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सीट शेयरिंग में बराबरी, पर भाजपा का बढ़ता प्रभुत्व बना बड़ा सवाल

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए ने सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय कर लिया है। फॉर्मूले के तहत, भाजपा और जदयू इस बार 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। वहीं, एनडीए के सहयोगी दलों को 41 सीटें दी गई हैं। सहयोगी दलों में लोजपा (रामविलास) को 29 सीटें, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) को 6-6 सीटें दी गई हैं। इस बार भाजपा और जदयू दोनों बराबर सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। इंफो इन डाटा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "2025 के बिहार चुनावों में, भाजपा और जेडीयू प्रत्येक 101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि सहयोगी एलजेपी (आरवी), एचएएम और आरएलएम 41 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। पहली बार, भाजपा और जेडीयू दोनों बराबर सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं, जो राज्य में भाजपा के बढ़ते प्रभुत्व और प्रभाव को दर्शाता है।" इससे पहले के सीट बंटवारे पर अगर हम नजर डालें तो 2005 के अक्टूबर में हुए विधानसभा चुनाव में जदयू 139 सीटों और भाजपा 102 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में जदयू को 88 सीटों पर, जबकि भाजपा को 55 सीटों पर सफलता मिली थी। इसी तरह, 2010 के विधानसभा चुनाव में जदयू 141 और भाजपा 102 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। इस चुनाव में जदयू ने 115 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा को 91 सीटें मिलीं। 2015 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू के रास्ते अलग-अलग हो गए थे। इस चुनाव में जदयू महागठबंधन के साथ थी और नीतीश कुमार ने राजद और कांग्रेस के सहयोग से सत्ता में वापसी की थी। इस चुनाव में भाजपा ने 157 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन केवल 53 सीटों पर ही जीत हासिल की थी। इसके अलावा, 86 सीटों पर एनडीए के सहयोगी दलों ने अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें महज 5 सीटों पर ही जीत दर्ज की थी। वहीं, 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू 115 सीटों पर, भाजपा 110 सीटों पर और अन्य सहयोगी दल 18 सीटों पर चुनाव लड़े थे। इस चुनाव में भाजपा ने 74 सीटों पर और जदयू ने 43 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इसके अलावा, सहयोगी दल 8 सीट जीतने में कामयाब रहे थे। हालांकि, 2025 में भाजपा और जदयू के बीच 101-101 सीटों का बराबर बंटवारा हुआ है। इस बदलाव से यह साफ है कि भाजपा बिहार की राजनीति में अब जूनियर पार्टनर नहीं रही। राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह बराबरी का फॉर्मूला चुनावी मैदान में दोनों दलों के बीच समान साझेदारी का संदेश देगा।

कांग्रेस नेता भूपेश बघेल बोले, 1-2 दिन में तय होगा बिहार महागठबंधन का सीट बंटवारा

रायपुर एनडीए में सीट बंटवारे के बाद अब सब की नजर महागठबंधन पर है। राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद और नेता प्रतिपक्ष दिल्ली में हैं। वहीं कांग्रेस के भी कई प्रमुख नेता दिल्ली में कैंप कर रहे हैं। आज कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक है। वहीं बैठक से पहले कांग्रेस नेता भूपेश बघेल ने बिहार में महागठबंधन के सीट बंटवारे पर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि यह 1-2 दिन में हो जाएगा। सारी तैयारी हो चुकी है, ये जल्दी हो जाएगा। बिहार एनडीए में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने बिहार के विधानसभा चुनावों के लिए सीट बंटवारे की घोषणा कर दी है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (यूनाइटेड) यानी जदयू दोनों 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 29 सीटें मिली हैं। राष्ट्रीय लोक मोर्चा को छह सीटें दी गई हैं। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को भी छह सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला है। भाजपा महासचिव विनोद तावड़े ने एक्स पर लिखा, संगठित व समर्पित एनडीए…आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए परिवार के सभी सदस्यों ने सौहार्दपूर्ण वातावरण में आपसी सहमति से सीटों का वितरण पूर्ण किया, जो कि इस प्रकार है– भाजपा – 101 सीट जदयू – 101 सीट लोजपा (रामविलास) – 29 सीट रालोमो – 06 सीट हम – 06 सीट आज दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक आज कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक है। इसके बाद संभावना है कि शाम तक सीट बंटवारे की घोषणा हो जाएगी। हालांकि कई सीटों पर कांग्रेस और राजद के बीच पेज फंसा हुआ ही है। इसलिए कांग्रेस ने इस बार अलग-अलग नीति बनाने शुरू कर दी है। 2020 के विधानसभा के तरह ही इस बार भी कांग्रेस 70 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है। इतना ही नहीं कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों की सूची भी पूरी तरह से तैयार कर ली है। दिल्ली में केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इस पर मोहर भी लग जाएगी। सूत्र बता रहे हैं कि राजद और वामदल अब भी कांग्रेस को 70 सीट देने के लिए तैयार नहीं हैं।  

बिहार चुनाव 2025: एनडीए ने सीट बंटवारा किया, जानें किसे कितनी मिली सीटें

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सीट बंटवारे का ऐलान हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू और बीजेपी ने 101-101 बराबर सीटें अपने पास रखी हैं। वहीं, चिराग पासवान की लोजपा रामविलास को 29 सीटें मिली हैं। उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को 6 और जीतनराम मांझी की हम (हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा) को भी 6 सीटें मिली हैं। एनडीए में कई राउंड की बैठकों के बाद यह फॉर्मूला निकला है। एनडीए में सीट शेयरिंग फॉर्मूला की घोषणा साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं हुई बल्कि गठबंधन के नेताओं ने सोशल मीडिया पर पोस्ट के जरिए यह जानकारी दी। जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, आरएलएम चीफ उपेंद्र कुशवाहा, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल समेत अन्य नेताओं ने रविवार को ट्वीट कर सीट बंटवारे का आंकड़ा साझा किया। बिहार एनडीए में सीट शेयरिंग होने के बाद अब घटक दलों की कैंडिडेट लिस्ट आना शुरू हो जाएगी। भाजपा में उम्मीदवारों के नाम लगभग फाइनल हो चुके हैं, रविवार शाम को दिल्ली में हो रही पार्टी के केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में इस पर मुहर लगा दी जाएगी। वहीं, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) में भी कैंडिडेट फाइनल हो चुके हैं। लोजपा (रामविलास) ने भी कल कहा था कि एनडीए में सीट बंटवारा होने के बाद चिराग पासवान कैंडिडेट लिस्ट जारी कर देंगे। कोई बड़ा भाई, कोई छोटा भाई नहीं? पहले कयास लगाए जा रहे थे कि नीतीश की जेडीयू, भाजपा से एक सीट ज्यादा अपने पास रखेगी। मगर दोनों ही दलों ने बराबर सीटों पर चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया है। दोनों ने साफ संदेश दिया है कि गठबंधन में छोटा या बड़ा भाई फिलहाल कोई नहीं है। फिलहाल एनडीए में कौन-सी पार्टी कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी यह ऐलान हुआ है। अब घटक दलों के द्वारा लड़ी जाने वालीं सीटों के नामों का इंतजार है। बता दें कि 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा का चुनाव दो चरणों में हो रहा है। पहले चरण का मतदान 6 नवंबर और दूसरे फेज की वोटिंग 11 नवंबर को होगी। दोनों चरणों के नतीजे 14 नवंबर को आएंगे, नामांकन की प्रक्रिया चल ही है।  

ओवैसी की रणनीति: बिहार में 100 सीटों पर AIMIM का कब्जा, थर्ड फ्रंट बनाने का प्लान

पटना  बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद राजनीतिक माहौल गरमाने लगा है. एक तरफ जहां एनडीए और इंडी एलायंस में सीट बंटवारे को लेकर अब तक बात नहीं बनी है वहीं दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने बड़ा ऐलान कर दिया है. पार्टी ने कहा है कि वह इस बार करीब 100 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जो 2020 के मुकाबले पांच गुना ज्यादा है. बिहार में थर्ड फ्रंट बनाने की कोशिश में ओवैसी न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने शनिवार को कहा, 'हमारा लक्ष्य बिहार में तीसरा विकल्प तैयार करना है, एनडीए और महागठबंधन दोनों को इस बार हमारी मौजूदगी का एहसास होगा.' उन्होंने बताया कि पार्टी कुछ समान विचारधारा वाले दलों से भी बातचीत कर रही है, ताकि एक 'थर्ड फ्रंट' (Third Front) खड़ा किया जा सके. इमान ने कहा कि उन्होंने पहले लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव को गठबंधन के लिए पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. 'अब हम अपने दम पर विस्तार करेंगे' . बिहार की 243 विधानसभा सीटों के लिए मतदान 6 और 11 नवंबर को होगा, जबकि मतगणना 14 नवंबर को की जाएगी. बिहार विधानसभा की हर सीट का हर पहलू, हर विवरण यहां पढ़ें 2020 के विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने बसपा और उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में पार्टी ने 5 सीटें जीतीं, लेकिन 2022 में उसके चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए, जिससे अख्तरुल इमान अब पार्टी के एकमात्र विधायक बचे हैं. सीमांचल में AIMIM का है प्रभाव राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, एआईएमआईएम बिहार में विशेषकर सीमांचल क्षेत्र (पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, कटिहार) में अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जहां मुस्लिम आबादी 17% से अधिक है. बीते दिनों ओवैसी ने इन इलाकों में ताबड़तोड़ रैली की थी.

BJP की नई चाल शाहाबाद-मगध में, 2020 की 36 सीटों को फिर से जीतने की तैयारी

पटना  बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भारतीय जनता पार्टी ने इस बार ‘जीती सीटों को बचाने’ के साथ-साथ ‘हारी सीटों को वापस पाने’ का बड़ा अभियान शुरू किया है. पार्टी के भीतर इसे “मिशन रिकवरी प्लान” का नाम दिया गया है. पिछले विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा ने 110 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से 74 पर जीत हासिल की थी. हालांकि, पार्टी ने बाद में हुए उपचुनावों में कुढ़नी, रामगढ़ और तरारी जैसी तीन सीटों पर अपनी वापसी दर्ज करायी थी. इन 36 सीटों के लिए बीजेपी तैयार कर रही रणनीति अब भाजपा की निगाह उन 36 सीटों पर है जहां 2020 में हार मिली थी. पार्टी ने इन सभी सीटों को दो चरणों में विभाजित कर उनकी अलग-अलग रणनीति तैयार की है. पहले चरण की 18 सीटों में बैकुंठपुर, दरौली, सीवान, राघोपुर, गरखा, सोनपुर, कुढ़नी, मुजफ्फरपुर, बखरी, उजियारपुर, बक्सर, तरारी, शाहपुर, बख्तियारपुर, फतुहा, दानापुर, मनेर और बिक्रम शामिल हैं. वहीं, दूसरे चरण की हार वाली सीटों में कल्याणपुर, भागलपुर, रजौली, हिसुआ, बोधगया, गुरुआ, औरंगाबाद, गोह, डिहरी, काराकाट, रामगढ़, मोहनिया, भभुआ, चैनपुर, जोकिहाट, बायसी, किशनगंज और अरवल हैं. बीजेपी 2020 में जहां हारी, उन क्षेत्रों में विशेष फोकस इन सभी सीटों के लिए भाजपा ने अपने बूथ और जातिगत समीकरणों की गहराई से समीक्षा की है. विशेष रूप से उन जिलों पर फोकस किया गया है, जहां 2020 में पार्टी का ‘संपूर्ण सफाया’ हुआ था. इनमें औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर और बक्सर जैसे जिले शामिल हैं. इन चारों जिलों में पिछली बार एक भी सीट नहीं मिल पाई थी. दिलचस्प बात यह है कि 2015 के विधानसभा चुनाव में कैमूर की चारों सीटें भाजपा के खाते में थीं, लेकिन 2020 में पार्टी को यहां करारी हार झेलनी पड़ी. यही वजह है कि इस बार भाजपा शाहाबाद और मगध क्षेत्र को लेकर बेहद सतर्क है. शाहाबाद-मगध में ‘पावर स्टार’ का दांव पार्टी ने इन क्षेत्रों में सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को साधने के लिए ‘लोकप्रिय चेहरों’ की रणनीति अपनाई है. भोजपुरी गायक और अभिनेता पवन सिंह को एक बार फिर भाजपा के प्रचार अभियान में सक्रिय किया गया है. पवन सिंह की क्षेत्र में पकड़ और लोकप्रियता को देखते हुए पार्टी उन्हें ‘जनसंपर्क का चेहरा’ बना रही है. इसके अलावा RLM प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा का मगध और शाहाबाद क्षेत्र में गहरा प्रभाव है. इसी कड़ी में भाजपा के बिहार प्रभारी विनोद तावड़े ने हाल ही में दिल्ली में पवन सिंह और कुशवाहा की मुलाकात कराई थी. जिसे राजनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है. हर जिले के लिए ‘माइक्रो प्लान’ भाजपा संगठन ने हर जिले की हारी हुई सीट के लिए अलग-अलग ‘माइक्रो प्लान’ तैयार किया है. इसमें पुराने उम्मीदवारों का आकलन, स्थानीय समीकरणों की पुनर्समीक्षा, और सहयोगी दलों के साथ सीट तालमेल पर जोर दिया गया है. हालांकि एनडीए में सीटों का बंटवारा अभी अंतिम रूप में नहीं है, लेकिन भाजपा ने स्पष्ट कर दिया है कि चाहे सीटें बदली जाएं या नहीं, पार्टी का संगठन हर क्षेत्र में पूरी ताकत के साथ उतरेगा. ‘हारी नहीं, छोड़ी सीटों पर भी वापसी’ का लक्ष्य पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि 2020 में कुछ सीटें हार की वजह से नहीं, बल्कि सीट-शेयरिंग के कारण छूटी थीं. इस बार भाजपा ऐसे क्षेत्रों पर भी फोकस कर रही है, जहां उसके संगठन की मजबूत जड़ें हैं लेकिन पिछले बार साथी दलों को मौका मिला था. शाहाबाद-मगध में BJP की परीक्षा कुल मिलाकर, भाजपा ने बिहार में इस बार चुनावी जंग को दो हिस्सों में बांट दिया है. ‘सेव द सीट्स’ (जीती सीटें बचाने का अभियान) और ‘रिक्लेम द लॉस्ट’ (हारी सीटें वापस पाने की रणनीति). शाहाबाद और मगध की सियासी जमीन पर भाजपा की सबसे बड़ी परीक्षा होने जा रही है, जहां से पार्टी अपने खोए जनाधार को वापस पाने की जुगत में जुटी है. 

सीट शेयरिंग को लेकर NDA में तनाव? डिप्टी CM के आवास पर हुई अहम बैठक

पटना  बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक दलों में सीट शेयरिंग को लेकर खींचतान जारी है। ऐसे में एनडीए गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर महत्वपूर्ण बैठक डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी के आवास पर हुई। इस बैठक में केंद्रीय मंत्री ललन सिंह, जनता दल यूनाइटेड (JDU) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, विजय कुमार चौधरी, उमेश कुशवाहा के साथ भाजपा के सम्राट चौधरी, दिलीप जायसवाल और धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद थे।  इस बैठक में दूर हुए कुछ मतभेद बैठक का मुख्य एजेंडा सीट शेयरिंग पर सहमति बनाना था। चर्चा के दौरान गठबंधन के सभी दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर स्थिति पर गहन विचार-विमर्श हुआ। खबर है कि इस बैठक में कुछ मतभेद दूर कर लिए गए हैं और जल्द ही सीट शेयरिंग का आधिकारिक ऐलान किया जाएगा। हालांकि, इससे पहले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी ने 15 से 20 सीटों की मांग की थी, जबकि एनडीए गठबंधन ने केवल 7 से 10 सीटें देने की बात कही थी। अब बताया जा रहा है कि बीच का रास्ता निकाल लिया गया है और दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी है। एनडीए के नेताओं का कहना है कि गठबंधन के सभी सदस्य दल मिलकर चुनाव मैदान में उतरेंगे और कोई नाराजगी या मतभेद नहीं है। वे जल्द ही सीट बंटवारे की घोषणा कर बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप देंगे। यह बैठक बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।  

सीट बंटवारे पर BJP की रणनीति: बिहार में NDA अपनाएगी 2020 वाला रास्ता

पटना 6 और 11 नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले मतदान का परिणाम 14 नवंबर को सामने आ जाएगा। मतलब, अब चुनाव परिणाम आने में भी 36 दिन शेष ही हैं। आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे दोनों गठबंधनों में सीटों पर ही बात बनती नहीं दिख रही है, प्रत्याशियों का नाम तो उसके बाद घोषित होगा। गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के बिहार प्रदेश कार्यालय में गहमागहमी रही। चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के बयानों ने उस गहमागहमी को गरमागरमी जैसा बनाए रखा। लेकिन, अंदर की बात यह है कि एनडीए की सीट शेयरिंग योजना ट्रैक से उतरी नहीं है। लोकसभा चुनाव में ही भाजपा ने कर ली थी तैयारी बिहार भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान पटना में हैं। वह घटक दलों के मन की बातें उनके मन से निकालने में कामयाब रहे हैं। मांझी-चिराग के मन की बात भले सामने आई, लेकिन भाजपा को भी पता है कि केंद्रीय मंत्री की कद्दावर कुर्सी छोड़ चिराग पासवान और जीतन राम मांझी बाहर जाने वाले नहीं हैं। उपेंद्र कुशवाहा तो किनारे होकर तमाशा देख रहे हैं। चिराग पासवान की पार्टी के पास मौजूदा विधानसभा में कोई विधायक नहीं। जीतन राम मांझी के पास चार विधायक हैं। उपेंद्र कुशवाहा के पास भी कोई विधायक नहीं। मांझी-चिराग या कुशवाहा को लोकसभा चुनाव के समय भी अंदाजा बता दिया गया था कि बिहार विधानसभा चुनाव के समय सीटों पर कैसे बात होगी। चिराग और मांझी को इसी कारण पसंदीदा, मजबूत और काम लायक मंत्रालय दिए गए थे। रही बात उपेंद्र कुशवाहा की तो, उनके लिए एनडीए के पास कई ऑफर हैं। बिहार में हुई बात, लेकिन रास्ता तो दिल्ली में निकलेगा बिहार विधानसभा में 243 सीटें हैं। भाजपा-जदयू अब तक लगभग बराबर 100-100 के गणित पर है। चिराग पावान न्यूनतम 35 और जीतन राम मांझी कम-से-कम 15 सीटें चाह रहे हैं। इस तरह से बच रही है तीन सीटें उपेंद्र कुशवाहा के लिए। जदयू 110-105  की मांग से उतर कर 101-100 पर आकर टिकेगा ही। भाजपा 105 की तैयारी के बीच 100 के लिए भी मन बनाए बैठी है। भाजपा की पटना में बैठकों से कोई अंतिम नतीजा निकलना भी नहीं था। अब फैसला दिल्ली में होना है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकारों ने 2020 मॉडल को ही अंतिम उपाय माना है। क्या है भाजपा का अंतिम रास्ता, जो 2020 में अपनाया था 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में चिराग की पार्टी से भाजपा के कई कद्दावर नेता उतरे थे, लेकिन उस समय निशाना जदयू था। इस बार वैसी परिस्थिति नहीं है। सीएम नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के बीच उस समय वाली दूरी अभी नहीं है। भाजपा ने उस समय एनडीए में रही मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी में अपने प्रत्याशी दिए थे। मुकेश सहनी खुद चुनाव नहीं जीत सके थे, इसलिए उनके चार में से तीन विधायक अपनी मूल पार्टी भाजपा में चले गए। एक का निधन हो गया था। मौजूदा परिस्थिति में जदयू-भाजपा अपने खाते में 100-100 सीटों को रखती है तो जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर को जीतने वाली 8 सीटों के साथ मजबूत स्थिति वाली दो-तीन सीटें देगी। उपेंद्र कुशवाहा के राष्ट्रीय लोक मोर्चा को पांच-आठ सीटों के बीच फाइनल किया जाएगा। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 22-25 सीटें देने की बात अंतिम तौर पर चल रही है। जब यह सब फाइनल होने लगेगा तो इन दलों से अपने कुछ मजबूत प्रत्याशी भी शिफ्ट करने की बात होगी। देखना यही है कि इस बात पर चिराग कितना राजी होते हैं।मांझी या कुशवाहा के लिए भाजपा की पंचायत का यह रास्ता फायदेमंद ही होगा, क्योंकि ऐसे प्रत्याशियों के पास भाजपा का कैडर भी होगा।

बिहार का चुनावी इतिहास बदला: 40 साल बाद दो चरणों में मतदान, शाहाबाद-मिथिला को अलग फेज़ में रखा गया

पटना बिहार में 40 वर्षों के बाद विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे। इससे पहले वर्ष 1985 में दो चरण में चुनाव हुए थे। 1985 के चुनाव में झारखंड बिहार से अलग नहीं था। तब, बिहार में विधानसभा सीटों की संख्या 324 थी। 2000 के नवंबर में बिहार से झारखंड अलग हुआ। इसके बाद बिहार में विधानसभा की सीटें 324 से घटकर 243 रह गईं। झारखंड से अलग होने के बाद बिहार में पहली बार दो चरणों में चुनाव हो रहे हैं। यहां अब-तक दो से अधिक चरणों में ही चुनाव होते आ रहे हैं। पिछले 25 सालों में बिहार में सबसे अधिक छह चरणों में विधानसभा चुनाव वर्ष 2010 में हुए थे। 2010 के विधानसभा चुनाव में 21, 24 और 28 अक्टूबर तथा 1, 9 और 20 नवंबर को मतदान हुआ था। पिछला चुनाव तीन चरणों में हुआ था। 28 अक्टूबर को 71, 3 नवंबर को 94 और 7 नवंबर को 78 सीटों पर वोट डाले गए थे। 2015 में पांच चरणों में चुनाव हुए। 1980 और 1990 में एक चरण और 1995 में पांच चरणों में चुनाव हुए थे। शाहाबाद, मिथिला, अंग जैसे भू-सांस्कृतिक क्षेत्र दोनों चरणों में बंटे 2025 के विधानसभा चुनाव में शाहाबाद, मिथिला और अंग जैसे भू-सांस्कृतिक क्षेत्र दोनों चरणों में बंटे हैं। शाहाबाद के चार जिलों में भोजपुर और बक्सर में पहले चरण तो रोहतास और कैमूर में दूसरे चरण में चुनाव हैं। पिछली बार शाहाबाद में पहले चरण में ही चुनाव हुए थे। मिथिला के इलाके को भी दो चरणों में बांट दिया गया है। समस्तीपुर, दरभंगा, सहरसा और बेगूसराय में तो पहले चरण में जबकि शिवहर, सीतामढ़ी और मधुबनी में दूसरे चरण में चुनाव है। अंग इलाके में भागलपुर, बांका और जमुई में दूसरे चरण तो मुंगेर में पहले चरण में चुनाव हैं। मगध के चार जिलों गया, जहानाबाद, औरंगाबाद और नवादा में पिछली बार की तरह एक ही चरण में चुनाव हैं। सीमांचल के सभी चार जिलों अररिया, किशनगंज, पूर्णिया और कटिहार में दूसरे चरण में चुनाव है। 2020 के चुनाव में शाहाबाद और मगध में पहले चरण में चुनाव हुए थे, जहां महागठबंधन की बंपर जीत हुई थी। इन क्षेत्रों की 77% सीटों पर उसके उम्मीदवार जीते थे।

राजनीतिक घड़ी: बिहार में सीटों का बंटवारा तय होने की तारीख सामने आई

पटना बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों ही खेमों में सहयोगी दलों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। सहयोगी लगातार सीट बंटवारे पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक औपचारिक बातचीत चुनाव आयोग द्वारा तारीखों की घोषणा के बाद ही शुरू होगी। आपको बता दें कि फिलहाल तारीखों का ऐलान नहीं हुआ। नवरात्रि की समाप्ति के बाद चुनाव आयोग की तरफ से कभी भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका ऐलान किया जा सकता है। एनडीए के छोटे सहयोगी दल पहले से ही सार्वजनिक रूप से अपनी मांगें उठा रहे हैं। एलजेपी (रामविलास) नेता अरुण भारती सोशल मीडिया पर सम्मानजनक हिस्सेदारी की माग कर रहे हैं और भाजपा व जदयू पर दबाव डाल रहे हैं। वहीं, हम (से.) प्रमुख जीतन राम मांझी ने भी अपनी अपेक्षाओं को खुले मंच से सामने रखा है। हाल ही में केंद्रीय मंत्री व एलजेपी (रामिवालास) नेता चिराग पासवान और आरएलपी प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की दिल्ली में मुलाकात हुई, जिसमें दोनों नेताओं ने मगध–शाहाबाद क्षेत्र में पर्याप्त सीटें मिलने की इच्छा जताई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार के दौरे पर थे। उन्होंने बैक टू बैक कई बैठकें कीं और रैलियों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि दुर्गा पूजा के बाद एनडीए के सहयोगियों के बीच सीटों का बंटवारा कर लिया जाएगा। इंडिया गठबंधन में भी खींचतान इंडिया गठबंधन के भीतर कांग्रेस ने आरजेडी से जल्द सीटों पर समझौते को अंतिम रूप देने की मांग की है। सीपीआई (एमएल) ने 2020 में 19 सीटों पर चुनाव लड़ी और 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी। 2024 लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग में दो सीटें हासिल हुई। इस बार बड़ा हिस्सा चाहती है। वहीं, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने तो यहां तक कह दिया है कि यदि गठबंधन सत्ता में आता है तो उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया जाना चाहिए। आरजेडी का क्या है रुख बिहार में महागठबंधन का अगुआ आरजेडी के सूत्रों के मुताबिक सहयोगी दलों के बीच औपचारिक बैठक और सीटों का बंटवारा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद ही होगा।