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केंद्र को चैलेंज: पंजाब सरकार ने SDRF डेटा को बताया भ्रामक, 20 हजार करोड़ की मांग बनी मुद्दा

पंजाब पंजाब विधान सभा के विशेष सत्र में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बाढ़ राहत के मुद्दे पर केंद्र सरकार के रवैये को लेकर तीखा सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य अपने हक की मांग कर रहा है, भीख नहीं। मान ने विधानसभा में पिछले 25 वर्षों के SDRF (राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष) के पूरे आंकड़े सदन के समक्ष रखते हुए केंद्र के दावों को खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्र द्वारा SDRF में ₹12,000 करोड़ पड़े होने का दावा पूरी तरह से भ्रामक और तथ्यहीन है। मुख्यमंत्री ने विस्तार से बताया कि अकाली-भाजपा गठबंधन और कांग्रेस की सरकारों के कार्यकाल सहित पिछले 25 सालों में राज्य को SDRF के तहत कुल मिलाकर केवल ₹6,190 करोड़ ही प्राप्त हुए है। इसमें से अधिकांश राशि पहले ही विभिन्न आपदाओं – बाढ़, सूखा, ओलावृष्टि और अन्य प्राकृतिक आपदाओं में खर्च हो चुकी है। वर्तमान में SDRF खाते में केवल लगभग ₹1,200 करोड़ ही शेष बचे है, जो इस विनाशकारी बाढ़ से निपटने के लिए नाकाफी है। 2025 अगस्त में आई भयंकर बाढ़ ने पंजाब के लगभग 1,400 गांवों को अपनी चपेट में ले लिया और चार लाख से अधिक लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए। राज्य के प्रमुख कृषि क्षेत्रों में व्यापक तबाही हुई, जिसमें हजारों एकड़ खड़ी फसलें नष्ट हो गई। गेहूं, सरसों और अन्य रबी फसलों का भारी नुकसान हुआ। किसान संगठनों के अनुसार, लगभग 75,000 किसान परिवार पूरी तरह से बर्बाद हो गए है और उन्हें तत्काल राहत की सख्त ज़रूरत है। राज्य सरकार द्वारा किए गए प्रारंभिक आकलन के अनुसार, बाढ़ से हुए कुल नुकसान का अनुमान ₹13,800 करोड़ है। इसमें कृषि क्षति, बुनियादी ढांचे को नुकसान, सड़कों और पुलों की क्षति, बिजली और पानी की आपूर्ति व्यवस्था को हुए नुकसान को शामिल किया गया है। हालांकि, राज्य सरकार का मानना है कि वास्तविक नुकसान इससे कहीं अधिक हो सकता है क्योंकि कई दूरदराज के इलाकों में अभी भी सर्वेक्षण का काम चल रहा है। इसी को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार ने केंद्र से ₹20,000 करोड़ के विशेष राहत पैकेज की मांग की है। केंद्र सरकार ने अब तक केवल ₹1,600 करोड़ की राशि स्वीकृत की है, जिसे राज्य सरकार और विपक्षी दलों ने “समुंद्र में बूंद” करार दिया है। केंद्र की ओर से यह भी सुझाव दिया गया कि राज्य SDRF में पड़े ₹12,000 करोड़ के फंड का उपयोग करे। इस पर मुख्यमंत्री मान ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह दावा “फ़िज़ूल कल्पना” और “अंकों की बाज़ीगरी” से ज़्यादा कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि SDRF का पूरा हिसाब-किताब पारदर्शी तरीके से जनता के सामने रख दिया गया है और कोई भी इसे जांच सकता है। विधानसभा में अपने भाषण में मुख्यमंत्री मान ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “हम केंद्र से भीख नहीं मांग रहे, बल्कि अपने हक की मांग कर रहे हैं। GST के तहत राज्य का ₹50,000 करोड़ से अधिक रुका हुआ है, ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए ₹8,000 करोड़ से अधिक अटका पड़ा है। ऐसे में आपदा के समय राज्य को उचित मदद न देना और भ्रामक आंकड़े पेश करना दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने केंद्र से अपील की कि आपदा प्रबंधन जैसे संवेदनशील मामले में राजनीति को बीच में न लाया जाए और संवैधानिक दायित्वों का निर्वहन किया जाए। राज्य सरकार ने अपने स्तर पर राहत कार्यों में कोई कमी नहीं छोड़ी है। प्रभावित किसानों को तत्काल सहायता देने के लिए राज्य के संसाधनों से ही शुरुआती मदद दी जा रही है। मुख्यमंत्री राहत कोष से भी सहायता राशि वितरित की जा रही है। हालांकि, राज्य के सीमित संसाधनों को देखते हुए यह स्पष्ट है कि बिना केंद्र की पर्याप्त मदद के इस विशाल आपदा से निपटना संभव नहीं होगा। पंजाब सरकार ने केंद्र से एक बार फिर अपील की है कि वे तत्काल ₹20,000 करोड़ के राहत पैकेज को मंजूरी दें ताकि प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द राहत पहुंचाई जा सके।

रायपुर, बिलासपुर, कोरबा और दुर्ग में पीपीपी मॉडल पर बनेंगे सर्वसुविधायुक्त वृद्धाश्रम : मुख्यमंत्री साय

पुनर्वास उपकरणों की रिपेयरिंग के लिए रायपुर में शुरू होगा सर्विस सेंटर अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस पर रायपुर में राज्य स्तरीय आयोजन बुजुर्गों की विशेष देखभाल के लिए राज्य में सियान गुड़ी रायपुर, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि वृद्धजन हमारे मार्गदर्शक और अमूल्य संस्कृति के वाहक हैं। वृद्धजनों की देखभाल सरकार और समाज दोनों की साझी जिम्मेदारी है। केंद्र और राज्य सरकार वरिष्ठ नागरिकों के पेंशन, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और सम्मानपूर्ण जीवन के लिए समर्पित योजनाओं को लगातार मजबूत बना रही है। मुख्यमंत्री आज राजधानी रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में स्थित कृषि मंडपम में अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के राज्य स्तरीय आयोजन को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में वृद्धजनों को शॉल और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया। इस मौके पर उन्होंने बुजुर्गों की विशेष देखभाल के लिए राज्य में सियान गुड़ी, प्रदेश के चार बड़े शहरों रायपुर, बिलासपुर कोरबा और दुर्ग में पीपीपी मॉडल पर सर्वसुविधायुक्त वृद्धाश्रम बनाने और दिव्यांगजनों के सहायक उपकरणों के रिपेयरिंग के लिए राजधानी रायपुर में सर्विस सेंटर बनाने की घोषणा की। श्री साय ने नशामुक्त भारत अभियान के अंतर्गत राज्यभर में जागरूकता हेतु 25 नशामुक्ति रथों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ी लोकगीत एवं नृत्य प्रस्तुति दी गई और स्वास्थ्य जांच शिविर का भी आयोजन किया गया।   मुख्यमंत्री साय ने कहा कि वृद्धजन दिवस हमें अपने दायित्वों को याद दिलाने का अवसर है। मेरे गुरु ने मुझे सिखाया है कि माता-पिता की सेवा ही ईश्वर की पूजा है। मैंने अपने गुरु के संस्कार और आदर्शों का हमेशा पालन किया है। श्री साय ने कहा कि हम सभी को यह सच्चाई नहीं भूलनी चाहिए कि आज हमारे बुजुर्ग जिस अवस्था में है, कल हम सभी उसी अवस्था में होंगे। मुख्यमंत्री श्री साय और अतिथियों ने जनता से अपील की कि वे वृद्धजनों का सम्मान करें और उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ दिलाने में सहयोग करें, ताकि उनका जीवन और अधिक सुरक्षित, सम्मानजनक और खुशहाल बन सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में बुजुर्गों के लिए संचालित पेंशन योजनाओं में 14 लाख से बुजुर्ग लाभान्वित हो रहे हैं। आयुष्मान भारत और शहीद वीर नारायण सिंह स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत अब तक 8 लाख से अधिक बुजुर्गों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा दी गई है। मुख्यमंत्री तीर्थयात्रा योजना और श्री रामलला दर्शन योजना से 50 हजार से अधिक बुजुर्ग लाभान्वित हुए हैं। समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा कि प्रदेश के 35 वृद्धाश्रमों में 1049 वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल की जा रही है तथा 6 जिलों में प्रशामक देखरेख गृह संचालित हैं। विभागीय हेल्पलाइन के माध्यम से अब तक 54 हजार से अधिक वरिष्ठजनों की समस्याओं का समाधान किया गया है। इस अवसर पर मंत्री टंकराम वर्मा, सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक राजेश मूणत, मोतीलाल साहू, इन्द्र कुमार साहू, अनुज शर्मा, छत्तीसगढ़ निःशक्तजन वित्त विकास निगम अध्यक्ष लोकेश कावड़िया सहित अनेक जनप्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक और वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित रहे। पर्यटन साथी पहल : जिला प्रशासन रायपुर और इज माय ट्रिप के बीच एमओयू कार्यक्रम में पर्यटन साथी पहल के लिए ईज़ माई ट्रिप और जिला प्रशासन के मध्य एमओयू हुआ। मुख्यमंत्री ने इस विशेष पहल के लिए जिला प्रशासन की टीम को बधाई दी और कहा कि युवाओं के लिए रोजगार नए अवसर खुलेंगे और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन साथी पहल के तहत युवाओं को आईटीआई सड्डू में टूर गाइड के रूप में प्रशिक्षित किया जाएगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रति बैच 50 युवाओं को शामिल किया जाएगा और प्रशिक्षण तीन महीने में पूरा होगा।

86.97 लाख छात्रों ने पाई वन नेशन-वन स्टूडेंट की सुविधा, प्रदेश में रिकॉर्ड अपडेट

भोपाल  प्रदेश में वन नेशन-वन स्टूडेंट योजना में अब तक 86 लाख 97 हजार अपार आईडी (ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक एकाउंट रजिस्ट्री) बनायी जा चुकी हैं। स्कूल शिक्षा विभाग ने संबंधित एजेंसी को लक्षित छात्रों की अपार आईडी तैयार करने के निर्देश दिये हैं। केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिये अपार आईडी बनाने के निर्देश दिये हैं। इस पहल से प्रत्येक विद्यार्थी को एक लाइफ टाइम अपार आईडी मिलेगी। इस व्यवस्था से विद्यार्थियों, स्कूलों और सरकारों के लिये पूर्व प्राथमिक शिक्षा से उच्च शिक्षा तक शैक्षणिक प्रगति को ट्रेक करना आसान होगा। यदि विद्यार्थी स्कूल बदलता है, चाहे राज्य के भीतर या अन्य राज्य में, उसका सारा डेटा सिर्फ अपार आईडी साझा करने से उसके नये स्कूल में स्थानांतरित हो जायेगा। छात्रों को दस्तावेज या स्थानांतरण प्रमाण-पत्र प्रदान करने की आवश्यकता नहीं होगी। प्रदेश में नर्सरी से कक्षा-12 तक एक करोड़ 33 लाख 85 हजार विद्यार्थियों के अपार आईडी शिविर लगाये जा रहे हैं। वर्तमान में मध्यप्रदेश में कुल 65.2 प्रतिशत अपार आईडी बन चुकी हैं, जो राष्ट्रीय औसत 56 प्रतिशत से बेहतर स्थिति में हैं।  

RSS कार्यक्रम में मोहन भागवत का संदेश: पहलगाम सिखा गया असली पहचानना

नागपुर  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) 100 साल का हो चुका है। अपने स्थापना दिवस (विजयादशमी) पर आज नागपुर में बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। वहीं आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी सभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने पहलगाम हमले का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि यह घटना हमें यह सिखा गई कि कौन सा देश हमारा मित्र है और कौन सा देश दुश्मन। आपको बता दें कि शस्त्र पूजा के साथ इस उत्सव की शुरुआत हुई। मोहन भागवत ने कहा, ''22 अप्रैल को पहलगाम में सीमा पार से आए आतंकवादियों ने 26 भारतीय नागरिक पर्यटकों की हिंदू धर्म के बारे में पूछकर हत्या कर दी। इस हमले से पूरे भारत में शोक, उदासी और आक्रोश की लहर दौड़ गई। भारत सरकार ने एक सुनियोजित योजना के तहत मई माह में इस हमले का माकूल जवाब दिया। इस पूरी अवधि के दौरान, हमने देश के नेतृत्व की दृढ़ता, हमारी सशस्त्र सेनाओं की वीरता और युद्ध-तत्परता तथा हमारे समाज के दृढ़ संकल्प और एकता के हृदयस्पर्शी दृश्य देखे।'' मोहन भागवत ने आगे कहा, 'यह घटना हमें यह भी सिखा गई कि हम भले ही सबके प्रति मित्र भाव रखें, लेकिन अपनी सुरक्षा को लेकर सजग रहना होगा। इस पूरी घटना के बाद हमने दुनिया के कई देशों का स्टैंड देखा। इस घटना ने हमें यह भी सीख दी कि कौन सा देश हमारा मित्र है और कौन सा देश दुश्मन।'' आरएसएस मुख्यालय के रेशमबाग मैदान में शस्त्र पूजा के दौरान पारंपरिक हथियारों के अलावा ‘पिनाक एमके-1’, ‘पिनाक एन्हांस’ और ‘पिनाक’ सहित आधुनिक हथियारों की प्रतिकृतियां तथा ड्रोन प्रदर्शित किए गए। इस साल विजयदशमी उत्सव के अवसर पर आरएसएस अपने स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने का जश्न भी मना रहा है।  

किसानों के लिए खुशखबरी: यूपी के इस जिले में बन रहा 80 एकड़ का इंडस्ट्रियल पार्क

सीतापुर सेमरी कताई मिल की 80 एकड़ जमीन पर औद्योगिक पार्क विकसित किया जाएगा। इसके लिए शासन की ओर से उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) को जमीन हंस्तानांतरित कर दी गई है।  यूपीसीडा की ओर से जमीन का सर्वे करके लेआउट तैयार किया जा रहा है। औद्योगिक पार्क बनने से सीतापुर, बहराइच और बाराबंकी के किसानों को भी फायदा मिलेगा। सेमरी में उत्तर प्रदेश सहकारी कताई मिल्स संघ लिमिटेड की सूत मिल वर्ष 1985 में चली थी। इस मिल का धागा जिले के दरी उद्योग के साथ ही विभिन्न प्रांतों में बुनकरी में उपयोग किया जाता है। आपूर्ति बांग्लादेश तक होती थी। वर्ष 2001 में सेमरी सूत मिल बंद हो गई। मिल की मशीनों को भी बेच दिया गया। इसके बाद इसे दोबारा संचालित किए जाने की कवायद कई बार की गई। बावजूद इसके मिल को दोबारा नहीं चलाया जा सका। सरकार ने मिल की करीब 80 एकड़ जमीन पर औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का फैसला किया है। इसके लिए जमीन उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) को दे दी गई है। यूपीसीडा के अभियंताओं ने जमीन का सर्वे कर लिया है। लेआउट बनाने का काम चल रहा है। बताया जा रहा है कि सूत मिल की जमीन पर आधुनिक औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया जाएगा। लगेंगी 100 से अधिक इकाइयां सेमरी औद्योगिक क्षेत्र में 100 से अधिक औद्योगिक इकाइयां लगाए जाने की संभावना है। जिला उद्योग केंद्र के उपायुक्त संजय सिंह ने बताया कि सेमरी औद्योगिक क्षेत्र में एग्रीबेस औद्योगिक इकाइयों की अधिकता रहेगी। इनमें 20 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रोजगारी मिलेगा। इसके अलावा सीतापुर, बहराइच और बाराबंकी के किसानों को भी फायदा मिलेगा। परिवहन में नहीं आएगी समस्या महमूदाबाद का सेमरी यातायात के लिहाज से महत्वपूर्ण है। सेमरी चौराहे से लखनऊ के साथ ही बाराबंकी और बहराइच को मार्ग जाते हैं। वहीं, एक मार्ग सदरपुर की तरफ जाता है। इसके चल ते यहां स्थापित होने वाली इकाइयों तक कच्चा माल पहुंचाने और उत्पादों को बाहर भेजने में आसानी रहेगी।  

दशहरे पर मंदसौर में होने वाला है अनूठा रीति-रिवाज, रावण का वध पहले माफी लेकर!

नई दिल्ली मंदसौर जिले में दशहरे पर प्राचीनकाल से अनूठी परंपराएं चली आ रही हैं। देश के अधिकांश भागों में रावण के पुतले का दहन किया जाता है, लेकिन शहर के खानपुरा क्षेत्र में रावण को जमाई राजा का मान-सम्मान देकर सुबह ढोल-ढमाके के साथ पूजा की जाएगी। शाम को माफी मांगकर प्रतीकात्मक वध किया जाएगा। इधर, जिले के ग्राम धमनार में भी रावण की प्रतिमा के सामने राम-रावण की सेना के बीच वाकयुद्ध होगा। दोनों तरफ से एक-दूसरे पर जलते हुए टोपले फेंके जाएंगे। राम की सेना में शामिल युवक रावण तक पहुंचकर नाक पर मुक्का मारकर दंभ का अंत करेंगे। मंदसौर में घनी बस्ती वाले क्षेत्र खानपुरा में लगभग 500 साल पुरानी रावण प्रतिमा को नामदेव छीपा समाज रावण बाबा मानकर पूजा-अर्चना करता आ रहा है। मंदोदरी का मायका मंदसौर- प्रचलित मान्यता प्रचलित मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका मंदसौर में नामदेव समाज में ही था। इसके चलते खानपुरा क्षेत्र में रावण को जमाई राजा मानकर पूजते हैं। दशहरे पर सुबह नामदेव छीपा समाज के महिला-पुरुष खानपुरा स्थित श्री बड़ा लक्ष्मीनारायण मंदिर से ढोल के साथ रावण प्रतिमा स्थल पहुंचकर पूजा-अर्चना करेंगे। लोग रावण बाबा से पूरे क्षेत्र को बीमारी व महामारी से दूर रखने के लिए प्रार्थना करेंगे। पैर में लच्छा भी बांधेंगे। शाम को गोधुलि वेला में रावण प्रतिमा की पूजा-अर्चना कर माफी मांगकर गले में पटाखे की लड़ जलाकर प्रतीकात्मक वध करेंगे। बुजुर्ग महिलाएं आज भी रावण की प्रतिमा के सामने से निकलते समय निकालती हैं घूंघट रावण को जमाई राजा मानने की मान्यता के कारण ही नामदेव समाज सहित कुछ अन्य समाज की बुजुर्ग महिलाएं आज भी रावण की प्रतिमा के सामने से निकलते समय घूंघट निकालती हैं। इतिहासकार मंदोदरी के मंदसौर के रिश्ते के किसी भी तरह के साक्ष्य होने की बात से इन्कार करते रहे हैं पर रावण की प्रतिमा मंदसौर में क्यों बनी, इसके पीछे कोई उचित कारण नहीं बता पाते हैं। बुजुर्ग मंदोदरी से शहर के रिश्ते का सबसे बड़ा प्रमाण देते हुए उलटा प्रश्न खड़ा करते हैं कि इस शहर का नाम मंदसौर क्यों हुआ? मंदोदरी के रिश्ते के कारण ही यहां का नाम मंदसौर है। हालांकि कहीं भी उल्लेख नहीं होने के कारण धार्मिक क्षेत्रों से जुड़े लोग व इतिहासकार इसे नहीं मानते हैं।  

2026 में दर्शकों से रूबरू होगी प्राइम वीडियो की सीरीज़ द पिरामिड स्कीम

मुंबई भारत के सबसे पसंदीदा ओटीटी प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो ने आज अपनी नई सीरीज ‘द पिरामिड स्कीम’ की घोषणा कर दिया है. यह सीरीज द वायरल फीवर (TVF) द्वारा प्रोड्यूस की गई है, और इसे श्रेयांश पांडे ने बनाया है, जबकि इसे आशिष शुक्ला और श्रेयांश पांडे द्वारा डायरेक्ट किया गया है. बता दें कि ‘द पिरामिड स्कीम’ एक बेचैन युवक गोल्डी की कहानी है, जिसकी मल्टी-लेवल मार्केटिंग बिनेस के जरिए अमीर बनने की चाहत परेशानी से भरे एक रोलरकोस्टर में बदल जाती है. इस तरह से यह न सिर्फ उसका भविष्य, बल्कि उसकी जॉइंट फैमिली का प्यार और विश्वास भी दाँव पर लग जाता है. सीरीज ‘द पिरामिड स्कीम’ में शानदार कलाकारों की टीम है. जिसमें लीड रोल्स में परमवीर चीमा , रणवीर शौरी, शेखर सुमन, आंजन श्रीवास्तव , स्मिता बंसल और अल्फिया जाफरी नजर आने वाले हैं. साल 2026 में प्राइम वीडियो पर प्रीमियर होने जा रही सीरीज ‘द पिरामिड स्कीम’  में अचानक से आने वाले ट्विस्ट, हँसी के पल, दिल टूटने की भावनाएँ और हसल कल्चर की असली झलक, जो दिखाती है कि बड़े सपनों के पीछे लोग कितनी दूर तक जाते हैं. इस सफर में एक इंसान अपनी कौन सी दौलत खो सकता है.

Indian Army की नई पहल: हरियाणा में ड्रोन प्रयोगशाला तैयार, युद्ध के लिए तैयारी शुरू

अंबाला  ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह साफ हो गया है कि आने वाले समय में युद्ध के मैदान में ड्रोन की भूमिका बेहद अहम होगी। इसी दिशा में भारतीय सेना ने तैयारी शुरू कर दी है। सेना न केवल स्थानीय उद्योगों पर निर्भर रहेगी, बल्कि स्वयं भी ड्रोन तकनीक विकसित करने के लिए कदम बढ़ा रही है। अंबाला में इसके लिए एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला स्थापित करने की योजना बनाई गई है, जिसमें मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (MES) के विशेषज्ञ कार्य करेंगे। सूत्रों के अनुसार, विशेषज्ञ ड्रोन निर्माण से जुड़े कच्चे माल, उपकरण और तकनीकी आवश्यकताओं की जानकारी जुटा रहे हैं। इन जानकारियों के बाद प्रयोगशाला की नींव रखी जाएगी। वहीं अंबाला की खड्गा कोर ने भी कुछ ड्रोन प्रोटोटाइप तैयार किए हैं, जिनका उत्पादन प्राइवेट कंपनियों की मदद से किया जा रहा है। सेना का लक्ष्य आत्मनिर्भरता की दिशा में ऐसे ड्रोन बनाना है जो पूरी तरह स्वदेशी हों। फिलहाल अधिकतर ड्रोनों में विदेशी उपकरणों का उपयोग होता है, लेकिन अब भारतीय स्टार्टअप स्वदेशी तकनीक को आगे बढ़ा रहे हैं। युद्ध के लिए तैयार होंगे हजारों ड्रोन MES विशेषज्ञों को जल्द ही ड्रोन व काउंटर-ड्रोन तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद प्रयोगशाला में शोध और विकास का कार्य शुरू होगा। सेना की योजना हर यूनिट में ऐसे दस्ते तैयार करने की है जो ड्रोन संचालन और तकनीकी समझ में दक्ष हों। अधिकारियों का कहना है कि भविष्य के युद्ध में हजारों ड्रोन और उनके साथ विस्फोटक तकनीक का बड़े स्तर पर उपयोग किया जाएगा।

बापू की समाधि पर पीएम और राष्ट्रपति का श्रद्धांजलि अर्पण, कहा- उनके आदर्श आज भी प्रासंगिक

नई दिल्ली। आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 156वीं जयंती है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत तमाम नेता राजघाट पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी प्रतिमा को नमन किया और पुष्प अर्पित किए। बापू का रास्ता अपनाकर कर विकसित भारत का निर्माण करेंगे: पीएम नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को गांधी जयंती के अवसर पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपिता के आदर्शों ने मानव इतिहास की दिशा को बदल दिया और आज भी भारत के विकास की दिशा तय कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि गांधीजी ने दिखाया कि साहस और सादगी बड़े बदलाव के उपकरण बन सकते हैं। उन्होंने सेवा और करुणा की शक्ति में विश्वास रखा, जो लोगों को सशक्त बनाने का मूल आधार है। उन्होंने कहा, गांधी जयंती प्यारे बापू के असाधारण जीवन को श्रद्धांजलि अर्पित करने का दिन है, जिनके आदर्शों ने मानव इतिहास का मार्ग बदल दिया। उन्होंने दिखाया कि साहस और सादगी कैसे बड़े बदलाव ला सकते हैं। वह सेवा और करुणा को लोगों को सशक्त बनाने के जरूरी माध्यम मानते थे। हम उनका रास्ता अपनाकर विकसित भारत के निर्माण की ओर बढ़ेंगे। दो अक्तूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे मोहनदास करमचंद गांधी अहिंसा और सत्याग्रह के प्रवर्तक थे। उनके विचारों ने लाखों भारतीयों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। 30 जनवरी 1948 को नई दिल्ली में गांधी स्मृति स्थल पर नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी। भारत की स्वतंत्रता के कुछ महीने बाद यह घटना हुई। उनका जीवन और बलिदान दुनियाभर में शांति और मानव गरिमा का प्रतीक बना हुआ है। सशक्त व समृद्ध भारत का निर्माण कर गांधी के सपनों को साकार करेंगे: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने भी महात्मा गांधी की जयंती पर राजघाट पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।  इससे पहले गांधी जयंती के मौके पर राष्ट्रपति ने अपने संदेश में कहा, गांधी जयंती हम सभी के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों और जीवन मूल्यों के प्रति स्वयं को पुनः समर्पित करने का अवसर है। गांधीजी ने विश्व को शांति, सहिष्णुता और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश दिया जो संपूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत है। वह आजीवन अस्पृश्यता, निरक्षरता, नशाखोरी और अन्य सामाजिक बुराइयों को मिटाने के लिए संघर्ष करते रहे। उन्होंने अपने दृढ़ संकल्प से समाज के कमजोर से कमजोर व्यक्ति को संबल और शक्ति प्रदान की। राष्ट्रपति ने कहा, नैतिकता और सदाचार में उनका अटूट विश्वास था जिसका उन्होंने आजीवन पालन किया और जन समुदाय को भी उस मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया। एक स्वावलंबी, आत्मनिर्भर और शिक्षित भारत के निर्माण के लिए उन्होंने चरखा चलाकर आत्मनिर्भरता का संदेश दिया। अपने आचरण एवं उपदेशों के माध्यम से वे सदैव श्रम की गरिमा को प्रतिष्ठित करते रहे। उनके जीवन-मूल्य आज भी प्रासंगिक हैं और भविष्य में भी बने रहेंगे। आइए, गांधी जयंती के इस शुभ अवसर पर हम सब यह संकल्प लें कि हम सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए राष्ट्र के कल्याण और प्रगति के लिए समर्पित रहेंगे और एक स्वच्छ, समर्थ, सशक्त व समृद्ध भारत का निर्माण करके गांधी जी के सपनों को साकार करेंगे।

विजयादशमी पर RSS का शक्ति प्रदर्शन, नागपुर में शस्त्र पूजा में शामिल हुए मोहन भागवत और रामनाथ कोविंद

नागपुर  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्थापना के 100 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में नागपुर के ऐतिहासिक रेशिमबाग मैदान में आज विजयादशमी उत्सव का भव्य आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम न केवल संघ की परंपरागत शस्त्र पूजा और मार्च का प्रतीक बना, बल्कि संगठन के शताब्दी वर्ष की शुरुआत का भी ऐतिहासिक क्षण साबित हुआ। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुए, जबकि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पूर्ण गणवेश में मंच पर नजर आए। सुबह करीब साढ़े सात बजे शुरू हुए इस समारोह में संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत ने सबसे पहले शस्त्र पूजा की, जो धर्म की रक्षा और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। इसके बाद योग प्रदर्शन, प्रात्यक्षिक, नियुद्ध, घोष और प्रदक्षिणा जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने मैदान को गुंजायमान कर दिया। शताब्दी वर्ष के कारण इस बार कार्यक्रम की भव्यता में तीन गुना वृद्धि हुई, जिसमें पूर्ण गणवेश में 21,000 से अधिक स्वयंसेवक शामिल हुए। यह संख्या पिछले वर्षों से कहीं अधिक थी। मुख्य अतिथि पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद बुधवार को ही नागपुर पहुंचे हैं। उन्होंने दीक्षाभूमि पर भी प्रार्थना की, जहां डॉ. बी.आर. आंबेडकर ने 1956 में बौद्ध धर्म अपनाया था। कोविंद ने समारोह को संबोधित करते हुए संघ के योगदान की सराहना की और कहा कि यह आयोजन राष्ट्र निर्माण की दिशा में एक मील का पत्थर है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में देश भर में एक लाख से ज्यादा ‘हिंदू सम्मेलनों’ समेत कई कार्यक्रमों की योजना बनायी है। इसकी शुरुआत दो अक्टूबर को यहां संगठन के मुख्यालय में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के वार्षिक विजयादशमी संबोधन से हो गई। केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में विजयादशमी के दिन आरएसएस की स्थापना की थी।