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चीनी राष्ट्रपति की BRICS से दूरी, 12 साल बाद पहली बार नहीं होंगे शामिल – उठे कई सवाल

बीजिंग ब्राजील में इसी सप्ताह से होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग हिस्सा नहीं लेंगे। उनकी जगह प्रधानमंत्री ली क्यांग सम्मेलन में भाग लेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को इसकी पुष्टि की। ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में पांच से आठ जुलाई तक 17वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन होने वाला है। इसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी भाग लेंगे। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओनिंग  ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि प्रधानमंत्री ली ब्राजील में होने वाले सम्मेलन में शिरकत करेंगे। हालांकि, उन्होंने इस सवाल का जवाब देने से परहेज किया कि चिनफिंग ने इस सम्मेलन में शामिल नहीं होने का निर्णय क्यों किया। उन्होंने आगे बताया कि वह अपने 12 साल के कार्यकाल में कभी भी ब्रिक्स सम्मेलन में अनुपस्थित नहीं रहे। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। मिस्त्र, इथोपिया, ईरान, सऊदी अरब और यूएई को शामिल करके इस समूह का विस्तार किया गया है।  

सिंधु जल संधि पर भारत ने दी टेंशन, मुल्क को ‘प्यास’ से बचाने के लिए शहबाज का बड़ा ऐलान

 इस्लामाबाद  पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने ऐलान किया है कि उनकी सरकार पानी के भंडारण के तरीके को मजबूत करेगी। ये फैसला ऐसे वक्त में आया है जब भारत ने 1960 के सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty) को स्थगित करने का कदम उठाया था। पाकिस्तान की बडे़ पैमाने पर खेती-बाड़ी सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर निर्भर है। अगर इन नदियों के जलस्तर में कमी आई तो पाकिस्तान दाने-दाने को मोहताज हो जाएगा और बूंद-बूंद पानी को तरस जाएगा। पाक पीएम शहबाज शरीफ ने  नेशनल इमरजेंसी ऑपरेशन्स सेंटर के दौरे के दौरान इस मसले पर बात की। सरकारी न्यूज एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक, उन्होंने कहा कि दुश्मन जल समझौते के खिलाफ कदम उठाना चाहता है। जियो न्यूज के मुताबिक, शहबाज शरीफ ने कहा कि पाकिस्तान सरकार ने देश में जल भंडारण क्षमता बढ़ाने का फैसला किया है। ऐसे में उन्होंने संभावित विभागों को वाटर स्टोरेज परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए हैं। शरीफ ने भारत पर झुंझलाहट निकालते हुए कहा कि देश में पानी की सुरक्षा को लेकर फैसला लेना जरूरी है क्योंकि दिल्ली की मंशा पानी को हथियार बनाने की है। भारत नहीं तोड़ सकता सिंधु समझौता शहबाज शरीफ ने देश का जल भंडारण बनाने की बात कही तो साथ ही भारत पर गुस्सा भी निकाला। उन्होंन कहा कि भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने का ऐलान किया है लेकिन वह इसे एकतरफा तरीके से निलंबित नहीं कर सकता है। शरीफ ने स्थायी मध्यस्थता न्यायालय के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि अदालत ने भी साफ किया है भारत को सिंधु जल संधि को एकतरफा निलंबित करने का कोई अधिकार नहीं है। शरीफ ने आगे कहा, 'सिंधु जल संधि पर अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं के बावजूद पाकिस्तान के लिए भारत के इरादे अच्छे नहीं हैं। वह पानी को हमारे खिलाफ एक हथियार की तरह इस्तेमाल करने की तरफ देख रहा है। इस खतरे को देखते हुए पाकिस्तान सरकार ने अपनी प्रांतों की सरकारों के साथ गैर-विवादास्पद जल भंडारण क्षमता परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने का फैसला किया है। पहलगाम के बाद शुरू हुआ विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव की शुरुआत 22 अप्रैल के बाद हुई। 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने 26 लोगों की बर्बरता से हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ कई स्तरों पर संबंध तोड़ने का फैसला लिया। इसमें सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय भी है। ये संधि भारत-पाक में नदियों का पानी बांटती है। भारत ने इस समझौते से हटते हुए पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोकने की बात कही है। 'हम पानी को स्टोर करने के लिए कोशिशें करेंगे' शहबाज शरीफ ने कहा, "हमारी हुकूमत ने फैसला किया है कि हम अपनी पानी के भंडार बनाएंगे।" उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तानी सरकार पानी को बरतने के तरीके पर काम करेगी और भंडारण इसमें अहम कड़ी होगी, जिसमें डायमर भाशा डैम जैसे प्रोजेक्ट्स शामिल होंगे। उन्होंने कहा, "हम अपनी ताकत से अगले कुछ सालों में पानी को स्टोर करने की क्षमता तैयार कर लेंगे। इसमें नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी का अहम किरदार होगा।" पहलगाम हमले के बाद अब पाकिस्तान को सता रही पानी की चिंता 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाए। भारत सरकार ने सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया। ये समझौता दोनों मुल्कों के बीच पानी के बंटवारे का अहम जरिया है। पाकिस्तान का मानना है कि पानी के बहाव में किसी भी तरह की रुकावट उसकी खेती के लिए बड़ा खतरा है।  

9 या 22 जुलाई या फिर अगस्त की 5 तारीख को सामान्य दिन से 1.66 मिलीसेकंड से ज्यादा छोटा होगा

वॉशिंगटन  दुनिया आने वाले कुछ दिनों में पृथ्वी के इतिहास के सबसे छोटे दिन का अनुभव कर सकती है। खगोल भौतिकीविदों ने अपनी एक रिसर्च के आधार पर पाया है कि पृथ्वी की घूर्णन गति बीते पांच साल से बढ़ रही है। साल 2020 से पृथ्वी अपनी धुरी पर सामान्य से अधिक तेजी से घूम रही है, इसकी वजह से हम इतिहास के सबसे छोटा दिन अनुभव कर सकते हैं। यानी ये दिन 24 घंटे से कम का होगा। ये सबसे छोटा दिन इसी महीने यानी जुलाई या फिर अगस्त में देखने को मिल सकती है। खगोल भौतिकीविद् ग्राहम जोन्स ने सबसे छोटे दिन के लिए तीन तारीख बताई हैं। यह इस साल 9 जुलाई या 22 जुलाई या फिर अगले महीने अगस्त की 5 तारीख को हो सकता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी पर प्रभाव की वजह से ऐसा होगा। यह दिन सामान्य दिन से 1.66 मिलीसेकंड से ज्यादा छोटा होगा। दिन छोटा क्यों हो रहा है? एक सौर दिन ठीक 86,400 सेकंड यानी 24 घंटे तक चलना चाहिए लेकिन पृथ्वी का घूर्णन कभी भी पूरी तरह से स्थिर नहीं रहा है। रिसर्च बताती हैं कि 2020 में किसी अज्ञात कारण से हमारा ग्रह तेजी से घूमने लगा। इससे दिन का समय घट गया है। 2021 में एक दिन दर्ज किया गया जो सामान्य से 1.47 मिलीसेकंड कम था। 2022 में यह 1.59 मिलीसेकंड कम हो गया और फिर 5 जुलाई, 2024 को रेकॉर्ड बना, जब दिन सामान्य 24 घंटों से 1.66 मिलीसेकंड कम रहा। वैज्ञानिकों का कहना है कि 2025 में 9 और 22 जलाई या 5 अगस्त, वह अनुमानित तारीख हैं, जब चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी के भूमध्य रेखा से सबसे दूर रखती है। यह पृथ्वी प्रभावित करती है और दिन 24 घंटे से कम का हो जाता है। रिसर्च कहती है कि चंद्रमा अरबों वर्षों से पृथ्वी के घूमने की गति को धीमा कर रहा है। 4.5 अरब साल पहले पृथ्वी पर एक दिन तीन से छह घंटे तक चल सकता था लेकिन चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव ने पृथ्वी पर दिन की लंबाई 24 घंटे की है। दिन का घटना कितनी बड़ी चिंता दिन के कुछ मिलीसेकंड कम होने का सामान्य जनजीवन पर कोई फर्क नहीं होता है लेकिन तकनीक और दूरसंचार की दुनिया में यह मायने रखता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर यह प्रवृत्ति जारी रही तो करीब 50 अरब वर्षों में पृथ्वी का घूर्णन चंद्रमा की कक्षा के साथ तालमेल बिठा लेगा। तब हमेशा चंद्रमा का एक ही पक्ष दिखाई देगा यानी यह ग्रह के केवल आधे हिस्से पर दिखाई देगा। हालांकि तब तक धरती पर और भी कई बदलाव आ चुके होंगे।  

ट्रंप ने दी चेतावनी उधर मस्क को 12 अरब डॉलर से अधिक का लगा झटका

वाशिंगटन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क के बीच तल्खी बढ़ती जा रही है। मस्क ने वन बिग ब्यूटीफुल बिल की आलोचना की थी। इसके बाद ट्रंप ने मस्क पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि अगर सरकारी सब्सिडी बंद हो जाए तो मस्क को अपनी दुकान बंद करके दक्षिण अफ्रीका लौटना होगा। वह न सैटेलाइट बना पाएंगे और न ही ईवी बना पाएंगे। ट्रंप के इस बयान के बाद मंगलवार को टेस्ला के शेयरों में भारी गिरावट आई। इस गिरावट से मस्क की नेटवर्थ 12.1 अरब डॉलर घट गई। दुनिया की सबसे वैल्यूएबल ऑटो कंपनी टेस्ला के शेयर  5.34% गिर गया। ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के मुताबिक मस्क की नेटवर्थ में  12.1 अरब डॉलर की गिरावट आई। उनकी नेटवर्थ अब 351 अरब डॉलर रह गई है। इस साल उनकी नेटवर्थ में 81.9 अरब डॉलर की गिरावट आई है। कुछ महीने पहले तक ट्रंप के खासमखास रहे मस्क अब उनके विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने यहां तक धमकी दी है कि अगर वन बिग ब्यूटीफुल बिल पारित हुआ तो वह अपनी राजनीतिक पार्टी बनाएंगे।  टेस्ला के शेयर 5.5% तक गिरे मस्क ने चेतावनी दी कि यदि ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ पारित हो गया तो वह एक नई राजनीतिक पार्टी शुरू कर सकते हैं और उन सांसदों के खिलाफ पैसा खर्च करेंगे जो इस बिल का समर्थन करते हैं. रिपब्लिकन ने इस बात को लेकर चिंता जाहिर की है कि मस्क का ट्रंप के साथ बार-बार झगड़ा 2026 के मध्यावधि कांग्रेस चुनावों में उनके अवसरों को नुकसान पहुंचा सकता है. ट्रेजरी सेक्रेटरी स्कॉट बेसेन्ट ने मस्क की आलोचना पर पलटवार करते हुए कहा, “देश के वित्त की मैं देखभाल कर लूंगा.” ट्रंप और मस्क के विवाद का असर यह रहा कि  टेस्ला के शेयरों में 5.5% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई. लंबे समय से टेस्ला के निवेशक और फ्यूचर फंड एलएलसी के लिए पैसे का प्रबंधन करने वाले गैरी ब्लैक ने हाल ही में टेस्ला कार की बिक्री में गिरावट के कारण अपने शेयर बेच दिए. उन्होंने बताया कि वे इस बात पर विचार कर रहे हैं कि कब फिर से निवेश करना है. ब्लैक मानते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन क्रेडिट को खत्म करने से टेस्ला को नुकसान होगा. एक्स पर एक अलग पोस्ट में, ब्लैक ने कहा: "पता नहीं एलॉन मस्क को क्यों नहीं दिख रहा है कि राष्ट्रपति ट्रम्प द्वारा लाए गए बिल की खिलाफत करने का उनको कितना नुकसान हो सकता है." ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, “मस्क को अब तक जितनी सब्सिडी मिली है, उतनी शायद किसी इंसान को इतिहास में नहीं मिली… अब कोई रॉकेट लॉन्च नहीं, कोई सैटेलाइट नहीं, न इलेक्ट्रिक कारें – देश की बहुत बचत होगी.” टेस्ला के लिए चुनौतियां ट्रंप और मस्क की इस जंग से टेस्ला के व्यापार पर असर पड़ सकता है, खासकर तब जब कंपनी ऑटोनॉमस रोबोटैक्सी को लेकर दांव लगा रही है. यह प्रोजेक्ट राज्य और संघीय स्तर की मंजूरी पर निर्भर है. विश्लेषकों का मानना है कि ईवी टैक्स क्रेडिट हटने से टेस्ला की कमाई में 1.2 बिलियन डॉलर तक की गिरावट आ सकती है. स्पेसX के पास करीब 22 बिलियन डॉलर के संघीय अनुबंध हैं, वहीं टेस्ला ने पिछले कुछ वर्षों में करीब 11 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू सिर्फ ग्रीन क्रेडिट बेचकर कमाया है. ये क्रेडिट वह कंपनियां खरीदती हैं जो उत्सर्जन नियमों का पालन नहीं कर पातीं. ट्रंप ने पहले भी संकेत दिया था कि वे मस्क की नागरिकता पर सवाल उठा सकते हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या वे मस्क को देश से निकाल देंगे, तो उन्होंने जवाब दिया, “देखेंगे.” दूसरे अमीरों का हाल  दुनिया के टॉप 10 रईसों में से 8 की नेटवर्थ में गिरावट आई। केवल ऐमजॉन के फाउंडर जेफ बेजोस और फ्रांसीसी बिजनसमैन बर्नार्ड अरनॉल्ट फायदे में रहे। अरनॉल्ट की नेटवर्थ में 7.15 अरब डॉलर की उछाल आई जबकि बेजोस की नेटवर्थ 1.1 अरब डॉलर बढ़ गई। मस्क के बाद सबसे ज्यादा नुकसान में मार्क जकरबर्ग रहे। उनकी नेटवर्थ में 6.44 अरब डॉलर की गिरावट आई। वह 254 अरब डॉलर की नेटवर्थ के साथ दुनिया के अमीरों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर हैं। इस बीच भारत और एशिया के सबसे बड़े रईस मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में 2.24 अरब डॉलर की तेजी आई। इसके साथ ही उनकी नेटवर्थ 112 अरब डॉलर पहुंच गई। इस साल उनकी नेटवर्थ में 20.9 अरब डॉलर की तेजी आई है। वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में 16वें नंबर पर हैं। अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की नेटवर्थ 16.7 करोड़ डॉलर की तेजी के साथ 85.3 अरब डॉलर पहुंच गई। इस साल उनकी नेटवर्थ 6.57 अरब डॉलर बढ़ी है और वह दुनिया के अमीरों की लिस्ट में 20वें नंबर पर बने हुए हैं।

‘छोटी घटना’ कहकर TMC ने दिखाया असली चेहरा, तरुण चुघ बोले – बेटियों का अपमान बर्दाश्त नहीं

नई दिल्ली  कोलकाता गैंगरेप मामले पर टीएमसी नेताओं द्वारा लगातार विवादित बयान दिया जा रहा है और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कल्याण बनर्जी और मदन मित्रा के बाद मानस भुनिया ने कोलकाता गैंगरेप को 'छोटी घटना' बताया। टीएमसी नेता के इस बयान पर भाजपा ने पश्चिम बंगाल सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि ममता सरकार के एक मंत्री ने बंगाल की बेटियों का अपमान किया है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने बुधवार को आईएएनएस से बातचीत में कहा, "बंगाल में बेटियों के खिलाफ अपराध लगातार हो रहे हैं और ऐसे जघन्य कृत्य को 'छोटी घटना' बताकर ममता सरकार के एक मंत्री ने बंगाल और भारत की बेटियों का अपमान किया है। इस तरह के बयान से ममता सरकार की बेटियों की सुरक्षा के प्रति असंवेदनशीलता सबके सामने आ गई है। अपराधी पर पहले से चार एफआईआर दर्ज थे, इसके बावजूद उसे कॉलेज में नौकरी दी गई। ये सोची समझी साजिश है। ममता सरकार अपराधियों की संरक्षक बन गई है। इस मामले में आरोपी के अलावा कॉलेज के प्रबंधक की भी जांच होनी चाहिए। बंगाल की जनता इस लूटेरी और अपराधी सरकार को कठोर सजा देगी।" कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे के ‘आरएसएस’ पर टिप्पणी को लेकर तरुण चुघ ने निशाना साधा। उन्होंने कहा, "कांग्रेस के नेता तानाशाही सोच से गहराई से प्रभावित हैं। इसलिए वे प्रतिबंध, आपातकाल, देश को जेल में बदलने, नेताओं को गिरफ्तार करने, संविधान को दबाने, लोकतंत्र पर हमला करने और संस्थाओं का अपमान करने की बात करते हैं। राहुल गांधी ने कांग्रेस में एक नया फैशन शुरू किया है।" उन्होंने आगे कहा, "आरएसएस जैसे राष्ट्रवादी और समाज को जोड़ने वाले संगठन पर प्रतिबंध की बात करना कांग्रेस की राष्ट्रविरोधी और सनातन विरोधी मानसिकता का प्रमाण है। आरएसएस ने समाज को जोड़ा है और वे समाज में सेवा का पर्याय बने हैं। गांधी परिवार और कांग्रेस की चार पीढ़ियों ने हमेशा भारत की सनातन ताकत को कुचलने का प्रयास किया है। उन्होंने आरएसएस को रोकने के लिए प्रतिबंध लगाए, लेकिन संघ प्रखर राष्ट्रवाद, देशभक्ति और सेवा कार्यों के कारण एक नायक के रूप में स्थापित है।" तरुण चुघ ने केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा, "पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्रोत्साहन योजना युवाओं के लिए आशा की नई किरण बनी है। ये केवल आंकड़ों की बात नहीं है बल्कि भारत के आत्मनिर्भर भविष्य की बुनियाद है। पीएम मोदी ने युवाओं के सपनों को नई उड़ान देने का ऐतिहासिक काम किया है।"

अमेरिका ने हटाया समर्थन का हाथ, यूक्रेन को नहीं मिलेगी एयर डिफेंस और मिसाइल सहायता

ह्यूस्टन  ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका के अपने भंडार की समीक्षा के बाद यूक्रेन को दी जाने वाली 'सैन्य सहायता' के एक हिस्से को रोक दिया है। इसकी पुष्टि व्हाइट हाउस और पेंटागन ने की है। 'व्हाइट हाउस' की प्रवक्ता एना केली ने कहा, "हमारे देश के मिलिट्री सपोर्ट और दुनियाभर के अन्य देशों को दी जाने वाली सहायता की समीक्षा के बाद अमेरिका के हितों को प्राथमिकता देने के लिए यह फैसला लिया गया है।" कई अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स ने स्रोतों का हवाला देते हुए बताया कि यह कदम अमेरिकी सैन्य भंडार के बहुत कम होने की चिंताओं के बीच उठाया गया है। सिन्हुआ के अनुसार पिछले महीने अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने यूक्रेन को तीन साल की मदद, यमन के हौथी समूह और ईरान पर हालिया हमलों के बाद हथियारों के अमेरिकी भंडार की समीक्षा करने का आदेश देते हुए एक ज्ञापन जारी किया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समीक्षा में यह पाया गया कि पहले प्लेज्ड किए गए कुछ हथियारों का भंडार बेहद कम था। रक्षा विभाग के पॉलिसी अंडर सेक्रेटरी एल्ब्रिज कोल्बी ने कहा कि पेंटागन इस युद्ध को खत्म करने के अपने लक्ष्य के अनुरूप, यूक्रेन को सैन्य सहायता जारी रखने के लिए राष्ट्रपति को मजबूत विकल्प प्रदान करना जारी रखेगा। कोल्बी ने कहा, "इसी के साथ, विभाग इस लक्ष्य को हासिल करने के अपने दृष्टिकोण की सख्ती से समीक्षा और अनुकूलन कर रहा है, ताकि अमेरिकी सेनाओं की तैयारी और प्रशासन की रक्षा प्राथमिकताओं को भी सुरक्षित रखा जा सके।" पिछले सप्ताह हेग में आयोजित नाटो शिखर सम्मेलन के दौरान यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से मुलाकात के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पत्रकारों से कहा कि यूक्रेन, अमेरिका से पैट्रियट एयर डिफेंस मिसाइल प्राप्त करने को लेकर बेहद उत्सुक है। ट्रंप ने कहा, "वह एंटी-मिसाइल मिसाइलें चाहते हैं। हम देखेंगे कि क्या हम कुछ उपलब्ध करा सकते हैं। हमें भी उनकी जरूरत है। हम उन्हें इजरायल को भी दे रहे हैं। ये बेहद प्रभावी हैं, सौ प्रतिशत असरदार। यकीन करना मुश्किल है कि यह कितनी प्रभावी हैं। यूक्रेन को किसी और चीज से ज्यादा इन्हीं की जरूरत है।" एक रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से अमेरिका ने यूक्रेन को 66 अरब डॉलर से अधिक की सैन्य सहायता और हथियार प्रदान किए हैं।

एलन मस्क की Starlink श्रीलंका में हुई एक्टिव, भारत में इंटरनेट क्रांति की तैयारी?

नई दिल्ली एलन मस्क के स्वामित्व वाली सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस स्टारलिंक ने बुधवार को श्रीलंका में आधिकारिक तौर पर अपनी सेवाएं शुरू कर दी हैं। इस लॉन्च के साथ, श्रीलंका दक्षिण एशिया का तीसरा देश बन गया है, जिसे स्टारलिंक की इंटरनेट सर्विस तक पहुंच प्राप्त हुई है। इसी के साथ श्रीलंका, भूटान और बांग्लादेश के बाद भारत का एक और पड़ोसी देश बन गया है, जिसे यह सर्विस प्राप्त हुई है। स्टारलिंक ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "स्टारलिंक का हाई-स्पीड, लो-लेटेंसी इंटरनेट अब श्रीलंका में उपलब्ध है।" स्टारलिंक भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के करीब पहुंच रहा है। पिछले महीने, कंपनी को दूरसंचार विभाग से एक महत्वपूर्ण लाइसेंस मिला, जो पहली बार आवेदन करने के लगभग तीन साल बाद मिला। रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टारलिंक अगले दो महीनों के भीतर भारत में सेवाएं देना शुरू कर सकता है। स्टारलिंक के लिए भारत में परिचालन शुरू करने का अंतिम चरण भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) से औपचारिक मंजूरी है। एजेंसी ने कंपनी को पहले ही एक ड्राफ्ट लेटर ऑफ इंटेंट (एलओआई) जारी कर दिया है। एक बार जब दोनों पक्ष इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर कर देंगे तो स्टारलिंक को भारतीय बाजार में अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए आधिकारिक रूप से मंजूरी मिल जाएगी। स्टारलिंक पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले सैटेलाइट के नेटवर्क के जरिए इंटरनेट सर्विस प्रदान करता है। कंपनी वर्तमान में दुनिया के सबसे बड़े सैटेलाइट समूह का संचालन करती है, जिसमें 6,750 से ज्यादा सैटेलाइट कक्षा में हैं। कंपनी के अनुसार, स्टारलिंक कम देरी के साथ तेज इंटरनेट प्रदान करता है, जिससे यह सीमित कनेक्टिविटी वाले दूरदराज के क्षेत्रों के लिए भी उपयुक्त है। एशिया में स्टारलिंक सेवाएं मंगोलिया, जापान, फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया, जॉर्डन, यमन और अजरबैजान सहित कई देशों में पहले से ही उपलब्ध हैं। विश्व स्तर पर यह 100 से ज्यादा देशों में यूजर्स को सेवाएं प्रदान करता है, जिसमें रेजिडेंशियल और रोमिंग दोनों तरह के इंटरनेट प्लान पेश किए जाते हैं।

बांग्लादेश में बड़ा सियासी धमाका: शेख हसीना को ICT ने सुनाई 6 माह की जेल

ढाका बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को अदालत की अवमानना के मामले में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने छह महीने की जेल की सजा सुनाई। स्थानीय मीडिया ने यह खबर दी। ‘ढाका ट्रिब्यून' अखबार ने कहा कि न्यायाधीश मोहम्मद गुलाम मुर्तजा मजूमदार की अध्यक्षता में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 की तीन सदस्यीय पीठ ने यह फैसला जारी किया। इसी फैसले में न्यायाधिकरण ने गैबांधा में गोबिंदगंज के शकील अकंद बुलबुल को दो महीने जेल की सजा सुनाई। प्रधानमंत्री पद से हटने और 11 महीने पहले देश छोड़ने के बाद पहली बार अवामी लीग की नेता को किसी मामले में सजा सुनाई गई है। 

संसद सुरक्षा में सेंध के आरोपी दो युवकों को मिली जमानत, दिल्ली पुलिस ने किया विरोध

नई दिल्ली  संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में बड़ी अपडेट सामने आई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को आरोपियों नीलम आजाद और महेश कुमावत को जमानत मंजूर कर दी है। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने इन दोनों की जमानत अर्जी का विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने उनकी रिहाई का आदेश दिया। याद दिला दें कि वर्ष 2023 में संसद सत्र के दौरान लोकसभा में घुसकर पीली गैस छोड़ी गई थी और नारेबाजी की गई थी, जिससे संसद की सुरक्षा पर सवाल उठे थे। कोर्ट ने लगाई कुछ शर्ते दिल्ली हाई कोर्ट ने संसद सुरक्षा में चूक के मामले में आरोपी नीलम आजाद और महेश कुमावत को जमानत प्रदान की है, लेकिन इसके साथ कुछ सख्त शर्तें भी लागू की हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दोनों आरोपी जमानत अवधि के दौरान मीडिया से कोई बातचीत नहीं करेंगे और सोशल मीडिया पर भी कोई पोस्ट नहीं करेंगे। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की बेंच ने दोनों को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और दो समान राशि की जमानत के आधार पर राहत दी है। पुलिस ने कोर्ट को क्या बताया? इससे पहले निचली अदालत ने संसद में सुरक्षा व्यवस्था की चूक से जुड़े मामले में आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। इसके खिलाफ आरोपियों ने उच्च न्यायालय का रुख किया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने नीलम आजाद और महेश कुमावत की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद 21 मई को अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। पुलिस ने अदालत में यह तर्क दिया था कि आरोपियों का मकसद 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की भयावह घटनाओं को दोबारा याद दिलाना था।

JP Nadda का बड़ा हमला: हेल्थ फंड का उपयोग नहीं हुआ तो सरकार को जनता से पड़ेगा सामना

बिलासपुर  भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने प्रदेश सरकार को चेताते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए प्रदान की गई आर्थिक सहायता का उपयोग युद्धस्तर पर किया जाए। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश सरकार के पास अब केवल एक वित्तीय वर्ष का समय शेष बचा है, ऐसे में इस राशि का समुचित व त्वरित उपयोग सुनिश्चित होना चाहिए। परिधि गृह बिलासपुर में आयोजित प्रैस वार्ता में जेपी नड्डा ने कहा कि केंद्र सरकार केवल शाब्दिक नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी प्रदेश की मदद कर रही है। हमने स्वास्थ्य ढांचे को सशक्त बनाने के लिए दिल खोलकर सहायता दी है, अब राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उस पैसे को जमीनी स्तर पर खर्च करे। उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार के लिए समय रहते आवश्यक कदम उठाने होंगे, ताकि आम जनता को लाभ मिल सके।  जेपी नड्डा ने राज्य सरकार से पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की अपील भी की। उन्होंने केंद्र के बजटीय सहयोग का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश को प्राकृतिक आपदा से निपटने के लिए पिछले 3 वर्षाें के अंदर एसडीआरएफ के तहत 1736 करोड़, एनडीआरएफ के तहत 1071 करोड़ और एसडीएमएफ के तहत 339 करोड़ प्रदान किए हैं और हाल ही में गृह मंत्री ने पीडीआरआरएफ के तहत 2006 करोड़ रुपए प्रदान किए हैं। वर्ष 2021 से 2025 तक स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा ही आयुष्मान भारत हैल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन के तहत 360 करोड़ 11 लाख रुपए प्रदान किए हैं, जिसमें से केवल प्रदेश सरकार केवल 78 करोड़ ही खर्च कर पाई है। इस योजना के तहत प्रदेश में 73 ब्लॉक लेबल पब्लिक हैल्थ यूनिट बनाए जाने प्रस्तावित हैं, जिनमें से मौजूदा समय में 6 ही बन पाए हैं, जबकि 14 के टैंडर हुए हैं। उन्हाेंने बताया कि इसी प्रकार प्रदेश में 8 क्रिटिकल केयर यूनिट स्थापित होने हैं, जिसमें रोहड़ू, रिकांगपिओ, घवांडल, टांडा, मंडी अस्पताल व पांवटा सहिब शामिल हैं।  जेपी नड्डा ने कहा कि प्रदेश को 15वें वित्तायोग से 521 करोड़ रुपए दिए गए हैं, जिसमें से केवल 128 करोड़ 62 लाख ही खर्च हुए हैं। उन्होंने कहा कि गत 25 मई को मुख्यमंत्री उनसे मिलने गए थे। इस दौरान उन्होंने जायका से पैसा दिलवाने का आग्रह किया था, जिस पर गत 30 जून को 1138 करोड़ रुपए केंद्र ने मंजूर किए। इसमें से प्रदेश सरकार को 1024 करोड़ रुपए ग्रांट इन एड दिए गए हैं, जबकि शेष राशि सस्ते लोन पर उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने बताया कि यदि प्रदेश सरकार ने केंद्रीय योजनाएं समय पर लागू नहीं कीं, तो इसका खमियाजा जनता को भुगतना पड़ेगा। इस अवसर पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डाॅ. राजीव बिंदल, नयनादेवी के विधायक रणधीर शर्मा, झंडूता के जीत राम कटवाल, सदर के त्रिलोक जम्वाल व पूर्व मंत्री राजेंद्र गर्ग भी मौजूद रहे।