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भारी बारिश ने ली छह ज़िंदगियाँ, दार्जिलिंग में पुल ढहने से बढ़ा हाहाकार

 दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में भारी बारिश की वजह से भूस्खलन में कम से कम 6 लोगों की जान चली गई। जानकारी के मुताबिक भूस्खलन की वजह से एक लोहे का पुल ढह गया। मूसलाधार बारिश और भूस्खलन की वजह से कई गांवों से संपर्क टूट गया है। राहत और बचाव टीमें मौके पर पहुंची हैं और मलबा हटा रही हैं। जानकारी के मुताबिक यह लोहे का पुल जिसे धूदिया आयरन ब्रिज के नाम से जानते हैं, मिरिक और कुरसियोंग को जोड़ता है। भारी बारिश के चलते यहां हाल यह है कि सड़कें मलबे और कीचड़ से पट गई हैं। मौसम विभाग ने दार्जिलिंग, कूच बेहार, कालिंपोंग, जलपाइगुड़ी और अलीपुरद्वार में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। मौसम विभाग का कहना है कि पश्चिम बंगाल में उप-हिमालयी क्षेत्रों में सोमवार तक भारी बारिश जारी रहेगी। भारी बारिश के चलते जलपाइगुड़ी का मालबाजार पानी में ही डूब गया। तीस्ता, माल और अन्य पहाड़ी नदियां उफान पर हैं। मौसम विभाग का कहना है कि पश्चिम झारखंड के ऊपर बना कम दबाव का क्षेत्र पूर्व-पश्चिम यानी बिहार की ओर बढ़ सकता है। कालिम्पोंग जिले में भी भारी बारिश की वजह से स्थिति गंभीर है। यहां पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। सिलीगुड़ी और सिक्किम को जोड़ने वाला वैकल्पिक मार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग 717ई पर भूस्खलन की वजह से मलबा जमा हो गया है और यातायात रुक गयाहै। पेडोंग और ऋषिखोला के बीच भू्स्खलन की वजह से यातायात ठप है।  

आपदा प्रबंधन की तैयारी: बाढ़ व क्लोरीन रिसाव पर मॉकड्रिल

कोरबा शनिवार की सुबह कटघोरा स्थित राधासागर तालाब में जलजनित आपदा से निपटने के लिए मॉक ड्रील का आयोजन किया गया। जिसके अंतर्गत एक काल्पनिक स्थिति तैयार की गई, अचानक भारी वर्षा के कारण जलस्रोतों में जलस्तर बढ़ गया और कुछ लोग पानी में फंस गए। इस स्थिति में बचाव दलों ने वास्तविक परिस्थिति की तरह तत्काल कार्रवाई की। रेस्क्यू टीम ने लाइफ जैकेट, रस्सियों और नाव की मदद से तालाब में फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। प्रशिक्षित गोताखोरों और रेस्क्यू टीम ने पानी में फंसे व्यक्तियों की पहचान की, फंसे व्यक्तियों तक रस्सियां और लाइफ जैकेट पहुंचाई गईं, नाव और टीम के सहयोग से सभी लोगों को पानी से बाहर लाकर किनारे तक पहुंचाया गया। मेडिकल टीम ने तत्काल मौके पर ही उनकी स्वास्थ्य जांच की। डूबने की स्थिति में कृत्रिम श्वसन (सीपीआर), ऑक्सीजन सपोर्ट और प्राथमिक दवाओं का प्रदर्शन किया गया और गंभीर स्थिति के अनुमानित मरीजों को एम्बुलेंस से अस्पताल ले जाने की प्रक्रिया का भी अभ्यास किया गया। इसी क्रम में कोहड़िया स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में क्लोरीन गैस रिसाव पर आधारित मॉक ड्रील का आयोजन किया गया। क्लोरीन गैस का उपयोग पेयजल शोधन के लिए किया जाता है, किंतु इसका अधिक मात्रा में रिसाव मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। अभ्यास में यह स्थिति बनाई गई कि संयंत्र में अचानक क्लोरीन गैस का रिसाव हो गया है। जैसे ही अलार्म बजा, आपदा प्रबंधन टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए कर्मचारियों और आसपास मौजूद लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। गैस रिसाव को नियंत्रित करने के लिए सिलेंडर को बंद करने, वाटर स्प्रे कर प्रभावित क्षेत्र को सील करने और गैस को फैलने से रोकने के उपायों का प्रदर्शन किया गया। मेडिकल टीम ने गैस से प्रभावित व्यक्तियों का प्राथमिक उपचार किया। उन्हें ताजी हवा में लाया गया, आंखों और त्वचा को साफ पानी से धोने की प्रक्रिया दिखाई गई तथा सांस लेने में कठिनाई होने पर ऑक्सीजन सपोर्ट प्रदान किया गया। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस बल, एनडीआरएफ, स्वास्थ्य विभाग, नगर पालिका, अग्निशमन दल तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।

स्टॉकयार्ड में पानी भरने से 300 नई मारुति कारें डूबीं, झज्जर में हड़कंप

झज्जर   हरियाणा के झज्जर जिले के बहादुरगढ़ से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहां आई बाढ़ में करीब 300 नई मारुति सुजुकी कारें एक साथ डूब गईं। आमतौर पर बाढ़ में गाड़ियां डूबने की खबरें आती रहती हैं, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर नई कारों का डूबना काफी असामान्य है।  वायरल हुआ वीडियो न्यूज एजेंसी एएनआई द्वारा शेयर किए गए एक वीडियो में साफ दिख रहा है कि मारुति सुजुकी के स्टॉकयार्ड में खड़ी सैकड़ों नई गाड़ियां पानी में डूबी हुई हैं। इन कारों में अल्टो K10, वैगनआर, ब्रेजा और इनविक्टो जैसे मॉडल शामिल हैं। वीडियो में यह भी नजर आता है कि कई कारों के एयरबैग खुल चुके हैं और कई गाड़ियों के ड्राइवर साइड के शीशे भी निकाले गए हैं।   सात दिनों से पानी में डूबी गाड़ियां रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये कारें करीब सात दिनों से पानी में फंसी हुई हैं, जिससे उन्हें बाहर निकालना बेहद मुश्किल हो गया है। कई गाड़ियों में पानी इतना ऊपर तक भर गया है कि उनके इंजन तक डूब चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इन कारों को दोबारा चलने लायक बनाना बेहद कठिन होगा। फैक्ट्रियों और इलाकों पर भी असर स्थानीय फैक्ट्री कर्मचारियों ने बताया कि ये गाड़ियां बहादुरगढ़ के मारुति सुजुकी शो-रूम मालिकों की थीं। रात में जब अचानक पानी आया, तो वॉचमैन को इसकी जानकारी दी गई। लेकिन तब तक गाड़ियां डूब चुकी थीं और कई कारों के अलार्म बजने लगे थे। फिलहाल इलाके में बाढ़ का हाल और बिगड़ रहा है। पानी बढ़ने से लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। वहीं, औद्योगिक क्षेत्रों में भी असर दिख रहा है। दिल्ली से लगे आधुनिक इंडस्ट्रियल एरिया की कई फैक्ट्रियों में 4 से 5 फीट तक पानी भर गया है और वहां कामकाज बंद करना पड़ा है।  

बाढ़ से जूझते पंजाब के लिए MP में जुटी मदद, अशोकनगर सिख समाज ने प्रभावितों को दिया योगदान

अशोकनगर  उत्तर भारत में मानसून ने तबाही मचा रखी है। पूरा पंजाब बाढ़ और तबाही से जूझ रहा है। हजारों परिवार बर्बाद हो गए हैं। केंद्र और स्थानीय सरकार तो मदद कर ही रही है। की सिख समाज ने भी बाढ़ग्रस्त इलाके के दुखी और बेघर लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाए हैं। पहल अशोकनगर सिख समाज ने की है, जिसने अभी तक 35 लाख एकत्रित कर लिए हैं। जल्द ही यहां से एक प्रतिनिधि मंडल पंजाब जाकर मदद देगा। देश के पंजाब में तेज बारिश से आई बाढ़ मे तबाह हुए लोगों के लिए अब जिले की सिख समाज आगे आई है जहां समाज के द्वारा ग्राम ग्राम जाकर सिख समाज के लोगों से धनराशि एकत्रित की जा रही है वहीं गुरुद्वारों से भी पंजाब के लोगों की मदद के लिए मदद मांगी गई तो महज चार दिन में ही 35 लाख रुपए इकट्ठे हो गए। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों पंजाब में आई बाढ़ के बाद कई जिलों में हालात बेहद खराब हैं। बाढ़ न केवल किसानों की फसलें बल्कि घर और मवेशी के साथ जान माल का भी भारी नुकसान हुआ है। कई इलाकों का पानी तो अभी उतरा भी नहीं है, जिसके बाद पंजाब की इस दुख की घड़ी में मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले की सिख समाज आगे आई है। पंजाब में बाढ़ पीड़ित परिवारों के लिए पैसा एकत्र किया जा रहा है। सिख समाज के लोग सामूहिक रूप से गांव गांव तक पहुंच रहे हैं। सिख परिवार एवं गुरुद्वारे से भी मदद मांग रहे हैं जिसके चलते लोगों ने दिल खोल कर दान दिया है। मदद लेकर समाज के लोग पंजाब जाएंगे सिख समाज के लोगों के अनुसार पंजाब में बाढ़ पीड़ितों के लिए चार दिन पहले ही यह अभियान शुरू किया था, जिसके बाद लोगों ने खूब सहयोग मिला और चार दिन के अंदर ही 35 लाख रुपए एकत्रित कर लिए हैं। बताया जा रहा है कि यह अभियान 7 दिन और चलाया जाएगा और एक बड़ी धनराशि एकत्रित कर सिख समाज के 25 से 30 लोग पंजाब जाएंगे। वहां स्थानीय प्रशासन से मिलकर वास्तविक नुकसान वाले पीड़ित परिवारों के लिए यह धनराशि दी जाएगी, फिर चाहे वह किसी भी समाज या धर्म के लोग हो।

बाढ़ में डूबा ऐतिहासिक घाट, जहां कंस वध के बाद भगवान कृष्ण ने किया था विश्राम

मथुरा  मथुरा में यमुना नदी में आई बाढ़ का असर साफ दिखाई दे रहा है. विश्राम घाट भी इस बाढ़ की चपेट में है. यमुना के पानी ने पूरे घाट को अपनी आगोश में ले लिया. घाट के गुम्बद और पिलर पानी में डूब गए हैं. ये वही घाट है जहां भगवान कृष्ण ने कंस का वध करने के बाद विश्राम किया था. तब इसे विश्राम घाट के नाम से जाना जाता है. लोगों ने बताया कि बाढ़ के कारण हालत खराब है. हालांकि, श्रद्धालु अभी भी पूजा करने के लिए इस घाट पर आ रहे हैं.  विश्राम घाट की स्थिति स्थानीय लोगों के अनुसार, यमुना का जलस्तर बढ़ने से मथुरा के हालात बिगड़ गए हैं. ऐतिहासिक विश्राम घाट पानी में समा गया है. घाट पर बने मंदिर और उनके पिलर भी पानी में डूबे हुए हैं. पानी घाट के गुम्बद के करीब पहुंच गया है. घाट के बीच से बहता पानी लोगों को बाढ़ की भयावहता दिखा रहा है.  आस्था और हिम्मत का संगम बाढ़ की इस स्थिति के बावजूद, लोगों की आस्था और हिम्मत बरकरार है. श्रद्धालु घुटनों तक पानी में खड़े होकर भी पूजा-पाठ कर रहे हैं. इस दृश्य से पता चलता है कि बाढ़ भी श्रद्धालुओं की आस्था को डिगा नहीं पाई है. घाट पर मौजूद लोग इस गंभीर स्थिति में भी अपनी धार्मिक परंपराओं को निभा रहे हैं. बाढ़ से ब्रज बेहाल आपको बता दें कि ब्रज में कालिंदी रौद्र रूप दिखा रही हैं. ताजेवाला और ओखला से पाने छोड़े जाने के बाद मथुरा में यमुना का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. नदी खतरे से 50 सेमी ऊपर बह रही है. दर्जनों गांव टापू बन गए हैं. प्रशासन लगातार राहत बचाव कार्य में लगा हुआ है. यमुना में डूबे हुए घर और मंदिर दूर से ही नजर आ रहे हैं.  गौरतलब है कि लगातार बढ़ रहे जलस्तर से कई कॉलोनियों और सैकड़ों घरों में यमुना के पानी प्रवेश कर जाने से स्थिति भयावह होती जा रही है. जयसिंहपुरा इलाके में एक नहीं सैकड़ों घरों में यमुना का पानी प्रवेश कर गया है और पूरा इलाका जलमग्न हो गया है. जिसके कारण लोग पलायन को मजबूर हैं. कई घरों में ताले पड़े हुए हैं. जिला प्रशासन बढ़ रहे जलस्तर को देखते हुए पूरी तरह सजग और सतर्क है. बाढ़ ग्रस्त इलाकों से लोगों को रेस्क्यू कर स्टीमर और नावों के माध्यम से सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है. मथुरा में यमुना के बढ़ते जलस्तर ने वृंदावन से लेकर गोकुल तक कोहराम मचा दिया है. प्रशासन 5 बाढ़ राहत केंद्रों की स्थापना करके लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा रहा है. 

23 जिलों में बाढ़ से हाहाकार, नांगल-आनंदपुर साहिब में अलर्ट जारी, डूबे 1902 गांव

अमृतसर इन दिनों पूरा पंजाब इन दिनों बाढ़ से जूझ रहा है. इस प्राकृतिक आपदा में 43 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 1.71 लाख हेक्टेयर में फैली फसलें बर्बाद हो गई हैं. 23 जिलों के 1902 गांव पानी में पूरी तरह से डूब गए हैं, जिससे 3,84,205 लोग प्रभावित हुए हैं. साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से अब तक 20,972 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. पंजाब के राजस्व, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन मंत्री हरदीप सिंह मुंडियन ने कहा कि अभूतपूर्व बाढ़ के कारण 23 जिलों के कुल 1,902 गांव प्रभावित हुए हैं, जिससे 3.84 लाख से अधिक की आबादी प्रभावित हुई है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से अब तक 20,972 लोगों को निकाला गया है. 24 घंटे में छह और लोगों की मौत हो गई. इसके साथ ही 14 जिलों में मृतकों की संख्या बढ़कर अब 43 हो गई है. 14 जिलों में 43 लोगों की मौत उन्होंने बताया कि मौतें होशियारपुर (7), पठानकोट (6), बरनाला और अमृतसर (5-5), लुधियाना और बठिंडा (4-4), मनसा (3), गुरदासपुर और एसएएस नगर (2-2), पटियाला, रुपनगर, संगरूर, फाजिल्का और फिरोजपुर (1-1) में दर्ज की गई हैं. पठानकोट में तीन लोग लापता हैं. बाढ़ से संबंधित आंकड़े 1 अगस्त से 4 सितंबर तक की अवधि के हैं. उन्होंने बताया कि 1.71 लाख हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि पर खड़ी फसलों को व्यापक नुकसान पहुंचने की खबर है, जिसमें गुरदासपुर, अमृतसर, फाजिल्का, फिरोजपुर, कपूरथला और मानसा सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं. इसी बीच AAP आदमी पार्टी के प्रमुख केजरीवाल ने केंद्र सरकार पंजाब की मदद करने की अपील की है. केजरीवाल ने बयान जारी कर कहा कि मैं केंद्र सरकार से विनती करना चाहूंगा कि इस भीषण स्थिति में जितनी हो सके पंजाब की मदद करें. उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा अफगानिस्तान को मुहैया कराई मदद का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने अभी देखा कि केंद्र सराकर ने अफगानिस्तान में भूकंप आया तो वहां पर उन्होंने काफी मदद भेजी है. वो अच्छी बात है, दुनिया में कहीं भी कुछ हो तो हमें मदद करनी चाहिए, लेकिन पंजाब में इतना बड़ा संकट है तो पंजाब को भी केंद्र सरकार मदद करे. शिवराज सिंह ने किया बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा गुरुवार को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्य के बाढ़ प्रभावित इलाकों अमृतसर, गुरदासपुर और कपूरथला का दौरा किया और लोगों को आश्वासन दिया कि संकट की इस घड़ी में केंद्र उनके साथ खड़ा है. उन्होंने कहा कि दो केंद्रीय दल स्थिति का आकलन करने के लिए पंजाब का दौरा कर रहे हैं और वे केंद्र सरकार को रिपोर्ट सौंपेंगे. उन्होंने कहा, 'नुकसान साफ़ दिख रहा है. फसलें पूरी तरह से बर्बाद हो गई हैं और खेत जलमग्न हो गए हैं.' राज्यपाल ने कृषि मंत्री को सौंपी रिपोर्ट पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने अमृतसर एयरपोर्ट पर शिवराज चौहान को बाढ़ की स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट सौंपी, जिसमें जानमाल, फसलों और बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान की जानकारी दी गई. इसके अलावा अरविंद केजरीवाल ने भी कपूरथला के सुल्तानपुर लोधी में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और केंद्र से इस संकट में पंजाब की मदद करने की अपील की. इससे पहले दिन में केजरीवाल ने चंडीगढ़ स्थित अपने आधिकारिक आवास पर मान से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली. बुखार से पीड़ित मान बाढ़ प्रभावित इलाकों के दौरे के दौरान केजरीवाल के साथ नहीं जा सके. प्रभावित गांव में गजटेड अधिकारी तैनात मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि बाढ़ प्रभावित प्रत्येक गांव में एक गजटेड अधिकारी को तैनात किया गया है. उनका कहना है कि इससे प्रभावित लोगों की समस्याएं आसानी से प्रशासन तक पहुंच सकेंगी, जिससे समस्या का समाधान तुरंत हो सके. राज्य सरकार ने बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष गिरदावरी का आदेश दिया है. भाखड़ा बांध पर जलस्तर स्थिर इस बीच रूपनगर के उपायुक्त वरजीत सिंह वालिया ने नंगल और आनंदपुर साहिब के कई गांवों में सतलुज नदी के पास निचले इलाकों में रहने वाले लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने या जिला प्रशासन द्वारा स्थापित राहत शिविरों में जाने की अपील की है. उन्होंने बताया कि भाखड़ा बांध का जलस्तर स्थिर है. गुरुवार को बांध से लगभग 85,000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. इससे पहले दिन में डीसी ने कहा था कि बांध में जलस्तर 1,679 फीट तक पहुंच गया है, जबकि पानी का डिस्चार्ज लगभग 75,000 क्यूसेक है और इसे बढ़ाकर 80,000 से 85,000 क्यूसेक किया जा सकता है. पटियाला जिला प्रशासन ने भी घग्गर नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी वर्षा के मद्देनजर पटरान में घग्गर नदी के निकटवर्ती गांवों के निवासियों के लिए अलर्ट जारी किया है. आपको बता दें कि पंजाब दशकों में अपनी सबसे भीषण बाढ़ आपदाओं में से एक का सामना कर रहा है. ये बाढ़ हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के बाद सतलुज, व्यास और रावी नदियों के साथ-साथ मौसमी नालों में आए उफान का नतीजा है. इसके अलावा पंजाब में हाल के दिनों में हुई भारी बारिश ने लोगों की चुनौतियों को और बढ़ा दिया है.

पंजाब त्रासदी: तबाही मचाती बाढ़ से अब तक 37 की जान गई, लाखों लोग बेघर

गुरदासपुर पंजाब इस समय 1988 के बाद की सबसे भयावह बाढ़ का सामना कर रहा है. भारी बारिश और हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर से छोड़े गए पानी के कारण राज्य की प्रमुख नदियां सतलुज, ब्यास और रावी उफान पर हैं. मौसमी नाले भी खतरे के स्तर से ऊपर बह रहे हैं. अब तक बाढ़ में 37 लोगों की मौत हो चुकी है और साढ़े 3 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. राज्य के सभी 23 जिले बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं, जबकि 1,655 गांव पानी से डूब गए हैं. बाढ़ के कारण पंजाब में 1.48 लाख हेक्टेयर से ज्यादा खड़ी फसलें तबाह हो चुकी हैं. किसानों को पशुधन के नुकसान की भी मार झेलनी पड़ रही है. कई घर जमींदोज हो गए हैं या पानी में बह गए हैं. कई इलाकों में खेत तालाब और झील में तब्दील हो गए हैं, जिनकी गहराई 8 से 10 फीट तक पहुंच गई है. ग्रामीण नावों के सहारे इधर-उधर जा रहे हैं. सबसे ज्यादा प्रभावित जिले गुरदासपुर, पठानकोट, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर, होशियारपुर और अमृतसर सबसे प्रभावित जिलों में शामिल हैं. प्रशासन ने कई राहत शिविर स्थापित किए हैं, लेकिन बहुत से लोग अब भी अपने मवेशियों और घरों के पास ही छतों या ऊंचे प्लेटफार्मों पर डटे हुए हैं. सरकार और नेताओं की अपील मुख्यमंत्री भगवंत मान ने फिरोजपुर के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया और कहा कि सरकार ने विशेष गिरदावरी (नुकसान आकलन सर्वे) शुरू कर दी है. उन्होंने आश्वासन दिया कि प्रभावित परिवारों को मुआवजा मिलेगा. मान ने कहा, “जब भी देश संकट में आया, पंजाब ने साथ दिया. आज पंजाब संकट में है, देश को हमारे साथ खड़ा होना चाहिए.” आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गुरुवार को बाढ़ग्रस्त इलाकों का दौरा करेंगे और राहत कार्यों की समीक्षा करेंगे. इससे पहले मनीष सिसोदिया ने तरनतारन में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया था, जबकि राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने अपनी स्थानीय क्षेत्र विकास निधि से 3.25 करोड़ रुपये राहत कार्यों के लिए दिए हैं. जनसहयोग भी जारी पंजाब के कलाकारों और सामाजिक संगठनों ने भी मदद का हाथ बढ़ाया है. सोनू सूद, दिलजीत दोसांझ, गिप्पी ग्रेवाल, करण औजला, अम्मी विर्क और रंजीत बावा जैसे कलाकार लोगों की मदद के लिए आगे आए हैं. सरकारी एजेंसियों के साथ कई एनजीओ और सिख संस्थाएं राहत व बचाव कार्य में जुटी हैं. राज्य के सभी स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय 7 सितंबर तक बंद कर दिए गए हैं. वहीं, भाखड़ा डैम में पानी का स्तर 1677.84 फीट तक पहुंच चुका है, जो अधिकतम क्षमता 1680 फीट के बेहद करीब है.

यमुना का पानी बढ़ा, दिल्ली के 8 इलाके जलमग्न – रिंग रोड और NH-154A पर रोक

नई दिल्ली दिल्‍ली-एनसीआर में गुरुवार 4 सितंबर 2025 को झमाझम बारिश हुई है. खासकर राष्‍ट्रीय राजधानी के संगम विहार, कालकाजी समेत महानगर के कई हिस्‍सों में बारिश हुई है. दिल्‍ली के सोनिया विहार इलाके में जमीन धंसने की घटना समने आई है. ऊपरी इलाकों में लगातार बारिश की वजह से यमुना का जलस्‍तर खतरे के निशान को पार कर गया है. कई इलाकों में पानी भर गया है. सैकड़ों की संख्‍या में लोगों को सुरक्षित जगहों पर आश्रय लेना पड़ा है. हथिनी बैराज से लगातार पानी छोड़े जाने की वजह से हालात और भी बिगड़ रहे हैं. पंजाब और जम्‍मू-कश्‍मीर में भी बाढ़ से स्थिति बेहद गंभीर बनी हुई है. पंजाब का हर जिला बाढ़ से प्रभावित है, जिसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने पूरे राज्‍य को आपदा प्रभावित घोषित कर दिया है. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने कई राज्‍यों के लिए भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है. जम्‍मू-कश्‍मीर में मूसलाधार बारिश, बाढ़, लैंडस्‍लाइड और फ्लैश फ्लड के चलते हालात बेहद गंभीर हो गया है. पंपोर में बारिश से हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि राहत-बचाव के लिए सेना को उतरना पड़ा है. झेलम नदी लगातार खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिसके कारण बाढ़ का पानी लगातार नए इलाकों में घुस रहा है. इस वजह से आमलोगों की परेशानियां काफी बढ़ गई हैं. लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाने के साथ ही आर्मी के जवान झेलम के पानी को रोकने का प्रयास भी कर रहे हैं, ताकि हालात बिगड़े नहीं. राजस्‍थान में मूसलाधार बारिश से हालात खराब राजस्थान में जयपुर समेत कई जिले में भारी बारिश से हालात खराब है. जयपुर के पास कोटखावदा गांव भी सड़कों के दरिया बनने से टापू बन गया है. गांव के कई इलाके पानी में डूबे हैं. इस गांव की आस पास के छोटे गांव यानी ढाणियों के टापू बनने से ग्रामीण संकट में फंसे है. पानी की निकासी की कोशिश जारी है, इसके बावजूद संकट बना हुआ है. कोट खावदा गांव टापू में तब्‍दील हो गया है. कोट खावदा गांव की संपर्क सड़क पूरी तरह पानी में डूब गई है. प्रभावित पीड़ितों को ट्रैक्टरों की मदद से बाहर निकाला जा रहा है. पंजाब सरकार ने आवंटित किया करोड़ों का फंड पंजाब सरकार ने आपदा की स्थिति से निपटने के लिए कुल 71 करोड़ रुपये का फंड जारी किया है. सभी जिलों को पहले ही 35.50 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं. वित्त आयुक्त (माल) ने बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित 12 जिलों को 35.50 करोड़ रुपये के अतिरिक्त फंड जारी किए. मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार ने कहा कि वह प्रदेशवासियों के नुकसान की भरपाई के लिए वचनबद्ध है और उसके लिए प्रयास करेगी.  चंबा में आपदा के बाद राहत कार्य तेज़, भरमौर एनएच की बहाली में जुटा प्रशासन आज का मौसम लाइव: हाल ही में हुई मूसलधार बारिश के चलते चंबा ज़िले की अधिकांश सड़कों पर यातायात पूरी तरह से बाधित हो गया है. खासकर चंबा से भरमौर को जोड़ने वाला राष्ट्रीय उच्च मार्ग 154-A बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ है. इस आपदा के चलते जहां मणिमहेश यात्रा के अधिकतर श्रद्धालु सुरक्षित रूप से अपने घरों को लौट चुके हैं, वहीं कुछ यात्री अब भी फंसे हुए हैं. उन्हें निकालने के लिए सरकार द्वारा हेलीकॉप्टर सेवाएं चलाई जा रही हैं. प्रशासन ने राहत और पुनर्बहाली कार्यों में तेजी लाने के लिए विशेष प्रयास शुरू कर दिए हैं. इसी कड़ी में बिलासपुर से एससी वर्ग के वरिष्ठ अधिकारी जीत सिंह ठाकुर को विशेष रूप से चंबा भेजा गया है. उन्हें इस मार्ग की बहाली की जिम्मेदारी सौंपी गई है और वे दिन-रात मौके पर निगरानी रख रहे हैं.  

रौद्र रूप में नदियां, हरियाणा में भारी बारिश और बाढ़, हड़कंप मचा, स्कूल बंद

चंडीगढ़ हरियाणा में उफनाईं नदी-नालों व लगातार हो रही बारिश अब तबाही मचाने लगी है। मंगलवार से अब-तक को बारिश जनित हादसों में सात लोगों की मौत हो गई, जबकि एक बह गया। इनमें चार की मौत तो केवल करंट से हुई। जलभराव व सड़क धंसने से हिसार व यमुनानगर में दो नेशनल हाईवे पर यातायात रोकना पड़ा। पंचकूला में तड़के से लगातार बारिश हो रही है। मोरनी इलाके में भारी बारिश की वजह से घग्गर नदी उफान पर है। नदी में पानी का स्तर 1000 क्यूसेक बढ़कर 10,000 क्यूसेक तक पहुंच गया है। इस दौरान चारा खोजने गए भैंसों का एक झुंड नदी में फंस गया। खतरे को देखते हुए डीसी मोनिका गुप्ता ने जिले के सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूल बंद करने के आदेश दिए हैं। उन्होंने माता-पिता, बच्चों और शिक्षकों से अपील की है कि सावधानी बरतें और जरूरत न हो तो घर से बाहर न निकलें। हिसार में चंडीगढ़ हाईवे के एक हिस्से को तोड़कर पानी निकाला और आवागमन हुआ। वहीं, कलानौर में पंचकूला-सहारनपुर हाईवे पर यमुना नदी पर बना पुल चार इंच धंस गया। इससे पुल पर बैरिकेडिंग कर एक साइड बंद कर दी गई है।  कार पर पेड़ गिरा, स्कूली बच्चे घायल पंचकूला में बारिश के दौरान हुआ बड़ा हादसा हो गया है। सुबह करीब 11 बजे के करीब प्राइवेट स्कूल के बाहर स्कूली बच्चों से भरी कार पर एक भारी भरकम पेड़ गिर गया। कार में 6 स्कूली बच्चे सवार थे। भारी भरकम पेड़ गिरने से बच्चे घायल हुए हैं। घायल बच्चों को इलाज के लिए प्राइवेट अस्पताल भेजा गया है। बच्चों के पिता आनंद अत्री ने इस हादसे की जानकारी दी है। पंचकूला के सेक्टर 4 की ये घटना है। पंचकूला के सेक्टर 4 स्थित सतलुज पब्लिक स्कूल छोड़ने आए थे अत्री अपने बच्चों को। कार में आनंद अत्री के अपने दो बच्चे और उनके भाई अनूप अत्री के दो बच्चे और उनकी बहन के दो बच्चे सवार थे। नदी के पास नाका लगाने के निर्देश पंचकूला में बुधवार सुबह से हो रही भारी बारिश के कारण घग्गर नदी एक बार फिर उफान पर है। घग्गर का जलस्तर खतरनाक रूप से लगातार बढ़ रहा है। पंचकूला उपायुक्त मोनिका गुप्ता ने अलर्ट जारी करते हुए नदी के आसपास एरिया में पुलिस से नाका लगाने के निर्देश दिए हैं। साथ ही हिदायत दी है कि कोई भी व्यक्ति नदी के पास न जाए। यदि कोई जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। ट्रैफिक एडवाइजरी जारी हो चुकी पंचकूला ट्रैफिक डीसीपी मनप्रीत सिंह सूदन की ओर से एक दिन पहले ही ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की जा चुकी है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे अलर्ट रहें और सिर्फ बताए गए रास्तों से ही सफर करें। उन्होंने कहा कि जिन इलाकों में सड़कें या रास्ते बंद हैं, वहां जाने से बचें। डीसीपी ने कहा कि मौसम खराब है, इसलिए लोग सावधानी से वाहन चलाएं और सफर शुरू करने से पहले रास्तों की स्थिति जरूर जांच लें।दरअसल, लगातार बारिश के कारण जिले के कई पहाड़ी और मैदानी इलाकों में सड़कें और पुल टूट गए हैं, जिससे कई जगहों पर आवाजाही रुक गई है। करनाल में शेरगढ़ टापू का पुल डूबने से करनाल का सहारनपुर से संपर्क कट गया है। गुरुग्राम में तो चार अंडरपास बंद कर दिए गए हैं। इसी तरह यमुनानगर के लापरा गांव की मुख्य सड़क और खेत हुए जलमग्न होने से आवाजाही पूरी तरह से बंद है।  फतेहाबाद के भूना में कुलां मार्ग पर पानी भरने से बंद किया गया है। जलभराव के कारण दिल्ली-जयपुर हाईवे पर जाम लगा रहा है। गुरुग्राम में भी छह घंटे जाम जैसी स्थिति रही। दूसरी ओर पांच दिन बाद भी नदियों का जलस्तर कम नहीं हुआ। पानीपत में यमुना, कुरुक्षेत्र में मरकंडा लगातार खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं जबकि कैथल के गुहला-चीका में घग्गर का जलस्तर 22 फीट पर पहुंच गया है।  हथिनीकुंड बैराज से मंगलवार को 1,53,767 क्यूसेक पानी छोड़ा यमुनानगर में हथिनीकुंड बैराज से मंगलवार को 1,53,767 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। इससे यमुनानगर के कलेसर, टापू कमालपुर गांव में तेजी से भूमि कटाव हो रहा है। हथिनीकुंड बैराज में छोड़े गए पानी से बाढ़ के खतरे को देखते हुए उत्तर प्रदेश की पूर्वी नहर और हरियाणा दिल्ली को आपूर्ति करने वाली पश्चिमी यमुना नहर की जलापूर्ति बंद है।  नदी किनारे लगते गांवों को बैराज से हर घंटे खतरे का सायरन बजाकर चेतावनी दी जा रही है। दिल्ली में भी बाढ़ का खतरा बना हुआ है। बैराज के सभी 18 गेट खुले हुए हैं। भिवानी में तीन और सिरसा जिले में मंगलवार को दो ड्रेनें टूट गई हैं। हालांकि अंबाला में सोम और टांगरी नदियां स्थिर हैं। गुरुग्राम के कार्यालयों में आज भी वर्क फ्राॅम होम प्रदेश के 12 जिलों में बाढ़ जैसे हालात हैं। आठ जिलों भिवानी, झज्जर, गुरुग्राम, हिसार, सिरसा, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र व पंचकूला के कुछ स्कूल बंद करने पड़े। फतेहाबाद के भूना, जाखल और टोहाना के स्कूलों में तीन दिन के लिए अवकाश कर दिया गया। गुरुग्राम में बुधवार को भी कार्यालयों में वर्क फ्रॉम के आदेश जारी हुए हैं। यहां स्कूलों में कक्षाएं भी ऑनलाइन लगेंगी।  बारिश व बाढ़ जैसे हालात से तीन दिन और राहत की उम्मीद कम है। मौसम विज्ञान विभाग चंडीगढ़ ने तीन सितंबर को भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। 4 व 5 को भी हरियाणा के कुछ स्थानों पर भारी बारिश की संभावना रहेगी। बिगड़ते हालात देखते हुए कैथल में एसडीआएफ व एनडीआरआफ की टीमें तैनात कर दी गई हैं, जबकि सोनीपत, सिरसा व करनाल में टीमों को बुलाया गया है। सरकार ने इसकी मंजूरी भी दे दी है। सभी जिलों में पटवारी, ग्राम सचिव व ग्रामीण ठीकरी पहरे दे रहे हैं। फतेहाबाद में बाढ़ की आशंका के मद्देनजर तीन डीएसपी, 350 पुलिसकर्मी बचाव के लिए तैनात किए गए हैं।  वहीं, राज्य सरकार की ओर से सभी उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि वे हालात पर नजर बनाए रखें। सभी विभागों के साथ समन्वय बनाकर रखें। आपात स्थिति में यदि किसी जिले को एसडीआरएफ यानी स्टेट डिजास्टर टीम की आवश्यकता पड़ती है तो तुरंत मुख्यालय को सूचित करें। हिसार में एक बाइक पर जा रहे थे चार … Read more

बाढ़ ने छत्तीसगढ़ में मचाई तबाही, डैम टूटने से कई गांव डूबे, 4 की मौत

रायपुर  छत्‍तीसगढ़ में भी लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है. इस वजह से नदी-नाले उफान पर हैं. डैम भी पानी से लबालब हो चुके हैं. इस बीच, प्रदेश के बलरामपुर में बांध टूटने से 4 घर बह गए, जिसकी चपेट में 8 लोग आए. इनमें से 4 की लाश बरामद हो गई है. बाकी की तलाश जारी है. बलरामपुर जिले के तातापानी पुलिस चौकी क्षेत्र अंतर्गत स्थित लुतिया डैम मंगलवार की रात करीब 11 बजे टूट गया। बांध टूटने से दो मकान पूरी तरीके से बाढ़ में बह गए, दोनों मकान में 8 लोग सोए थे, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई, जबकि 5 लोग अब भी लापता हैं। घटना के बाद गांव में शोक का माहौल है। पुलिस और प्रशासन की टीम लापता लोगों की तलाश में जुटी हुई है। फिलहाल राहत और बचाव कार्य जारी है।  2 लोगों की लाश को मौके से बरामद बलरामपुर जिले में लगातार तेज बारिश होने के कारण लुतिया डेम रात 11 बजे के करीब टूट गया। बताया गया है कि पहाड़ में तीज बारिश होने के कारण पहाड़ की झरने का पानी बांध में आ रहा था और उसके बाद बांध लबालब भर गया। देखते ही देखते पूरा बांध टूट गया, लेकिन इस दौरान पहले से यहां पर कोई अलर्ट जारी नहीं किया गया था और न ही जल संसाधन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे हुए थे। लगातार बारिश से नदी-नाले उफान पर… केलो डेम के चार गेट खोले गए, IMD ने यलो अलर्ट किया जारी यही वजह है कि यहां पर ऊंचाई में मकान बनाकर रह रहे दो परिवार के लोग गहरी नींद में जब सोए हुए थे, तब बांध के पानी की वजह से आने वाले बाढ़ में वे बह गए, घर का नामोनिशान मिट गया। रात 3 बजे के करीब कलेक्टर राजेंद्र कटारा और पुलिस अधीक्षक मौके पर पहुंचे और उन्होंने रेस्क्यू टीम के माध्यम से 2 लोगों की लाश को मौके से बरामद किया। इसमें 60 वर्षीय महिला बसतिया और उसकी बहू 26 वर्षीय रजंती शामिल है। 3 अस्पताल में भर्ती प्रशासन द्वारा तीन लोगों को गंभीर हालत में इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया। वहीं जब सुबह होने लगी तब एक व्यक्ति का और लाश मिला है, यानी अब तक कुल 3 लोगों की लाश बरामद हो गई है। वही बताया जा रहा है कि अभी 3 लोग लापता है और उनकी तलाश एसडीआरएफ की टीम के द्वारा की जा रही है। निचले इलाके में भरा पानी, बहे ग्रामीण बांध टूटने के कारण पानी निचले इलाके में पहुंच गया। बाढ़ की चपेट में 4 घर आ गए। इन घरों में रहने वाले 8 ग्रामीण तेज पानी में बह गए। घटना की सूचना ग्रामीणों ने जिला पंचायत उपाध्यक्ष धीरज सिंहदेव को दी। उन्होंने कलेक्टर और एसपी को हादसे की जानकारी दी। धीरज सिंहदेव करीब 12.30 बजे घटनास्थल पर पहुंचे। देर रात कलेक्टर राजेंद्र कटारा और एसपी वैभव बैंकर सहित प्रशासनिक अधिकारी, रेस्क्यू टीम के साथ मौके पर पहुंचे। सैकड़ों लोग खोजबीन में जुटे जहां बांध बहा है, वहां से कन्हर नदी की दूरी करीब पांच किलोमीटर है। बाढ़ में बहे लाेगाें की खोजबीन में सैकड़ों लोग जुटे हैं। अब तक लापता लोगों का पता नहीं चला है। अन्य ग्रामीणों के घर बहे, लेकिन इनके सदस्य बच गए। बाढ़ की चपेट में आकर ग्रामीणों की सैकड़ों एकड़ में लगी धान और टमाटर सहित अन्य फसलें भी बर्बाद हो गई हैं। बाढ़ की चपेट में आकर ग्रामीणों के कई मवेशी भी बह गए हैं। कुछ की खूंटे में बंधी हालत में मौत हो गई। कई बांध लबालब, प्रशासन ने किया सतर्क बलरामपुर जिले में इस साल औसत से 59 प्रतिशत अधिक बारिश रिकॉर्ड की गई है। इसके कारण जिले के सभी बांध लबालब भर गए हैं और नदी, नाले भी उफान पर हैं। इसे देखते हुए पुराने बांध के नीचे रहने वालों को सतर्क भी किया गया है। डेम में रिसाव हो रहा था लेकिन नहीं दिया ध्यान : डेम फूटने से आई बाढ़ में कई मवेशी भी बह गए हैं। दूसरी तरफ स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से डेम में रिसाव हो रहा था लेकिन इसके बाद भी जल संसाधन विभाग के अधिकारी इसका मरम्मत नहीं कर रहे थे जबकि इस साल लगातार पिछले दो महीना से अत्यधिक बारिश हो रही है उसके बावजूद जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने यहां पर पहले से कोई अलर्ट जारी नहीं किया था और न ही मुनादी कराया था अगर ऐसा किया गया होता तो लोगों की जान नहीं गई होती। बताया गया है की डेम का निर्माण पहाड़ी के नीचे किया गया है और इसका निर्माण 50 साल पहले किया गया था लेकिन जल संसाधन विभाग के अधिकारी वास्तविक रूप से इस डेम का मरम्मत नहीं कर रहे थे सिर्फ कागजों में ही हर साल मरम्मत किया जाता था। यही वजह है कि इस साल डेम तेज बारिश के बीच बह गया।