samacharsecretary.com

योगी सरकार के प्रयासों से 2017 के बाद से उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में आया आमूलचूल बदलाव

शिक्षक दिवस पर विशेष  एक शिक्षक की तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कमजोर शैक्षिक व्यवस्था को पहचाना और उसे दूर किया  निपुण भारत मिशन से लेकर डिजिटल स्टूडियों जैसी पहलों ने प्रदेश की शिक्षा को दी नई ऊर्जा और दिशा  निपुण भारत मिशन से 48,000 से अधिक विद्यालयों में रखी गई बच्चों की मजबूत नींव  4.33 लाख शिक्षकों को मिला प्रशिक्षण, 2.61 लाख शिक्षकों को मिले टैबलेट पीएम श्री विद्यालय बने आधुनिक शिक्षा के मॉडल, 88,500 छात्रों को मिला वैज्ञानिक एक्सपोजर “एक पेड़ मां के नाम” अभियान में लगाए गए 27 लाख पौधे, सभी विद्यालयों में बने इको क्लब माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगात्मक शिक्षा, खोजी बॉक्स और शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम शुरू प्रत्येक विद्यालय को खेलकूद सामग्री के लिए बजट, समर कैम्प से बच्चों का समग्र विकास लखनऊ उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था लंबे समय तक बदहाल स्थिति में रही। 2017 से पहले विद्यालयों में शिक्षक तो थे, लेकिन प्रशिक्षण और संसाधनों की भारी कमी थी। अधिकांश विद्यालयों में न तो पुस्तकालय थे और न ही बच्चों के लिए खेलकूद या डिजिटल शिक्षा जैसी सुविधाएं। ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में तो बच्चों को बुनियादी पठन-पाठन सामग्री तक उपलब्ध नहीं होती थी। विद्यालयों में पर्यवेक्षण की व्यवस्था लगभग निष्क्रिय थी और शिक्षकों को पढ़ाने के लिए आधुनिक संसाधन नहीं मिलते थे। परिणामस्वरूप साक्षरता दर और गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रही थीं। वर्ष 2017 में सत्ता संभालने के बाद योगी सरकार ने शिक्षा सुधार को मिशन मोड में लेकर काम किया। एक शिक्षक की तरह उन्होंने कमजोर शैक्षिक व्यवस्था की नस को पकड़ा और‘निपुण भारत मिशन’ से लेकर ‘पीएम श्री विद्यालय’, ‘विद्या समीक्षा केंद्र’ से लेकर ‘डिजिटल स्टूडियो’ तक ऐसी नई पहलों को शुरू किया जिसकी मदद से आज यूपी की शिक्षा व्यवस्था नए आयाम गढ़ रही है। योगी सरकार के प्रयासों ने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में नई ऊर्जा और दिशा दी है। जहां पहले विद्यालय केवल पढ़ाई तक सीमित थे, वहीं अब वे डिजिटल नवाचार, विज्ञान, खेलकूद और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के केंद्र बन गए हैं। निपुण भारत मिशन से मजबूत हो रही बच्चों की नींव सरकार का लक्ष्य वर्ष 2026-27 तक प्राथमिक स्तर पर सार्वभौमिक साक्षरता और संख्या ज्ञान सुनिश्चित करना है। अब तक 48,061 विद्यालय ‘निपुण विद्यालय’ घोषित किए जा चुके हैं। यह पहले की स्थिति से बिल्कुल अलग तस्वीर है, जब बच्चों की नींव कमजोर रह जाती थी। यही नहीं,  शिक्षक सशक्तीकरण बन रहा शिक्षा सुधारों की धुरी 2017 से पहले शिक्षकों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग बेहद सीमित था। आज स्थिति बदल चुकी है। अब तक 4.33 लाख शिक्षकों और शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण दिया गया है। 2.61 लाख शिक्षकों को टैबलेट वितरित किए गए हैं। साथ ही गणित किट, टीएलएम, बिग बुक्स, संदर्शिका और शिक्षक डायरी उपलब्ध कराई गई है, जिससे कक्षा-शिक्षण अधिक प्रभावी हुआ है। स्मार्ट क्लास से डिजिटल स्टूडियो तक शिक्षा का डिजिटलीकरण पहले ज्यादातर विद्यालयों में ब्लैकबोर्ड ही शिक्षा का एकमात्र माध्यम था। आज प्रदेश के 25,790 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास स्थापित हो चुकी हैं। 4,688 विद्यालयों में आईसीटी लैब्स, 880 विकासखंडों में आईसीटी लेब्स और पीएम श्री योजना के तहत 1,129 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास व डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित की गई हैं। इतना ही नहीं, लखनऊ में ₹10 करोड़ की लागत से डिजिटल स्टूडियो बना है और विद्या समीक्षा केंद्र से डेटा आधारित मॉनिटरिंग की जा रही है। सुपरविजन और नवाचार जहां पहले निरीक्षण का काम औपचारिकता मात्र रह गया था, वहीं अब सरकार ने एक संगठित तंत्र विकसित किया है। प्रत्येक विकासखंड में एआरपी, प्रत्येक जनपद में एसआरजी और डायट मेंटर्स नियमित रूप से विद्यालयों का सहयोगात्मक पर्यवेक्षण करते हैं। शिक्षक संकुल बैठकें मासिक एजेंडा आधारित होती हैं और इनमें बेस्ट प्रैक्टिस साझा की जाती हैं। पीएम श्री विद्यालय और राष्ट्रीय आविष्कार अभियान पीएम श्री विद्यालय आधुनिक संसाधनों और शिक्षण पद्धतियों का मॉडल बन चुके हैं। इनमें लाइब्रेरी, खेलकूद सामग्री, प्रोजेक्ट-बेस्ड लर्निंग, स्मार्ट क्लास और डिजिटल लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं शामिल हैं। वहीं, राष्ट्रीय आविष्कार अभियान के तहत अब तक 88,500 विद्यार्थियों का एक्सपोजर विजिट कराया गया है। 2025-26 में 150 मेधावी छात्रों को इमरी, बार्क, अहमदाबाद और गांधीनगर जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों का भ्रमण कराया जाएगा। सभी 10 मंडलों में साइंस पार्क भी स्थापित हो रहे हैं। इको क्लब और हरित पहल जहां पहले शिक्षा और पर्यावरण का कोई खास तालमेल नहीं था, वहीं अब सभी विद्यालयों में इको क्लब बनाए गए हैं। “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत 27 लाख पौधे लगाए जा चुके हैं। माध्यमिक विद्यालयों में बड़ा सुधार पहले माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगात्मक शिक्षा का अभाव था। अब यहाँ गणित किट, खोजी बॉक्स, टीएलएम प्रदर्शनी, शैक्षिक भ्रमण कार्यक्रम और उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की गई है। प्रधानाचार्यों व शिक्षकों को लगातार प्रशिक्षण दिया जा रहा है और अंग्रेजी, गणित व विज्ञान विषयों के लिए एसआरजी समूह बनाए गए हैं। खेलकूद और समग्र विकास पहले खेलकूद की सुविधाएं केवल चुनिंदा विद्यालयों तक सीमित थीं। अब प्रत्येक प्राथमिक विद्यालय को ₹5,000 और प्रत्येक उच्च प्राथमिक विद्यालय को ₹10,000 खेलकूद सामग्री के लिए दिए गए हैं। साथ ही 45,614 उच्च प्राथमिक/कम्पोजिट विद्यालयों में समर कैम्प आयोजित कर बच्चों को खेल, कला, संस्कृति और टीमवर्क का अनुभव कराया गया है।

शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव और स्किल डेवलपमेंट पर जोर

– थर्मल पावर को न्यूक्लियर पावर में बदलने की जरूरत : विशेषज्ञ – हर गांव में वॉटर एटीएम और स्वच्छ पेयजल पर फोकस – ओडीओपी, मिठाई और दूध उत्पादों के देशव्यापी प्रसार पर जोर – संस्कृति, समाज और परिवार को 2047 के विकास मॉडल में प्रमुखता दिये जाने की जरूरत – बजट का 5% हिस्सा रिसर्च पर खर्च करने का सुझाव लखनऊ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “विकसित भारत @2047” विज़न को साकार करने की दिशा में उत्तर प्रदेश सरकार ने बुधवार को एक बड़े अभियान की शुरुआत की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में “समर्थ उत्तर प्रदेश-विकसित उत्तर प्रदेश @2047” अभियान का शुभारंभ हुआ। राजधानी के लोकभवन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी और विशेषज्ञ जनों ने अपने विचार रखे और प्रदेश को विकसित राज्य बनाने के रोडमैप पर गहन विमर्श किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने 2047 तक उत्तर प्रदेश को विकसित राज्य बनाने और 6 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हासिल करने के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, अनुसंधान, संस्कृति और सामाजिक संरचना पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता जताई। स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी प्रेरणा की आवश्यकता प्रो. विघ्नेश कुमार ने सुझाव दिया कि स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ी गाथाओं को इस अभियान का हिस्सा बनाया जाए ताकि समाज में ऊर्जा और विरासत के सम्मान का मोमेंटम लगातार बना रहे। कृषि और शिक्षा व्यवस्था पर जोर डॉ. विजय सिंह निरंजन, पूर्व अधिकारी, ने किसानों के हित में खाद्य का भंडारण सीधे उनके घर पर करने की व्यवस्था का सुझाव दिया। उन्होंने कोचिंग संस्थानों पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक कोचिंग बंद रहनी चाहिए, ताकि बच्चे नियमित रूप से स्कूल-कॉलेज जा सकें और शिक्षा व्यवस्था प्रभावित न हो। साथ ही, विभिन्न विभागों द्वारा चलाई जा रही एक समान योजनाओं को एकीकृत कर कार्यकुशलता बढ़ाने की आवश्यकता बताई। प्रजेंटेशन और जागरूकता का विस्तार रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी रंजन द्विवेदी ने सुझाव दिया कि इस पूरे अभियान को क्षेत्रवार प्रस्तुत किया जाए और सोशल मीडिया के जरिए इसका प्रसार होना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक लोग इससे जुड़ सकें। शिक्षा और रिसर्च में क्रांति रिटायर्ड आईएएस आनंद कुमार ने शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ट्यूशन कल्चर को कम करना होगा और स्कूलों में स्किल डेवलपमेंट को बढ़ावा देना होगा। साथ ही, भारतीय संस्कारों को शिक्षा में समाहित करना चाहिए। उन्होंने उत्तर प्रदेश में रिसर्च हब और रिसर्च सेंटर बनाने की आवश्यकता भी बताई। बुनियादी ढांचे और ऊर्जा क्षेत्र में बदलाव रिटायर्ड रेलवे अफसर विजय कुमार दत्त ने कहा कि प्रदेश में 78 हजार किलोमीटर लंबे मार्गों को रेलवे लाइनों के साथ मैप करना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि थर्मल पावर प्लांट्स को न्यूक्लियर पावर प्लांट्स में बदलने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। संस्कृति और परंपरा का महत्व संस्कृत प्रोफेसर विपिन त्रिपाठी ने विकास योजना में भारतीय परंपराओं को शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि योजना को 12 माह और 12 राशियों से जोड़कर देखा जा सकता है और संस्कृत विद्या को इसमें प्रमुखता दी जानी चाहिए। उद्योग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था रिटायर्ड रेलवे अधिकारी शैलेन्द्र कपिल ने सुझाव दिया कि दूध उत्पादों का देशव्यापी प्रसार और मिठाई उद्योग को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश की मिठाइयों की प्रसिद्धि को देश के अन्य राज्यों तक पहुंचाना होगा। टाउनशिप और उच्च शिक्षा पूर्व प्रोफेसर ए.के. जयंतली ने बताया कि बैरन लैंड पर छोटे-छोटे टाउनशिप बनाए जाने चाहिए ताकि गांव भी विकसित हों। उन्होंने खेती की जमीन पर शहरीकरण को रोकने, उच्च शिक्षा में “एंड्रोगोगी” पद्धति अपनाने और स्किल डेवलपमेंट पर जोर देने की बात कही। अन्य महत्वपूर्ण सुझाव – ओडीओपी (ODOP) पर फोकस करना। – एम्स की तरह प्राथमिक स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करना। – बच्चों के स्वास्थ्य के लिए स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता, हर गांव में वॉटर एटीएम की स्थापना। – आपदा राहत और थ्रेट प्रोटेक्शन की योजनाएं। – ग्रामीण क्षेत्रों में शराब के ठेकों पर नियंत्रण। – जनता से संवाद के लिए अधिक समय उपलब्ध कराना। – 2047 विकसित यूपी अभियान में संस्कृति, समाज और परिवार को प्राथमिकता। – पशु-पक्षियों के कल्याण को भी विकास योजना में शामिल करना। – कुल बजट का 5% हिस्सा रिसर्च के लिए निर्धारित करना। – सामाजिक समरसता और क्षेत्रवार विकास को महत्व देना। कार्यक्रम के अंत में विद्वानों ने एक स्वर में कहा कि उत्तर प्रदेश के विकास की राह शिक्षा, स्वास्थ्य, अनुसंधान, संस्कृति और सामाजिक समरसता से होकर ही गुजरती है। यदि इन बिंदुओं पर ध्यान दिया गया, तो 2047 तक “विकसित उत्तर प्रदेश” का संकल्प अवश्य पूरा होगा। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक, कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, स्वतंत्रदेव सिंह, मुख्य सचिव दीपक कुमार, प्रमुख सचिव नियोजन आलोक कुमार, प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद, वरिष्ठ अधिकारीगण, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति, अवकाश प्राप्त अधिकारीगण, प्रोफेसर आदि गणमान्य मौजूद रहे।

CM योगी के आदेश पर यूपी के 14 शहरों में चला स्पेशल ऑपरेशन

लखनऊ  यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर नगर विकास विभाग ने प्रदेश के विभिन्न नगर निगमों में एक साथ 12 घंटे का विशेष अभियान चलाया. अधिकारियों के मुताबिक इस पहल का मुख्य उद्देश्य नागरिक सुविधाओं में सुधार, स्थानीय समस्याओं का समाधान और जन-जागरूकता बढ़ाना था. यह अभियान स्वच्छ भारत मिशन और पर्यावरण संरक्षण के लक्ष्यों के अनुरूप संचालित किया गया. न्यूज एजेंसी की खबर के अनुसार लखनऊ नगर निगम ने आठ जोनों में 32 कर वसूली और शिकायत निवारण शिविर आयोजित किए. अपर नगर आयुक्त और मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के नेतृत्व में 1,365 शिकायतों का मौके पर समाधान किया गया. एक दिन में 2.30 करोड़ रुपये का कर संग्रह सुनिश्चित हुआ. इसके अलावा गोरखपुर नगर निगम ने प्लास्टिक मुक्त अभियान चलाकर दुकानदारों को कपड़े के थैले वितरित किए. साथ ही सिंगल यूज प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूकता फैलाई और नियम उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया गया. वाराणसी:नगर निगम की टीम ने कचरा पृथक्करण पहल शुरू की. भरत मिलाप कॉलोनी और महेश नगर कॉलोनी के 86 घरों में घर-घर जाकर जागरूकता अभियान चलाया गया. अब अधिकांश घरों में गीला और सूखा कचरा अलग-अलग डस्टबिन में डाला जा रहा है. मथुरा-वृंदावन नगर निगम ने मछली फाटक के पुराने कूड़ा ढलाव घर का सौंदर्यीकरण किया. राधा अष्टमी के अवसर पर अहिल्या बाई पार्क और आसपास के क्षेत्रों में विशेष सफाई अभियान चला. स्थानीय निवासी कचरा पृथक्करण और पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित हुए. गाजियाबाद में भारी बारिश के दौरान मोहन नगर, शालीमार गार्डन और मोहन नगर बस स्टैंड में जलभराव समाधान किया गया. 20 साल पुराने नालों और पाइपलाइनों की सफाई कर स्थायी समाधान उपलब्ध कराया गया. अयोध्या नगर निगम को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड से 20 इलेक्ट्रॉनिक हॉपर टिपर प्राप्त हुए. इससे डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण को गति मिली. प्रत्येक वार्ड में टिपर जीपीएस और रूट मैप के साथ संचालित होगा. वहीं शाहजहांपुर में निगोही रोड पर वर्षों पुराने 150 टन गीले कचरे का निस्तारण कर दीर्घकालीन समस्या का समाधान किया गया. मुरादाबाद में विशेष अभियान के तहत 200 मीट्रिक टन कचरे का निस्तारण किया गया. 250 सफाई कर्मियों और आधुनिक उपकरणों की मदद से यह क्षेत्र साफ किया गया. बरेली के वार्ड-53, मोहल्ला रोहली टोला और आशीष रॉयल पार्क कॉलोनी में जल आपूर्ति सुधार की गई. 1,100 मीटर नई पाइपलाइन बिछाकर 200 भवनों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया गया. कानपुर नगर निगम ने सिंगल यूज प्लास्टिक के बहिष्कार और स्वच्छता के लिए तीन नए फुटबॉल ग्राउंड का उद्घाटन किया और फ्रेंडली फुटबॉल मैच आयोजित किया. प्रयागराज बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वच्छता और एंटी-लार्वा फॉगिंग अभियान चलाया गया. अपशिष्ट पृथक्करण और मच्छर जनित बीमारियों की रोकथाम पर जोर दिया गया. मेरठ नगर आयुक्त ने कान्हा गौशाला का निरीक्षण किया. गौवंश की देखभाल, पोषण और स्वास्थ्य प्रबंधन की स्थिति का जायजा लिया गया. यह पहल धार्मिक कर्तव्य के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी भी मानी गई. फिरोजाबाद नगर निगम ने बारिश के बाद जलभराव की 12 शिकायतों का त्वरित निस्तारण किया. अलीगढ़: नगर निगम ने लगातार काम करते हुए जलभराव कम करने और खेल सुविधाओं के विकास की तैयारी की. नारंगी लाल स्मार्ट सिटी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स अगले 2-3 सप्ताह में हस्तांतरित किया जाएगा. अधिकारियों का कहना है कि इस 12 घंटे के विशेष अभियान ने न केवल नागरिक सेवाओं और स्वच्छता में सुधार किया, बल्कि लोगों में पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई. नगर निगमों के सहयोग से यह पहल प्रदेशभर में एक मॉडल के रूप में उभरी है.

CM योगी ने छात्रवृत्ति योजना में लापरवाही पर दिखाई सख्ती, दिए कड़े निर्देश

लखनऊ  उत्तर प्रदेश सरकार ने छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई योजना में हुई भारी लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाया है. प्रदेश के करीब छह लाख पात्र छात्रों को वर्ष 2024-25 में योजना का लाभ नहीं मिल सका. यह मामला सामने आने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्रवाई के आदेश दिए. इसके तहत अयोध्या, बहराइच, रायबरेली और सीतापुर समेत 14 जिलों के समाज कल्याण अधिकारियों को प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है. वहीं बरेली में सबसे ज्यादा गड़बड़ी सामने आने पर वहां के बाबू प्रमोद जोशी को निलंबित कर दिया गया है. अधिकारियों की लापरवाही के चलते नहीं आई स्कॉलरशिप जानकारी के मुताबिक सरकार ढाई लाख रुपये तक वार्षिक आय वाले एससी-एसटी छात्रों और दो लाख रुपये तक आय वाले अन्य वर्गों के छात्रों को छात्रवृत्ति के साथ शुल्क की भरपाई करती है. लेकिन कई शिक्षण संस्थानों और अधिकारियों की लापरवाही के कारण छह लाख से अधिक छात्र इस योजना से वंचित रह गए. कहीं अधिकारियों ने डाटा लॉक नहीं किया तो कहीं विश्वविद्यालयों और कॉलेजों ने ऑनलाइन आवेदन ही आगे नहीं बढ़ाए. कार्रवाई की जद में आए अधिकारियों में अलीगढ़ की संध्या रानी बघेल, औरेया की इंदिरा सिंह, अयोध्या के रणविजय सिंह, बहराइच के रमाशंकर, बलिया के दीपक श्रीवास्तव, बरेली के सुधांशु शेखर, बिजनौर के जागेश्वर सिंह, गौतमबुद्धनगर के सतीश कुमार, गाजियाबाद के वेद प्रकाश मिश्रा, कन्नौज के सत्य प्रकाश सिंह, प्रतापगढ़ के नागेंद्र मौर्य, रायबरेली की सृष्टि अवस्थी, सीतापुर के हर्ष मवार और वाराणसी के गिरीश दुबे शामिल हैं. इनके साथ ही कई जिलों के बाबुओं को भी प्रतिकूल प्रविष्टि और चेतावनी दी गई है. छात्रों के खाते में जल्द भेजी जाएगी राशि मुख्यमंत्री योगी ने निर्देश दिए हैं कि दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ विश्वविद्यालयों और निजी शिक्षण संस्थानों पर भी सख्त कार्रवाई की जाए. मामले को लेकर 14 राज्य विश्वविद्यालयों, 19 निजी विश्वविद्यालयों और कई आईटीआई के संयुक्त निदेशकों पर भी कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. सरकार का कहना है कि छात्रों का हक हर हाल में सुरक्षित किया जाएगा और जिन विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति व शुल्क भरपाई नहीं मिली है, उनके खाते में जल्द ही राशि भेजी जाएगी. 

छात्रों पर लाठीचार्ज का मामला, CM योगी ने तुरंत लिया एक्शन

बाराबंकी  उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में छात्रों और ABVP कार्यकर्ताओं पर हुए लाठीचार्ज के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अपनाया है। सीएम ने घटना का तत्काल संज्ञान लिया और जिम्मेदार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए। अब तक की बड़ी कार्रवाई CO हर्षित चौहान सस्पेंड कर दिए गए हैं। नगर कोतवाली इंस्पेक्टर और गदिया चौकी इंचार्ज को लाइन हाजिर कर दिया गया है। IG अयोध्या रेंज प्रवीण कुमार को पूरे मामले की जांच सौंपी गई है। अयोध्या मंडलायुक्त को रामस्वरूप यूनिवर्सिटी की डिग्री वैधता की जांच करने के आदेश दिए गए हैं। क्या हुआ था बाराबंकी में? बाराबंकी के रामस्वरूप यूनिवर्सिटी में LLB कोर्स की मान्यता रद्द हो चुकी थी, लेकिन फिर भी वहां एडमिशन जारी थे। इसको लेकर छात्रों और ABVP कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस से झड़प हो गई और हालात बिगड़ने पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इस घटना में 25 से ज्यादा लोग घायल हो गए। कई छात्र गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराए गए। राजनीतिक असर और सरकार की सख्ती छात्रों की पिटाई का मामला सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी नाराजगी देखी गई। सरकार के एक मंत्री खुद घायलों से मिलने अस्पताल पहुंचे। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी ने तुरंत एक्शन लिया और पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई की। वहीं योगी सरकार ने साफ कर दिया है कि छात्रों पर अत्याचार या पुलिस की मनमानी अब बर्दाश्त नहीं होगी। जांच में जो भी दोषी मिलेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

बीमार कैदियों की रिहाई पर बड़ा फैसला, योगी सरकार बनाएगी नियम आसान

लखनऊ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीर बीमारियों से ग्रसित बंदियों की समयपूर्व रिहाई से संबंधित नियमों को अधिक सरल, स्पष्ट तथा मानवीय दृष्टिकोण से परिभाषित किए जाने की आवश्यकता जताई। सोमवार को कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवाओं की समीक्षा बैठक में उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का अनुपालन करते हुए प्रदेश की नीति को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पात्र बंदियों की रिहाई स्वतः विचाराधीन होनी चाहिए और इसके लिए उन्हें अलग से आवेदन न करना पड़े। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि प्राणघातक रोग से पीड़ित होने की आशंका वाले सिद्धदोष बंदी, जिसे मुक्त करने पर उसके स्वस्थ होने की उपयुक्त संभावना है तथा वृद्धावस्था, अशक्तता या बीमारी के कारण भविष्य में ऐसा अपराध करने में स्थायी रूप से असमर्थ बंदी, जिसके लिए वह दोषी ठहराया गया हो, के साथ-साथ घातक बीमारी या किसी प्रकार की अशक्तता से पीड़ित सिद्धदोष बंदी जिसकी मृत्यु निकट भविष्य में होने की संभावना हो, के संबंध में प्रदेश के सभी कारागारों में सर्वेक्षण कर वास्तविक संख्या का आकलन किया जाए। इनमें महिलाओं, बुजुर्गों को प्राथमिकता के आधार पर रिहा करने की व्यवस्था हो।   मुख्यमंत्री ने कैदियों को कृषि, गोसेवा आदि कार्यों से जोड़कर उनकी जेल अवधि के सदुपयोग करने के लिए व्यवस्था बनाने की भी आवश्यकता बताई। सीएम योगी ने कहा कि जेल मैनुअल में यह भी स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाना आवश्यक है कि किन बीमारियों को असाध्य रोग की श्रेणी में रखा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि समाज की सुरक्षा सर्वोपरि है। इसलिए समयपूर्व रिहाई उन्हीं मामलों में की जानी चाहिए, जहां से सामाजिक जोखिम न हो। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि हत्या, आतंकवाद, देशद्रोह, महिला और बच्चों के विरुद्ध जघन्य अपराध जैसे मामलों में रिहाई कतई नहीं की जानी चाहिए। नियमों में बदलाव पर जोर देते हुए सीएम योगी ने कहा कि प्रत्येक वर्ष तीन बार जनवरी, मई और सितंबर में पात्र बंदियों के मामलों की स्वतः समीक्षा की व्यवस्था हो। यदि किसी बंदी को रिहाई न दी जाए तो उसके कारण स्पष्ट रूप से दर्ज किए जाएं और उसे यह अधिकार मिले कि वह उस निर्णय को चुनौती दे सके। बैठक में अधिकारियों ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सुझाई गई प्रणाली को उत्तर प्रदेश में अपनाने पर भी विचार किया जा रहा है, ताकि बंदियों को न्यायिक अधिकारों का लाभ सुचारू रूप से मिल सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष, त्वरित और मानवीय संवेदनाओं पर आधारित होनी चाहिए तथा जल्द ही नई नीति का प्रारूप तैयार कर अनुमोदन हेतु प्रस्तुत किया जाए।

यूपी में पेट्रोल-डीजल खरीदने के लिए जरूरी नया नियम, CM योगी ने किया सख्त निर्देश

लखनऊ  उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों को कम करने और लोगों को सुरक्षित ड्राइविंग के लिए जागरूक करने के मकसद से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब अगर आप बाइक या स्कूटी पर बिना हेलमेट पेट्रोल पंप पहुंचते हैं, तो आपको पेट्रोल नहीं मिलेगा। कब से शुरू हुआ ये नियम? सूत्रों से मिली जानकारी मुताबिक, 1 सितंबर यानी आज (1 सितम्बर) सोमवार से पूरे उत्तर प्रदेश में 'नो हेलमेट, नो फ्यूल' अभियान की शुरुआत हो गई है। यह अभियान 30 सितंबर 2025 तक चलेगा। अभियान का मकसद क्या है? इस अभियान का उद्देश्य किसी को सजा देना नहीं है, बल्कि लोगों को यह समझाना है कि हेलमेट पहनना जरूरी है और यह आपकी जान बचा सकता है। यह नियम इसलिए लागू किया गया है ताकि लोग लापरवाही ना करें और हेलमेट पहनने की आदत डालें। कौन-कौन देखेगा अभियान की निगरानी? हर जिले में जिलाधिकारी (DM) के नेतृत्व में यह अभियान चलाया जा रहा है। परिवहन विभाग, पुलिस, जिला प्रशासन और खाद्य एवं रसद विभाग इसकी निगरानी कर रहे हैं। सूचना विभाग लोगों को इस बारे में जागरूक करेगा। लखनऊ में आज पहला दिन? लखनऊ के पेट्रोल पंपों पर पहले ही पोस्टर और बोर्ड लगा दिए गए थे। पंप कर्मियों ने लोगों से कहा कि 'हेलमेट पहनिए, तभी पेट्रोल मिलेगा।' बहुत से लोग नियम मानते नजर आए, लेकिन जो बिना हेलमेट पहुंचे उन्हें वापस लौटना पड़ा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपील सीएम योगी ने प्रदेश के लोगों से अपील की कि 'पहले हेलमेट, फिर ईंधन।' इसका मकसद सिर्फ आपकी सुरक्षा है। हेलमेट से आपकी जान बच सकती है।

महिलाओं-बेटियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता, एंटी रोमियो स्क्वॉड की गतिविधियाँ और सक्रिय हों: मुख्यमंत्री

बोले मुख्यमंत्री, शिकायतकर्ता की संतुष्टि और उसका फीडबैक ही अधिकारियों के प्रदर्शन का वास्तविक पैमाना होगा शारदीय नवरात्र में प्रारंभ होगा ‘मिशन शक्ति’ का नया चरण, जिलों को अभी से व्यापक तैयारी के निर्देश बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य प्रभावी बनाए जाएं, जनप्रतिनिधियों का मार्गदर्शन अवश्य लिया जाए: मुख्यमंत्री बरसात व डेंगू के प्रकोप से निपटने को नगर निकाय जलभराव निकासी व सफाई पर दें विशेष ध्यान नकली-अधोमानक दवाओं की बिक्री पर शून्य सहिष्णुता, सतत चौकसी और कड़ी मॉनीटरिंग के निर्देश खरीफ सीजन में खाद की कमी नहीं होनी चाहिए, कालाबाजारी-जमाखोरी पर कठोरतम कार्रवाई होगी: मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने की प्रदेश की कानून-व्यवस्था, आगामी त्यौहारों की तैयारियों, बाढ़ की स्थिति, डेंगू की रोकथाम एवं स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों की समीक्षा यूपीएसएसएससी की पीईटी आयोजन की तैयारियों की मुख्यमंत्री ने की समीक्षा, जिलाधिकारियों से कहा, परीक्षा की शुचिता और पारदर्शिता हर हाल में हो सुनिश्चित पीईटी- 2025 को लेकर नकारात्मकता फैलाने वालों के साथ पूरी कठोरता से निपटे पुलिस: मुख्यमंत्री 06 और 07 सितम्बर को 48 जिलों में प्रस्तावित है पीईटी, 25.31 लाख युवाओं ने कराया है पंजीयन आईजीआरएस आवेदनों/शिकायतों के यथोचित निस्तारण के आधार पर जनपदों की स्थिति की रैंकिंग भी जारी लखनऊ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि जन शिकायतों और समस्याओं के समाधान में लापरवाही किसी भी दशा में अक्षम्य है। उन्होंने कहा है कि आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन के माध्यम पर प्राप्त हो रही प्रत्येक जन शिकायत और समस्या का शिकायतकर्ता की दृष्टि से संतुष्टिपरक समाधान होना ही चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा है कि सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है, जनहित सर्वोपरि है। शिकायतकर्ता की संतुष्टि और उसका फीडबैक ही अधिकारियों के प्रदर्शन का वास्तविक पैमाना होगा।  मुख्यमंत्री, रविवार देर रात प्रदेश की कानून-व्यवस्था, आईजीआरएस, सीएम हेल्पलाइन, आगामी त्यौहारों की तैयारियों, बाढ़ की स्थिति, डेंगू नियंत्रण और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे विषयों पर सभी मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, पुलिस कप्तानों तथा वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक कर रहे थे। उन्होंने महिलाओं और बेटियों की सुरक्षा को सरकार की शीर्ष प्राथमिकता बताते हुए निर्देश दिए कि सभी जिलों में एंटी रोमियो स्क्वॉड की गतिविधियाँ और सक्रिय की जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी नवरात्र में ‘मिशन शक्ति’ का नया चरण प्रारंभ होगा, जिसके लिए सभी जिलों को अभी से व्यापक तैयारियां कर लेनी चाहिए। बैठक में मुख्यमंत्री ने आईजीआरएस और सीएम हेल्पलाइन पर प्राप्त जन शिकायतों की मंडलवार, जनपदवार, तहसीलवार, ज़ोनवार, रेंजवार, जिला पुलिस और थाना स्तर पर रैंकिंग जारी की। संबंधित जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को निर्देशित करते हुए उन्होंने कहा कि हर पीड़ित की भावना का सम्मान करते हुए पूरी संवेदनशीलता के साथ समाधान सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि मिथ्या अथवा भ्रामक रिपोर्ट लगाने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई अनिवार्य रूप से होगी। मुख्यमंत्री ने हाल के पर्व-त्योहारों के सकुशल सम्पन्न होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और आगामी बरावफ़ात, अनंत चतुर्दशी व विश्वकर्मा पूजा के दृष्टिगत पुलिस-प्रशासन को पहले से अलर्ट मोड पर रहने के निर्देश दिए। बाढ़ और अतिवृष्टि से प्रभावित जनपदों की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि राहत कार्यों को और प्रभावी बनाया जाए तथा इनमें जनप्रतिनिधियों का मार्गदर्शन अवश्य लिया जाए। बरसात के मौसम में बीमारियों की आशंका को देखते हुए उन्होंने नगर निकायों को जलभराव की तत्काल निकासी व सफाई व्यवस्था सुदृढ़ करने का निर्देश दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री जन आरोग्य मेलों का सतत आयोजन करने और सर्पदंश के उपचार हेतु सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को कहा। नकली या अधोमानक दवाओं की बिक्री पर गंभीर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि प्रदेश में ऐसी एक भी गतिविधि बर्दाश्त नहीं होगी। प्रशासन को सतत चौकसी और कड़ी मॉनीटरिंग करने के निर्देश दिए गए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने खरीफ सीजन के लिए खाद की उपलब्धता पर विशेष ध्यान देने को कहा। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदेश के किसी भी किसान को खाद की कमी न हो, आपूर्ति शृंखला की सघन निगरानी की जाए और कालाबाजारी या जमाखोरी पर कठोरतम कार्रवाई की जाए। बैठक में उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग द्वारा 06 और 07 सितम्बर को प्रस्तावित प्रारंभिक अर्हता परीक्षा (पीईटी) की तैयारियों पर भी विस्तार से चर्चा हुई। मुख्यमंत्री को बताया गया कि परीक्षा 48 जिलों में बनाए गए 1479 केंद्रों पर आयोजित होगी, जिसमें 25.31 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल होंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि परीक्षा की शुचिता और पारदर्शिता सर्वोच्च प्राथमिकता है, इसे हर हाल में सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रश्न पत्रों की गोपनीयता, सेक्टर मजिस्ट्रेटों की तैनाती, लाइव सीसीटीवी कंट्रोल रूम, नगर यातायात व्यवस्था और बारिश के मौसम में परीक्षार्थियों की सुविधा हेतु विशेष प्रबंधन सुनिश्चित किए जाएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि परीक्षा के दौरान किसी भी प्रकार की अफवाह या भ्रामक सूचना फैलाने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन परीक्षा आयोजन संस्था के साथ समन्वय कर अभ्यर्थियों को हरसंभव सुविधा उपलब्ध कराए।

योगी आदित्यनाथ बोले, भारत के घुमंतू समाज में छिपे हैं असली योद्धा

लखनऊ  सीएम योगी आदित्यनाथ रविवार को 'विमुक्त जाति दिवस' के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस मौके पर सीएम योगी ने कहा कि वास्तव में ये वे जातियां हैं जिन्होंने देश के अंदर विदेशी हमलों को रोकने के लिए एक योद्धा के रूप में काम किया था। अपने पराक्रम का लोहा जिन्होंने अलग-अलग कालखंड में मनवाया था। कभी मुगलों तो कभी अंग्रेजों के खिलाफ लड़े थे। कभी-कभी परिस्थितिवश उन्हें पलायन करना पड़ता था। जब पलायन करना पड़ता था तो उनका घरबार सब कुछ उनका जब्त हो जाता था या नष्ट हो जाता था। इसी तरह वे घुमंतू बन गए।  

ड्रोन टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ ने किया शुभारंभ

नोएडा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शनिवार को नोएडा पहुंचे। दोनों नेताओं ने सेक्टर-81 स्थित राफी मोहिब ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट और रक्षा उपकरण एवं इंजन टेस्ट फैसिलिटी का लोकार्पण किया। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बढ़ती रक्षा क्षेत्र की चुनौतियों को देखते हुए अत्याधुनिक ड्रोन, एयरक्राफ्ट इंजन और एयरोस्पेस टेस्ट फैसिलिटी देश के लिए बड़ी उपलब्धि है। भारत 1947 से लगातार चुनौतियों का सामना करता आ रहा है और 'ऑपरेशन सिंदूर' ने युद्ध के नए दौर में देश की सामर्थ्य और शक्ति का प्रदर्शन किया है। आपके पास ताकत है तो दुनिया आपके सामने नतमस्तक होती है। शास्त्र और शस्त्र दोनों का बेहतर समन्वय होगा तो शांति कायम होगी। उन्होंने शेर और बकरी का उदाहरण देते हुए कहा कि शेर सामर्थ्य और राज दोनों का प्रतीक है। सीएम योगी ने महाराणा प्रताप की वीरता का भी उल्लेख किया और कहा कि उत्तर प्रदेश में नौ ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां संचालित हैं। राज्य सरकार ने साढ़े 12 हजार एकड़ भूमि डिफेंस कॉरिडोर के लिए उपलब्ध कराई है, जिसमें आगरा, अलीगढ़, झांसी, चित्रकूट और कानपुर शामिल हैं। साथ ही लखनऊ में ब्रह्मोस मिसाइल की यूनिट स्थापित की गई है, जिसने 'ऑपरेशन सिंदूर' में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। सीएम योगी ने कहा कि लखनऊ की मुस्कुराहट तब और बढ़ेगी जब वहां से ब्रह्मोस मिसाइल दुश्मन पर निशाना साधेगी। उन्होंने नई ड्रोन यूनिट को बधाई देते हुए आश्वस्त किया कि यूपी सरकार देश की सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह यूनिट देश को समर्पित है और डिफेंस सिस्टम में साइंटिफिक रिवॉल्यूशन का प्रतीक है। 2017 में महज 10 लोगों के साथ कंपनी की शुरुआत हुई थी और आज 3,600 से ज्यादा वैज्ञानिक व इंजीनियर यहां काम कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका या चीन का कोई भी डिफेंस सिस्टम इस कंपनी के बने ड्रोन को डिटेक्ट नहीं कर सकता। इसे देश की सबसे इनोवेटिव एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बताते हुए उन्होंने कहा कि यह सिस्टम दुश्मन में दहशत पैदा करने वाला है। रक्षा मंत्री ने कहा कि एक समय उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था इतनी खराब थी कि यहां उद्योग लगाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, लेकिन आज योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राज्य निवेशकों की पहली पसंद बन गया है। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि ड्रोन अब सिर्फ निगरानी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि आधुनिक युद्ध का अहम हिस्सा बन चुके हैं। उन्होंने 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण को याद करते हुए कहा कि विरोध झेलने के बावजूद भारत ने हमेशा नई राह बनाई है। मात्र 14 महीनों में इस कंपनी और डीआरडीओ के बनाए प्रोडक्ट्स 'ऑपरेशन सिंदूर' में इस्तेमाल हुए। संकल्प, साहस और विज्ञान के मेल से ही यह संभव हो पाया और सेना के जवानों की वीरता का भी जिक्र किया जाना चाहिए।