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इंडेक्स घोटाले में CBI की छापेमारी, रसूखदारों रविशंकर महाराज, डीपी सिंह और भदौरिया कसा शिकंजा

रायपुर  CBI ने प्रदेश के प्रसिद्ध संत व रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन रविशंकर महाराज(Rawatpura Sarkar) के खिलाफ FIR दर्ज की है. उनके खिलाफ ये FIR कॉलेज को मान्यता देने और सीटें बढ़ाने के लिए नेशनल मेडिकल काउंसिल यानी NMC  की टीम को रिश्वत देने के मामले में दर्ज कराई गई है. दरअसल CBI को लंबे समय से शिकायत मिल रही थी कि NMC के कुछ अधिकारी अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रिश्वत लेकर निजी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं. इसी सूचना के आधार पर CBI ने ट्रैप तैयार किया और बेंगलुरू में इंस्पेक्शन टीम के एक डॉक्टर को 55 लाख रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया. वैसे रावतपुरा सरकार की मुश्किलें यहीं खत्म होती नहीं दिख रही है. रायपुर स्थित रावतपुरा सरकार के इस मेडिकल कॉलेज का जीरो ईयर भी घोषित किया जा सकता है. इस पूरी जांच में श्री रावतपुरा समेत आठ राज्यों के मेडिकल कालेज प्रबंधन से पैसे लेकर मान्यता देने का मामला सामने आया है.  CBI ने छापे की ये कार्रवाई बीते 1 जुलाई को की. CBI टीम ने तब कर्नाटक,मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़,राजस्थान,उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत 6 राज्यों में 40 जगह छापे मारे थे.  जिसमें तीन डॉक्टर समेत 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. अब CBI ने इसी मामले में श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल साइंस और उसके चेयरमैन श्री रविशंकर जी महाराज और निदेशक अतुल तिवारी समेत 35 लोगों को आरोपी बनाया है. अब आप ये जान लीजिए कि किन-किन लोगों को आरोपी बनाया गया है.  इसके अलावा, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Ministry of Health and Family Welfare) के अधिकारी जीतू लाल मीना (Jeetu Lal Meena), धर्मवीर (Dharmveer), पीयूष माल्यान (Piyush Malyan), राहुल श्रीवास्तव (Rahul Srivastava), अनूप जायसवाल (Anup Jaiswal) जैसे नाम भी चार्जशीट में दर्ज हैं.  कौन हैं रावतपुरा सरकार? संत रविशंकर महाराज को ही मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत उत्तर भारत के लोग रावतपुरा सरकार के नाम से जानते हैं. उनके भक्तों की सूची कई बड़े राजनेता भी शामिल हैं. अध्यात्म की दुनिया में वे बड़ा नाम हैं. वो रायपुर स्थित श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस के चेयरमैन भी हैं. इसी इंस्टीट्यूट के मामले में CBI ने जो FIR दर्ज की है उसमें उनका नंबर चौथा है. संत रविशंकर महाराज का जन्म 12 जुलाई 1968 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के छिपरी गांव में हुआ था. उनका बचपन का नाम रवि था, जो उनके नाना-नानी ने रखा था. उनके पिता,कृपाशंकर शर्मा, एक ग्राम सेवक थे. उनकी मां का नाम रामसखी शर्मा है. उन्हें करीब से जानने वाले बताते हैं कि तब वे स्कूल जाने के बजाय अक्सर गांव से 2 किलोमीटर दूर शारदा माता मंदिर के पास एक गुफा में ध्यान लगाने चले जाते थे. उनकी माँ को कई बार उन्हें गुफा से निकालकर घर लाना पड़ता था. कई बार उनकी मां को गुफा में रवि के कपड़े भीगे हुए मिले, जैसे उन्होंने कुएं में डुबकी लगाई हो.  11 वर्ष की उम्र में घर छोड़ा और बन गए बाबा ऐसा कहा जाता है कि रावतपुरा सरकार 11 साल की उम्र में  आध्यात्मिक खोज में निकल पड़े थे. यह निर्णय उनके परिवार के लिए चिंता का विषय था, क्योंकि वे परिवार के सबसे बड़े बेटे थे और उनसे जिम्मेदारियों की उम्मीद थी. फिर भी, उनकी आध्यात्मिक रुचि ने उन्हें रावतपुरा गांव (लहार, भिंड, मध्य प्रदेश) में हनुमान मंदिर के पास ले गई, जहां उन्होंने साधना शुरू की. यहीं से उन्हें "रावतपुरा सरकार" की उपाधि मिली.रावतपुरा गांव में हनुमान मंदिर के पास साधना के बाद रविशंकर महाराज ने रावतपुरा धाम को अपने आध्यात्मिक केंद्र के रूप में विकसित किया. उनका आश्रम धीरे-धीरे भक्तों के लिए एक प्रमुख केंद्र बन गया।  यूनिवर्सिटी और मेडिकल कॉलेज भी बनवाए साल 2000 में, रविशंकर जी महाराज ने रावतपुरा सरकार लोक कल्याण ट्रस्ट की स्थापना की. इस ट्रस्ट ने मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में शिक्षा,स्वास्थ्य और सामाजिक सेवा के क्षेत्र में व्यापक काम किए. ट्रस्ट के तहत स्कूल, कॉलेज,अस्पताल,ब्लड बैंक,नर्सिंग कॉलेज और वृद्धाश्रम जैसे संस्थान चलाए जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में श्री रावतपुरा यूनिवर्सिटी की स्थापना की गई. जिसमें इंजीनियरिंग,मैनेजमेंट,फार्मेसी,कॉमर्स,साइंस और आर्ट्स जैसे क्षेत्रों में डिप्लोमा, स्नातक, स्नातकोत्तर और पीएचडी प्रोग्राम प्रदान की जाती है. इसके अलावा वा रायपुर में श्री रावतपुरा सरकार इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (SRIMSR) की भी स्थापना की गई.इसी मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए रिश्वत कांड में उनके खिलाफ सीबीआई ने FIR दर्ज की है. कौन हैं रावतपुरा सरकार के नाम से मशहूर रविशंकर महाराज? छत्तीसगढ़ में श्री रावतपुरा सरकार मेडिकल कॉलेज की मान्यता के लिए मनचाही रिपोर्ट देने के लिए 55 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में 3 डॉक्टरों समेत कुल 6 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसके बाद एक बार फिर रावतपुरा महाराज सुर्खियों में आ गए हैं.  दरअसल, रावतपुरा सरकार के नाम से मशहूर रविशंकर महाराज इस मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन भी हैं. आखिर कौन हैं रावतपुरा सरकार और कैसे मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ की बड़ी हस्तियां इनके आशीर्वाद के लिए जाते हैं? यह समझने की कोशिश करते हैं. रविशंकर महाराज कैसे बने रावतपुरा सरकार!  दरअसल, रावतपुरा सरकार की प्रसिद्धि की शुरुआत भिंड के लहार स्थित उनके आश्रम की वजह से हुई. जहां रावतपुरा सरकार का यह आश्रम एक प्राचीन हनुमान मंदिर के पास स्थित है. रावतपुरा में हर रोज हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं.  यहां संत ही ‘सरकार’ हैं! रविशंकर महाराज का जन्म बुंदेलखंड के टीकमगढ़ जिले के छिपरी गांव में हुआ था. इनका बचपन काफी आर्थिक परेशानियों के बीच गुजरा. आगे चलकर उनके माता-पिता ने रविशंकर महाराज का दाखिला ओरछा के रामराजा संस्कृत विद्यालय में करवा दिया ताकि वो पुरोहित का काम सीख सकें, लेकिन यहां उनका मन नहीं लगा और वो पढ़ाई बीच में ही छोड़कर रावतपुरा गांव पहुंच गए और यहां स्थित हनुमान मंदिर में साधना शुरू कर दी.  मंदिर में प्राप्त हुईं सिद्धियां स्थानीय लोग बताते हैं कि इसी मंदिर में रविशंकर महाराज को सिद्धियां प्राप्त हुईं और उन्होंने अपना दरबार लगाना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे मंदिर में रविशंकर महाराज को मानने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी, पर वहां जगह की कमी को देखते हुए बात में रावतपुरा धाम की स्थापना की गई, जहां एक विशाल आश्रम बनाया गया. ट्रस्ट बनने … Read more

दुर्ग : होटल सागर इंटरनेशनल के मालिक विजय अग्रवाल के ठिकानों पर ED की रेड

दुर्ग  छत्तीसगढ़ के एक बड़े कारोबारी के घर ईडी की टीम पहुंची है. ईडी की रेड दुर्ग जिले में पड़ी है. दीपक नगर दुर्ग में छत्तीसगढ़ के एक बड़े कारोबारी, होटल व्यवसायी और सागर होटल के मालिक विजय अग्रवाल के बंगले पर ईडी छापे की कार्रवाई जारी है. दुर्ग में होटल व्यवसायी के घर ईडी: सूत्रों के अनुसार, सुबह-सुबह 6:00 बजे दो गाड़ियों में सवार होकर ईडी के अधिकारी होटल व्यवसायी के घर पहुंचे.उन्होंने पहले गेट पर तैनात निजी सुरक्षा गार्ड से परिचय पत्र दिखाकर दरवाजा खुलवाया, फिर घर के अंदर प्रवेश कर पूरे परिसर को अपने नियंत्रण में ले लिया. दुर्ग में सागर होटल के मालिक के घर ईडी बताया जा रहा है कि ईडी अधिकारियों ने परिवार के सदस्यों को जांच में सहयोग करने की बात कही और घर में मौजूद दस्तावेजों की गहनता से जांच-पड़ताल शुरू कर दी है. अचानक हुई कार्रवाई से क्षेत्र के व्यापारियों और स्थानीय निवासियों में खलबली मच गई है. छापेमारी की कार्रवाई जारी है. सुरक्षा के लिए सीआरपीएफ के जवान साथ में तैनात हैं. सुबह 6 बजे 2 गाड़ियों में पहुंचे ईडी के अधिकारी  कौन है विजय अग्रवाल: विजय अग्रवाल दुर्ग स्टेशन के सामने स्थित सागर होटल के मालिक हैं और स्थानीय होटल व्यवसाय में उनका मजबूत दबदबा है. ईडी की इस कार्रवाई का आधिकारिक कारण सामने नहीं आया है, लेकिन अनुमान है कि यह दबिश वित्तीय अनियमितताओं और संदिग्ध लेन-देन से जुड़ी हो सकती है. होटल व्यवसायी के घर ईडी 4 जुलाई को भिलाई में ईडी का छापा: ईडी पिछले कुछ दिनों में प्रदेश में सक्रिय है. बीते 4 जुलाई को ईडी ने कारोबारी सौरभ आहूजा के बड़े भाई को पूछताछ के लिए रायपुर स्थित ईडी दफ्तर बुलाया था. ईडी को शक था कि राजस्थान के जयपुर में शादी के बहाने सौरभ आहूजा ने कई महत्वपूर्ण लोगों से मुलाकात और नेटवर्किंग की योजना बनाई है. मामला ऑनलाइन बेटिंग एप से जुड़ा हुआ है. 5 जुलाई को सोना तस्करी सिंडिकेट पर ईडी की कार्रवाई: विदेशी मूल की तस्करी का सोना खरीदने और आपूर्ति के मामले में ईडी ने कार्रवाई करते हुए रायपुर सोना तस्करी सिंडिकेट के दो सदस्यों सचिन केदार और पुरुषोत्तम कावले की 3.76 करोड़ की संपत्ति अस्थायी तौर पर कुर्क की थी. 

पत्रकारिता विश्वविद्यालय में NEP-2020 पर केंद्रित कार्यशाला का आयोजन

रायपुर कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, रायपुर में राष्ट्रीय शिक्षा नीतिः 2020 के पुनः उन्मुखीकरण को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य विश्वविद्यालय में लागू स्नातक पाठ्यक्रमों में एनईपी के एक वर्ष के क्रियान्वयन की समीक्षा करना और आवश्यक सुधारों पर विचार करना था। कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति एवं रायपुर संभागायुक्त महादेव कावरे ने कहा कि एनईपी 2020 न केवल रोजगार के नए अवसर सृजित करेगी, बल्कि यह युवाओं को उनकी स्थानीय परंपरा और ज्ञान से जोड़ने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि यह नीति विद्यार्थियों को किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रखेगी, बल्कि उन्हें व्यावहारिक कौशल और सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का अवसर देगी, जिससे वे देश के विकास में सक्रिय भूमिका निभा सकें। प्रथम तकनीकी सत्र में उच्च शिक्षा के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (NEP) डॉ. डी.के. श्रीवास्तव ने नीति के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एनईपी बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देती है, जिसमें छात्र अपनी रुचि एवं भविष्य की आवश्यकताओं के अनुसार विषयों का चयन कर सकते हैं। इसका उद्देश्य एक समग्र और लचीला शिक्षा प्रणाली को विकसित करना है। द्वितीय तकनीकी सत्र में उच्च शिक्षा के संयुक्त संचालक डॉ. जी.ए. घनश्याम ने भारतीय ज्ञान परंपरा और भारत दर्शन पर विचार रखते हुए कहा कि यह नीति आधुनिकता और सांस्कृतिक मूल्यों के बीच सेतु का कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि छात्रों को भारत की समृद्ध चिंतन परंपरा और नैतिक मूल्यों से जोड़ना एनईपी का अहम लक्ष्य है, जिससे वे जिम्मेदार नागरिक बन सकें। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुनील कुमार शर्मा ने एनईपी को वर्तमान और भविष्य की रोजगार आवश्यकताओं के अनुरूप बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य केवल डिग्री प्रदान करना नहीं, बल्कि व्यावसायिक कौशल और बाज़ार योग्यताओं से छात्रों को लैस करना है। कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के एनईपी संयोजक पंकज नयन पाण्डेय ने एनईपी 2020 पर वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा बीते एक वर्ष में पाठ्यक्रम संरचना और वैकल्पिक विषयों के क्रियान्वयन के तहत अनेक प्रभावी पहल की गई हैं, जिससे छात्रों को अपनी रुचियों के अनुरूप अध्ययन का अवसर मिला है।  इस अवसर पर विभागाध्यक्ष शैलेन्द्र खंडेलवाल, डॉ. नृपेंद्र कुमार शर्मा, डॉ. आशुतोष मांडवी, डॉ. राजेंद्र मोहंती, उप कुलसचिव सौरभ शर्मा, विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों के प्राचार्य, प्राध्यापकगण एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। ’विश्वविद्यालय परिसर में बिहान कैंटीन का शुभारंभ’ इसी दिन विश्वविद्यालय परिसर में ‘बिहान कैंटीन’ का भी शुभारंभ कुलपति महादेव कावरे द्वारा किया गया। यह कैंटीन जिला पंचायत रायपुर के माध्यम से बिहान स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित की जा रही है। इस अवसर पर कुलसचिव सुनील कुमार शर्मा, सहायक कुलसचिव डॉ. देव सिंह पाटिल एवं अन्य अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना केवल आधारभूत ढांचे के विकास से नहीं, जैविक विविधता की रक्षा से ही पूर्ण होती:CM

रायपुर जैव विविधता एवं आर्द्रभूमियों (वेटलैण्ड्स) के संरक्षण के उद्देश्य से आज नवा रायपुर स्थित दण्डकारण्य अरण्य भवन में एक उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, उपमुख्यमंत्रीद्वय अरुण साव एवं विजय शर्मा सहित कैबिनेट के सभी मंत्री एवं विधायकगण उपस्थित थे।  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि विकसित छत्तीसगढ़ की परिकल्पना केवल आधारभूत ढांचे के विकास से नहीं, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन और जैविक विविधता की रक्षा से ही पूर्ण होती है। उन्होंने आह्वान किया कि हर जनप्रतिनिधि व नागरिक जैव विविधता एवं वेटलैण्ड संरक्षण के लिए व्यक्तिगत दायित्व समझें और 'वेटलैण्ड मित्र' बनकर इस अभियान को जनांदोलन में परिवर्तित करें। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि जैव विविधता और वेटलैण्ड्स का संरक्षण केवल पर्यावरणीय आवश्यकता नहीं, बल्कि यह हमारी भावी पीढ़ियों की सुरक्षा का सवाल भी है। उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से जैव विविधता के संरक्षण में भागीदारी सुनिश्चित करने और “वेटलैण्ड मित्र” बनकर जनजागरण फैलाने का आग्रह किया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष राकेश चतुर्वेदी ने व्यापक प्रस्तुति दी। उन्होंने 1992 के अर्थ सम्मिट, जैव विविधता अधिनियम 2002, राष्ट्रीय जैव विविधता बोर्ड की भूमिका और जैव विविधता प्रबंधन समितियों की संरचना एवं कार्यों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ देश का तीसरा राज्य है, जहां जैव विविधता प्रबंधन समितियाँ प्रभावी रूप से कार्य कर रही हैं। आर्द्रभूमि संरक्षण के संदर्भ में प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरुण कुमार पाण्डेय ने बताया कि वेटलैण्ड्स पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने राज्य आर्द्रभूमि प्राधिकरण की कार्यप्रणाली और जिला स्तरीय आर्द्रभूमि संरक्षण समितियों के गठन की प्रक्रिया की जानकारी देते हुए बताया कि इन समितियों के माध्यम से स्थानीय स्तर पर वेटलैण्ड्स की निगरानी एवं संरक्षण को मजबूती मिल रही है। कार्यक्रम में यह जानकारी दी गई कि राज्य का गिधवा-परसदा पक्षी अभ्यारण्य अंतरराष्ट्रीय मानकों पर आधारित रामसर साइट बनने की पात्रता रखता है। इसके अतिरिक्त, बलौदाबाजार जिले के खोखरा ग्राम को छत्तीसगढ़ की पहली रामसर साइट के रूप में सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया प्रगति पर है। कार्यशाला के अंत में सभी जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों से “वेटलैण्ड मित्र” के रूप में जुड़कर जैव विविधता और आर्द्रभूमियों के संरक्षण हेतु सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की गई। यह भागीदारी राज्य में पर्यावरणीय चेतना को जनआंदोलन का रूप देने में सहायक होगी। इस अवसर पर मुख्य सचिव अमिताभ जैन, अपर मुख्य सचिव (वन) श्रीमती ऋचा शर्मा, छत्तीसगढ़ वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव राजेश कुमार चंदेले सहित अनेक वरिष्ठ अधिकारी एवं विशेषज्ञ उपस्थित थे।

विधानसभा परिसर में पौधरोपण कर मुख्यमंत्री ने दिया स्वच्छ पर्यावरण का संदेश

रायपुर, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज नवा रायपुर स्थित नवीन विधानसभा परिसर में विधिवत पूजा-अर्चना कर गुलमोहर का पौधा रोपित किया। मुख्यमंत्री साय 'एक पेड़ मां के नाम 2.0' वृक्षारोपण कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत, उप मुख्यमंत्री अरुण साव, उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, वन मंत्री केदार कश्यप सहित मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्य एवं विधानसभा के सभी सदस्यों ने भी गुलमोहर का पौधारोपण किया। कार्यक्रम में मुख्य सचिव अमिताभ जैन, विधानसभा सचिव दिनेश शर्मा, अपर मुख्य सचिव (वन) ऋचा शर्मा, छत्तीसगढ वन बल प्रमुख व्ही. श्रीनिवास राव, प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोंपज संघ अनिल साहू, प्रधान मुख्य वन संरक्षक अरुण कुमार पाण्डेय,मुख्य वन संरक्षक राजू अगासमणि भी उपस्थित थे।

जैन समाज ने की मुख्यमंत्री साय से मुलाकात, सामाजिक विषयों पर हुई चर्चा

विधानसभा भ्रमण पर आए प्रतिनिधियों ने साझा किए अनुभव, मानव सेवा के कार्यों में समाज की भूमिका की दी जानकारी रायपुर  मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से आज विधानसभा परिसर में दुर्ग जिले से आए जैन समाज के प्रतिनिधिमंडल ने सौजन्य मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को जैन समाज द्वारा मानव सेवा एवं सामाजिक उत्थान के लिए संचालित विभिन्न गतिविधियों की जानकारी दी। प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने विधानसभा परिसर के भ्रमण और सदन की कार्यवाही के अवलोकन के अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि यह उनके लिए एक प्रेरणादायक अवसर रहा। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था की कार्यप्रणाली को निकट से देखने का अवसर मिलना गौरवपूर्ण अनुभव है। मुख्यमंत्री श्री साय ने जैन समाज की सेवा भावना की सराहना करते हुए कहा कि समाज की सकारात्मक गतिविधियाँ प्रदेश के समावेशी विकास में सहायक सिद्ध हो रही हैं। उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को उनके सामाजिक कार्यों के लिए शुभकामनाएँ दीं। इस अवसर पर दुर्ग विधायक श्री गजेंद्र यादव भी उपस्थित रहे।

राज्य में 1,79,000 बॉटल नैनो डीएपी भंडारित, निरंतर आपूर्ति जारी

रायपुर,  राज्य में रासायनिक उर्वरको कोई कमी नहीं हैं। खरीफ सीजन 2025 के लिए सभी प्रकार के रासायनिक उर्वरक सहकारी समितियों एवं नीजि विक्रय केंद्रों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। वैश्विक परिस्थिति के चलते डीएपी खाद के आयात में कमी को देखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा इसके विकल्प के रूप में अन्य रासायनिक उर्वरकों की भरपूर आपूर्ति एवं वितरण की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। राज्य में डीएपी की आपूर्ति में कमी से किसानों को किसी भी तरह की दिक्कत न हो इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा इसके विकल्प के रूप में 179000 बॉटल नैनो डीएपी, एनपीके उर्वरक का लक्ष्य से 25 हजार मेट्रिक टन अधिक तथा एसएसपी का निर्धारित लक्ष्य से 50 हजार मेट्रिक टन का अतिरिक्त भंडारण किया गया है। पोटाश के निर्धारित लक्ष्य 60 हजार मेट्रिक टन के विरूद्ध अब तक 77 हजार मेट्रिक टन से अधिक म्यूरेट ऑफ पोटाश का भंडारण किया गया है। नैनो डीएपी जो कि ठोस डीएपी के विकल्प के रूप में बीज/थरहा, जड़ उपचार एवं बोआई/रोपाई के पश्चात खड़ी फसल में छिड़काव के लिए  उपयोगी है। नैनो डीएपी की निरंतर आपूर्ति राज्य में सरकार द्वारा सुनिश्चित की गई है। चालू खरीफ सीजन के लिए डीएपी उर्वरक के निर्धारित 3.10 लाख मेट्रिक टन लक्ष्य के विरूद्ध अब तक 1 लाख 63 मेट्रिक टन से अधिक का भंडारण हो चुका है। डीएपी की आपूर्ति निरंतर जारी है। अभी जुलाई माह में 48 हजार मेट्रिक टन डीएपी उर्वरक की आपूर्ति राज्य को होगी। राज्य के सहकारी क्षेत्र में उर्वरकों का भंडारण प्राथमिकता के आधार पर कराया गया है। राज्य के सहकारी क्षेत्र में डीएपी उर्वरक की उपलब्धता राज्य की कुल उपलब्धता का 62 प्रतिशत है। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक कुल 13.18 लाख मेट्रिक टन का भंडारण किया जा चुका है, जो गत वर्ष इसी अवधि में भंडारित 12.79 लाख मेट्रिक टन से लगभग 38 हजार मेट्रिक टन अधिक है। इस वर्ष एनपीके और एसएसपी का लक्षित मात्रा से क्रमशः 25,266 मेट्रिक टन एवं 71,363 मेट्रिक टन अधिक भंडारण किया गया है, जो डीएपी के विकल्प के रूप में उपयोग किया जा रहा है। राज्य में यूरिया 6 लाख मेट्रिक टन अधिक का भंडारण हुआ है। जुलाई एवं आगामी माह में यूरिया के शेष मात्रा की आपूर्ति होगी। यहां यह उल्लेखनीय है कि धान में यूरिया का उपयोग तीन बार किया जाता है। प्रथम बार बोआई/रोपाई के समय में, दूसरी बार कंसा निकलने के समय में बोआई/रोपाई से तीन चार सप्ताह बाद एवं तीसरी बार गभोट अवस्था में बोआई/रोपाई के 7 से 8 सप्ताह बाद, इस प्रकार यूरिया का सितम्बर माह के मध्य तक उपयोग किया जाता है। डीएपी उर्वरक का 1.63 लाख मेट्रिक टन भंडारण हुआ है। जुलाई माह के सप्लाई प्लान के अनुसार राज्य को 48 हजार 850 मेट्रिक टन डीएपी और मिलेगी। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार जुलाई माह में 25 हजार टन एनपीके की आपूर्ति संभावित है। एनपीके की अतिरिक्त आपूर्ति को मिलाकर कुल अतिरिक्त एनपीके 50 हजार 266 मेट्रिक टन से 22 हजार मेट्रिक टन डीएपी प्रतिपूर्ति होगी। इसी तरह एसएसपी की कुल अतिरिक्त आपूर्ति 1.47 लाख मेट्रिक टन से 50 हजार मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति होगी। इस प्रकार राज्य में एनपीके और एसएसपी के अतिरिक्त आपूर्ति से 72 हजार मेट्रिक टन डीएपी की प्रतिपूर्ति सुनिश्चित होगी।      मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने कहा है कि डीएपी खाद की कमी को लेकर किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसके विकल्प के रूप में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा अन्य रासायनिक उर्वरक जैसे- नैनो डीएपी, एनपीके और एसएसपी की भरपूर व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। इंदिरा कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों के सुझाव के अनुरूप किसान डीएपी के बदले उक्त उर्वरकों का प्रयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। सोसायटियों से किसानों को उनकी डिमांड के अनुसार खाद-बीज का पर्याप्त भंडारण किया गया है।

खाद संकट पर विपक्ष का वार, मानसून सत्र में गूंजा हंगामा

रायपुर विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन शून्यकाल के दौरान नेता-प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राज्य में खाद-बीज संकट का मुद्दा उठाया. विपक्ष की ओर से खाद-बीज की कमी के मुद्दे पर स्थगन लाया गया, लेकिन मंत्री के वक्तव्य के बाद विधानसभा अध्यक्ष के स्थगन को अग्राह्य करने पर वेल में आकर कांग्रेस के विधायकों की जमकर नारेबाजी की. विपक्ष के हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित की गई. स्थगन की सूचना देते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने कहा कि पूरे राज्य में खाद की भारी किल्लत है. किसान इससे दुःखी हैं, आक्रोशित हैं. इस पर स्थगन स्वीकार कर चर्चा कराई जाए. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में खाद संकट से किसान हलाकान है. सरकार खाद उपलब्ध कराने में नाकाम है. किसान बाहर बाजार से दोगुने भाव मे खाद खरीदने में मजबूर हैं. कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि किसानों को उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए जागरूक कर रहे हैं, वैकल्पिक खाद के उपयोग की भी जानकारी प्रशिक्षण के जरिए दी गई. फास्फेटिक खाद की आपूर्ति प्रभावित हुई, इसलिए हमने बहुत पहले से वैकल्पिक व्यवस्था की. नैनो उर्वरकों के उपयोग की अनुशंसा की गई है. बड़ी तादाद में इसका भंडारण भी किया जा चुका है. मंत्री ने बताया कि वैश्विक कारणों से रासायनिक खाद की आपूर्ति प्रभावित हुई. एनपीके उर्वरक का भंडारण लक्ष्य से ज्यादा हुआ है. पोटाश सहित अन्य खाद का भी भंडारण हुआ है. 28 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोअनी हो चुका है, जो पहले से ज्यादा है. मंत्री के वक्तव्य के बाद विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने विपक्ष का स्थगन अग्राह्य किया, स्थगन अग्राह्य होने और मंत्री के वक्तव्य से असंतुष्ट कांग्रेस के विधायकों ने वेल में आकर जमकर नारेबाजी. विपक्ष के हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही 5 मिनट के लिए स्थगित कर दी गई.

दलहन, तिलहन की फसल लेने पर भी किसानों को मिलेगा कृषक उन्नति योजना का फायदा

प्रति एकड़ 10 हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि मिलेगी कृषि विभाग ने जारी किए विस्तृत दिशा-निर्देश   बिलासपुर, राज्य सरकार की कृषक उन्नति योजना का फायदा धान के अलावा दलहन, तिलहन, मक्का, लघु धान्य फसल, कोदो, कुटकी, रागी एवं कपास फसल लेने वाले किसानों को भी मिलेगा। उन्हें प्रति एकड़ 10 हजार रूपए की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। राज्य शासन के कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग ने योजना के क्रियान्वयन के संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए है।     कृषि विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देश के अनुसार राज्य का अधिकांश क्षेत्र वर्षा आधारित होने से मौसमीय प्रतिकूलता एवं कृषि आदान लागत में वृद्वि के कारण कृषि आय में अनिश्चितता बनी रहती है। इसके फलस्वरूप कृषक फसल उत्पादन के लिए आवश्यक आदान जैसे उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, यांत्रिकीकरण एवं नवीन कृषि तकनीकी में पर्याप्त निवेश नहीं कर पाते है। राज्य सरकार द्वारा कृषि में पर्याप्त निवेश एवं काश्त लागत मंे राहत देने के लिये कृषक उन्नति योजना प्रारंभ की गई गई है। फसल विविधिकरण को प्रोत्साहन देने, दलहन तिलहन फसलों के क्षेत्र विस्तार तथा इनके उत्पादन में आत्म निर्भरता के लक्ष्य के साथ चिन्हित अन्य फसलों पर आदान सहायता राशि दिये जाने का निर्णय लिया गया है।   कृषक उन्नति योजना का लाभ केवल उन्ही कृषकों को मिलेगा जिन्होने एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीयन कराया है। विगत खरीफ मौसम में एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीकृत ऐसे कृषक जिन्होने धान फसल लगाये हों तथा प्रदेश की सहकारी समितियों में समर्थन मूल्य पर धान विक्रय किया हों, धान के स्थान पर अन्य खरीफ फसल हेतु किसान पोर्टल में पंजीकृत किसानों का पंजीयन तथा गिरदावरी में रकबे की पुष्टि उपरांत मान्य रकबे पर राशि रूपये 11000 प्रति एकड़ की दर से आदान सहायता राशि प्रदान की जावेगी। खरीफ मौसम में दलहन, तिलहन, मक्का, लघु धान्य फसल, कोदो, कुटकी, रागी एवं कपास फसल लेने वाले किसानों को एकीकृत किसान पोर्टल में पंजीयन तथा गिरदावरी में रकबे की पुष्टि उपरान्त मान्य रकबे पर राशि 10000 प्रति एकड़ की दर से आदान सहायता राशि प्रदान की जावेगी। योजना के दिशा-निर्देश अनुसार विधिक व्यक्तियों जैसे ट्रस्ट, मण्डल, प्राईवेट लिमिटेड, समिति, केन्द्र एवं राज्य शासन के संस्था, महाविद्यालय आदि संस्थाओं को योजना से लाभ लेने की पात्रता नहीं होगी। जो कृषक प्रमाणित धान बीज उत्पादन कार्यक्रम लेते हैं, और सामान्य धान भी सहकारी समितियों में विक्रय करते है, उनके द्वारा कुल विक्रय की जाने वाली धान की मात्रा, उनके कुल धारित रकबे की सीमा से अधिक नही होना चाहिये। इसे छ.ग. राज्य सहकारी विपणन संघ मर्या. एवं छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमि. द्वारा आपसी समन्वय से सुनिश्चित किया जाएगा। कृषकों को आदान सहायता राशि का भुगतान कृषि भूमि सिलिंग कानून के प्रावधानों के अध्याधीन किया जाएगा। कृषकों को आदान सहायता राशि कृषकों के बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से की जावेगी । खरीफ 2025 में प्रदेश के किसानों से उपार्जित धान की मात्रा पर धान (कॉमन) पर राशि रू. 731 प्रति क्वि. की दर से अधिकतम राशि रू. 15351 प्रति एकड़ तथा धान (ग्रेड-ए) पर राशि रू. 711 प्रति क्वि. की दर से अधिकतक राशि रू. 14931 प्रति एकड़ की दर से आदान सहायता राशि प्रदान किया जाएगा।  बीज उत्पादक कृषकों द्वारा छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड को विक्रय किये गये धान बीज पर निर्धारित आदान सहायता राशि की कृषकवार मांग का विवरण बीज निगम द्वारा संचालक कृषि को प्रेषित किया जाएगा। संचालक कृषि द्वारा मांग अनुसार राशि छ.ग. राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम लिमिटेड को उपलब्ध कराई जाएगी। उप संचालक कृषि श्री पी.डी. हथेश्वर ने बताया कि जिले में धान के अलावा अन्य फसलों में खेती लिए अरहर, कोदो, उड़द, आदि फसलों के बीजों का भंडारण समितियों में किया गया है। योजना से संबंधित अधिक जानकारी के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी अथवा कृषि विभाग के विकास खण्डों में स्थित कार्यालयों से जानकारी प्राप्त कर सकते है।

विशेष आवश्यकता वाले बच्चों हेतु आंकलन शिविर 21 से

बिलासपुर, समावेशी शिक्षा अंतर्गत विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के चिन्हांकन, आवश्यक उपकरण एवं उपचार का आकंलन एवं प्रमाणीकरण के लिए 21 जुलाई से 29 जुलाई तक शिविर का आयोजन किया जा रहा है। विकासखण्ड स्तरीय शिविर के तहत विकासखण्ड स्त्रोत केंद्र मस्तूरी में 21 जुलाई, कोटा में 22 जुलाई, तखतपुर में 23 जुलाई को शिविर का आयोजन किया जाएगा। इसी प्रकार बिल्हा ग्रामीण एवं शहरी के लिए 25 जुलाई को पंडित देवकीनंदन दीक्षित कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिलासपुर में एवं समस्त विकासखण्ड हेतु 29 जुलाई को पंडित देवकीनंदन दीक्षित कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिलासपुर में जिला स्तरीय मेगा शिविर का आयोजन किया जाएगा। उक्त शिविर निर्धारित तिथियों को सवेेरे 9 बजे से प्रारंभ होगी। शिविरों में दिव्यांगता प्रमाण पत्र, नवीनीकरण एवं यूडीआईडी कार्ड जारी किये जायेंगे।