samacharsecretary.com

समन्वय भवन में 5 जुलाई को होगा कार्यक्रम, मुख्यमंत्री डॉ. यादव होंगे मुख्य अतिथि

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता दिवस पर सहकारी युवा संवाद 5 जुलाई को सुबह 10 बजे समन्वय भवन में आयोजित किया गया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता सहकारिता मंत्री विश्वास कैलाश सारंग करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव युवाओं से सहकारी युवा संवाद करेंगे। कार्यक्रम को सहकारिता मंत्री सारंग भी संबोधित करेंगे और अपर मुख्य सचिव अशोक वर्णबाल द्वारा स्वागत उद्बोधन दिया जायेगा। अतिथियों एवं युवाओं के मध्य समावेशी एवं संवहनीय विकास में सहकारिता की भूमिका विषयक संवाद होगा। इस दौरान राज्य सहकारी संघ द्वारा क्रियान्वित भारत सरकार हस्तशिल्प विभाग के सीएचसीडीएस स्कीम के हस्तशिल्प प्रशिक्षणार्थियों को टूलकिट वितरण भी होगा। राज्य सहकारी संघ एवं अपेक्स बैंक ट्रेनिंग कॉलेज द्वारा इस संयुक्त आयोजन में विषय विशेषज्ञों द्वारा सहकारिता की अवधारणा एवं विकास, सहकारिताओं के प्रकार, सहकारिता की वैधानिक पृष्ठभूमि, सहकारी सेक्टर में स्वरोजगार की संभावनाएं और “सहकार से समृद्धि” योजना का विवरण एवं प्रगति के बारे में जानकारी दी जायेगी। कार्यक्रम की शुरूआत सहकारी गीत गायन से होगी। कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा सहकारी ध्वजारोहण एवं सहकारिता पर आधारित फिल्म का प्रदर्शन भी किया जायेगा।  

टेक्सटाइल एवं गारमेंट क्लस्टर में मध्यप्रदेश के 22 एमएसएमई उद्यमियों का एक्सपोज़र विजिट

भोपाल सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार की रैंप योजना एवं मध्यप्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग के नेतृत्व में 3 से 5 जुलाई 2025 तक सूरत के विख्यात टेक्सटाइल एवं गारमेंट क्लस्टर में मध्यप्रदेश के 22 एमएसएमई उद्यमियों का एक्सपोज़र विजिट जारी है। लघु उद्योग निगम इस विजिट की नोडल एजेंसी है। इस एक्सपोज़र विजिट में मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन, मंदसौर, धार, गुना आदि से चयनित एमएसएमई इकाइयों ने भाग लिया। इनका चयन पूर्व निर्धारित पात्रता मानदंडों के आधार पर किया गया जिससे उच्च विकास क्षमता वाली इकाइयों की भागीदारी सुनिश्चित की जा सके। इस भ्रमण का उद्देश्य एमएसएमई उद्यमियों को देश के प्रमुख औद्योगिक क्लस्टरों से अवगत कराना, सफल व्यावसायिक मॉडल से सीखने का अवसर देना और व्यावहारिक अनुभव के माध्यम से उनके कौशल को विकसित करना है। दौरे के पहले दिन गुरूवार को रैंप योजना के राज्य नोडल अधिकारी तथा उप मुख्य महाप्रबंधक- लघु उद्योग, श्री अनिल थागले ने प्रतिभागियों को योजना और इस दौरे के उद्देश्यों की विस्तृत जानकारी दी। मुख्य महाप्रबंधक ने भी प्रतिभागियों को संबोधित किया और इस प्रकार के अध्ययन दौरों की महत्ता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इस पहल से एमएसएमई इकाइयों को न केवल आधुनिक औद्योगिक प्रक्रियाओं को समझने का अवसर मिलता है बल्कि वे अपनी कार्यप्रणाली में सुधार लाकर प्रतिस्पर्धात्मक रूप से आगे भी बढ़ सकते हैं। दक्षिण गुजरात चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष श्री निखिल मद्रासी, मैन मेड टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (मंत्रा) के अध्यक्ष एवं प्रमुख उद्योगपति श्री रजनीकांत बच्छानीवाला तथा निदेशक श्री अरूप ने औद्योगिक क्लस्टरों पर आधारित उपयोगी जानकारियां साझा कीं। इन विशेषज्ञों ने क्लस्टर आधारित विकास, नवाचार और सहयोग के अवसरों पर प्रकाश डाला। एक्सपोज़र विजिट के दौरान प्रतिभागियों ने श्री योगानंद टेक्सटाइल्स प्रा. लि., प्लस के लाइट फैशन प्रा. लि., मंत्रा, लक्ष्मीपति समूह की इकाइयों आदि का भ्रमण कर बड़े पैमाने पर उत्पादन, ब्रांडिंग और विपणन रणनीतियों को भी समझा। उद्यमियों ने बताया कि विजिट में उन्हें उन्नत उत्पादन तकनीकों और बेहतर प्रबंधन तरीकों की जानकारी मिली। नेटवर्किंग, संभावित सहयोग और विस्तार के नए अवसरों की भी पहचान हुई। यह दौरा इस बात का भी परिचायक बना कि कैसे एमएसएमई इकाइयाँ देश की आर्थिक प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं और अपने क्षेत्रों में रोजगार सृजन व सामाजिक विकास को आगे बढ़ा सकती हैं। यह कार्यक्रम राज्य शासन की ज्ञान आदान-प्रदान एवं क्षमता निर्माण की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।  

अब लगाइए खूब तड़का आई गिरावट: सालों बाद सौ के नीचे पहुंचा दाम, अरहर दाल MSP पर खरीद रही मोहन सरकार

भोपाल अरहर दाल की कीमत अब जाकर तीन साल बाद सौ रुपए के अंदर पहुंची है। 2022 में अरहर दाल की कीमत 100 से 110 रुपए थी, अब यही कीमत इस समय हो गई है। चिल्हर में अच्छी क्वालिटी की दाल 100 रुपए और बहुत ज्यादा अच्छी क्वालिटी की कटनी की उपहार दाल 110 रुपए में मिल रही है। बीते साल के दिसंबर में ही अरहर दाल की कीमत चिल्हर में 180 रुपए थी। बीते साल तो इसके दाम दो सौ रुपए के पार भी गए। थोक में ही इसकी कीमत 190 रुपए तक चली गई थी। दूसरी दालों के दाम भी अब कम हो गए हैं। ज्यादातर दालों के दाम इस समय थोक में सौ रुपए के अंदर हैं। चिल्हर में दाम कुछ सौ रुपए के अंदर हैं। चिल्हर में दाम कुछ ज्यादा हैं।  भारत में ज्यादातर घरों में अरहर की दाल हर दिन बनने वाले भोजन में से एक है. शाकाहारी लोगों के लिए प्रोटीन का ये एक बड़ा आधार भी है. दाल फ्राई और दाल तड़का के शौकीन आपको जगह-जगह मिल जाएंगे. इसीलिए अरहर कितना भी महंगा क्यों न हो, थोड़ी ही सही लेकिन हर व्यक्ति खरीदता जरूर है. ऐसे में आम लोगों के लिए ये दाल कितना अहम है, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं. अब आम लोगों से जुड़ी खबर ही है, कि सालों बाद अरहर दाल के दाम 100 रुपए के आसपास आ चुके हैं. जो आम लोगों को राहत देने वाली खबर है. सालों बाद अरहर दाल हुआ है सस्ता अरहर दाल जिसे तुअर दाल, राहर दाल के नाम से भी जाना जाता है. साल 2022 में इसके दाम 100 रुपए से लेकर 110 रुपए तक आये थे. फिर उसके बाद अरहर दाल के दाम कुछ इस कदर बढ़े कि वो 200 रुपए तक पहुंच गया था. लंबे समय तक लोगों को अरहर दाल खाने के लिए महंगाई की मार झेलनी पड़ रही थी, लेकिन 3 साल बाद ही सही एक बार फिर से अरहर दाल की कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है. तुअर दाल के दाम कम हुए  अब वर्तमान में अरहर दाल की कीमत पहले से बहुत कम है. अलग-अलग क्वालिटी में अरहर दाल 80 रुपए से लेकर के 110 रुपए किलो तक बाजार में बिक रहा है. शहडोल सूर्या मार्ट के शशांक जैन बताते हैं कि "कई सालों बाद अरहर दाल के दाम इतने कम हुए हैं. इससे उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत जरूर मिलेगी." अलग-अलग दालों की कीमत किराना दुकान चलाने वाले अभिषेक गुप्ता बताते हैं कि "अरहर दाल की घटती कीमतों से उपभोक्ताओं को लंबे वक्त बाद थोड़ी बहुत राहत मिली है. तुअर दाल खुले बाजार में 80 रुपए से लेकर के 110 रुपए तक ब्रांड और क्वालिटी के हिसाब से बिक रहे हैं. उड़द दाल की बात करें तो 90-100 रुपए के आसपास बिक रहा है. मसूर दाल लगभग 70-80 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. चना दाल भी 80-90 रुपए प्रति किलो बिक रहा है. क्वालिटी के हिसाब से दाम थोड़े बहुत ऊपर नीचे हो सकते हैं, लेकिन जिस तरह से कई सालों के बाद अरहर दाल के दाम घटे हैं. उसने सालों बाद उपभोक्ताओं को बड़ी राहत दी है." किचन के बजट पर राहत महीने भर का राशन लेने गईं हाउस वाइफ पार्वती और पूजा तिवारी "अरहर दाल के सस्ता होने पर खुश हैं. उनका कहना है कि थोड़ी ही सही दाल की महंगाई से राहत तो मिली. किचन के बजट में भी थोड़ी बहुत बचत होगी, क्योंकि तुअर दाल एक ऐसी चीज है. जिसे कितना भी महंगा क्यों न हो, खरीदना ही पड़ता है. घर में हर दिन खाने में इसे बनाना जरूरी भी होता है, क्योंकि इसे पौष्टिक आहार में से एक माना जाता है. क्यों सस्ता हुआ दाल ? इतने सालों तक अरहर दाल की कीमत आसमान छू रही थी, लेकिन मौजूदा साल आखिर ऐसा क्या हुआ जो अरहर दाल की कीमत पिछले तीन साल के बराबर आ चुकी है. इसे हम ऐसे समझ सकते हैं, दलहन में अगले 4 सालों में आत्मनिर्भर बनने के संकल्प के बीच अब बड़ी तादाद में दाल के आयात को प्राथमिकता दी जा रही है. जिससे दाल की कीमत में गिरावट आ रही है. तुअर दाल की कीमत क्यों हुई कम  विदेश व्यापार महानिदेशालय डीजीएफटी की जारी अधिसूचना के मुताबिक तुअर दाल के शुल्क मुक्त आयात की नीति 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दी गई है. भारत में मूंग के अलावा सभी तरह की दाल अरहर, उड़द, मसूर, चना और पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात जारी रखे हुए हैं. जिससे अरहर जैसे दालों की कीमत टूटी है. अरहर का बड़ा उत्पादक, फिर भी बड़ा आयात अब ये बात आपको थोड़ी असहज जरूर कर सकती है कि भारत दलहन फसलों के उत्पादन में विश्व में पहले नंबर पर है. मतलब दलहन फसलों का सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन फिर भी विश्व का सबसे बड़ा आयातक भी भारत ही है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि भारत जितना भी उत्पादन दलहनी फसलों की करता है, वो उसकी जनसंख्या के हिसाब से पर्याप्त नहीं है, मतलब खपत ज्यादा है. इसलिए उसे दूसरे देशों से भी दाल आयात करनी पड़ती है. भारत कहां से करता है दाल आयात भारत दाल का बड़ा आयातक है और मौजूदा वित्त वर्ष भी भारत ने काफी तेजी से दाल को अलग-अलग देशों से आयात किया है. भारत में दाल के आयात की बात करें तो अरहर और उड़द दाल ज्यादातर अफ्रीकी देशों से किया जाता है. कुछ म्यांमार से भी करता है, जबकि चना, मटर और मसूर जैसे दालों का आयात ऑस्ट्रेलिया रूस और कनाडा जैसे देशों से करता है. मध्य प्रदेश भी अरहर का बड़ा उत्पादक दलहनी फसल अरहर के उत्पादन की बात करें तो मध्य प्रदेश भी अरहर का एक बड़ा उत्पादक राज्य है. यहां के दाल की भी अच्छी खासी डिमांड है. अरहर उत्पादन में देश में महाराष्ट्र, कर्नाटक तो सबसे ज्यादा उत्पादन करते ही हैं. इसके अलावा मध्य प्रदेश भी इस मामले में तीसरे नंबर पर है. हलांकि इसके जानिए अरहर की फसल के बारे में अरहर की खेती खरीफ सीजन से ही शुरू हो जाती है. ये ज्यादा दिन की फसल होती है. कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर मृगेंन्द्र … Read more

प्रदेश के मुख्य शहरों में आधुनिक लांड्री खुलवाई जाएंगी, काम महिला स्व सहायता समूह करेंगे, सरकार आर्थिक रूप से मदद करेगी-मुख्यमंत्री यादव

भोपाल  आगामी समय में भोपाल, इंदौर और इनसे जुड़े बड़े शहरों के बीच नमो ट्रेन (namo train) चलेंगी। इनका स्ट्रक्चर मेट्रो ट्रेनों से अलग होगा। ये आम ट्रेनों की तरह ही चलेंगी। किराया बसों की तुलना में कम होगा। कम समय में गंतव्य तक पहुंचाएंगी। मुख्य शहरों में आधुनिक लांड्री भी खुलवाई जाएंगी। यह काम महिला स्व सहायता समूह करेंगे। सरकार इन्हें आर्थिक रूप से मदद करेगी। ये खुद भी कमाई से सक्षम बनेंगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (cm mohan yadav) ने इन नए कामों पर मुख्य सचिव अनुराग जैन समेत अन्य अफसरों को गुरुवार नगरीय विकास एवं आवास विभाग की समीक्षा बैठक में आगे बढ़ने को कहा है। रेल मंत्री से करूंगा बात सीएम ने अफसरों से कहा कि आप नमो रेल पर काम करें। मैं जल्द ही इस संबंध में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से चर्चा करूंगा। केंद्र से इसके लिए मदद लेने के लिए प्रयास करेंगे। झुग्गी माफिया पर करें कार्रवाई सीएम ने अफसरों से कहा कि भोपाल, इंदौर सहित अन्य शहरों में भी झुग्गियों का विस्तार हो रहा है। इसे हर हाल में रोकें। झुग्गी माफिया पर कार्रवाई करेंगे। यदि कोई जरूरतमंद व्यक्ति झुग्गी तान रहे हैं तो आवास योजना से जोड़ें। किफायती आवास उपलब्ध कराने अलग से योजना तैयार करें और उसे जमीन पर उतारें। बड़ा तालाब भोपाल की शान है, लेकिन अतिक्रमण नामक दीमक इसे चारों ओर से खा रही है। गंदे नालों का जुड़ाव इसके पानी में जहर खोल रहा है। सीएम ने कहा कि सर्वे कराएं और चुन-चुनकर अतिक्रमण (bhopal bada talab slums) हटाएं। कब्जा करने वाले किसी के साथ भी रियायत न बरती जाए। अफसर परिणाम नहीं ला पाए दो माह पहले सीएम ने भोपाल शहर के विकास को लेकर समीक्षा बैठक में झुग्गीमुक्त शहर की बाल कही थी। तब भी बड़े तालाब किनारे से कब्जे हटाने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद अफसर न तो झुग्गियां हटवाने की कार्रवाई कर पाए और न ही ताल किनारे से कब्जे हटवाए। चित्रकूट के लिए 2800 करोड़ रुपए की योजना नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सीएम को बताया कि धार्मिक एवं पर्यटन शहरों के विकास में एकीकृत विकास की योजना तैयार की जा रही है। चित्रकूट नगर में 2800 करोड़ की कार्ययोजना तैयार की गई है। इसमें नगरीय विकास विभाग द्वारा 800 करोड़ का प्रतिवेदन तैयार किया जा रहा है। रीडेसिफिकेशन परियोजनाओं की संभावना को देखते हुए हाउसिंग बोर्ड से काम करने को कहा है। संकल्पों पर भी चर्चा सरकार पार्टी द्वारा लिए संकल्पों को पूरा करने में जुटी है। 2027 तक भोपाल-इंदौर मेट्रो लाइन का पूर्ण संचालन किया जाएगा। मुख्यमंत्री नगरीय क्षेत्र अधोसंरचना निर्माण योजना में 1070 करोड़ की 1062 परियोजनाएं मंजूर हैं। 183 निकायों में महिलाओं के लिए 218 पिंक शौचालय चल रहे हैं। इलेक्ट्रिक बसे उत्तारी जाएंगी। नगरीय क्षेत्रों में जलापूर्ति, सीवरेज की 333 परियोजनाएं स्वीकृत हैं। इनके लिए करीब 11 हजार करोड़ रुपए स्वीकृत है। यह भी कहा शहरों में उद्यान विकसित करें। विकास प्राधिकरण, हाउसिंग बोर्ड सहित सभीआवासीय परियोजनाओं में पौधरोपण को प्रोत्साहित करें।शहरी क्षेत्रों में कॉलोनियों के विकास में बिल्डरों व कॉलोनाइजरों को जोड़ें।शहरी क्षेत्रों के साथ औद्योगिक क्षेत्रों में होने वाली आकस्मिक घटनाओं पर नियंत्रण के लिए अग्निशमन सेवा का आधुनिकीकरण करें। लाड़ली बहनों को प्राथमिकता के आधार पर आवास सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

मध्यप्रदेश में जल क्रांति : पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर खेत तालाब, डगवेल रिचार्ज और अमृत सरोवर बनाए जा रहे

भोपाल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा सिंचाई सुविधाओं के विस्तार और जल संरक्षण के प्रयास सतत जारी हैं। प्रदेश में खेती को पर्याप्त पानी मिलने से फसलें लहलहाएंगी और गर्मियों में कुएं नहीं सूखने से पेयजल की उपलब्धता बढ़ेगी। मध्यप्रदेश के किसानों के लिए यह राहत भरी खबर है। मनरेगा योजना के तहत पूरे राज्य में बड़े पैमाने पर खेत तालाब, डगवेल रिचार्ज और अमृत सरोवर बनाए जा रहे हैं। इनमें से अधिकतर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, जबकि कई निर्माण प्रगति पर हैं। इन जल संरचनाओं के निर्माण से प्रदेश के सिंचाई रकबे में बढ़ोतरी होगी और भू-जल स्तर में सुधार आएगा। इससे खेतों में सिंचाई के पानी की कमी से जूझ रहे किसानों को काफी राहत मिलेगी और उन्हें समय पर फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिल सकेगा। 25 करोड़ घन-मीटर से अधिक वर्षा जल का होगा संग्रहण मनरेगा योजना के तहत बनाई जा रही जल संरचनाओं में लगभग 25 करोड़ घनमीटर से अधिक वर्षा जल संग्रहित होगा, जिसका सीधा लाभ प्रदेश के किसानों को मिलेगा। अब तक 84 हजार 930 से अधिक खेत तालाब, 1 लाख 4 हजार 294 से अधिक रिचार्ज पिट और 1,283 अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है या निर्माणाधीन है। इन संरचनाओं से 1 लाख 67 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में सिंचाई हो सकेगी। तकनीक आधारित निर्माण प्रदेश में पहली बार जल संरचनाओं के निर्माण में आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया गया है। प्लानर सॉफ्टवेयर की मदद से कार्य योजना बनाई गई। सिपरी सॉफ्टवेयर से जल प्रवाह की दिशा का वैज्ञानिक विश्लेषण कर उपयुक्त स्थानों का चयन किया गया। इस तकनीकी प्रक्रिया से जल संग्रहण की प्रभावशीलता बढ़ी है और अब हो रही बारिश से इन संरचनाओं में पानी तेजी से संग्रहीत और संचय हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में जल प्रबंधन और सिंचाई सुविधाओं के क्षेत्र में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। मनरेगा योजना किसानों को संबल देने के साथ-साथ कृषि उत्पादन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई मजबूती दे रही है। यह जल क्रांति प्रदेश के अन्नदाताओं के लिए एक सशक्त और सुरक्षित भविष्य की नींव रख रही है।  

दिल्ली में राहत! विरोध के चलते हटाया गया पुरानी गाड़ियों पर बैन का फैसला

नई दिल्ली  आम आदमी पार्टी (आप) के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में सरकार बनते ही भाजपा ने पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला ले लिया था। उन्होंने भाजपा पर ऑटोमोबाइल कंपनियों से सांठगांठ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि फरवरी में दिल्ली सरकार ने शपथ ली और चंद दिन बाद 1 जुलाई को पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने ऐलान किया कि 31 मार्च के बाद पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं मिलेगा। हालांकि इसे लागू एक जुलाई से किया गया। आज भाजपा जिस सीएक्यूएम के आदेश का सहारा ले रही है, वह आदेश तो मंत्री के ऐलान के काफी दिनों बाद 27 अप्रैल को आया था। इससे स्पष्ट है कि भाजपा ने पहले ही ऑटोमोबाइल कंपनियों से सांठगांठ कर ली थी और उनको करोड़ों रुपए का फायदा पहुंचाने के लिए यह तुगलकी फरमान जारी किया, ताकि दिल्ली के 61 लाख लोग नई गाड़ी खरीदने के लिए मजबूर हो जाएं। सौरभ भारद्वाज ने दिल्लीवालों को बधाई देते हुए कहा कि दिल्ली की जनता ने अपनी एकजुटता के जरिए भाजपा सरकार के कई तुगलकी फरमानों को वापस लेने के लिए मजबूर किया है। जब पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन देने पर रोक लगाने की बात कही जा रही थी, तब भाजपा सरकार के मंत्री उछल-उछल कर कह रहे थे कि किसी पुराने वाहन को छोड़ा नहीं जाएगा। पेट्रोल पंपों पर पुरानी गाड़ियों को जब्त करने के लिए 400 टीमें लगाई जाएंगी और भाजपा पूरी तरह चुप थी। इस तुगलकी फरमान का सिर्फ दिल्ली की आम जनता और आम आदमी पार्टी विरोध कर रही थी। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भाजपा बहानेबाजी कर रही है कि यह कोर्ट का आदेश था, इसलिए पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। लेकिन सच तो यह है कि पुरानी गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल ने पहली बार 10 साल पहले 7 अप्रैल 2015 को आदेश जारी किया था। इसी तरह, 10 साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल 2015 को आदेश दिया। 2015 से 2025 तक दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार थी, लेकिन ‘‘आप’’ की सरकार ने कभी भी पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल न देने को लेकर कोई फरमान नहीं जारी किया। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जब भाजपा की चोरी पकड़ी गई तो दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सीएक्यूएम को चिट्ठी लिखी कि सरकार पुरानी गाड़ियों डीजल-पेट्रोल नही देने का प्रतिबंध नहीं लगा पाएगी। इसके बाद भाजपा सरकार अपने ही बुने जाल में फंस गई। मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने सीएक्यूएम को लिखे पत्र में कहा है कि 23 अप्रैल 2025 को सीएक्यूएम की तरफ से दिल्ली सरकार को निर्देश आया कि पुरानी गाड़ियों को पेट्रोल डीजन देना बंद कर दिया जाए। लेकिन सीएक्यूएम से पत्र मिलने से एक माह पहले ही 1 मार्च 2025 को मनजिंदर सिंह सिरसा ने खुद प्रेसवार्ता कर ऐलान किया था कि सरकार 31 मार्च से पुरानी गाड़ियों को डीजल-पेट्रोल देना बंद कर देगी। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि इससे साफ है कि भाजपा ने सरकार बनने के तुरंत बाद ही तय कर लिया था कि दिल्ली की सड़कों से 61 लाख पुरानी गाड़ियों को सड़क से हटाकर लोगों को नई गाड़ियां खरीदने के लिए मजबूर करना है। सीएक्यूएम केंद्र सरकार के अधीन काम करता है। भाजपा की दिल्ली सरकार द्वारा 23 अप्रैल 2025 को सीएक्यूएम से मिलीभगत कर पुरानी गाड़ियों को डीजल-पेट्रोल नही देने को लेकर पत्र लिया गया और सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया। सीधे तौर पर बीजेपी की केंद्र सरकार का सीएक्यूएम और दिल्ली सरकार की मिलीभगत से दिल्ली के लोगों पर यह तुगलकी फरमान थोपा गया। इनकी तरफ से कोशिश की गई कि नई लाखों गाड़ियों की बिक्री कराई जाए। 

सांप काटने पर सबसे पहले हमें सीधे नजदीकी अस्पताल पहुंचकर ईलाज कराना चाहिए : स्वास्थ्य विभाग

रायपुर बारिश का मौसम शुरू होते ही वातावरण में नमी और उमस बढ़ जाती है. बरसात का पानी सांप बिच्छू के बिलों में जाने से वे बारह भोजन की तलाश में अक्सर हमारे निवास पर चले आते हैं और कभी -कभी लोगों को काट भी लेते हैं. इसलिए बारिश के मौसम में सर्प दंश की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं. लेकिन सांप काटने पर कुछ लोग ओझा-बैगा के झाड़-फूंक कराने चले जाते हैं, जिससे पीड़ित को उचित इलाज नहीं मिलता और उनकी मौत हो जाती है. जबकि सांप काटने पर सबसे पहले हमें सीधे नजदीकी अस्पताल पहुंचकर ईलाज कराना चाहिए. स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से झाड़-फूंक जैसे अंधविश्वास से बाहर आ कर सर्पदंश की स्थिति में अस्पताल में अपना उपचार कराने की  अपील की है. विभाग के अनुसार विषैले सर्पों के काटने का इलाज अस्पतालों में उपलब्ध एंटीवेनम से ही होता है.  किसी प्रकार के झाड़-फूँक करवाने से यह ठीक नहीं हो सकता बल्कि इसमें समय गंवा देने पर अक्सर पीड़ित व्यक्ति गंभीर हो जाता है और बाद में अस्पताल लाने पर चिकित्सकों को उस मरीज पर बहुत मेहनत करनी पड़ती है. बता दें, कई प्रकरणों में विष पूरे शरीर में फैल जाता है जिस कारण जान बचाना भी काफी मुश्किल रहता है. इसलिए ऐसे प्रकरणों में तत्काल अस्पताल जाना ही सही है जहां इसका निःशुल्क इलाज किया जाता है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार  सर्पदंश की स्थित में मरीज को घबराने नहीं देना है क्योंकि इससे हृदय गति बढ़ने से विष तेजी से फैलता है. काटे गए अंग को हिलाना नहीं है और न ही कोई कड़ा कपड़ा बांधना है. नजदीक के अस्पताल में तुरंत ले जाएं. घर से बाहर जाने और उस जगह पर रोशनी कम होने पर टार्च लेकर जाएं और जूते पहनें, आसपास सफाई रखें और कक्ष में भोजन सामग्री ,धान आदि न रखें जिससे चूहे न आने पायें.

प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना अंतर्गत लैपटॉप राशि अंतरण समारोह में हुए शामिल

भोपाल  उप मुख्यमंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि किसी भी व्यक्ति, समाज या राष्ट्र के विकास के लिए शिक्षा अनिवार्य है। जब तक लोग शिक्षित नहीं होंगे, वे न तो अपने अधिकारों को समझ पाएंगे और न ही अपने कर्तव्यों का सही ढंग से पालन कर पाएंगे। शिक्षा से नई सोच, नई तकनीक और आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त होता है। आधुनिक युग में शिक्षित होना बहुत जरूरी है। शिक्षा तरक्की का आधार है। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय शहडोल में प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना में लैपटॉप राशि अंतरण समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने माँ सरस्वती के छायाचित्र पर माल्यापर्ण एवं दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि प्रतिभाशाली विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना अंतर्गत कक्षा 12 वीं के एमपी बोर्ड परीक्षा में 75 प्रतिशत से अधिक लाने वाले विद्याथियों को लैपटॉप खरीदने के लिए राज्य सरकार द्वारा 25 हजार रूपये की राशि प्रदान की जाती है। उन्होंने कहा विद्यार्थी को उच्च शिक्षा व आगे की पढाई करने के लिए यह लैपटॉप काफी मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि कमजोर तबके के विद्यार्थी भी कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, इंजीनियर, डॉक्टर जैसे अच्छे पदो में जाए इसके लिए हर संभव मदद की जा रही है, किसी भी स्थिति में शिक्षा के लिए आर्थिक संकट नही होने दिया जाएगा। विद्यार्थी अच्छी मेहनत और लगन से पढाई करें। असफलता भी मिल जाए तो निराश नही होना चाहिए, उस असफलता होने का कारण खोजे और सुधार करे तो सफलता अवश्य मिलती है। उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा कि संस्कारयुक्त शिक्षा समाज के लिए वरदान है। इसके लिए अभिभावक, गुरूजन अपनी महती भूमिका निभाए। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार मिल विकास के क्षेत्र में नये-नये आयाम गढ रही है। केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाएं गरीब, महिला, किसान, युवा सभी वर्गों का सशक्तीकरण कर रही हैं। उन्होंने कहा कि शहडोल संभाग तेजी से विकास की ओर बढ रहा है, शहडोल में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, विश्वविद्यालय आदि सुविधाओ का विस्तार किया गया है, जिससे शहडोल संभाग के लोगो को अन्य शहरो में न जाना पडे़ और लोगो की आवश्यकताओं को देखते हुए अन्य सुविधाओ का भी विस्तार किया जाएगा। विधायक श्रीमती मनीषा सिंह, श्री जयसिंह मरावी सहित स्थानीय जनप्रतिनिधि, विभागीय अधिकारी, शिक्षक, अभिभावक, छात्र-छात्राएँ उपस्थित रहे।  

उप मुख्यमंत्री शुक्ल ने शहडोल मेडिकल कॉलेज में टेलीमेडिसिन सेवा का किया शुभारंभ

भोपाल उप मुख्यमंत्री एवं शहडोल जिले के प्रभारी मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने बिरसा मुंडा शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय, शहडोल में टेलीमेडिसिन सेवा का शुभारंभ किया। उन्होंने कहा कि टेलीमेडिसिन सेवा ग्रामीण, दूरवर्ती और जनजातीय क्षेत्रों तक उन्नत स्वास्थ्य सुविधाएं पहुँचाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है। डिजिटल स्वास्थ्य क्रांति जनसामान्य को त्वरित, विशेषज्ञ और सुलभ उपचार प्रदान करने का सशक्त माध्यम बनेगी। 

CM योगी का बयान: तकनीक के सहारे आम बागवानी में रचा गया सफलता का इतिहास

लखनऊ  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के अवध शिल्प ग्राम, अवध विहार योजना, सेक्टर 9, में तीन दिवसीय ‘उत्तर प्रदेश आम महोत्सव 2025’ का शुभारंभ किया। इस महोत्सव में देशभर के बागानों से चुनकर लाए गए 800 से अधिक किस्मों के आमों की प्रदर्शनी ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम योगी ने कहा कि हमारे बागवानों ने जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग की चुनौतियों के बावजूद तकनीक का उपयोग कर शानदार प्रदर्शन किया है। ढाई से तीन किलो के आमों की किस्में देखकर आश्चर्य होता है, जो न केवल स्वाद में बेजोड़ हैं, बल्कि वैश्विक बाजार में भी उत्तर प्रदेश की शान बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आम महोत्सव न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत और विकसित भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक ठोस प्रयास है। आम उत्पादन को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने के लिए लखनऊ, अमरोहा, सहारनपुर और वाराणसी में चार आधुनिक पैक हाउस स्थापित किए गए हैं। इन पैक हाउसों के माध्यम से आम की गुणवत्ता, वैरायटी और एक्सपोर्ट के मानकों की जानकारी किसानों को दी जाती है। आम महोत्सव न केवल आम उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देता है, बल्कि बागवानों में औद्यानिक फसलों, आधुनिक तकनीक और वैश्विक बाजारों के प्रति विश्वास जगाने का भी माध्यम है। सीएम योगी ने आगे कहा कि डबल इंजन सरकार की डबल इंजन नीति ने औद्यानिक फसलों के निर्यात को कई गुना बढ़ाया है। इस महोत्सव के दौरान दो देशों के लिए आमों का एयर कार्गो रवाना किया गया, जिसमें सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी ने बागवानों को बेहतर दाम दिलाने में मदद की। मुख्यमंत्री ने महोत्सव में सभी स्टॉलों का निरीक्षण किया और लखनऊ की दशहरी, वाराणसी का लंगड़ा, गोरखपुर का गवर्जीत, बस्ती का आम्रपाली, मेरठ और बागपत का रटोल जैसी किस्मों की जानकारी ली। उन्होंने बागवानों के परिश्रम की सराहना करते हुए कहा कि उनकी मेहनत और तकनीकी नवाचार ने उत्तर प्रदेश को औद्यानिक फसलों का केंद्र बनाया है। योगी सरकार ने बागवानों को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी, प्रशिक्षण और बाजार की सुविधाएं उपलब्ध कराई हैं, जिससे उनकी आय कई गुना बढ़ी है। सीएम योगी ने बताया कि एक समय उत्तर प्रदेश की जीडीपी में कृषि और औद्यानिक फसलों का योगदान 25-30 प्रतिशत था। आज सरकार की नीतियों ने इस क्षेत्र को और सशक्त किया है। अर्जुन सहायक, बांध सागर और सरयू नहर जैसी परियोजनाओं ने बुंदेलखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में जल की समस्या का समाधान किया है। परिणामस्वरूप, जहां पहले एक या दो फसलें होती थीं, वहां अब किसान तीन फसलें ले रहे हैं। उन्होंने हरदोई, कानपुर और औरैया के दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि मक्का की खेती से किसान प्रति एकड़ 1 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं। सरकार ने कृषि विज्ञान केंद्रों और सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना के माध्यम से आधुनिक तकनीक को बढ़ावा दिया है। गन्ना, मक्का और औद्यानिक फसलों में नए बीज और तकनीकों का उपयोग किसानों की आय को बढ़ा रहा है। 2017 में जहां 5 करोड़ पौधों का रोपण एक चुनौती थी, वहीं अब 9 जुलाई 2025 को ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत 50 करोड़ पौधों का रोपण किया जाएगा। यह उत्तर प्रदेश की प्रगति और पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। महोत्सव में संगोष्ठियों, प्रगतिशील किसानों के अनुभव साझा करने और बायर्स-सेलर्स मीट का आयोजन किया जाएगा। सीएम योगी ने सुझाव दिया कि कमिश्नरी स्तर पर भी ऐसे आयोजन होने चाहिए, ताकि स्थानीय बागवान अपनी फसलों की प्रदर्शनी और बिक्री कर सकें। उन्होंने बागवानों से हल्दी, अदरक और अन्य औद्यानिक फसलों के साथ फूड प्रोसेसिंग को अपनाने का आह्वान किया, ताकि उनकी आय को और बढ़ाया जा सके। यह महोत्सव बागवानों, किसानों और उत्तर प्रदेश की प्रगति को वैश्विक मंच पर ले जाने का एक शानदार मंच साबित होगा।