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इवांका ट्रंप का स्टाइलिश अंदाज, कॉर्सेट टॉप में दिखीं बेहद ग्लैमरस

वॉशिंगटन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप किसी फैशनिस्टा से कम नहीं हैं। ऐसे में उनका स्टाइल हर बार सुर्खियां बटोर लेता है। चाहे वह किसी इवेंट का हिस्सा बने या फिर कहीं स्पॉट हों, उनका अंदाज एकदम परफेक्ट ही नजर आता है। जिसे देखकर लगता ही नहीं है कि वह 43 साल की हैं और उनके तीन बच्चे भी हैं। अब हाल ही में इवांका पिंक कलर की खूबसूरत आउटफिट में नजर आईं। जहां उनका अंदाज इतना कमाल का लगा कि कोई उन्हें हीरोइन समझने की गलती भी कर सकता है। अपने स्टनिंग लुक को उन्होंने ज्यादा एलिमेंट्स ऐड करके ओवर ड्रामेटिक नहीं बनाया, जिससे उनका अंदाज हर बार की तरह सबको इंप्रेस कर गया। क्लासी है इवांका का अंदाज वैसे तो इवांका कुछ भी पहन ले उन पर सब जचता है, लेकिन उनका कपड़ों को कैरी करने का अंदाज ही उनके लुक को खास बनाता है। यहां भी उन्होंने बिना किसी पैटर्न या डिजाइन वाली आउटफिट की बजाए बेबी पिंक कलर के प्लेन कॉर्सेट और पैंट्स कैरी की। जिसमें भी इवांका का अंदाज किसी भी हीरोइन के ग्लैमर को टक्कर देने के लिए काफी है। कॉर्सेट टॉप को दिया स्टाइलिश टच इवांका यहां स्टाइलिश कॉर्सेट टॉप पहने नजर आ रही हैं। जिसे डीप नेकलाइन देकर ग्लैम कोशेंट को एन्हांस किया, तो नूडल जैसी पतली- सी स्ट्रैप्स दी है। इसे क्रॉप डिजाइन का रखते हुए नीचे से कॉर्सेट को स्टाइलिश कट दिया। जिसे उन्होंने पैंट्स के अंदर टक इन करने की बजाए सामने ही रखा। फ्लेयर्ड पैंट्स लगीं बढ़िया कॉर्सेट इवांका के बॉडी कर्व्स को ब्यूटीफुल तरीके से कॉम्प्लिमेंट कर रहा है, तो साथ में उन्होंने फ्लेयर्ड पैंट्स पहनी। जिसे हाई वेस्ट का रखा और वाइड लेग्स के साथ इसमें खूब सारी फ्लेयर्स ऐड की। जिससे लुक में बैलेंस क्रिएट हुआ और इवांका का ओवरऑल लुक भी क्लासी वाइब्स दे गया। जिसे उन्होंने बिना किसी एक्स्ट्रा एलिमेंट के स्टाइल किया। नो जूलरी लुक किया फॉलो अब रही बात लुक को स्टाइल करने की, तो इवांका ने जूलरी को न के बराबर रखा और अपनी आउटफिट को हाइलाइट कर गईं। जहां न तो उनकी हेयर स्टाइल की वजह से उनके इयररिंग्स नजर आए और न ही उन्होंने और कुछ वियर किया। लेकिन, बिना किसी जूलरी पीस के भी इवांका का स्टाइलिश लुक रीगल और रीचनेस वाली वाइब्स ही दे गया। ऐसे दिया फाइनल टच एक्सेसरीज के लिए इवांका ने एकदम आउटफिट के कलर से मैच करती हील्स वियर की और यहां तक की नेलपैंट भी एकदम मैचिंग लगाया। वहीं, शिमरी इफेक्ट वाले क्लच के साथ उन्होंने लुक को पूरा स्टाइल किया। आखिर में बात करें उनके हेयर और मेकअप की, तो उन्होंने उसे पिंक ग्लॉसी लिप्स के साथ हल्का शिमरी इफेक्ट किया और मिडिल पार्टीशन के साथ बालों को ब्लो ड्राई करके सॉफ्ट कर्ल किया।

एंड्रायड व iOS के लिए ये हैं बेहतर एप्स

आज के स्मार्टफोन युग में मोबाइल ऐप्स हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। चाहे काम की बात हो, पढ़ाई की, मनोरंजन की या फिर फिटनेस की—हर काम के लिए कोई न कोई ऐप मौजूद है। एंड्रॉयड और iOS दोनों प्लेटफॉर्म पर लाखों ऐप्स उपलब्ध हैं, लेकिन हर ऐप भरोसेमंद और उपयोगी नहीं होता। यहाँ हम आपके लिए कुछ ऐसे बेहतरीन ऐप्स की सूची ला रहे हैं, जो आपके मोबाइल अनुभव को और भी शानदार बना सकते हैं। 1. सोशल मीडिया और कम्युनिकेशन ऐप्स WhatsApp / Telegram: तेज और सुरक्षित मैसेजिंग के लिए बेस्ट ऐप्स। Instagram / Threads: फोटो-वीडियो शेयरिंग और अपडेटेड रहने के लिए। Zoom / Google Meet: वीडियो कॉल और ऑनलाइन मीटिंग के लिए भरोसेमंद। 2. प्रोडक्टिविटी और ऑफिस वर्क ऐप्स Google Drive / iCloud: फाइल स्टोरेज और क्लाउड बैकअप के लिए। Microsoft Office / Google Docs: डॉक्युमेंट, शीट और प्रेजेंटेशन बनाने के लिए। Evernote / Notion: नोट्स बनाने और टास्क मैनेजमेंट के लिए। 3. एंटरटेनमेंट और स्ट्रीमिंग ऐप्स YouTube: वीडियो कंटेंट का सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म। Netflix / Amazon Prime Video / Disney+ Hotstar: मूवी और वेब सीरीज देखने के लिए। Spotify / JioSaavn / Wynk Music: म्यूजिक और पॉडकास्ट का मज़ा लेने के लिए। 4. हेल्थ और फिटनेस ऐप्स Google Fit / Apple Health: स्टेप काउंटिंग और फिटनेस ट्रैकिंग के लिए। MyFitnessPal: डाइट और कैलोरी मैनेजमेंट के लिए। Calm / Headspace: मेडिटेशन और मानसिक शांति के लिए। 5. यूटिलिटी और जरूरी ऐप्स Google Maps / Apple Maps: लोकेशन और नेविगेशन के लिए। Paytm / PhonePe / Google Pay: आसान और सुरक्षित ऑनलाइन पेमेंट के लिए। Truecaller: कॉलर आइडेंटिफिकेशन और स्पैम ब्लॉकिंग के लिए। निष्कर्ष स्मार्टफोन तभी स्मार्ट कहलाता है जब उसमें सही ऐप्स हों। ये ऐप्स न केवल आपका समय बचाते हैं, बल्कि काम को आसान और मनोरंजन को और मजेदार बना देते हैं। एंड्रॉयड और iOS दोनों पर ये एप्स आपके डिजिटल लाइफस्टाइल को बेहतर बनाने में मदद करेंगे।  

बिना मेकअप दिखें खूबसूरत

संवरने-संवारने की कला स्त्री को जन्मजात मिली है। यह आर्ट उसे सुंदर दिखने को भी प्रेरित करती है। भागदौड़ भरी जिंदगी में रोज अच्छी तरह मेकअप करना तो संभव नहीं, मगर डाइट और लाइफस्टाइल को सही रखकर खुद को आकर्षक बनाया जा सकता है मेकअप एक कला है। कई बार इससे चेहरे पर कमाल हो सकता है। रोज आईने के सामने काफी वक्त बिताती हैं स्त्रियां ताकि वे सुंदर दिख सकें। कई स्त्रियां मानती हैं कि बिना मेकअप के वे सुंदर नहीं दिख सकतीं। हालांकि सादगी का अपना महत्व है और बिना बहुत वक्त या पैसा खर्च किए भी सुंदर बने रहा जा सकता है। एक प्याली गर्म पानी सुबह की शुरुआत के लिए इससे अच्छी कोई आदत नहीं है। सुबह उठने के बाद चाय के बजाय गर्म पानी पिएं। इसमें नींबू की कुछ बूंदें डालें। ओवरवेट होने या डाइबिटीज जैसी समस्या न हो तो थोड़ा शहद भी मिला सकती हैं। इससे ताजगी का अहसास होगा। एसपीएफ युक्त क्रीम उम्र बढन के साथ-साथ धूप, धूल और समय का प्रभाव चेहरे पर पडने लगता है। इसलिए सनक्रीम हमेशा साथ रखें। तेज धूप हो या नहीं, इसका इस्तेमाल करें। इसके प्रयोग से आप बहुत सी समस्याओं से बची रह सकती हैं। आदतें सुधारें चेहरे को सिकोड़ते हुए बात करने, माथे पर बल डालने, आखें मिचमिचाने, हथेलियों को गालों पर टिकाने, पिंपल्स नोचने, आंखें मलने जैसी आदतें त्वचा को नुकसान पहुंचाती हैं। चेहरे की त्वचा संवेदनशील होती है, इसलिए इस पर दाग-धब्बे बहुत पड़ते हैं। ये आदतें झुर्रियों को न्यौता भी दे सकती हैं। अति से बचें नियमित फेशियल से चेहरे की मांसपेशियों में कसाव आता है, रक्त संचार ठीक होता है और चेहरा साफ व सुंदर दिखता है, मगर ब्लीच का इस्तेमाल सोच-समझकर करें। ज्यादा मसाज व ब्लीच से संवेदनशील त्वचा को नुकसान हो सकता है। स्क्रबिंग-क्लेंजिंग रोज सोने से पहले क्लेंजिंग मिल्क से चेहरा साफ करें। हफ्ते में एक बार स्क्रबिंग करें। इससे डेड स्किन हटेगी। क्लेंजर से त्वचा बैक्टीरिया रहित होगी, अतिरिक्त तेल व डेड स्किन सेल्स निकलेंगी। ड्राई स्किन के लिए मॉइश्चराइजर वाला क्लेंजर अच्छा है। पानी खूब पिएं रोज सात-आठ गिलास पानी पीना चाहिए। शरीर से हानिकारक तत्व निकालने का यह सर्वोत्तम उपाय है। यह सौंदर्य को बढ़ाता है और त्वचा को समस्या रहित रखता है। मॉइश्चराइजर मुलायम त्वचा के लिए मॉइश्चराइजर जरूरी है। प्रदूषण, मौसम, धूप और धूल से त्वचा को क्षति पहुंचती है। स्किन को सही पोषण और नमी मिले तो रिंकल्स कम पडेंगे और वह ड्राई होने से बची रहेगी। चेहरे और गर्दन के अलावा हाथों और पैरों पर भी मॉइश्चराइजर का प्रयोग करें। टोनर टोनर से न सिर्फ त्वचा में कसाव आता है, बल्किइससे रोमछिद्र भी भरते हैं और चेहरे से अतिरिक्त तेल बाहर निकल जाता है। शैंपू सप्ताह में कम से कम तीन दिन बालों को किसी अच्छे शैंपू से धोएं और कंडीशनर का इस्तेमाल करें। चिपचिपे-गंदे बाल चेहरे का लुक बिगाड़ देते हैं। दिन में दो-तीन बार और सोने से पहले बालों में कंघी करना न भूलें। -बालों की समय-समय पर ट्रिमिंग कराएं, ताकि वे दोमुंहे न हों और खराब न दिखें। -नाखून चबाने की आदत से बचें। उन्हें सही ढंग से तराशें और अच्छा शालीन नेल पेंट लगाएं। -अत्यधिक कॉफी या चाय पीने से बचें। -कम से कम सात घंटे की अच्छी नींद लें। -दांतों की सुबह-शाम सफाई करें। कई बार ब्रश करने से दांतों का इनैमल कम होता है और वे पीले दिखने लगते हैं। दिनभर में दो बार ब्रश करना काफी है। -उठने-बैठने और चलने-फिरने में अपने बॉडी पोस्चर का ध्यान रखें। -तले-भुने खाद्य पदार्थों, मैदे से बनी चीजों का इस्तेमाल कम करें। तरल पदार्र्थों का सेवन अधिक करें। -सही फिटिंग के कपड़े पहनें और ऐसे फैशन ट्रेंड्स का अनुकरण करने से बचें जो आपके व्यक्तित्व पर न फबें। जिस ड्रेस में कंफर्टेबल महसूस करती हों, वही पहनें।  

थाइरॉएड में शुगर और सोया से बचें

थाइरॉएड, गर्दन के सामने वाले हिस्से में तितली के आकार की ग्रंथि है। इससे निकलने वाले हार्मोंस शरीर की भोजन को ऊर्जा में बदलने की क्षमता को काबू में रखते हैं। इस ग्रंथि में गड़बड़ी आने पर हाइपो या हाइपर थाइरॉएडिज्म होता है और वजन तेजी से कम या बढ़ने लगता है। हृदय, बाल, नाखून व नींद पर भी इसका असर होता है। दवाओं के अलावा थाइरॉएड पीड़ितों के लिए खान-पान का ध्यान रखना भी जरूरी है। आयोडीन शरीर में थाइरॉएड हार्मोन बनने के लिए आयोडीन की जरूरत होती है। चूंकि शरीर स्वयं आयोडीन नहीं बनाता, इसलिए उसे डाइट में लेना जरूरी हो जाता है। आयोडीन युक्त नमक का इस्तेमाल करें। ध्यान रखें कि समुद्री नमक या डिब्बा बंद खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल होने वाले नमक में आयोडीन नहीं होता। नमक या उत्पाद खरीदते समय इसका ध्यान रखें। समुद्री भोजन मछली, झींगा आदि तमाम तरह के समुद्री भोजन में आयोडीन प्राकृतिक रूप से मौजूद होता है। यदि हाइपर थाइरॉएडिज्म की शिकायत है, तो समुद्री भोजन अधिक मात्रा में नहीं लेना चाहिए। अगर थाइरॉएड ग्रंथि अधिक मात्रा में हार्मोन बनाती है तो अतिरिक्त आयोडीन स्थिति को और गंभीर बना देता है। उदाहरण के लिए समुद्री घास में आयोडीन बहुत अधिक मात्रा में होता है। हरी पत्तेदार सब्जियां, मेवे और बीज मैग्नीशियम की कमी से हाइपो थाइरॉएडिज्म होता है, जिससे थकावट व मांसपेशियों में खिंचाव रहने लगता है। इसके लिए पालक, लेट्यूस, हरी पत्तेदार सब्जियां, काजू, बादाम और सीताफल के बीज खाएं। ब्राजील मेवों में मैग्नीशियम के साथ सेलेनियम भी होता है। सोयाबीन विशेषज्ञों के अनुसार सोयाबीन लेना हाइपोथाइरॉएडिज्म की आशंका बढ़ाता है। यदि पर्याप्त आयोडीन नहीं ले रहे हैं तो सोया उत्पाद जैसे दूध व टोफू आदि में पाए जाने वाले रसायन थाइरॉएड की हार्मोन बनाने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। चीनी हाइपोथाइरॉएडिज्म में वजन तेजी से बढ़ता है। इसके लिए शुगर की मात्रा को कम रखना चाहिए। खासतौर पर ऐसे उत्पाद जिनमें कैलोरी अधिक व पोषक तत्व कम होते हैं, खाने से बचना चाहिए। दवाएं कुछ दवाएं थाइरॉएड दवाओं के असर को कम करती हैं। खासतौर पर अगर वे लगभग एक ही समय ली जा रही हों। मल्टी विटामिंस, आयरन कैल्शियम सप्लीमेंट्स, एंटासिड, अल्सर या कोलेस्ट्रॉल को कम करने वाली दवाएं इनमें प्रमुख हैं। यदि आप ऐसी ही दवाएं ले रहे हैं तो थाइरॉएड व अन्य दवाओं में कुछ घंटे का अंतर अवश्य रखें। गोभी व ब्रोकली गाइट्रोजेंस, तत्व का असर थाइरॉएड ग्रंथि के आकार बढ़ने के रूप में दिखायी देता है जैसे गॉइटर। शरीर में आयोडीन की कमी से यह समस्या होती है। ऐसी स्थिति में गोभी, ब्रोकली, बंद गोभी खाना आयोडीन ग्रहण करने की क्षमता को कम करता है। जरूरी है तो इन्हें पकाकर ही खाएं। ग्लुटेन ग्लुटेन, गेहूं व जौ में पाया जाने वाला प्रोटीन है। ग्लूटेन की एलर्जी वालों को छोड़ दें तो ग्लूटन थाइरॉएड पर असर नहीं डालता। हां, अगर गेहूं आदि से एलर्जी है तो ग्लूटेन छोटी आंत को नुकसान पहुंचा कर थाइरॉएड ग्रंथि की प्रक्रिया को तेज या धीमा कर सकता है।  

फैटी लिवर बना IT सेक्टर की बड़ी चुनौती, डेस्क जॉब करने वाले भी हाई रिस्क में

इंदौर  भारत में फैटी लिवर का जाल धीरे-धीरे अपने पैर पसार रहा है और चौंकने वाली बात ये है कि सबसे ज्यादा इस बीमीरी की चपेट में देश के युवा आए हैं. ऐसा हम नहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने संसद में हैरान करने वाला खुलासा किया है. उन्होंने बताया है कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की एक स्टडी के अनुसार, हैदराबाद में IT सेक्टर में काम करने वाले 84% से अधिक वर्कर्स फैटी लिवर की परेशानी से जूझ रहे हैं. इस खुलासे ने सभी को चौंका दिया है क्योंकि आईटी सेक्टर में ज्यादातर 25 से 45 साल की उम्र के लोग काम कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं कि फैटी लिवर कितनी गंभीर बीमारी है और क्यों ये डेस्क जॉब या युवाओं को तेजी से अपनी चपेट में ले रही है. फैटी लिवर क्या होता है? जो लोग फैटी लिवर का नाम पहली बार सुन रहे हैं वो सबसे पहले ये जान लें कि जब हमारी बॉडी में जरूरत से ज्यादा फैट लिवर में जमा हो जाता है तो उसे फैटी लिवर कहते हैं. इस बीमारी की सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि शुरुआत में इसका कोई लक्षण दिखाई नहीं देता, मगर वक्त के साथ ये धीरे-धीरे लिवर को डैमेज कर देता है और सूजन-सिरोसिस जैसी सीरियस बीमारियों की वजह बन सकता है. फैटी लिवर को स्टीटोसिस भी कहते हैं और ये दो प्रकार का होता है. अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (AFLD) अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज उन लोगों को ज्यादा होता है जो लिमिट से ज्यादा शराब पीते हैं. नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) ऐसा नहीं है कि सिर्फ पीने से ही फैटी लिवर होता है, मोटापा, डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से भी फैटी लिवर होता है जिसे नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज कहते हैं. बता दें कि अब शराब पिए बगैर लिवर से संबंधित जो बीमारियां होती है, वे सब अब एनएएफएलडी के अंदर आती हैं.  केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने दी चेतावनी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने संसद में बताया कि सरकार की तरफ से मेटाबोलिक डिसफंक्शन से जुड़ी फैटी लिवर डिजीज (MAFLD) को लेकर जागरुकता बढ़ाने और हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाने के लिए एक ऑपरेशनल गाइडलाइंस जारी की गई हैं. जगत प्रकाश नड्डा की तरफ से सभी राज्यों को जांच के निर्देश भी दिए गए हैं. इसके साथ ही उन्होंने एक चेतावनी भी दी, उन्होंने कहा, ये एक बड़ा स्वास्थ्य खतरे की ओर इशारा करता है और अगर समय रहते लाइफस्टाइल में बदलाव नहीं किया गया तो आने वाले टाइम में देश के युवा जनरेशन की हेल्थ को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है.  फास्ट फूड खाने वाले  76.3% लोग पीड़ित   सिर्फ शराब पीने वाले या डायबिटीज और हाई कोलेस्ट्रॉल ही फैटी लिवर होने का कारण नहीं है. आईसीएमआर ने एक रिसर्च की थी, जिसके मुताबिक, हफ्ते में फास्ट-फूड खाने वाले लोगों में 76.3%  लोगो में फैटी मिला है. जयपुर की तीन तहसीलों में हुई रिसर्च में 37.2 फीसदी लोगों में फैटी लिवर पाया गया और इसमें महिलाओं के मुकाबले में पुरुषों की संख्या ज्यादा पाई गई है. IT वर्कर्स में फैटी लिवर होने के कारण  लंबे समय तक बैठकर काम करना: IT सेक्टर में वर्कर्स डेली 8 से 10 घंटे कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं, जिससे फिजिकल एक्टीविटी कम हो जाती है. जंक फूड और खराब डाइट: ऑफिस के बिजी  शेड्यूल में जल्दी-जल्दी में फास्ट फूड, पैकेज्ड स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक रोजाना की डाइट का हिस्सा बन चुकी है. स्ट्रेस और नींद की कमी: काम का दबाव, रात की शिफ्ट और ज्यादा स्ट्रेस से नींद पर असर पड़ता है, जो बॉडी के मेटाबॉलिज्म को बिगाड़ता है. शराब और मीठा: कुछ लोग स्ट्रेस कम करने के लिए वीकेंड या रोजाना ही शराब पीते हैं और कुछ लोग स्ट्रेस को मीठी चीजे खाकर स्लो करते हैं. इन दोनों के अधिक सेवन से ही लिवर पर इफेक्ट पड़ता है. IT वर्कर्स में फैटी लिवर होने के कारण क्या हैं?  दिल्ली के वसंत कुंज में फोर्टिस अस्पताल के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी सीनियर कंसल्टेंट डॉ. शुभम वात्स्य ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि शराब ना पीने की वजह से भी लोग फैटी लिवर के शिकार हो रहे हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह अनहेल्दी लाइफस्टाइल और मोटापे की बढ़ती दर है. उन्होंन इसके कारण और इससे सुरक्षित रहने के लिए कुछ सुझाव भी दिए थे. क्यों बढ़ा रहा है फैटी लिवर का खतरा? लंबे समय तक बैठकर काम करना: IT सेक्टर में वर्कर्स डेली 8 से 10 घंटे कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं, जिससे फिजिकल एक्टीविटी कम हो जाती है. जंक फूड और खराब डाइट: ऑफिस के बिजी  शेड्यूल में जल्दी-जल्दी में फास्ट फूड, पैकेज्ड स्नैक्स और कोल्ड ड्रिंक रोजाना की डाइट का हिस्सा बन चुकी है. स्ट्रेस और नींद की कमी: काम का दबाव, रात की शिफ्ट और ज्यादा स्ट्रेस से नींद पर असर पड़ता है, जो बॉडी के मेटाबॉलिज्म को बिगाड़ता है. शराब और मीठा: कुछ लोग स्ट्रेस कम करने के लिए वीकेंड या रोजाना ही शराब पीते हैं और कुछ लोग स्ट्रेस को मीठी चीजे खाकर स्लो करते हैं. इन दोनों के अधिक सेवन से ही लिवर पर इफेक्ट पड़ता है. फैटी लिवर के लक्षण-  आमतौर पर फैटी लिवर के लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन जब लक्षण दिखाई देते है तब तक हालत बिगड़ चुकी होती है. फैटी लिवर होने के लक्षण- जैसे भूख में कमी, पीलिया होना, डार्क कलर का पेशाब आना, पेट और पैरों में सूजन होना. फैटी लिवर से कैसे बचें?     हेल्दी लाइफस्टाइल     नींद पूरी करना      लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) करवाएं     हेपेटाइटिस ए और बी का टीका लगवाएं     हाइड्रेटेड रहें और तनाव का प्रबंधन करें     शराब ना पिएं     एक्सरसाइज करें  

AI ही भविष्य है: सुंदर पिचाई ने इंजीनियर्स को दिया सख्त अल्टीमेटम

नई दिल्ली गूगल की ओर से अपनी ऑल-हैंड्स मीटिंग में कर्मचारियों को साफ कर दिया गया है कि कंपनी अब पूरी तरह से AI पर फोकस होगी। इसे लेकर खुद सुंदर पिचाई ने कहा है कि जब कंपनियां बड़े निवेश करती हैं, तो ज्यादा हायरिंग होती हैं लेकिन गूगल में ऐसा नहीं होगा। दरअसल गूगल AI के इस दौर में कम कर्मचारियों से ज्यादा और तेज काम करवाना चाहता है। पिचाई ने इस मीटिंग में जानकारी दी है कि इस साल गूगल AI इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉ में लगभग 85 बिलियन डॉलर खर्च करेगी। हालांकि फिर भी नई भर्तियां बहुत सीमित होंगी। कर्मचारियों को मिल रही AI की ट्रेनिंग बता दें कि सुंदर पिचाई ने इस मीटिंग में अपने कर्मचारियों से AI को हाथों-हाथ लेने के लिए कहा है। इसके लिए कंपनी ने AI Savvy Google नाम का प्लेटफॉर्म भी लॉन्च किया है, जिसकी मदद से गूगल के इंजीनियर्स को AI की ट्रेनिंग दी जा रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि गूगल के कर्मचारी अपनी रोजमर्रा की कोडिंग में AI को शामिल करना सीखें। इसके लिए DeepMind के साथ मिलकर "Building with Gemini" नाम का एक कोर्स भी बनाया गया है ताकि इंजीनियर Gemini AI का ठीक तरीके से इस्तेमाल करना सीख सकें। कर्मचारियों को मिले AI कोडिंग असिस्टेंट गूगल अपने कर्मचारियों को सिर्फ AI की ट्रेनिंग ही नहीं दे रहा बल्कि गूगल ने एक खास AI कोडिंग असिस्टेंट भी पेश किया है। इसका इस्तेमाल अब गूगल के 50% इंजीनियर रोजाना कर रहे हैं। गूगल का मकसद है कि इस AI असिस्टेंट को डेवलपर की दिनचर्या का हिस्सा बनाना है। साथ ही गूगल ने Windsurf नाम के एक AI स्टार्टअप को 2.4 बिलियन डॉलर में खरीदा है। इस कंपनी के सीईओ वरुण मोहन अब गूगल के साथ उन्हें AI के क्षेत्र में मजबूत बनाने का काम कर रहे हैं। गूगल में कर्मचारियों की स्थिति पिछले कुछ समय में गूगल में कर्मचारियों की भर्ती देखने को मिली है लेकिन यह 2023 के मुकाबले में अभी भी काफी कम है। गूगल अपनी वर्कफोर्स का 6% हिस्सा पहले ही घटा चुकी है। इसके अलावा कुछ विभागों में वॉलंटरी बायआउट की पेशकश की गई है। कुल मिलाकर अब कंपनी "छोटी टीम, स्मार्ट टूल्स और तेज आउटपुट" की स्ट्रैटजी पर काम कर रही है और गूगल के साथ अब आगे बढ़ने के लिए AI को अपनाना बेहद जरूरी हो जाएगा। गूगल की मीटिंग से निकल कर आई यह तमाम जानकारी इस बात को साफ करती है कि भविष्य में शायद AI द्वारा नौकरी खाए जाने वाली बात सच साबित हो जाए क्योंकि कुछ ऐसा ही हम फिलहाल होता देख रहे हैं।

पित्त और कफ विकारों का घरेलू उपचार है गूलर

मोरासी परिवारी का सदस्य गूलर लंबी आयु वाला वृक्ष है। इसका वनस्पतिक नाम फीकुस ग्लोमेराता रौक्सबुर्ग है। यह सम्पूर्ण भारत में पाया जाता है। यह नदी−नालों के किनारे एवं दलदली स्थानों पर उगता है। उत्तर प्रदेश के मैदानों में यह अपने आप ही उग आता है। इसके भालाकार पत्ते 10 से सत्रह सेमी लंबे होते हैं जो जनवरी से अप्रैल तक निकलते हैं। इसकी छाल का रंग लाल−घूसर होता है। फल गोल, गुच्छों में लगते हैं। फल मार्च से जून तक आते हैं। कच्चा फल छोटा हरा होता है पकने पर फल मीठे, मुलायम तथा छोटे−छोटे दानों से युक्त होता है। इसका फल देखने में अंजीर के फल जैसा लगता है। इसके तने से क्षीर निकलता है। आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार गूलर का कच्चा फल कसैला एवं दाहनाशक है। पका हुआ गूलर रुचिकारक, मीठा, शीतल, पित्तशामक, तृषाशामक, श्रमहर, कब्ज मिटाने वाला तथा पौष्टिक है। इसकी जड़ में रक्तस्राव रोकने तथा जलन शांत करने का गुण है। गूलर के कच्चे फलों की सब्जी बनाई जाती है तथा पके फल खाए जाते हैं। इसकी छाल का चूर्ण बनाकर या अन्य प्रकार से उपयोग किया जाता है। गूलर के नियमित सेवन से शरीर में पित्त एवं कफ का संतुलन बना रहता है। इसलिए पित्त एवं कफ विकार नहीं होते। साथ ही इससे उदरस्थ अग्नि एवं दाह भी शांत होते हैं। पित्त रोगों में इसके पत्तों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन भी फायदेमंद होता है। गूलर की छाल ग्राही है, रक्तस्राव को बंद करती है। साथ ही यह मधुमेह में भी लाभप्रद है। गूलर के कोमल−ताजा पत्तों का रस शहद में मिलाकर पीने से भी मधुमेह में राहत मिलती है। इससे पेशाब में शर्करा की मात्रा भी कम हो जाती है। गूलर के तने को दूध बवासीर एवं दस्तों के लिए श्रेष्ठ दवा है। खूनी बवासीर के रोगी को गूलर के ताजा पत्तों का रस पिलाना चाहिए। इसके नियमित सेवन से त्वचा का रंग भी निखरने लगता है। हाथ−पैरों की त्वचा फटने या बिवाई फटने पर गूलर के तने के दूध का लेप करने से आराम मिलता है, पीड़ा से छुटकारा मिलता है। गूलर से स्त्रियों की मासिक धर्म संबंधी अनियमितताएं भी दूर होती हैं। स्त्रियों में मासिक धर्म के दौरान अधिक रक्तस्राव होने पर इसकी छाल के काढ़े का सेवन करना चाहिए। इससे अत्याधिक बहाव रुक जाता है। ऐसा होने पर गूलर के पके हुए फलों के रस में खांड या शहद मिलाकर पीना भी लाभदायक होता है। विभिन्न योनि विकारों में भी गूलर काफी फायदेमंद होता है। योनि विकारों में योनि प्रक्षालन के लिए गूलर की छाल के काढ़े का प्रयोग करना बहुत फायदेमंद होता है। मुंह के छाले हों तो गूलर के पत्तों या छाल का काढ़ा मुंह में भरकर कुछ देर रखना चाहिए। इससे फायदा होता है। इससे दांत हिलने तथा मसूढ़ों से खून आने जैसी व्याधियों का निदान भी हो जाता है। यह क्रिया लगभग दो सप्ताह तक प्रतिदिन नियमित रूप से करें। आग से या अन्य किसी प्रकार से जल जाने पर प्रभावित स्थान पर गूलर की छाल को लेप करने से जलन शांत हो जाती है। इससे खून का बहना भी बंद हो जाता है। पके हुए गूलर के शरबत में शक्कर, खांड या शहद मिलाकर सेवन करने से गर्मियों में पैदा होने वाली जलन तथा तृषा शांत होती है। नेत्र विकारों जैसे आंखें लाल होना, आंखों में पानी आना, जलन होना आदि के उपचार में भी गूलर उपयोगी है। इसके लिए गूलर के पत्तों का काढ़ा बनाकर उसे साफ और महीन कपड़े से छान लें। ठंडा होने पर इसकी दो−दो बूंद दिन में तीन बार आंखों में डालें। इससे नेत्र ज्योति भी बढ़ती है। नकसीर फूटती हो तो ताजा एवं पके हुए गूलर के लगभग 25 मिली लीटर रस में गुड़ या शहद मिलाकर सेवन करने या नकसीर फूटना बंद हो जाती है।  

अपने ब्यूटी रूटीन में जरूर शामिल करें ये ऑइल

इन दिनों ऑइल ब्यूटी प्रोडक्ट्स का सबसे पॉप्युलर इंग्रेडिएंट बना हुआ है। फेशियल मॉइस्चराइजर से लेकर हेयर ट्रीटमेंट तक ऑइल ही पसंद किया जा रहा है। लेकिन कई लोग डरते हैं की कहीं ऑइल यूज करने से, खासकर गर्मी या बारिश में गरीजी और ग्रूपी स्किन ना हो जाए। नोट करें कि किसी भी क्रीम बेस्ड प्रोडक्ट को यूज करने से ऑइल बेस्ड प्रोडक्ट ज्यादा फायदेमंद होता है। ये वजन में भी बेहद लाईट होता है। खासकर प्लांट बेस्ड ऑइल आपके स्किन टेक्स्चर के लिए बेहद स्मूद और सूदिंग होते हैं। ये नैचरल ग्लो भी देते हैं। मेकअप रिमूवर के तौर पर ऑइल से बेहतर कुछ नहीं होता। आजकल तो मार्केट में ऑइल बेस्ड शैम्पू भी मिलने लगे हैं जो बालों को ज्यादा ड्राय नहीं होने देते। इसके अतिरिक्तआ कई तरह से ब्यूटी ऑइल यूज किए जा सकते हैं…. अपने डेली फेस मॉइस्चराइजर की जगह ऑइल यूज करें। ये चेहरे की ड्राइनेस दूर करने के साथ ही मॉइस्चर को बनाए रखता है। इसके अलावा आप इसे मसाज ऑइल की तरह भी यूज कर सकते हैं। लेमन यूकेलिप्टस या पिंक ग्रेप फ्रूट वाले ऑइल यूज करें। एक्स्ट्रा रिलैक्सेशन के लिए इसे टेन्स मसल पर ज्यादा यूज करें। इन दिनों ऑलिव ऑइल के साथ लाईट वेट फार्मूला वाले फेशियल क्लेंजर मिलते हैं। ये आपके पोर्स भी बंद नहीं करते और मेकअप भी (वॉटरप्रूफ भी) आसानी से पूरी तरह से साफ करते हैं। इसे पूरे चेहरे पर लगाएं। अच्छे से मसाज करके पानी से धो लें। लाईट वेट बॉडी ऑइल्स यूज करें। आर्गन, सोयाबीन और मोरिंगा ऑइल के ब्लेंड वाला बॉडी ऑइल यूज करें। इसमें वॉयलेट, सैंडलवुड और वैनिला एक्सट्रैक्ट भी होता है। ऑइल बेस्ड एसपीएफ स्प्रे यूज किए जा सकते हैं जो बेहतरीन सनस्क्रीन साबित होते हैं। ये आपकी स्किन और बाल को यूवी डैमेज से बचाते हैं। साथ ही ड्राय स्किन पूरी तरह मॉइस्चराइज रखते हैं। क्लैरिन्स का सनस्क्रीन स्प्रे इन दिनों पसंद किया जा रहा है। फेस-क्लेंजिंग ऑइल की ही तरह ऑइल बेस्ड शैम्पू भी मिलते हैं। ये बालों की गंदगी साफ करने के अलावा बाल सॉफ्ट बनाए रखते हैं, इन्हें वॉल्यूम देते हैं और मॉइस्चर भी बनाए रखते हैं। अद्भुत नतीजे के लिए एक टी-स्पून शैम्पू को थोड़े से पानी में मिक्स करके झाग बनाकर शैम्पू करें। डैम्प और ड्राय हेयर के लिए थोड़ा-सा नॉन-स्टिकी हेयर ऑइल ऑइल मसाज करें। इससे बाल डी-फ्रिज होते हैं, डीटैंगल होते हैं और स्प्लिट एंड्स से बचते हैं। यूवी रेज और हीट डैमेज से भी बचाव हो जाता है। इस तरह के लिप-ऑइल बेहद खूबसूरत लगते हैं. नैचरल ग्लोइंग लिप्स और लव-एट-फर्स्ट-स्वाइप के लिए ये ऑइल जरूर यूज करें। लाईट वेट ऑइल-बेस्ड कंसिस्टेंसी के कारण ये लगाने में बेहद आसान भी होते हैं।  

फोन भीग जाए तो फौरन करो ये काम, खराब होने का चांस ही नहीं

अगर आपका फोन भीग जाए, तो घबराने की बजाय कुछ सही और जरूरी कदम उठाकर आप उसे बचा सकते हैं। पानी से भीगे फोन में अगर समय रहते सावधानी नहीं बरती गई, तो वह खराब हो सकता है या हमेशा के लिए बंद भी हो सकता है। नीचे बताया गया है कि ऐसे समय में आपको क्या करना चाहिए। फोन को तुरंत बंद करें फोन में पानी घुसते ही सबसे पहले उसे स्विच ऑफ कर दें। अगर वह चालू है तो इंटरनल सर्किट में शॉर्ट सर्किट होने का खतरा रहता है। फोन को ऑन रखने से नुकसान और बढ़ सकता है, इसलिए जल्दी से पावर बंद करना सबसे जरूरी कदम होता है। सिम कार्ड और मेमोरी कार्ड निकालें फोन को बंद करने के बाद सिम कार्ड और मेमोरी कार्ड को तुरंत बाहर निकाल लें। इससे दोनों को नमी से बचाया जा सकता है और डाटा लॉस का खतरा कम होता है। इसके साथ ही फोन के कवर, केस या कोई अन्य एक्सेसरी भी निकाल दें। फोन को सूखे कपड़े से पोंछें फोन के बाहरी हिस्से को किसी साफ और सूखे सूती कपड़े से धीरे-धीरे पोंछें। किसी भी हिस्से में दबाव ना डालें और स्क्रीन को रगड़ें नहीं। अगर संभव हो तो फोन को थोड़ा झुकाकर पानी को बाहर निकलने दें। हेयर ड्रायर या गर्म हवा का इस्तेमाल ना करें कई लोग फोन को सुखाने के लिए हेयर ड्रायर या हीटर का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह नुकसानदायक हो सकता है। तेज गर्मी से फोन के अंदर के सेंसिटिव हिस्से जैसे बैटरी, डिस्प्ले या चिप खराब हो सकते हैं। बेहतर है कि फोन को कमरे के तापमान पर ही सूखने दिया जाए। फोन को राइस बैग में रखें फोन को एक एयरटाइट कंटेनर या पॉलीबैग में कच्चे चावल के साथ रख दें। चावल नमी को सोखने में मदद करते हैं। फोन को कम से कम 24 से 48 घंटे तक इसमें रखा जाना चाहिए ताकि वह पूरी तरह से सूख सके। ध्यान रहे कि इससे सारे पोर्ट्स बंद हों, जिससे चावल अंदर जाने या फंसने का डर ना रहे। फोन को ऑन करने की जल्दी ना करें फोन सूख जाने के बाद भी उसे तुरंत ऑन ना करें। एक बार फिर से चेक करें कि कहीं कोई हिस्सा गीला तो नहीं है। अगर पूरा यकीन हो कि फोन पूरी तरह सूख चुका है, तभी उसे ऑन करें। अगर फोन फिर भी चालू नहीं हो रहा हो, तो उसे सर्विस सेंटर पर दिखाएं। प्रोफेशनल मदद लें अगर फोन ज्यादा गीला हो गया हो या स्क्रीन में धुंध, धब्बे, या आवाज में कोई समस्या आ रही हो, तो खुद से रिपेयर करने की कोशिश ना करें। ऐसे मामलों में प्रोफेशनल टेक्नीशियन ही सही सॉल्यूशन दे सकता है।  

डायबिटीज़ मरीजों के लिए सुबह का जादुई नाश्ता: थकान और कमजोरी होगी दूर, ब्लड शुगर रहेगा कंट्रोल

डायबिटीज एक ऐसी क्रॉनिक बीमारी है जिसे काबू में नहीं रखा जाए तो ये बॉडी को खोखला कर देती है। डायबिटीज की बीमारी में इम्युनिटी कमजोर हो जाती है और इंसान जल्दी-जल्दी बीमार पड़ने लगता है। डायबिटीज मरीज अगर डाइट का ध्यान नहीं रखें तो ब्लड में शुगर का स्तर हाई होने लगता है। डायबिटीज को लम्बे समय तक कंट्रोल नहीं किया जाए तो कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है। डायबिटीज मरीज तनाव से दूर रहे, बॉडी को एक्टिव रखें और डाइट का खास तौर पर ध्यान रखें। डायबिटीज मरीज अपने खान-पान को लेकर बहुत चिंता करते हैं। कुछ भी खाने से पहले उनका दिमाग यही कैलकुलेशन करने लगता है कि इसमें कार्बोहाइड्रेट कितना है, वसा की मात्रा कितनी है और इसका ग्लाइसेमिक लोड कितना है। कुछ भी खाने से पहले लोगों के दिमाग में यही रहता है कि कहीं इस फूड को खाने से ब्लड शुगर हाई तो नहीं होगा। डायबिटीज मरीजों में अक्सर देखा गया है कि उन्हें सुबह-सुबह बिस्तर से उठते ही थकान और कमजोरी महसूस होती है। ये थकान और कमजोरी कुछ लोगों को दिन भर बनी रहती है। डायबिटीज स्पेशलिस्ट हेल्थ कोच रंजीत सिंह के मुताबिक अगर डायबिटीज मरीज नाश्ते में कुछ पावरफुल चीजों का सेवन करें तो कमजोरी दूर होगी, थकान मिटेगी और बॉडी भी हेल्दी रहेगी। एक्सपर्ट के मुताबिक डायबिटीज मरीज नाश्ते में 4 चीजों का सेवन भिगोकर करें तो पूरा दिन ब्लड शुगर को नॉर्मल रख सकते हैं और बॉडी को हेल्दी भी रख सकते हैं। आइए एक्सपर्ट से जानते हैं कि कौन सी चार चीजों का सेवन सुबह के नाश्ते में करें कि कमजोरी और थकान दूर रहे। बादाम का करें सेवन बादाम पोषक तत्वों से भरपूर हेल्दी फूड है। बादाम में ऑयल की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए ये दिमाग को तेज करता है,आंखों की रोशनी को बढ़ाता है और बॉडी की कमजोरी दूर कर एनर्जी देता है। ज्यादातर लोग अमेरिकन बादाम का सेवन करते हैं जो मेहंगे होते हैं और बेकार भी होते हैं। इन बादाम से सारा तेल निकाल लिया जाता है। अगर डायबिटीज मरीज सुबह के नाश्ते में बादाम का सेवन करना चाहते हैं मामरा बादाम का सेवन करें। अलसी के बीज का करें सेवन अलसी के बीज ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरपूर होता है जिसका सेवन करने से डायबिटीज मरीजों की थकान और कमजोरी दूर होती है। अलसी का सेवन करने से हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। कब्ज की बीमारी दूर होती है। नसों में होने वाली ब्लॉकेज भी दूर होती है। फाइबर से भरपूर अलसी के बीज पाचन को दुरुस्त करते हैं और ब्लड शुगर को भी कंट्रोल करते हैं। मेथी दाना का करें भिगोकर सेवन मेथी दाना किचन में मौजूद मसाला और हर्ब है जो ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में असरदार साबित होता है। इसका सेवन करने से बॉडी पेन से निजात मिलती है। घुटनों में दर्द,कमर दर्द और किसी भी तरह के दर्द को दूर करने में ये दवाई की तरह काम करता है। काले चने का करें सेवन डायबिटीज मरीज ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए बॉडी की कमजोरी और थकान को दूर करने के लिए सुबह खाली पेट भिगे हुए काले चने का सेवन करें। प्रोटीन से भरपूर चना हड्डियों को मजबूत करता है। इसका सेवन करने से पेट और ब्लड की एसिडिटी कम होती है। फाइबर से भरपूर चना मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करता है और पाचन को दुरुस्त करता है। इन चीजों का सेवन कैसे करें 4-5 बादाम,एक चम्मच अलसी,आधा चम्मच मेथी दाना और चार चम्मच चने एक गिलास पानी में रात में भिगो दें। सुबह आप फ्रेश होने के बाद इन चारों चीजों को अच्छे से वॉश कर लें और फिर इन चारों चीजों का सेवन चबा-चबाकर करें। ये नाश्ता आपकी बॉडी की थकान और कमजोरी को दूर करेगा और आपकी ब्लड शुगर भी कंट्रोल करेगा।