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फिर गरमाई कर्नाटक की सियासत, सीएम बदलाव की अटकलों के बीच सिद्धारमैया की राहुल से मुलाकात

नई दिल्ली/बेंगलुरु कर्नाटक में फिर से नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों का बाजार गर्म है। इस बीच राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से मिलने दिल्ली पहुंचे हैं। दिल्ली पहुंचने पर उन्होंने कहा, "…मैंने आज राहुल गांधी से मिलने के लिए समय मांगा था लेकिन अभी तक कोई जानकारी नहीं मिली है।" कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि वहां कोई वैकेंसी नहीं है। मैं पांच साल पूरा करूंगा। सिद्धारमैया ने कहा, "डीके शिवकुमार ने खुद कहा है कि मुख्यमंत्री पद के लिए कोई रिक्ति नहीं है।" हालांकि, इस बीच राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बेंगलुरु में गुरुवार को यह कहकर सस्पेंस बढ़ा दिया है कि इस मुद्दे पर पार्टी आलाकमान ही निर्णय करेगा। उन्होंने कहा, “पार्टी नेतृत्व सब देख रहा है और समय आने पर वह निर्णय करेगा।” एक और नाटक कंपनी खोलने की इच्छा नहीं प्रदेश में संभावित नेतृत्व परिवर्तन और कुछ पार्टी नेताओं एवं विधायकों के सार्वजनिक बयानों के बारे में एक सवाल के जवाब में परमेश्वर ने स्वीकार किया कि वास्तव में ‘नाटक’ हो रहा है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इसपर टिप्पणी करके उनकी ‘‘एक और नाटक कंपनी खोलने की इच्छा नहीं है।’’ पार्टी आलाकमान सब देख रहा है कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘जैसा कि आप (मीडियाकर्मियों) ने कहा, एक नाटक जारी है। इस (नेतृत्व परिवर्तन के मुद्दे) पर न तो बार-बार चर्चा होनी चाहिए और न ही बयानबाजी। प्रशासन में कोई समस्या नहीं है, यह सुचारू रूप से चल रहा है और मुख्यमंत्री (सिद्धरमैया) प्रभावी रूप से इसका संचालन कर रहे हैं। मैं एक और नाटक कंपनी (बयान देने से) नहीं खोलना चाहता।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान सब देख रहा है और समय आने वह निर्णय करेगा।

शशि थरूर बोले– आज का भारत अलग है, इमरजेंसी जैसे हालात दोहराए नहीं जा सकते

नई दिल्ली पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से लगाए गए आपातकाल की कड़ी आलोचना करते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि इससे पता चलता है कि किस तरह से अक्सर आजादी को छीना जाता है. उन्होंने कहा कि आपातकाल यह भी दिखाता है कि कैसे दुनिया 'मानवाधिकारों के हनन' से अनजान रही. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने 1975 की इमरजेंसी पर एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने इंदिरा गांधी के इस फैसले की जमकर आलोचना की है. लोकतंत्र के समर्थक रहें सतर्क प्रोजेक्ट सिंडीकेट की तरफ से प्रकाशित लेख में थरूर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सत्तावादी नजरिये ने सार्वजनिक जीवन को डर और दमन की स्थिति में धकेल दिया. थरूर ने लिखा कि पचास साल पहले प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की ओर से लगाए गए आपातकाल ने दिखाया था कि कैसे आज़ादी को छीना जाता है, शुरू में तो धीरे-धीरे, भले-बुरे लगने वाले मकसद के नाम पर छोटी-छोटी लगने वाली आजादियों को छीन लिया जाता है. इसलिए यह एक ज़बरदस्त चेतावनी है और लोकतंत्र के समर्थकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए. थरूर ने लिखा, 'इंदिरा गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि कठोर कदम जरूरी थे, सिर्फ आपातकाल की स्थिति ही आंतरिक अव्यवस्था और बाहरी खतरों से निपट सकती थी, और अराजक देश में अनुशासन और दक्षता ला सकती थी.' जून 1975 से मार्च 1977 तक करीब दो साल तक चले आपातकाल में नागरिक स्वतंत्रताएं निलंबित कर दी गईं और विपक्षी नेताओं को जेल में भर दिया गया.  उन्होंने कहा कि अनुशासन और व्यवस्था की चाहत अक्सर बिना कहे ही क्रूरता में तब्दील हो जाती थी, जिसका उदाहरण इंदिराजी के बेटे संजय गांधी की ओर से चलाए गए जबरन नसबंदी अभियान थे, जो गरीब और ग्रामीण इलाकों में केंद्रित थे, जहां मनमाने लक्ष्य हासिल करने के लिए ज़बरदस्ती और हिंसा का इस्तेमाल किया जाता था. इमरजेंसी में हजारों लोग हुए बेघर उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे शहरी केंद्रों में बेरहमी से की गई झुग्गी-झोपड़ियों को ढहाने की कार्रवाई ने हज़ारों लोगों को बेघर कर दिया और उनके कल्याण की कोई चिंता नहीं की गई. उन्होंने लिखा कि आपातकाल ने इस बात का ज्वलंत उदाहरण पेश किया कि लोकतांत्रिक संस्थाएं कितनी कमज़ोर हो सकती हैं, यहां तक कि ऐसे देश में भी जहां वे मज़बूत दिखती हैं. इसने हमें याद दिलाया कि एक सरकार अपनी नैतिक दिशा और उन लोगों के प्रति जवाबदेही की भावना खो सकती है जिनकी वह सेवा करने का दावा करती है. वरिष्ठ कांग्रेस नेता थरूर ने यह भी बताया कि किस तरह अहम लोकतांत्रिक स्तंभों को खामोश कर दिया गया और हिरासत में यातनाएं दी गईं. एक्स्ट्रा ज्यूडिशियल हत्याएं बड़े पैमाने पर की गईं, जिससे उन लोगों के लिए 'काली सच्चाई' की तस्वीर सामने आई, जिन्होंने शासन की अवहेलना करने की हिम्मत दिखाई थी.  थरूर ने कहा कि न्यायपालिका भी भारी दबाव के आगे झुक गई, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण और नागरिकों के स्वतंत्रता के अधिकार को निलंबित कर दिया. उन्होंने कहा, 'पत्रकार, कार्यकर्ता और विपक्षी नेता सलाखों के पीछे पाए गए. व्यापक संवैधानिक उल्लंघनों ने मानवाधिकारों के हनन की एक भयावह सीरीज को को जन्म दिया. आज का भारत ज्यादा मजबूत अपने लेख में थरूर ने कहा कि आज का भारत 1975 का भारत नहीं है. हम ज़्यादा आत्मविश्वासी, ज़्यादा समृद्ध और कई मायनों में ज़्यादा मज़बूत लोकतंत्र हैं. फिर भी आपातकाल के सबक चिंताजनक रूप से प्रासंगिक बने हुए हैं. सत्ता को केंद्रीकृत करने, आलोचकों को चुप कराने और संवैधानिक सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने का लालच कई रूपों में उभर सकता है. उन्होंने कहा कि अक्सर राष्ट्रीय हित, इस अर्थ में आपातकाल एक ज़बरदस्त चेतावनी के रूप में काम करना चाहिए और लोकतंत्र के समर्थकों को हमेशा सतर्क रहना चाहिए.

केजरीवाल बोले- LG की रुकावटों के बावजूद दिल्ली में किए बहुत काम, ‘मेरे को तो नोबेल प्राइज मिलना चाहिए…

नई दिल्ली आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अमेरिकी राष्ट्रपति जैसी डिमांड कर दी है। ट्रंप की ही तरह केजरीवाल ने भी नोबेल पुरुस्कार की मांग कर दी है। मंगलवार को कहा कि दिल्ली को आज आम आदमी पार्टी की याद आ रही है। भाजपा सरकार ने चार महीनों में सब कुछ बर्बाद कर दिया है। एक के बाद एक मोहल्ला क्लीनिक बंद हो रहे हैं। हमने अस्पतालों में दवाइयाँ मुफ़्त कर दी थीं, लेकिन वो बंद कर दी गईं। मुफ़्त जाँचें बंद कर दी गई हैं। दिल्ली का बुरा हाल है। सारी सड़कें टूटी हुई हैं। हर तरफ गंदगी फैली हुई है। ‘छह घंटे की बिजली कटौती शुरू हो गई है’ मोहाली में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “छह घंटे की बिजली कटौती शुरू हो गई है। पिछले सात सालों से दिल्ली में एक मिनट की भी बिजली कटौती नहीं हुई। अभी बारिश का मौसम है, फिर भी बिजली कटौती हो रही है। इनकी नीयत खराब है। हर मंत्री ने अपनी दुकान खोल रखी है। इन्हें पैसा कमाना है, इन्हें सुधारों में कोई दिलचस्पी नहीं है।” ‘मुझे नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए’ उन्होंने आगे कहा, “जब तक हमारी सरकार सत्ता में थी, हमें काम नहीं करने दिया गया। इसके बावजूद हमने काम किया। मुझे लगता है कि मुझे शासन और प्रशासन के लिए नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए क्योंकि मैंने उपराज्यपाल रहते हुए दिल्ली में बहुत काम किया।” अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जून 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने थे। दिल्ली में रात में आठ घंटे बिजली कटौती होती थी। हमने 2013 का चुनाव बिजली आंदोलन के ज़रिए जीता था। 2013 में पहली बार सरकार बनने से पहले, मैंने पूरी दिल्ली का चक्कर लगाया और 15 दिन तक उपवास किया। एलजी की रुकावटों के बावजूद दिल्ली में किए बहुत काम- केजरीवाल नोबेल प्राइज को लेकर AAP नेता केजरीवाल के लिए कोई नॉमिनेशन फिलहाल नहीं किया गया है. फिर भी उनका कहना है, "एलजी के रहते हमने दिल्ली में इतने सारे काम कर दिए. इतनी मुश्किलों के अंदर जानकर ताज्जुब होगा कि हमने दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक बनवाए. पांच मोहल्ला क्लीनिक बीजेपी के नगर निगम ने बुल्डोजर भेजकर तोड़ दिए. जिस तरह से इन्होंने हमें परेशान किया…" केजरीवाल ने कहा, "पिछले साल जून में, जब तापमान 50 डिग्री सेल्सियस था, एक मिनट भी बिजली नहीं कटी थी, लेकिन अब बिजली कटौती हो रही है. उन्होंने (बीजेपी) दिल्ली को बर्बाद कर दिया है. वे राजनीति कर रहे हैं, और उन्हें बस पैसा कमाना है. मुझे शासन और प्रशासन के लिए नोबेल पुरस्कार मिलना चाहिए क्योंकि मेरी AAP सरकार ने एलजी की रुकावटों के बावजूद राजधानी में इतना काम किया है." दो साल पहले भी केजरीवाल ने जताई थी नोबेल की इच्छा दिल्ली के पूर्व सीएम केजरीवाल ने नोबेल प्राइज की अपनी इच्छा पहली बार जाहिर नहीं की है. इससे पहले भी कह चुके हैं कि वह नोबेल प्राइज के हकदार हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान उन्होंने कहा था कि 'एलजी दिल्ली सरकार के कामों में अड़ंगा लगाते हैं और बावजूद इसके इतने सारे काम कर दिए हैं कि मुझे नोबेल प्राइज मिलना चाहिए.' क्या शासन-प्रशासन के लिए भी मिलता है नोबेल प्राइज? नोबेल प्राइज की शुरुआत 1901 में अल्फ्रेड नोबेल की याद में की गई थी. अब तक यह प्राइज अलग-अलग कैटगरी में 627 बार 1012 लोगों और संगठनों को दिया गया है. कुछ को एक से ज्यादा बार नोबेल प्राइज मिलने के साथ कुल 976 लोगों और 28 संगठनों को नोबेल प्राइज मिले हैं. फिजिक्स, कैमिस्ट्री, मेडिसिन, लिट्रेचर, पीस और इकोनॉमिक साइंस जैसे छह कैटगरी में नोबेल दिए जाते हैं. मसलन, अरविंद केजरीवाल जिस कैटगरी के लिए अपनी इच्छा जाहिर कर रहे हैं उस कैटगरी में नोबेल प्राइज अब तक किसी को नहीं दिया गया है. AAP ने बिजली-पानी मुफ्त दिया आप के राष्ट्रीय संयोजक ने आगे कहा, “आम आदमी को क्या चाहिए? उसे बिजली चाहिए, उसे पानी चाहिए, उसके बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले। घर में कोई बीमार हो तो उसका अच्छा इलाज हो। हमने तय किया कि हम हर परिवार को 200 यूनिट बिजली मुफ़्त देंगे। हम हर परिवार को 20 हज़ार लीटर पानी मुफ़्त देंगे। हमने तय किया कि हम स्कूल और अस्पताल ठीक करेंगे।”

उज्जैन में अचानक स्कूलों का टाइम टेबल बदलने के पीछे कलेक्टर की मंशा सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री को खुश करने की:आरिफ मसूद

उज्जैन  उज्जैन में सावन के महीने में सोमवार को स्कूलों की छुट्टी करने और रविवार को स्कूल लगाने के कलेक्टर के आदेश की कांग्रेस ने आलोचना की है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने इसे ‘मुख्यमंत्री को खुश करने’ के लिए उठाया गया कदम बताया है। उन्होंने कहा कि सावन के महीने में महाकाल की सवारी निकलने की परंपरा दशकों पुरानी है और हर समाज-धर्म के लोग इसका स्वागत करते हैं। ऐसे में अचानक स्कूलों का टाइम टेबल बदलने के पीछे कलेक्टर की मंशा सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री को खुश करने की है। बता दें कि उज्जैन में श्रावण मास के दौरान भगवान महाकाल की सवारी को देखते हुए स्कूलों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है। कलेक्टर रौशन सिंह द्वारा जारी आदेश के अनुसार 14 जुलाई से 11 अगस्त तक कक्षा पहली से 12वीं तक के सभी निजी और सरकारी स्कूल रविवार को संचालित होंगे और इसकी बजाय सोमवार को अवकाश रहेगा। उन्होंने कहा कि ये निर्णय महाकाल की सवारी के दौरान होने वाली भीड़ और कई मार्गों के बंद होने के मद्देनजर लिया गया है। उज्जैन में महाकाल की सवारी के दौरान सोमवार को स्कूलों की छुट्टी उज्जैन में सावन के महीने में काफी गहमागहमी रहती है। हर सोमवार को यहां महाकाल की सवारी निकलती है। इसी के साथ देश दुनिया से श्रद्धालु यहां महाकाल के दर्शन के लिए आते हैं। अब स्थानीय प्रशासन ने ये निर्णय लिया है कि इस बार सावन महीने में हर सोमवार को स्कूलों की छुट्टी रहेगी और उसकी जगह रविवार को स्कूल संचालित होंगे। 11 जुलाई से शुरू होने वाले श्रावण मास में इस बार महाकाल मंदिर से कुल छह सवारिया निकलेंगी। पहली सवारी 14 जुलाई को होगी, इसके बाद दूसरी सवारी 21 जुलाई, तीसरी सवारी 28 जुलाई, चौथी सवारी 4 अगस्त और पांचवी सवारी 11 अगस्त को भादौ मास में निकाली जाएगी। कलेक्टर द्वारा जारी आदेश के अनुसार इन पांच सोमवार को स्कूल बंद रहेंगे और रविवार को स्कूल खुलेंगे। 18 अगस्त को निकलने वाली राजसी सवारी के दिन स्थानीय अवकाश रहेगा..इसलिए उससे पहले रविवार को स्कूल नहीं लगेंगे। कलेक्टर के अनुसार यह निर्णय भगवान महाकाल की सवारी के दौरान सुचारू व्यवस्था और भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखकर लिया गया है। आरिफ मसूद ने कहा ‘मुख्यमंत्री को खुश करने की कोशिश’ कांग्रेस ने इस निर्णय पर आपत्ति जताई है। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा है कि महाकाल की सवारी लंबे समय से निकलती आ रही है और इससे पहले कभी भी इस तरह की ज़रूरत महसूस नहीं हुई है। उन्होंने एएनआई के साथ बात करते हुए कहा कि ‘उज्जैन में महाकाल की सवारी बरसों से निकल रही है। परंपरागत रूप से लोग उसका स्वागत करते हैं..प्रत्येक वर्ग के लोग करते हैं। हर समाज हर धर्म का व्यक्ति उसका स्वागत करता है। अफसोस की बात है कि कलेक्टर ऐसा बेतुका आदेश निकालकर सिर्फ मुख्यमंत्री को खुश करना चाहते हैं, इसके अलावा कुछ भी नहीं है। ये परंपरागत जुलूस है और निकलता रहा है तो क्या आवश्यकता है कि एक दिन छुट्टी देकर एक दिन कैंसिल करो। संडे को स्कूल लगाओ। कल को दूसरे धर्म के लोग भी आवाज़ उठाएंगे फिर क्या करेंगे। संविधान से देश चलेगा। एक देश एक संविधान की बात करने वालों को सोचना चाहिए। ये जुलूस बरसों से निकल रहा है..आज से तो शुरु नहीं हुआ। क्या कलेक्टर महोदय बहुत विद्वान हैं ? इनसे पुराने कलेक्टर, पुरानी परंपराएं और संविधान क्या कोई नहीं जानता था ? ये ही जानते हैं बस ? ये आदेश सवारी के लिए या बच्चों की पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि मुख्यमंत्री को खुश करने का आदेश है।’

मध्य प्रदेश में युवा कांग्रेस संगठन चुनाव 20 जून से 19 जुलाई तक चलेगा, दिव्यांग ड्राइवर, पूर्व मंत्री का बेटा भी रेस में

भोपाल  मध्यप्रदेश में युवा कांग्रेस के संगठनात्मक चुनाव चल रहे हैं। 20 जून से शुरू हुई मेंबरशिप और वोटिंग प्रक्रिया 19 जुलाई को खत्म होगी। इस दौरान युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश महासचिव से लेकर जिला अध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष चुने जाएंगे। राज्य में पहली बार यूथ कांग्रेस के चुनाव ऑनलाइन मोड पर हो रहे हैं। मोबाइल एप से मेंबर बनाकर वोटिंग कराई जा रही है। सदस्यता के लिए 50 रुपए फीस तय की गई है। सोमवार तक 7 लाख 54 हजार सदस्य बनाए जा चुके हैं। 19 उम्मीदवार मैदान में, 5 महिलाएं प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए 19 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें सतना के दिव्यांग लोडिंग ऑटो ड्राइवर विनय पांडे भी शामिल हैं। अन्य प्रत्याशियों में यश घनघोरिया, देवेन्द्र सिंह दादू, अभिषेक परमार, जावेद पटेल, नीरज पटेल, प्रमोद सिंह, विश्वजीत सिंह चौहान, राजवीर कुडिया, प्रियेश चौकडे़, अब्दुल करीम कुरैशी, आशीष चौबे, शिवराज यादव, राजीव सिंह के नाम हैं। यूथ कांग्रेस की पांच महिला कार्यकर्ता भी प्रदेश अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रही हैं। इनके नाम योगिता सिंह, गीता कड़वे, शुभांगना राजे जामनिया, स्वीटी पाटिल और मोनिका मांडरे हैं। 19 उम्मीदवारों में से एसटी वर्ग से दो, ओबीसी के 4, एससी के 3 जबकि सामान्य वर्ग के 6 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। पूर्व मंत्री घनघोरिया के बेटे को नाथ-सिंघार का समर्थन प्रदेश अध्यक्ष के चुनावी समीकरणों के हिसाब से इस रेस में पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया के बेटे यश घनघोरिया सबसे आगे चल रहे हैं। यश को पूर्व सीएम कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार का समर्थन मिल रहा है। वहीं, भोपाल के अभिषेक परमार, पीसीसी चीफ जीतू पटवारी और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के सहारे प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचने की जुगत में हैं। हालांकि, दिग्विजय सिंह कह चुके हैं कि मेरा कोई उम्मीदवार नहीं है। जिला पंचायत सदस्य भी आजमा रहे किस्मत प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में देवास जिले के खातेगांव के रहने वाले राजवीर कुडिया भी मैदान में हैं। राजवीर देवास के जिला पंचायत सदस्य और युवा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष हैं। सीधी जिले के देवेन्द्र सिंह दादू भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए उम्मीदवार हैं। एप और वेबसाइट के जरिए होगी वोटिंग यह चुनाव Youth Congress Election Authority (YCEA) के मोबाइल एप और वेबसाइट के माध्यम से हो रहे हैं। 18 से 35 साल के बीच की आयु के युवा ₹50 सदस्यता शुल्क का ऑनलाइन पेमेंट करके अपनी पसंद के उम्मीदवारों को वोट दे सकते हैं। सदस्य बनने और वोट डालने की प्रक्रिया YCEA एप या वेबसाइट पर मोबाइल नंबर से लॉगिन करें। ओटीपी डालने के बाद नाम, पता, फोटो, वोटर आईडी/आधार कार्ड अपलोड करें। इसके बाद डिजिटल आईडी जनरेट होगी। सदस्य बनने के बाद उसी पोर्टल/एप से वोट डालना होता है। एक बार ही वोट डालने का मौका मिलेगा, जो तुरंत सब्मिट हो जाता है।

भाजपा छोड़ जनसुराज में शामिल हुए यूट्यूबर मनीष कश्यप: पटना के बापू सभागार में प्रशांत किशोर ने दिलाई सदस्यता

पटना चर्चित यूट्यूबर मनीष कश्यप ने प्रशांक किशोर की जन सुराज का दामन थाम लिया है। सोमवार उन्होने जन सुराज पार्टी की सदस्यता ली। इस दौरान प्रशांत किशोर ने स्वागत करते हुए कहा कि बिहार में व्यवस्था परिवर्तन की चाहत रखने वाले सभी लोगों को साथ आना चाहिए। जन सुराज ज्वाइन करने के मौके पर मनीष कश्यप ने कहा कि वो भाजपा में 13 महीने रहे। इस बार का चुनाव बिहार के भाग्य का चुनाव है। कश्यप ने दावा करते हुए कहा कि अगला 5 साल आपका होगा। बिहार की हकीकत आप सबको पता है। बिहार में कोई सुरक्षित नहीं है। बिहार को अगर सुरक्षित करना चाहते हैं तो जन सुराज की सरकार बनाए। इससे पहले मनीष कश्यप ने सोशल मीडिया पर प्रशांत किशोर, जन सुराज के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय सिंह के साथ तस्वीरें शेयर की थी। अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा था कि 7 जूलाई को बापू सभागार। उन्होंने आगे लिखा, बुझी हुई आश जलाएंगे हम, घर-घर रोशनी पहुंचाएंगे हम, पलायन का दर्द मिटाएंगे हम, फिर से नया बिहार बनाएंगे हम। आपको बता दें बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में मनीष चनपटिया सीट से चुनाव मैदान में उतरे थे। हालांकि, तब वो निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में थे। और तीसरे नंबर पर रहे थे। इस सीट से बीजेपी के उमाशंकर सिंह ने जीत दर्ज की थी। इस बार भी मनीष कश्यप के चनपटिया सीट से ही चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो गई है। वहीं प्रशांत किशोर ऐलान कर चुके हैं कि जन सुराज बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी वैसे विवादों से मनीष कश्यप का पुराना नाता रहा है। हाल ही में पीएमसीएच में मनीष कश्यप की डॉक्टरों के साथ मारपीट का मामला छाया रहा था। इससे पहले सारण जिला प्रशासन ने 11 यूट्यूब चैनल पर FIR दर्ज की थी। जिन पर एकतरफा खबरें चलाने का आरोप है। इन चैनलों में मनीष कश्यप का नाम भी शामिल था। मनीष कश्यप पर कानूनी शिकंजा तब कसा था, जब तमिलनाडु में बिहार के लोगों के खिलाफ हिंसा को लेकर एक वीडियो सामने आया था। जिसमें आरोप लगाया गया था कि ये वीडियो मनीष ने फर्जी तरीके से अपने चैनल पर दिखाया है। जिसके बाद तमिलनाडु पुलिस ने गलत बताते हुए केस दर्ज किया था। तमिलनाडु सरकार ने मनीष कश्यप पर एनएसए के तहत भी कार्रवाई की थी। तमिलनाडु में उसके खिलाफ 6 मामले दर्ज हुए थे। 9 महीने बाद मनीष को जेल से रिहाई मिली थी।

सीएम फडणवीस का तंज: ठाकरे भाइयों की रैली में नहीं दिखा जोश, बल्कि शोक का माहौल था

मुंबई महाराष्ट्र की राजनीति में आज एक बड़ी हलचल देखने को मिली। महाराष्ट्र में करीब दो दशक बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक मंच पर दिखे। दोनों ने बीजेपी पर जमकर हमला बोला। इस संयुक्त रैली के बाद सीएम फडणवीस की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है।  सीएम ने कहा कि संयुक्त रैली में उद्धव ठाकरे ने ‘‘रुदाली’’ जैसा भाषण दिया। जानकारी दें कि रुदाली वे महिलाएं होती हैं, जो शोक प्रकट करने के लिए आती हैं। इन महिलाओं को अंतिम संस्कार के दौरान सार्वजनिक रूप से शोक व्यक्त करने के लिए रखा जाता है।   'ये जीत की रैली नहीं, शोक का नजारा' महाराष्ट्र के सीएम फडणवीस ने कहा कि भले की उद्धव ठाकरे इस रैली को जीत का जश्न करार दे रहे हों, लेकिन ये रैली शोक का नजारा रही। इसके साथ ही सीएम फडणवीस ने एमएनएस अध्यक्ष राज ठाकरे को दोनों ठाकरे चचेरे भाइयों को फिर से मिलाने का श्रेय देने के लिए धन्यवाद दिया। दरअसल, शनिवार को राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने शनिवार को राज्य के स्कूलों में कक्षा 1 से तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को शामिल करने संबंधी सरकार द्वारा पहले जारी किए गए दो सरकारी आदेशों को वापस लेने का जश्न मनाने के लिए मुंबई में एक विजय रैली में सार्वजनिक मंच साझा किया। इस दौरान मंच से भाषण देते हुए राज ठाकरे ने मजाकिया अंदाज में फडणवीस को दोनों चचेरे भाइयों को एक साथ लाने का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि ये बाल ठाकरे भी नहीं कर सके थे। सीएम फडणवीस ने उद्धव ठाकरे पर साधा निशाना ठाकरे ब्रदर्स की इस संयुक्त रैली के बाद सीएम फडणवीस की पहली प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुए कहा कि बालासाहेब ठाकरे मुझे आशीर्वाद दे रहे होंगे। मुझे बताया गया था कि यह एक 'विजय' रैली होनी थी, लेकिन यह एक 'रुदाली' भाषण निकला। फडणवीस ने कहा कि इस कार्यक्रम में मराठी के बारे में एक शब्द भी नहीं बोला गया और (उद्धव द्वारा दिया गया) भाषण इस बात पर केंद्रित था कि उनकी सरकार कैसे गिराई गई और वे कैसे सत्ता हासिल कर सकते हैं। आगे कहा कि यह रैली विजय उत्सव नहीं बल्कि 'रुदाली' दर्शन थी।  

‘जो बाला साहेब नहीं कर पाए वो आज हुआ…’, मुंबई में राज ठाकरे ने किया शक्ति प्रदर्शन

20 साल बाद एक मंच पर आए ठाकरे बंधु, राज बोले- महाराष्ट्र को तिरछी नजर से कोई नहीं देखेगा 'आप किसी पर हिंदी नहीं थोप सकते', मुंबई की रैली से गरजे राज ठाकरे  'जो बाला साहेब नहीं कर पाए वो आज हुआ…', मुंबई में राज ठाकरे ने किया शक्ति प्रदर्शन मुंबई से राज ठाकरे की हुंकार, बोले – महाराष्ट्र के लिए जो कर सकते हैं वो करेंगे    ठाकरे ब्रदर्स के एक मंच पर आने को लेकर संजय राउत बोले- यह पूरे महाराष्ट्र के लिए त्यौहार जैसा दिन मुंबई  महाराष्ट्र की सियासत में आज का दिन बेहद अहम माना जा रहा है. लंबे समय से जिस तस्वीर को लेकर कयासबाजी चल रही थी वो आज देखने को मिली जब उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एकसाथ एक मंच पर दिखे, वो भी परिवार के साथ में.   दोनों भाई वर्ली में मराठी विजय दिवस मनाने के नाम पर मंच साझा कर हैं, लेकिन सियासी पंडित इस बात का आकलन कर रहे हैं कि महाराष्ट्र की सियासत दोनों भाइयों की साथ आना क्या बड़ा बदलाव साबित होने वाला है? – दक्षिण में स्टालिन, कनमोझी, जयललिता, नारा लोकेश, आर रहमान, सूर्या, सभी ने अंग्रेजी में पढ़ाई की है? रहमान ने डायस छोड़ दिया जब एक वक्ता ने हिंदी में बोलना शुरू किया.बालासाहेब और मेरे पिता श्रीकांत ठाकरे ने अंग्रेजी में पढ़ाई की है, लेकिन वे मातृभाषा मराठी के प्रति बहुत संवेदनशील थे. बालासाहेब ठाकरे ने अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की, लेकिन उन्होंने मराठी भाषा से समझौता नहीं किया. किसी को भी मराठी को तिरछी नज़र से नहीं देखना चाहिए: राज ठाकरे – हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम जाते है तो हमारे मराठी पर सवाल उठते है , लालकृष्ण आडवाणी मिशनरी स्कूल में पढ़े है तो क्या उनके हिंदुत्व पर सवाल उठाए क्या? हम हिंदी थोपना बर्दाश्त नहीं करेंगे. वे बस मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करना चाहते हैं, यही उनका एजेंडा है. लेकिन वे ऐसा करने की हिम्मत करते हैं.. तब उन्हें मराठी मानुस की ताकत समझ में आएगी.वे मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. अब वे यह मुद्दा उठा रहे हैं कि ठाकरे के बच्चे अंग्रेजी में पढ़े हैं. यह क्या बकवास है? कई भाजपा नेताओं ने अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की है.. लेकिन किसी को उनके हिंदुत्व पर संदेह है: राज ठाकरे -इस दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा,'ये त्रिभाषा सूत्र कहा से लेकर आए? छोटे-छोटे बच्चों से जबरदस्ती करोगे क्या? महाराष्ट्र को कोई तिरछी नजर से नहीं देखेगा. हिंदी अच्छी भाषा है, सारी भाषा अच्छी हैं. किसी की हिम्मत है तो मुंबई पर हाथ डालकर देख लें.' -राज ठाकरे ने कहा, "मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है. आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं. जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया… हम दोनों को साथ लाने का काम…" -राज ठाकरे अपनी पत्नी शर्मिला और बेटे अमित, बेटी उर्वशी के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. साथ ही उद्धव अपनी पत्नी रश्मि और बेटे आदित्य, तेजस के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे हैं. -उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे वर्ली में ‘विजय सभा’ में आने से पहले शिवाजी पार्क में स्थित बाल ठाकरे के स्मारक ‘स्मृति स्थल’ पर जा सकते हैं. -रैली को लेकर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, "… यह महाराष्ट्र में हम सभी के लिए एक त्यौहार की तरह है कि ठाकरे परिवार के दो प्रमुख नेता, जो अपनी राजनीतिक विचारधाराओं के कारण अलग हो गए थे, आखिरकार 20 साल बाद एक मंच साझा करने के लिए एक साथ आ रहे हैं. हमारी हमेशा से यह इच्छा रही है कि हमें उन लोगों से लड़ना चाहिए जो महाराष्ट्र के लोगों के खिलाफ हैं. आज एक साथ आकर उद्धव और राज ठाकरे निश्चित रूप से मराठी मानुष को दिशा देंगे."  -यह पुनर्मिलन सियासी भूचाल जैसा माना जा रहा है क्योंकि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) लंबे समय से अलग-अलग राह पर हैं. लेकिन केंद्र में लाए गए त्रिभाषा फार्मूले का ठाकरे बंधुओं ने मिलकर विरोध किया, जिसके चलते राज्य सरकार को प्रस्तावित नीति फिलहाल टालनी पड़ी. महाराष्ट्र में आज कई सालों बाद एक सियासी तस्वीर नजर आ रही है. शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे आज पूरे 19 साल के बाद एक स्टेज पर एक साथ नजर आ रहे हैं. मराठी भाषा के लिए दोनों भाई सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक मंच पर साथ आ चुके हैं. दोनों भाई एक साथ विक्ट्री रैली में शामिल हुए. महाराष्ट्र में भाषा के छिड़े विवाद के बाद यह रैली निकाली जा रही है. दोनों भाइयों को मराठी भाषा से प्यार ने एक बार फिर एक स्टेज पर एक साथ आने का मौका दिया है. इससे पहले यह दोनों आखिरी बार साल 2005 में चुनाव के समय प्रचार करने के लिए एक मंच पर दिखे थे. इसी के बाद इसी साल राज ठाकरे ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. परिवार के साथ रैली में पहुंचे राज-उद्धव रैली में शामिल होने के लिए राज ठाकरे अपने घर शिवतीर्थ से एनएससीआई डोम में पहुंच गए हैं. राज ठाकरे के साथ उनके बेटे अमित और उनकी पत्नी शर्मिला भी पहुंची हैं. तो वही उद्धव ठाकरे भी रैली में पहुंच चुके हैं. उद्धव के साथ उनके बेटे आदित्य उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे भी साथ रहेंगे. कार्यक्रम खत्म होने के बाद दोनों भाई मुंबई के शिवाजी पार्क में स्थित बालासाहेब ठाकरे की समाधि स्थल पर जा सकते हैं. इसी के चलते आज विक्ट्री रैली निकाली जा रही है. इस रैली में कई नेता जुड़ेंगे. राज ठाकरे ने सरकार पर साधा निशाना सही में तो मोर्चा निकालना चाहिए था. मराठी आदमी कैसे एक साथ आता है, लेकिन सिर्फ मोर्चा की चर्चा हुई तो उससे सरकार बैकफुट पर आगई. किसी भी झगड़े से बड़ा महाराष्ट्र है. 20 साल बाद उद्धव और राज ठाकरे एक मंच पर साथ है. उन्होंने आगे कहा, बालासाहेब हमें एक नहीं कर पाए, लेकिन फडणवीस ने कर दिया. उन्होंने सवाल पूछा, हिंदी किसके लिए, छोटे-छोटे बच्चों के साथ जबरदस्ती करोगे? कोई दूसरा एजेंडा नहीं, सिर्फ मराठी एजेंडा है. उन्होंने आगे कहा, आप हिंदी किसी … Read more

प्रधानमंत्री मोदी ने शून्य-बैलेंस खातों ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर की नींव रखी इसका फायदा सीधे गरीबों के खातों में पहुंचा :CM यादव

भोपाल  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह पर तंज कसा। अपनी टिप्पणी में डॉ. यादव ने कहा कि शून्य-बैलेंस खाता (zero balance account) क्या होता है, देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ये भी नहीं जानते थे। बकौल डॉ. मोहन यादव, वह (मनमोहन सिंह) आरबीआई के गवर्नर और वित्त मंत्री भी रहे, बहुत बड़े अर्थशास्त्री थे, विदेश की डिग्री थी, लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा कि बिना पैसे के भी जीरो बैलेंस में बैंक में खाता खोला जा सकता है, लेकिन नरेन्द्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने, उन्होंने यह बात सोची और जीरो बैलेंस में खाते खुलवाए। आगे कहा, उनके कार्यकाल में डीबीटी का शुभारंभ हुआ, जिससे शासन की कार्यशैली में व्यापक स्तर पर पारदर्शिता आई है। आज हितग्राहियों के खाते में डीबीटी के माध्यम से पूरा पैसा पहुंच रहा है।     मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मनमोहन सिंह कहते थे- गांवों में सड़क क्यों बनाएं, गांव के लोग तो बैलगाड़ी से चलते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना शुरू हुई। स्वर्णिम चतुर्भुज योजना से देश की चारों दिशाओं को जोड़ गया। उन्होंने शिक्षित वर्ग की ओर संकेत करते हुए जोड़ा कि जिनके पास बड़ी-बड़ी डिग्रियां हैं, उन्हें समझना चाहिए कि जब जमीन बदलती है, तो किताबों से नजर हटाकर थोड़ा जमीन की हकीकत भी देख लेनी चाहिए। मुख्यमंत्री डा. यादव ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी कहते थे- केंद्र सरकार एक रुपये भेजती है तो आम आदमी तक केवल 15 पैसे पहुंचता है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस व्यवस्था को नीति नहीं, बल्कि नीयत से ठीक किया। वर्ष 2013 से पहले इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया था। अब 25,000 रुपये सीधे मेधावी विद्यार्थियों के खातों में पहुंचे हैं।  

भाजपा एक मात्र ऐसा दल है, जो अपने देवतुल्य कार्यकर्ताओं की ताकत से चलता है: खंडेलवाल

सीहोर भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और विधायक हेमंत खंडेलवाल एवं प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद आष्टा, जावर, डोडी, कोठरी और सीहोर में स्वागत समारोह को संबोधित किया। उन्होंने स्वागत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राजनीति में बहुत सारे दल होते हैं। कई दल परिवार चलाते हैं। कई दल जात, समाज बेश चलाते हैं। भाजपा एक मात्र ऐसा दल है, जो अपने देवतुल्य कार्यकर्ताओं की ताकत से चलता है। कार्यकर्ता चाह ले तो हर चुनाव के परिणाम सकारात्मक आते हैं। अगर कार्यकर्ता में थोड़ा सा भी निराशा का भाव हो तो परिणाम सकारात्मक नहीं आ पाते हैं। भाजपा के हम सब कार्यकर्ता एक परिवार की तरह हैं। प्रदेश अध्यक्ष खंडेलवाल ने कहा कि भाजपा का कार्यकर्ता ही भाजपा की असली पूंजी है। सब कार्यकर्ता उत्साह से रहें, एक रहें, अनुशासन में रहें और अपनी क्षमता का उपयोग पार्टी को मजबूत करने में करें। मातृशक्ति का सम्मान करें। हम सब मिल कर कार्य करेंगे भाजपा एक पार्टी नहीं, एक परिवार है। मेरा पूरा प्रयास होगा कि पार्टी के हर कार्यकर्ता का सम्मान होगा, आदर होगा, सभी कार्यकर्ता मिलजुलकर कार्य करेंगे। हर कार्यकर्ता की बात सुनने, उनसे मिलने का प्रयास करूंगा। हम सब का कर्तव्य है कि पार्टी को और मजबूत बनाने की दिशा में हम सब मिल कर कार्य करें और एक नया इतिहास रचें। हमारी पार्टी आज भी बुलंदियों पर है, इसे हम सबको मिल कर और आगे ले जाना हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम दुनिया के सिरमौर बनने जा रहे हैं। हमारे प्रदेश के मुखिया डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश विकास की नई इबारत लिख रहा है। सरकार के कार्य, योजनाओं को जनता तक, घर घर पहुंचाना हम सब कार्यकर्ताओं का दायित्व है। मध्यप्रदेश को नई ऊंचाई पर ले जाकर विकसित बना रहे खंडेलवाल ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि कार्यकर्ता देश की अखंडता व आने वाली पीढ़ी के बेहतर भविष्य के लिए भाजपा को और मजबूत बनाएं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव उद्योग व रोजगार की नई परंपरा विकसित कर मध्यप्रदेश को नई ऊंचाई पर ले जाकर विकसित बना रहे हैं। मैं और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सत्ता और संगठन में संतुलन बनाकर डबल इंजन सरकार के जनहितैषी कार्यों से जनता को लाभ दिलाकर प्रदेश को विकास के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाएंगे। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं के परिश्रम, प्रतिबद्धता से ही भाजपा को लंबे समय से जनता की सेवा करने का अवसर मिला। भाजपा संगठन कार्यकर्ताओं को क्षमता और योग्यता के आधार पर दायित्व सौंपता है। स्वागत सम्मान कार्यक्रम को जिला भाजपा अध्यक्ष नरेश मेवाडा, सीहोर विधायक सुदेश राय ने भी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। जिला मीडिया प्राभारी सुशील संचेती ने बताया की प्रदेश भाजपा के नव निर्वाचित अध्यक्ष के सीहोर जिले में आगमन पर जावर जोड़, आष्टा में बाईपास पर, कोठरी मेन रोड पर एवं सीहोर में रेस्टहाउस पर आयोजित स्वागत सम्मान समारोह रखे गये थे। सीहोर जिले की सीमा में प्रवेश के बाद प्रदेश अध्यक्ष का जावर, डोडी, आष्टा कोठरी, सीहोर मंडलों में सभी मंडल अध्यक्षों ने मंच बना कर स्वागत, सम्मान कर स्मृति चिह्न भेंट किये। इस दौरान भाजपा जिला अध्यक्ष नरेश मेवाड़ा, जिला भाजपा के प्रभारी बहादुरसिंह मुकाती, विधायक गोपालसिंह इंजीनियर,सुदेश राय उपस्थित रहे।