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बिर्रा गांव की रश्मि अब 20 हजार महीने की कमाई से बनी आत्मनिर्भर महिला उद्यमी

रायपुर : सेंट्रिंग प्लेट्स से मिला दी रश्मि के सपनों को सहारा बिर्रा गांव की रश्मि अब 20 हजार महीने की कमाई से बनी आत्मनिर्भर महिला उद्यमी प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण सहित अन्य निर्माण कार्यों में सेंटरिंग प्लेट लगाकर रश्मि के हौसले बुलंद रायपुर जांजगीर चांपा जिले के जनपद पंचायत बम्हनीडीह के बिर्रा गांव की महिला मती रश्मि कहरा ने यह साबित कर दिखाया है कि अगर हौसला बुलंद हो और अवसर मिले, तो गांव की मिट्टी से भी सफलता की कहानी लिखी जा सकती है। प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण सहित गांव के अन्य निर्माण कार्यों में सेंटरिंग प्लेट की आपूर्ति कर आज वह हर महीने 20 हजार रुपये की आमदनी अर्जित कर रही हैं। यह सफलता उन्हें बिहान योजना और स्व-सहायता समूह के माध्यम से मिली जिसने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।        मती रश्मि कहरा ने बताया कि पहले परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी। बच्चों की पढ़ाई और घर खर्च दोनों ही मुश्किल में थे। तब उन्होंने हिम्मत जुटाकर रानी लक्ष्मीबाई स्व सहायता समूह से जुड़ने का निर्णय लिया। समूह के सहयोग और बिहान के मार्गदर्शन से उन्हें आत्मनिर्भरता की राह मिली। उन्होंने ग्राम संगठन की सहायता से समुदायिक निवेश कोष  से 25 हजार रुपये का ऋण लिया। इस राशि से उन्होंने 1000 वर्गफीट का सेटरिंग प्लेट तैयार कराया, जिसे प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य निर्माण कार्यों में किराये पर दिया जा रहा है। इसी से आज उनकी नियमित आय 20,000 रुपये मासिक हो गई है। वे कहती हैं पहले जीवन बहुत कठिन था, लेकिन बिहान समूह से जुड़ने के बाद आत्मविश्वास बढ़ा। अब मैं खुद कमा रही हूँ, बच्चों की पढ़ाई कराती हूँ और दूसरों को भी प्रेरित कर रही हूँ। इसके लिए उन्होंने प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए आभार व्यक्त किया।         गांव की साथी महिलाओं के अनुसार, रश्मि की सफलता से अब कई अन्य महिलाएं भी समूहों से जुड़कर प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य आजीविका गतिविधियों में सक्रिय हो रही हैं। बिहान के जिला अधिकारी का कहना है कि रश्मि की उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि अगर महिला को अवसर, प्रशिक्षण और सहयोग मिले तो वह न केवल अपने परिवार, बल्कि समाज की भी आर्थिक रीढ़ बन सकती है। आज बिर्रा गांव में रश्मि का नाम गर्व से लिया जाता है कभी जो परिवार आर्थिक तंगी में था, वही अब दूसरों की प्रेरणा बन चुका है। सच में, यह है  बिहान से निकली उड़ान की मिसाल है जिसने गांव की एक साधारण महिला को आत्मनिर्भरता की पहचान दिलाई।

सारी दिन कुर्सी पर? जानें आयुर्वेदिक तरीके जो बचाएं आपको बीमारियों से

नई दिल्ली  आज की डिजिटल और व्यस्त जीवनशैली ने इंसान को शारीरिक रूप से इतना निष्क्रिय बना दिया है कि स्वास्थ्य पर इसका गहरा प्रभाव पड़ रहा है। घंटों तक एक ही जगह बैठना, मोबाइल और लैपटॉप की स्क्रीन पर लगातार नजरें गड़ाए रखना और शारीरिक श्रम से दूरी रखना आज आम बात हो गई है। यह निष्क्रियता धीरे-धीरे अनेक रोगों की जड़ बनती जा रही है। आयुर्वेद के अनुसार, जब शरीर को उचित मात्रा में गतिविधि नहीं मिलती, तो वात, पित्त और कफ तीनों दोष असंतुलित होकर अनेक रोगों को जन्म देते हैं। चरक संहिता में स्पष्ट कहा गया है कि नियमित व्यायाम से स्वास्थ्य, दीर्घायु, बल और मानसिक सुख प्राप्त होते हैं। शारीरिक गतिविधि की कमी से मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, जोड़ों का दर्द, मानसिक तनाव, पाचन विकार और प्रतिरक्षा प्रणाली की कमजोरी जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। लगातार बैठे रहने से मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है, वसा जमा होती है, रक्त संचार बाधित होता है और हार्मोन असंतुलन के कारण मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है। आयुर्वेद में इन समस्याओं के लिए प्राकृतिक और घरेलू समाधान बताए गए हैं। सबसे पहला उपाय है दैनिक व्यायाम। सुबह कम से कम 30 मिनट टहलना या हल्की दौड़ लगाना अत्यंत लाभकारी है। सूर्य नमस्कार को संपूर्ण व्यायाम माना गया है जो शरीर को संतुलन, लचीलापन और ऊर्जा प्रदान करता है। साथ ही, ताड़ासन, त्रिकोणासन, भुजंगासन जैसे सरल आसन नियमित रूप से करने चाहिए। प्राणायाम जैसे अनुलोम-विलोम, कपालभाति और सूर्यभेदी नाड़ी शरीर के दोषों को संतुलित कर मानसिक शांति भी देते हैं। संतुलित आहार भी आवश्यक है। भारी, तली-भुनी चीजों की बजाय हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज, फल और हल्का भोजन करना चाहिए। सुबह गुनगुना पानी या त्रिफला जल पीना पाचन में सहायक होता है। भोजन के बाद कुछ देर टहलना पाचन क्रिया को सुचारू बनाता है। अभ्यंग यानी तेल मालिश भी आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण अभ्यास माना गया है, जिससे शरीर की थकान दूर होती है और स्नायु मजबूत होते हैं। शारीरिक गतिविधि सिर्फ शरीर के लिए नहीं, बल्कि मन और आत्मा के लिए भी आवश्यक है। यदि हम डिजिटल जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करें, तो हम अनेक गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।

गाय की डकार पर टैक्स, हरियाली बढ़ाने पर राहत! डेनमार्क की पर्यावरण बचाने वाली नई नीति

कोपेनहेगन जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए डेनमार्क सरकार ने एक अनोखा कानून बनाया है. इसका नाम है “फ्लैटुलेंस टैक्स” यानी गायों द्वारा छोड़ी गई गैस पर टैक्स. यह कानून 18 नवंबर 2024 को घोषित किया गया था. इसके अनुसार, 2030 से डेनमार्क के किसानों को अपनी गायों और सूअरों की डकार और गैस उत्सर्जन पर टैक्स देना होगा. 2030 में किसानों को प्रति टन मीथेन पर 300 डेनिश क्रोनर (लगभग 24,100 रुपये) टैक्स देना होगा. 2035 तक यह राशि बढ़कर 750 क्रोनर (लगभग 10,000 रुपये) हो जाएगी.  पेड़ लगाने पर मिलेगी 60 फीसदी की छूट हालांकि, अगर किसान पेड़ लगाकर उत्सर्जन (emissions) कम करेंगे तो उन्हें 60% की छूट मिलेगी. यह टैक्स गाय और भैंसों से निकलने वाली मीथेन गैस को कम करने के लिए लगाया गया है. मीथेन एक ग्रीनहाउस गैस है, जो कार्बन डाइऑक्साइड से कई गुना ज्यादा खतरनाक है. एक गाय रोजाना करीब 500 लीटर मीथेन छोड़ सकती है.  न्यूजीलैंड ने भी 2022 में लगाया था टैक्स संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया में जानवरों से होने वाला उत्सर्जन कुल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 12% है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर हम इस सदी के पहले आधे हिस्से में ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना चाहते हैं, तो 2030 तक मीथेन उत्सर्जन को 45% तक घटाना जरूरी है. इससे पहले न्यूजीलैंड ने भी 2022 में किसानों पर इसी तरह का टैक्स लगाने का ऐलान किया था, लेकिन 2024 में किसानों के विरोध के बाद इसे रद्द कर दिया गया.

मशरूम मैन अमित: छोटे से स्टार्ट से करोड़ों का टर्नओवर, रांची के इस युवा की शानदार सफलता

रांची   झारखंड की राजधानी रांची के रहने वाले अमित मिश्रा आज सालाना करोड़ों की कमाई कर रहे हैं. दरअसल, अमित खास तौर पर ऑयस्टर मशरूम की खेती करते हैं. उन्होंने कभी दो कमरों से इसकी शुरुआत की थी, लेकिन आज रांची में उनके 12 फार्म हैं. खास बात यह है कि वे सिर्फ मशरूम का उत्पादन ही नहीं करते, बल्कि इससे कई तरह के प्रोडक्ट भी बनाते हैं. केवल उगाते नहीं, मशरूम से तमाम उत्पाद भी बनाते हैं अमित जैसे मशरूम का चाउमीन, मशरूम की चॉकलेट, मशरूम का अचार और पापड़. ये सभी चीजें तैयार कर बाजार में सप्लाई की जाती हैं. उनके पास मशरूम की कई वैरायटी मिलती हैं, जिनमें बटन मशरूम भी शामिल है. इसके साथ ही वे मशरूम की चटपटी चटनी और अचार भी बनाते हैं. जी हां! शायद ही आपने कभी मशरूम की चटनी और अचार का स्वाद चखा होगा. कभी किराए के दो कमरों से शुरू किया था बिजनेस अमित बताते हैं कि उन्होंने दो किराए के कमरों से अपना बिजनेस शुरू किया था, लेकिन आज हालत यह है कि पिठोरिया, कांके, नामकोम समेत कई जगहों पर उनके 12 फार्म हैं. यहां रोज करीब 300 किलो मशरूम का उत्पादन होता है. इन सभी फार्मों में 70 से 80 महिलाएं काम करती हैं. अमित का कहना है कि वे महिलाओं को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हें ही काम पर रखते हैं. यहां होता है सप्लाई अमित बताते हैं कि उनके फार्म से तैयार प्रोडक्ट रांची के रिलायंस स्मार्ट, सुपर मार्केट और कई दुकानदारों के पास सप्लाई किए जाते हैं. कुछ प्रोडक्ट भारत के बाहर और कई राज्यों में भी भेजे जाते हैं. साथ ही मशरूम को फूड प्रोसेसिंग के जरिए पैक किया जाता है और उनकी पैकेजिंग इतनी आकर्षक है कि देखने पर यह किसी बड़ी ब्रांडेड कंपनी का लगता है. संघर्ष भी कम नहीं रहा अमित कहते हैं कि शुरुआत में संघर्ष बहुत था. बिजनेस करना तो चाहते थे, लेकिन समझ नहीं आ रहा था कि शुरुआत कैसे करें. जहां 10 किलो उत्पादन होना चाहिए था, वहां सिर्फ 5 किलो ही हो पाता था. कई बार असफल हुए, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. अपनी हर गलती से सीखा और दोबारा वही गलती नहीं दोहराई. यही हर युवक को करना चाहिए – धैर्य रखना और सुधार करते रहना. आज करोड़ों का टर्नओवर, रोजगार भी बढ़ा अमित बताते हैं कि इस मुकाम तक पहुंचने में उन्हें करीब 5 से 6 साल लग गए. आज उनका टर्नओवर करोड़ों में है. हालांकि यह आंकड़ा ऊपर-नीचे होता रहता है, इसलिए सटीक बताना मुश्किल है. लेकिन इतना जरूर है कि यह करोड़ों तक पहुंच जाता है. इससे भी बड़ी बात यह है कि उनके काम से आज दर्जनों महिलाओं को रोजगार का अवसर मिल रहा है.  

मंत्री तोमर ने कहा- सिंहस्थ के कार्य निर्धारित समय-सीमा में पूर्ण करें एम.पी. ट्रांसको

भोपाल   मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर ऊर्जा मंत्री श्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने मुख्यालय जबलपुर में मध्यप्रदेश पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी (एम.पी. ट्रांसको) द्वारा सिंहस्थ-2028 के लिये किये जा रहे कार्यों की समीक्षा की। समीक्षा में ऊर्जा मंत्री श्री तोमर को एम.पी. ट्रांसको के प्रबंध संचालक सुनील तिवारी ने वर्तमान कार्यों की प्रगति से अवगत कराया। मंत्री श्री तोमर ने निर्देश दिये कि सिंहस्थ-2028 प्रदेश सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है, सिंहस्थ के कार्यों की नियमित निगरानी रखी जायें और तय समय सीमा व उच्च गुणवत्ता के साथ सभी कार्य पूरे किये जाये। एम.पी. ट्रांसको उज्जैन में कर रही है यह कार्य मंत्री श्री तोमर ने सिंहस्थ-2028 में उज्जैन में निर्वाध विद्युत आपूर्ति के लिये पहले चरण में निर्माणधीन 132 के.व्ही. सब स्टेशन चिंतामन एवं 132 के.व्ही. सब स्टेशन त्रिवेणी बिहार के निर्माण कार्यों की प्रगति जानी। इसके अलावा एम.पी. ट्रांसकों 220 के.व्ही. सब स्टेशन शंकरपुरा में वर्तमान 20 एम.व्ही.ए. क्षमता के अपग्रेड कर 50 एम.व्ही.ए. क्षमता का तथा अपने 400 के.व्ही. सब स्टेशन ताजपुर में 50 एम.व्ही.ए. क्षमता का नया ट्रांसफार्मर स्थापित कर रही है। जिनकी कार्य प्रगति के बारे मे भी ऊर्जा मंत्री ने जानकारी प्राप्त कर आवश्यक निर्देश दिये।  

Renault Triber का नया अवतार: बदला लुक, जुड़े एडवांस फीचर्स

मुंबई  रेनॉल्ट ट्राइबर हमेशा से एक स्मार्ट कार रही है. ट्राइबर भारत की सबसे स्पेस-एफिशिएंट सब-4-मीटर कार मानी जाती है. यह सात सीटों वाली मॉड्यूलर कार कुछ साधारण बदलावों से पांच, छह या सामान ले जाने वाली मिनी-एमपीवी में परिवर्तित हो सकती है. 2025 के लिए रेनॉल्ट ने ट्राइबर को एक नया फेसलिफ्ट दिया है जो इसे अधिक आधुनिक बनाता है. इसकी कीमत 5.76 लाख से 7.91 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) के बीच है. यह तेज़ नहीं है, लेकिन सबसे समझदार एमपीवी जरूर है. यदि आप तेज़ ड्राइविंग की उम्मीद करते हैं तो यह कार आपके लिए नहीं है. ट्राइबर की खासियत इसका पारिवारिक उपयोग में आसानी और आराम है. यह ज्यादा मांग नहीं करता, केवल ईंधन और धैर्य चाहिए, और इसके बदले में लचीलापन और आराम देता है जो इस कीमत में कम ही कारें देती हैं. नए फीचर्स और डिजाइन के साथ  यह कार कंपनी के वैश्विक मॉडलों के अनुरूप दिखती है. इसके डिजाइन में ताजगी है. अधिक फीचर्स और बेहतर सुरक्षा शामिल हैं. हालांकि, इंजन में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिससे सवाल उठता है कि क्या यह प्रतिस्पर्धी एमपीवी सेगमेंट में टिक पाएगा. नई डिजाइन में तेज DRL, नीचे फॉग लैंप और सेंटर में नया 2D रेनॉल्ट लोगो शामिल हैं. साइड प्रोफाइल पहले जैसा है, लेकिन डुअल-टोन 15-इंच फ्लेक्स व्हील्स और नए रंग विकल्प जैसे एम्बर टेराकोटा और शैडो ग्रे इसे नया रूप देते हैं. टॉप-एंड 'इमोशन' वेरिएंट में 15-इंच के फ्लेक्स व्हील्स उपलब्ध हैं, जबकि 'टेक्नो' में ब्लैक आउट व्हील्स हैं. फ्रेश लुक में आया काफी बदलाव डोर हैंडल्स को इस बार ब्लैक ग्लॉस फिनिश मिला है और प्लास्टिक क्लैडिंग में भी कुछ बदलाव किए गए हैं. टॉप मॉडल में ब्लैक आउट रूफ भी है जो कार की उपस्थिति को बेहतर बनाता है. पीछे की तरफ, नए डिजाइन वाले LED टेललैम्प्स ग्लॉस-ब्लैक स्ट्रिप से जुड़े हैं और subtle ब्लैक आउट एक्सेंट्स हैं. 'ट्राइबर' लेटरिंग भी जोड़ा गया है, हालांकि पुराने डिजाइन को कुछ लोग अधिक साफ-सुथरा मानते हैं. डैशबोर्ड का लेआउट और रंग योजना भी अपडेट की गई है. केबिन पहले से अधिक हवादार महसूस होता है, जिससे जगह का एहसास बढ़ता है. वेरिएंट्स के नाम भी बदल गए हैं और अब ट्राइबर चार वेरिएंट्स – ऑथेंटिक, इवोल्यूशन, टेक्नो और इमोशन में उपलब्ध है. AMT विकल्प केवल इमोशन वेरिएंट में मिलता है. इंटीरियर भी है मजेदार इंटीरियर में वायरलेस चार्जर जोड़ा गया है. डैशबोर्ड का डिज़ाइन किगर से प्रेरित है, जिसमें डुअल-टोन बेज और ब्लैक थीम है. आठ इंच का टचस्क्रीन इंफोटेनमेंट सिस्टम ऊंचाई पर स्थित है और AC वेंट्स इसके नीचे हैं. स्टार्ट/स्टॉप बटन बीच में है, क्रूज कंट्रोल स्विच एक तरफ और चार्जिंग पोर्ट दूसरी तरफ है. स्पेस ट्राइबर की सबसे बड़ी ताकत है कि तीसरी पंक्ति की सीटें पूरी तरह हटाई जा सकती हैं. इससे 621 लीटर का बूट स्पेस मिलता है. ड्राइवर के लिए आर्मरेस्ट जोड़ा गया है और स्टीयरिंग व्हील को नया डिजाइन मिला है. इसमें कंट्रोल्स और नया रेनो लोगो है. तीसरी पंक्ति के यात्रियों के लिए चार्जिंग पोर्ट्स और दूसरी व तीसरी पंक्ति के लिए डेडिकेटेड AC वेंट्स हैं. फीचर लिस्ट में ऑटो हेडलैम्प्स, रेन-सेंसिंग वाइपर्स, 360-डिग्री कैमरा, सात इंच का डिजिटल ड्राइवर डिस्प्ले और वायरलेस Apple CarPlay व Android Auto शामिल हैं. सुरक्षा के लिहाज से, 2025 ट्राइबर में छह एयरबैग्स, ESP, ट्रैक्शन कंट्रोल, हिल स्टार्ट असिस्ट और टायर प्रेशर मॉनिटरिंग स्टैंडर्ड हैं. बॉडी शेल को भी मजबूत किया गया है. ड्राइविंग अनुभव में नहीं हुआ है बदलाव ड्राइविंग अनुभव में कोई बड़ा बदलाव नहीं है. यह वही 1.0-लीटर नैचुरली एस्पिरेटेड तीन सिलेंडर पेट्रोल इंजन इस्तेमाल करता है जो 72bhp और 96Nm टॉर्क देता है. गियरबॉक्स में पांच स्पीड मैनुअल या AMT विकल्प हैं. मैनुअल की दावा की गई माइलेज 19 किमी/लीटर है जबकि AMT 18.3 किमी/लीटर देता है. शहर में ड्राइविंग आसान है और इंजन की प्रतिक्रिया पहले तीन गियरों में ठीक-ठाक है. हालांकि, यह इंजन हाईवे पर कमजोर पड़ता है. 100 किमी/घंटा की रफ्तार पर क्रूज करना आरामदायक है, लेकिन ओवरटेक के लिए डाउनशिफ्ट करना पड़ता है. 0 से 100 किमी/घंटा की रफ्तार पकड़ना धीमा और नीरस लगता है. रेनो को किगर के टर्बो-पेट्रोल इंजन को ट्राइबर में मैनुअल और CVT विकल्प के साथ पेश करना चाहिए था. शहर के लिए है एकदम परफेक्ट गियरशिफ्टिंग स्मूद नहीं है, खासकर आर्मरेस्ट नीचे होने पर. लेकिन राइड कम्फर्ट में ट्राइबर उत्कृष्ट है. रेनॉल्ट की सस्पेंशन ट्यूनिंग भारतीय सड़कों के लिए उपयुक्त है, जो गड्ढों और स्पीड ब्रेकर को अच्छी तरह अवशोषित करती है. शरीर में हल्का रोल होता है, लेकिन डैम्पिंग संतुलन प्रभावशाली है. स्टीयरिंग शहर में हल्की और आसान है, उच्च गति पर वजन बढ़ता है. स्टीयरिंग व्हील कार के आकार के लिए थोड़ा छोटा लगता है और लॉक-टू-लॉक मूवमेंट में थोड़ी कमजोरी है. ट्राइबर तेज हैंडलिंग के लिए नहीं है, लेकिन नियंत्रण में अच्छा रहता है और मोड़ से निकलते समय स्थिर रहता है. 182 मिमी की ग्राउंड क्लीयरेंस भारतीय सड़कों के लिए पर्याप्त है और लोड होने पर सस्पेंशन ज्यादा नीचे नहीं झुकती.

बुध के गोचर के बाद इन 3 राशियों की किस्मत खुलेगी, होगी मालामाल!

ज्योतिश शास्त्र में बुध के गोचर या कहें राशि परिवर्तन को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में बुध को ग्रहों का राजकुमार कहा गया है. बुध वाणी, वाणिज्य-व्यापार के स्वामी माने जाते हैं. फिलहाल बुध तुला राशि में गोचर कर रहे हैं. 24 अक्टूबर यानी दिवाली के महापर्व के बाद बुध का राशि परिवर्तन होगा. 24 अक्टूबर को बुध तुला से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे. द्रिक पंचांग के अनुसार, बुध शुक्रवार 24 अक्टूबर को दोपहर के समय 12:39 बजे वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे. वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं. ये अग्नि तत्व वाली राशि है. बुध का इस प्रवेश व्यक्ति की सोच, संवाद शैली, निर्णय क्षमता को साहसी और गहरा करता है. मंगल की राशि में बुध ग्रह का यह गोचर तीन राशि के जातकों के लिए विशेष लाभकारी हो सकता है. तीन राशि वालों के करियर, निवेश और व्यापार में चमत्कारी बदलाव आ सकते हैं, तो आइए जानते हैं भाग्यशाली राशियां कौन-सी हैं. वृश्चिक राशि बुध का वृश्चिक राशि में गोचर इस राशि के जातकों के संपूर्ण व्यक्तित्व को निखार सकता है. वाणी में प्रभाव बढ़ सकता है. विचारों को महत्व दिया जा सकता है. आत्मविश्वास के साथ फैसले लेने पर करियर और कारोबार को ऊंचाई मिल सकती है. मिथुन राशि बुध का वृश्चिक राशि में गोचर मिथुन राशि वाले जातकों को रणनीतिक लाभ दे सकता है. नई योजनाएं बना सकते हैं. कोई पुराना अटका हुआ पैसा मिल सकता है. निवेश से लाभ के योग बन रहे हैं. जो जातक विदेश से आायात-निर्यात के काम में करते हैं उनको खास सफलता मिल सकती है. मेष राशि वृश्चिक राशि बुध का यह गोचर मेष राशि वालों के लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है. निवेश, बीमा, शेयर बाजार या पारिवारिक संपत्ति से जुड़े मामलों में लाभ के योग हैं. करियर में नई संभावनाएं बन सकती हैं. प्रमोशन मिल सकता है.

अगर 14 दिन चीनी छोड़ दी जाए तो शरीर पर क्या असर होगा? AIIMS एक्सपर्ट का जवाब जानिए

नई दिल्ली चीनी शरीर के लिए बहुत अच्छी नहीं है और आपको अगर इसका बहुत ज्यादा सेवन करने की आदत है तो फिर ये खबर आपके लिए ही है. आपको अपनी इस आदत को बदलने और चीनी के सेवन पर नियंत्रण रखने पर विचार करना चाहिए. आपको जानकर हैरानी होगी लेकिन सिर्फ दो हफ्तों तक चीनी छोड़ने से आपको अपने चेहरा साफ-सुथरा लगेगा, स्किन अंदर से क्लियर होगी, शरीर की सूजन और पेट की चर्बी में कमी दिखेगी और पेट की सेहत में भी सुधार जैसे कई बदलाव देखने को मिलेंगे. एम्स, हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड जैसे मशहूर संस्थानों से ट्रेनिंग ले चुके गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ सेठी ने अपने एक नए इंस्टाग्राम पोस्ट में दो हफ्तों तक अपनी डाइट से चीनी हटाने के बाद होने वाले कई पॉजिटिव बदलावों की जानकारी दी. डॉ. सेठी ने 15 अक्टूबर को अपने इंस्टाग्राम पोस्ट के कैप्शन में लिखादो हफ्तों तक चीनी छोड़ने पर क्या होता है? क्या आपको लगता है कि आप दो हफ्ते बिना चीनी के रह सकते हैं? वास्तव में आपके शरीर को ये अनुभव हो सकते हैं. आंखों के आसपास सूजन या लिक्विड्स का जमाव कम होगा डॉ. सेठी के अनुसार, चीनी छोड़ने से चेहरे की सूजन और फैट कम हो सकता है जिससे आपका चेहरा अधिक नेचुरल और शार्प दिखता है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि यह बदलाव लिवर में जमा फैट कम करने में मदद कर सकता है जिससे पेट की चर्बी कम जमा होती है. उन्होंने कहा, अगर आप सिर्फ 2 हफ्ते के लिए चीनी का सेवन बंद कर दें तो आपकी आंखों के आसपास सूजन या तरल पदार्थ का जमाव भी कम हो जाएगा. जैसे-जैसे आपके लिवर में फैट कम होने लगेगा, आपको पेट की चर्बी में भी कमी दिखाई देगी. चीनी छोड़ने से पेट ज्यादा खुश रहता है डॉ. सेठी ने यह भी बताया कि चीनी छोड़ने से आंत (इंटेस्टाइन) के माइक्रोबायोम को आंत को स्वस्थ रखने में मदद मिलती है. उन्होंने आगे कहा कि मुंहासे या लालिमा जैसी त्वचा की समस्याओं वाले लोगों को चीनी कम करने से त्वचा साफ दिख सकती है. उन्होंने कहा, चूंकि चीनी छोड़ने से आंत के हेल्दी माइक्रोबायोम ज्यादा खुश रहते हैं तो अगर आपको कील-मुंहासे या लाल धब्बे हैं तो आपकी त्वचा में सुधार होता है और वो ज्यादा साफ दिखती है. दरअसल चीनी इन्फ्लेमेशन (सूजन) को बढ़ाती है जो कील, मुंहासे जैसी कई त्वचा की दिक्कतों का कारण बन सकता है. इसलिए चीनी छोड़ने से आपकी त्वचा साफ और चमकदार हो सकती है. शुरुआत में चीनी छोड़ना मुश्किल हो सकता है. लेकिन यह नामुमकिन नहीं है. आपको ये लंबे समय में कई फायदे दे सकता है.

चार महीने से नहीं मिला ग्राहक, जुलाई में 0 सेल… इस कार का बाजार से हुआ सफाया

मुंबई  भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार में जापानी कार निर्माता निसान इंडिया के लिए हालात लगातार चुनौतीपूर्ण होते जा रहे हैं। जहां कंपनी की किफायती SUV मैग्नाइट अभी भी उसकी बिक्री को कुछ हद तक संभाले हुए है, वहीं ब्रांड की प्रीमियम SUV एक्स-ट्रेल (X-Trail) का प्रदर्शन लगातार निराशाजनक साबित हो रहा है। सितंबर 2025 में एक बार फिर इस लग्जरी SUV की एक भी यूनिट नहीं बिकी, जो कंपनी के लिए लगातार चौथा महीना है जब इस मॉडल ने शून्य बिक्री दर्ज की है। निसान ने एक्स-ट्रेल को भारतीय बाजार में एक फुली लोडेड, 7-सीटर प्रीमियम SUV के रूप में पेश किया था। इसके बावजूद ग्राहकों की तरफ से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं मिल रही। कंपनी इसे सिर्फ एक सिंगल वेरिएंट में बेचती है, जिसकी एक्स-शोरूम कीमत ₹49.92 लाख है।  इस कार में 7 एयरबैग, 4WD सिस्टम और कई एडवांस्ड सेफ्टी फीचर्स मौजूद हैं, जो इसे ग्लोबल लेवल की SUV बनाते हैं। लेकिन भारी कीमत और सीमित डीलर नेटवर्क ने इसे प्रतिस्पर्धा में पीछे धकेल दिया है। अगर बिक्री के आंकड़ों पर नजर डालें, तो जनवरी और फरवरी 2025 में एक्स-ट्रेल की एक भी यूनिट नहीं बिकी। मार्च में 15 यूनिट, अप्रैल में 76 यूनिट और मई में 20 यूनिट की बिक्री हुई। इसके बाद जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर में बिक्री का आंकड़ा फिर से शून्य (00 यूनिट) पर लौट आया। यानी पूरे साल में अब तक इस SUV की सिर्फ 111 यूनिट ही बिक पाई हैं। यह आंकड़ा साफ दिखाता है कि भारतीय बाजार में यह मॉडल ग्राहकों से लगभग कटा हुआ है। निसान एक्स-ट्रेल एक D1 सेगमेंट की प्रीमियम SUV है, जो अपने दमदार लुक और ग्लोबल डिजाइन के लिए जानी जाती है। इंटरनेशनल मार्केट में इसका हाइब्रिड वर्जन उपलब्ध है, जिसमें ई-पावर टेक्नोलॉजी और मल्टीपल ड्राइविंग मोड्स मिलते हैं। भारत में आने वाला वर्जन भी आधुनिक फीचर्स से लैस है, जिसमें डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर, पैनोरमिक सनरूफ, 3-जोन क्लाइमेट कंट्रोल और प्रीमियम इंटीरियर शामिल हैं। फिर भी, इस SUV को भारतीय ग्राहकों से उम्मीद के मुताबिक रिस्पॉन्स नहीं मिला। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इसके पीछे कई कारण हैं — पहला, निसान ब्रांड की कमजोर उपस्थिति। कंपनी ने पिछले कुछ वर्षों में भारत में बहुत कम नए मॉडल लॉन्च किए हैं, जिससे ब्रांड कनेक्ट कमजोर हुआ है। दूसरा, डीलर और सर्विस नेटवर्क बहुत सीमित है, खासकर टियर-2 और टियर-3 शहरों में। तीसरा बड़ा कारण इसकी उच्च कीमत है, जो संभावित खरीदारों को टाटा हैरियर, हुंडई टक्सन या मारुति ग्रैंड विटारा जैसी SUVs की ओर खींच ले जाती है। सेगमेंट में निसान एक्स-ट्रेल की टक्कर टोयोटा फॉर्च्यूनर और एमजी हेक्टर प्लस जैसी कारों से है, जिनका बाजार में मजबूत ग्राहक आधार है। वहीं, निसान की ओर से कोई विशेष मार्केटिंग या प्रोमोशनल कैंपेन न होने की वजह से भी यह SUV ग्राहकों के बीच चर्चा से बाहर रही है। अगर निसान भारत में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहती है, तो उसे अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को दोबारा सोचना होगा। सिर्फ एक या दो मॉडल्स पर निर्भर रहकर वह भारतीय बाजार जैसे प्रतिस्पर्धी क्षेत्र में टिक नहीं सकती। एक्स-ट्रेल जैसी प्रीमियम SUV का बार-बार “जीरो सेल्स” दर्ज करना यह संकेत देता है कि ब्रांड को अब अपने स्ट्रैटेजी में बड़ा बदलाव लाना जरूरी है।

बिहार चुनाव में विशेष व्यवस्था: बुर्का-घूंघट वाली वोटर्स की पहचान के लिए फिर लागू होगा पुराना नियम

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव और सात राज्यों में आठ विधान सभा सीटों पर उपचुनाव में पर्दानशीन यानी घूंघट, बुर्का, नक़ाब, हिजाब में आने वाली वोटर्स को पहचान के लिए पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त तिरुनेल्लई नारायण अय्यर शेषन यानी टीएन शेषन के 1994 में जारी आदेश पर अमल करने का निर्देश दिया गया है. यानी शेषन का हुक्म 35 साल बाद भी रामबाण है. टीएन शेषन के आदेश के अनुसार, संविधान के अनुच्छेद 326 में प्रावधान है कि लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के चुनाव सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. अनुच्छेद 326 में प्रावधान है कि लोकसभा और राज्यों की विधान सभाओं के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. लोकसभा और प्रत्येक राज्य की विधान सभा के लिए निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर होंगे. यानि की प्रत्येक व्यक्ति जो भारत का नागरिक है और जिसकी आयु ऐसी तारीख को अठारह साल से कम नहीं है, जो समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त नियत की जाए और जो इस संविधान या समुचित विधान-मंडल द्वारा बनाई गई किसी विधि के अधीन अनिवास, चित्त की विकृति, अपराध या भ्रष्ट या अवैध आचरण के आधार पर अन्यथा निरर्हित नहीं है, ऐसे किसी निर्वाचन में मतदाता के रूप में पंजीकृत होने का हकदार होगा. संविधान के अनुच्छेद 325 में आगे प्रावधान किया गया है कि धर्म, मूलवंश, जाति या लिंग के आधार पर कोई भी व्यक्ति किसी विशेष निर्वाचक नामावली में सम्मिलित होने के लिए अपात्र नहीं होगा या सम्मिलित होने का दावा नहीं कर सकेगा. संसद के किसी सदन या किसी राज्य के विधानमंडल के किसी सदन या सदन के लिए निर्वाचन हेतु प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक सामान्य निर्वाचक नामावली होगी और कोई भी व्यक्ति केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या इनमें से किसी के आधार पर किसी ऐसी नामावली में सम्मिलित होने के लिए अपात्र नहीं होगा या किसी ऐसे निर्वाचन क्षेत्र के लिए किसी विशेष निर्वाचक नामावली में सम्मिलित होने का दावा नहीं कर सकेगा. इस प्रकार, देश में महिला वोटर्स को लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के चुनावों के मामले में वही निर्वाचन अधिकार प्राप्त हैं जो पुरुष मतदाताओं को दिए गए हैं. लेकिन यह देखा गया है कि कुछ राज्यों या राज्यों के कुछ क्षेत्रों में उक्त चुनावों में महिला वोटर्स की भागीदारी पुरुष वोटर्स की तुलना में तुलनात्मक रूप से कम रही है. चुनावों में महिला वोटर्स की भागीदारी के इतने कम प्रतिशत के कई कारण हो सकते हैं, इनमें से कई कारण सामाजिक और धार्मिक वर्जनाओं के कारण हो सकते हैं, विशेष रूप से किसी विशेष समुदाय की पर्दानशीन महिलाओं या कुछ अन्य समुदायों की महिलाओं के बीच जो परिवार और गांव के बुजुर्गों की उपस्थिति में पर्दा प्रथा का पालन करती हैं, या कुछ आदिवासी क्षेत्रों में भावनात्मक कारणों के कारण हो सकते हैं, विशेष रूप से उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में. आयोग चुनावों में महिला वोटर्स की इतनी कम भागीदारी को लेकर बेहद चिंतित है. आयोग चाहता है कि ऐसे सभी कदम उठाए जाएं जिनसे ज़्यादा से ज़्यादा महिला मतदाता बिना किसी हिचकिचाहट के चुनावी प्रक्रिया में पूरी तरह से भाग ले सकें और चुनाव ज़्यादा सार्थक और लोकतांत्रिक बन सकें. विशेष रूप से, आयोग यह सुनिश्चित करना चाहता है कि किसी भी महिला मतदाता को अपने मताधिकार से वंचित न किया जाए या उसके प्रयोग में बाधा न आए. मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला वोटर्स की गोपनीयता, गरिमा और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए पहचान या अमिट स्याही लगाने के मामले में, किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला वोटर्स की गोपनीयता, गरिमा और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला मतदाताओं की पहचान या अमिट स्याही लगाने के मामले में, किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, मतदान केन्द्र में किसी भी प्रकार की सुविधा की कमी के कारण, विशेष रूप से महिला मतदाताओं की गोपनीयता, गरिमा और शालीनता का पूर्ण ध्यान रखते हुए निर्वाचन संचालन नियम, 1961 के नियम 34 में विशेष रूप से प्रावधान है कि जहां मतदान केन्द्र पुरुष और महिला दोनों वोटर्स के लिए हैं, वहां पीठासीन अधिकारी निर्देश दे सकेगा कि उन्हें मतदान केन्द्र में बारी-बारी से अलग-अलग समूहों में प्रवेश दिया जाएगा. रिटर्निंग अधिकारी या पीठासीन अधिकारी किसी मतदान केन्द्र पर महिला निर्वाचकों की सहायता करने के लिए तथा सामान्यतः महिला निर्वाचकों के संबंध में मतदान कराने में पीठासीन अधिकारी की सहायता करने के लिए तथा विशेष रूप से, यदि आवश्यक हो तो किसी महिला निर्वाचक की तलाशी लेने में सहायता करने के लिए किसी महिला को परिचारिका के रूप में नियुक्त कर सकेगा. यह सुनिश्चित करने के लिए कि महिला मतदाता चुनाव में पूरी तरह से भाग लें और महिला वोटर्स का मतदान प्रतिशत बेहतर हो, आयोग ने समय-समय पर कई निर्देश जारी किए हैं. आयोग ने 'रिटर्निंग ऑफिसर्स के लिए हैंडबुक' के अध्याय 2 में पहले ही निर्देश जारी कर दिए हैं कि जिन स्थानों पर एक ही भवन या परिसर में दो मतदान केंद्र स्थापित हैं, वहाँ एक को पुरुषों के लिए और दूसरे को महिलाओं के लिए आवंटित करने में कोई आपत्ति नहीं है. आयोग ने आगे स्पष्ट किया है कि सामान्य मतदान केंद्रों में भी पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग कतारें बनाई जानी चाहिए. आयोग ने यह भी निर्देश दिया है कि जब किसी विशेष मतदान क्षेत्र के पुरुष और महिला मतदाताओं के लिए अलग-अलग मतदान केंद्र बनाए जाते हैं, तो उन्हें यथासंभव एक ही भवन में स्थित होना चाहिए. इस संबंध में रिटर्निंग अधिकारियों के लिए पुस्तिका के अध्याय 9 की ओर भी ध्यान आकृष्ट किया जाता है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि जहां महिला वोटर्स की संख्या अधिक है, विशेषकर पर्दानशीन महिलाएं, वहां वोटर्स की पहचान करने का कार्य करने के लिए महिला मतदान अधिकारियों की नियुक्ति की जानी चाहिए. ताकि सामाजिक या धार्मिक … Read more