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बाढ़ग्रस्त इलाकों में पहुंचे CM मान, अधिकारियों को तुरंत कार्रवाई के आदेश

दीनानगर  पंजाब मुख्यमंत्री भगवंत मान आज बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे। दीनानगर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत मकौड़ा पत्तन में रावी नदी में आई बाढ़ के कारण कई गांव पानी से प्रभावित हुए हैं। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज सीमावर्ती क्षेत्र का दौरा किया और प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति का जायजा लिया।   मुख्यमंत्री सबसे पहले बेहरामपुर कस्बे पहुंचे जहां उन्होंने बाढ़ प्रभावित लोगों से बातचीत की और कहा कि सरकार जान-माल की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास कर रही है, लेकिन आस-पास के गांवों में जलस्तर बढ़ने के कारण वे वहां नहीं पहुंच सके। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि पंजाब सरकार बाढ़ प्रभावित लोगों के साथ है और किसी को भी घबराने की जरूरत नहीं है। उन्होंने अधिकारियों को राहत कार्य तेजी से चलाने के आदेश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए लोगों को पर्याप्त मुआवजा देगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि पंजाब में बाढ़ की यह स्थिति पहाड़ी राज्यों में लगातार हो रही बारिश के कारण उत्पन्न हुई है। गंभीर संकट की इस घड़ी में पंजाब सरकार लोगों को राहत पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस काम में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में आम आदमी पार्टी के नेता और प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे।

शिक्षकों ने दी चेतावनी, 5 सितंबर को पंजाब में सड़क पर उतरेंगे हजारों टीचर

लुधियाना पंजाब एवं चंडीगढ़ कॉलेज शिक्षक संघ (PCCTU) ने आज पंजाब सरकार के खिलाफ राज्यभर के 136 सहायता प्राप्त कॉलेजों में दो पीरियड का विरोध प्रदर्शन किया। शिक्षकों ने आरोप लगाया कि सरकार की नीतियों के कारण पंजाब में उच्च शिक्षा अस्तित्व के संकट से गुजर रही है। लुधियाना जिले के 22 एडेड कॉलेजों में भी शिक्षकों ने प्रदर्शन किया। जिला अध्यक्ष डॉ. चमकौर सिंह ने बताया कि पिछले पांच महीनों से सरकार ने अनुदान जारी नहीं किया है, जिस कारण प्रोफेसरों को बिना वेतन के रहना पड़ रहा है। जिला सचिव डॉ. सुंदर सिंह ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पर निकाली गई नियुक्तियों पर रोक लगाना सरकार का शिक्षा विरोधी रवैया दर्शाता है। वहीं, डॉ. रोहित ने आरोप लगाया कि अनुदान को 95% से घटाकर 75% कर दिया गया है, जिससे कॉलेजों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। डॉ. रमन शर्मा ने कहा कि सरकार सरकारी और सहायता प्राप्त कॉलेजों को खत्म कर निजी संस्थानों को बढ़ावा देना चाहती है, जबकि डॉ. वरुण गोयल ने 7वें वेतन आयोग को लागू न करने और ग्रेच्युटी न देने पर सवाल उठाए। शिक्षक संघ ने ऐलान किया है कि 27 से 29 अगस्त तक सभी कॉलेजों में दो घंटे का धरना दिया जाएगा। इसके बाद 2 सितंबर को जिला स्तरीय कैंडल मार्च और 5 सितंबर को मोहाली में राज्य स्तरीय धरना आयोजित किया जाएगा। 

बाढ़ की आशंका पर प्रशासन अलर्ट, प्रिंसिपल और हेडमास्टर्स को मिले नए दिशा-निर्देश

लुधियाना  पिछले कुछ दिनों से लगातार कहर बरसा रहा रावी दरिया अपनी हदें पार कर गया है। पंजाब के गुरदासपुर, पठानकोट जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। इन हालातों से जूझने के लिए डी.ई.ओ. गुरदासपुर ने जिले के डी.एम.ओ., प्रिंसिपल, हेडमास्टर्स, मिडल स्कूल इंचार्ज को एक संदेश जारी किया है। उन्होंने अपील की है जिन स्कूलों में राहत केंद्र बने हैं वहां शिक्षा विभाग की ओर से डटकर मदद करनी चाहिए।   उन्होंने कहा कि उक्त सभी इंचार्जों को अपने स्टाफ की दो घंटे की ड्यूटी लगाई जाए तो कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने कहा कि परमात्मा ने हमें जीवन दिया है तो इंसान होने के नाते किसी के काम आना चाहिए। अगर स्कूल में किसी को रात रहना या किसी के गांव में पानी भर गया है तो उनकी मदद के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी प्रिंसिपल, हेडमास्टर्स यानी शिक्षा विभाग से संबंधित सभी को डटकर सामने आना चाहिए। दीनानगर साइड बहुत पानी है। डी.ई.ओ. गुरदासपुर ने कहा कि उन्हें प्रशासन की चिट्ठी के इंतजार में नहीं रहना चाहिए। बिना कहे इंसान होने के नाते मदद कर सकते हैं। शिक्षा विभाग से निवेदन है कि बच्चों को ऑनलाइन काम देना है तो उनके व्हाट्स ग्रुप बने हुए हैं उनके व्हाट्स ग्रुप से जुड़े। गौरतलब है कि पंजाब में हालात यह बन गए हैं कि धुस्सी बांध कई जगहों से टूट गया है और कई जगह रावी दरिया का पानी धुस्सी के ऊपर से होकर गांवों तक पहुंच गया है।  सीमा के पास के गांवों में हालात बद से बदतर हो गए हैं और लोगों के घरों में पानी भर गया है। गुरदासपुर और पठानकोट जिले में माधोपुर से शुरू होता यह कहर आगे रावी के पास के गांवों में बड़ा नुकसान कर रहा है। 

नवोदय स्कूल में बाढ़ से फंसे बच्चे, प्रशासन पर भड़के पैरेंट्स

चंडीगढ़  बीते कई दिनों से जारी भारी बारिश और हिमाचल एवं जम्मू-कश्मीर से होकर आने वाली नदियों के उफान पर आने से पंजाब के कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हैं। गुरदासपुर जिले में तो एक जवाहर नवोदय विद्यालय ही अचानक बाढ़ की चपेट में आ गया। पूरे परिसर में पानी भर गया और ग्राउंड फ्लोर पर बने क्लासरूम में बड़े पैमाने पर पानी भरा हुआ है। यह नवोदय विद्यालय गुरदासपुर से करीब 12 किलोमीटर दूर डाबुरी गांव में स्थित है। हालात यह हैं कि स्कूल में 400 छात्र और करीब 40 स्टाफ मेंबर्स फंसे हुए हैं। यह स्कूल गुरदासपुर से दोरांगला जाने वाली सड़क पर है। सड़कों को भी भारी नुकसान पहुंचा है और आसपास के इलाके में सैलाब आ गया है। ऐसी स्थिति में यहां पहुंचना भी मुश्किल हो रहा है। ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार बचाव कार्य में इसलिए भी देरी हो रही है क्योंकि दिनानगर संभाग में सीएम भगवंत मान जा रहे हैं। इसी संभाग में गुरदासपुर जिला आता है और फिलहाल अधिकारी उनके आयोजन में बिजी हैं। कहा जा रहा है कि इसके चलते बचाव कार्य शुरू करने में देरी हो रही है। यह स्कूल भी दिनानगर सब-डिविजन में आता है। डिप्टी कमिश्नर ही हैं स्कूल के पदेन चेयरमैन, फिर भी रेस्क्यू का इंतजार जवाहर नवोदय विद्यालय केंद्र सरकार द्वारा फंडिंग से चलने वाला सरकारी स्कूल है। गुरदासपुर के डिप्टी कमिश्नर इसके चेयरमैन के तौर पर कामकाज देखते हैं। इस मामले में प्रशासन की शिथिलता को देखते हुए बच्चों के पैरेंट्स में भी नाराजगी देखी जा रही है। एक पैरेंट ने कहा कि आखिर जब सैलाब के चलते स्थिति खराब हो रही थी तो फिर बच्चों को पहले ही क्यों नहीं भेजा गया। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन को तो तीन दिन से पता है कि बाढ़ आ रही है और स्थिति और बिगड़ सकती है। उन्होंने कहा कि जब प्रशासन ने पूरे गुरदासपुर जिले में सभी स्कूलों की तीन दिन के लिए छुट्टी कर दी है तो फिर यहां से बच्चों को घर क्यों नहीं भेजा गया। आवासीय विद्यालय होने के चलते बच्चे नहीं भेजे गए थे घर बता दें कि जवाहर नवोदय विद्यालय आवासीय स्कूल होते हैं और बच्चे यहां रहकर ही पढ़ते हैं। सूत्रों का कहना है कि स्कूल के बगल में एक नाला बहता है, जिसकी कई सालों से सफाई नहीं हुई है। इसके कारण भी पानी का बहाव बस्तियों की ओर होने लगा है। पंजाब में 1988 में भी भारी बाढ़ आई थी। कहा जा रहा है कि फिलहाल आई बाढ़ ने उस लेवल को भी पार कर लिया है।  

पंजाब बाढ़ अपडेट: हेलिकॉप्टर रेस्क्यू, 90 ट्रेनें प्रभावित, स्कूल 30 अगस्त तक बंद

अमृतसर  पंजाब में हो रही मूसलाधार बारिश और उसके कारण उत्पन्न बाढ़ जैसे हालात के चलते राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घोषणा की है कि राज्य के सभी सरकारी और निजी स्कूलों को 27 से 30 अगस्त तक बंद रखा जाएगा. यह निर्णय छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है. राज्य में बाढ़ प्रभावित सात जिलों में हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। इन जिलों के करीब 130 गांव बाढ़ की चपेट में आ गए हैं और यहां तीन से दस फीट तक पानी भर गया है। ऐसे हालात राज्य के सभी तीन बांधों रणजीत सागर, पौंग और नंगल से लगातार पानी छोड़े जाने और लगातार हो रही वर्षा के कारण बने हैं। मौसम विभाग की और से राज्य के कई जिलों में आगामी दिनों में भारी वर्षा का रेड तो कही येलो अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग विज्ञान चंडीगढ़ ने कल सुबह 8:30 बजे तक 5 जिलों पठानकोट, गुरदासपुर, बरनाला, संगरूर और मनसा में बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। उधर, 7 जिले बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। रणजीत सागर डैम और भाखड़ा डैम से लगातार पानी छोड़े जाने से रावी, सतलुज और ब्यास नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। तरनतारन और फिरोजपुर में हरिके हेडवर्क्स से छोड़े गए पानी के कारण बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। ब्यास नदी पर बने चक्की रेलवे पुल के नीचे से मिट्‌टी धंसने से पठानकोट-जालंधर रेलवे रूट बंद कर दिया गया है। इससे 90 ट्रेनें प्रभावित हुईं। कुछ को पठानकोट-अमृतसर-जालंधर रूट से रवाना किया जा रहा है। पठानकोट के कजला गांव से 6 लोग ध्रुव हेलिकॉप्टर से रेस्क्यू किए गए। रावी नदी में आई बाढ़ के कारण लोग फंस गए थे, जिन्हें NDRF लगातार बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी। बाद में सेना बुलानी पड़ी।     मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म 'X' (पूर्व में ट्विटर) पर कहा, “राज्य में पिछले कुछ दिनों से लगातार भारी बारिश हो रही है और मौसम विभाग ने आगामी दिनों में भी भारी बारिश की चेतावनी दी है. ऐसे में सभी प्राथमिक, माध्यमिक और सीनियर सेकेंडरी स्कूल 27 अगस्त से 30 अगस्त तक बंद रहेंगे.” कई ज़िलों में जलभराव, जीवन अस्त-व्यस्त भारी बारिश के कारण पंजाब के प्रमुख बांधों — भाखड़ा, पौंग और रंजीत सागर — में जलस्तर खतरे के निशान तक पहुँच गया है. नतीजतन, सतलुज, व्यास और रावी नदियों में हजारों क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जिससे पठानकोट, कपूरथला, मोगा, तरनतारन, फाजिल्का, फिरोज़पुर, अमृतसर और होशियारपुर जैसे ज़िले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं. मुख्यमंत्री ने किया ट्वीट (X (पूर्व में ट्विटर)) सैकड़ों गांवों में पानी भर चुका है, फसलें डूब गई हैं और सड़कों पर आवाजाही ठप हो गई है. कई जगहों पर स्कूल भवनों में भी पानी भर गया है, जिससे विद्यार्थियों के लिए स्कूल पहुँचना मुश्किल हो गया है. सरकार ने गिरदावरी और मुआवज़े की प्रक्रिया शुरू की मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि बाढ़ से प्रभावित इलाकों में विशेष गिरदावरी कराई जाएगी, जिसके अंतर्गत किसानों और आम नागरिकों को हुई फसल और संपत्ति की क्षति का आकलन कर मुआवज़ा दिया जाएगा. प्रशासन हाई अलर्ट पर राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA), एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें राहत एवं बचाव कार्य में जुटी हुई हैं. वहीं, भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अगले कुछ दिनों में और बारिश की चेतावनी दी है, जिससे राज्य सरकार और प्रशासन पूरी तरह सतर्क है. भारी बारिश ने पंजाब में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. ऐसे में स्कूल बंद करने का निर्णय आवश्यक और समयानुकूल प्रतीत होता है, ताकि छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके. बारिश से जुड़े बड़े अपडेट्स..     सतलुज का जलस्तर बढ़ गया है। फिरोजपुर के कई गांवों से लोगों ने पलायन शुरू कर दिया है।     रणजीत सागर डैम से छोड़े गए पानी की वजह से रावी उफान पर है, जिससे पठानकोट व गुरदासपुर में हालात बिगड़ गए।     गुरदासपुर में मकोड़ा पत्तन के 7 गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट गया। प्रशासन ने गुरदासपुर के लिए स्पेशल हेल्पलाइन नंबर जारी किए।     सुल्तानपुर लोधी में धुसी बांध टूट गया। पिछले 11 घंटों से किसान उस बांध को टूटने से बचाने में लगे थे।     बाढ़ जैसी स्थिति को देखते हुए शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने मोगा में 31 अगस्त को होने वाली रैली को स्थगित कर दिया है।     अमृतसर में तीन मंजिला तीन इमारतें एक साथ गिर गईं। बिल्डिंग लंबे समय से खाली थी। जिसके चलते जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है।     होशियारपुर के भंगी चो में पानी चढ़ गया है। लोगों को हिदायत है कि उसे पार करने की कोशिश ना करें।     बरनाला धनौली में नाले का किनारा टूटने से खेतों में पानी आ गया है। इससे आस-पास के गांवों में खतरा मंडराने लगा है।

करतारपुर साहिब पर आफत: रावी नदी के उफान से बाढ़ का खतरा

पंजाब  सागर बांध से रावी नदी में अत्यधिक पानी छोड़े जाने के कारण बाढ़ आ गई है। इस बाढ़ से करतारपुर साहिब गुरुद्वारा परिसर में पानी भर गया है। यह गुरुद्वारा सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी का अंतिम विश्राम स्थल है। गुरुद्वारे में 5 से 7 फीट तक पानी भर गया है, लेकिन गुरु ग्रंथ साहिब सुरक्षित हैं। भारत-पाकिस्तान सीमा के पास स्थित यह गुरुद्वारा, करतारपुर कॉरिडोर खुलने के बाद पहली बार बाढ़ से प्रभावित हुआ है। कॉरिडोर वर्तमान में भारत की ओर से बंद है। लंगर हॉल, परिक्रमा, सरोवर और सराय में पानी जानकारी के मुताबिक, रावी नदी का जल स्तर बढ़ने से गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के लंगर हॉल, परिक्रमा, सरोवर और सराय में पानी भर गया है। गुरु ग्रंथ साहिब को दूसरी मंजिल पर सुरक्षित रखा गया है, और अन्य धार्मिक पुस्तकें भी सुरक्षित हैं। बाढ़ के कारण जीरो लाइन क्षेत्र भी पानी में डूब गया है। रावी नदी का पानी धुसी बांध के ऊपर से बह रहा है, जिससे आसपास के खेतों में पानी भर गया है। बांध में एक दरार भी आ गई है, जिससे डेरा बाबा नानक शहर में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। गौरतलब है कि गुरुद्वारा भारत-पाकिस्तान सीमा से 4 किलोमीटर दूर है। 2023 में भी डूबी थी जीरो लाइन उल्लेखनीय है कि जुलाई 2023 में रावी नदी में बाढ़ आई थी, जब जीरो लाइन डूब गई थी और कॉरिडोर पांच दिनों तक बंद रहा था। हालांकि, तब स्थिति इतनी गंभीर नहीं थी। इस बार गुरुद्वारा परिसर में भी पानी भर गया है। गुरुद्वारा प्रबंधन ने बताया कि पवित्र स्वरूप गुरु ग्रंथ साहिब शुरू से ही गुरुद्वारे की दूसरी मंजिल पर सम्मानपूर्वक स्थापित है, इसलिए यह पूरी तरह सुरक्षित है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद कॉरिडोर बंद बता दें कि करतारपुर कॉरिडोर को गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती पर नवंबर 2019 में खोला गया था। इसका उद्देश्य भारतीय श्रद्धालुओं को बिना वीजा के गुरुद्वारा दर्शन की सुविधा प्रदान करना था। इसे 'दक्षिण एशिया में शांति का गलियारा' भी कहा जाता है। यह कॉरिडोर पाकिस्तान के गुरुद्वारे को पंजाब के डेरा बाबा नानक से जोड़ता है। इस कॉरिडोर से तीर्थयात्रियों का आखिरी जत्था 7 मई को गया था। जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया, जिसके बाद कॉरिडोर को बंद कर दिया गया।  

रजिस्ट्री कराने वालों को लगेगा झटका, पंजाब में देना होगा 10,000 रुपए

जालंधर  पंजाब सरकार ने जनता की सहूलियत और तहसीलों में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने की कवायद के तहत पूरे राज्य में इजी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी लागू की थी। शुरूआत में इसे पारदर्शी और सरल व्यवस्था बता कर पेश किया गया था ताकि संपत्ति रजिस्ट्रेशन में आम नागरिकों को राहत मिल सके। लेकिन समय के साथ पॉलिसी में लगातार हो रहे बदलावों ने आमजन के साथ-साथ डीड राइटरों को भी परेशान कर दिया है। सरकार ने अब नया आदेश जारी करते हुए कहा है कि यदि कोई व्यक्ति आपात स्थिति में अपनी प्री-स्क्रूटनी तुरंत करवाना चाहता है तो उसे 10,000 रुपए का तत्काल शुल्क देना होगा। यह ‘शार्टकट’ के रास्ते वाला शुल्क पंजाब के सभी सब-रजिस्ट्रार और तहसीलदार कार्यालयों में एक समान रहेगा। यानी यदि किसी को अचानक लेन-देन करना है या किसी पारिवारिक/कानूनी आपात स्थिति में रजिस्ट्री तुरंत पूरी करनी है तो अब उसके पास 10 हजार रुपए देने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहेगा। जनता का सवाल: सहूलियत या मजबूरी का फायदा? सरकार के इस नए फरमान ने आम लोगों में असंतोष की लहर पैदा कर दी है। लोग खुले तौर पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह कदम सहूलियत देने के लिए उठाया गया है या फिर जनता की मजबूरी का फायदा उठाने का तरीका है? प्रॉपर्टी कारोबारी जसविंदर सिंह का कहना है कि "सरकार ने भ्रष्टाचार खत्म करने और लोगों को राहत देने के नाम पर इजी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी लागू की थी। लेकिन अब 10 हज़ार रुपए का आपात शुल्क लगाकर उन्हीं लोगों की जेब पर बोझ डाला जा रहा है। यह सहूलियत नहीं, मजबूरी का फायदा उठाना है।" जिला कांग्रेस के उपप्रधान दीपक मोदी ने कहा कि "हर किसी के पास इतनी बड़ी रकम तुरंत देने की क्षमता नहीं होती। सरकार को गरीब और मध्यमवर्गीय लोगों के लिए राहत का रास्ता निकालना चाहिए, न कि उन्हें और मुश्किलों में धकेलना चाहिए।"   पंजाब सरकार ने नया आदेश जारी करते हुए सभी सब-रजिस्ट्रार और तहसीलदार कार्यालयों में नोटिस बोर्ड लगाने को कहा है, जिन पर रजिस्ट्री संबंधी जानकारी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की जाएगी। इन नोटिस बोर्डों पर अब नागरिक उप-पंजीयक कार्यालय में स्थापित सुविधा केंद्र से मात्र 550 रुपए शुल्क देकर अपनी रजिस्ट्री लिखवा सकते हैं। इसके लिए सरकार द्वारा नियुक्त वकील और सेवानिवृत्त पटवारी/कानूनगो दस्तावेज़ तैयार करेंगे। दस्तावेज़ लिखने के बाद उन्हें पूर्व-जांच (प्री-स्क्रूटनी) के लिए उप-पंजीयक के पास भेजा जाएगा। इस चरण में किसी स्टाम्प पेपर या सरकारी शुल्क की आवश्यकता नहीं होगी और पक्षकारों को तहसील भी नहीं आना पड़ेगा। पूर्व-जांच एफ.आई.एफ.ओ. (फीफो) सिद्धांत के आधार पर की जाएगी। सही पाए गए मामलों की सूचना संबंधित पक्षकारों को शाम 7 बजे व्हाट्सएप पर भेज दी जाएगी। इसके बाद नागरिक ऑनलाइन शुल्क जमा कर रजिस्ट्री के लिए अप्वाइंटमैंट ले सकते हैं। रजिस्ट्री के दिन सभी पक्षकारों को पहचान पत्र और दस्तावेजों के साथ समय पर उप-पंजीयक कार्यालय पहुंचना अनिवार्य लिखा होगा। पॉलिसी का उद्देश्य और हकीकत इजी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी का उद्देश्य तहसीलों और सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों में फैले भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका को खत्म करना था। वर्षों से यह शिकायतें मिलती रही थीं कि लोग अपने दस्तावेज़ समय पर तैयार कराने के लिए मजबूरी में अतिरिक्त पैसे खर्च करते हैं। हालांकि सरकार ने तकनीकी व्यवस्था और ऑनलाइन सिस्टम लागू कर इस प्रक्रिया को आधुनिक बनाने की कोशिश की, लेकिन बार-बार होने वाले बदलावों से लोग और अधिक परेशान होते जा रहे हैं। इजी रजिस्ट्रेशन ने उल्टा बढ़ाई उलझनें : एडवोकेट अनूप गौतम वहीं इजी रजिस्ट्रेशन पॉलिसी को लेकर सीनियर एडवोकेट अनूप गौतम ने सरकार पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि इस पॉलिसी का उद्देश्य भ्रष्टाचार खत्म करना और जनता को सहूलियत देना था, लेकिन लगातार बदलावों ने प्रक्रिया को आसान बनाने के बजाय और अधिक उलझा दिया है। एडवोकेट गौतम ने कहा कि सरकार को चाहिए कि पॉलिसी में स्थिरता लाई जाए और जनता को राहत देने वाले प्रावधान शामिल किए जाएं। आपात स्थिति में 10,000 रुपए का शुल्क लगाना मजबूर लोगों के साथ अन्याय है और यह उनकी मजबूरी का फायदा उठाने जैसा है। उन्होंने सुझाव दिया कि जिस तरह नागरिक सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में बने सुविधा केंद्र से केवल 550 रुपए शुल्क देकर रजिस्ट्री लिखवा सकते हैं, उसी तर्ज पर आपात प्री-स्क्रूटनी के लिए भी शुल्क 1000 से 2000 रुपए के बीच रखा जाना चाहिए, ताकि जनता को सरकार के “रैवेन्यू चाबुक” से राहत मिल सके।

पूर्व मंत्री पर कार्रवाई की संभावना, पंजाब में जारी नोटिस

चंडीगढ़ पंजाब की सियासत में एक बार फिर हलचल देखने को मिली है। दरअसल, राज्य सरकार ने पूर्व मंत्री भारत भूषण आशू के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका पर आशू को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। इस कदम से एक बार फिर आशू के खिलाफ चर्चाएं तेज हो गई हैं क्योंकि हाईकोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में उनके खिलाफ दर्ज की गई एफ.आई.आर. को रद्द कर दिया था। इस एफ.आई.आर. में 2 जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक अधिकारी और एक ठेकेदार भी सह-आरोपी बनाए गए थे। सरकार का दावा है कि 2020-21 की पंजाब फूडग्रेन लेबर एंड कार्टेज पॉलिसी में मनमाने तरीके से संशोधन कर पसंदीदा ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया और रिश्वत लेकर टेंडर बांटे गए। वहीं, हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि नीति संशोधन को पहले ही डिवीजन बेंच द्वारा सही माना जा चुका है और ठेकों को कैबिनेट और वित्त विभाग की मंज़ूरी भी प्राप्त थी। इसलिए केवल मंत्री को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले के नए पहलू सामने आने की उम्मीद है, जो न सिर्फ़ आशू की राजनीतिक साख बल्कि सरकार की भ्रष्टाचार विरोधी दावेदारी के लिए भी बड़ी कसौटी साबित हो सकता है।  

चार्ज संभालते ही विवादों में फंसे जालंधर के नए कमिश्नर, यूनियन ने दी कड़ी चेतावनी

जालंधर  नगर निगम के नए कमिश्नर संदीप ऋषि के कार्यभार संभालते ही निगम परिसर में हंगामा खड़ा हो गया। जहां निगम प्रशासन नई उम्मीदों के साथ कमिश्नर का स्वागत कर रहा था, वहीं यूनियन नेताओं ने नाराजगी का बिगुल बजा दिया। कमिश्नर के चार्ज लेने के कुछ ही देर के भीतर निगम यूनियन ने जोरदार धरना-प्रदर्शन करते हुए हड़ताल की चेतावनी दी है। यूनियन के प्रधान बंटू सभ्रवाल के नेतृत्व में सैंकड़ों कर्मचारी नारेबाजी करते हुए मैदान में उतर आए। उनका आरोप था कि निगम प्रशासन ने मनमानी करते हुए आऊटसोर्स कर्मचारी किशन लाल को पक्का कर दिया है, जबकि सैकड़ों कर्मचारी वर्षों से पक्की नौकरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यूनियन नेताओं ने कहा कि जिस कर्मचारी को स्थायी किया गया है, वह वास्तव में माली है ही नहीं। वह ड्राइवर है और पौधों या बागबानी की जानकारी तक नहीं रखता। इसके बावजूद उसे पक्का कर दिया गया। यूनियन का कहना है कि यह फैसला दूसरे कर्मचारियों के साथ पक्षपात है, जिसे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। धरने के दौरान कर्मचारियों ने सरकार और निगम प्रशासन दोनों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। माहौल इतना गर्मा गया कि यूनियन नेताओं ने चेतावनी दे डाली कि अगर जल्द समाधान नहीं निकला तो निगम का पूरा कामकाज ठप्प कर देंगे। धरने में ड्राइवर एंड टैक्निकल यूनियन के प्रधान शम्मी लूथर, रिंपी कल्याण, राजन कल्याण, बाबा राज किशोर, मनदीप सिंह, गौरव, बैनी और हतेश नाहर समेत दर्जनों कर्मचारी शामिल हुए। पहले ही दिन नए कमिश्नर के सामने खड़ा हुआ यह विवाद दिनभर चर्चा का विषय रहा। यदि यूनियन अपनी चेतावनी पर हड़ताल करती है तो आने वाले दिनों में शहरवासियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सैकड़ों कर्मचारियों का भविष्य दाव पर : यूनियन यूनियन नेताओं ने कहा कि निगम में इस समय लगभग 59 माली, 64 फिट्टर, 50 ड्राइवर और 20 जे.सी.बी. मशीन ऑपरेटर आऊटसोर्स पर काम कर रहे हैं। उन्होंने मांग रखते हुए कहा कि कर्मचारियों को एक समान नियम के तहत पक्का किया जाए। अगर एक को फायदा मिल सकता है तो बाकी सबको क्यों नहीं? यूनियन नेताओं ने सवाल उठाते कहा कि इससे बाकि कर्मचारियों का भविष्य दाव पर लगा दिया गया है। मेयर से मुलाकात के बाद धरना खत्म किया यूनियन प्रतिनिधिमंडल ने मेयर वनीत धीर से मुलाकात की। मेयर ने समस्या का समाधान निकालने के लिए कुछ समय मांगा। लेकिन कर्मचारियों ने दो टूक कहा कि अगर जल्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी जाएगी। यूनियन प्रधान बंटू सभ्रवाल ने कहा वह अब और इंतजार नहीं करेंगे। सभी आऊटसोर्स कर्मचारियों को तुरंत स्थायी किया जाए और उन्हें नियुक्ति पत्र दिए जाएं। अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती तो नगर निगम का एक-एक काम बंद कर देंगे। मेयर से मुलाकात के बाद यूनियन ने धरना प्रदर्शन फिलहाल खत्म कर दिया, अब देखना होगा कि आगे क्या होता है?

पूर्व मंत्री के घर Raid: CM मान ने केंद्र सरकार को घेरा, लगाया साजिश का आरोप

चंडीगढ़  दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज के घर आज सुबह ईडी द्वारा की गई छापेमारी को लेकर राजनीति गरमा गई है। अब पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने इस मामले में केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह छापेमारी प्रधानमंत्री मोदी के फर्जी डिग्री मामले से ध्यान भटकाने के लिए की गई है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने ट्वीट किया, "आज सौरभ भारद्वाज के घर छापेमारी की गई, क्योंकि कल से पूरे देश में मोदी जी की डिग्री को लेकर चर्चा चल रही है कि मोदी जी की डिग्री फर्जी है। यह छापेमारी सिर्फ इस मामले से ध्यान भटकाने के लिए की गई है।" उन्होंने आगे लिखा, "सतेंद्र जैन जी को भी एक झूठे मामले में तीन साल तक जेल में रखा गया, और बाद में सीबीआई और ईडी ने अदालत में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। इससे यह स्पष्ट होता है कि आम आदमी पार्टी के नेताओं के खिलाफ दर्ज सभी मामले फर्जी और झूठे हैं।"