samacharsecretary.com

मिशन बिहार: पीएम मोदी और अमित शाह एक साथ 24 अक्टूबर को मैदान में, अलग-अलग जिलों से भरेंगे हुंकार

पटना बिहार चुनाव को लेकर एनडीए ने चुनावी अभियान का बिगुल फूंक दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अक्टूबर को समस्तीपुर और बेगूसराय में चुनावी रैली करेंगे, तो वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी उसी दिन सीवान और बक्सर में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। 5 दिनों के अंतराल में एक बार फिर शाह बिहार के दौरे पर आ रहे हैं। अमित शाह की 24 अक्तूबर को बिहार में दो सभाएं होंगी। इससे पहले उन्होने छपरा के तरैया में चुनावी रैली की थी। इसी महीने 16 से 18 अक्टूबर तक शाह बिहार दौरे पर रहे थे। वहीं बिहार चुनाव के ऐलान के बाद पहली बार पीएम मोदी 24 अक्टूबर से मिशन बिहार पर आएंगे। जिसकी शुरुआत कर्पूरी ठाकुर की धरती से करेंगे। 24 अक्टूबर को समस्तीपुर और बेगूसराय में चुनावी रैली में लोगों को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 30 अक्टूबर को दूसरा बिहार दौरा प्रस्तावित है। इस दिन पीएम मुजफ्फरपुर और छपरा में जनसभा को संबोधित करेंगे। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा, "प्रधानमंत्री का प्रस्तावित बिहार दौरा 24 अक्टूबर को है। बिहार में वह दो जगहों पर जनसभाओं को संबोधित करेंगे। उनका चुनाव अभियान 24 अक्टूबर को समस्तीपुर से शुरू होगा। वहां से वह बेगूसराय जाएंगे और वहां एक जनसभा को संबोधित करेंगे। उनका दूसरा प्रस्तावित दौरा 29 अक्टूबर को है, जिसकी सूचना बाद में दी जाएगी। उन्होंने कहा कि चूंकि सुरक्षा का मामला है, इसलिए यह सुनिश्चित करने के लिए कि छठ मनाने वाले आम लोगों को कोई परेशानी न हो, उनका छठ पर ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं है। वह आना चाहते थे, लेकिन छठ मनाने वाले आम लोगों को असुविधा होती। इसलिए ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं है। लेकिन 24 अक्टूबर को बिहार में चुनावी समर अपने चरम पर होगा। जब पीएम मोदी और अमित शाह एक साथ, एक दिन बिहार के अलग-अलग जिलों में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे। वहीं कल (23 अक्टूबर) को पटना में महागठबंधन की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस है। जिसके बाद गठबंधन के सहयोगी दल चुनार प्रचार करेंगे। पीएम मोदी की रैली का ऐलान चुनावी अभियान की शुरुआत समस्तीपुर से होगी, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर्पूरी ग्राम जाकर समाजवादी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर के घर पहुंचेंगे। वहां वह कर्पूरी ठाकुर को श्रद्धांजलि देंगे। इसी कार्यक्रम से प्रधानमंत्री अपने बिहार दौरे और चुनावी रैलियों की औपचारिक शुरुआत करेंगे। पीएम मोदी की बिहार चुनाव के लिए रैली प्रधानमंत्री के दौरे का यह आगाज बेहद प्रतीकात्मक माना जा रहा है, क्योंकि कर्पूरी ठाकुर को बिहार की राजनीति का बड़ा चेहरा और सामाजिक न्याय का प्रतीक माना जाता है। कर्पूरी ग्राम से शुरुआत करके पीएम मोदी एक बार फिर 'सबका साथ, सबका विकास' के संदेश के साथ बिहार में एनडीए की ताकत को और मजबूत करने की कोशिश करेंगे। जानिए पीएम मोदी की रैली का शेड्यूल जानकारी के मुताबिक, 24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समस्तीपुर और बेगूसराय में दो बड़ी चुनावी सभाएं करेंगे। इसके बाद उनका अगला चरण 30 अक्टूबर को तय है, जब वह मुजफ्फरपुर और छपरा में रैलियां संबोधित करेंगे। सूत्रों के अनुसार, 2 नवंबर, 3 नवंबर, 6 नवंबर और 7 नवंबर को भी प्रधानमंत्री बिहार के अलग-अलग जिलों में जनसभाएं करेंगे। इन रैलियों के कार्यक्रम को लेकर सुरक्षा और प्रशासनिक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। मोदी के रथ पर सवार बिहार बीजेपी भाजपा नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी की रैलियों से बिहार में एनडीए के चुनावी अभियान को नई ऊर्जा मिलेगी। वहीं राजनीतिक जानकारों का मानना है कि समस्तीपुर से शुरुआत करना एक रणनीतिक कदम है, क्योंकि यह क्षेत्र न सिर्फ समाजवादी राजनीति की धरती रहा है, बल्कि उत्तर बिहार की राजनीति में इसका विशेष प्रभाव है। बिहार में पहले चरण की वोटिंग 6 नवंबर को होनी है और दूसरे चरण के लिए 11 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी और इसके साथ ही चुनाव के नतीजे सामने आ जाएंगे।  

कांग्रेस के ऐलान से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल, विपक्षी एकता पर फिर संकट

मुंबई बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के बीच सीटों का बंटवारा सही से नहीं हो सका है। करीब आधा दर्जन सीटें तो ऐसी ही हैं, जहां महागठबंधन के ही दल यानी आरजेडी, कांग्रेस, वामदल ही फ्रेंडली फाइट में उतरेंगे। वहीं पूरे देश में INDIA अलायंस नाम वाले इस गठबंधन में महाराष्ट्र में भी खटास पैदा होती दिख रही है। महाराष्ट्र में कांग्रेस का कहना है कि हम निकाय चुनाव में अकेले उतरना पसंद करेंगे। पार्टी का कहना है कि हम उस गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ना चाहेंगे, जिसमें राज ठाकरे होंगे। सीनियर कांग्रेस लीडर और मुंबई के पूर्व अध्यक्ष भाई जगताप ने मंगलवार को यह बात कही। उन्होंने कहा कि कांग्रेस राज ठाकरे के साथ चुनाव में नहीं रहना चाहेगी और ना ही हम ऐसी स्थिति में उद्धव ठाकरे के साथ रहना चाहेंगे। हम अकेले लड़ना पसंद करेंगे। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के प्रभारी रमेश चेन्निथला के साथ नई गठित कमेटी ने मीटिंग की थी और तब यह मसला उठा था। फिलहाल इस बारे में कोई औपचारिक फैसला नहीं लिया गया है। वहीं शिवसेना नेता आनंद दुबे ने भी भाई जगताप को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा कोई फैसला तो राहुल गांधी या फिर मल्लिकार्जुन खरगे करेंगे या फिर शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे लेंगे। भाई जगताप किस हैसियत से ऐसा बोल रहे हैं। शिवसेना लीडर ने कहा कि हमें चुनौती मत दीजिए। हम शिवसेना हैं और पिछले चुनाव में हमने अकेले चुनाव लड़ा था और भाजपा को हराया था। हम अपने गठबंधन सहयोगियों का सम्मान करते हैं, लेकिन अकेले चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार हैं। कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की पार्टी 2019 से सहयोगी हैं। इस गठबंधन की नींव एनसीपी नेता शरद पवार की ओर से 2019 में तब रखी गई थी, जब भाजपा और शिवसेना के बीच सरकार गठन को लेकर विवाद हुआ था। तब उद्धव ठाकरे को सीएम बनाते हुए गठबंधन किया गया था। हालांकि 2022 में तब चीजें पलट गईं, जब एकनाथ शिंदे ने पार्टी में ही फूट कर दी और 40 विधायक लेकर खुद ही भाजपा के सहयोग से सीएम बन गए। हालांकि अब चीजें फिर से महाराष्ट्र में बदल रही हैं। उद्धव ठाकरे की अपने अपने बिछड़े चचेरे भाई के साथ फिर से नज़दीकी बढ़ती दिख रही है। तभी से सवाल उठ रहा है कि क्या वे गठबंधन का हिस्सा बनेंगे, जिसमें कांग्रेस और एनसीपी भी शामिल हैं। गौरतलब है कि बीएमसी को एशिया का सबसे अमीर नगर निकाय कहा जाता है। इसी को लेकर राज और उद्धव के बीच समझौते की चर्चाएं हैं। महा विकास अघाड़ी के दूसरे सहयोगी शरद पवार इस पर क्या प्रतिक्रिया देंगे, इसका फिलहाल इंतजार है। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के दबाव ने महागठबंधन के सहयोगियों को अलग कर दिया है। हालांकि कांग्रेस या लालू यादव की राष्ट्रीय जनता दल की ओर से ऐसा कोई कड़ा बयान नहीं आया है, लेकिन दोनों ही सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बना पाए हैं।

महागठबंधन में सीटों की जंग तेज, दिलीप जायसवाल का विवादित बयान सोशल मीडिया पर वायरल

पटना बिहार चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीटों पर घमासान मचा हुआ है। अभी तक सीट बंटवारे का औपचारिक ऐलान तक नहीं हुआ है। जबकि पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया पूरी हो गई है। हालांकि आरजेडी-कांग्रेस समेत सहयोगी दलों ने अपने प्रत्याशियों लिस्ट जरूर जारी कर दी है। और कैंडिडेट्स ने नामांकन भी कर दिया है। वहीं जेएमएम ने महागठबंधन से दूरी बना ली है। बिहार में अकेले दम पर 6 सीटों पर लड़ने का ऐलान भी कर दिया है। इस बीच बिहार बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने महागठबंधन में मची रार को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होने एनडीए को 5 पांडव और महागठबंधन को 'कौरवों की सेना' बताया है। यही नहीं पैसे लेकर टिकट बेचने का आरोप लगाते हुए कहा कि सबकुछ पैसों के खेल से तय हो रहा है। बिहार की जनता इसे देख रही है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि एक तरफ '5 पांडवों की पार्टी एनडीए है, जिसने सौहार्दपूर्ण माहौल में समय पर सीट बंटवारे और उम्मीदवारों की घोषणा की। दूसरी तरफ 'कौरवों की सेना' महागठबंधन है, जिसमें टिकट बंटवारे को लेकर अराजकता देखी जा रही है। जायसवाल ने कहा किआरजेडी, कांग्रेस, वीआईपी, जेएमएम, लेफ्ट एक-दूसरे से भिड़े हुए हैं। अगर टिकट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में इतना मतभेद हो सकता है, तो ये लोग सरकार कैसे चलाएंगे?  

2-4 वोट की राजनीति: अखिलेश के दीये-मोमबत्ती बयान पर VHP-BJP ने साधा निशाना

नई दिल्ली  समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव दिवाली और क्रिसमस को लेकर ऐसा बयान दिया, जिससे बवाल मच गया। दिवाली के मौके पर जब अखिलेश से पूछा गया कि वह कुछ सुझाव देंगे तो उन्होंने क्रिसमस से तुलना की और कहा कि दीये और मोमबत्ती पर बार-बार क्यों खर्च करना। उनके इस बयान पर विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी भड़क गई है। वीएचपी ने कहा है कि अखिलेश को वेटिकन सिटी जाना चाहिए, वहां दो-चार वोट मिल जाएंगे। वहीं, बीजेपी ने घेरते हुए कहा कि जब अयोध्या चमक रही है तो अखिलेश यादव को दिक्कत हो रही। अखिलेश यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, ''भगवान श्रीराम जी पर सुझाव देता हूं। दुनिया में क्रिसमस के समय पूरे शहर जगमगा जाते हैं और महीनों तक जगमगाते हैं। उन्हीं से सीख लेना चाहिए। क्यों खर्चा करना दीये और मोमबत्ती का, क्यों दिमाग लगाना। हम लोग बहुत सुंदर रोशनी करवाएंगे।'' इस पर वीएचपी के विनोद बंसल ने कहा कि यह वो पार्टी है जो निहत्थे रामभक्तों को मारने पर खुद को गौरवान्वित महसूस करती है। रामचरितमानस जलवाती है। यह पार्टी दिवाली के दीयों से नहीं जलेगी तो क्या होगा। वो बात पीडीए की करते हैं, उन्होंने कहा, ''जो दीपक जलाने वाली कम्युनिटी कुम्हार है, वो पूरी दुनिया को अपने दीये से रौशन करना चाहते हैं। इनको चिंता है कि पीडीए का वो घटक कहीं रौशन न हो जाए, उनके घर चार पैसे न चले जाएं। इसलिए उन दीये से उनका दिवाला निकल रहा है। जब से क्रिश्चियनटी शुरू नहीं हुई तब से दिवाली चल रही है। कह रहे हैं कि क्रिसमस से सीख लेनी चाहिए, जबकि अभी दिवाली आ रही है और क्रिसमस दो महीने बाद है। इनको यही नहीं पता कि कौन सा त्योहार आने वाला है।'' उन्होंने आगे कहा, ''मैं पूछना चाहता हूं कि अखिलेश यादव की जो सोच है, वह कब ठीक होगी। ये आखिरकार अपने कैबिनेट में जिहादियों-अपराधियों को रखते थे। अब जब अयोध्या में भव्य दिवाली मनाई जा रही है तो इस पर इतनी चिढ़ क्यों हो रही। ये दिवाली की शुभकामनाएं नहीं दे सकतीं। आप क्रिसमस मनाइए और धूमधाम से बखान कीजिए। इनको वेटिकन सिटी में जाना चाहिए, वहां दो-चार वोटर मिल जाएंगे। ये जो वोटों के लालची नेता हैं, किस हदतक जा सकते हैं और अपनी ही संस्कृति पर हमला कर सकते हैं, यह उनके बयान से सामने आती है।'' वहीं, अखिलेश यादव के इस बयान पर बीजेपी ने भी हमला बोला। बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि यूपी में समाजवादी पार्टी के राज में अयोध्या को अंधेरे में रखा गया था। उस समय की समाजवादी पार्टी सरकार ने पहले भी राम भक्तों पर गोलियां चलवाई थीं। अब, जब अयोध्या चमक रही है, तो अखिलेश यादव को दिक्कत हो रही है। ये लोग सैफई में नाच-गाने के फेस्टिवल ऑर्गनाइज करते थे, लेकिन अगर अयोध्या में दिवाली मनाई जा रही है, तो अखिलेश यादव को दिक्कत हो रही है।"  

कांग्रेस MLA का बड़ा बयानः क्या मुसलमानों को नमाज के लिए भी लेना पड़ेगा परमिशन?

कर्नाटक  कर्नाटक कांग्रेस विधायक के. एन. राजन्ना ने शनिवार को सरकार के उस नए आदेश पर सवाल उठाए, जिसमें सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक स्थलों पर बिना अनुमति आरएसएस की गतिविधियों पर रोक लगाई गई है। राजन्ना ने कहा कि देखना होगा यह आदेश व्यवहार में कितना लागू हो सकता है। उन्होंने कहा, “हमें देखना होगा कि यह आदेश वास्तव में कितना लागू किया जा सकता है।” पूर्व मंत्री राजन्ना को कुछ महीने पहले मंत्रिमंडल से हटाया गया था। उन्होंने कहा कि सिर्फ वही नियम बनाए जाने चाहिए जो लागू किए जा सकें, वरना वे सिर्फ किताबों तक ही सीमित रह जाते हैं। राजन्ना ने यह भी कहा कि सरकार का आदेश मंत्री प्रियंक खड़गे के पत्र पर आधारित है, जिसमें उन्होंने सिर्फ इतना कहा था कि आरएसएस को सार्वजनिक स्थानों पर कार्यक्रम करने से पहले अनुमति लेनी चाहिए, लेकिन कहीं भी पूर्ण प्रतिबंध की बात नहीं की गई थी। उन्होंने आगे सवाल उठाया, “अब हमारे पास ईदगाह है। वे (मुस्लिम समुदाय) सड़क पर ही नमाज अदा करते हैं। क्या वे अनुमति लेते हैं? या अगर उन्हें अनुमति लेने के लिए कहा जाएगा तो क्या वे मानेंगे?” गौरतलब है कि कर्नाटक मंत्रिमंडल ने गुरुवार को निर्णय लिया था कि आरएसएस की गतिविधियों, जिनमें मार्च और सरकारी संपत्तियों या सार्वजनिक सड़कों पर आयोजित कार्यक्रम शामिल हैं, के लिए नए नियम बनाए जाएंगे, ताकि ऐसी गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सके।  

झांसी से वापसी का मन बना चुकीं उमा भारती, 2029 में चुनाव लड़ने की तैयारी

ललितपुर  भारतीय जनता पार्टी (BJP) की फायरब्रांड नेता और मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने 2029 के लोकसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उमा भारती (UMA BHARTI) ने कहा है कि यदि पार्टी अनुमति देती है तो वे 'अगला लोकसभा चुनाव झांसी लोकसभा सीट' से लड़ेंगी। उमा ने इस संबंध में सोशल मीडिया पर भी अपनी इच्छा जाहिर कर दी है। उत्तर प्रदेश के 'ललितपुर दौरे' के समय मीडिया से बातचीत में भी उमा भारती ने कहा, “अगर पार्टी कहेगी तो मैं चुनाव जरूर लड़ूंगी, लेकिन मैं सिर्फ झांसी से ही चुनाव लड़ूंगी।” उमा ने कहा कि उनका बुंदेलखंड क्षेत्र से उनका गहरा जुड़ाव है, और वे चाहेंगी कि आने वाले लोकसभा चुनाव में बुंदेलखंड की जनता एक बार फिर उन्हें लोकसभा तक पहुंचाएं। उमा भारती का यह बयान राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। राजनीतिक विश्लेषक इसे '2029 लोकसभा चुनाव की शुरुआती गहमागहमी' के रूप में देख रहे हैं। पहले भी रही सुर्खियों इससे पहले, भाजपा नेता (BJP) उमा भारती पहले भी कई बार चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर कर चुकी हैं। अगस्त 2025 में उन्होंने कहा था कि वे अभी 65 वर्ष की नहीं हुई हैं और सही समय आने पर चुनाव लड़ेंगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि “फिलहाल चुनाव लड़ना मेरे लिए एक बाधा हो सकता है।” सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर उमा भारती ने लिखा है कि यदि पार्टी का आदेश मिलेगा तो वे झांसी से चुनाव लड़ेंगी। उन्होंने अपने बयान को भाजपा को भी टैग किया है। झांसी से सांसद बनी थीं उमा इस बयान से एक बार फिर बुंदेलखंड की राजनीति में हलचल मच गई है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि पार्टी नेतृत्व उनके बयान को किस रूप में देखता है। 2014 के लोकसभा चुनाव में उमा भारती झांसी से ही सांसद चुनी गई थी। झांसी के लोकसभा चुनाव में कुल 17 बार में से 9 बार कांग्रेस का कब्जा रहा। 6 बार भाजपा जीत सकी। एक बार लोकदल को जीत मिली थी।

बंगाल फतह की तैयारी में BJP, छह महीने पहले ही RSS के साथ शुरू हुआ मिशन

कोलकत्ता  बीजेपी ने पश्चिम बंगाल के बड़े मिशन के लिए छह महीने पहले से ही अपनी तैयारी अपनी चुनावी जमीनी तैयारियों पर अमल शुरू कर दिया है। राज्य में सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों और सभी हिस्सो में अपनी पहुंच को मजबूत करने के लिसए पार्टी ने तीन स्तरीय रणनीति पर काम करना शुरू किया है। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) भी उसकी मदद कर रहा है। इस रणनीति में आरएसएस के कार्यकर्ता ओपीनियन लीडर और बीजेपी के बूथ कार्यकर्ता बिना कीसी शोर शराबे के लोगों को बदलाव के लिए तैयार कर रहे हैं। बता दें कि हाल के वर्षो में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में तेजी से अपना प्रभाव बढ़ाया है। तीन दशकों तक राज करने वाले वामपंथी दलों और उनके पहले सत्ता में रही कांग्रेस को बीजेपी ने सत्ता की लड़ाई से ही बाहर कर दिया है। अब लड़ाई में सत्तारूढ़ टीएमसी और ममता बनर्जी ही बची हैं। पिछले चुनाव में तीन से 77 तक पहुंची थी बीजेपी पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपनी सीटें तीन से बढ़ाकर 77 तक पहुंचा दी थीं। कांग्रेस और वामपंथी दलों का तो खाता भी नहीं खुल पाया था। तब बीजेपी ने बदलाव का एक माहौल तैयार कर दिया था। ममता बनर्जी ने सीधी लड़ाई में भारी जीत दर्ज की थी। हालांकि बीजेपी को अपनी जमीन मजबूत करने का मौका मिल गया था। कैसे गांव-गांव तक पहुंच रही बीजेपी बीजेपी ने पहले खुद को नीचे के स्तर पर मजबूत करना शुरू किया। संगठन में कुशल रणनीतिकार माने जाने वाले सुनील बंसल को बड़ी जिम्मेदारी दी गई। बीजेपी ने जमीनी स्तर पर जन-जन तक पहुंच बनाने के लिए ओपीनियन लीडर्स तैयार किए। पार्टी के एक बड़े नेता का कहना है कि लोगों में घुसपैठ को लेकर काफी नाराजगी है। इसके अलावा टीएमसी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी बढ़ रही है। बीजेपी को अब लोगों को बदलाव का भरोसा दिलाना है। इसके लिए कार्यकर्ताओं से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक प्रयासरत है।

महागठबंधन की सीटों का खेल: मुकेश सहनी और माले के रहस्य को दीपांकर भट्टाचार्य ने उजागर किया

पटना  बिहार चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीट बंटवारे में देरी और VIP चीफ मुकेश सहनी की नाराजगी की खबरें सामने आईं। सहनी को मनाने में अहम भूमिका किसकी रही इसका खुलासा सीपीआई-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने किया। पटना में हिन्दुस्तान बिहार समागम के कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होने बताया कि आपको याद होगा जब साल 2020 में महागठबंधन के सीट बंटवारे के ऐलान के वक्त सहनी प्रेस कॉन्फ्रेंस से उठकर चले गए थे। फिर एनडीए के साथ हो गए थे। उस समय उनके चार विधायक थे, वो खुद मत्री बने। लेकिन फिर कुछ समय बाद सहनी के चारों विधायकों को बीजेपी ने हड़प लिया। उस समय इन लोगों ने तय किया, जल शपथ ली थी, कि कुछ भी हो जाए हम लोग भाजपा के साथ नहीं जाएंगे। मैंने उनसे (मुकेश सहनी) इतना ही कहा कि आपकी सामाजिक पहचान पहले से है, राजनीतिक पहचान भी बनने लगी है। लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए आप लड़ रहे हैं। वोटर अधिकार यात्रा में आप साथ थे। लोकसभा चुनाव में साथ थे। ऐसे में आपके साथ जो हुआ उसे भूलना नहीं चाहिए। 2-4 सीटों की जो बात है, उसे मिलकर हम लोग देखेंगे। माले महासचिव ने बताया कि मुझे अच्छा लगा कि मुकेश सहनी ने एक चिट्ठी तुरंत राहुल गांधी को भेज दी। जिसके बाद उनका फोन आया, और फिर वो 15 सीटों पर मान गए। दरअसल इस बार हम लोगों का बड़ा गठबंधन है। सीट बंटवारे में देरी का एक ये भी कारण है। 2020 में पांच दलों का महागठबंधन था। आरजेडी, कांग्रेस और लेफ्ट के तीन दल थे। लेकिन इस ज्यादा पार्टी हैं। मुकेश सहनी की वीआईपी, आईपी गुप्ता की पार्टी भी शामिल है। ऐसे में थोड़ी बहुत देरी होती है। लेकिन देर आए, दुरुस्त आए। दीपांकर भट्टाचार्य ने ये भी बताया कि माले कितनी सीटों पर लड़ रही है। उन्होने कहा कि हम लोगों ने तय किया है कि इस बार महागठबंधन में ज्यादा दल है। पिछली बार 19 सीटों पर लड़े थे। इस बार 20 सीटों पर लड़े रहे हैं। उम्मीद है कि बाकी सहयोगी दल भी ऐसा ही करेंगे। वहीं 8 सीटों पर महागठबंधन में फ्रेंडली फाइट के सवाल पर माले महासचिव ने कहा कि नामांकन वापसी तक सब कुछ शॉर्ट लिस्ट हो जाएगा। वहीं बीजेपी पर हमला बोलते हुए भट्टाचार्य ने कहा कि देश के सामने बड़ी चुनौती है। संविधान और लोकतंत्र पर हमला हो रहा है। बीजेपी ने तो कह दिया है कि देश में बाकी छोटे दलों, क्षेत्रीय दलों का समय समाप्त है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने तो कहा कि देश में एक ही पार्टी राज करेगीउसका नाम बीजेपी है। शाह भी कह चुके हैं हम लोग 5 साल नहीं 50 साल के लिए आए हैं।  

NDA की मुश्किलें बढ़ीं! LJP उम्मीदवार सीमा सिंह का नामांकन रद्द, चिराग पासवान नाराज़

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव से पहले ही एनडीए गठबंधन को बड़ा झटका लगा है. कारण, छपरा जिले की मढ़ौरा विधानसभा सीट से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की प्रत्याशी सीमा सिंह का नामांकन रद्द कर दिया गया है. सीमा सिंह भोजपुरी फिल्म जगत की जानी-मानी अभिनेत्री हैं और हाल ही में चिराग पासवान की पार्टी से जुड़कर राजनीति में कदम रखा था. सूत्रों के मुताबिक, सीमा सिंह के नामांकन पत्र की जांच के दौरान कुछ तकनीकी खामियां पाई गईं, जिसके चलते निर्वाचन अधिकारी ने उनका नामांकन अमान्य घोषित कर दिया. सीमा सिंह का नामांकन रद्द होने के बाद मढ़ौरा सीट पर एनडीए की स्थिति कमजोर मानी जा रही है. यह सीट पहले चरण में मतदान के लिए निर्धारित है, जिसके लिए नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.   बता दें कि मढ़ौरा विधानसभा क्षेत्र में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होने की संभावना थी, लेकिन अब इस सीट पर सीमा सिंह का पर्चा खारिज होने के चलते एनडीए को झटका लगा है. यहां अब सीधा मुकाबला आरजेडी और जनसुराज पार्टी के बीच देखने को मिलेगा. मढ़ौरा के आरजेडी प्रत्याशी जितेंद्र कुमार राय हैं, जो निवर्तमान विधायक हैं और बिहार सरकार में मंत्री भी रह चुके है. लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) की प्रत्याशी और प्रसिद्ध भोजपुरी फिल्म अभिनेत्री सीमा सिंह राजनीति में अपनी किस्मत आजमाने के लिए चुनावी मैदान में उतरी थीं. चिराग पासवान ने उन्हें टिकट देकर इस सीट पर मुकाबला रोचक बना दिया था लेकिन अब वह चुनाव की रेस से ही बाहर हो गई हैं. नामांकन के दौरान सीमा सिंह ने अपने शैक्षणिक योग्यता और संपत्ति का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया था, जिसने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. चुनावी शपथपत्र के मुताबिक, सीमा सिंह नौवीं कक्षा पास हैं. उन्होंने वर्ष 1999 में ठाणे (महाराष्ट्र) स्थित द रेम हेगर हिंडे हाई स्कूल, डोंबिवली (पूर्व) से 9वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. 6 नवंबर को होना है पहले चरण का मतदान गौरतलब है कि बिहार में 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को होंगे, जबकि मतगणना 14 नवंबर को होगी. एनडीए गठबंधन ने सभी सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. जेडीयू और बीजेपी ने 101-101 सीटों पर, एलजेपी (रामविलास) ने 29, जीतनराम मांझी की हम पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलकेजे ने 6-6 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं.

राजभर का बड़ा कदम: बिहार में 6 और सीटों पर उतारे उम्मीदवार

पटना  ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने शनिवार को दो चरणों वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए छह उम्मीदवारों की एक और सूची जारी की।  इन उम्मीदवारों को मिला टिकट-     रामनगर से वशिष्ठ पासवान     रामगढ़ से घूरेलाल राजभर      काराकाट से राम वकील राजवंशी      वजीरगंज से रवींद्र राजभर     रानीगंज से राजेश रजवार      कुटुंबा से राधेश्याम रजवार राजभर ने एनडीए से मांगी थी 4-5 सीटें एसबीएसपी ने बिहार में अपने पार्टी प्रमुख ओम प्रकाश राजभर द्वारा एनडीए द्वारा कोई सीट न दिए जाने पर असंतोष व्यक्त करने के बाद अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। पार्टी पहले ही 47 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर चुकी है। राजभर ने बिहार चुनाव के लिए एनडीए से 4-5 सीटों की मांग की थी, लेकिन भाजपा और जेडीयू के प्रमुख गठबंधन ने इसके खिलाफ जाने का फैसला किया, जिससे एसबीएसपी को अकेले चुनाव लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। गठबंधन पर अपना असंतोष व्यक्त करते हुए, राजभर ने आरोप लगाया कि भाजपा ने "गठबंधन धर्म" का पालन नहीं किया।  इससे पहले, राजभर ने कहा, "आप (भाजपा) 'गठबंधन धर्म' निभाना नहीं जानते; आपने अपने नेतृत्व को गलत फीडबैक दिया। हम अपने 'गठबंधन धर्म' का पालन करने के लिए तैयार हैं।" एनडीए ने सीट बंटवारे पर सहमति जताई है जिसके तहत भाजपा और जेडी(यू) 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) छह-छह सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।   243 विधानसभा सीटों के लिए 6 नवंबर और 11 नवंबर को मतदान होगा, और मतगणना 14 नवंबर को होगी। यह आगामी चुनावी मुकाबला भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और जनता दल (यूनाइटेड) (JD(U)) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक के बीच होगा। इंडिया ब्लॉक में कांग्रेस पार्टी, दीपांकर भट्टाचार्य के नेतृत्व वाली भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) (CPI-ML), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (CPM) और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) भी शामिल हैं। इसके अलावा, प्रशांत किशोर की जन सुराज ने भी राज्य की सभी 243 सीटों पर दावा ठोका है