया जाएगा। इस दौरान महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में भागीदारी करते हुए स्पष्ट कहा कि नशे से परिवार और समाज पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को देखते हुए अब गांव में किसी भी कीमत पर शराब नहीं बनने दी जाएगी। आवश्यकता पड़ने पर सामाजिक बहिष्कार भी किया जाएगा। कहीं तोड़ रहे शराब भट्टी तो कहीं लगा रहे जुर्माना ग्राम पंचायत सिंहपुर, नैनपुर, बीजाडांडी क्षेत्र के कई गांवों में भी इसी प्रकार ग्रामीणों ने सामूहिक बैठक कर शराबबंदी का निर्णय लिया है। कुछ गांवों में तो महिलाओं ने मोर्चा संभालते हुए शराब की भट्टियों को तोड़कर नष्ट किया था। वहीं कई पंचायतों में यह नियम बनाया गया है कि अगर कोई शराब बेचते या बनाते पाया गया तो उस पर सामूहिक जुर्माना लगाया जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि नशा ही गरीबी, घरेलू हिंसा और बीमारियों की जड़ है। यदि इसे पूरी तरह समाप्त कर दिया जाए तो गांवों का विकास तेजी से हो सकता है। नशा मुक्ति के इस सामूहिक प्रयास से अब जिले के कई गांव आदर्श ग्राम की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। लोगों का कहना है कि शराबबंदी होने से जहां खुशहाली आएगी वहीं यहां बच्चे शिक्षा की ओर आगे बढ़ेंगे।  शराब न बेचने को लेकर समाज से ली सहमति जिला मुख्यालय से 15-20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ग्राम लफरा में विगत लंबे समय से कच्ची पक्की शराब बड़े पैमाने पर बेची जा रही थी। जिससे ग्रामीण महिलाओं ने विरोध शुरु किया तो समाज के लोग भी समर्थन में कर रहे हैं। गांव के नंदा समाज और केवट समाज ने अपनी सहमति से शराब न बेचने का निर्णय लिया है। यहां क्षेत्रीय जनपद सदस्य जानकी पुष्पकार, सरपंच विमला मरावी के साथ ही उपसरपंच, वाडाँ पंच भी शराब बंदी का समर्थन करते हुए समय समय पर जागरूकता रैली व पुलिस के सहयोग से कार्रवाई भी करा रहे हैं। मोहगांव के ग्राम कुम्हरों में भी मई माह में बैठक कर ग्रामीणों ने शराबबंदी का निर्णय लिया है। शराब बनाने पर 20 हजार रुपए, उपयोग करने वालों पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाने का निर्णय लिया गया है। ग्राम शोधन पिपरिया में भी शराब बनाने और पीने पर प्रतिबंधित करते हुए जुर्माना भी निर्धारित किया गया है। 

कान्हा नेशनल पार्क की सफारी फुल, लेकिन सतपुड़ा में नए वाहनों से होगी शानदार सफारी

नर्मदापुरम सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के मढ़ई क्षेत्र में सैलानियों के लिए  2 नए वाहन मिल गए हैं। एक अक्टूबर को पार्क खुलने के पहले 2 और वाहन आने वाले हैं। इससे मढ़ई में सफारी वाहनों की कमी नहीं रहेगी। सैलानियों को लेकर वाहन किस जगह पर हैं। इसकी लोकेशन देने के लिए वाहनों में जीपीएस भी लगाया गया है। एसटीआर में सैलानियों को घुमाने के लिए 20 वाहन हैं। इसमें से लगभग 4 वाहन 15 साल से अधिक पुराने हो गए थे। इसलिए जंगल सफारी कराने में उनको उपयोग नहीं किया जाता था। 24 घंटे ऑन रहेगी वाहनों की लोकेशन सैलानियों के पार्क खुलने के पहले 4 नए सफारी वाहन मढ़ई पहुंचा दिए जाएंगे। इस तरह 20 वाहनों से सैलानी जंगल सफारी करेंगे। जीपीएस से लैस अत्याधुनिक वाहनों की लोकेशन 24 घंटे ऑनलाइन रहेगी। इसके जरिए सैलानियों को लेकर निकला वाहन किस जगह पर है इसकी पूरी लोकेशन एसटीआर के कंट्रोल रूम को रहेगी।  एसटीआर के कोर जोन के मढ़ई और चूरना में कर सकेंगे एंट्री एक अक्टूबर से एसटीआर के कोर जोन के मढ़ई और चूरना में सैलानियों का प्रवेश शुरू हो जाएगा। इसके लिए जंगल के अंदर सफारी मार्गो की मरम्मत शुरू की गई है लेकिन बारिश के कारण मरम्मत कार्य प्रभावित हो रहा है। शुरुआती दिनों में सैलानियों को पूरी सफारी नहीं कराएंगे। 5 पेट्रोल 1 सौर ऊर्जा चलित मोटर की मरम्मत सैलानियों को तवा नदी के बैक वॉटर में 5 पेट्रोल और 1 सौर ऊर्जा चलित मोटर बोट सैलानियों की जंगल सफारी कराएगी। एसटीआर ने मोटर बोट की मेटेनेंस शुरू कर दिया है। एक अक्टूबर के पहले बोट सैलानियों के उपयोग के तैयार हो जाएंगी। शुरू हो चुकी है बुकिंग एक अक्टूबर से जंगल सफारी करने के लिए सैलानी ऑन लाइन बुकिंग करने लगे हैं। मंगलवार तक प्रदेश के टाइगर रिजर्व में 1 से 3 अक्टूबर तक के लिए एसटीआर में मढ़ई, चूरना में 6, पेंच में 13, बांधवगढ़ में 14 , पन्ना 12 और कान्हा में 24 सफारी बुक की गई हैं। एसटीआर खुलते ही सफारी शुरू कराई जाएगी। मढ़ई के लिए 4 नए सफारी वाहन मढ़ई के लिए 4 नए सफारी वाहन मिल गए हैं। पार्क खुलते ही जंगल सफारी कराने के लिए इनका उपयोग किया जाएगा। सभी मोटर बोट का मेंटेनेंस भी किया जा रहा है। – अंकित जामोद, एसडीओ मढ़ई एसटीआर नर्मदापुरम

बचत और स्वच्छ ऊर्जा के लिए एमपी सरकार ने दिया निर्देश, हर शहर में सोलर प्लांट होंगे स्थापित

भोपाल   प्रदेश में नगरीय निकायों के अनावश्यक खर्चों को कम करने के लिए अब नगरीय विकास विभाग नकेल कसने की तैयारी में है। सभी निकायों को मितव्ययिता अपनाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही अनावश्यक खर्च रोकने के लिए सभी निकायों का अब एनर्जी ऑडिट भी होगा। इसमें आवश्यक लोड के अनुसार ही कनेक्शन लिया जाएगा। सभी निकायों के अस्थायी बिजली कनेक्शन भी बंद कराए जा रहे हैं। इनके स्थान पर सोलर पावर प्लांट(Solar Plant) लगेंगे, जिससे बिजली व्यय कम हो सके। इसके अलावा डीजल वाहनों की बजाय अब इलेक्ट्रिक वाहन ही खरीदे जाएंगे। निकायों को राजस्व वसूली बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनाने पर भी जोर दिया जा रहा है। इससे साल भर में होने वाली बचत नगर में जनता से जुड़े हुए विकास संबंधी कामों में खर्च होगी। हर निकायों में लगेंगे सोलर प्लांट हर नगरीय निकाय को सोलर पॉवर प्लांट(Solar Plant) लगाने के लिए निर्देश दिए हैं। जिन निकायों में स्थान उपलब्ध है वे अपने यहां यह प्लांट लगा सकते हैं। जिनके पास जमीन उपलब्ध नहीं है वे प्रदेश में अन्य स्थानों पर यह प्लांट लगा सकते हैं। भोपाल निगम ने नीमच में सोलर प्लांट लगाया है। वहां जितनी बिजली बनेगी उतनी यहां नगर निगम को बिल में छूट मिलेगी। इससे बिजली बिल काफी कम होगा। कचरा वाहन भी ईवी होंगे विभाग ने तय किया है कि अब निकायों में जो नए वाहन खरीदे जाएंगे वे ईवी ही होंगे। फिलहाल डीजल वाहनों का संचालन बंद नहीं किया जाएगा। लेकिन एक बार डीजल वाहन खटारा होने के बाद उसकी जगह दूसरा डीजल वाहन नहीं खरीदा जाएगा। उसकी जगह इलेक्ट्रिक वाहन लेंगे। कचरा परिवहन के लिए जो वाहन उपयोग किए जाएंगे वे भी ईवी ही होंगे। इसके लिए चार्जिंग पॉइंट की भी व्यवस्था की जाएगी। 15000 करोड़ बचत का अनुमान नगरीय विकास विभाग ने छोटे-छोटे बचत के उपायों को प्रभावी करने की योजना बनाई है। विभाग का अनुमान है कि सिर्फ फिजूलखर्ची पर रोक लगा कर ही प्रदेश की निकायों में 15 हजार करोड़ रुपए की बचत होगी। महापौरों ने रखी सुरक्षा और वित्तीय मांगें  मंत्रालय में हुई बैठक में नगर निगमों के महापौरों ने खुलकर अपनी समस्याएं रखीं। उन्होंने अतिक्रमण हटाने के बाद बढ़ते खतरों को देखते हुए गनमैन की तत्काल मांग की। महापौरों ने कहा कि पिछली बैठक में सुरक्षा का आश्वासन मिला था, पर अब तक व्यवस्था नहीं हुई। साथ ही सरकारी जमीन निगमों के नाम दर्ज करने की मांग की ताकि विकास कार्य सुचारू हो सकें। महापौरों ने चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि सीधे उपलब्ध कराने की भी मांग की, ताकि वे बिजली बिल स्वयं चुका सकें। इंदौर महापौर ने अवैध कॉलोनियों पर सख्त कार्रवाई की बात कही, वहीं भोपाल महापौर ने विसर्जन घाटों सहित कई जगहों पर निगम के नाम जमीन न होने से जनसुविधाएं प्रभावित होने का मुद्दा उठाया। नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि निगम खर्च कम करें और शुल्क बढ़ाने जैसे सख्त फैसले लेकर राजस्व बढ़ाएं। एसीएस संजय दुबे ने संपत्ति किराए की दरें बढ़ाने, सोलर प्लांट लगाने और खर्चों की समीक्षा कर आय-व्यय संतुलन सुधारने के सुझाव दिए। कहा, बिजली, ईंधन और स्थापना व्यय की समीक्षा कर इनमें कमी की जा सकती है। सोलर प्लांट से बिजली बिल कम किया जा सकता है। बीते वर्ष चुंगी क्षतिपूर्ति से चुकाए बिजली के 60 करोड़ रुपए बता दें, प्रदेश के नगरीय निकायों द्वारा पेयजल, स्ट्रीट लाइट आदि के लिए विद्युत वितरण कंपनियों से बिजली की आपूर्ति की जाती है, लेकिन स्थानीय निकायों द्वारा रहवासियों से शुल्क की वसूली में कमी आई है। इसलिए बिल नहीं चुका पाते। इसे देखते हुए वर्ष 2024 में नगरीय विकास विभाग ने चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि से लगभग 60 करोड़ बिजली बिल चुकाने के लिए जारी किए थे। प्रदेश के इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, कटनी, सागर, सतना, देवास, खंडवा और रतलाम के निकायों के बिजली बिल एक करोड़ रुपए से अधिक थे। सोलर प्लांट लगने के बाद बिजली बिलों में जरूर राहत मिलेगी।