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दुबई की सड़कों पर AI की सख्ती, ट्रैफिक उल्लंघन पर तुरंत एक्शन

दुबई  एआई यानी कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI – Artificial Intelligence) का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है। दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग अलग-अलग काम के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। अब एक शहर में एआई का इस्तेमाल बिल्कुल ही हटके काम के लिए किया जाने वाला है। पढ़कर मन में सवाल आना स्वाभाविक है कि कहाँ और कैसे होगा यह? आइए जानते हैं। दुबई में अब एआई रखेगा ट्रैफिक पर नज़र संयुक्त अरब अमीरात – यूएई के शहर दुबई में एआई का इस्तेमाल ट्रैफिक पर नज़र रखने के लिए किया जाएगा। दुबई में सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली को एक नए स्तर पर ले जाने के लिए एआई से चलने वाले इंटेलिजेंट ट्रैफिक सिस्टम की शुरुआत की गई है। दुबई पुलिस ने ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए AI का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. दुबई की सड़कें अब अत्याधुनिक रडार तकनीक से लैस हैं, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से छह अलग-अलग ट्रैफ़िक उल्लंघनों का पता लगाने में सक्षम हैं. KTC इंटरनेशनल नामक कंपनी ने इन रडार को बनाया है. इसकी मदद से ट्रैफिक कानूनों का सख्ती से पालन कराया जा सकेगा और सड़क सुरक्षा में सुधार होगा. KTC इंटरनेशनल के CO इयाद अल बरकावी के मुताबिक ये रडार ड्राइव करते हुए मोबाइल फोन का उपयोग करना, अचानक लेन बदलना, सीट बेल्ट न पहनना, अनुचित लेन अनुशासन और विंडशील्ड पर अवैध रंग चढ़ाना जैसे उल्लंघनों की पहचान कर सकता है. शोर करने वाले वाहनों पर लगेगी लगाम रडार के साथ एक दूसरी AI तकनीक का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है, जो व्हीकल के ज्यादा शोर का पता लगाना में सक्षम है, जिससे रडार की क्षमता और बढ़ गई है. अल बरकावी ने कहा, AI-संचालित रडार सटीकता के साथ उल्लंघनों की पहचान करता है, उदाहरण के लिए ये कम रोशनी में भी कपड़ों और सीट बेल्ट के बीच अंतर कर सकता है. कई तरह के उल्लंघनों पर लगेगी लगाम इसके अलावा ये रडार लेन डिसिप्लिन, डिस्ट्रेक्ट ड्राइविंग जैसे फोन चलाना, विंडो टिंटिंग के साथ-साथ फुटपाथ पर चलने वाले लोगों की सुरक्षा का भी ख्याल रखेगा. जिसमें पैदल यात्रियों के लिए क्रॉसिंग पर वाहनों की निगरानी करना शामिल है. दुबई के शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर की तारीफ करते हुए, अल बरकावी ने कहा कि रडार का डिज़ाइन अमीरात के उन्नत सड़क नेटवर्क को और बेहतर करता है. उन्होंने कहा, “10 लेन तक के राजमार्गों के साथ ये सिस्टम व्यवस्था बनाए रखने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं.” प्रभावी के साथ पॉर्टेबल भी यह रडार प्रभावी होने के साथ-साथ पॉर्टेबल भी है. इसे आसानी से बैरियर पर लगाया जा सकता है और पुलिस की जरूरत के हिसाब से कही भी ले जाया जा सकता है, जो ट्रैफिक कंट्रोल की बदलती जरूरतों के अनुकूल है. इस रडार को चार महीने के परीक्षण के बाद सड़कों पर तैनात किया है, कंपनी का दावा है कि ये सटीकता से उल्लंघनों का पता लगाता है. ये तो वक्त बताया कि ये दुबई के लिए कितना कारगर साबित होता है, अगर सब ही रहा तो ये दुनिया के अलग-अलग देशों में भी डिप्लॉय किया जा सकता है.

टेक और सुरक्षा पर जोर: भारत-कनाडा ने किए अहम समझौते

नई दिल्ली भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनकी कनाडाई समकक्ष अनीता आनंद ने सोमवार को नई दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक की। भारत-कनाडा की साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए दोनों नेताओं ने आवश्यक तंत्रों को 'पुनर्स्थापित और पुनर्जीवित' करने पर चर्चा की। इसके साथ ही एक महत्वाकांक्षी सहयोग रोडमैप पर सहमति जताई। भारत-कनाडा की ओर से जारी किए गए संयुक्त बयान में, विदेश मंत्री एस जयशंकर और अनीता आनंद ने सहयोग करने, सूचना और विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करने और विभिन्न क्षेत्रों में अपनी-अपनी जलवायु महत्वाकांक्षाओं का समर्थन करने पर सहमति जताई। इसके तहत नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, भारी उद्योगों का कार्बन-मुक्तिकरण, प्लास्टिक प्रदूषण में कमी, रसायनों के सुदृढ़ प्रबंधन का समर्थन और सतत उपभोग सुनिश्चित करना शामिल है। इसके अलावा, दोनों देशों ने एआई और डिजिटल अवसंरचना सहित विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में नए आयाम खोलने के लिए सहयोग बढ़ाने पर हामी भरी है। संयुक्त बयान में कहा गया है, "लोगों के बीच संबंध, आपसी समझ को बढ़ावा देने और दीर्घकालिक सहयोग के निर्माण के लिए, दोनों पक्ष शिक्षा, पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और व्यावसायिक गतिशीलता में सहयोग को मजबूत करने पर सहमत हुए। उभरती प्रौद्योगिकियों (जैसे एआई, साइबर सुरक्षा और फिनटेक) में अनुसंधान साझेदारी पर जोर दिया जाएगा और विदेशी परिसरों के माध्यम से भारत में कनाडाई शैक्षणिक उपस्थिति का विस्तार किया जाएगा। इसमें कनाडा-भारत शैक्षणिक नेटवर्क और संस्थागत संबंधों को विस्तारित करने के लिए उच्च शिक्षा पर संयुक्त कार्य समूह को पुनर्जीवित करना भी शामिल है।" दोनों नेताओं ने वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया, जिसके तहत अधिक प्रभावी और समावेशी बहुपक्षीय संस्थाओं को सुनिश्चित करने के लिए काम किया जाएगा। दोनों पक्षों के बीच बातचीत के बाद, जयशंकर ने कहा कि उन्होंने और अनीता आनंद ने वैश्विक घटनाक्रमों और साझा चुनौतियों के प्रति अपनी प्रतिक्रियाओं पर चर्चा की। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, "आज नई दिल्ली में कनाडा की विदेश मंत्री अनीता आनंद का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हुई। हमारी साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक तंत्रों को पुनर्स्थापित और पुनर्जीवित करने हेतु रचनात्मक चर्चा हुई। वैश्विक घटनाक्रमों और साझा चुनौतियों के प्रति हमारी प्रतिक्रियाओं पर भी विचारों का आदान-प्रदान हुआ। हम एक महत्वाकांक्षी सहयोग रोडमैप पर भी सहमत हुए और अपने सहयोग के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया का नेतृत्व करने पर सहमत हुए ताकि यह हमारे नेताओं की अपेक्षाओं और हमारे लोगों के हितों को पूरा कर सके।"

वॉर हीरो जिसने AI से दुश्मनों के सीक्रेट कोड किए हैं क्रैक

आजकल AI की जरूरत हर किसी को पड़ने लगी है। कुछ लोग तो दिनभर में जितना सर्च इंजन नहीं खोलते, उससे अधिक बार AI यूज करने लगे हैं। जब लोग स्मार्टफोन पर चैटबॉट से बात करते हैं या AI से तस्वीरें बनवाते हैं, तो लगता है कि यह तकनीक नई है। लेकिन क्या आप जानते हैं, AI की जड़ें दूसरे विश्व युद्ध तक जाती हैं? यह कहानी उस समय की है, जब एक जटिल कोड ने दुनिया को हिला दिया था और एक शख्स ने उस कोड को तोड़कर AI की नींव रखी। कहानी एनिग्मा कोड और एलन ट्यूरिंग की, जिन्‍होंने आज के AI को जन्म दिया। सीक्रेट कोड नहीं टूटा ​गार्जियन की रिपोर्ट बताती है कि दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी ने एनिग्मा नाम की मशीन बनाई थी। यह दिखने में टाइपराइटर जैसी थी। जब कोई अक्षर दबाया जाता, यह मशीन उसे अलग-अलग कोड में बदल देती थी। हर 24 घंटे में इसकी सेटिंग बदल दी जाती थी। इतने सारे कोड थे कि इन्हें समझ पाना बाकी लोगों के लिए नामुमकिन था। जर्मन सेना इसका इस्तेमाल सीक्रेट मैसेज भेजने के लिए करती थी, दुश्मन को इसका मतलब समझने में सालों लग जाते। एलन ट्यूरिंग ने तोड़ दिखाया कोड तब बात उठी कि एलन ट्यूरिंग इसके कोड ब्रेक कर सकते हैं। ट्यूरिंग के महान गणितज्ञ और कोडब्रेकर थे। ट्यूरिंग ने 'बम' नाम की मशीन बनाई, जो एक तरह का शुरुआती कंप्यूटर था। यह मशीन लाखों कोड की जांच करती थी। 1943 तक यह हर मिनट दो मैसेज को डिकोड करने लगी। ट्यूरिंग ने एनिग्मा की कमजोरियों का फायदा उठाया। उनकी इस मेहनत ने दूसरे वर्ल्ड वॉर को दो साल पहले खत्म किया। इस वाकये से पहले मशीन सिर्फ काम करती थी, पहली बार मशीन ने सोचने का काम शुरू किया। इसके बाद साल 1956 में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान इसे 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' यानी 'AI' नाम दिया गया। इंटरनेट के आने के बाद AI तेजी से आगे बढ़ा, फिर जो तकनीक सोचने का काम करती थी, उसे AI कहा जाने लगा। ट्यूरिंग न होते तो AI भी नहीं होता एनिग्मा को तोड़ना उस समय एक चमत्कार था। मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के डॉ. मुस्तफा कहते हैं कि युद्ध के दौरान इसे तोड़ना आसान नहीं था। ट्यूरिंग और उनकी टीम ने महीनों की मेहनत से असंभव को संभव किया। उनकी बनाई मशीनें और तकनीकें आज के AI की बुनियाद हैं। अगर एनिग्मा न टूटा होता, तो शायद युद्ध का नतीजा कुछ और होता। शायद AI की शुरुआत भी ना होती। अब तो मिनटों में टूट सकता है सीक्रेट कोड आज की तकनीक के सामने एनिग्मा कोड मिनटों में टूट जाता। ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर माइकल वूल्ड्रिज बताते हैं कि आज के कंप्यूटर और AI इतने तेज हैं कि वे बम मशीन की तुलना में हजारों गुना तेजी से कोड तोड़ सकते हैं। मसलन, चैटजीपीटी जैसा AI आसानी से 'बम' मशीन की तरह काम कर सकता है। आधुनिक डेटा सेंटर की ताकत इतनी है कि ट्यूरिंग भी हैरान रह जाते।

ताजातरीन अपडेट: Microsoft ने अचानक बंद की क्लाउड और AI सेवाएं

वॉशिंगटन दुनिया की प्रमुख टेक कंपनियों में से एक Microsoft ने इजरायल के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मच गई है। कंपनी ने इजरायल को दी जा रही क्लाउड, AI और तकनीकी सेवाएं तत्काल प्रभाव से बंद कर दी हैं। Microsoft के प्रेसिडेंट और वाइस चेयरमैन ब्रैड स्मिथ ने इस फैसले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह निर्णय जासूसी के गंभीर आरोपों और जांच रिपोर्टों के आधार पर लिया गया है, जिनमें Microsoft की सेवाओं के दुरुपयोग की बात सामने आई है। क्या है पूरा मामला? ब्रिटिश अखबार The Guardian और इजरायली पब्लिकेशन +972 Magazine द्वारा अगस्त 2025 में की गई एक संयुक्त जांच में खुलासा हुआ था कि इजरायली सुरक्षा एजेंसियां गाज़ा पट्टी और वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनियों की व्यापक निगरानी कर रही हैं, और इसके लिए वे Microsoft की Azure Cloud Services का उपयोग कर रही थीं। Microsoft ने शुरुआती तौर पर इन आरोपों को खारिज किया, लेकिन बाद में आंतरिक जांच में कुछ तथ्यों की पुष्टि होने पर यह बड़ा कदम उठाया गया। कंपनी ने साफ किया कि वह किसी भी देश को अपनी सेवाओं का उपयोग निगरानी या जासूसी के लिए नहीं करने देती, और अगर ऐसा होता है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाती है। किन सेवाओं पर लगी रोक? Microsoft ने इजरायली मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस (IMOD) को भेजे नोटिफिकेशन में स्पष्ट किया है कि उनके साथ की गई सभी तकनीकी साझेदारियां अब समाप्त की जा रही हैं। इसमें शामिल हैं: -Azure Cloud Platform -AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) टूल्स -क्लाउड स्टोरेज सेवाएं -टेक्निकल सब्सक्रिप्शन और API एक्सेस -इन सेवाओं को तुरंत प्रभाव से बंद कर दिया गया है, और इजरायल को इसकी जानकारी औपचारिक रूप से भेज दी गई है। जांच में क्या सामने आया? संयुक्त रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि इजरायली सेना और खुफिया एजेंसियां Microsoft की क्लाउड टेक्नोलॉजी का प्रयोग फिलिस्तीनी नागरिकों की जासूसी, पहचान और मूवमेंट ट्रैकिंग के लिए कर रही हैं। रिपोर्ट में इस बात के प्रमाण भी दिए गए कि Azure प्लेटफॉर्म पर डेटा एनालिटिक्स और AI आधारित टूल्स के जरिए फिलिस्तीनियों की निजी जानकारी इकट्ठा की जा रही थी। Microsoft ने अपनी ओर से इन आरोपों की स्वतंत्र जांच करवाई, और जब कुछ तथ्यों की पुष्टि हुई, तो कंपनी ने यह निर्णय लिया। Microsoft का आधिकारिक बयान ब्रैड स्मिथ ने अपने ब्लॉगपोस्ट में लिखा: "Microsoft किसी भी हालत में अपनी टेक्नोलॉजी का उपयोग निगरानी या मानवाधिकार हनन जैसे उद्देश्यों के लिए नहीं होने देगा। हमने इजरायली रक्षा मंत्रालय को सूचित कर दिया है कि हमारी सेवाएं, जिनमें AI और क्लाउड स्टोरेज शामिल हैं, तत्काल प्रभाव से बंद की जा रही हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम कंपनी की नीति के अनुसार लिया गया है, ताकि विश्व स्तर पर उसकी नैतिक और पारदर्शी छवि बनी रहे। AI के दुरुपयोग को लेकर चिंता इस प्रकरण ने वैश्विक स्तर पर AI और क्लाउड टेक्नोलॉजी के उपयोग को लेकर एक नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या बड़ी टेक कंपनियों को इस बात की जिम्मेदारी लेनी चाहिए कि उनकी सेवाओं का प्रयोग कैसे और कहां किया जा रहा है? Microsoft ने इस घटना को एक उदाहरण बनाते हुए यह साफ कर दिया है कि यदि कोई सरकार या संस्था उनके प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग करती है, तो कंपनी चुप नहीं बैठेगी। इजरायल की प्रतिक्रिया का इंतजार फिलहाल इजरायल की ओर से इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, लेकिन माना जा रहा है कि Microsoft के इस निर्णय से इजरायली रक्षा और साइबर इन्फ्रास्ट्रक्चर पर असर पड़ सकता है।  

भारतीय आईटी सेक्टर को एआई से मिलेगी रफ्तार, राजस्व में 6% तक की बढ़ोतरी का अनुमान

नई दिल्ली भारतीय आईटी सर्विस कंपनियों के राजस्व में वित्त वर्ष 27 में 5-6 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसका मतलब है कि कार्य की मात्रा में 8-10 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। यह जानकारी बुधवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई। एचएसबीसी ग्लोबल इन्वेस्टमेंट रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की आईटी कंपनियां अमेरिका की मजबूत व्यापक आर्थिक पृष्ठभूमि से लाभान्वित होने के लिए तैयार हैं, क्योंकि उनके टॉप अमेरिकी क्लाइंट्स ने कई वर्षों में अपनी सबसे मजबूत तिमाहियों में से एक दर्ज की है। रिसर्च फर्म के विश्लेषकों को उम्मीद है कि यह गति कॉर्पोरेट विश्वास को बढ़ाएगी और 2025 तक उच्च टेक्नोलॉजी खर्च को बढ़ावा देगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई एजेंट मल्टी-एजेंट सिस्टम में विकसित हो रहे हैं, जिससे एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर और इंफ्रास्ट्रक्चर के रिडिजाइन को बढ़ावा मिल रहा है। यह बदलाव भारतीय आईटी फर्मों के लिए नए अवसर पैदा कर सकता है। इसके अलावा, रिपोर्ट में उद्योग के अनुमानों का हवाला दिया गया है, जो बताते हैं कि कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू होने पर अगले तीन से चार वर्षों में एआई आईटी सेवाओं के मूल्य को 8-10 प्रतिशत तक कम कर सकता है, जिसका मतलब है कि 2025-27 में इसका वार्षिक प्रभाव 3-4 प्रतिशत तक हो सकता है। हालांकि, भारतीय आईटी कंपनियों ने कहा कि उन्होंने अब तक ग्राहकों से प्राप्त परियोजनाओं की संख्या बढ़ाकर इसकी भरपाई की है और इसलिए कुल राजस्व में वृद्धि जारी है। एचएसबीसी ने कहा, "हमारा मानना ​​है कि 2026 में इस अपस्फीतिकारी प्रभाव और व्यापक अनुकूल परिस्थितियों के बीच खींचतान होगी।" कंपनी ने एजेंटिक एआई या एडवांस्ड मल्टी-एजेंट सिस्टम पर चिंताओं को खारिज कर दिया, जो संभावित रूप से सॉफ्टवेयर उद्योग को खत्म कर सकते हैं और लंबी अवधि में आईटी सर्विस को प्रभावित कर सकते हैं। भारत की सबसे बड़ी आईटी सर्विस कंपनी, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) ने अगस्त में अपने लगभग 80 प्रतिशत कर्मचारियों के वेतन संशोधन की घोषणा की। यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब कंपनी 2025 में लगभग 12,000 कर्मचारियों, यानी अपने वर्कफोर्स के 2 प्रतिशत की छंटनी करने की तैयारी कर रही है।

AI क्रांति या तबाही? विशेषज्ञ बोले– आने वाले 5 सालों में 80 फीसदी नौकरियां जाएंगी

 नई दिल्ली दशकों पहले कंप्यूटर के आने पर जैसी हलचल मची थी, वैसी ही स्थिति अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर देखी जा रही है। कोई इसे लेकर आशंकित है कि नौकरियां चली जाएंगी तो कुछ लोगों को लगता है कि इससे तमाम काम आसान और पारदर्शी होंगे। इस बीच भारतीय अमेरिकी निवेशक विनोद खोसला ने बड़ा अनुमान जाहिर किया है। उनका कहना है कि अगले 5 सालों में 80 फीसदी नौकरियां खत्म हो जाएंगी। निखिल कामथ के साथ पॉडकास्ट में विनोद खोसला ने कहा इन नौकरियों में लगे लोगों का काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से होने लगेगा। यही नहीं उन्होंने छात्रों को भी जागरूक करते हुए कहा कि भविष्य के छात्रों को स्पेशलिस्ट बनने की बजाय जनरलिस्ट बनना होगा यानी उन्हें तमाम चीजों की जानकारी रखनी होगी। विनोद खोसला ने उम्मीद भरी एक बात भी की। उन्होंने कहा कि भले ही मौजूदा तमाम नौकरियां चली जाएंगी, लेकिन यह भी ध्यान देने की बात है कि कुछ अवसर भी इससे पैदा होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे अवसर भी पैदा होंगे, जिनके बारे में आज हम सोच भी नहीं सकते। उन्होंने कहा कि ऐसी बहुत सी शानदार नौकरियां हैं, जिन्हें इंसान कर रहे हैं। उन कामों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से किया जाएगा। ऐसी करीब 80 पर्सेंट नौकरियां होंगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2040 तक बहुत सी चीजें बदल जाएंगी। उन्होंने कहा कि हालात ऐसे होंगे कि कई काम तो खत्म ही हो जाएंगे। यदि कोई उन्हें करना चाहेगा तो वह उनका शौक होगा, लेकिन जरूरत नहीं होगी। विनोद खोसला का यह अनुमान ऐसे समय में आया है, जब दिग्गज टेक कंपनियों में छटनी का दौर है। इन कंपनियों का कहना है कि वे वर्कफोर्स का पुनर्गठन कर रही हैं, लेकिन सच्चाई यही है कि चीजें बदल रही हैं। हाल ही में देश की सबसे बड़ी टेक कंपनी कही जाने वाली टीसीएस ने 12 हजार कर्मचारियों की छटनी का ऐलान किया है। इसके अलावा नीतियों में भी कुछ बदलाव के संकेत दिए हैं, जिससे भविष्य में भी नौकरियों पर तलवार रहेगी।

निमाड़ी में पूछो, निमाड़ी में पाओ जवाब — AI बना आपकी बोली का साथी, मिलेगा स्मार्ट जवाब

 धार अब अगर आप एआई से निमाड़ी में सवाल पूछेंगे, तो जवाब भी उसी बोली में मिलेगा। यह सपना अब साकार हो रहा है। केंद्र सरकार ने देश की भाषायी विविधता को तकनीक से जोड़ने के लिए एक अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल तैयार किया है, जिसका नाम है 'भारत जेन (Bharat Jain)'। हाल ही में इसे लॉन्च किया गया है और यह मॉडल खासतौर पर भारतीय भाषाओं और स्थानीय बोलियों को समझने और उनके अनुरूप जवाब देने में सक्षम है। भारत जेन को आईआईटी मुंबई ने विकसित किया है और इसमें देश के कई प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं, जिनमें आईआईएम इंदौर (IIM Indore) भी एक प्रमुख भागीदार है। अब इस परियोजना के तहत मध्य प्रदेश की निमाड़ी बोली को एआई में शामिल करने की दिशा में काम शुरू हो गया है। यह कदम भाषायी समावेशिता की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है। भारत जेन परियोजना के सहायक प्रबंधक प्रतीक जोशी ने बताया कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि देश के दूरदराज और जनजातीय अंचलों में रहने वाले लोग भी तकनीक से जुड़ सकें, चाहे उन्हें अंग्रेज़ी या हिंदी न भी आती हो। इसके लिए भारत जेन को लोकभाषाओं और बोलियों को समझने योग्य बनाया जा रहा है, जिससे ग्रामीण आबादी भी इसका लाभ उठा सके। परियोजना की शुरुआत धार जिले के खलघाट से की गई है, जहां निमाड़ी भाषा को आधार बनाकर AI मॉडल को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इसके लिए स्थानीय साहित्यकारों, शिक्षकों, और बोलियों के जानकारों से संवाद स्थापित किया गया है। बोलचाल की शैली, मुहावरे और सांस्कृतिक संदर्भों को एआई के डेटा में शामिल किया जा रहा है, ताकि जवाब न केवल सही बल्कि संदर्भपूर्ण भी हों।