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ब्रिटिश महिला की नस्लभेदी टिप्पणी वायरल, भारतीयों को देश छोड़ने को कहा

लंदन ब्रिटेन की एक महिला के बयान ने सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया है। इस महिला ने भारतीयों और एशियाई समुदाय के ऊपर टिप्पणी की है। महिला का कहना है कि यह लोग अंग्रेजी नहीं बोलते, इन्हें इनके देश वापस भेज देना चाहिए। जानकारी के मुताबिक यह घटना हीथ्रो एयरपोर्ट की है। महिला का नाम लूसी व्हाइट है। उसने एक्स पर इस बारे में पोस्ट लिखी है। महिला की इस पोस्ट पर लोग उसे जमकर खरी-खोटी सुना रहे हैं। महिला ने लिखा है ऐसा लूसी ने एक्स पर लिखा है कि अभी लंदन के हीथ्रो विमान पर लैंड किया है। यहां पर बड़ी संख्या में भारतीय और एशियाई स्टाफ है। यह लोग इंग्लिश का एक शब्द तक नहीं बोलते हैं। जब मैंने उनसे कहाकि अंग्रेजी बोलिए। इस पर उन्होंने मुझे रेसिस्ट कहा। महिला आगे लिखती है कि उन्हें भी पता है कि मैं सही हूं। इसके बावजूद उन्होंने इस रेसिस्ट कार्ड का इस्तेमाल किया। पोस्ट में आगे लूसी लिखती है कि इन सभी को वापस उनके देश भेज देना चाहिए। लोगों ने कैसे किया रिएक्ट इस पोस्ट पर लोगों के रिएक्शन भी आए। कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने व्हाइट की बात का समर्थन किया है। उनका कहना है कि इस वजह से एयरपोर्ट पर पर दिक्कत होती है। वहीं कुछ लोगों ने लूसी की पोस्ट को रेसिस्ट बताया है। एक यूजर ने लिखा है कि आप हिंदी बोलती हैं? अगर एयरपोर्ट स्टाफ ने एक शब्द भी अंग्रेजी में नहीं कहा तो आपको पता कैसे चला कि उनकी प्रतिक्रिया का क्या मतलब था? एक अन्य यूजर ने लिखा कि मैं शर्त लगा सकता हूं कि वहां ऐसा नहीं हुआ होगा। एक अन्य यूजर ने लिखा कि यह पूरी तरह से फैब्रिकेटेड है। हां, हीथ्रो पर बहुत सारा स्टाफ एशियाई है। हालांकि यह सभी अंग्रेजी बोलते हैं। इस यूजर ने आगे लिख कि यह लोग वास्तव में बहुत मददगार और दोस्ताना हैं। हाल ही में एक अन्य वीडियो आया था। इस वीडियो में एक अमेरिकी शख्स भारतीय मूल के व्यक्ति से बहस कर रहा था। वह लोगों के सामने ही उसे ब्राउन मैन कह रहा था और देश वापस जाने के लिए बोल रहा था।  

ऑपरेशन सिंदूर का सच आया सामने, राफेल को लेकर कंपनी ने बताई असली बात

नई दिल्ली  राफेल को मार गिराने के पाकिस्तान के दावों की पोल खुलती नजर आ रही है। अब लड़ाकू विमान बनाने वाली कंपनी ने भी साफ कर दिया है कि पाकिस्तान ने भारत का कोई राफेल नहीं गिराया है। इससे पहले एक इंटरव्यू के दौरान भारत के रक्षा सचिव भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं। पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था, जिसके तहत पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था। एक राफेल का नुकसान पर पाकिस्तान ने नहीं गिराया मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फ्रांस की वेबसाइट Avion De Chasse को दसॉ एविएशन के अध्यक्ष और सीईओ एरिक ट्रैपियर ने बताया है कि एक राफेल जेट ऊंचाई पर जाकर तकनीकी खामी आ गई थी, जिसके चलते वह क्रैश हुआ। संघर्ष के दौरान कोई जेट नहीं गिरा था। भारत ने क्या कहा मीडिया से खास बातचीत में रक्षा सचिव आरके सिंह ने कहा कि यह कहना गलत है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के राफेल विमान गिराए गए थे। उन्होंने कहा, 'आपने राफेल्स का इस्तेमाल बहुवचन में किया है। मैं आपको भरोसा दिला सकता हूं कि यह सच नहीं है। भारत के मुकाबले पाकिस्तान को जान और माल के मामले कई गुना नुकसान हुआ है।' उन्होंने कहा कि 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। उन्होंने कहा है कि भारतीय बलों को ऑपरेशन के दौरान पूरी छूट दी गई थी। उन्होंने कहा, 'हमारे सशस्त्र बलों पर कोई राजनीतिक रोक नहीं थी और उनके पास पूरी स्वतंत्रता थी।' चीन पर भड़के फ्रांस के अधिकारी चीन ने मई में भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष के बाद फ्रांस निर्मित राफेल लड़ाकू विमानों के प्रदर्शन के बारे में भ्रम की स्थिति पैदा करने की जिम्मेदारी अपने दूतावासों को दी थी, ताकि इस विमान की प्रतिष्ठा और बिक्री को नुकसान पहुंचाया जा सके। फ्रांसीसी सैन्य और खुफिया अधिकारियों ने यह निष्कर्ष निकाला है। एसोसिएटेड प्रेस द्वारा देखी गई फ्रांसीसी खुफिया सेवा की रिपोर्ट के अनुसार, चीन के दूतावासों में रक्षा अधिकारियों (डिफेंस अताशे) ने राफेल की बिक्री को प्रभावित करने के लिए अभियान चलाया, जिसका उद्देश्य उन देशों को राजी करना था, जिन्होंने पहले से ही फ्रांस निर्मित लड़ाकू विमान का ऑर्डर दे दिया है – विशेष रूप से इंडोनेशिया- कि वे राफेल विमान न खरीदें तथा अन्य संभावित खरीदारों को चीन निर्मित विमान चुनने के लिए प्रोत्साहित किया। फ्रांसीसी सेना के अधिकारी ने पहचान गुप्त रखते हुए रिपोर्ट एपी के साथ साझा की। पाकिस्तान ने दावा किया कि उसकी वायुसेना ने सैन्य संघर्ष के दौरान पांच भारतीय विमानों को मार गिराया, जिनमें तीन राफेल भी शामिल थे। फ्रांसीसी अधिकारियों का कहना है कि इससे उन देशों की ओर से राफेल के प्रदर्शन को लेकर सवाल उठे, जिन्होंने फ्रांसीसी निर्माता दसॉ एविएशन से लड़ाकू विमान खरीदे हैं।  

MNS के मार्च से मचा सियासी घमासान, एकनाथ शिंदे ने भाजपा पर भी साधा निशाना

मुंबई मराठी भाषा पर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की एकता के चलते शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को अपना जनाधार खिसकता दिख रहा है। ऐसे में अब उनका दल भी ऐक्टिव हो गया है और मराठी भाषा को लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के लोगों पर सख्ती का विरोध किया है। मीरा भायंदर पुलिस ने आज सुबह ही बड़ी संख्या में मनसे के लोगों को हिरासत में लिया है। इसके अलावा विरोध मार्च पर भी रोक लगा दी है। इस पर मनसे और उद्धव सेना के समर्थकों का गुस्सा फूट पड़ा है। इन लोगों का कहना है कि सरकार ने कारोबारियों के विरोध प्रदर्शन पर तो नहीं रोक लगाई, लेकिन हमारे खिलाफ सख्ती दिखाई जा रही है। आखिर मराठी लोगों से सरकार को क्या दिक्कत है। मनसे कार्य़कर्ताओं ने कहा, 'यह सरकार महाराष्ट्र और मराठी लोगों के लिए है या फिर दूसरे राज्य की है? आखिर इन लोगों को मराठी लोगों के मार्च से क्या दिक्कत है?' मराठी बनाम हिंदी विवाद में अपनी जमीन खिसकने के डर से अब एकनाथ शिंदे गुट भी ऐक्टिव हो गया है। भले ही वह सरकार में शामिल है, लेकिन उसने मनसे के लोगों पर सख्ती को लेकर ऐतराज जताया है। फडणवीस सरकार में मंत्री प्रताप सरनाइक ने कहा कि आखिर मराठी लोगों को मार्च की परमिशन क्यों नहीं है। यही नहीं इशारों में ही उन्होंने भाजपा पर भी निशाना साध दिया। सरनाइक ने कहा कि आखिर पुलिस की मंशा क्या है। मराठी लोगों पर ऐसा अत्याचार किस राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा,'मैं मराठी लोगों पर ऐक्शन की निंदा करता हूं। पुलिस को मार्च की परमिशन देनी चाहिए थी। इसके चलते शहर में बेवजह बवाल हो रहा है। गृह मंत्रालय ने ऐसा कोई आदेश भी नहीं दिया है कि आंदोलन की परमिशन नहीं है। फिर लोगों की गिरफ्तारी क्यों की जा रही है। ऐसा लग रहा है कि किसी एक राजनीतिक दल को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा हो रहा है।' दरअसल मराठा कार्ड पर राजनीति करने वाले अब तीन दल हो गए हैं। उद्धव सेना, मनसे और एकनाश शिंदे की शिवसेना। अब दो गुट एक हो गए हैं तो एकनाथ शिंदे सेना को लग रहा है कि इससे उसके आधार को नुकसान पहुंचेगा। यही कारण है कि उसने अब मनसे के लोगों पर ऐक्शन का विरोध किया है। महाराष्ट्र में भाजपा को बाहरी वोटरों की पार्टी भी माना जाता है। वजह यह है कि वह हिंदु्त्व की राजनीति पर फोकस करती है, जिसके दायरे में दूसरे राज्यों के हिंदू भी आते हैं। भाजपा नेता नितेश राणे ने गैर-मराठी लोगों को पीटने पर ऐतराज भी जताया था और कहा था कि यह गरीब हिंदुओं पर हमला है।  

पीएम नेतन्याहू के साथ डिनर के दौरान ट्रंप ने तीखे शब्दों में ममदानी को दी चेतावनी

वॉशिंगटन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क सिटी के मेयर उम्मीदवार जोहरान ममदानी पर फिर से निशाना साधा है। उन्होंने जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि वह एक सोशलिस्ट नहीं बल्कि कम्युनिस्ट हैं। पहले वह डेमोक्रेट नेताओं को सोशलिस्ट कहते थे, लेकिन अब कम्युनिस्ट ही कह रहे हैं। अमेरिका में कम्युनिस्ट विचारधारा के लोगों को बहुत सकारात्मक तरीके से नहीं देखा जाता। इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू के साथ डिनर के दौरान ट्रंप ने तीखे शब्दों में ममदानी को चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि ममदानी को अपने व्यवहार में सुधार लाना होगा वरना बड़ी परेशानियों में घिर जाएंगे। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, 'ममदानी सोशलिस्ट नहीं है बल्कि कम्युनिस्ट है। उसने यहूदी लोगों के बारे में बहुत सी गलत बातें कही हैं। इसके अलावा बहुत से लोगों के बारे में कई गलत बातें कही हैं। मुझे लगता है कि अभी उसका हनीमून चल रहा है।' इसके आगे ट्रंप ने कहा कि ऐसा हमेशा नहीं चल सकता। उन्हें अपने व्यवहार में सुधार करना होगा या फिर वह कुछ बड़ी परेशानियों में घिर सकते हैं। ऐसा पहली बार नहीं है, जब डोनाल्ड ट्रंप ने जोहरान ममदानी पर हमला बोला है। वह पहले भी कह चुके हैं कि ममदानी को अपने रुख में सुधार लाना होगा। इस बार नेतन्याहू के साथ बैठकर एक मेयर कैंडिडेट पर इस तरह निजी हमला करना और महत्वपूर्ण है। इससे पहले ट्रंप ने यह भी कहा था कि यदि जोहरान ममदानी मेयर बने और अपने रवैये में सुधार नहीं किया तो फिर न्यूयॉर्क सिटी के फंड में कटौती कर दी जाएगी। न्यूयॉर्क में नवंबर में मेयर का चुनाव होना है। यही नहीं ट्रंप ने तो यहां तक कहा था कि जोहरान ममदानी के पास शायद अमेरिका की नागरिकता भी नहीं है। वह देखेंगे कि अमेरिका में वह कानूनी रूप से हैं या फिर अवैध तौर पर यहां रह रहे हैं। ट्रंप ने कहा, 'ऐसे काफी लोग हैं, जो कहते हैं कि वह अवैध रूप से यहां हैं। हम हर चीज देख रहे हैं। उन्हें खुद को कम्युनिस्ट पहचान से अलग होना होगा, लेकिन फिलहाल वह एक कम्युनिस्ट हैं।' बता दें कि 1 जुलाई को जोहरान ममदानी ने मेयर चुनाव के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के प्राइमरी चुनाव में जीत हासिल की है। अब उनका मुकाबला एरिक एडम्स से होगा। नवंबर में न्यूयॉर्क सिटी का चुनाव होगा और जोहरान ममदानी पहले ऐसे मुस्लिम नेता हैं, जो मेयर चुनाव में उतरे हैं।  

जनगणना के लिए घर-घर जाने वाले कर्मचारी भी मोबाइल से ही डेटा जुटाएंगे और उसे रियलटाइम अपलोड करेँगे

नई दिल्ली भारत में हर 10 साल पर जनगणना की परंपरा रही है, लेकिन इस बार 16 साल के लंबे गैप के बाद 2027 में जनगणना शुरू होगी। यह जनगणना भले ही देर से आई है, लेकिन इसके प्रावधान पहले के मुकाबले काफी दुरुस्त हैं। इनमें से एक प्रावधान यह है कि लोग अपने घर से ही ऑनलाइन माध्यम से जनगणना पोर्टल पर अपनी जानकारी दे सकेंगे। इस संबंध में जल्दी ही एक पोर्टल लॉन्च किया जाएगा। इस पोर्टल पर लोग अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे। फिर अपने और परिवार के बारे में पूरी जानकारी दे सकेंगे। यहीं पर लोग जनगणना में शामिल सभी सवालों के जवाब भर के सबमिट कर देंगे तो यह जानकारी दर्ज हो जाएगी। इसके माध्यम से ऐसे लोगों की शिकायतें दूर हो जाएंगी, जो अकसर कहते हैं कि जनगणना वाले तो उनके घर तक आए ही नहीं। ऐसे में जनगणना में शामिल कर्मचारियों का इंतजार किए बिना ही लोग अपने बारे में जानकारी भर सकेंगे। यही नहीं जनगणना के लिए घर-घर जाने वाले कर्मचारी भी मोबाइल से ही डेटा जुटाएंगे और उसे रियलटाइम अपलोड कर देंगे। सरकार का कहना है कि इससे डेटा हासिल करने में आसानी होगी और उसका विश्लेषण भी जल्दी ही किया जा सकेगा। जनगणना का पूरा डेटा जल्दी उपलब्ध होगा। इसके अलावा अलग-अलग मानकों पर उसका विश्लेषण भी किया जा सकेगा। सूत्रों का कहना है कि जनगणना के लिए रजिस्ट्रेशन कमोबेश ऐसे ही होगा, जैसे वोटर आईडी बनवाने के लिए ऑनलाइन सुविधा है। संभावना है कि इसे आधार कार्ड से भी जोड़ा जा सकता है। पोर्टल पर पहले लोगों को रजिस्ट्रेशन करके प्रोफाइल बनानी होगी। इसके बाद जनगणना के लिए दिए गए फॉर्म में पूरी डिटेल भरकर सबमिट करना होगा। यही नहीं यह सुविधा भी दो चरणों में मिलेगी। दोनों राउंड में जानकारी देने का रहेगा विकल्प पहले राउंड में हाउस लिस्टिंग होगी। पहले उसके संबंध में लोग जानकारी दे सकेंगे। इसके बाद दोबारा जनगणना के दौरान अपने और परिवार के बारे में डिटेल दे सकेंगे। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब देश भर में जाति जनगणना कराई जाएगी।

कार्यपालिका के पदाधिकारी की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश की भी भागीदारी होती है, क्यों देते हैं राय?: उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली  भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने CBI निदेशक की नियुक्ति में CJI की भूमिका पर आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने सवाल उठाए हैं कि क्या ऐसा दुनिया में कहीं और हो रहा है? इसके अलावा उन्होंने जज के घर से नकदी मिलने पर भी खुलकर बात की। उपराष्ट्रपति ने कहा है कि हर अपराध की जांच होनी चाहिए। साथ ही कहा कि अगर पैसा मिला है, तो उसके स्त्रोत का भी पता लगाया जाना चाहिए। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, 'मैं इस बात से पूरी तरह हैरान हूं कि CBI निदेशक जैसे कार्यपालिका के पदाधिकारी की नियुक्ति में भारत के मुख्य न्यायाधीश की भी भागीदारी होती है। कार्यपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका के अलावा किसी और की तरफ से क्यों होनी चाहिए? क्या ऐसा संविधान के तहत होता है? क्या ऐसा दुनिया में कहीं और हो रहा है?' दरअसल, DSPE एक्ट के तहत सीबीआई निदेशक की नियुक्ति एक हाई पावर कमेटी करती है, जिसके सदस्य प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, भारत के मुख्य न्यायाधीश या उनकी तरफ से नॉमिनेट किया हुआ कोई जज शामिल होते हैं। कोच्चि में कानूनी की पढ़ाई कर रहे छात्रों से बातचीत में उन्होंने न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका को अलग करने वाली सीमा कमजोर होने पर चिंता जाहिर की। नकदी मिलने पर क्या बोले नखड़ ने सोमवार को कहा कि उन्हें उम्मीद है कि नई दिल्ली में एक न्यायाधीश के आधिकारिक आवास से भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले की आपराधिक जांच शुरू की जाएगी। धनखड़ ने इस घटना की तुलना शेक्सपीयर के नाटक जूलियस सीजर के एक संदर्भ 'इडस ऑफ मार्च' से की, जिसे आने वाले संकट का प्रतीक माना जाता है। रोमन कलैंडर में इडस का अर्थ होता है, किसी महीने की बीच की तारीख। मार्च, मई, जुलाई और अक्टूबर में इडस 15 तारीख को पड़ता है। उपराष्ट्रपति ने इस घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि अब मुद्दा यह है कि यदि नकदी बरामद हुई थी तो शासन व्यवस्था को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए थी और पहली प्रक्रिया यह होनी चाहिए थी कि इससे आपराधिक कृत्य के रूप में निपटा जाता, दोषी लोगों का पता लगाया जाता और उन्हें कठघरे में खड़ा किया जाता। उपराष्ट्रपति ने कहा कि 14-15 मार्च की रात को न्यायपालिका को अपने खुदे के 'इडस ऑफ मार्च' का सामना करना पड़ा, जब बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की बात सार्वजनिक रूप से स्वीकार की गई थी, लेकिन अब तक कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। धनखड़ ने कहा कि इस मामले से शुरुआत से ही एक आपराधिक मामले के तौर पर निपटा जाना चाहिए था, लेकिन उच्चतम न्यायालय के 90 के दशक के एक फैसले के कारण केंद्र सरकार के हाथ बंधे हुए हैं। उन्होंने कहा, 'अगर इतना अधिक मात्रा में पैसा है, तो हमें पता लगाना होगा: क्या यह दागी पैसा है? इस पैसे का स्रोत क्या है? यह एक न्यायाधीश के आधिकारिक आवास में यह कैसे पहुंचा? यह किसका था? इस प्रक्रिया में कई दंड प्रावधानों का उल्लंघन किया गया है। मुझे उम्मीद है कि प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।'  

कडलूर में रेलवे ट्रैक पार करते वक्त स्कूल बस को ट्रेन ने मारी जोरदार टक्कर, जानें कैसे हुआ बड़ा हादसा

चेन्नई तमिलनाडु के कडलूर जिले के चेम्मनकुप्पम इलाके में मंगलवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ, जब तेज रफ्तार से आ रही ट्रेन ने बिना फाटक वाले रेलवे क्रॉसिंग पर स्कूल वैन को जोरदार टक्कर मार दी। इस भयानक हादसे में तीन मासूम बच्चों की जान चली गई, जबकि दस बच्चे और वैन का ड्राइवर गंभीर रूप से जख्मी हो गए। यह हादसा उस वक्त हुआ जब स्कूल वैन रेलवे ट्रैक पार करने की कोशिश कर रही थी, तभी चिदंबरम जा रही एक पैसेंजर ट्रेन ने वैन को टक्कर मार दी और उसे करीब 50 मीटर तक घसीट लिया। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि वैन पूरी तरह तहस-नहस हो गई। हादसे में तीन बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई। हालांकि बच्चों के नाम अभी तक सामने नहीं आए हैं। चश्मदीदों के मुताबिक, वैन में स्कूल के बच्चे सवार थे। हादसे के बाद घायल बच्चों और ड्राइवर को फौरन कडलूर के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि मरने वालों की तादाद बढ़ सकती है। वैन ड्राइवर की लापरवाही से हुआ हादसा स्थानीय लोगों और रेलवे अधिकारियों के मुताबिक, यह हादसा वैन ड्राइवर की लापरवाही की वजह से हुआ। बताया जा रहा है कि ड्राइवर ने ट्रेन को देखने के बावजूद जल्दबाजी में ट्रैक पार करने की कोशिश की। रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) और जिला प्रशासन ने हादसे की तहकीकात शुरू कर दी है, ताकि इसकी असल वजह का पता लगाया जा सके और जिम्मेदारों को सजा दी जाए। हादसे की खबर फैलते ही इलाके में गम और गुस्से का माहौल है। स्थानीय लोग मौके पर जमा हो गए और रेलवे क्रॉसिंग पर सुरक्षा इंतजामों की कमी को लेकर नाराजगी जाहिर की। लोगों का कहना है कि स्कूलों के आसपास बिना फाटक वाले क्रॉसिंग खतरनाक हैं और इन्हें तुरंत ठीक करना चाहिए। लोगों को फूटा गुस्सा हादसे की आवाज सुनकर सबसे पहले स्थानीय लोग ही मौके पर पहुंचे। उन्होंने फंसे हुए बच्चों को निकालने की कोशिश की और बचाव दल के आने तक मदद की। गुस्साए लोगों ने रेलवे और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की और स्कूलों के पास सुरक्षा बढ़ाने की मांग की। अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि जांच के नतीजों के आधार पर सख्त कदम उठाए जाएंगे। हादसे की पूरी जांच की जा रही है।  

देशभर में मानसून ने पकड़ी रफ्तार, आईएमडी ने इन राज्यों में होगी भारी बारिश का अलर्ट किया जारी

नई दिल्ली देशभर में मानसून ने अपनी रफ्तार पकड़ ली है और अब इसका असर लगभग हर राज्य में महसूस किया जा रहा है। कहीं बादल झमाझम बरस रहे हैं तो कहीं हल्की फुहारें राहत पहुंचा रही हैं। लेकिन कई इलाकों में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने साफ कर दिया है कि अगले कुछ दिनों तक बारिश का यही सिलसिला जारी रहेगा। खास बात यह है कि 8 से 12 जुलाई के बीच देश के कई हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी के साथ अलर्ट जारी कर दिया गया है। राजस्थान में तेज़ बारिश और आंधी का कहर संभव मौसम विभाग की मानें तो राजस्थान के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में अगले छह दिन बारिश से भीगने वाले हैं। खासतौर पर 9 जुलाई को भारी बारिश का अनुमान है। इसके साथ ही कई क्षेत्रों में तेज़ हवाएं, आंधी और बिजली गिरने की घटनाएं भी हो सकती हैं। लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। दिल्ली को मिलेगी गर्मी से राहत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी मौसम करवट लेने वाला है। अगले छह दिनों में हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं। इस दौरान कहीं-कहीं तेज़ हवाएं और गरज के साथ बारिश हो सकती है। इससे दिल्लीवासियों को उमस और गर्मी से राहत मिल सकती है। उत्तर भारत में लगातार बरसेंगे बादल उत्तरपश्चिम भारत के राज्यों — उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में भी अगले कुछ दिनों तक रुक-रुक कर बारिश होती रहेगी। मौसम विभाग ने इन इलाकों में गरज-चमक के साथ भारी बारिश की चेतावनी दी है। भारत भी होगा बारिश से तरबतर दक्षिण भारत के राज्यों — केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, यनम और लक्षद्वीप में 8 और 9 जुलाई को हल्की बारिश की संभावना जताई गई है। वहीं 9 से 12 जुलाई के बीच इन क्षेत्रों में कई जगहों पर मूसलधार बारिश हो सकती है। कुछ जगहों पर तेज़ हवाएं और बिजली गिरने की आशंका भी बनी हुई है। भारत में तूफानी बारिश की चेतावनी पूर्वोत्तर भारत के राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा में अगले छह दिन आंधी और तेज़ बारिश से लोग परेशान हो सकते हैं। गरज के साथ बारिश और तेज़ हवाएं इन क्षेत्रों में सामान्य जनजीवन को प्रभावित कर सकती हैं। छाए रहेंगे बादल छत्तीसगढ़, बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल और सिक्किम में मानसून की पकड़ मजबूत बनी हुई है। 8 से 12 जुलाई तक इन राज्यों के विभिन्न हिस्सों में भारी से लेकर हल्की बारिश का दौर जारी रहेगा। कहीं-कहीं पर जलभराव और बिजली गिरने की आशंका है, जिससे सतर्क रहने की जरूरत है। पश्चिमी भारत में भीषण बारिश की संभावना महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, कोंकण और सौराष्ट्र क्षेत्र में अगले छह दिन भारी बारिश होने के संकेत मिले हैं। मौसम विभाग ने इन इलाकों में आंधी और बिजली गिरने की चेतावनी जारी की है। कुछ स्थानों पर बारिश इतनी तेज़ हो सकती है कि सड़कें जलमग्न हो जाएं और यातायात प्रभावित हो। IMD के मुताबिक, मॉनसून फिलहाल पूरे भारत में सक्रिय है और इसका असर आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है। यह सिस्टम बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से नमी लेकर देशभर में बारिश ला रहा है। मौसम विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे मौसम से जुड़ी ताज़ा अपडेट्स पर नज़र रखें और बारिश से जुड़ी चेतावनियों को हल्के में न लें।  

रिटायरमेंट की तैयारी कर रहे हैं राष्ट्रपति शी जिनपिंग? राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलें तेज

बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 12 साल से अधिक समय से चीन में अपनी सत्ता बरकरार रखे हुए हैं। लेकिन अब जिस तरह का घटनाक्रम सामने आ रहा है उससे कुछ अलग ही संकेत मिल रहे हैं। पहले तो उनके गायब होने की खबरें आईं। अब वे अपने शासनकाल में पहली बार सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख संगठनों को अधिकार सौंपना शुरू कर रहे हैं। शी के इस कदम से अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे व्यवस्थित सत्ता हस्तांतरण के लिए आधार तैयार कर रहे हैं या संभावित रिटायरमेंट की तैयारी के तहत अपनी भूमिका को कम कर रहे हैं।  कम को लेकर नए नियमों की समीक्षा  शी के सत्ता हस्तांतरण के बारे में अटकलें तब तेज हुईं जब सरकारी समाचार एजेंसी ‘शिन्हुआ’ ने हाल ही में बताया कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के शक्तिशाली 24-सदस्यीय राजनीतिक ब्यूरो ने 30 जून को अपनी बैठक में पार्टी के संस्थानों के काम को लेकर नए नियमों की समीक्षा की। शी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि ये नियम सीपीसी केंद्रीय समिति की निर्णय लेने वाली, विचार-विमर्श करने वाली और समन्वयकारी संस्थाओं की स्थापना, जिम्मेदारियों और संचालन को और अधिक मानकीकृत करेंगे।  शिन्हुआ की खबर में कहा गया है कि ऐसी संस्थाओं को अपने प्रमुख कार्यों के संबंध में नेतृत्व और समन्वय को लेकर अधिक प्रभावी प्रयोग करने चाहिए और प्रमुख कार्यों की योजना बनाने, चर्चा करने और देखरेख करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर चीन में रहने वाले एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि पार्टी के इन निकायों के लिए निर्धारित किए गए नियम शी के रिटायरमेंट की तैयारी का संकेत हो सकते हैं।  कुछ शक्तियां दूसरों को सौंप सकते हैं जिनपिंग हांगकांग के न्यूज पेपर ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ ने रविवार को विश्लेषक के हवाले से कहा," सत्ता परिवर्तन के लिहाज से यह महत्वपूर्ण समय है, लिहाजा हो सकता है कि निकायों को विनियमित करने के लिए ये नए नियम बनाए गए हैं।” हालांकि, दूसरे विशेषज्ञों का कहना है कि सीपीसी के संस्थापक माओत्से तुंग के बाद सबसे शक्तिशाली नेता माने जाने वाले शी खुद कुछ बड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कुछ शक्तियां दूसरों को सौंप सकते हैं।  ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा नहीं लिया ‘यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो’ में चीनी अभिजात्य राजनीति और वित्त मामलों के विशेषज्ञ विक्टर शिह ने कहा कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि शी जिनपिंग शायद दिन-प्रतिदिन के विवरणों पर कम ध्यान देते हैं, जिसके लिए एक निगरानी तंत्र की आवश्यकता है।” शी ने रविवार से रियो डी जेनेरियो में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी भाग नहीं लिया। राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहला मौका है जब वे उभरती अर्थव्यवस्थाओं के शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। शिखर सम्मेलन में चीन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री ली कियांग कर रहे हैं।  अमेरिका के साथ टैरिफ युद्ध के बीच उठाया कदम शी ने सत्ता सौंपने का कदम ऐसे समय उठाया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ युद्ध शुरू कर दिया है, चीन का अमेरिका को होने वाला 440 अरब डॉलर का निर्यात बाधित हो रहा है। इसके अलावा चीनी अर्थव्यवस्था भी कई चुनौतियों का सामना कर रही है। अर्थव्यवस्था में निरंतर सुस्ती के कारण विकास में गिरावट आ रही है। इसके अलावा आर्थिक विकास का मुख्य आधार आवास बाजार कमजोर हो रहा है।  शी जिनपिंग का अब तक का कार्यकाल कैसा रहा? साल 2012 में सीपीसी के महासचिव बनकर सत्ता संभालने के बाद से शी सत्ता के केंद्रों यानी पार्टी, राष्ट्रपति पद और केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष के रूप में शक्तिशाली सेना पर अपनी पकड़ को तेजी से मजबूत किया है। इससे पहले शी उपराष्ट्रपति थे। सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए उन्होंने चीन का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाया जिसमें दस लाख से अधिक अधिकारियों को दंडित किया गया और दर्जनों शीर्ष जनरलों को पदों से हटा दिया गया। इस दौरान शी को पार्टी का "मुख्य नेता" घोषित किया गया जबकि इससे पहले यह पद केवल पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग को ही दिया गया था। बाद में, किसी राष्ट्रपति के पांच-पांच साल के दो कार्यकाल के प्रमुख नियम को विधायिका ने संशोधित किया, जिससे 2022 में पार्टी के महासचिव के रूप में और अगले वर्ष देश के राष्ट्रपति के रूप में उनके अभूतपूर्व तीसरे पांच-वर्षीय कार्यकाल के लिए चुने जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। शी के सभी पूर्ववर्ती दो पांच साल के कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त हो गए, जबकि वह बिना किसी कार्यकाल सीमा के सत्ता में बने रहे और उन्हें आजीवन राष्ट्रपति का तमगा मिला। विश्लेषकों का कहना है कि सत्ता में बने रहने या सत्ता में भागीदारी करने की उनकी योजना 2027 में होने वाली सीपीसी की अगली पंचवर्षीय कांग्रेस से पहले या उसके दौरान आने की उम्मीद है, तब तक उनका तीसरा कार्यकाल समाप्त हो जाएगा।

X-गार्ड जैमिंग डिकॉय के जरिए भारत ने कैसे पाकिस्तान को बनाया मूर्ख …US फाइटर पायलट का खुलासा

नई दिल्ली भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान को ऐसा चकमा दिया कि उसकी सारी पोल खुल गई. इस ऑपरेशन ने भारतीय वायुसेना (IAF) की उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic Warfare – EW) रणनीतियों को दुनिया के सामने ला दिया. पूर्व अमेरिकी F-15E स्ट्राइक ईगल और F-16 थंडरबर्ड पायलट रयान बोडेनहाइमर ने IAF की रणनीतियों को "अब तक का सबसे बेहतरीन स्पूफिंग और डिसेप्शन" (भ्रम और धोखा) बताया. उन्होंने इस सफलता का श्रेय राफेल जेट के X-गार्ड जैमिंग डिकॉय और SPECTRA EW सूट को दिया, जिसने पाक की PL-15E मिसाइलों को धोखा दिया. ऑपरेशन सिंदूर ऑपरेशन सिंदूर 7 मई 2025 को शुरू हुआ, जब भारतीय वायुसेना ने 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब दिया, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे. इस ऑपरेशन में IAF ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया. राफेल, सुखोई Su-30 MKI और मिराज 2000 जेट्स ने SCALP क्रूज मिसाइलों और स्पाइस-2000 बमों का उपयोग कर सटीक हमले किए, बिना भारतीय हवाई क्षेत्र छोड़े. पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने पांच भारतीय जेट्स, जिनमें तीन राफेल शामिल थे, को मार गिराया. लेकिन भारतीय सूत्रों और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने इन दावों को खारिज करते हुए कहा कि ये नष्ट हुए डिकॉय (X-गार्ड) थे, न कि असली राफेल जेट्स. इस ऑपरेशन में IAF की इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीकों ने पाकिस्तान वायुसेना (PAF) को पूरी तरह भ्रमित कर दिया. X-गार्ड जैमिंग डिकॉय: तकनीकी जानकारी X-गार्ड एक इजरायली निर्मित फाइबर-ऑप्टिक टोड डिकॉय (towed decoy) है, जिसे राफेल जेट्स के SPECTRA इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट के साथ एकीकृत किया गया है. यह 30 किलोग्राम का उपकरण राफेल जेट के पीछे तार द्वारा खींचा जाता है. दुश्मन के रडार और मिसाइलों को धोखा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है. 360 डिग्री जैमिंग सिग्नल: X-गार्ड 360 डिग्री के दायरे में जैमिंग सिग्नल भेजता है, जो दुश्मन के रडार और मिसाइलों के एक्टिव सीकर्स को भ्रमित करता है. यह रडार सिग्नेचर को नकली बनाता है, जिससे ऐसा लगता है कि यह एक असली जेट है. AI-संचालित तकनीक: X-गार्ड में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग होता है, जो रडार सिग्नल के डॉप्लर शिफ्ट (Doppler Shift) और सिग्नेचर की कॉपी करता है.  यह दुश्मन के रडार को भ्रमित करने के लिए रीयल-टाइम में सिग्नल को बदलता रहता है, जिससे मिसाइलें असली जेट के बजाय डिकॉय को निशाना बनाती हैं. डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी मेमोरी (DRFM): X-गार्ड डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी मेमोरी (DRFM) तकनीक का उपयोग करता है, जो दुश्मन के रडार सिग्नल को रिकॉर्ड और हेरफेर करता है. यह झूठे लक्ष्य (false targets) बनाता है, जिससे दुश्मन का रडार और मिसाइल सिस्टम गलत दिशा में भटक जाते हैं. एंटी-मिसाइल सुरक्षा: X-गार्ड हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (जैसे PL-15E) और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (SAMs) दोनों से रक्षा करता है. यह राफेल को मिसाइलों के नो-एस्केप ज़ोन (जहां मिसाइल से बचना मुश्किल होता है) से बाहर रखता है. वज़न और डिज़ाइन: X-गार्ड का वज़न केवल 30 किलोग्राम है, जिससे यह हल्का और प्रभावी है. इसे फाइबर-ऑप्टिक केबल के माध्यम से जेट से जोड़ा जाता है, जो इसे तेज़ गति पर भी स्थिर रखता है. SPECTRA EW सूट: राफेल की रक्षा प्रणाली राफेल जेट का SPECTRA (Système de Protection et d’Évitement des Conduites de Tir du Rafale) इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सूट इसकी सबसे बड़ी ताकत है. यह थेल्स और MBDA द्वारा विकसित एक प्रणाली है, जो राफेल को दुश्मन के रडार और मिसाइलों से बचाने के लिए डिज़ाइन की गई है. इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं… थ्रेट डिटेक्शन: SPECTRA में एक्टिव और पैसिव सेंसर होते हैं, जो 360 डिग्री में रडार और मिसाइल सिग्नल का पता लगाते हैं. यह लो प्रोबेबिलिटी ऑफ इंटरसेप्ट (LPI) रडार डिटेक्शन का उपयोग करता है, जिससे दुश्मन को इसका पता लगाना मुश्किल होता है. जैमिंग और काउंटरमेज़र्स: SPECTRA दुश्मन के रडार और मिसाइलों को भ्रमित करने के लिए चैफ, फ्लेयर्स और डायरेक्टेड जैमिंग का उपयोग करता है. यह एडवांस एल्गोरिदम के साथ रडार सिग्नल को विश्लेषण करता है और तुरंत काउंटरमेज़र्स लागू करता है. एडवांस्ड रडार: SPECTRA राफेल के RBE2-AA एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे (AESA) रडार के साथ मिलकर काम करता है, जो 145 किमी की दूरी पर 40 लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है. डेटा लिंक और नेटवर्क-सेंट्रिक युद्ध: SPECTRA राफेल को अन्य जेट्स, AWACS (Airborne Warning and Control System) और ग्राउंड स्टेशनों के साथ रीयल-टाइम डेटा साझा करने की अनुमति देता है, जिससे समन्वित हमले संभव होते हैं.  ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय रणनीति ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय वायुसेना ने कई उन्नत रणनीतियों का उपयोग किया, जो इसकी सफलता का कारण बनीं.  मल्टी-स्पेक्ट्रम इलेक्ट्रॉनिक युद्ध: IAF ने DRFM जैमिंग, GPS स्पूफिंग और रडार क्रॉस-सेक्शन मैनिपुलेशन का उपयोग किया. इससे पाकिस्तानी रडार और मिसाइल सिस्टम की सेंसर फ्यूजन और टारगेटिंग एल्गोरिदम बाधित हो गए. राफेल और Su-30 MKI जेट्स ने EL/M-8222 जैमिंग पॉड्स और तरंग रडार वॉर्निंग रिसीवर का उपयोग किया, जिसने PL-15E मिसाइलों के डेटा लिंक और AESA सीकर्स को बाधित किया. X-गार्ड डिकॉय की भूमिका: X-गार्ड ने नकली रडार सिग्नेचर बनाकर पाकिस्तानी J-10C और JF-17 जेट्स को भ्रमित किया. पाकिस्तान ने दावा किया कि उसने राफेल जेट्स को मार गिराया, लेकिन भारतीय और अंतरराष्ट्रीय सूत्रों ने पुष्टि की कि ये X-गार्ड डिकॉय थे. X-गार्ड ने PL-15E मिसाइलों के एक्टिव सीकर्स को गलत लक्ष्य की ओर मोड़ दिया, जिससे मिसाइलें असली जेट्स के बजाय डिकॉय को निशाना बनाती रहीं. लंबी दूरी की सटीक हमले: राफेल जेट्स ने SCALP क्रूज मिसाइलों (450 किमी रेंज) और HAMMER बमों (70 किमी रेंज) का उपयोग किया, जो स्टील्थ और जैम-प्रतिरोधी हैं. ये हथियार भारतीय हवाई क्षेत्र से लॉन्च किए गए, जिससे पायलटों और जेट्स को जोखिम कम हुआ. S-400 और आकाश सिस्टम: भारत की S-400 और आकाश सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों ने पाकिस्तानी जेट्स को भारतीय हवाई क्षेत्र में घुसने से रोका. इन प्रणालियों ने पाकिस्तानी J-10C और JF-17 जेट्स को लंबी दूरी से ही मिसाइलें दागने के लिए मजबूर किया, जिससे उनकी सटीकता कम हो गई. पाकिस्तान की PL-15E मिसाइल और उसकी विफलता पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर में अपनी J-10C और JF-17 ब्लॉक III जेट्स से PL-15E मिसाइलों का उपयोग किया, जो चीन की … Read more