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सरहद पर ऑपरेशन त्रिशूल की धमक, पाकिस्तानी सेना में मचा हड़कंप

नई दिल्ली भारत पश्चिमी सीमा पर 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक त्रि-सेवा (थलसेना, नौसेना और वायुसेना) सैन्य अभ्यास करने वाला है। इसे लेकर पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। तीनों सेना का संयुक्त अभ्यास त्रिशूल के नाम से होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, यह एक्सरसाइज सर क्रीक-सिंध-कराची अक्ष पर केंद्रित होगी, जिसे पाकिस्तानी 'पाकिस्तान का गहरा दक्षिण' बताते हैं। इसे देखते हुए इस्लामाबाद अपनी दक्षिणी कमांड में सतर्कता बढ़ाने के लिए मजबूर हो गया है और पूरी तरह से चौकसी बरती जा रही है। पाकिस्तान के रक्षा सूत्रों ने बताया कि सिंध और पंजाब में दक्षिणी कमांड के लिए हाई अलर्ट जारी किया गया है। साथ ही, वायुसेना और नौसेना को किसी भी संभावित आक्रामकता का जवाब देने के लिए स्टैंडबाय पर रखा गया है। सीएनएन-न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, बहावलपुर स्ट्राइक कोर और कराची कोर को विशेष तैयारियों के लिए चुना गया है। शोरकोट, बहावलपुर, रहीम यार खान, जैकोबाबाद, भोलारी और कराची जैसे हवाई अड्डे भी स्टैंडबाय हैं। इसके अलावा, अरब सागर में गश्त और नौसैनिक गतिविधियों को बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। सैन्य अभ्यास का क्या है मकसद सूत्रों के अनुसार, भारत का यह अभ्यास थार रेगिस्तान और सर क्रीक क्षेत्र के बीच होगा। इसे दक्षिणी क्षेत्रों में नौसेना, वायुसेना और थलसेना के बीच समन्वय जांचने के लिए डिजाइन किया गया है। पाकिस्तानी अधिकारियों को डर है कि इस एक्सरसाइज का इस्तेमाल समुद्री चोकपॉइंट्स और कराची से जुड़े तटीय ढांचे को खतरे में डालने के लिए हो सकता है। ध्यान रहे कि कराची बंदरगाह और बिन कासिम के माध्यम से पाकिस्तान का लगभग 70 प्रतिशत व्यापार होता है, जो इन सुविधाओं को रणनीतिक रूप से संवेदनशील बनाता है।  

सैन्य अभ्यास से पहले पाकिस्तान ने बंद किए हवाई मार्ग, भारतीय ‘त्रिशूल’ से बढ़ा तनाव

नई दिल्ली  भारत की ओर से पाकिस्तान सीमा के पास सेना के तीनों अंगों (थल सेना, नौसेना और वायु सेना) का संयुक्त युद्धाभ्यास 'त्रिशूल' शुरू करने की तैयारी के बीच, पाकिस्तान ने अपने केंद्रीय और दक्षिणी हवाई क्षेत्र में कई हवाई मार्गों पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस कदम को लेकर इस्लामाबाद ने कोई आधिकारिक कारण नहीं बताया है, लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि यह या तो किसी सैन्य अभ्यास से जुड़ा कदम हो सकता है या फिर किसी हथियार परीक्षण की तैयारी. 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक अभ्यास करेंगी भारत की सेनाएं यह कदम तब उठाया गया है जब भारत ने 30 अक्टूबर से 10 नवंबर तक पाकिस्तान सीमा के पास सर क्रीक इलाके में बड़े पैमाने पर तीनों सेनाओं के संयुक्त अभ्यास के लिए NOTAM (Notice to Airmen) जारी किया था. ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच इस तरह की सैन्य 'तनातनी' आम हो गई है, जिसमें दोनों देश सीमाई इलाकों में सैन्य अभ्यास के लिए NOTAM जारी करते हैं. ‘त्रिशूल’ अभ्यास का महत्व रक्षा विश्लेषक डेमियन साइमोन की ओर से शेयर की गई सैटेलाइट तस्वीरों के मुताबिक, ‘त्रिशूल’ अभ्यास के लिए आरक्षित हवाई क्षेत्र 28,000 फीट की ऊंचाई तक फैला हुआ है. उन्होंने ट्वीट में कहा कि अभ्यास का क्षेत्र और इसका पैमाना 'असामान्य' है. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस अभ्यास में थलसेना, नौसेना और वायुसेना की संयुक्त भागीदारी होगी. इसका उद्देश्य सेनाओं की संयुक्त अभियान क्षमता, ‘आत्मनिर्भरता’ और इनोवेशन का प्रदर्शन करना है. भारत की सीमाई गतिविधियों पर पाकिस्तान की नजर मंत्रालय ने बयान में कहा, 'दक्षिणी कमान के सैनिक विभिन्न चुनौतीपूर्ण इलाकों में संयुक्त अभियानों को परखेंगे, जिनमें क्रीक और रेगिस्तानी इलाकों में आक्रामक रणनीतियां, सौराष्ट्र तट पर उभयचर (amphibious) ऑपरेशन और बहु-क्षेत्रीय संयुक्त अभ्यास शामिल हैं.' हालांकि ऐसे अभ्यास सामान्य सैन्य तैयारी का हिस्सा होते हैं, लेकिन पाकिस्तान की ओर से NOTAM जारी करना यह दर्शाता है कि वह ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की सीमाई गतिविधियों पर करीबी नजर रख रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेनाओं ने पाकिस्तान के भीतर 9 आतंकी ठिकाने और 11 सैन्य ठिकाने व एयरबेस को निशाना बनाया था.

भारतीय सेना की मालगाड़ी पहली बार पहुंची कश्मीर, वापसी में लाएगी सेब – विकास और भरोसे का संकेत

श्रीनगर  जम्मू-कश्मीर में एक ऐतिहासिक घटना हुई है. उद्धमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) पर भारतीय सेना की पहली विशेष मालगाड़ी सफलतापूर्वक चली. 12-13 सितंबर 2025 को यह गाड़ी बीडी बारी से अनंतनाग पहुंची. इसमें 753 मीट्रिक टन एडवांस्ड विंटर स्टॉकिंग (एडब्ल्यूएस) सामान लदा था, जो सेना की इकाइयों के लिए था. यह कदम सेना की सर्दियों की तैयारी में क्रांति लाएगा. यूएसबीआरएल क्या है और इसका महत्व? यूएसबीआरएल भारत का एक महत्वाकांक्षी रेल परियोजना है, जो जम्मू को कश्मीर घाटी से जोड़ती है. इसकी कुल लंबाई 272 किलोमीटर है. यह हिमालय के कठिन इलाके से गुजरती है. इसमें दुनिया का सबसे ऊंचा रेल पुल चेनाब ब्रिज (359 मीटर ऊंचा) और भारत का सबसे लंबा रेल सुरंग पीर पंजाल (11.215 किमी) शामिल हैं. यह परियोजना 2002 में शुरू हुई और जून 2025 में पूरी तरह चालू हो गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 जून 2025 को इसकी शुरुआत की, जब वंदे भारत ट्रेन को फ्लैग ऑफ किया गया. इस रेल लिंक से कश्मीर घाटी बाकी भारत से जुड़ गई, जो सड़कों पर भूस्खलन या बाढ़ से होने वाली परेशानियों को कम करेगी. अगस्त 2025 में पहली मालगाड़ी अनंतनाग पहुंची, जो सीमेंट ले जा रही थी. लेकिन भारतीय सेना की यह गाड़ी पहली विशेष मालगाड़ी है, जो सैन्य और सिविल उपयोग का उदाहरण है. सेना की पहली विशेष मालगाड़ी: क्या लाया और क्यों खास? 12-13 सितंबर 2025 को चली यह मालगाड़ी बीडी बारी (कटरा के पास) से अनंतनाग पहुंची. इसमें 753 मीट्रिक टन एडब्ल्यूएस सामान लदा था, जैसे राशन, ईंधन, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें. ये सामान जम्मू-कश्मीर में तैनात सेना की इकाइयों के लिए था, ताकि सर्दियों में बर्फीले हिमालयी इलाके में कोई कमी न हो. पहले सेना सड़कों पर ट्रक से सामान भेजती थी, जो भूस्खलन या बर्फबारी से रुक जाती थी. अब रेल से तेज और सुरक्षित तरीके से स्टॉकिंग होगी. यह सेना की क्षमता विकास का हिस्सा है, जो कठिन इलाकों में ऑपरेशनल तैयारी सुनिश्चित करेगा. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि यह कश्मीर को राष्ट्रीय फ्रेट नेटवर्क से जोड़ने का मील का पत्थर है.  सिविल-मिलिट्री फ्यूजन: कश्मीरी सेब का निर्यात यह गाड़ी सिर्फ सैन्य उपयोग की नहीं. वापसी में यह कश्मीरी सेब ले जाएगी, जो भारत के बाकी बाजारों में बेचे जाएंगे. यह ड्यूल-यूज लॉजिस्टिक्स का शानदार उदाहरण है. कश्मीरी किसान पहले भूस्खलन या बाढ़ से सड़कें बंद होने पर भारी नुकसान उठाते थे. अब रेल से उनका फल तेजी से बाजार पहुंचेगा, जिससे आर्थिक राहत मिलेगी. यह कदम सेना की राष्ट्र-निर्माण में भूमिका दिखाता है. सेना न सिर्फ रक्षा करती है, बल्कि कश्मीर के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी योगदान दे रही है. रेल इंफ्रास्ट्रक्चर का सैन्य और सिविल उपयोग से क्षेत्र की लचीलापन, कनेक्टिविटी और समृद्धि बढ़ेगी. परियोजना से 5 करोड़ से ज्यादा मैन-डे रोजगार पैदा हुए हैं. यूएसबीआरएल के फायदे: कश्मीर के लिए नया दौर यह रेल लिंक कश्मीर को बदल देगी. पहले कश्मीर घाटी रेल से अलग-थलग थी, लेकिन अब पैसेंजर ट्रेनें (जैसे वंदे भारत) और मालगाड़ियां चलेंगी. इससे फल, हस्तशिल्प और अन्य सामान सस्ते में बाजार पहुंचेंगे. सेना के लिए यह सर्दियों की स्टॉकिंग आसान करेगा.  परियोजना में कई चुनौतियां थीं—जैसे हिमालय के युवा इलाके में भूगर्भीय समस्याएं. लेकिन सुरंगों में वेंटिलेशन और फायरफाइटिंग सिस्टम लगाकर सुरक्षा सुनिश्चित की गई. अब कश्मीर की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी. Srinagar से रवाना हुई पहली  Rapid Cargo ट्रेन, इतने समय में तय करेगी Delhi तक का सफर  आज श्रीनगर से पहली माल ढुलाई ट्रेन दिल्ली के लिए रवाना की गई है।  कश्मीर की अर्थव्यवस्था को गति देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए LG Manoj Sinha ने सोमवार को नौगाम रेलवे स्टेशन से कश्मीर और नई दिल्ली के बीच संयुक्त पार्सल उत्पाद-रैपिड कार्गो सेवा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि यह नई पार्सल ट्रेन सेवा विशेष रूप से बागवानी उत्पादों के त्वरित परिवहन में मददगार साबित होगी और क्षेत्र के फल उत्पादकों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आएगी।  मैं इस पहल के लिए रेलवे का आभारी हूँ।" उन्होंने कहा, "हमने देखा है कि भौगोलिक कारणों और खराब मौसम की वजह से राष्ट्रीय राजमार्ग कई बार अवरुद्ध हो जाते हैं। इस बंद होने से जल्दी खराब होने वाले सामानों को नुकसान होता है। रेलवे पार्सल सेवाओं की शुरुआत इस समस्या के समाधान की दिशा में एक बड़ी छलांग है।"   इस बीच, रेलवे अधिकारियों ने बताया कि पार्सल सेवा बडगाम और आदर्श नगर, नई दिल्ली के बीच चलेगी, जिसका जम्मू के बारी ब्राह्मणा में एक निर्धारित ठहराव होगा। इस ट्रेन में 23-23 टन क्षमता वाले आठ पार्सल कोच हैं और शुरुआत में ये सेब और अखरोट ले जाएंगे। उन्होंने आगे कहा कि इस सुविधा से रसद व्यवस्था सुचारू होने, समय पर माल लदान और परिवहन घाटे में कमी आने की उम्मीद है। पहली ट्रेन ₹2.5 करोड़ मूल्य के फल लेकर 24 घंटे के भीतर दिल्ली पहुंचेगी। रेलवे अधिकारियों के अनुसार, इसी तरह की 15 कोच वाली वीपी ट्रेन जल्द ही अनंतनाग से फल, खासकर सेब ले जाने के लिए चलेगी। अधिकारियों ने कहा कि यह पहल न केवल कश्मीर के लिए, बल्कि पूरे जम्मू और कश्मीर क्षेत्र और भारतीय रेलवे के लिए गर्व का क्षण है।

बड़ी सेंध! बांग्लादेशी घुसपैठिया भारतीय सेना में भर्ती, खुफिया एजेंसियां अलर्ट

इंदौर  बांग्लादेशी नागरिक और रोहिंग्याओं की जांच कर रही मध्य प्रदेश की एसआइटी को चौंकाने वाली जानकारी मिली है। पड़ताल में न केवल कई बांग्लादेशी अवैध तरीके से इंदौर में रहते मिले, बल्कि यह भी पता चला कि ऐसी ही एक महिला का बेटा सेना में भर्ती हो गया है। आइबी सहित अन्य राष्ट्रीय एजेंसियों ने शुरू की जांच एसआइटी की रिपोर्ट के बाद आइबी सहित अन्य राष्ट्रीय एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है। एसआइटी ने एक महिला को वापस बांग्लादेश भेज दिया है, जबकि दो अन्य महिलाओं को हिरासत में लिया है। बता दें कि पुलिस मुख्यालय से मिली गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर डीसीपी इंटेलिजेंस डॉ. हंसराज ने एसआइटी का गठन किया था। पिछले माह पुलिस का सात सदस्यीय दल बंगाल गया था, जहां पता चला कि इंदौर में कई बांग्लादेशी नागरिक फर्जी आधार और पैनकार्ड बनाकर रह रहे हैं। सौरभ ने इंदौर में घर बना लिया कॉकद्वीप (कोलकाता) का सौरभ दास भी उनमें एक है। वर्षों पूर्व घुसपैठ कर भारत आए उसके दादा आज भी बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में रेलवे पटरी के समीप रहते हैं। सौरभ ने इंदौर में घर बना लिया और बांग्लादेशी युवती से शादी कर ली। पुलिस ने युवती को शाजापुर से पकड़कर वापस भेज दिया, पर सौरभ गायब हो गया। इसी जांच में पता चला कि सौरभ की बहन प्रभा का एक बेटा सेना में भर्ती हो गया है। डीसीपी ने बंगाल के बड़े अफसरों से बात की बता दें कि बंगाल गई एसआइटी टीम का वहां रहवासियों ने न केवल विरोध किया, बल्कि स्थानीय पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और दिनभर थाने में बैठाकर रखा। डीसीपी ने बंगाल के बड़े अफसरों से बात की, तब कहीं एसआइटी के सदस्यों को छोड़ा गया।  

बर्फ़ में दबे सैनिकों की खोज में मदद करेगी स्मार्ट वर्दी, Army‑IIT परियोजना शुरू

कानपुर  देश की बर्फीली सीमाओं पर तैनात सैनिकों के गुम होने पर चमकदार द्रव के जरिए आसानी से तलाशा जा सकेगा। इसके लिए सेना और आईआईटी कानपुर के बीच स्वचालित हिमस्खलन पीड़ित पहचान प्रणाली (एएवीडीएस) डिवेलप करने को लेकर  एमओयू हुआ। सूर्या कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता के नेतृत्व में एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए। इसका उद्देश्य स्वदेशी तकनीक से अत्याधुनिक प्रणाली विकसित करना है, जो हिमस्खलन के दौरान बर्फ में दबे कर्मियों का तुरंत पता लगाने में सक्षम हो। योजना के तहत सैनिक की वर्दी में एक कॉम्पैक्ट अटैचमेंट से प्रक्षेपित प्रकाशमान द्रव का उपयोग किया जाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता ने कहा कि स्वदेशी तकनीक दुर्गम ऊंचाई और बर्फीले क्षेत्रों में आपात स्थिति में फंसे सैनिकों को बचाने में काफी मददगार साबित होगी। सूर्या कमान के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल नवीन सचदेवा ने कहा कि यह पहल रक्षा प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता और दुर्गम इलाकों में क्षेत्रीय इकाइयों की परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने के प्रति भारतीय सेना की प्रतिबद्धता दर्शाती है। आईआईटी कानपुर के वरिष्ठ प्रो. डॉ. सुब्रमण्य ने कहा कि यह सहयोग घरेलू अनुसंधान एवं विकास एजेंसियों को भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाने में योगदान का अवसर है। इस परियोजना की प्रगति और निगरानी लेफ्टिनेंट कर्नल पीयूष धारीवाल के नेतृत्व में मुख्यालय मध्य कमान के अंतर्गत एक आयुध रखरखाव कंपनी करेगी।