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आरएसएस प्रमुख के बयान , पीएम पद के लिए सही च्वॉयस होंगे गडकरी : कांग्रेस विधायक

बेंगलुरु कांग्रेस के एक विधायक ने नितिन गडकरी को प्रधानमंत्री बनाए जाने की मांग की है। उन्होंने इसके लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के रिटायरमेंट वाले बयान का हवाला दिया है। कांग्रेस विधायक ने आरएसएस प्रमुख के बयान का स्वागत करते हुए कहाकि अगर इसके हिसाब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद से रिटायर होते हैं तो गडकरी को पीएम बनना चाहिए। वह इस पद के लिए सही च्वॉयस होंगे। बता दें कि मोहन भागवत ने कहा था कि 75 साल की उम्र पूरी होने के बाद नेताओं को सत्ता से इस्तीफा दे देना चाहिए। इसके बाद कांग्रेस ने निशाना साधते हुए कहा था कि मोहन भागवत का इशारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर है। गौरतलब है कि पीएम मोदी इसी साल 75 साल के होने वाले हैं। गडकरी को देश के गरीबों की चिंता कांग्रेस विधायक बेलूर गोपालकृष्णा कर्नाटक की सागर विधानसभा से विधायक हैं। बेलूर गोपालकृष्णा ने अपने बयान में कहा है कि अगर भागवत के 75 साल में रिटारयमेंट वाली बात के हिसाब से पीएम मोदी हटते हैं तो नितिन गडकरी को अगला पीएम बनाना चाहिए। उन्होंने कहाकि गडकरी प्रधानमंत्री पद के लिए सही च्वॉयस रहेंगे। बेलूर गोपालकृष्णा ने कहाकि गडकरी को देश के गरीब लोगों की ज्यादा चिंता है। येदियुरप्पा का दिया उदाहरण पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस विधायक बेलूर गोपालकृष्णा ने कहाकि भाजपा ने 75 साल का होने के बाद बीएस येदियुरप्पा को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया। उनकी आंखों में आंसू भरे हुए थे। अब भाजपा को आरएएस चीफ की इच्छा का सम्मान करना चाहिए और यही फॉर्मूला प्रधानमंत्री पद भी लागू करना चाहिए। उन्होंने कहाकि देश गरीब लोगों की संख्या बढ़ रही है। अमीर और अमीर होता जा रहा है। बेलूर ने कहाकि देश का धन कुछ लोगों के हाथ में जा रहा है। इसको देखते हुए वह प्रधानमंत्री पद के लिए सबसे योग्य हैं। भाजपा हाईकमान को इस बारे में सोचना चाहिए।  

शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और आर्थिक क्षेत्र उल्लेखनीय बदलाव : उपराज्यपाल

श्रीनगर,  उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में उल्लेखनीय बदलाव हो रहे हैं, खास तौर पर शिक्षा, महिला सशक्तिकरण और आर्थिक क्षेत्र इसमें शामिल हैं। शोपियां में बोलते हुए उपराज्यपाल ने बदलती मानसिकता और उन झूठे आख्यानों को खत्म करने पर ज़ोर दिया जो कभी आर्मी गुडविल स्कूल जैसी पहलों में सामुदायिक भागीदारी को हतोत्साहित करते थे। उन्होंने सवाल किया कि एक समय लोगों से कहा जाता था कि वह अपने बच्चों को आर्मी गुडविल स्कूलों में न भेजें। डर और अविश्वास पैदा करने के लिए आख्यान गढ़े जाते थे लेकिन आपसे पूछता हूँ कि अगर हमारे बहादुर सैनिक हमारी सीमाओं की रक्षा कर सकते हैं तो वह हमारे बच्चों को शिक्षित करने में मदद क्यों नहीं कर सकते। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पिछले पाँच वर्षों में यह भ्रामक प्रचार कमज़ोर पड़ गया है और लोग अब इन संस्थानों में दी जा रही शिक्षा के मूल्य और गुणवत्ता को पहचान रहे हैं। उन्होंने कहा कि आर्मी गुडविल स्कूल दूरदराज और संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में कई लोगों के लिए आशा और अवसर का प्रतीक बन गए हैं। आज इन स्कूलों के छात्र न केवल विषय सीख रहे हैं बल्कि वह ज़िम्मेदार नागरिक बन रहे हैं और कई प्रतिस्पर्धी क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहे हैं। उपराज्यपाल सिन्हा ने क्षेत्र में महिलाओं द्वारा की गई उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में हज़ारों महिलाएं स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में शामिल हो गई हैं और अब नौकरी चाहने वाली नहीं रही हैं, वह नौकरी देने वाली बन गई हैं और आगे बढ़कर बदलाव का नेतृत्व कर रही हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम), उम्मीद और तेजस्विनी जैसी प्रमुख योजनाओं का हवाला देते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि ये कार्यक्रम केवल वित्तीय साधन नहीं बल्कि परिवर्तन के मंच हैं। उन्होंने कहा कि इन पहलों के माध्यम से महिलाओं को कौशल-आधारित प्रशिक्षण, वित्तीय सहायता और मार्गदर्शन मिल रहा है। इससे उन्हें अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करने और सामाजिक और आर्थिक स्वतंत्रता हासिल करने में मदद मिली है। स्थानीय स्वयं सहायता समूह खासकर शोपियां जैसे ग्रामीण इलाकों में बागवानी, खाद्य प्रसंस्करण, सिलाई और कृषि-व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रहे हैं। उपराज्यपाल सिन्हा ने कहा कि पिछले पाँच वर्षों में केंद्र शासित प्रदेश की अर्थव्यवस्था दोगुनी हो गई है जो सुशासन, बेहतर कानून-व्यवस्था और विकास प्रक्रियाओं में बढ़ती जनभागीदारी के कारण संभव हुआ है। यह वृद्धि केवल आंकड़ों में ही नहीं है यह बेहतर सड़कों, स्कूलों, डिजिटल बुनियादी ढाँचे और आजीविका में भी झलकती है। हमें उम्मीद है कि यह रुझान इस वर्ष भी जारी रहेगा।  

निर्दयता की सजा भी हुई बेरहम: बच्ची से दुष्कर्म करने वाले को सर्जरी से बनाया जाएगा नपुंसक

अंटानानारिवो छह साल की बच्ची से दुष्कर्म करने वाले शख्स को कोर्ट ने दोषी पाने पर ऐसी सजा सुनाई, जिसके बारे में शायद ही कभी सुना गया होगा. दोषी शख्स को सर्जिकल तरीके से नपुंसक बना देने का कोर्ट ने आदेश दिया. इसके साथ ही उसे ताउम्र जेल में रहना पड़ेगा. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार,  मेडागास्कर की एक अदालत ने एक व्यक्ति को 2024 में एक बच्ची के साथ दुष्कर्म के लिए सर्जिकल नपुंसक बनाने की सजा सुनाई है. न्यायिक अधिकारी ने बताया कि हिंद महासागर के इस द्वीप पर यह पहला ऐसा कदम है. दुष्कर्म के बाद हत्या का किया था प्रयास अपील न्यायालय के अटॉर्नी जनरल डिडिएर रजाफिंद्रलाम्बो ने बताया कि यह मामला राजधानी एंटानानारिवो से 30 किलोमीटर पश्चिम में स्थित इमेरिंटसियाटोसिका का है. वहां छह साल की बच्ची के साथ आरोपी ने दुष्कर्म किया था. फिर उसकी हत्या की भी कोशिश की थी.  नपुंसक बनाने के साथ ही ताउम्र कैद मेडागास्कर के न्याय मंत्रालय द्वारा मीडिया के लिए जारी एक वीडियो में बताया गया कि इस मामले में आरोपी व्यक्ति को न्यायालय ने कठोर श्रम और सर्जरी के द्वारा नपुंसक बनाने सहित आजीवन कारावास की सजा सुनाई है.  पिछले साल मेडागास्कर में बना था नया कानून यह सजा पिछले साल मेडागास्कर में 10 वर्ष या उससे कम आयु की नाबालिगों के साथ यौन अत्याचारों के मामलों से निपटने के लिए 2024 के कानून के हिस्से के रूप में पेश की गई थी. सरकार ने कहा कि यह कानून इसलिए पेश किया गया,  क्योंकि अदालतों में ऐसे कई मामले दर्ज थे. रजाफिंद्रलाम्बो ने कहा कि कोर्ट का निर्णय न्याय प्रणाली की ओर से एक मजबूत और महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया है. इसका उद्देश्य ऐसे दुर्भावनापूर्ण इरादे रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए चेतावनी के रूप में कार्य करना है.वैसे चेक गणराज्य और जर्मनी में कुछ यौन अपराधियों पर  प्रतिवादी की सहमति से सर्जिकल बधियाकरण किए जाने के मामले सामने आते रहे हैं.

बर्फ़ में दबे सैनिकों की खोज में मदद करेगी स्मार्ट वर्दी, Army‑IIT परियोजना शुरू

कानपुर  देश की बर्फीली सीमाओं पर तैनात सैनिकों के गुम होने पर चमकदार द्रव के जरिए आसानी से तलाशा जा सकेगा। इसके लिए सेना और आईआईटी कानपुर के बीच स्वचालित हिमस्खलन पीड़ित पहचान प्रणाली (एएवीडीएस) डिवेलप करने को लेकर  एमओयू हुआ। सूर्या कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता के नेतृत्व में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्य स्वदेशी तकनीक से अत्याधुनिक प्रणाली विकसित करना है, जो हिमस्खलन के दौरान बर्फ में दबे कर्मियों का तुरंत पता लगाने में सक्षम हो। योजना के तहत सैनिक की वर्दी में एक कॉम्पैक्ट अटैचमेंट से प्रक्षेपित प्रकाशमान द्रव का उपयोग किया जाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने कहा कि स्वदेशी तकनीक दुर्गम ऊंचाई और बर्फीले क्षेत्रों में आपात स्थिति में फंसे सैनिकों को बचाने में काफी मददगार साबित होगी। सूर्या कमान के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल नवीन सचदेवा ने कहा कि यह पहल रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता और दुर्गम इलाकों में क्षेत्रीय इकाइयों की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के प्रति भारतीय सेना की प्रतिबद्धता दर्शाती है। आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रो. डॉ. सुब्रमण्य ने कहा कि यह सहयोग घरेलू अनुसंधान एवं विकास एजेंसियों को भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाने में योगदान का अवसर है। इस परियोजना की प्रगति और निगरानी लेफ्टिनेंट कर्नल पीयूष धारीवाल के नेतृत्व में मुख्यालय मध्य कमान के अंतर्गत एक आयुध रखरखाव कंपनी करेगी।

भारत 2050 तक बन जाएगा दुनिया का सबसे अधिक मुस्लिम जनसंख्या वाला देश? रिपोर्ट में हुआ खुलासा

नई दिल्ली साल 2010 से 2020 के बीच मुस्लिम समुदाय दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला धार्मिक समूह बनकर उभरा है, जबकि ईसाई धर्म की वैश्विक जनसंख्या में हिस्सेदारी में गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि गिरावट के बावजूद ईसाई धर्म अभी भी दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समूह हैं। प्यू रिसर्च सेंटर की एक ताजा रिपोर्ट '2010 से 2020 तक वैश्विक धार्मिक परिदृश्य कैसे बदला' में ये आंकड़े सामने आए हैं। इसमें ये भी कहा गया है कि अगले 25 सालों में भारत ऐसा देशा होगा जहां दुनिया के सबसे ज्यादा मुसलमान होंगे। मुस्लिम आबादी में रिकॉर्ड वृद्धि रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम आबादी में 34.7 करोड़ की वृद्धि हुई, जो अन्य सभी धर्मों की संयुक्त वृद्धि से अधिक है। वैश्विक स्तर पर मुस्लिमों की हिस्सेदारी 2010 में 23.9% से बढ़कर 2020 में 25.6% हो गई। यह वृद्धि मुख्य रूप से जनसांख्यिकीय कारकों जैसे उच्च जन्म दर और युवा आबादी के कारण हुई। प्यू के वरिष्ठ जनसांख्यिकी विशेषज्ञ कॉनराड हैकेट ने बताया, "मुस्लिमों में बच्चों का जन्म मृत्यु दर से अधिक है, और उनकी औसत आयु (24 वर्ष) गैर-मुस्लिमों (33 वर्ष) की तुलना में कम है।" इसके अलावा, धर्म परिवर्तन का इस वृद्धि में बहुत कम योगदान है। मुस्लिम आबादी का सबसे अधिक विकास एशिया-प्रशांत क्षेत्र में देखा गया, जहां विश्व की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी निवास करती है। इस क्षेत्र में 2010 से 2020 के बीच मुस्लिम आबादी में 16.2% की वृद्धि हुई। मध्य पूर्व-उत्तर अफ्रीका क्षेत्र में मुस्लिम 94.2% आबादी का हिस्सा हैं, जबकि उप-सहारा अफ्रीका में यह 33% है। हिंदुओं की क्या है स्थित? रिपोर्ट में बताया गया कि हिंदू आबादी 2010 से 2020 के बीच 12% बढ़ी, जो वैश्विक जनसंख्या वृद्धि के लगभग बराबर है। 2020 में हिंदुओं की संख्या 1.2 अरब थी, जो वैश्विक आबादी का 14.9% है। भारत में हिंदू आबादी 2010 में 80% से थोड़ा घटकर 2020 में 79% रह गई, जबकि मुस्लिम आबादी 14.3% से बढ़कर 15.2% हो गई। भारत में मुस्लिम आबादी में 3.56 करोड़ की वृद्धि दर्ज की गई। रिपोर्ट में बताया गया कि हिंदू धर्म में धर्म-परिवर्तन की दर अत्यंत कम है, और इनका प्रजनन दर वैश्विक औसत के बराबर है- इसी कारण इनकी हिस्सेदारी स्थिर बनी हुई है। प्यू की रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू और यहूदी आबादी ने वैश्विक जनसंख्या वृद्धि के साथ तालमेल बनाए रखा। भारत, नेपाल और मॉरीशस में हिंदू सबसे बड़ा धार्मिक समूह हैं। हालांकि, भारत में हिंदुओं की हिस्सेदारी में मामूली कमी आई है, लेकिन यह अभी भी देश की आबादी का सबसे बड़ा हिस्सा है। तेजी से बढ़ रही है जनसंख्या  भारत में मुसलमानों की जनसंख्या हिंदुओं की तुलना में तेजी से बढ़ने की संभावना है, जिसका मुख्य कारण उनकी कम औसत आयु और उच्च प्रजनन दर है. 2010 में, भारतीय मुसलमानों की औसत आयु 22 वर्ष थी, जबकि हिंदुओं की 26 वर्ष और ईसाइयों की 28 वर्ष थी. इसी तरह प्रति मुस्लिम महिला औसतन 3.2 बच्चे होते हैं, जबकि हिंदू महिलाओं में यह आंकड़ा 2.5 और ईसाई महिलाओं में 2.3 है. इन्हीं कारकों के कारण भारत में मुस्लिम आबादी 2010 में 14.4% से बढ़कर 2050 तक 18.4% तक पहुंचने का अनुमान है. हालांकि, 2050 तक हिंदुओं की संख्या भारतीय जनसंख्या का तीन-चौथाई (76.7%) से अधिक बनी रहेगी. दिलचस्प बात यह है कि 2050 में भारत में हिंदुओं की संख्या दुनिया के पांच सबसे बड़े मुस्लिम देशों (भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया, नाइजीरिया और बांग्लादेश) की कुल मुस्लिम आबादी से भी अधिक होगी. जानें कितनी होगी ईसाइयों की संख्या भारत में कई छोटे धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय भी हैं. 2010 में, देश की कुल जनसंख्या का लगभग 2.5% ईसाई थे. 2050 तक भारत में ईसाइयों की जनसंख्या घटकर 2.2% रहने की संभावना है. हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में धार्मिक विविधता बनी रहेगी, और सभी समुदायों की उपस्थिति देश की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत बनाए रखेगी. ईसाई धर्म में कमी, 'नास्तिक' बढ़े विश्व में ईसाइयों की संख्या 2.18 अरब से बढ़कर 2.3 अरब हो गई, लेकिन उनकी वैश्विक हिस्सेदारी 30.6% से घटकर 28.8% रह गई। यह कमी मुख्य रूप से धार्मिक परित्याग के कारण हुई, खासकर यूरोप, उत्तरी अमेरिका, और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्षेत्रों में। हैकेट के अनुसार, "प्रत्येक व्यक्ति जो वयस्क होने पर ईसाई बनता है, उसके मुकाबले तीन लोग, जो ईसाई धर्म में पले-बढ़े, इसे छोड़ देते हैं।" इसके विपरीत, धार्मिक रूप से असंबद्ध या 'नास्तिक' लोगों की संख्या 27 करोड़ बढ़कर 1.9 अरब हो गई, जो वैश्विक आबादी का 24.2% है। यह समूह मुस्लिमों के बाद दूसरा सबसे तेजी से बढ़ने वाला समूह है। विशेष रूप से, एशिया-प्रशांत क्षेत्र, खासकर चीन, में 78.3% 'नास्तिक' आबादी रहती है। बौद्ध धर्म की गिरावट रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि प्रमुख धार्मिक समूहों में बौद्धों की संख्या ही ऐसी थी जिसमें गिरावट दर्ज की गई। इसका कारण चीन में जनसंख्या की वृद्धावस्था और जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट को माना गया है, जहां बौद्धों की संख्या सर्वाधिक है। ईसाई क्यों हुए कम? ईसाइयों की वैश्विक जनसंख्या हिस्सेदारी में गिरावट का मुख्य कारण "धर्म-परित्याग" बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, बड़ी संख्या में ईसाई धर्म को छोड़ रहे हैं, खासकर यूरोप और अमेरिका जैसे क्षेत्रों में। यह गिरावट इतनी व्यापक है कि यह ईसाइयों की उच्च प्रजनन दर के लाभ को भी पछाड़ देती है। धर्म-परिवर्तन के मामले में हिंदू और मुस्लिम सबसे स्थिर Pew की रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि धर्म-परिवर्तन की दृष्टि से हिंदू और मुस्लिम समुदाय सबसे स्थिर हैं। औसतन 100 में से केवल एक वयस्क ही ऐसा होता है जो मुस्लिम या हिंदू धर्म छोड़ता है या इनमें शामिल होता है। भविष्य की संभावनाएं प्यू रिसर्च के अनुसार, यदि वर्तमान जनसांख्यिकीय रुझान जारी रहे, तो 2050 तक मुस्लिम आबादी (2.8 अरब) और ईसाई आबादी (2.9 अरब) लगभग बराबर हो सकती है। भारत 2050 तक विश्व की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश बन सकता है, जो इंडोनेशिया को पीछे छोड़ देगा। हिंदू आबादी के 1.4 अरब तक पहुंचने का अनुमान है, जो वैश्विक आबादी का लगभग 14.9% होगा। क्यों बढ़ रही है मुस्लिम आबादी? मुस्लिम समुदाय में तेजी से जनसंख्या वृद्धि का कारण उनकी औसतन युवा आबादी और उच्च प्रजनन दर है। 2010 में … Read more

तिरुपति में 1000 गैर-हिंदू कर्मचारी कार्यरत, उठी तुरंत हटाने की मांग

तिरुपति केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) में गैर-हिंदू कर्मचारियों की नियुक्ति पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि करीब 1,000 गैर-हिंदू भगवान वेंकटेश्वर में आस्था रखे बिना या सनातन धर्म का पालन किए बिना टीटीडी में काम कर रहे हैं। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने सवाल किया, 'अगर गैर-हिंदू कर्मचारियों की भर्ती पहले हुई थी, तो अब तक इसमें बदलाव क्यों नहीं किया गया?' भाजपा नेता ने आग्रह किया कि इसमें कई छिपी हुई गड़बड़ियां हो सकती हैं। इसकी गहन जांच होनी चाहिए।  'टीटीडी को तुष्टिकरण की राजनीति का मंच नहीं बनना चाहिए' अपने जन्मदिन के मौके पर तिरुमला मंदिर में पूजा करने के बाद उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'टीटीडी में 1000 से अधिक गैर-हिंदू कर्मचारी क्यों हैं? क्या कभी मस्जिदों या चर्चों में हिंदुओं को नौकरी मिलती है? यह नफरत की बात नहीं है, यह धर्म की बात है। टीटीडी को तुष्टिकरण की राजनीति का मंच नहीं बनना चाहिए।' केंद्रीय मंत्री ने कहा- टीटीडी का स्पष्ट हो मिशन उन्होंने कहा कि टीटीडी का मिशन स्पष्ट होना चाहिए- मंदिरों का विकास करना, परंपराओं की रक्षा करना और मंदिरों से जुड़ी सभी जिम्मेदारियां केवल हिंदुओं को ही सौंपनी चाहिए। बंदी संजय कुमार ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान  सवाल उठाया, 'जो गैर-हिंदू भगवान वेंकटेश्वर के मंदिर में आते हैं, उन्हें यह बताना होता है कि वे भगवान में आस्था रखते हैं। फिर ऐसे में यह कैसे हो रहा है कि करीब 1,000 गैर-हिंदू कर्मचारी, जो भगवान में विश्वास नहीं रखते, टीटीडी में नौकरी कर रहे हैं?' उन्होंने हाल ही में हुए एक मामले का जिक्र किया जिसमें एक व्यक्ति को निलंबित कर दिया गया था, क्योंकि यह पाया गया कि वह टीटीडी का कर्मचारी होने के बावजूद नियमित रूप से चर्च जा रहा था। 'टीटीडी किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं है' केंद्रीय मंत्री बी. संजय ने कहा कि टीटीडी किसी व्यक्ति की संपत्ति नहीं है, यह केवल हिंदुओं की धार्मिक संस्था है। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए यह भी कहा कि सभी को 'सनातन धर्म' की रक्षा के लिए एकजुट होना चाहिए। उन्होंने टीटीडी अध्यक्ष से यह भी आग्रह किया कि वह तेलंगाना के कोण्डागट्टू, करीमनगर, वेमुलावाड़ा और इल्लंताकुंटा के मंदिरों के विकास पर ध्यान दें। चर्च में प्रार्थना करने वाले कर्मचारी पर कार्रवाई गौरतलब है कि टीटीडी ने 3 जुलाई को अपने सहायक कार्यकारी अधिकारी ए. राजशेखर बाबू को निलंबित कर दिया, क्योंकि वे तिरुपति जिले के पुत्तूर में हर रविवार चर्च की प्रार्थना में भाग ले रहे थे। टीटीडी के अनुसार, 'एक हिंदू धार्मिक संस्था के कर्मचारी के रूप में उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन किया है और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार किया है।' पहले भी 18 कर्मचारियों पर हुई थी कार्रवाई इससे पहले फरवरी 2025 में टीटीडी ने कुल 18 कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी, जो गैर-हिंदू धार्मिक परंपराओं में भाग ले रहे थे। यह कार्रवाई टीटीडी के नए अध्यक्ष बी. आर. नायडू के उस एलान के बाद हुई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि टीटीडी और इससे जुड़े संस्थानों में केवल हिंदू ही कार्य कर सकते हैं।  जांच की कर रहे मांग राज्य मंत्री ने इस बात की जांच की मांग की कि बोर्ड में कितने गैर-हिंदू कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू श्रद्धालुओं में गंभीर चिंता के बावजूद अभी तक कोई जांच क्यों नहीं शुरू की गई है। अपने जन्मदिन के अवसर पर बंदी संजय कुमार ने परिवार के सदस्यों के साथ भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन किए। शांति, समृद्धि और सनातन धर्म की रक्षा के लिए उन्होंने प्रार्थना की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दीर्घायु होने की कामना भी की। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने कुमार को जन्मदिन की बधाई दी। शाह ने भी व्यक्तिगत रूप से फ़ोन करके उन्हें शुभकामनाएं दीं। कुमार ने सभी भक्तों और नागरिकों से सनातन धर्म की रक्षा और टीटीडी जैसी पवित्र संस्थाओं की पवित्रता सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होने का आग्रह किया।

ट्रंप तक पहुंचा एपस्टीन फाइल विवाद, काश पटेल के इस्तीफे की चर्चा तेज, रिपोर्ट में गंभीर आरोप

नई दिल्ली अमेरिका में कुख्यात जेफरी एपस्टीन के मामले की जांच लगातार आगे बढ़ रही है। इस बीच कहा जा रहा है कि इस मामले की आंच ट्रंप प्रशासन तक पहुंचनी शुरू हो गई है। हाल में एक खबर आई थी कि एफबीआई के डिप्टी डायरेक्टर डैन बोंगिनो इस्तीफा दे सकते हैं। हालांकि, इसको लेकर अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। इन सब के बीच एक एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एफबीआई निदेशक काश पटेल अपने पद से इस्तीफा देने पर विचार कर सकते हैं। माना जा रहा है कि का पटेल ऐसा कथित तौर पर उप निदेशक डैन बोंगिनो के साथ एकजुटता दिखाते हुए कर सकते हैं। एफबीआई के डिप्टी डायरेक्टर डैन बोंगिनो का अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी के साथ मतभेद चल रहा है। जानिए क्या है पूरा मामला? न्यूयॉर्क पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, असहमति न्याय विभाग (डीओजे) द्वारा जेफरी एपस्टीन की मौत की जांच और उनकी कथित ग्राहक सूची के बारे में विवादास्पद चर्चा में निहित है। दरअसल, कथित तौर इसी हफ्ते की शुरुआत में बोंगिनो और बॉन्डी के बीच में किसी बात को लेकर मतभेद देखने को मिला। इसके बाद दोनों के बीच का तनाव काफी आगे बढ़ गया। बता दें कि यह टकराव अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन द्वारा एपस्टीन मामले से निपटने के तरीके को लेकर था। ये प्रकरण एक रिव्यू से जुड़ा हुआ है। हालांकि, अधिकारियों का कहना है कि ये रिव्यू अस्तित्व में ही नहीं है। ठीक इसी विवाद के बाद बोंगिनो के बारे में कहा जाने लगा कि वह अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। 'अधिकारियों के बीच बिगड़ गए हैं संबंध' वहीं, एक सूत्र ने द न्यू यॉर्क पोस्ट से बात करते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि अगर पाम रुकी रहीं तो डैन वापस आएंगे। सूत्र ने आगे बताया कि दोनों अधिकारियों के बीच संबंध इतने खराब हो चुके हैं कि उन्हें सुधारा नहीं जा सकता। हालांकि दोनों ने सार्वजनिक रूप से कहा कि एपस्टीन फ़ाइल में कोई भी विस्फोटक खुलासा नहीं हुआ है, न तो उसकी मौत के बारे में और न ही उसके नेटवर्क के बारे में, लेकिन आंतरिक मतभेद अभी सुलझने से कोसों दूर है। काश पटेल भी जा सकते दे सकते हैं इस्तीफा: सूत्र इसके साथ ही न्याय विभाग के एक अधिकारी ने द न्यू यॉर्क पोस्ट से बात करते हुए बताया कि पटेल, जो बोंगिनो के करीबी माने जाते हैं, उनके साथ ही बाहर भी जा सकते हैं। अधिकारी ने कहा कि काश और डैन हमेशा से एक-दूसरे के साथ रहे हैं और यह स्पष्ट नहीं है कि उस स्थिति में क्या होगा, लेकिन, आप जानते हैं, दोनों ने पारदर्शिता के लिए लड़ाई लड़ी है, और ऐसी दुनिया में जहाँ इसे दबाया जा रहा है, उन्हें इसके लिए खड़ा होते देखना कोई चौंकाने वाली बात नहीं होगी।

EU और मैक्सिको को ट्रंप की सख्त चेतावनी, टैरिफ बढ़ोतरी को लेकर भेजा पत्र

वाशिंगटन  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय यूनियन और मैक्सिको को भी टैरिफ लेटर जारी कर दिया है। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर डोनाल्ड ट्रंप ने पोस्ट शेयर करके यह जानकारी दी है। अमेरिका ने मैक्सिको और यूरोपीय यूनियन (EU) पर 30 फीसदी का टैरिफ लगाया है। यह टैरिफ रेट 1 अगस्त से लागू होगी। अपने टैरिफ लेटर में डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्सिको को अमेरिका में ड्रग्स तस्करी के लिए जिम्मेदार ठहराया है। वहीं ट्रंप ने कहा है कि ईयू की वजह से व्यापार में असंतुलन का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले बुधवार को डोनाल्ड ट्रंप ने छह व्यापारिक साझेदारों का टैरिफ लेटर जारी किया था। इसमें लीबिया, अल्जीरिया, इराक, मोल्दोवा, फ्लीपीन्स और ब्रुनोई शामिल थे। डोनाल्ड ट्रंप 20 से ज्यादा देशों के लिए टैरिफ का ऐलान कर चुके हैं। इनमें म्यांमार, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और जापान भी शामिल है। गौर करने वाली बात है कि टैरिफ से डोनाल्ड ट्रंप ने अपने करीबी सहयोगियों को भी नहीं बख्शा है। वहीं भारत को लेकर सस्पेंस अब भी बरकरार है। फिलहाल अमेरिका ने भारत को टैरिफ लेटर नहीं भेजा है। दोनों देशों के बीच व्यापार समझौता होने की उम्मीद है। डोनाल्ड ट्रंप ने अल्जीरिया, इराक और लाबिया पर 30 फीसदी और ब्रुनेई, मोल्दोवा पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाया है। वहीं फिलीपीन्स पर 20 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है। इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप कजाकिस्तान, कंबोडिया, बोस्निया, दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड, मलेशिया, कोरिया, इंडोनेशिया और ब्राजील के लिए भी टैरिफ का ऐलान कर चुके हैं। अमेरिका ने कहा है कि 10 फीसदी की बेसिक ड्यूटी पहले की ही तरह बरकरार रहेगी। किस देश पर कितना टैरिफ अमेरिका ने ब्राजील पर सबसे ज्यादा 50 फीसदी का टैरिफ लगाया है। दूसरे नंबर पर म्यांमार और लाओस पर 40-40 प्रतिशत का टैरिफ लगाया गया है। कंबोडिया और थाईलैंड पर 36 फीसदी, बांग्लादेश और सर्बिया पर 35 फीसदी, इंडोनेशिया पर 32, बोस्निया और हर्जेगोविना पर 30 फीसदी, दक्षिण अफ्रीका पर 30 फ्रतिशत, जापान, कजाखस्तान, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और ट्यूनीशइया पर 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया गया है।  

पीएम मोदी और ओडिशा सीएम मोहन माझी की बैठक, राज्य के विकास पर हुई चर्चा

नई दिल्ली ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने शनिवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने राज्य के विकास से जुड़े कई अहम मुद्दों पर बातचीत की। पीएम मोदी से सीएम माझी की यह मुलाकात ओडिशा में विकास कार्यों को गति देने और केंद्र-राज्य सहयोग को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मुख्यमंत्री माझी ने मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री का आभार जताया। उन्होंने लिखा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना मेरे लिए गर्व की बात है। मैं ओडिशा के विकास के लिए उनके निरंतर समर्थन और मार्गदर्शन के लिए आभारी हूं।” उन्होंने बताया कि बैठक में ओडिशा के विकास के रोडमैप, भविष्य की योजनाओं और केंद्र-राज्य के बीच बेहतर तालमेल पर चर्चा हुई। माझी ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर एक समृद्ध ओडिशा और विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बैठक में ओडिशा में चल रही और प्रस्तावित परियोजनाओं पर जोर दिया गया। इस मुलाकात के दौरान सीएम माझी ने प्रधानमंत्री मोदी को राज्य में कल्याणकारी योजनाओं को तेजी से लागू करने की योजना के बारे में बताया। साथ ही, उन्होंने केंद्र सरकार से ओडिशा के लिए और अधिक सहयोग की अपील की। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस मुलाकात को सकारात्मक बताया और ओडिशा की प्रगति के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया। दोनों नेताओं ने यह सुनिश्चित करने पर सहमति जताई कि केंद्र और राज्य मिलकर जनता के कल्याण और विकास के लिए काम करेंगे। इस मुलाकात को ओडिशा में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में प्रगति की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल उरांव ने राजनीति से संन्यास लेने का किया ऐलान

संबलपुर केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री और ओडिशा के वरिष्ठ भाजपा नेता जुएल उरांव ने राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान कर दिया है। एक अहम राजनीतिक घटनाक्रम में जुएल उरांव ने घोषणा की कि वो अब भविष्य में कोई प्रत्यक्ष चुनाव नहीं लड़ेंगे। केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री जुएल उरांव ओडिशा के संबलपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में शामिल हुए थे। उन्होंने ऐलान करते हुए कहा, “मैंने तय किया है कि अब कोई चुनाव नहीं लड़ूंगा। अब मैं पार्टी के लिए काम करूंगा और युवाओं को आगे लाने में मदद करूंगा।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वो पार्टी के निर्देशों के अनुसार ही आगे कोई भी भूमिका निभाएंगे। जिम्मेदारी जो पार्टी उन्हें सौंपेगी, वो उसे स्वीकार करेंगे। मीडिया से बातचीत में जुएल उरांव ने अपनी घोषणा को दोहराया। उन्होंने कहा, “मैं 8 बार लोकसभा और दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुका हूं। इसलिए चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं है। ये मेरा फैसला है, लेकिन अगर पार्टी कोई निर्णय करती है तो ये अलग बात होगी।” उन्होंने कहा, “अब वक्त आ गया है कि युवाओं को नेतृत्व संभालने का अवसर मिले और वो लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए जनता का प्रतिनिधित्व करें।” हालांकि, जुएल उरांव ने राज्यसभा सदस्य या राज्यपाल बनने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा, “मैं राज्यपाल या राज्यसभा का सदस्य बन सकता हूं। अगर नहीं भी बनता हूं तो पार्टी के लिए काम करता रहूंगा।” केंद्रीय मंत्री जुएल उरांव का लंबा राजनीतिक अनुभव रहा है। जुएल उरांव ओडिशा में भाजपा के एक प्रमुख आदिवासी चेहरा हैं। राज्य में पार्टी की जड़ें मजबूत करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। वो सुंदरगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हुए 1998 से 12वीं, 13वीं, 14वीं, 16वीं और 17वीं लोकसभा के सदस्य रहे। जब प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मंत्रालय का गठन किया तब ओराम ने 13 अक्टूबर 1999 को जनजातीय मामलों के पहले केंद्रीय मंत्री के रूप में शपथ ली थी। साल 2024 में केंद्र में एनडीए की तीसरी बार सरकार बनने पर जुएल उरांव को मंत्री बनाया गया।