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ओवैसी का सियासी तीर: NDA जीती तो नीतीश नहीं, कोई और होगा बिहार का मुख्यमंत्री

पटना  बिहार चुनाव में अपनी पार्टी की किस्मत आजमाने के लिए एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी भी कूद चुके हैं। कल उन्होंने सीमांचल में रैली का आगाज कर दिया। इस दौरान वह सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी दलों पर भी खूब बरसे। साथ ही उनके बीजेपी की बी टीम कहने पर भी पलटवार किया। ओवैसी ने एक इंटरव्यू के दौरान यह भी दावा किया है कि बिहार में अगर एनडीए गठबंधन की जीत होती है इसबार नीतीश कुमार की जगह भाजपा का कोई नेता मुख्यमंत्री बनेगा। ओवैसी ने कहा, 'बिहार में अगर एनडीए की सरकार बनी तो इसबार नीतीश कुमार नहीं, बल्कि भाजपा का सीएम होगा।' जब उनसे पूछा गया कि आप भाजपा की बी टीम बनने का आरोप लगता है। आप मुस्लिम वोट काटने के लिए बिहार आए हैं। उन्होंने कहा कि यह महज आरोप है। लालू यादव के घर के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं के पहुंचने पर उन्होंने कहा कि दुश्मन भी आपके घर पर पहुंचता है तो उसे बिठाकर बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लालू यादव और तेजस्वी यादव को किस बात का डर है मुझे नहीं मालूम। मेरे दिल में कोई डर नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछली बार की तरह इस चुनाव में भी सीमांचल में जो भी दल रहेगा उनके हराएंगे। आपको बता दें कि 2020 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने सीमांचल में पांच सीटों पर जीत हासिल कर लोगों को चौंका दिया था। यह राजद के लिए बड़ा झटका साबित हुआ था। हालांकि, बाद में चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे। इससे पहले बिहार में भाजपा की मदद करने के आरोपों पर नाराजगी जताते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा था कि आगामी विधानसभा चुनाव में अगर उनकी पार्टी को छह सीट दी जाती हैं तो वह विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल हो जाएंगे। हैदराबाद से सांसद ओवैसी किशनगंज में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। किशनगंज उत्तर बिहार का एक ऐसा जिला है जहां की लगभग दो-तिहाई आबादी मुस्लिम है। यहीं से उन्होंने तीन दिवसीय ‘सीमांचल न्याय यात्रा’ की शुरुआत की। ओवैसी ने कहा, “मेरी पार्टी के बिहार प्रदेश अध्यक्ष ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को कई पत्र लिखे हैं। आखिरी पत्र में अनुरोध किया गया है कि विधानसभा की 243 सीटों में से एआईएमआईएम को छह सीटें दी जाएं।” उन्होंने कहा, “अब गेंद ‘इंडिया’ गठबंधन के पाले में है। हमने यह पहल इसलिए की ताकि हम पर भाजपा की मदद करने का आरोप न लगे। अगर गठबंधन की तरफ से उचित जवाब नहीं मिलता है तो यह साफ हो जाएगा कि वास्तव में भाजपा की मदद कौन कर रहा है।”

हैंडशेक विवाद पर थरूर का संदेश – ‘शांति के लिए जरूरी है व्यवहार में समझदारी’

 नई दिल्ली एशिया कप के फाइनल में भारत और पाकिस्तान के आमने-सामने होने की संभावना के बीच, कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भारतीय खिलाड़ियों की ओर से पाकिस्तानी खिलाड़ियों के साथ हाथ न मिलाने को लेकर उठे विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.  बातचीत में थरूर ने कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ भावनाएं समझ में आती हैं, लेकिन खेल की भावना को राजनीति और सैन्य संघर्ष से अलग रखना चाहिए. उन्होंने कहा, 'व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि अगर हमें पाकिस्तान के खिलाफ इतना गुस्सा है, तो हमें खेलना ही नहीं चाहिए था. लेकिन अगर हम खेल रहे हैं, तो खेल की भावना के तहत खेलना चाहिए और उनसे हाथ मिलाने चाहिए थे. हमने यह पहले 1999 में भी किया था, जब करगिल युद्ध चल रहा था. उसी दिन जब हमारे सैनिक देश के लिए जान गंवा रहे थे, हम इंग्लैंड में वर्ल्ड कप में पाकिस्तान के खिलाफ खेल रहे थे. तब भी हमने उनसे हाथ मिलाया था क्योंकि खेल की भावना अलग होती है और इसका देशों या सेनाओं के बीच चल रहे संघर्ष से कोई संबंध नहीं होता. यह मेरी राय है.' 'दोनों पक्षों में दिख रही खेल भावना की कमी' कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि दोनों पक्षों की प्रतिक्रियाओं से खेल भावना की कमी झलक रही है. उन्होंने कहा, 'अगर पाकिस्तानी टीम ने पहले अपमानित होने के बाद दूसरी बार हमें अपमानित किया, तो यह दर्शाता है कि दोनों पक्षों में खेल भावना की कमी है.' गौरतलब है कि गुरुवार को भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) ने पाकिस्तान के खिलाड़ियों साहिबजादा फरहान और हारिस रऊफ के खिलाफ एशिया कप सुपर फोर मुकाबले (21 सितंबर) में उनके अनुचित व्यवहार के लिए आधिकारिक शिकायत दर्ज की. BCCI ने इसे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) और मैच रेफरी एंडी पायक्रॉफ्ट के पास भेजा. भारतीय टीम ने दोनों खिलाड़ियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है.

राज्यसभा चुनाव: जम्मू-कश्मीर का लंबा इंतजार हुआ खत्म, पंजाब में भी एक सीट के लिए वोटिंग

जम्मू-कश्मीर जम्मू-कश्मीर में 4 राज्यसभा सीटें 2021 से ही खाली चल रही हैं। अब तक इन पर चुनाव नहीं हो पाया था, लेकिन अब इंतजार खत्म हो रहा है। चुनाव आयोग ने बुधवार को घोषणा की है कि केंद्र शासित प्रदेश की सभी 4 राज्यसभा सीटों पर 24 अक्तूबर को चुनाव होगा। संयुक्त जम्मू-कश्मीर में भी 4 ही राज्यसभा सीटें थीं और जब पुनर्गठन हुआ तो सभी को उसके साथ ही रखा गया। वहीं लद्दाख में कोई विधानसभा नहीं है और वह चंडीगढ़ की तरह एक केंद्र शासित प्रदेश भर है। विधानसभा ना होने के चलते वहां राज्यसभा की सीट भी नहीं है। हालांकि लद्दाख में यह मांग उठती रही है कि उन्हें राज्य का दर्जा दिया जाए। फिलहाल वहां ऐसी मांग को लेकर प्रदर्शन भी चल रहा है। पंजाब की भी एक राज्यसभा सीट पर चुनाव के लिए नोटिफिकेशन जारी हुआ है। यहां भी 24 अक्तूबर को ही चुनाव होगा। इसी दिन शाम को जम्मू-कश्मीर की चारों सीटों और पंजाब की एक सीट पर हुए चुनाव के वोटों की गिनती होगी। संजीव अरोड़ा के इस्तीफे से पंजाब में सीट खाली हुई थी, जिनका कार्यकाल 2028 तक था। उन्होंने 1 जुलाई को ही इस्तीफा दिया था। वहीं जम्मू-कश्मीर की सीटों की बात करें तो पुनर्गठन के बाद जिन सांसदों का इस्तीफा हुआ था, उनके स्थान पर नए सांसदों का चुनाव नहीं हो सका था। इसकी वजह थी कि पहले विधानसभा के चुनाव कराए गए। उसके बाद अब कई मसले आने के चलते चुनाव टलते रहे।

सीएम यादव और केंद्रीय मंत्री शिवराज की दिल्ली बैठक, वैदिक घड़ी के साथ उठे सवाल: सामान्य मुलाकात या नई रणनीति?

भोपाल  केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के अचानक प्रदेश कार्यालय पहुंचकर प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल से मुलाकात की। इसके बाद दिल्ली में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से सौजन्य भेंट की। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें वैदिक घड़ी भेंट स्वरूप दी। दोनों नेताओं ने अपनी मुलाकात की तस्वीर सोशल मीडिया पर साझा किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर मुलाकात की तस्वीर शेयर कर लिखा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात कर उन्हें वैदिक घड़ी भेंट की। वहीं, केंद्रीय मंत्री चौहान ने इस मुलाकात को सौहार्दपूर्ण बताते हुए डॉ. यादव का आभार जताया।  बता दें मध्य प्रदेश में प्रदेश कार्यकारिणी और निगम मंडलों में लंबे समय से अटकी नियुक्तियां होनी है। ऐसे में प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं की साथ में हो रही मुलाकातों को केवल औपचारिक नहीं माना जा रहा है। प्रदेश में निगम मंडलों की नियुक्तियों पर जल्द होने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। बता दें केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में प्रदेश कार्यालय में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल से भी चर्चा की थी।   मुलाकात है सामान्य या पक रही नई खिचड़ी मध्य प्रदेश की सियासत में इन दिनों हलचल तेज है। भोपाल से दिल्ली तक नई खिचड़की को लेकर अटकले हैं। बीते एक सप्ताह से प्रदेश के अलग-अलग कद्दावर नेताओं से सीएम मोहन यादव की मुलाकात हो रही है। इन मुलाकातों को सामान्य बताया जा रहा है लेकिन जानकारों का कहना है कि यह मुलाकात सामान्य नहीं है। ये सारी कवायद बोर्ड और निगमों में नियुक्ति को लेकर चल रही है। शिवराज सिंह चौहान से दो बार की मुलाकात दरअसल, सीएम मोहन यादव ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान से दो बार मुलाकात की है। पहले भोपाल में दोनों की सौजन्य मुलाकात हुई थी। इसके बाद दिल्ली में भी शिवराज सिंह चौहान के आवास पर जाकर सीएम मोहन यादव ने उनसे मुलाकात की है। मुलाकात के दौरान सीएम मोहन यादव ने उन्हें वैदिक घड़ी भेंट की है। सरकार की तरफ से इस मुलाकात को सामान्य ही बताया गया है। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष से भी मिले यही नहीं, एमपी में बीते एक सप्ताह से मेल और मुलाकातों का दौर चल रहा है। इससे पहले सीएम मोहन यादव ने भोपाल में विधानसभा अध्यक्ष के घर गए थे। उनसे उनकी मुलाकात हुई थी। इस दौरान कई मुद्दों पर चर्चा हुई थी। सबको साधने की कोशिश मध्य प्रदेश में बोर्ड और निगम अध्यक्षों के पद खाली हैं। इन जगहों पर सियासी नियुक्तियां होनी हैं। कई बड़े नेता भी इसके इंतजार में बैठे हैं। अब अटकलें हैं कि जल्द ही इन जगहों पर नियुक्तियां होंगी। इन्हीं नियुक्तियों को लेकर सारी कवायद चल रही है। सीएम मोहन यादव और संगठन की कोशिश है कि सभी खेमे के लोगों को साधा जाए। ये सारी कवायदें इसी को लेकर है। सबकी सहमति मिलने के बाद ही फाइनल सूची जारी की जाएगी। संगठन के साथ भी चल रहीं बातें इन अटकलों के बीच बीते दिनों सीएम हाउस में पार्टी के तमाम सीनियर नेताओं की बैठक हुई थी। इस बैठक में सरकार और संगठन के तमाम सीनियर नेता मौजूद थे। कहा जा रहा है कि इस मीटिंग में भी नियुक्तियों को लेकर ही चर्चा हुई थी। साथ ही यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि मोहन कैबिनेट का भी विस्तार हो सकता है। कुछ नए चेहरों को कैबिनेट में जगह मिल सकती है।

BJP में भारी उत्साह, बिहार चुनाव के लिए 5000+ उम्मीदवारों ने दाखिला भरा

 पटना बिहार विधानसभा का चुनाव मुहाने पर आ चुका है। ऐसे में चुनाव लड़ने की इच्छा पाले लोगों के दिलों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। टिकट की चाह में लोग पार्टी कार्यालयों में उमड़ रहे हैं। ऐसे में चुनाव लड़ने के लिए भाजपा में पांच हजार से अधिक लोगों के आवेदन उनके बायोडाटा के साथ आ चुके हैं। यह सिलसिला अभी जारी है। विभिन्न स्रोतों से सभी अपना आवेदन जमा कर रहे हैं। सबसे अधिक आवेदन पार्टी कार्यालय में पहुंचकर लोग जमा कर रहे हैं। वहीं, कई वरिष्ठ नेताओं को भी अपना बायोडाटा दे रहे हैं। आवेदकों में सर्वाधिक संख्या युवाओं की है, जिनकी उम्र 35 से 45 वर्ष तक की है। इनमें पार्टी से जुड़े नेता, कार्यकर्ता, पूर्व विधायक, ग्राम पंचायत, नगर निकाय के प्रतिनिधि तथा समाजसेवी शामिल हैं। दरअसल, बिहार शुरू से संवेदनशील और जागरूक राजनीतिक राज्य के रूप में जाना जाता रहा है। चुनाव लड़ने की इच्छा से आगे आए युवाओं का हुजूम इसका ताजा प्रमाण भी दे रहा है। दिलचस्प बात यह है कि उन विधानसभा क्षेत्रों से अधिक आवेदन मिले हैं, जहां के विधायक उम्रदराज हैं। यहां के दावेदारों को इस बात का अंदाजा है कि वर्तमान विधायक का टिकट कट सकता है। पार्टी में अंदरखाने भी इस बात की चर्चा जोरों पर है। अपना बायोडाटा जमा करने के साथ ही आवेदक नेताओं से मिलकर अपना दावा भी पेश कर रहे हैं। पार्टी का लंबे समय तक सेवा करने का हवाला दे रहे हैं। वहीं, कई ऐसे हैं जिनकी उम्र अब 70 वर्ष के आस-पास है, लेकिन कभी चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं मिला सका है। अब, वे अपने परिवार के किसी सदस्य के टिकट के लिए दावा कर रहे हैं। वहीं, कई नेता-कार्यकर्ता यह भी धमकी दे रहे हैं कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे जनसुराज में चले जाएंगे। अथवा किसी दूसरे पार्टी से जाकर चुनाव लड़ जाएंगे। इससे भाजपा को नुकसान पहुंच सकता है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि पटना के क्षेत्रों में कुम्हरार और दानापुर से सबसे अधिक आवेदन बायोडाटा जमा हुए हैं। मालूम हो कि वर्तमान में भाजपा के 80 विधायक हैं। वर्ष 2020 के चुनाव में भाजपा 110 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। तब एनडीए में चार दल थे। इस बार एनडीए में पांच दल हैं। इनमें भाजपा, जदयू, लोजपा आर, हम और रालोमो शामिल हैं। ऐसे में एनडीए के तहत भाजपा इस चुनाव में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, यह तो अगले दो सप्ताह में साफ होगा। मगर टिकट के दावेदार एक-एक घटना और हर सूचना पर नजर गड़ाए हुए हैं।  

CWC बैठक में खरगे का बयान: ट्रंप के कदम भारत के लिए चुनौतीपूर्ण

नई दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे  ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हालिया टिप्पणियों को लेकर बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जिनको “मेरे दोस्त” बताकर ढिंढोरा पीटते हैं, वही दोस्त आज भारत को अनेक संकट में डाल रहे हैं। उन्होंने कहा, "पटना में हो रही कार्य समिति की यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण है। हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जबकि अन्तराष्ट्रीय और राष्ट्रीय, दोनों स्तरों पर भारत एक बेहद चुनौतीपूर्ण और चिंताजनक दौर से गुज़र रहा है।" खरगे ने आरोप लगाया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारी मुसीबतें नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की नाकामी और कूटनीतिक विफलता का नतीजा हैं। उन्होंने कटाक्ष किया, प्रधानमंत्री जिनको “मेरे दोस्त” बताकर ढिंढोरा पीटते हैं, वही दोस्त आज भारत को अनेक संकट में डाल रहे हैं। ट्रंप ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में अपने संबोधन में कहा था कि चीन और भारत रूसी तेल खरीद कर यूक्रेन में रूसी युद्ध के "प्राथमिक वित्तपोषक" हैं। ट्रंप प्रशासन ने रूसी तेल की खरीद के लिए भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क (टैरिफ) लगाया है, जिससे अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया गया कुल शुल्क 50 प्रतिशत हो गया है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बार फिर यह दावा किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष रुकवाया था।  

निर्मला सप्रे की सदस्यता पर विवाद जारी, 8 अक्टूबर को हाईकोर्ट में फैसला आएगा

सागर  कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता खतरे में है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका आरोप है कि सप्रे ने कांग्रेस से जीतने के बाद भाजपा का समर्थन किया। उन्होंने भाजपा के मंच पर प्रचार भी किया। कोर्ट इस मामले की सुनवाई 8 अक्टूबर को करेगा। देखना होगा कि उनकी सदस्यता रहेगी या जाएगी। कांग्रेस के टिकट से जीती थीं निर्मला निर्मला सप्रे 2023 में बीना से कांग्रेस के टिकट पर विधायक बनीं। उमंग सिंघार का कहना है कि सप्रे ने दल बदल विरोधी कानून का उल्लंघन किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सप्रे ने 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का मंच साझा किया। उन्होंने भाजपा का दुपट्टा पहनकर प्रचार किया और कांग्रेस के खिलाफ बयान भी दिए। सिंघार ने मांग की है कि उनकी सदस्यता रद्द की जाए। विधानसभा अध्यक्ष से कर चुके शिकायत कांग्रेस पार्टी ने पहले विधानसभा अध्यक्ष को इस बारे में शिकायत की थी। उनका कहना था कि अध्यक्ष ने 90 दिन से ज्यादा समय तक कोई कार्रवाई नहीं की। इसलिए, उन्हें हाई कोर्ट जाना पड़ा। हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने पहले याचिका खारिज कर दी थी। अब जबलपुर बेंच इस मामले की जांच करेगी। अदालत के फैसले पर टिकी नजर कांग्रेस का कहना है कि सप्रे ने खुले तौर पर पार्टी बदल ली है। वहीं, भाजपा इसे 'विचारधारा के समर्थन' का नाम दे रही है। अब यह देखना होगा कि अदालत इसे दलबदल मानती है या नहीं। इस पर कोर्ट का फैसला ही अंतिम होगा।  

अब काफी हुआ! – CM ममता पर कटाक्ष के बाद अभिषेक बनर्जी ने उठाए मोदी-बीजेपी पर बड़े सवाल

कोलकाता  तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ नेता अभिषेक बनर्जी ने सोमवार को आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए अयोध्या मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा राम नवमी से तीन महीने पहले कर दी थी. अभिषेक की यह टिप्पणी दुर्गा पूजा पंडालों को ‘देवी पक्ष’ से पहले खोलने के लिए पश्चिम बंगाल बीजेपी द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आलोचना किए जाने के बीच आई है.तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक ने अपने डायमंड हार्बर लोकसभा क्षेत्र में संवाददाताओं से बात करते हुए मोदी सरकार पर ‘दोहरी बात कहने की कला में निपुण होने, नोटबंदी की अचानक घोषणा के लिए कोई जवाबदेही नहीं लेने, जिसके कारण कई लोगों की मौत हो गई थी और संघीय व्यवस्था की भावना के विरुद्ध राज्य का बकाया नहीं देने का आरोप लगाया. राम नवमी से पहले प्राण प्रतिष्ठा पर उठाया सवाल पंडालों को देवी पक्ष से पहले खोलने को लेकर विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा मुख्यमंत्री की आलोचना के बारे में पूछे जाने पर, अभिषेक बनर्जी ने कहा, ‘ठीक है, उन्होंने देवी पक्ष की शुरुआत से एक दिन पहले पंडाल खोल दिए और मूर्तियों के पट नहीं खोले. उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री द्वारा राम नवमी से तीन महीने पहले जनवरी 2024 में अयोध्या में राम मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करने के बारे में क्या कहना है? क्या किसी बीजेपी नेता ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए उठाए गए उस कदम पर टिप्पणी की है? पश्चिम बंगाल की धनराशि रोकने का आरोप बीजेपी पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाते हुए अभिषेक बनर्जी ने सवाल किया कि पश्चिम बंगाल को कितना पैसा दिया गया और राज्य से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष करों के माध्यम से कितना लिया गया. बीजेपी पर मनरेगा जैसी परियोजनाओं के लिए पश्चिम बंगाल को मिलने वाली धनराशि रोकने का आरोप लगाते हुए उन्होंने मोदी सरकार पर ‘इस मुद्दे पर कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश का सम्मान नहीं करने’ का आरोप लगाया. अभिषेक बनर्जी ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गरीबों की बात करते हैं, तो उन्हें यह बताना चाहिए कि 69 लाख जॉब कार्ड धारकों को अभी तक केंद्र से पैसा क्यों नहीं मिला है. राज्य ने उनकी मदद के लिए अपने सीमित कोष से संसाधन जुटाए.  

चुनाव आयोग पर घटते भरोसे का दावा, भाजपा-राहुल विवाद पर शरद पवार का हमला

मुंबई  राहुल गांधी बीते कई महीनों से वोटर लिस्ट में धांधली समेत कई आरोप चुनाव आयोग पर लगा रहे हैं। इस मामले में अकसर भाजपा जवाब देती नजर आती है। इसी को लेकर एनसीपी-एसपी के नेता शरद पवार ने कहा है कि इससे तो चुनाव आयोग पर भरोसा कमजोर होता है। उन्होंने कहा कि जब भी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हैं तो भाजपा नेता नियमित रूप से प्रतिक्रिया देते हैं। इससे चुनाव आयोग पर 'अविश्वास' बढ़ता है। पवार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इन सवालों पर आयोग की ओर से जवाब देने के बजाय भाजपा और उसके नेता प्रतिक्रिया देते हैं। उन्होंने कहा, 'लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी जब संसद में यह मुद्दा उठाते हैं तो संबंधित संस्था को इसका संज्ञान लेना चाहिए था। लेकिन हो यह रहा है कि जब गांधी चुनाव आयोग की आलोचना करते हैं तो आयोग जवाब नहीं देता बल्कि भाजपा और उसके नेता प्रतिक्रिया देते हैं।' पवार ने आगे कहा कि चुनाव आयोग की बजाय मुख्यमंत्री और अन्य नेता ऐसे मुद्दों पर जवाब दे रहे हैं, जिससे आयोग के प्रति अविश्वास की भावना बढ़ रही है। ऐसा होना लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है। राहुल गांधी ने हाल ही में 'वोट चोरी' के मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग की आलोचना की थी और मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर लोकतंत्र को नष्ट करने वालों की रक्षा करने का आरोप लगाया था। गांधी ने कर्नाटक और महाराष्ट्र की दो विधानसभा सीटों के आंकड़ों का हवाला देते हुए दावा किया था कि वहां मतदाताओं के नाम धोखाधड़ी से हटाए या जोड़े गए हैं। चुनाव आयोग ने इन आरोपों को गलत और निराधार बताया है और कहा है कि 'किसी भी आम नागरिक द्वारा ऑनलाइन वोट डिलीट नहीं किया जा सकता जैसा राहुल गांधी का दावा है।' आयोग ने स्पष्ट किया कि वोटर लिस्ट से नाम हटाने के लिए केवल उसी बूथ के अन्य मतदाता फॉर्म 7 के जरिए आवेदन कर सकते हैं न कि कोई भी आम नागरिक। राहुल गांधी के इन आरोपों के बाद विपक्षी दलों में एकजुटता देखी गई है, जिसमें शरद पवार और अन्य नेताओं ने भी अपने-अपने क्षेत्रों में 'वोट चोरी' के उदाहरण दिए हैं।  

पटना में होगी कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक, 24 सितंबर को राहुल और खड़गे की भागीदारी तय

पटना  अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु ने सोमवार को बताया कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और वरिष्ठ नेता राहुल गांधी 24 सितंबर को पटना में होने वाली कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक में शामिल होंगे. पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अल्लावरु ने कहा कि कांग्रेस बिहार में दूसरा 'स्वतंत्रता संग्राम' लड़ रही है, यही कारण है कि इस महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन बिहार में किया जा रहा है. उन्होंने कहा, 'सीडब्ल्यूसी बैठक में एआईसीसी अध्यक्ष खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी मौजूद रहेंगे. सभी सीडब्ल्यूसी सदस्यों को आमंत्रित किया गया है. कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी इस बैठक में शामिल हो सकते हैं.' कृष्णा अल्लावरु ने केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर 'वोट चोरी' का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'उस छात्र की तरह हैं जो मेहनत से पढ़ाई नहीं करता, बल्कि परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करता है.' कृष्णा अल्लावरु ने यह भी कहा कि बिहार, जहां हाल ही में राहुल गांधी ने 1,300 किलोमीटर की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ निकाली थी, अब राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बन गया है. अल्लावरु ने कहा, 'हम बिहार में दूसरा स्वतंत्रता संग्राम लड़ रहे हैं, यही कारण है कि सीडब्ल्यूसी की बैठक यहां आयोजित की जा रही है.' इंडिया ब्लॉक में सीट बंटवारे के सवाल पर अल्लावरु ने कहा कि सहयोगी दलों के साथ सकारात्मक बातचीत चल रही है और जल्द ही हम एक व्यवहारिक फॉर्मूला लेकर आएंगे. उन्होंने कहा कि सीट बंटवारे को लेकर बीजेपी नीत एनडीए में अव्यवस्था दिख रही है. जब उनसे पूछा गया कि क्या राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव को इंडिया ब्लॉक का मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित किया जाएगा, तो उन्होंने कहा, 'उचित समय पर सभी गठबंधन सहयोगी एक साथ बैठकर इस पर फैसला लेंगे.' बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं. निर्वाचन आयोग अक्टूबर के पहले हफ्ते में बिहार विधानसभा चुनाव कार्यक्रमों की घोषणा कर सकता है.