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गृह मंत्री अमित शाह ने गणेशोत्सव में लगाई हाजिरी, देखा लालबाग का राजा

मुंबई केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मुंबई दौरे पर पहुंचे हैं। उन्होंने परिवार के साथ अलग-अलग जगहों पर गणेशोत्सव में हिस्सा लिया। वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के घर गए, जहां श्री गणेश जी का दर्शन-पूजन किया। इसके बाद अमित शाह ने परिवार के साथ प्रसिद्ध लालबागचा राजा के दर्शन किए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सरकारी आवास 'वर्षा' पर गृह मंत्री अमित शाह के आगमन पर स्वागत किया। उनके साथ परिवार के अन्य सदस्य भी थे। इसके बाद अमित शाह ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के आवास पर स्थापित गणपति बप्पा की पूजा अर्चना की। मुख्यमंत्री फडणवीस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर लिखा, "हमारे नेता केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह व इनके परिवारजनों ने गणेशोत्सव के अवसर पर मुंबई स्थित मेरे सरकारी आवास 'वर्षा' पर भेंट दी, इस दौरान उनका हार्दिक स्वागत किया।" इसके बाद, अमित शाह लालबागचा राजा गणेशोत्सव मंडल गए, जहां श्री गणेश के दर्शन किए। मंडल की ओर से उनका स्वागत शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट करके किया गया। अमित शाह ने अपने बेटे जय शाह और परिवार के बाकी सदस्यों के साथ लालबागचा राजा मंडल में भगवान गणेश का दर्शन-पूजन किया। इस मौके पर सीएम देवेंद्र फडणवीस और उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समेत महाराष्ट्र सरकार के अन्य मंत्री मौजूद रहे। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने एक अन्य पोस्ट में लिखा, "हर साल की तहत इस साल भी हमारे नेता गृह अमित शाह व इनके परिवारजनों के साथ लालबाग के राजा के भक्तिमय दर्शन कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर लालबाग के बाप्पा के चरणों में जनसेवा के लिए प्रार्थना की।" उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने लिखा, "शनिवार को गणेश उत्सव के लिए मुंबई प्रवास पर आए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लालबागचा राजा गणेशोत्सव मंडल के श्री गणेश के भावपूर्ण दर्शन किए। मंडल की ओर से उनका स्वागत शॉल और स्मृति चिन्ह भेंट करके किया गया।"

महुआ मोइत्रा का बयान विवादों में, विपक्ष ने जताया कड़ा विरोध

नई दिल्ली  केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर अभद्र टिप्पणी को लेकर तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा विवादों में आ गईं हैं। भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाए हैं कि मोइत्रा ने शाह का 'सिर काटने' की बात कही है। खास बात है कि यह मामला ऐसे समय पर आया है, जब बिहार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अभद्र टिप्पणी करने का मामला तूल पकड़ रहा है। बंगाल भाजपा ने लिखा, 'जब महुआ मोइत्रा गृहमंत्री का सिर काटने की बात करती हैं, तो ये टीएमसी की निराशा और हिंसा की संस्कृति को उजागर करता है, जो बंगाल की छवि खराब कर रही है और राज्य को पीछे ले जा रही है।' पार्टी ने एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें मोइत्रा पत्रकारों से बातचीत करती नजर आ रहीं हैं। पीएम मोदी को अपशब्द कहने वाला गिरफ्तार पीटीआई भाषा के अनुसार, बिहार पुलिस ने राज्य में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कथित तौर पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। आरोपी की पहचान मोहम्मद रिजवी उर्फ ​​रजा (20) के रूप में हुई है, जिसे दरभंगा शहर के सिंहवाड़ा इलाके से गिरफ्तार किया गया। भारतीय जनता पार्टी की दरभंगा जिला इकाई के अध्यक्ष आदित्य नारायण चौधरी की शिकायत के आधार पर उसके और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।  

पीएम-सीएम हटाने वाले बिल पर अमित शाह ने जताई कड़ी नाराजगी, विपक्ष पर निशाना

नई दिल्ली संसद में पेश किए गए संविधान (130वां संशोधन) विधेयक पर जारी विवाद के बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि विपक्ष इस बिल का विरोध करके लोकतंत्र की गरिमा को ठेस पहुंचा रहा है और जनता को बताना चाहिए कि क्या कोई मुख्यमंत्री (CM), प्रधानमंत्री (PM) या मंत्री जेल से सरकार चला सकता है. उन्होंने विपक्ष पर हमला बोलते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि उन्हें जेल से सरकार चलाने का विकल्प मिले. अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा, "आज भी ये कोशिश कर रहे हैं कि अगर कभी जेल गए तो जेल से ही आसानी से सरकार बना लेंगे. जेल को ही CM हाउस, PM हाउस बना देंगे और DGP, मुख्य सचिव, कैबिनेट सचिव या गृह सचिव जेल से ही आदेश लेंगे." गृह मंत्री ने साफ कहा कि इस बिल के प्रावधान लोकतंत्र की गरिमा के लिए आवश्यक हैं. उनके मुताबिक, अगर कोई प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर आरोपों में गिरफ्तार होता है और 30 दिन के भीतर उसे जमानत नहीं मिलती, तो उसे पद छोड़ना होगा. उन्होंने पूछा, "अगर जमानत मिल जाती है तो वे वापस शपथ लेकर पद संभाल सकते हैं, लेकिन जेल से सरकार चलाना क्या लोकतंत्र के लिए उचित है?" 'पीएम मोदी ने PM के पद को शामिल करने पर दिया जोर' अमित शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इस बिल में PM का पद शामिल करने पर जोर दिया. उन्होंने याद दिलाया कि इंदिरा गांधी ने 39वें संशोधन में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और स्पीकर को न्यायिक समीक्षा से बाहर रखा था, लेकिन मोदी सरकार इसके उलट कदम उठा रही है. विपक्ष द्वारा संसद में बिल पेश करने से रोकने पर शाह ने कहा, "क्या संसद केवल शोरगुल के लिए है या बहस के लिए? हमने भी अतीत में विरोध किया है लेकिन किसी बिल को पेश ही न होने देना अलोकतांत्रिक मानसिकता है. विपक्ष को इसका जवाब जनता को देना होगा." अमित शाह ने कांग्रेस को घेरा कांग्रेस पर हमला करते हुए अमित शाह ने कहा कि जब मनमोहन सिंह सरकार ने लालू यादव को बचाने के लिए अध्यादेश लाया था, तब राहुल गांधी ने उसे सार्वजनिक रूप से फाड़ दिया था. उन्होंने पूछा, "अगर उस दिन नैतिकता थी, तो क्या आज नहीं है क्योंकि कांग्रेस लगातार तीन चुनाव हार चुकी है?" AAP नेता सत्येंद्र जैन और कांग्रेस द्वारा RJD प्रमुख लालू प्रसाद यादव को समर्थन देने का हवाला देते हुए शाह ने विपक्ष पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, "राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह सरकार के अध्यादेश को बकवास बताया और फाड़ दिया, लेकिन आज वही कांग्रेस, सरकार बनाने के लिए लालू यादव को गले लगा रही है." गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के 'ब्लैक बिल' कहकर विरोध करने पर कहा कि वे और बीजेपी पूरी तरह इस विचार को खारिज करते हैं कि देश को किसी एक व्यक्ति के बिना चलाया नहीं जा सकता. उन्होंने कहा, "एक सदस्य हटेगा तो पार्टी के अन्य सदस्य सरकार चलाएंगे. जब उन्हें जमानत मिलेगी, वे फिर से पद ग्रहण कर सकते हैं. इसमें आपत्ति क्या है?" उन्होंने उम्मीद जताई कि विधेयक पारित होगा और कांग्रेस और विपक्ष में भी कई लोग नैतिक आधार पर इसे समर्थन देंगे.

PM-CM से जुड़े नए बिल पर बोले अमित शाह, केजरीवाल पर भी की कटाक्ष

तिरुवनंतपुरम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह इन दिनों केरल के दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार के उस बिल का भी जिक्र किया जिसके तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री अगर गंभीर आपराधिक आरोपों में 30 दिन से ज्यादा हिरासत में रहते हैं तो पद से हटा दिए जाएंगे. अमित शाह ने एक निजी चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि  दिल्ली के (पूर्व) मुख्यमंत्री जेल जाने के बाद भी सरकार चला रहे थे, अगर जेल जाने के बाद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया होता, तो आज इस बिल की जरूरत ही नहीं होती. अमित शाह ने कहा कि क्या देश की जनता चाहती है कि कोई भी मुख्यमंत्री जेल में रहकर सरकार चलाए? अब ये लोग (विपक्षी दल) कहते हैं कि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान पहले क्यों नहीं हुआ? अरे, जब संविधान बना था, तब ऐसे निर्लज्ज लोगों की कल्पना ही नहीं की गई थी कि जेल जाने के बाद भी इस्तीफा नहीं देंगे. साथ ही कहा कि ये बिल किसी पार्टी के लिए नहीं है, ये बिल भाजपा के मुख्यमंत्रियों पर भी लागू होगा और प्रधानमंत्री पर भी लागू ​होगा.  केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि 70 साल पहले एक ऐसी घटना हुई थी, जिसमें कई मंत्री और मुख्यमंत्री जेल गए थे और जेल जाने से पहले सबने इस्तीफा दे दिया था. लेकिन कुछ समय पहले एक घटना हुई, जिसमें दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री जेल जाने के बाद भी सरकार चला रहे थे. तो सवाल उठता है कि संविधान बदलना चाहिए या नहीं बदलना चाहिए? लोकतंत्र में नैतिकता का स्तर बनाए रखने की जिम्मेदारी सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की है. बिल में क्या प्रावधान है? केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक बिल पेश किया है, इस पर काफी विवाद हो रहा है. प्रस्तावित बिल में लिखा है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी मंत्री पर ऐसी धाराओं में आपराधिक मुकदमा दर्ज होता है, जिनमें 5 साल या उससे ज्यादा सज़ा का प्रावधान है, तो ऐसी स्थिति में गिरफ्तार होने के 31वें दिन उन्हें अपना पद छोड़ना होगा और अगर वो ऐसा नहीं करेंगे. तो गिरफ्तारी के 31वें दिन खुद-ब-खुद इस पद से उन्हें हटा दिया जाएगा. ऐसी स्थिति में भारत के राष्ट्रपति देश के प्रधानमंत्री की सलाह पर उस केन्द्रीय मंत्री को उसकी गिरफ्तारी के 31वें दिन तक उसके पद से हटा सकते हैं. अगर किसी वजह से देश का प्रधानमंत्री इस पर कोई फैसला नहीं लेता और वो केन्द्रीय मंत्री को बचाने की कोशिश करते हैं, तो ऐसी स्थिति में वो केन्द्रीय मंत्री अपनी गिरफ्तारी के 31वें दिन खुद इस पद से हट जाएगा और उनसे सारी ज़िम्मेदारी वापस ले ली जाएगी. इसी तरह अगर प्रधानमंत्री को किसी आपराधिक मुकदमे में गिरफ्तार किया जाता है, तो प्रधानमंत्री को भी गिरफ्तारी के 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा और अगर वो ऐसा नहीं करते तो वो भी खुद-ब-खुद इस पद से हटा दिए जाएंगे. यहां दोनों मामलों में छूट ये होगी कि कोर्ट से ज़मानत मिलने के बाद सत्तारूढ़ पार्टी चाहे तो वो उस नेता को फिर से प्रधानमंत्री या केन्द्रीय मंत्री चुन सकती है.  इसी तरह के प्रावधान राज्यों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों पर भी लागू होंगे, जिसके लिए अनुच्छेद 164 में एक नया भाग जोड़ा जाएगा. इसके तहत राज्य सरकार में कोई मंत्री गिरफ्तार होता है तो राज्यपाल, मुख्यमंत्री की सलाह पर 31वें दिन तक उस मंत्री को उसके पद से हटा सकते हैं और अगर खुद मुख्यमंत्री ही गिरफ्तार हो जाएं तो उन्हें भी 30 दिनों तक जेल में रहने के बाद 31वें दिन इस पद से हटा दिया जाएगा या उन्हें भी इससे पहले इस्तीफा देना होगा.  

अमित शाह बोले – रिटायरमेंट के बाद अध्यात्म और प्राकृतिक जीवन को दूंगा प्राथमिकता

नई दिल्ली  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बुधवार को कहा कि सार्वजनिक जीवन से रिटायर होने के बाद, मैं खुद को पूरी तरह से वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती के लिए समर्पित करने की योजना बना रहे हैं. अमित शाह ने गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सहकारी समितियों से जुड़ी महिलाओं के साथ 'सहकार-संवाद' में बोलते हुए ये बातें कहीं. अमित शाह ने कहा, "मैंने फैसला किया है कि रिटायरमेंट के बाद, मैं अपनी बची जिंदगी वेदों, उपनिषदों और प्राकृतिक खेती को समर्पित करूंगा. रासायनिक उर्वरकों से उगाया गया गेहूं अक्सर कई स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बनता है. प्राकृतिक खेती न केवल शरीर को रोगमुक्त बनाने में मदद करती है, बल्कि एग्रीकल्चरल प्रोडक्टिविटी भी बढ़ाती है." 'जब मैं देश का गृह मंत्री बना…' केंद्रीय गृह मंत्री ने एक मंत्री के रूप में अपने सफ़र के बारे में भी बात की और कहा कि सहकारिता मंत्रालय उनके लिए कितना ख़ास है. अमित शाह ने कहा, "जब मैं देश का गृह मंत्री बना, तो सबने मुझसे कहा कि मुझे बहुत अहम विभाग दिया गया है, लेकिन जिस दिन मुझे सहकारिता मंत्री बनाया गया, मुझे लगा कि मुझे गृह मंत्रालय से भी बड़ा विभाग मिला है, जो देश के किसानों, गरीबों, गांवों और पशुओं के लिए काम करता है." 'सहकार-संवाद' कार्यक्रम के दौरान, अमित शाह ने स्वर्गीय त्रिभुवन काका के नाम पर त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी. उन्होंने भारत के सहकारिता आंदोलन की सच्ची नींव रखने का श्रेय त्रिभुवन काका को दिया. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, "ऐसा इसलिए मुमकिन हुआ है क्योंकि मैं देश भर में जहां भी मैं जाता हूं, देखता हूं कि कैसे छोटे परिवारों की महिलाओं ने अपने बच्चों को एजुकेट किया है और उनकी जिंदगी में बदलाव लाया है."  अमित शाह ने आगे कहा, "आज, जहां भी सहकारी समितियां स्थापित हैं, वहां लोग ₹1 करोड़ तक कमा रहे हैं, यह सब त्रिभुवन काका के दूरदर्शी विचारों की वजह से ही मुमकि हुआ है. फिर भी, उन्होंने कभी भी अपना नाम बनाने के लिए कुछ नहीं किया."

आणंद में यूनिवर्सिटी शिलान्यास के मौके पर अमित शाह का तंज, कहा- कांग्रेस भूल गई देश के बाकी नेताओं को

अहमदाबाद  गुजरात के आणंद में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा। इस मौके पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने ही नेता त्रिभुवनदास किशीभाई पटेल को भुला दिया, जिन्होंने अमूल की नींव रखी और देश में सहकारिता आंदोलन को एक नई दिशा दी। शाह ने साफ किया कि लोकसभा में पेश किए गए त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी विधेयक, 2025 में इस यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास पटेल के सम्मान में रखा गया है, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे। उन्होंने कहा, “विपक्ष को शायद यह भी नहीं पता कि त्रिभुवनदास उनकी ही पार्टी से थे। लेकिन वे नेहरू-गांधी परिवार से नहीं थे, इसलिए कांग्रेस ने उन्हें भुला दिया।” अमूल और सहकारिता आंदोलन में त्रिभुवनदास का योगदान अमित शाह ने बताया कि त्रिभुवनदास पटेल ने सरदार पटेल के मार्गदर्शन में अमूल की स्थापना की और वर्गीज कुरियन को डेयरी साइंस पढ़ने के लिए विदेश भेजा। इसका नतीजा यह हुआ कि आज भारत विश्व में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन करने वाला देश है। शाह ने कुरियन के योगदान को भी सराहा, लेकिन इस बात पर जोर दिया कि उस पूरी सोच की शुरुआत त्रिभुवनदास पटेल के विजन से हुई थी। शाह ने यह भी बताया कि जब त्रिभुवनदास अमूल से सेवानिवृत्त हुए, तो उन्होंने अपनी सेवामुक्ति पर मिले 6 लाख रुपये फाउंडेशन को दान में दे दिए, जो उनके समर्पण का प्रतीक है। यूनिवर्सिटी का उद्देश्य और महत्व अमित शाह ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी सहकारिता क्षेत्र को नई दिशा देगी। इसमें प्रबंधन, वित्त, कानून और ग्रामीण विकास से जुड़े कोर्स होंगे। यह यूनिवर्सिटी 200 से ज्यादा सहकारी संस्थाओं से जुड़कर पीएचडी, डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स कराएगी। साथ ही, यह 40 लाख सहकारी कर्मियों को प्रशिक्षित कर भाई-भतीजावाद को खत्म करने में मदद करेगी।   मोदी सरकार की पहल और सहकारिता की मजबूती शाह ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2021 में सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के बाद अब तक 60 नई पहलें शुरू की गई हैं, जो किसानों की आय बढ़ाने और ग्रामीण विकास को गति देने के लिए हैं। पीएम मोदी ने 2 लाख नए पैक्स (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां) बनाने की घोषणा की है, जिससे 17 लाख लोग जुड़ेंगे। CBSE ने भी 9वीं से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में सहकारिता को शामिल किया है, जिससे युवा पीढ़ी को इस क्षेत्र से जोड़ा जा सके।   अमूल: सहकारिता का मॉडल शाह ने कहा कि अमूल आज 80,000 करोड़ रुपये के टर्नओवर के साथ देश का सबसे मूल्यवान ब्रांड है, जो 36 लाख ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहा है। उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि वर्गीज कुरियन के जन्म शताब्दी वर्ष को अमूल और गुजरात सरकार ने मनाया, लेकिन कांग्रेस ने इस ऐतिहासिक मौके को भी नजरअंदाज कर दिया। अंत में शाह ने कहा, “त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी न सिर्फ एक शैक्षिक संस्थान है, बल्कि यह सहकारिता के जननायकों को सच्ची श्रद्धांजलि है, जो ग्रामीण भारत को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।”