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आज का राशिफल (26 अगस्त 2025): इन राशि वालों के लिए दिन रहेगा शुभ

मेष आज एनर्जी से भरपूर दिन आपका इंतजार कर रहा है, जो रचनात्मकता से भरपूर है। स्मार्ट तरीके से धन से जुड़े मामले हैन्डल करें। पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों तरह के रिश्तों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें कम्युनिकेशन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वृषभ आज के दिन खर्च को कंट्रोल करें। स्टूडेंट्स को कोई गुड न्यूज मिल सकती है, हो सकता है आपने टॉप किया हो या आपको आपके फेवरेट कॉलेज में एडमिशन मिल गया हो। आज की एनर्जी आपको विचारों और प्रोजेक्ट्स को उत्साह के साथ आगे बढ़ाने के लिए मोटिवेट करती है। मिथुन आज के दिन पैसों के मामले में आप भाग्यशाली रहेंगे। बाहर का खाना आज खाने से बचें अगर सेहत रिलेटेड प्रॉब्लम है। आज का आपका दिन हैप्पी-हैप्पी रहने वाला है। मैरिड कपल्स अपने पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम स्पेन्ड कर सकते हैं। कर्क आज के दिन लव के मामले में साथी की बात सुनना बेहतर रहेगा। कुछ लोगों के लिए हलचल भरा ये दिन रहने वाला है। आज मुश्किलों पर काबू पाना आपके दिन को उजागर करता है, जो चुनौतियां और अवसर दोनों लेकर आ सकता है। सिंह आज का आपका दिन पॉजिटिव रहने वाला है। परिवर्तन को अपनाएं और अपने इंट्यूशन पर भरोसा करें। दिन पर्सनल ग्रोथ और प्रोफेशनल अवसरों को आमंत्रित करता है। आपका इंट्यूशन ही आपका मार्गदर्शन करेगा। कन्या आज का दिन पर्सनल और प्रोफेशनल क्षेत्रों में काम के साथ इच्छाओं को बैलेंस करने की चुनौती ला सकता है। ग्रहों की स्थिति विकास को बढ़ावा देती है। आज सकारात्मक ऊर्जा आपके चारों ओर है। अवसरों को खुले दिल से अपनाना जरूरी है। तुला आज का आपका दिन प्रोडक्टिव रहने वाला है। परीक्षा से भरा दिन, लेकिन उतने ही लाभदायक परिणाम भी मिलेंगे। अपना विश्वास बनाए रखें और लगातार काम करते रहें। प्रॉफिट को अनलॉक करें। कॉन्फिडेंस के साथ आज ही चुनौतियों से निपटें। वृश्चिक आज के दिन महत्वपूर्ण बदलाव आएगा। परिवर्तन को स्वीकार करें। यह दिन विकास के अवसरों की ओर इशारा कर रहा है। इमोशनल और प्रोफेशनल चुनौतियों से निपटने के लिए अलर्ट रहना आवश्यक है। धनु आज के दिन काम के सिलसिले में भागदौड़ बढ़ सकती है। कुछ लोगों को अपने बॉस की फटकार भी झेलनी पड़ेगी। आज किसी भी तरह की बहस से दूरी बनाएं। जितना पॉजिटिव रहेंगे उतना बेहतर है। आज अपना फेवरेट फूड ट्राई करें। मकर आज के दिन लव के मामले में सितारे आपके साथ हैं। मुश्किलें आती-जाती रहती हैं। पैसों का आगमन तो होगा ही लेकिन आपके खर्च भी बढ़ने वाले हैं। कुछ लोगों के लिए दिन थोड़ा स्ट्रेसफुल साबित हो सकता है। कुंभ आज का दिन रिलेशन में बैलेंस खोजने पर फोकस करता है। गलतफहमी के चलते अन-बन हो सकती है। अपने विचारों और इरादों को क्लियर करें। आपके लिए सेल्फ-लव पर फोकस करने वाला दिन है। काम का बहुत ज्यादा प्रेशर न लें। मीन आज का दिन आपके लिए क्रिएटिव रहेगा। आज नई चुनौतियों को खुली बांहों के साथ स्वीकार करें। पर्सनल और प्रोफेशनल ग्रोथ को बढ़ावा देने वाला क्रिएटिव दिन आपका इंतजार कर रहा है। नए अवसर खुद ही आपके सामने आएंगे। बढ़ावा देने वाला क्रिएटिव दिन आपका इंतजार कर रहा है। नए अवसर खुद ही आपके सामने आएंगे।

हरतालिका तीज व्रत: जानें पूजन सामग्री, मंत्र और विधि-विधान

इस साल हरतालिका तीज का व्रत उदया तिथि में 26 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। कुवांरी कन्याएं भी यह व्रत अच्छा जीवनसाथी पाने के लिए रख सकती है। इस व्रत में निर्जला रहा जाता है। अगरे दिन व्रत का पारण किया जाता है। इस साल हस्त नक्षत्र पड़ रहा है, कहा जाता है हरतालिका तीज की पूजा हस्त नक्षत्र में बहुत फलदायी मानी जाती है। मिट्टी और बालू की मूर्ति बनाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना कैसे करनी है, इसके यहां पढ़ें व्रत का संपूर्ण विधि-विधान-हरतालिका तीज की पूजा शाम के समय होती है, इसके लिए पहले जमीन को साफ कर लें। इसके बाद इसके ऊपर एक चौकी लगाएं। ध्यान रखें कि चौकी पूर्न दिशा में लगाएं। इस चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की एक तस्वीर और मिट्टी की मूर्ति रखें। इसके बाद एक कलश स्थापना करें। इसके लिए चावल से अष्टदल बनाकर उसके ऊपर गंगा जल पानी, हल्दी की गांठ, सुपारी आदि डालक कलश रखें, कलश पर स्वास्तिक बनाएं। कलश के ऊपर आम के पत्ते लगाएं। उस पर एक कटौरी चावल भरकर रखें और उस पर एक दीपक जलाएं। इस दिन मिट्टी से माता पार्वती, गणेश जी, नंदी और कार्तिकेय जी बनाएं। उन्हें जल और दूध दही से अभिषेक कराएं। उन्हें वस्त्र अर्पित करें, दूर्वा अर्पित करें। माता पार्वती को चुनरी और श्रृंगार का सामान अर्पित करें। कुशा से सभी पर गंगा जल छिड़के। भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, फल और फूल अर्पित करें। भोग के खीर या पुएं बना सकते हैं। इसके बाद भीगे हुए चने रखें। अर्पित करें सबसे पहले एक दीपक जलाएं। माता के सामने व्रत का संकल्प करें। मिट्टी की मूर्ति को पांच बार सिंदूर लगाएं और वहीं सिंदूर दान माता पार्वती की मूर्ति से लेकर अपने पांच बार लगाएं। इससे पार्वती से सुहाग लेना कहते हैं। इसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव को अबीर गुलाल और इत्र भी अर्पित करें। विवाहिता पति की लंबी उम्र, स्वास्थ्य लाभ के लिए व्रत रखती हैं। निर्जला व्रत रख कर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की बालू या मिट्टी की मूर्ति बनाकर पूजन की जाती है। इस तरह करें हरतालिका का पूजन सुबह स्नान कर शिव-पार्वती के मंदिर जाएं। इसके बाद शिव-पार्वती को लाल गुलाब अर्पित करें। भगवान शिव और नंदीगण को शहद चढ़ाएं। इस दिन माता पार्वती पर सुहाग पिटारी अर्पित की जाती है, इसके अलावा अपनी सामर्थ्य अनुसार अपने घर की बुजुर्ग महिलाओं या जो रिश्ते में आपसे बड़ी हैं, उन्हें सुहाग पिटारी के साथ साड़ी और बिछिया भेंट करें। गुड़ के 11 लड्डू मां पार्वती को बनाएं और माता पार्वती को अर्पित करें।

25 अगस्त 2025: सूर्य की तरह चमकेगा ये राशियां, पढ़ें आज का राशिफल

मेष: मेष राशि वालों को आज के दिन संतुलन पर जोर देने की जरूरत है। रिश्तों में ईमानदारी और खुला संवाद बहुत जरूरी है। पेशेवर तौर पर, तनाव को मैनेज करना और कार्यों को प्रभावी ढंग से प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है। आर्थिक रूप से, खर्चों को लेकर सतर्क रहें और बड़ा निवेश करने से पहले दो बार सोचें। वृषभ: आज के दिन धन लाभ होने के योग बन रहे हैं। ऑफिस की पॉलिटिक्स से दूर रहें। अपनी सेहत का ख्याल रखें। आज का आपका दिन बेहद शुभ माना जा रहा है। किसी खुले पार्क में ब्रीदिंग एक्सरसाइज या योग करने से तनाव को कम करने में मदद मिलेगी। मिथुन: आज के दिन तनाव कम लें। मन और शरीर दोनों को कंट्रोल में रखने का एक अच्छा तरीका योग है। आज का दिन पॉजिटिव एनर्जी से भरपूर रहने वाला है। पैसों के मामले में सोच समझकर ही डिसीजन लें। कर्क: आज के दिन बॉडी को फिट रखने के लिए एक्सरसाइज जरूर करें। आपका दिन उथल-पुथल से भरपूर साबित हो सकता है। काम के प्रेशर के चलते आपका स्ट्रेस बढ़ सकता है। याद रखें, काम से भी ज्यादा जरूरी आपकी मेंटल हेल्थ है। सिंह: आज के दिन समय-समय पर ब्रेक लेते रहें। आज के दिन आपके जीवन में कई बदलाव हो सकते हैं। चाहे मामला प्रेम का हो, नौकरी का हो, सेहत का हो, धन का हो, परिवार का हो, आज कोई खुशखबरी या बैड न्यूज भी मिल सकती है। कन्या: आज के दिन आपका समय काफी शानदार रहने वाला है। कुछ लोगों को अपने पद या सैलरी में वृद्धि देखने को मिल सकती है। पैसे के मामले में भाग्य आपके साथ है। इमोशनल पक्ष और माफ करने की क्षमता पर ध्यान केंद्रित रखें। तुला: आज के दिन चाहे जो भी हो अपना पॉजिटिव नजरिया बनाए रखें। आज का दिन हैप्पी-हैप्पी रहने वाला है। किसी इन्वेस्टमेंट से आपको अच्छा पैसा मिल सकता है। ज्वैलरी में इन्वेस्टमेंट करने के लिए आज का दिन शुभ है। वृश्चिक: आज का दिन आपके रोमांटिक जीवन में बदलाव का संकेत दे रहा है। आप रिश्तों में नए और गंभीर स्टेज पर हैं। मुश्किल वक्त के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं। अब आप उन गंभीर जिम्मेदारियों को लेने के लिए तैयार हैं, जो करियर लाइफ का जरूरी हिस्सा हैं। धनु: आज के दिन वाद-विवाद से दूर रहना बेहतर है। सेहत का ख्याल रखें। आपके लिए ये दिन काफी प्रोडक्टिव रहने वाला है। अपनी फैमिली के साथ कुछ टाइम स्पेंड करें। लव के मामले में आपका दिन शानदार रहेगा। मकर: आज का दिन हलचल से भरपूर रहने वाला है। काम के सिलसिले में आपको थोड़ी बहुत डांट या फटकार पड़ सकती है। अपनी पॉजिटिव एनर्जी को बनाए रखें। बाहर के खाने से परहेज करें। अपनी फिटनेस पर फोकस करें। कुंभ: आज के दिन कुंभ राशि के जातकों का दिन काफी एनर्जेटिक रहने वाला है। अपनी इस एनर्जी का सही तरीके से इस्तेमाल करेंगे तो दिन का लाभ उठा सकेंगे। लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशन वालों के बीच थोड़ी बहुत तकरार हो सकती है। मीन: आज के दिन लंबे समय से चले आ रहे मामले सुलझ सकते हैं। इससे मौजूदा गलतफहमियों को सुलझाने में मदद मिलेगी। करीबियों के बीच बात-चीत बेहतर होगी। खर्चों पर ध्यान दें। जंक फूड्स का सेवन कम से कम करें।

शिव की तीसरी आंख से जुड़ी कथाएं और आध्यात्मिक महत्व

परमेश्वर शिव त्रिकाल दृष्टा, त्रिनेत्र, आशुतोष, अवढरदानी, जगतपिता आदि अनेक नामों से जानें जाते हैं। महाप्रलय के समय शिव ही अपने तीसरे नेत्र से सृष्टि का संहार करते हैं परंतु जगतपिता होकर भी शिव परम सरल व शीघ्रता से प्रसन्न होने वाले हैं। संसार की सर्व मनोकामना पूर्ण करने वाले शिव को स्वयं के लिए न ऐश्वर्य की आवश्यकता है न अन्य पदार्थों की। वे तो प्रकृति के मध्य ही निवासते हैं। कन्दमूल ही जिन्हें प्रिय हैं व जो मात्र जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। जहां अन्य देवों को प्रसन्न करने हेतु कठिन अनुष्ठान किया जाता है वहीं शिव मात्र जलाभिषेक से ही प्रसन्न होते हैं। शिव का स्वरूप स्वयं में अद्भुत तथा रहस्यमय हैं। चाहे उनके शिखर पर चंद्रमा हो या उनके गले की सर्प माला हो या मृग छाला हो, हर वस्तु जो भगवान शंकर ने धारण कर रखी है, उसके पीछे गूढ़ रहस्य है। शास्त्रनुसार सभी देवताओं की दो आंखें हैं पर शिव के तीन नेत्र हैं। इस लेख के माध्यम से हम अपने पाठकों को बताते हैं क्यों हैं शिव के तीन नेत्र तथा इसके पीछे क्या रहस्य है।   श्लोकः त्वं ब्रह्मा सृष्टिकर्ता च त्वं विष्णुः परिपालकः। त्वं शिवः शिवदोऽनन्तः सर्वसंहारकः।।   भगवान शंकर का एक नाम त्रिलोचन भी है। त्रिलोचन का अर्थ होता है तीन आंखों वाला क्योंकि एक मात्र भगवान शंकर ही ऐसे हैं जिनकी तीन आंखें हैं। शिव के दो नेत्र तो सामान्य रुप से खुलते और बंद होते रहते हैं, शिव के दो नेत्रों को शास्त्रों ने चंद्रमा व सूर्य कहकर संबोधित किया है परंतु तीसरा नेत्र कुछ अलग संज्ञा लिए हुए होता है। वेदों ने शिव के तीसरे नेत्र को प्रलय की संज्ञा दी है। वास्तविकता में शिव के ये तीन नेत्र त्रिगुण को संबोधित है। दक्षिण नेत्र अर्थात दायां नेत्र सत्वगुण को संबोधित है। वाम नेत्र अर्थात बायां नेत्र रजोगुण को संबोधित है तथा ललाट पर स्थित तीसरा नेत्र तमोगुण को संबोधित करता है। इसी प्रकार शिव के तीन नेत्र त्रिकाल के प्रतीक है ये नेत्र भूत, वर्तमान, भविष्य को संबोधित करते हैं। इसी कारण शिव को त्रिकाल दृष्टा कहा जाता है। इनहीं तीन नेत्रों में त्रिलोक बस्ता है अर्थात स्वर्गलोक, मृत्युलोक व पाताललोक अर्थात शिव के तीन नेत्र तीन लोकों के प्रतीक हैं। इसी कारण शिव त्रिलोक के स्वामी माने जाते हैं।   त्रीद्लं त्रिगुनाकारम त्रिनेत्रम च त्रिधायुतम। त्रीजन्म पापसंहारम एक बिल्व शिव अर्पिन।।   शिव को परमब्रह्म माना जाता है। संसार की आंखें जिस सत्य का दर्शन नहीं कर सकतीं, वह सत्य शिव के नेत्रों से कभी ओझल नहीं हो सकता क्योंकि सम्पूर्ण संसार शिव की एक रचना मात्र है। इसी कारण तीन लोक इनके अधीन हैं। शिव का तीसरा नेत्र ज्ञान चक्षु है। यह विवेक का प्रतीक है। ज्ञान चक्षु खुलते ही काम जल कर भस्म हो जाता है। जैसे विवेक अपना ऋषित्व स्थिर रखते हुए दुष्टता को उन्मुक्त रूप में विचारने नहीं देता है तथा उसका मद-मर्दन करके ही रहता है। इसी कारण शिव के तीसरे नेत्र खुलने पर कामदेव जलकर भस्म हो गए थे।   शिव का तीसरा चक्षु आज्ञाचक्र पर स्थित है। आज्ञाचक्र ही विवेकबुद्धि का स्रोत है। तृतीय नेत्र खुल जाने पर सामान्य बीज रूपी मनुष्य की सम्भावनाएं वट वृक्ष का आकार ले लेती हैं। धार्मिक दृष्टि से शिव अपना तीसरा नेत्र सदैव बंद रखते हैं। तीसरी आंख शिव जी तभी खोलते हैं जब उनका क्रोध अपने प्रचुरतम सीमा से परे होता है। तीसरे नेत्र के खुलने का तात्पर्य है प्रलय का आगमन।   सूर्यस्त्वं सृष्टिजनक आधारः सर्वतेजसाम्। सोमस्त्वं सस्यपाता च सततं शीतरश्मिना।।   वास्तवक्ता में परमेश्वर शिव ने यह तीरा नेत्र प्रत्येक व्यक्ति को दिया है। यह विवेक अतःप्रेरणा के रूप में हमारे अंदर ही रहता है। बस जरुरत है उसे जगाने की। शिव के ज्ञान रुपी तीसरे नेत्र से ये प्रेरणा मिलती है कि मनुष्य धरती पर रहकर ज्ञान के द्वारा अपनी काम और वासनाओं पर काबू पाकर मुक्ति प्राप्त कर सके। अगर सांसरिक दृष्टि से देखा जाए तो नेत्रों का कार्य होता है मार्ग दिखाना व मार्ग में आने वाली मुसीबतों से सावधान करना। जीवन में कई बार ऐसे संकट भी शिव जी द्वारा दिए तीनों नेत्र संयम से प्रयोग में लेने चाहिए। काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह व अहंकार इसी तीसरे नेत्र से हम में प्रवेश करते हैं तथा इसी तीसरे नेत्र से हम इन्हे भस्म भी कर सकते हैं। मकसद है इस आज्ञा चक्र को जाग्रत करके सही मार्ग पर ले जाने की।  

इस तरह बढ़ाएं बच्चों में क्रिएटिविटी

अपने आशियाने को संवारने में जैसे हम कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते वैसे ही बच्चों के कमरों को सजाने-संवारने पर भी उतना ही ध्यान देना जरूरी है। कमरे की सजावट करते समय छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखना बहुत जरूरी है क्योंकि यहीं वह जगह है, जहां से उसके सपनों को नई उड़ान मिलती है। वह अपने कमरे से शैतानियों के साथ-साथ नए-नए कामों की प्लानिंग करता है। यहीं से उसकी अलग पर्सनैलिटी विकसित होनी शुरू होती है। -बच्चों को जो रंग सबसे पसंद हैं, उनके कमरे में वैसा ही पेंट करवाए। दीवारों पर बच्चे की मनपसंद कविता या कार्टून करैक्टर बनाना भी कमरे की रौनक को और बढ़ाएगा। दीवारों पर वॉशऐबल पेंट या डिजाइनर वॉलपेपर का इस्तेमाल करें क्योंकि बच्चे अक्सकर दीवारों पर अपनी चित्रकारी का हुनर दिखाते हैं। अगर बच्चा छोटा हैं तो वह अपनी स्कूल टीचर के नक्शे-कदमों पर दीवारों पर अल्फाबेट बनाएगा लेकिन बच्चों को ऐसा करने से रोके नहीं, उन्हें नए-नए क्रेटिव काम करने दें क्योंकि अगर हम बार-बार उन्हें कुछ भी करने से रोकेंगे तो वह कभी भी आत्म निर्भर नहीं हो पाएंगे। -बच्चे को खुशमिजाज और उनमें भरपूर एनर्जी बनाए रखने के लिए विशेषज्ञ बच्चों के कमरे में आकर्षक रंगों के इस्तेमाल की सलाह देते हैं। अपने पसंद की बजाए बच्चे की पसंद के अनुरूप न्यॉन कलर्स, पैरेट, गुलाबी, चॉकलेटी, लाल या नीला जैसे रंगों से सजाएं। बच्चों को ज्यादातर कार्टून करेक्टरों में रूचि होती है। उनके कमरों में उनकी मनपसंद चीजें रखें। साथ ही अन्य फेवरेट कैरेक्टर के प्रिंट वाले कुशन्स, बेड कवर और कर्टन से कमरे को खूबसूरत और कलरफुल लुक दे सकते हैं। ये क्लरफूल रंग उनकी जिंदगी को भी रंगीन बनाते है। -बच्चे के कमरे को इस तरह से सेट करें कि खेलने, क्राफ्ट, पेंटिंग और अन्य गेमस वह आराम से कर सकें। अगर बच्चा छोटा हैं तो उसके कमरे में आप नंबर या अल्फाबेट के डिजाइन वाली दरी बिछा सकती हैं या किसी दीवार पर गिनती या अल्फाबेट वाले पैटर्न लटका सकती हैं। ऐसे करके खेलना-कूदना और पढ़ना साथ-साथ चलेगा और वह पढ़ाई को सिरदर्द समझ कर नहीं बल्कि एन्जॉय करेंगे। बच्चों को प्जल गेम और आई क्यू टेस्ट गेम की तरफ रूझाएं, जिससे उनका माइंड शार्प बनेगा। -कमरे में स्टोरेज की पूरी सुविधा होनी चाहिए क्योंकि बच्चा चाहे किसी भी उम्र का हो, उसके पास ढेर सारा सामान होता है। उसके पास किताबें, कपड़े, स्टेशनरी और खिलौनों का पिटारा होता ही है। बॉक्स बैड, फोल्डेबल स्टोरेज बीन, दीवारों और दरवाजों पर हुक्स, खूबसूरत टोकरियों और शेल्फ का इस्तेमाल करके स्टोरेज स्पेस बनाई जा सकती है। इसका एक फायदा यह भी है कि इससे बच्चा आत्मनिर्भर बनता है और अपने काम के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगता है। अपने काम को करने में उसकी रूचि बढ़ती है और वह मेहनती भी बनते हैं। उसे अपने कमरे को साफ-सफाई खुद रखता है। -अलग से बच्चे का कमरा तैयार करवाने के आपको और भी कई फायदे होंगे। वह अपने काम को समयानुसार करने के आदी होंगे। कई बार बच्चे मां-बाप के साथ बैठकर रातभर टी.वी देखते हैं। कुछ प्रोग्राम बच्चों के देखने वाले नहीं होते, जिसका बुरा प्रभाव उन पर पड़ता है।  

धन और सफलता की होगी बारिश! गणेश चतुर्थी पर बने दुर्लभ योग से इन राशियों को मिलेगा लाभ

इस साल गणेश चतुर्थी (27 अगस्त 2025) पर एक दुर्लभ ज्योतिषीय संयोग बन रहा है, जो कुछ राशियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा. ज्योतिषाचार्य  के अनुसार, इस दिन शुक्र और वरुण ग्रह के बीच नवपंचम योग का निर्माण होगा. यह योग केवल आर्थिक समृद्धि ही नहीं, बल्कि करियर, स्वास्थ्य, प्रेम और पारिवारिक जीवन में भी शुभ परिणाम देने वाला माना जाता है. शुक्र को धन, ऐश्वर्य, प्रेम और सामाजिक प्रतिष्ठा का कारक माना जाता है, जबकि वरुण ग्रह अवसर, रहस्य और जीवन में नए बदलाव लाने के लिए प्रसिद्ध है. जब ये दोनों ग्रह 120 डिग्री पर स्थित होते हैं, तो नवपंचम योग बनता है, जो शुभ अवसरों और अनुकूल परिस्थितियों को जन्म देता है. डॉ. मिश्रा के अनुसार, “इस योग के प्रभाव से विशेष रूप से मेष, कर्क और मीन राशि के जातकों के जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव और लाभ देखने को मिलेंगे.” मेष राशि: रुके कार्य होंगे पूरे मेष राशि वालों के लिए यह योग अत्यंत शुभ रहने वाला है. डॉ. मिश्रा बताते हैं कि लंबे समय से अटके कार्य पूरे होंगे. करियर में नई ऊंचाइयां हासिल होंगी और नए अवसर मिलेंगे. व्यापारियों और नौकरीपेशा जातकों को आर्थिक लाभ की संभावना है. पारिवारिक जीवन सुखमय रहेगा और आत्मविश्वास में वृद्धि होगी. कर्क राशि: आय और वैवाहिक जीवन में वृद्धि कर्क राशि के जातकों के लिए यह संयोग विशेष रूप से लाभकारी साबित होगा. नए आय स्रोत प्राप्त होंगे और वित्तीय स्थिति मजबूत होगी. वैवाहिक जीवन में खुशहाली आएगी और पारिवारिक संबंधों में सामंजस्य बढ़ेगा. कार्यक्षेत्र में की गई मेहनत का उचित परिणाम मिलेगा. डॉ. मिश्रा कहते हैं कि “कर्क राशि वालों के लिए यह समय निवेश और नई योजनाओं को सफल बनाने के लिए अनुकूल है.” मीन राशि: कारोबार और सामाजिक मान-सम्मान में लाभ मीन राशि के जातकों को इस दुर्लभ योग का सबसे अधिक लाभ होगा. कारोबार में अप्रत्याशित सफलता मिल सकती है. जीवन के हर क्षेत्र में तरक्की की संभावना है. नई योजनाओं में सफलता हासिल होगी और सामाजिक प्रतिष्ठा व मान-सम्मान में वृद्धि होगी. प्रेम जीवन में भी मधुरता आएगी. अन्य राशियों पर सामान्य प्रभाव यद्यपि नवपंचम योग का मुख्य लाभ मेष, कर्क और मीन राशि के जातकों को होगा, लेकिन यह संयोग अन्य राशियों के लिए भी सकारात्मक परिवर्तन और अवसर ला सकता है. नए प्रोजेक्ट्स में सफलता, सामाजिक संपर्कों में लाभ और व्यक्तिगत विकास के अवसर बढ़ सकते हैं.  “गणेश चतुर्थी का यह योग न केवल आर्थिक लाभ देगा बल्कि मानसिक संतुलन और पारिवारिक सुख-शांति को भी बढ़ावा देगा. जो लोग अपने लक्ष्यों और योजनाओं पर ध्यान देंगे, वे अधिकतम लाभ उठा पाएंगे.”

इस बार कब है गणेश चतुर्थी? गणपति स्थापना का सही मुहूर्त और टाइमिंग नोट करें

इस महापर्व की शुरुआत भादो शुक्ल चतुर्थी को होती है और चतुर्दशी तिथि को गणेश विसर्जन के साथ इसका समापन हो जाता है. यह त्योहार भगवान गणेश को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र घड़ी में भगवान गणेश धरती पर उतरते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. इस साल ये पर्व 27 अगस्त से 6 सितंबर तक मनाया जाएगा. गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना का मुहूर्त क्या है?  हिंदू पंचांग के अनुसार, भादो शुक्ल चतुर्थी 26 अगस्त को दोपहर 01.54 बजे 27 अगस्त को दोपहर 03.44 बजे तक रहेगी. उदिया तिथि के चलते गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाई जाएगी और इसी दिन गणपति जी की स्थापना होगी. चूंकि गणपति स्थापना मध्याह्न काल में शुभ होती है, इसलिए 27 अगस्त को सुबह 11 बजकर 05 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 40 मिनट तक गणपति जी की स्थापना होगी. अलग-अलग मूर्तियां स्थापित करने का क्या है महत्व?  भगवान गणेश की अलग-अलग मूर्तियां अलग परिणाम देती हैं. पीले और लाल रंग की मूर्ति की उपासना शुभ होती है. नीले रंग के गणेश "उच्छिष्ट गणपति" कहलाते हैं. इनकी उपासना विशेष दशाओं में ही की जाती है. हल्दी से बनी मूर्ति "हरिद्रा गणपति" कहलाती है. यह कुछ विशेष मनोकामनाओं के लिए शुभ मानी जाती है. एकदंत गणपति , श्यामवर्ण के होते हैं. इनकी उपासना से अद्भुत पराक्रम मिलता है. सफेद गणपति को ऋणमोचन कहते हैं. इनकी पूजा से आदमी कर्ज मुक्त होता है. चार भुजाओं वाले रक्त वर्ण गणपति को "संकष्टहरण गणपति" कहते हैं. इनकी उपासना से संकटों का नाश होता है. त्रिनेत्रधारी, रक्तवर्ण और दस भुजाधारी गणेश "महागणपति" कहलाते हैं. इनके अंदर समस्त गणपति समाहित हैं. सामान्यतः घरों में पीले रंग या रक्त वर्ण की मध्यम आकार वाली प्रतिमा ही स्थापित करनी चाहिए. गणपति स्थापना विधि  घर की उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) या पूर्व दिशा में एक चौकी लगाकर उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं. चौकी पर हल्दी से स्वस्तिक बनाएं और वहां अक्षत अर्पित करें. इसके बाद गणपति जी की मूर्ति को दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल से स्नान कराएं. इसके बाद चौकी पर भगवान की  मूर्ति स्थापित करें. मूर्ति स्थापना के समय "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र का जाप जरूर करें. इसके बाद एक कलश में गंगाजल भरकर उसके मुख पर आम के पत्ते और नारियल रखें. दीपक और अगरबत्ती जलाएं. गणपति जी की दूर्वा, फल, फूल अर्पित करें. उन्हें मोदक या लड्डू का भोग लगाएं. इसके बाद भगवान गणेश की आरती करें. उनके मंत्रों का जाप करें और गणपति बप्पा के जयकारे लगाएं. गणेश महोत्सव में कैसे करें गणपति पूजन? यदि आपने घर में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित की है तो नियमित रूप से दोनों वेला उनकी पूजा करें. अन्यथा सामान्य जीवनचर्या में भी दोनों वेला पूजा कर सकते हैं. सुबह और शाम के वक्त दीपक जलाकर गणेश जी की पूजा करें. उन्हें पीले फूल और दूर्वा अर्पित करें. दोनों वेला आरती करें. जितने दिन महोत्सव चल रहा है, उतने दिन पूर्ण सात्विकता का पालन करें. अनंत चतुर्दशी के दिन चाहें तो उपवास रखकर विसर्जन में शामिल हो सकते हैं.

आज का राशिफल (24 अगस्त 2025): भाग्य चमकेगा इन राशियों का, सफलता और प्रतिष्ठा दोनों साथ

मेष आज आपको लंबी दूरी की यात्रा से बचना चाहिए। परिवार के सदस्यों का साथ मिलेगा। आर्थिक रूप से आप अच्छे रहेंगे। व्यापारिक स्थिति अच्छी होगी। वैवाहिक जीवन अच्छा रहेगा। आपको ऑफिस में अपनी स्किल को बेहतर बनाने का मौका मिलेगा। वृषभ आज किसी पुराने मित्र से मुलाकात हो सकती है। शादीशुदा लोगों को जीवनसाथी का साथ मिलेगा। परिवार की स्थिति अच्छी होगी। अपनों के सहयोग से आर्थिक लाभ हो सकता है। खाली समय पर अपने महत्वपूर्ण टास्कों को निपटाने की कोशिश करें। आर्थिक मामले उतार-चढ़ाव भरे हो सकते हैं। मिथुन आज आपको अपनी नौकरी में तरक्की के अवसर प्राप्त होंगे। धन की स्थिति में सुधार होगा। परिवार के लोगों के सपोर्ट से किसी काम में सफलता मिल सकती है। उन्नति के योग हैं। जीवनसाथी के खराब मूड के कारण आज का दिन थोड़ा परेशानी भरा हो सकता है। कर्क धार्मिक और आध्यात्मिक रुचि अपनाने के लिए भी आज का दिन अच्छा है। आज किसी पुराने कर्ज से मुक्ति मिल सकती है। सोशल एक्टिविटी से आपको मन बहलाने का मौका मिलेगा। संतान के साथ अच्छा समय बिताएंगे। आपको किसी अटके हुए धन की वापसी हो सकती है। व्यापारिक स्थिति अच्छी होगी। सिंह आज आपको किसी पुराने मित्र का सहयोग मिलेगा। आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सिंगल जातकों की लाइफ में किसी खास शख्स की एंट्री हो सकती है। रोमांटिक जीवन के लिहाज से यह दिन बेहतर रहेगा। व्यापार में सुधार होगा। कन्या आज आपको मानसिक शांति बनेगी। आपको आर्थिक लाभ मिलने की पूरी संभावना है। किसी व्यवसाय करने से बचें। आपकी मानसिक शांति के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप ऐसी किसी भी एक्टिविटी में शामिल न हों। परिवार का कोई सदस्य आज आपके खिलाफ बोल सकता है, जिससे आपकी फीलिंग्स को गहरी ठेस पहुंचेगी। तुला आज बच्चों की सेहत पर नजर रखें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लें। कोई पुराना दोस्त आज आपसे आर्थिक मदद मांग सकता है। घरेलू कार्यों के कारण आज आप बिजी रहेंगे। नौकरी में तरक्की के साथ आय में वृद्धि मिल सकती है। नौकरी की तलाश करने वालों के लिए आज का दिन अच्छा है। वैवाहिक जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहेगा। वृश्चिक जीवनसाथी के साथ अच्छा समय बिताएंगे। पैसे को रियल एस्टेट में निवेश करना चाहिए। शरीर को फिट रहने के लिए एक्सरसाइज से दिन की शुरुआत करें। आज आपको अपने जीवन में सच्चे प्यार की कमी महसूस होगी। फ्रेंड्स के साथ गॉसिप करने से बचें। धनु आज आपको अपनी फीलिंग्स को कंट्रोल में रखने की जरूरत है। विवाहित जातकों को जीवनसाथी का साथ मिलेगा। आज आपको अचानक किसी अनचाही यात्रा पर जाना पड़ सकता है, जिससे परिवार के साथ समय बिताने का आपका प्लान खराब हो सकता है। किसी बड़े खर्च को लेकर जीवनसाथी के साथ आपकी अनबन हो सकती है। मकर आज आपको महत्वपूर्ण फैसला में आसानी होगी। आज आपके लिए धन संबंधी समस्याओं का सामना करना संभव है। लव लाइफ में थोड़े बदलाव सामने आ सकते हैं। परिवार के साथ समय बिताना मूड को बेहतर बनाएगा। जीवनसाथी के साथ अच्छा बर्ताव करें। व्यापारिक स्थिति उतार-चढ़ाव भरी हो सकती है। कुंभ आज आपको धन के मामलों को लेकर सतर्क रहना चाहिए। पैसों का लेन-देन दिन भर लगातार होता रहेगा और दिन ढलने के बाद आप पर्याप्त बचत करने में भी सफल रहेंगे। परिवार के लिए अपना समय निकालें। अनावश्यक विवादों में न पड़ें। आज आप अपने जीवनसाथी के साथ अच्छी बातचीत करेंगे। मीन आज पठन-पाठन में रुचि बढ़ेगी। शैक्षिक कार्यों में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी। संतान की ओर से सुखद समाचार मिल सकता है। बौद्धिक कार्यों से आय में वृद्धि हो सकती है। परिवार का साथ मिलेगा। खर्चों की अधिकता रहेगी। किसी मित्र के साथ यात्रा पर जा सकते हैं।

बप्पा का यह स्वरूप घर में लाएगा खुशियां और बरसेगी अपार संपत्ति

गणेश चतुर्थी का उत्सव कहीं एक दिन तो कहीं 10 दिनों तक (अनंत चतुर्दशी तक) बड़े उत्साह से मनाया जाता है। गणपति की मूर्ति स्थापित कर, विधिवत पूजा, मंत्रोच्चार और आरती के साथ गणेश जी का स्वागत किया जाता है। भक्त गणेश जी को मोदक, दूर्वा घास, लाल फूल, लड्डू और गुड़ चढ़ाते हैं। अंतिम दिन गणेश विसर्जन किया जाता है, जिसमें भक्त "गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ" के जयघोष के साथ मूर्ति को जल में विसर्जित करते हैं। गणेश चतुर्थी पर भगवान श्री गणेश जी की विभिन्न सूंड वाली आकृतियों का दर्शन पूजन किया जाता है। गणेश जी की सूंड की दिशा का अपना विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है। संतान सुख की कामना करने वाले व्यक्तियों को बाल गणेश स्वरूप का पूजन करना चाहिए, इससे संतान कामना शीघ्र पूर्ण होती है, और संतान बुद्धिमान, स्वस्थ एवं पराक्रमी भी होती है। नृत्य करते हुए गणपति की छवि का पूजन विशेष रूप से कला जगत से जुड़े व्यक्तियों को करना चाहिए। इनका यह स्वरूप धन और आनंद देने वाला स्वरुप है। लेटी हुई मुद्रा में गणपति की छवि का पूजन करने से घर में सुख और आनंद का स्थायी निवास रहता है। सिंदूरी रंग के गणेश जी को वास्तु दोष दूर करने के लिए घर के मुख्य द्वार पर लगाया जाता है। ध्यान रखें कि ये बाईं ओर की सूंड की छवि वाले गणपति हों, इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है और नकारात्मक ऊर्जा घर से बाहर रहती है।      दक्षिणमुखी गणेश जी गणपति जी की सूंड का अग्रभाग दाईं ओर मुड़ा होने पर उन्हें दक्षिणामुखी गणपति कहा जाता है। दाईं बाजू सूर्य नाड़ी का प्रतिनिधित्व करती है। इसके जागृत  होने पर व्यक्ति अधिक तेजस्वी और आत्मविश्वासी होता है। ऐसे गणेश जी को सिद्धि विनायक भी कहा जाता है। इनकी स्थापना घर में न कर मंदिर में ही की जाती है।

शिंगणापुर का चमत्कारी शनि मंदिर

भारत में सूर्यपुत्र शनिदेव के कई मंदिर हैं। उन्हीं में से एक प्रमुख है महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिंगणापुर का शनि मंदिर। विश्व प्रसिद्ध इस शनि मंदिर की विशेषता यह है कि यहां स्थित यहां पर शनि महाराज की कोई मूर्ति नहीं है बल्कि एक बड़ा सा काला पत्थर है जिसे शनि का विग्रह माना जाता है और वह बगैर किसी छत्र या गुंबद के खुले आसमान के नीचे एक संगमरमर के चबूतरे पर विराजित है। शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए देश विदेश से लोग यहां आते हैं और शनि विग्रह की पूजा करके शनि के कुप्रभाव से मुक्ति का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। माना जाता है कि यहां पर शनि महाराज का तैलाभिषेक करने वाले को शनि कभी कष्ट नहीं देते। शनि मराहाज के शिंगणापुर पहुंचने की कहानी बड़ी ही रोचक है। सदियों पहले शिंगणापुर में खूब वर्षा हुई। वर्षा के कारण यहां बाढ़ की स्थिति आ गई। लोगों को वर्षा प्रलय के समान लगने लग रही थी। इसी बीच एक रात शनि महाराज एक गांववासी के सपने में आए, शनि महाराज ने कहा कि मैं पानस नाले में विग्रह रूप में मौजूद हूं। मेरे विग्रह को उठाकर गांव में लाकर स्थापित करो। सुबह इस व्यक्ति ने गांव वालों को यह बात बताई। सभी लोग पानस नाले पर गए और वहां मौजूद शनि का विग्रह देखकर सभी हैरान रह गये। गांव वाले मिलकर उस विग्रह का उठाने लगे लेकिन विग्रह हिला तक नहीं, सभी हारकर वापस लौट आए। शनि महाराज फिर उस रात उसी व्यक्ति के सपने में आये और बताया कि कोई मामा भांजा मिलकर मुझे उठाएं तो ही मैं उस स्थान से उठूंगा। मुझे उस बैलगाड़ी में बैठाकर लाना जिसमें लगे बैल भी मामा-भांजा हों। अगले दिन उस व्यक्ति ने जब यह बात बताई तब एक मामा भांजे ने मिलकर विग्रह को उठाया। बैलगाड़ी पर बिठाकर शनि महाराज को गांव में लाया गया और उस स्थान पर स्थापित किया जहां वर्तमान में शनि विग्रह मौजूद है। इस विग्रह की स्थापना के बाद गांव की समृद्घि और खुशहाली बढ़ने लगी शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव का विग्रह लगभग पांच फीट नौ इंच ऊंचा व लगभग एक फीट छह इंच चैड़ा है। देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आकर शनिदेव के इस दुर्लभ विग्रह का दर्शन लाभ लेते हैं। यहां के मंदिर में स्त्रियों का शनि विग्रह के पास जाना वर्जित है। महिलाएं दूर से ही शनिदेव के दर्शन करती हैं। सुबह हो या शाम, सर्दी हो या गर्मी यहां स्थित शनि विग्रह के समीप जाने के लिए पुरुषों का स्नान कर पीताम्बर धोती धारण करना अत्यावश्क है। ऐसा किए बगैर पुरुष शनि विग्रह का स्पर्श नहीं पर सकते हैं।। प्रत्येक शनिवार, शनि जयंती व शनैश्चरी अमावस्या आदि अवसरों पर यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। इस हेतु यहां पर स्नान और वस्त्रादि की बेहतर व्यवस्थाएं हैंखुले मैदान में एक टंकी में कई सारे नल लगे हुए हैं, जिनके जल से स्नान करके पुरुष शनिदेव के दर्शनों का लाभ ले सकते हैं। पूजनादि की सामग्री के लिए भी यहां आसपास बहुत सारी दुकानें हैं, जहां से पूजन सामग्री लेकर शनिदेव को अर्पित कर सकते हैं। मंगलकारी हैं शनिदेव: आमतौर पर शनिदेव को लेकर हमारे मन में कई भ्रामक धारणाएं हैं। जैसे कि शनिदेव बहुत अधिक कष्ट देने वाले देवता हैं वगैरह-वगैरह, लेकिन वास्तविक रूप मे ऐसा नहीं है। यदि शनि की आराधना ध्यानपूर्वक की जाए तो शनिदेव से उत्तम कोई देवता ही नहीं है। शनि की जिस पर कृपा होती है उस व्यक्ति के लिए सफलता के सारे द्वार खुल जाते हैं। शिंगणापुर की विशेषता: गौरतलब है कि कि शिंगणापुर के अधिकांश घरों में खिड़की, दरवाजे और तिजोरी नहीं है। दरवाजों की जगह यदि लगे हैं तो केवल पर्दे। ऐसा इसलिए क्योंकि यहां चोरी नहीं होती। कहा जाता है कि जो भी चोरी करता है उसे शनि महाराज उसकी सजा स्वयं दे देते हैं। गांव वालों पर शनिदेव की कृपा है व चोरी का भय ही नहीं है शायद इसीलिये दरवाजे, खिड़की, अलमारी व शिंगणापुर मे नही है। कई मुख्य स्थानो से शिंगणापुर की दूरी:- शिर्डी से शिंगणापुर की दूरी -70 किमी नासिक से शिंगणापुर की दूरी -170 किमी औरंगाबाद से शिंगणापुर की दूरी -68 किमी अहमद नगर से शिंगणापुर की दूरी -35 किमी।