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क्या आपको चाहिए नागरिकता का प्रमाण? जानिए प्रक्रिया और आवश्यकता

नई दिल्ली बिहार में विधानसभा चुनावों से पहले वोटर लिस्ट के बाद नागरिकता का मामला गर्मा गया है। इस पर अब दुविधा की स्थिति देखने को मिल रही है कि कौन-कौन से डॉक्यूमेंट नागरिकता के प्रमाण हैं और कौन से नहीं। इस बीच सर्टिफिकेट ऑफ इंडियन सिटिजनशिप को लेकर भी लोग परेशान हैं कि क्या यह सभी भारतीयों के लिए जरूरी है और इसे बनवाया कैसे जाता है। चलिए इन तमाम दुविधाओं को एक साथ साफ करते हैं और जानते हैं कि सर्टिफिकेट ऑफ इंडियन सिटिजनशिप होता क्या है और जिस किसी को भी इसकी जरूरत हो वह इसे ऑनलाइन कैसे बनवा सकता है। सर्टिफिकेट ऑफ इंडियन सिटिजनशिप है नागरिकता की पहचान सर्टिफिकेट ऑफ इंडियन सिटिजनशिप भारतीय नागरिकता को प्रमाणित करने वाला एक सरकारी दस्तावेज है। इस डॉक्यूमेंट से साबित होता है कि कोई भारतीय नागरिक है या नहीं। हाल ही में बिहार विधानसभा चुनावों से पहले वोटर लिस्ट और नागरिकता की बहस छिड़ने के बाद इस डॉक्यूमेंट को लेकर लोग बहुत बात करने लगे हैं। इस मामले के उठने के बाद यह साफ हुआ है कि आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस जैसे डॉक्यूमेंट नागरिकता की पहचान नहीं करते। नागरिकता की पहचान के लिए पासपोर्ट, सर्टिफिकेट ऑफ इंडियन सिटिजनशिप, बर्थ सर्टिफिकेट आदि को सही डॉक्यूमेंट माना गया है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि क्या भारत के हर नागरिक के पास यह सर्टिफिकेट ऑफ इंडियन सिटिजनशिप होना चाहिए? क्या सबके लिए है जरूरी? गौरतलब है कि सर्टिफिकेट ऑफ इंडियन सिटिजनशिप उन लोगों को दिया जाता है जो जन्म से भारतीय नहीं हैं, लेकिन बाद में भारतीय नागरिक बने हैं। इसमें विदेशी नागरिक आते हैं जिन्होंने भारत की नागरिकता ली है। आमतौर पर भारतीय नागरिकों को इसकी जरूरत नहीं होती। पासपोर्ट, बर्थ सर्टिफिकेट जैसे डॉक्यूमेंट भारतीयों के लिए अपनी नागरिकता साबित करने को काफी होते हैं। हालांकि उन लोगों के लिए जिन्हें इसकी जरूरत है यह जान लेना जरूरी हो जाता है कि आखिर इसके लिए किस तरह से अप्लाई किया जाता है। सर्टिफिकेट ऑफ इंडियन सिटिजनशिप ऐसे करें अप्लाई? सबसे पहले आपको भारत सरकार की सिटिजनशिप पोर्टल “https://indiancitizenshiponline.nic.in” पर जाना होगा।     इसके बाद आपको वो फॉर्म चुनना होगा जो आपके लिए सही है। जैसे कि Form 1: अगर आप भारत में जन्मे हैं और आवेदन कर रहे हैं। Form 2 से 8: नैचुरलाइजेशन, रजिस्ट्रेशन, शादी के आधार पर नागरिकता, आदि के लिए अलग-अलग फॉर्म।     इसके बाद वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन करें। अपना ईमेल और मोबाइल नंबर दर्ज करें। OTP वेरीफाई करें। लॉगिन आईडी और पासवर्ड बनाएं।     अब आपको अपना फॉर्म ध्यान से भरना होगा। जरूरी डॉक्यूमेंट स्कैन करके अपलोड करें (PDF/ JPEG फॉर्मेट में)।     इसके बाद आपको ऑनलाइन अपनी फीस भरनी होगी।     इसके बाद फॉर्म सबमिट करके एक्नॉलेजमेंट स्लिप डाउनलोड कर लें।     फॉर्म सबमिट होने के बाद स्थानीय कलेक्टर या जिला अधिकारी आपके डॉक्यूमेंट्स की जांच करेगा। आपको इंटरव्यू या सत्यापन के लिए बुलाया जा सकता है।     फॉर्म भरते हुए ध्यान रखें कि आवेदन अंग्रेजी में ही करें। गलत जानकारी देने पर आवेदन रिजेक्ट हो सकता है     इस तरह से वह शख्स जिसे सर्टिफिकेट ऑफ इंडियन सिटिजनशिप की जरूरत हो के लिए आवेदन कर सकता है।  

विदेश मंत्री जयशंकर ने बीजिंग में चीनी उपराष्ट्रपति से की मुलाकात, एससीओ की अध्यक्षता के लिए समर्थन व्यक्त किया

 बीजिंग  विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सोमवार को बीजिंग में चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। विदेश मंत्री जयशंकर ने 'एक्स' पर ट्वीट किया, 'चीन की शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की अध्यक्षता के लिए भारत का समर्थन व्यक्त किया। हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर फोकस किया और विश्वास व्यक्त किया कि मेरी यात्रा के दौरान हुई चर्चाएं सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेंगी।' दोनों देशों के संबंधों में सुधार उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कजान में हुई बैठक के बाद से दोनों देशों के संबंधों में सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा, 'भारत शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में चीन की सफल अध्यक्षता का समर्थन करता है। पिछले अक्तूबर में कजान में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति जिनपिंग के बीच हुई बैठक के बाद से हमारे द्विपक्षीय संबंधों में लगातार सुधार हो रहा है। मुझे विश्वास है कि इस यात्रा में मेरी चर्चाएं इसी सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेंगी।' पांच वर्षों में चीन की पहली यात्रा  जयशंकर सिंगापुर की अपनी यात्रा पूरी करने के बाद चीन पहुंचे हैं। यह पांच वर्षों में उनकी चीन की पहली यात्रा है। सोमवार को उनके अपने चीनी समकक्ष वांग यी से द्विपक्षीय बैठक करने की उम्मीद है। जयशंकर और वांग यी की पिछली मुलाकात फरवरी में जोहान्सबर्ग में जी-20 बैठक के दौरान हुई थी, जहां दोनों पक्षों ने आपसी विश्वास और समर्थन का आह्वान किया था। एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक जयशंकर आज तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी भाग लेंगे। विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की है कि विदेश मंत्री तियानजिन में आयोजित एससीओ विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक (सीएफएम) में भाग लेने के लिए पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना का दौरा करेंगे। विदेश मंत्री सीएफएम के दौरान द्विपक्षीय बैठकें भी करेंगे। गलवां के बाद पहली यात्रा 2020 में गलवां में हुई घातक सैन्य झड़प को लेकर संबंधों में आई खटास के बाद विदेश मंत्री की यह पहली चीन यात्रा है। जयशंकर की यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की यात्राओं के बाद हो रही है, जिन्होंने जून में एससीओ बैठकों के लिए चीन की यात्रा की थी।    

अब FASTag से धोखाधड़ी की कोशिश पड़ी महंगी, रियल टाइम में होगी ब्लैकलिस्टिंग

नई दिल्ली  अब नेशनल हाईवे पर गाड़ी चलाने वालों को ज़्यादा सावधान रहना होगा! अगर आपकी गाड़ी पर FASTag सही जगह, यानी विंडस्क्रीन (सामने के शीशे) पर नहीं लगा है, तो अब नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) आपके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने वाली है। ऐसे FASTag को तुरंत ब्लैकलिस्ट किया जाएगा, यानी वह काम करना बंद कर देगा। यह कदम टोल प्लाजा पर धोखाधड़ी रोकने और भीड़ कम करने के लिए उठाया जा रहा है। क्यों उठाया गया यह कदम? सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने बताया है कि यह कदम टोल कलेक्शन को और बेहतर बनाने के लिए ज़रूरी है। मंत्रालय ने यह भी जानकारी दी कि जल्द ही सालाना पास सिस्टम और मल्टी-लेन फ्री फ्लो (MLFF) टोलिंग जैसी नई योजनाएं शुरू होंगी। ऐसे में FASTag की सही पहचान और पूरे सिस्टम की विश्वसनीयता बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। अब टोल प्लाजा चलाने वाली एजेंसियों और ठेकेदारों को यह निर्देश दिया गया है कि अगर उन्हें कोई 'लूज़ FASTag' (जो सही जगह न लगा हो) दिखाई दे, तो उसकी तुरंत जानकारी दें. इससे टोल सिस्टम और भी सुचारू रूप से काम करेगा। क्या हैं परेशानियाँ? सरकार के मुताबिक, कई वाहन मालिक जानबूझकर FASTag को गाड़ी के शीशे पर नहीं लगाते. इससे कई तरह की समस्याएँ होती हैं: टोल लेन में भीड़: जब FASTag सही जगह नहीं होता, तो उसे स्कैन करने में ज़्यादा समय लगता है, जिससे टोल लेन में गाड़ियों की लंबी कतार लग जाती है। गलत टोल कटना: कई बार गलत तरीके से पैसे कटने की शिकायतें आती हैं। सिस्टम का गलत इस्तेमाल: कुछ लोग बंद सिस्टम वाले टोल प्लाज़ा पर FASTag का गलत इस्तेमाल करते हैं। पूरी व्यवस्था में गड़बड़ी: कुल मिलाकर, इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन की पूरी व्यवस्था में रुकावट आती है, जिससे टोल प्लाजा पर बेवजह देरी होती है और दूसरे यात्रियों को भी परेशानी होती है। NHAI ने दी खास ईमेल ID इन समस्याओं से निपटने और तुरंत कार्रवाई करने के लिए NHAI ने एक खास ईमेल आईडी जारी की है। टोल कलेक्शन एजेंसियों और ठेकेदारों को इस ईमेल आईडी पर ढीले या गलत तरीके से लगे FASTag की जानकारी तुरंत भेजनी होगी। रिपोर्ट मिलते ही, NHAI ऐसे FASTag को ब्लैकलिस्ट या हॉटलिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू कर देगा। फिलहाल, देश के नेशनल हाईवे पर लगभग 98% वाहन FASTag का इस्तेमाल करते हैं, जिससे टोल कलेक्शन काफी बेहतर हुआ है। लेकिन कुछ लोग अभी भी FASTag को ठीक से नहीं लगाते या उसे हाथ में रखते हैं, जिससे सिस्टम की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है और टोल वसूली में दिक्कतें आती हैं। एनुअल पास की तैयारी यह फैसला FASTag इस्तेमाल करने वालों के लिए जल्द आने वाले एनुअल पास (सालाना पास) की लॉन्चिंग से ठीक पहले लिया गया है। जून 2025 में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने घोषणा की थी कि सरकार पूरे देश के नेशनल हाईवे पर आसान और सस्ता सफर बनाने के लिए FASTag-आधारित सालाना पास शुरू करने जा रही है। यह एनुअल पास ₹3000 में मिलेगा और यह एक्टिवेशन की तारीख से एक साल तक या अधिकतम 200 ट्रिप तक वैलिड रहेगा। इसे इस साल स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के मौके पर लॉन्च करने की योजना है।  

ओडिशा: चालक संघ ने मानी बात, आंदोलन वापस लेकर काम पर लौटे

भुवनेश्वर बसों और ट्रकों सहित वाणिज्यिक वाहन चालकों के संघ 'ओडिशा चालक महासंघ' ने रविवार को राज्य में अपना पांच दिवसीय 'काम बंद' आंदोलन वापस ले लिया। दो लाख से ज्यादा सदस्यों वाले चालक संघ ने पेंशन और विश्राम गृह सहित अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आठ जुलाई को 'काम बंद' आंदोलन शुरू किया था। संघ के राज्य सचिव मानस देबता ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के आगामी दौरे के मद्देनजर शनिवार रात आंदोलन वापस लेने की घोषणा की। देबता ने संबलपुर जिले के रेधाखोल में मीडियाकर्मियों से कहा, '' हमारी राष्ट्रपति, जो यहां की जमीन से ताल्लुक रखती हैं वह 14 जुलाई को ओडिशा आने वाली हैं। हमने अपने विरोध प्रदर्शन को वापस लेने का फैसला किया है ताकि राष्ट्रीय स्तर पर हमारे राज्य की छवि को ठेस न पहुंचे।'' 'ओडिशा ड्राइवर्स महासंघ' के बैनर तले, बसों, ट्रकों, वैन, टैक्सियों, ऑटो रिक्शा और अन्य व्यावसायिक वाहनों के हजारों चालक राज्य में उनके लिए कल्याणकारी उपाय लागू करने की मांग को लेकर आठ जुलाई से प्रदर्शन कर रहे हैं। चालकों ने ओडिशा भर में विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन किए और धरने दिए। चालकों के विरोध प्रदर्शन के कारण राज्य के कई हिस्सों में निजी बस सेवा प्रभावित हुईं। चालक संघ की 60 वर्ष की आयु के बाद चालकों के लिए पेंशन, मृत्यु लाभ, प्रमुख सड़कों पर हर 100 किलोमीटर पर विश्राम गृह, ओडिशा मोटर परिवहन चालक एवं श्रमिक कल्याण बोर्ड में ऑटोरिक्शा चालकों को शामिल करने और एक सितंबर को 'चालक दिवस' घोषित करने की मांग है।  

संजय राउत ने कहा– उद्धव और राज का साथ आना वक्त की जरूरत

मुंबई शिवसेना (उद्धव बाला साहेब ठाकरे) सांसद संजय राउत ने रविवार को कहा कि उनके पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के बीच गठबंधन होना जरूरी है और यह गठबंधन राज्य को ''नई दिशा'' देगा। शिवसेना (उबाठा) के मुखपत्र सामना में अपने साप्ताहिक कॉलम 'रोख ठोक' में राउत ने यह भी दावा किया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का महाराष्ट्र की एकता और मराठी ''अस्मिता'' की लड़ाई से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया, ''भाजपा की नीति पहले मुंबई को लूटना, फिर मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश बनाना और अलग विदर्भ का खेल खेलना और महाराष्ट्र का अस्तित्व ही खत्म कर देना है।'' राउत ने कहा कि लोग महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को नहीं भूले हैं, जब उन्हें नागपुर में आंदोलन के दौरान 'विदर्भ मेरा एकमात्र राज्य है' संदेश वाली तख्तियां हाथ में लिए देखा गया था। राज्यसभा सदस्य ने कहा कि अगर ठाकरे भाइयों और उनके नेतृत्व की एकता बरकरार नहीं रही तो मुंबई ''अदाणी-लोढ़ा की जेब में चली जाएगी'' और एक दिन मुंबई महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं रहेगी। अप्रैल में मनसे नेता राज ठाकरे ने अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे के साथ संभावित राजनीतिक मिलन के संकेत दिए थे। राज ठाकरे ने कहा था कि उनके पिछले मतभेद ''मामूली'' थे और 'मराठी मानुष' (मराठी लोगों) के व्यापक हित के लिए एकजुट होना कोई मुश्किल काम नहीं है। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह छोटे-मोटे झगड़ों को भुलाने के लिए तैयार हैं, बशर्ते महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को समर्थन न दिया जाए। इसके बाद दोनों ठाकरे भाइयों के साथ आने की बात को बल मिला था। पांच जुलाई को लगभग 20 वर्षों में पहली बार मनसे प्रमुख के साथ राजनीतिक मंच साझा करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे ''एकसाथ होने के लिए साथ आए हैं''। यह घटनाक्रम भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार द्वारा कक्षा एक में हिंदी भाषा लागू करने संबंधी दो सरकारी आदेश (जीआर) वापस लिए जाने के बाद हुआ। राउत ने दावा किया कि पांच जुलाई को चचेरे भाई राज और उद्धव के एकसाथ आने से 'मराठी मानुष' में विश्वास जगा है। उन्होंने कहा, ''इसका मतलब यह नहीं है कि मराठी मानुष के सभी मुद्दे सुलझ गए हैं। मराठी मानुष की सारी समस्याएं जस की तस हैं। ठाकरे भाई हिंदी थोपे जाने के खिलाफ एक साथ आए, लेकिन (दोनों दलों के बीच) राजनीतिक गठबंधन की घोषणा अभी बाकी है। गठबंधन होना जरूरी है। तभी महाराष्ट्र को एक नई दिशा मिलेगी।'' उन्होंने कहा कि अगर किसी को यह भ्रम है कि ठाकरे किसी भी तरह के दबाव में आ जाएंगे, तो वे मूर्ख हैं। राउत ने भाजपा की ओर इशारा करते हुए दावा किया कि ठाकरे भाइयों की एकता ने दिल्ली और महाराष्ट्र के हुक्मरानों को हिला कर रख दिया है। शिवसेना (उबाठा) नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने राज ठाकरे से मुलाकात करके राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। उन्होंने कहा कि मनसे अध्यक्ष इस पर बात करेंगे और भ्रम दूर करेंगे। फडणवीस और राज ठाकरे पिछले महीने मुंबई के एक होटल में मिले थे।  

बच्चे, बुजुर्ग और साधु सभी शामिल, दर्शन के लिए उमड़ा आस्था का सैलाब

बालटाल श्री अमरनाथ जी यात्रा सुचारू रूप से जारी है और 3 जुलाई को शुरू हुई वार्षिक तीर्थयात्रा के बाद से पहले 10 दिनों में 1.98 लाख से ज़्यादा तीर्थयात्रियों ने पवित्र गुफा में दर्शन किए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अकेले रविवार को 18,010 तीर्थयात्रियों ने पवित्र गुफा में दर्शन किए। इनमें 12,838 पुरुष, 4,343 महिलाएं, 223 बच्चे, 141 साधु, 8 साध्वी और 2 ट्रांसजेंडर श्रद्धालु शामिल थे। इसके अलावा, 455 सुरक्षाकर्मियों ने भी पवित्र गुफा में पूजा-अर्चना की। अब तक पवित्र यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं की कुल संख्या 1,98726 हो गई है। इस वर्ष की 38-दिवसीय यात्रा 9 अगस्त को, श्रावण पूर्णिमा और रक्षा बंधन के साथ, समाप्त होगी।   अधिकारियों ने बताया कि यात्रा बहु-स्तरीय सुरक्षा व्यवस्था के तहत संचालित की जा रही है, जिसमें चौबीसों घंटे निगरानी, चिकित्सा सहायता और समर्पित बचाव दल तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित कर रहे हैं। श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर संभावित सड़क बंद होने या देरी के दौरान तीर्थयात्रियों की सहायता के लिए, मीर बाजार और वॉलनट फैक्टी लेवडोरा (काजीगुंड) में प्रमुख पारगमन शिविर स्थापित किए गए हैं। इन शिविरों की संयुक्त क्षमता 5,000 यात्रियों की है, जिनमें मीर बाजार में 2,600 और लेवडोरा में 2,400 बिस्तर हैं, जो आवश्यक आश्रय और सेवाएं प्रदान करते हैं। 

दुर्गम इलाकों में अब ड्रोन से पहुंचेगी दवा, AFMS कर रहा योजना पर मंथन

पुणे सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) की महानिदेशक सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन ने कहा कि एएफएमएस पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में रक्त की थैलियों, दवाओं और अन्य चिकित्सा सामग्री पहुंचाने के लिए ड्रोन के इस्तेमाल की संभावना तलाश रहा है। सरीन ने यह भी कहा कि एएफएमएस ने उन सभी चार अंतरिक्ष यात्रियों की स्वास्थ्य जरूरतों का जिम्मा संभाला है जो वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए ' एक्सिओम-4' मिशन का हिस्सा हैं। वाइस एडमिरल सरीन शनिवार को पुणे स्थित सशस्त्र सेना चिकित्सा महाविद्यालय (एफएफएमसी) में पांच मेडिकल कैडेट्स की पासिंग आउट परेड के मौके पर आयोजित समारोह से इतर बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि एएफएमएस स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए टेलीमेडिसिन, कृत्रिम मेधा (एआई), और ड्रोन जैसी आधुनिक तकनीकों को जोड़ रहा है। उन्होंने कहा, ''हम रक्त की थैलियों, दवाओं और अन्य चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करने पर विचार कर रहे हैं। दरअसल, हम उस दिन की उम्मीद कर रहे हैं जब आपात स्थिति में मरीजों को निकालने (मेडिकल इवैक्यूएशन) का काम भी ड्रोन की मदद से किया जा सकेगा।'' उन्होंने कहा कि यह तकनीक फिलहाल प्रायोगिक परियोजना के तौर उन दूरदराज और पहाड़ी इलाकों में इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है, जहां पहुंचना मुश्किल है। उन्होंने कहा, ''ऐसी प्रौद्योगिकी पहले से ही गैर-सैन्य एजेंसियों द्वारा इस्तेमाल की जा रही है।'' एएफएमसी के कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल पंकज राव ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र में रोकथाम से लेकर इलाज तक, हर स्तर पर प्रौद्योगिक प्रगति को अपनाया जा रहा है। 'एक्सिओम-4' मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर गए अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को लेकर वाइस एडमिरल सरीन ने कहा कि एएफएमएस इस मिशन के सभी चार अंतरिक्ष यात्रियों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों की जिम्मेदारी संभाल रहा है।  

कर्नाटक की पहाड़ियों में गुफा से मिला पूरा परिवार, रूसी महिला और दो बच्चों को पुलिस ने बचाया

कर्नाटक उत्तर कन्नड़ जिले के कुमता तालुक स्थित दुर्गम रामतीर्थ पहाड़ियों की एक गुफा से शुक्रवार को एक 40 वर्षीय रूसी महिला और उसके दो बच्चों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया। यह महिला, नीना कुटीना उर्फ मोही, अपने दो छोटे बच्चों के साथ लगभग दो सप्ताह से एकांतवास में रह रही थी। पुलिस ने शनिवार को इसकी पुष्टि की। पूजा, ध्यान और आत्मिक शांति की तलाश में गुफा में बिता रही थी दिन पुलिस के अनुसार, मोही बीते कुछ समय से गुफा में आत्मिक शांति की तलाश में रह रही थी। उसने गुफा को एक आध्यात्मिक स्थल में परिवर्तित कर दिया था, जहां रुद्र मूर्ति स्थापित कर वह दिनभर पूजा और ध्यान में लीन रहती थी। वह अपने दो बच्चों प्रेया (6) और अमा (4) के साथ गोकर्ण के घने जंगलों और पहाड़ी इलाके में रह रही थी। भूस्खलन के बाद गश्त के दौरान मिला सुराग हाल ही में हुए भूस्खलन के बाद पुलिस की एक टीम नियमित गश्त पर थी, जब उन्होंने गुफा के पास कपड़े सूखते हुए देखे। यह सुराग मिलने पर जब टीम ने गुफा की ओर रुख किया, तो उन्हें मोही और उसके बच्चे वहां मिले। पुलिस अधीक्षक एम. नारायण ने बताया, "यह आश्चर्यजनक था कि एक महिला दो छोटे बच्चों के साथ इतने दुर्गम स्थान पर रह रही थी। सौभाग्य से वे सभी सुरक्षित थे और अच्छे स्वास्थ्य में पाए गए।" 2017 में खत्म हो गया था वीजा जानकारी के अनुसार, मोही भारत में बिजनेस वीजा पर आई थी, जिसकी वैधता वर्ष 2017 में समाप्त हो चुकी थी। वह कब से देश में रह रही है, इसका स्पष्ट विवरण नहीं है, लेकिन अधिकारियों का मानना है कि वह गोवा से गोकर्ण आई और फिर पहाड़ियों में एकांतवास का जीवन शुरू कर दिया। उसने हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं से प्रेरित होकर यह निर्णय लिया था। रेस्क्यू के बाद, पुलिस ने मोही और उसके बच्चों के लिए गोकर्ण स्थित एक साध्वी द्वारा संचालित आश्रम में अस्थायी आवास की व्यवस्था की है। एक स्थानीय एनजीओ की मदद से रूसी दूतावास से संपर्क किया गया है और आधिकारिक निर्वासन (deportation) प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। जल्द ही कानूनी प्रक्रियाओं के तहत इस परिवार को बेंगलुरु लाया जाएगा।

मौसम विभाग का अलर्ट: अगले 6 दिन तक भारी बारिश, सतर्क रहें

मुंबई पिछले एक महीने में महाराष्ट्र समेत देश के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई है। कुछ राज्यों में बारिश बहुत ज़्यादा हुई है और बाढ़ आ गई है। इससे नागरिकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। लगातार हो रही बारिश के कारण तापमान में गिरावट भी आई है। लेकिन एक बार फिर भारत मौसम विज्ञान विभाग ने देशभर में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। विभाग द्वारा दी गई चेतावनी के अनुसार, अगले 6 दिनों तक कई राज्यों में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुसार, अगले 6 दिनों तक कई राज्यों में भारी बारिश की संभावना है। मौसम विभाग ने इन राज्यों के लिए 12 से 17 जुलाई के बीच बारिश का हाई अलर्ट जारी किया है। महाराष्ट्र में भी अगले छह दिनों तक बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। इस बीच, महाराष्ट्र में भी बारिश के बादल छाने वाले हैं। पिछले कुछ दिनों से थमी बारिश के वापस लौटने की संभावना है। महाराष्ट्र के कोंकण और विदर्भ में भारी बारिश का अनुमान जताया गया है। वहीं मराठवाड़ा में बारिश की मात्रा कम थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों में हुई बारिश से मराठवाड़ा में यह कमी भी पूरी हो गई है, वहीं दूसरी ओर विदर्भ में बारिश से भारी नुकसान हुआ है। बहरहाल अगले 6 दिनों तक महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में भारी बारिश की संभावना है, इसी के मद्देनजर अलर्ट जारी किया गया है।  

श्रद्धा की पराकाष्ठा: 351 लीटर गंगाजल लेकर 306 दिन तक चला ये अद्भुत शिवभक्त

नई दिल्ली  सावन महीने की शुरूआत से कड़ी सुरक्षा के बीच कांवड़ यात्रा शुरू हो गई है। कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ियों की भक्ति देखने को मिलती है। ऐसा ही एक भक्त सहारनपुर जनपद के नकुड़ के गांव नयागांव निवासी मनोज कुमार है। जो इस साल की सबसे भारी कांवड को लेकर चल रहे है। मनोज कुमार 306 दिनों से लगातार कांवड़ यात्रा पर हैं।  हरिद्वार से शुरू की थी यात्रा  जानकारी के अनुसार, मनोज कुमार ने हरिद्वार से 351 लीटर गंगाजल अपने कंधों पर लेकर सफर शुरू किया था। उन्होंने लगातार 306 दिनों तक यात्रा की अब वो सहारनपुर रोड स्थित हरि कॉलेज के पास पहुंच चुके हैं। उनका कहना है कि उन्होंने ये यात्रा किसी दिखावे के लिए नहीं शुरू की। बल्कि भोले बाबा का नाम लेकर शुरू की है। वो भोलेनाथ का नाम लेकर चल रहे है।  अब तक अकेले किया सफर  मनोज ने बताया कि उन्होंने न तो कोई अभ्यास किया, न ही कोई पूर्व योजना बनाई थी। न ही किसी मन्नत या दिखावे के लिए ये यात्रा शुरू की। उसने बताया कि हर केन में लगभग 175 लीटर जल है और इसका कुल वजन इतना अधिक है कि वो एक दिन में सिर्फ एक किलोमीटर तक ही चल पाते है। इस गंगाजल को अपने कंधों पर अकेले उठाकर हरिद्वार से लेकर अब तक सफर किया है। गांव तक पहुंचने में अभी लगभग 6-7 दिन और लग सकते हैं। उनकी इस भक्ति को देखकर सब लोग खुश हो रहे है और हैरान भी रह जाते है।