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बड़ी चुनौतियों के बीच नेतन्याहू ने जताई उम्मीद, शांति के अवसर कम नहीं

तेल अवीव इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने 'दुश्मनों की बड़ी चुनौतियों' के बीच भी 'शांति के बड़े अवसर' की बात की है। माउंट हर्जल में आयोजित एक राजकीय कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री ने ये विचार रखे। युद्ध में मिली सफलता की सराहना करते हुए, नेतन्याहू ने कहा, "हमारे दुश्मन अभी भी एक बड़ी चुनौती हैं। वे फिर से हथियार उठाने की फिराक में हैं।" उन्होंने स्पष्ट तौर पर ईरान का नाम नहीं लिया, लेकिन द टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के अनुसार इशारा उन्हीं की ओर था। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए नेतन्याहू ने कहा, "बड़ी चुनौतियां—और उनके साथ-साथ, शांति के दायरे को व्यापक बनाने के और बड़े अवसर हैं। हम अपने इस दावे को दोहराते हैं कि युद्ध के बाद इजरायल पड़ोसी अरब देशों के साथ रिश्तों को सामान्य बनाने और शांति समझौतों का विस्तार करने के लिए तैयार है।" नेतन्याहू ने माना कि राष्ट्रीय एकता जरूरी है। वे बोले, "हम एक साथ दोनों स्तरों पर काम कर रहे हैं, और दोनों ही स्तरों पर एकता जरूरी है, युद्ध में भी और शांति में भी। हम अपने सभी लक्ष्य हासिल करेंगे, सिर्फ आंतरिक एकजुटता, आपसी जिम्मेदारी और उन बंधनों को मजबूत करके जो तोड़ते नहीं बल्कि जोड़ते हैं।" इससे पहले उन्होंने हर बंधक (शव) को वापस लाने की बात कही। बोले, "हम हर एक बंधक को वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।" प्रधानमंत्री ने कहा, "संघर्ष अभी खत्म नहीं हुआ है। लेकिन आज एक बात स्पष्ट है: जो कोई भी हमारे खिलाफ हाथ उठाएगा, वह पहले से ही जानता है कि उसे अपनी आक्रामकता की बहुत भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। हम उस जीत को हासिल करने के लिए दृढ़ हैं जो आने वाले कई वर्षों तक हमारे जीवन की दिशा तय करेगी।" उन्होंने शहीद सैनिकों के परिवारों से कहा, "मैं आपके दुख की गंभीरता को समझता हूं। मैं युद्ध में लड़ने वाले सभी सैनिकों—यहूदियों, ड्रूज, ईसाइयों, मुसलमानों, बेडोइन, सर्कसियन, और अन्य समूहों के सदस्य जो कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे—का राष्ट्र की ओर से आभार व्यक्त करता हूं।"

नेतन्याहू ने PM मोदी को कॉल करने के लिए रोकी अहम बैठक, सामने आई बड़ी वजह

नई दिल्ली यरूशलम में गुरुवार रात एक दिलचस्प नजारा देखने को मिला. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्‍याहू सुरक्षा कैबिनेट की अहम बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे. एजेंडा बेहद गंभीर था. गाजा में सीजफायर और बंधकों की रिहाई पर बड़ा फैसला होना था. लेकिन अचानक नेतन्‍याहू ने बैठक रोक दी. वजह? भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोन आ गया था. जी हां, नेतन्‍याहू ने अपने सारे मंत्री और अफसर कुछ मिनटों के लिए इंतजार में छोड़ दिए, ताकि वो सीधे पीएम मोदी से बात कर सकें. दोनों नेताओं के बीच यह बातचीत लगभग दस मिनट चली, लेकिन उसका असर अब दोनों देशों के रिश्तों पर साफ दिख रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायली प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, प्रधानमंत्री नेतन्‍याहू ने गाजा में युद्धविराम और बंधकों की रिहाई पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का फोन रिसीव किया. मोदी ने उन्हें इस समझौते पर बधाई दी और कहा कि भारत इस मानवीय प्रयास का समर्थन करता है. बयान में आगे लिखा है कि मोदी ने नेतन्‍याहू को करीबी दोस्त बताया और कहा कि भारत-इजरायल की दोस्ती हर परिस्थिति में मजबूत रहेगी. नेतन्‍याहू ने भी पीएम मोदी का आभार जताते हुए कहा कि वो भारत के साथ मिलकर काम जारी रखना चाहते हैं. नेतन्याहू को दी बधाई, गाज़ा समझौते का किया स्वागत पीएम मोदी ने नेतन्याहू को फोन लगाकर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के गाज़ा में शांति प्लान के तहत हुई प्रगति पर इज़रायली पीएम को बधाई दी। इसके साथ ही पीएम मोदी ने बंधकों की रिहाई और गाज़ा के लोगों को मानवीय सहायता बढ़ाने पर हुए समझौते का स्वागत भी किया। पीएम मोदी ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि दुनिया में कहीं भी किसी भी रूप या स्वरूप में आतंकवाद अस्वीकार्य है। मोदी बोले-आतंकवाद कहीं भी बर्दाश्त नहीं इस बातचीत के तुरंत बाद पीएम मोदी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, मैंने अपने मित्र प्रधानमंत्री नेतन्‍याहू को फोन करके गाजा शांति योजना में हुई प्रगति पर बधाई दी. हमने बंधकों की रिहाई और गाज़ा के लोगों के लिए बढ़ाई जा रही मानवीय मदद का स्वागत किया. मैंने दोहराया कि आतंकवाद किसी भी रूप में और कहीं भी स्वीकार्य नहीं है. मोदी के इस ट्वीट को कुछ ही मिनटों में लाखों व्यूज़ मिले और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने भी इसे हाथों-हाथ लिया. कई विश्लेषकों ने कहा कि यह बातचीत इस बात का संकेत है कि भारत अब पश्चिम एशिया की राजनीति में एक संतुलित लेकिन प्रभावी भूमिका निभा रहा है. सोमवार तक रिहा होंगे सभी बंधक इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि गाज़ा में हामास के कब्जे में मौजूद बंधकों को सोमवार या मंगलवार को रिहा कर दिया जाएगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि वे मिस्र में आयोजित होने वाली समझौते की हस्ताक्षर समारोह में शामिल होंगे. ट्रंप ने व्हाइट हाउस कैबिनेट बैठक में बताया कि बुधवार को बंधकों की रिहाई और गाज़ा के पुनर्निर्माण के पहले चरण पर समझौता हुआ. हामास 72 घंटे के संघर्षविराम के बाद 20 बचे बंधकों को एक साथ रिहा करेगा. ट्रंप ने इसे खुशी का दिन बताया और कहा कि इससे क्षेत्र में “स्थायी शांति” की उम्मीद है. गाजा डील और नेतन्‍याहू की मुश्किलें इजरायल और हमास के बीच महीनों से चल रहे संघर्ष में यह सीजफायर डील बेहद अहम मानी जा रही है. इसमें सभी बंधकों की रिहाई और गाजा में मानवीय सहायता बढ़ाने की बात कही गई है. इजरायल के भीतर इस समझौते को लेकर मतभेद हैं. कुछ नेता मानते हैं कि यह आतंक के आगे झुकना है, तो कुछ इसे जरूरी राहत बता रहे हैं. ऐसे वक्त में नेतन्‍याहू का मोदी से बात करना केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि कूटनीतिक संदेश है कि भारत न सिर्फ गाजा संकट पर नज़र रखे हुए है, बल्कि शांति के हर प्रयास का समर्थन कर रहा है. पीएम मोदी ने इजरायल को बताया भारत का मित्र प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू हमेशा से भारत के घनिष्ठ मित्र रहे हैं और दोनों देशों के बीच यह मित्रता आने वाले समय में भी और मजबूत रहेगी. मोदी ने कहा कि भारत और इजरायल के रिश्ते आपसी विश्वास, सहयोग और समान मूल्यों पर आधारित हैं और यह संबंध समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं. वहीं, प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने मोदी का इजरायल के प्रति समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया. दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि भारत और इजरायल आगे भी करीबी साझेदारी और समन्वय के साथ विभिन्न मुद्दों पर साथ काम करते रहेंगे. पीएम ने की ट्रंप से बात गुरुवार को इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी बात की और उन्हें अमेरिका की ओर से कराए गए गाजा शांति समझौते के पहले चरण की सफलता पर बधाई दी. यह तीन हफ्तों में पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच दूसरी फोन कॉल थी. प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति की इस ऐतिहासिक शांति योजना को आगे बढ़ाने में उनकी भूमिका की सराहना की. पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, मैंने मेरे दोस्त राष्ट्रपति ट्रंप से बात की और ऐतिहासिक गाजा शांति योजना की सफलता पर उन्हें बधाई दी. व्यापारिक वार्ताओं में हुई अच्छी प्रगति की भी समीक्षा की. गाजा में हुआ युद्धविराम अमेरिका ने घोषणा की कि इजराइल और हमास — जो पिछले दो साल से एक-दूसरे से लड़ रहे हैं — उन्होंने गाजा शांति योजना के पहले चरण पर सहमति बना ली है. इस पहले चरण में गाजा पट्टी में युद्धविराम (सीजफायर) लागू किया जाएगा और इजराइली बंधकों और फिलिस्तीनी कैदियों की रिहाई की जाएगी. यह युद्ध उस समय शुरू हुआ जब 7 अक्टूबर 2023 को हमास ने इजराइली पर हमला किया था. इस हमले में लगभग 1,200 लोगों की मौत हो गई थी और हमास ने 251 लोगों को बंधक बना लिया था, जिनमें से अब भी 50 से अधिक लोग उसकी कैद में हैं. इजराइल ने इस हमले के बाद गाजा में सैन्य अभियान शुरू किया. फिलिस्तीन के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस युद्ध में अब तक 66,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं. यह शांति समझौता उस लंबे संघर्ष में एक अहम मोड़ माना जा रहा है, जिसने गाजा … Read more

शांति वार्ता के बावजूद तनाव बना रहा — इजरायल का वचन: हमास को निरस्त्रीकरण करेंगे

इजरायल इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को साफ शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि हमास को या तो आसान तरीके से या कठिन तरीके से निशस्त्र किया जाएगा। यह बयान ऐसे समय आया है जब फिलस्तीनी संगठन हमास ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा शांति योजना के कुछ हिस्सों को स्वीकार कर लिया है, जिसमें सभी बंधकों की रिहाई भी शामिल है। नेतन्याहू ने कहा कि गाजा से इजरायल की पूर्ण सैन्य वापसी नहीं होगी और यह क्षेत्र अब भी इजरायली नियंत्रण में रहेगा। उन्होंने कहा, “इजरायली सेना गाजा में जिन इलाकों पर नियंत्रण रखती है, उन्हें बनाए रखेगी। योजना के दूसरे चरण में हमास को या तो कूटनीतिक रूप से या हमारी सैन्य कार्रवाई के जरिए निशस्त्र किया जाएगा। या तो आसान रास्ते से या कठिन रास्ते से, निपटा दिया जाएगा।'' नेतन्याहू ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिनों में गाजा से सभी इजरायली बंधकों की रिहाई की घोषणा की जा सकेगी। उन्होंने कहा, “हम एक बहुत बड़ी उपलब्धि के कगार पर हैं। यह अभी अंतिम नहीं है, लेकिन हम दिन-रात काम कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि सुक्कोत पर्व के दौरान मैं सभी बंधकों की वापसी की घोषणा कर सकूंगा।” उन्होंने यह भी बताया कि इजरायली सेना (IDF) अभी भी गाजा पट्टी के गहरे हिस्सों में तैनात है और वहां नियंत्रण बनाए हुए है। हमास ने ट्रंप की योजना के हिस्से किए स्वीकार शुक्रवार रात हमास ने ट्रंप की गाजा शांति योजना के कुछ हिस्सों को मंजूरी दी, जिनमें युद्ध समाप्ति, इजरायल की चरणबद्ध वापसी, इजरायली बंधकों और फिलस्तीनी कैदियों की रिहाई, गाजा में राहत और पुनर्निर्माण कार्य और फिलस्तीनियों को क्षेत्र से निष्कासन के विरोध का वचन शामिल है। ट्रंप ने इससे पहले हमास को अंतिम चेतावनी दी थी कि वह रविवार शाम 6 बजे (अमेरिकी समयानुसार) तक प्रस्ताव स्वीकार करे, वरना नरक टूट पड़ेगा। ट्रंप ने हमास को जल्द से जल्द शांति समझौते पर सहमत होने की सलाह दी, साथ ही इजरायल को भी गाजा पर बमबारी रोकने की चेतावनी दी थी। हालांकि, चेतावनी के कुछ ही घंटे बाद इजरायल ने गाजा पर हवाई हमले किए, जिनमें छह लोगों की मौत हो गई। रॉयटर्स के मुताबिक, एक हमले में गाजा सिटी में चार और खान यूनिस में दो लोगों की जान गई। रविवार को ट्रंप ने दावा किया कि इजरायल प्रारंभिक वापसी रेखा पर सहमत हो गया है और जैसे ही हमास इसकी पुष्टि करेगा, तुरंत युद्धविराम लागू हो जाएगा। उन्होंने कहा, “हमने जो रेखा तय की है, उस पर इजरायल सहमत हो गया है। जब हमास पुष्टि करेगा, युद्धविराम तुरंत लागू होगा, बंधक और कैदी वापसी शुरू होगा और यह 3,000 साल पुराने संघर्ष के अंत की दिशा में बड़ा कदम होगा।” मिस्र में सोमवार से वार्ता शुरू इजरायल और हमास की प्रतिनिधि टीमें सोमवार से मिस्र में होने वाली वार्ता में हिस्सा लेंगी जहां युद्धविराम और गाजा के भविष्य पर आगे की रूपरेखा तय होने की उम्मीद है।  

नेतन्याहू का दांव: गाजा संघर्ष के बीच ट्रंप से मीटिंग, US में युद्धविराम की आस

गाजा इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इस समय वॉशिंगटन में हैं। आज (सोमवार, 29 सितंबर को) उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात होने वाली है। इससे पहले नेतन्याहू ने कहा है कि वह वाइट हाउस के साथ गाजा में एक नए युद्धविराम योजना पर काम कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने इसका कोई विवरण नहीं दिया और सिर्फ इतना कहा कि इसके विवरण तय किए जा रहे हैं। नेतन्याहू का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है, जब एक तरफ इजरायली फौज गाजा में लगातार आगे बढ़ रही है और ताबड़तोड़ हमले कर रही है, ताकि शहर को हमास से मुक्त कराया जा सके। वहीं दूसरी तरफ, नेतन्याहू पर गाजा युद्ध को समाप्त करने का भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव है। इस बीच, गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इजरायल और हमास के बीच लगभग तीन साल से जारी युद्ध में मारे गए फिलिस्तीनी नागरिकों की संख्या अब बढ़कर 66,000 से अधिक हो गई है। वाइट हाउस में सोमवार को होने वाली ट्रंप-नेतन्याहू की बैठक में, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा गाजा में युद्ध समाप्त करने के लिए एक नया प्रस्ताव साझा करने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि ट्रंप इसके लिए 21 सूत्री प्रस्ताव का ऐलान कर सकते हैं। इसी के मद्देनजर नेतन्याहू के सुर में बदलाव देखा गया है। नेतन्याहू ने फॉक्स न्यूज़ संडे के 'द संडे ब्रीफिंग' में कहा, “हम इस पर काम कर रहे हैं। इसे अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है, लेकिन हम राष्ट्रपति ट्रंप की टीम के साथ काम कर रहे हैं, और मुझे उम्मीद है कि हम इसे सफल बना सकते हैं।” 21-सूत्रीय प्रस्ताव में तत्काल युद्धविराम योजना की जानकारी रखने वाले अरब अधिकारियों का कहना है कि 21-सूत्रीय प्रस्ताव में तत्काल युद्धविराम, हमास द्वारा बंधक बनाए गए सभी लोगों को 48 घंटों के भीतर रिहा करने और गाजा से इजरायली सेना की क्रमिक वापसी की बात शामिल है। अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर एसोसिएट प्रेस से यह बात कही क्योंकि प्रस्ताव की औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। अधिकारियों ने कहा कि प्रस्ताव अंतिम नहीं है और इसमें बदलाव की पूरी संभावना है। अरब नेताओं के साथ इस प्रस्ताव पर चर्चा दरअसल, ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान न्यूयॉर्क में अरब नेताओं के साथ इस प्रस्ताव पर चर्चा की थी। हमास के एक अधिकारी ने कहा कि समूह को योजना के बारे में जानकारी दे दी गई है, लेकिन अभी तक मिस्र और कतर के मध्यस्थों से कोई आधिकारिक प्रस्ताव नहीं मिला है। हमास ने कहा है कि वह ‘किसी भी प्रस्ताव का सकारात्मक और जिम्मेदारी से अध्ययन करने’ के लिए तैयार है। गाजा में अभी भी 48 लोग बंधक बता दें कि नेतन्याहू ने हमास के खात्मे तक लड़ाई जारी रखने की कसम खाई है। हालांकि, उन्होंने संघर्ष समाप्त करने वाले समझौते के तहत हमास के गुर्गों को गाजा छोड़ने की अनुमति देने की पेशकश दोहराई है। बता दें कि 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के आतंकी हमले के बाद से इजरायल ने हमास के ठिकानों को नेस्तनाबूद करना शुरू कर दिया था। गाजा में आक्रमण उसी रणनीति का हिस्सा है। उन्होंने कहा, "अगर वे युद्ध खत्म कर देते हैं, सभी बंधकों को रिहा कर देते हैं, तो हम उन्हें छोड़ देंगे।" गाजा में अभी भी 48 लोग बंधक है। सीजफायर की बात क्यों करने लगे नेतन्याहू? दरअसल, नेतन्याहू पर युद्ध समाप्त करने के लिए काफी अंतरराष्ट्रीय दबाव है। इजरायली आपत्तियों के बावजूद, प्रमुख पश्चिमी सहयोगी देश फिलिस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले देशों की बढ़ती सूची में शामिल हो गए हैं। अमेरिका पर भी इस युद्ध को रुकवाने का दबाव बढ़ गया है। दूसरी तरफ, यूरोपीय संघ इजरायल के खिलाफ प्रतिबंधों पर विचार कर रहा है और उसके खिलाफ खेल एवं सांस्कृतिक बहिष्कार के प्रयास भी तेज हो गए हैं।

इजराइल-गाजा संघर्ष तेज़, नेतन्याहू ने जताया अमेरिका पर भरोसा, कतर ने उठाई सज़ा देने की मांग

यरूशलम: इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने  को कहा कि शीर्ष अमेरिकी राजनयिक मार्को रुबियो की इजराइल यात्रा ने सहयोगियों के बीच संबंधों की मजबूती को दिखाया है. यह बात कतर में हमास नेताओं पर हुए अभूतपूर्व इजराइली हमले की व्यापक आलोचना के कुछ दिनों बाद कही गई है. गाजा युद्ध विराम वार्ता में अमेरिकी सहयोगी और प्रमुख मध्यस्थ पर हुए हमले ने अरब और मुस्लिम नेताओं को दोहा में एकजुटता दिखाने के लिए इकट्ठा होने के लिए प्रेरित किया है. यहां कतर के प्रधानमंत्री ने दुनिया से "दोहरे मानदंडों" को त्यागने और इजराइल को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया. अमेरिकी नेता डोनाल्ड ट्रंप ने हमले के लिए इजराइल की कड़ी आलोचना की, और रुबियो ने वॉशिंगटन रवाना होने से पहले पत्रकारों के सामने स्वीकार किया कि राष्ट्रपति इससे "खुश नहीं" थे. साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि इस हमले से "इजराइलियों के साथ हमारे संबंधों की प्रकृति में कोई बदलाव नहीं आएगा." फिर भी, इस हमले ने गाजा में युद्ध विराम सुनिश्चित करने के प्रयासों पर नए सिरे से दबाव डाला है, और रुबियो ने स्वीकार किया कि संयुक्त राज्य अमेरिका और इजराइल को इसके प्रभाव के बारे में "बात करनी होगी." नेतन्याहू ने इस अभियान का बचाव किया है. इसमें हमास के अधिकारी एक नए अमेरिकी युद्ध विराम प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए एकत्रित हुए थे. साथ ही ये कहा कि समूह के नेताओं को मारने से गाजा युद्ध को समाप्त करने में "मुख्य बाधा" दूर हो जाएगी. एएफपी संवाददाता के अनुसार,  को रुबियो ने नेतन्याहू और इजराइल में अमेरिकी राजदूत माइक हुकाबी के साथ यरुशलम की पवित्र पश्चिमी दीवार पर प्रार्थना की. नेतन्याहू ने बाद में कहा कि इस यात्रा से पता चलता है कि इजराइली-अमेरिकी गठबंधन "पश्चिमी दीवार के उन पत्थरों जितना ही मजबूत और टिकाऊ है जिन्हें हमने अभी छुआ है." उन्होंने आगे कहा कि रुबियो और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में, "यह गठबंधन पहले कभी इतना मजबूत नहीं रहा." रुबियो की नेतन्याहू सहित अधिकारियों के साथ मुख्य बैठकें आज सोमवार को होंगी, उसके बाद मंगलवार को रवाना होंगे. उनकी यह यात्रा  कतर में अरब और मुस्लिम नेताओं के आपातकालीन शिखर सम्मेलन के साथ मेल खाती है, जिसके प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने  को एक तैयारी बैठक को संबोधित किया था. उन्होंने कहा, "समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय दोहरे मापदंड अपनाना बंद करे और इज़राइल को उसके द्वारा किए गए सभी अपराधों के लिए दंडित करे." उन्होंने आगे कहा कि गाजा में इजराइल का "विनाश का युद्ध" सफल नहीं होगा. "इजराइल को जारी रखने के लिए जो चीज प्रोत्साहित कर रही है… वह है उसकी चुप्पी, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की उसे जवाबदेह ठहराने में असमर्थता." बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आलोचना के बावजूद, इजराइल ने हाल के दिनों में इस क्षेत्र के सबसे बड़े शहरी केंद्र, गाजा शहर पर कब्जा करने के प्रयास तेज कर दिए हैं. उसने निवासियों को शहर खाली करने के लिए कहा है और कई ऊंची इमारतों को उड़ा दिया है, जिनका इस्तेमाल हमास कर रहा है. अगस्त के अंत तक, संयुक्त राष्ट्र का अनुमान था कि शहर और उसके आसपास के इलाकों में लगभग 10 लाख लोग रह रहे थे, जहां उसने अकाल की घोषणा की है. इसके लिए इजराइली सहायता प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराया है. एएफपी की तस्वीरों में वाहनों और पैदल लोगों का एक समूह नष्ट इमारतों के वीरान परिदृश्य से होते हुए गाजा शहर से दक्षिण की ओर भागता हुआ दिखाई दे रहा है. गाजा शहर की निवासी 20 वर्षीय सारा अबू रमदान ने कहा, "हम लगातार गोलाबारी और शक्तिशाली विस्फोटों के बीच लगातार आतंक में जी रहे हैं. इन रॉकेटों में इतनी बड़ी मारक क्षमता क्यों है? उनका लक्ष्य क्या है? हम यहां मर रहे हैं, हमारे पास शरण लेने के लिए कोई जगह नहीं है… और दुनिया बस देख रही है." गाजा की नागरिक सुरक्षा एजेंसी ने कहा कि  सुबह से इस क्षेत्र के आसपास इज़राइली हमलों में कम से कम 45 लोग मारे गए हैं. गाजा में मीडिया पर प्रतिबंध और कई इलाकों तक पहुंचने में कठिनाइयों के कारण, एएफपी नागरिक सुरक्षा एजेंसी या इजराइली सेना द्वारा उपलब्ध कराए गए विवरणों की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर पा रहा है. कतर के पीएम की दुनिया से गुहार, इजराइल को दंडित करें, डबल स्टैंडर्ड छोड़ें कतर के प्रधानमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से "दोहरे मानदंडों" को खारिज करने और इजराइल को जवाबदेह ठहराने का आग्रह किया. यह बात उन्होंने दोहा में हमास सदस्यों पर अभूतपूर्व इजराइली हमले के जवाब में बुलाई गई एक आपातकालीन शिखर बैठक की पूर्व संध्या पर कही. अमेरिका के एक सहयोगी द्वारा दूसरे देश की धरती पर किए गए इस घातक हमले ने आलोचनाओं की लहर पैदा कर दी. इसमें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की फटकार भी शामिल है, जिन्होंने समर्थन जताने के लिए विदेश मंत्री मार्को रुबियो को इजराइल भेजा. सोमवार को अरब और इस्लामी नेताओं की आपातकालीन बैठक खाड़ी देशों के बीच एकता का एक स्पष्ट प्रदर्शन होगी और इजराइल पर और दबाव बनाने की कोशिश करेगी, जो पहले से ही गाजा में युद्ध और मानवीय संकट को समाप्त करने के लिए बढ़ती मांगों का सामना कर रहा है. कतर के प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने रविवार को एक तैयारी बैठक में कहा, "समय आ गया है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय दोहरे मापदंड अपनाना बंद करे और इजराइल को उसके द्वारा किए गए सभी अपराधों के लिए दंडित करे." उन्होंने आगे कहा कि गाजा में इजराइल का "विनाश का युद्ध" सफल नहीं होगा. "इजराइल को जारी रखने के लिए जो चीज प्रोत्साहित कर रही है… वह है उसकी चुप्पी, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की उसे जवाबदेह ठहराने में असमर्थता." सोमवार के शिखर सम्मेलन में ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन, इराकी प्रधानमंत्री मोहम्मद शिया अल-सुदानी और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन के शामिल होने की उम्मीद है. फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास रविवार को दोहा पहुंचे. यह देखना बाकी है कि सऊदी अरब के वास्तविक शासक, क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान इस बैठक में शामिल होंगे या नहीं, हालांकि उन्होंने इस हफ़्ते की शुरुआत में पड़ोसी देशों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए कतर का दौरा किया था. कतर के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माजिद अल-अंसारी के अनुसार, … Read more

गाजा पर कब्जे को लेकर नेतन्याहू का सख्त रुख, कहा- बंधक समझौते से फर्क नहीं पड़ता

येरुशेलम इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दो टूक कहा है कि अगर हमास बंधकों को रिहा करने वाली शर्तों के साथ युद्धविराम समझौते पर सहमत हो जाता है, तब भी उनकी सेना पूरे गाजा पट्टी पर कब्जा करेगी। नेतन्याहू की यह टिप्पणी तब आई है, जब गाजा पर कब्जा करने के लिए इजरायली सुरक्षा बल आगे बढ़ रहे हैं और उनके इस कदम की अंतरराष्ट्रीय जगत में भारी आलोचना हो रही है।  स्काई न्यूज ऑस्ट्रेलिया से बात करते हुए, नेतन्याहू ने जोर देकर कहा कि हमास को खदेड़ने का उनका लक्ष्य अपरिवर्तित है। उन्होंने कहा, "हम ऐसा वैसे भी करेंगे। ऐसा कभी नहीं था कि हम हमास को वहाँ छोड़ देंगे।" नेतन्याहू ने कहा कि हम हर हाल में गाजा पर भी कब्जा करेंगे। ट्रंप के बयान का भी किया जिक्र उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस समर्थन का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि हमास गाजा में नहीं रह सकता है। नेतन्याहू ने कहा, “मुझे लगता है कि राष्ट्रपति ट्रंप ने सबसे सही कहा है, उनका कहना है कि हमास को गाजा से जाना ही होगा। यह SS (शुट्ज़स्टाफ़ेल) को जर्मनी में ही छोड़ देने जैसा है। आप जानते हैं, जर्मनी के ज़्यादातर हिस्से को तो SS से मुक्त करा लिया गया था लेकिन बर्लिन को एसएस और नाज़ी कोर के साथ छोड़ दिया गया था।” आलोचनाओं को कहा- यहूदी-विरोधी सुनामी बता दें कि 1925 में हिटलर ने शुट्ज़स्टाफ़ेल की स्थापना की थी, जिसे एसएस के नाम से भी जाना जाता है। एसएस को शुरू में हिटलर के निजी अंगरक्षकों के रूप में बनाया गया था, बाद में इसने बड़ा रूप ले लिया था और नाजियों पर कब्जा कर लिया था। नेतन्याहू ने तर्क दिया कि अगर हमास शेष बंधकों को रिहा करने, निरस्त्रीकरण करने और "गाज़ा का विसैन्यीकरण" करने पर सहमत हो जाए, तो युद्ध आज ही समाप्त हो सकता है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय आलोचना को यहूदी-विरोधी सुनामी कहकर खारिज कर दिया। UN महासचिव बोले तुरंत हो युद्धविराम बता दें कि इजरायली रक्षा बलों (IDF) ने घनी आबादी वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्र के उत्तरी भाग में स्थित गाज़ा शहर पर कब्ज़ा करने की अपनी अहम रणनीति के तहत बुधवार को युद्ध का अगला चरण शुरू कर दिया है। नेतन्याहू ने इसे हमास का गढ़ बतलाया है। इसके साथ ही इजरायली सेना के जवान गाजा पट्टी में अंदर घुस गए। दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने नेतन्याहू से तुरंत अपने सैनिकों को गाजा से बुलाने और युद्धविराम का आह्वान किया है। उन्होंने कहा है कि IDF के आक्रमण से गाजा पट्टी में भूख से तड़प रहे लोगों का बड़े पैमाने पर विनाश हो जाएगा। अक्टूबर 2023 से अब तक गाजा में फ़िलिस्तीनियों की आधिकारिक मौत के आंकड़े इस सप्ताह बढ़कर 62,000 को पार कर गए हैं।

इंटरनेशनल कोर्ट के जजों पर अमेरिका का प्रतिबंध, नेतन्याहू से जुड़ा मामला

वॉशिंगटन/यरुशेलम  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) के वैसे जजों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिन्होंने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और अमेरिकी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने को मंजूरी दी थी और अरेस्ट वारंट जारी किया था। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो द्वारा बुधवार को घोषणा किए गए इस कदम की इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रशंसा की है। उन्होंने कहा कि यरूशलेम को झूठे तरीके से बदनाम करने के ICC के अभियान पर अमेरिकी सरकार का यह दंडात्मक कदम सराहनीय है। नेतन्याहू ने इस कदम को इजरायल की रक्षा में एक निर्णायक कदम कहा है। नेतन्याहू के ऑफिस से जारी एत बयान में उन्होंने कहा, "मैं अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो को हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीशों पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के लिए बधाई देता हूँ।" उन्होंने आगे कहा, "यह इजरायल और इजरायली डेमोक्रेटिक फ्रंट को निशाना बनाकर किए जा रहे झूठे प्रचार अभियान के खिलाफ और सच्चाई व न्याय के पक्ष में एक कड़ा कदम है।" किन-किन पर लगे प्रतिबंध? ट्रंप प्रशासन ने जिन जजों पर ये प्रतिबंध लगाए हैं उनमें फ्रांस के न्यायाधीश निकोलस यान गुइलौ, फिजी के उप अभियोजक नजहत शमीम खान और सेनेगल के उप अभियोजक मामे मांडियाये नियांग के भी नाम शामिल हैं। इन लोगों ने गाजा में कथित युद्ध अपराधों के लिए इजरायली पीएम नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ पिछले साल गिरफ्तारी वारंट पर हस्ताक्षर किए थे। इनके अलावा कनाडा की न्यायाधीश किम्बर्ली प्रोस्ट को भी उस फैसले के लिए प्रतिबंधित किया गया है जिन्होंने आईसीसी को अफगानिस्तान में अमेरिकी कर्मियों की जाँच करने की अनुमति दी थी। नवंबर 2024 में नेतन्याहू के खिलाफ जारी हुए थे वारंट बता दें कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय के न्यायाधीशों के एक पैनल ने नवंबर 2024 में नेतन्याहू और योआव गैलेंट के लिए गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। न्यायाधीशों का मानना था कि उक्त दोनों ने गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल के अभियान के दौरान मानवीय सहायता रोककर और जानबूझकर नागरिकों को निशाना बनाकर युद्ध अपराध किए हैं। हालांकि, इजरायल के अधिकारी इस तरह के आरोपों को खारिज करते हैं। ICC ने प्रतिबंधों की कड़ी आलोचना की इसके जवाब में आईसीसी ने बुधवार को अमेरिकी प्रतिबंधों की कड़ी निंदा की और इसे सभी 125 सदस्य देशों के अधिदेश के तहत संचालित एक निष्पक्ष न्यायिक संस्था की स्वतंत्रता पर एक ज़बरदस्त हमला बताया है। एक बयान में, ICC ने कहा कि ये प्रतिबंध "अदालत के सदस्य देशों, नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और सबसे बढ़कर, दुनिया भर के लाखों निर्दोष पीड़ितों का अपमान हैं।" अदालत ने आगे कहा, "आईसीसी किसी भी दबाव या धमकी की परवाह किए बिना, अपने कानूनी ढाँचे के अनुसार अपने आदेशों का सख्ती से पालन करना जारी रखेगा।" फरवरी और जून में भी लगाए थे प्रतिबंध इससे पहले जून में भी ट्रंप प्रशासन ने आईसीसी के दो अन्य जजों को प्रतिबंधित कर दिया था। उससे पहले फरवरी में ICC के मुख्य अभियोजक करीम खान पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। इन प्रतिबंधों के बाद आईसीसी के कर्मचारियों के सामने कई तरह की अड़चनें आ रही हैं। प्रतिबंधों के कारण उनकी अमेरिका में एंट्री बैन हो गई है। इसके अलावा वे अमेरिकी संपत्तियों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। बैंकों से भी लेनदेन रुक जाएगा।

नेतन्याहू का हमास पर हमला: गाजा में बच्चों की हड्डियों की तस्वीरें हैं भ्रामक प्रचार

तेल अवीव हमास के झूठ पर आंखें खोलें… इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू रविवार को जब मीडिया से मुखातिब हुए. तब उन्होंने प्रेस के सामने हमास के झूठ की पोल खोलने का दावा किया. इधर गाजा भूख से बिलख रहा है और उधर नेतन्याहू ने इसी गाजापट्टी को लेकर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. वह बार-बार कह रहे हैं कि उनका इरादा गाजा पर पूर्ण नियंत्रण का नहीं है तो ऐसे में सवाल उठता है कि फिर आखिर उनका इरादा क्या है? नेतन्याहू ने रविवार को इंटरनेशनल मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि जितनी जल्दी हो सके, वह उतनी जल्दी गाजा में युद्ध को खत्म करना चाहते हैं. गाजा सिटी को कैप्चर करना सभी 50 इजरायली बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है.  इस दौरान नेतन्याहू ने कहा कि उनका लक्ष्य गाजापट्टी से हमास को पूरी तरह खत्म करना है. उनका कहना है कि हमास का पूरी तरह से खात्मा किए बिना गाजा में स्थायी शांति संभव नहीं है. उन्होंने स्पष्ट किया कि गाजा पर इजरायल का नियंत्रण स्थायी कब्जे के लिए नहीं है, बल्कि हमास के सैन्य ढांचे को नष्ट करने और क्षेत्र को सैन्यीकरण से मुक्त कराने के लिए है.  नेतन्याहू ने दावा किया कि इजरायल का इरादा गाजा पर शासन करने या उसे अपने देश में मिलाने का नहीं है. इसके बजाय गाजा में एक नागरिक प्रशासन स्थापित किया जाएगा जो ना तो इजरायल के लिए खतरा और क्षेत्र में शांति बनाए रखे. नेतन्याहू ने कहा कि गाजा को किसी ऐसी अस्थायी सरकार को सौंपा जाएगा. जो ना तो हमास हो और न ही इजरायल के लिए खतरा पैदा करने वाला कोई संगठन हो. उन्होंने गाजा में बंधकों की रिहाई को अपनी प्राथमिकता बताते हुए कहा कि हमास के साथ युद्ध और बंधकों की रिहाई के लक्ष्य आपस में जुड़े हुए हैं. हालांकि, बंधकों के परिवारों और कुछ आलोचकों का कहना है कि गाजा पर पूर्ण सैन्य नियंत्रण की उनकी योजना बंधकों की जान को खतरे में डाल सकती है. इससे पहले इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट ने नेतन्याहू की योजना को मंजूरी दी, जिसमें गाजा और अन्य प्रमुख क्षेत्रों पर पूर्ण सैन्य नियंत्रण स्थापित करना शामिल है. इसका उद्देश्य हमास के बचे हुए ठिकानों को खत्म करना और क्षेत्र में इजरायल की सुरक्षा सुनिश्चित करना है. गाजा युद्ध खत्म करने के 5 तरीके – हमास अपने हथियार डाल दे – सभी इजरायली बंधकों को रिहा किया जाए – गाजा का विसैन्यीकरण हो – गाजा में इजरायल का सैन्य प्रभुत्व – गाजा में ऐसी व्यवस्था तैयार करना, जो ना तो हमास के नियंत्रण में हो और ना हो फिलीस्तीनी प्राधिकरण के इजरायली पीएम नेतन्याहू ने बताया कि गाजापट्टी में हमास के अभी भी दो गढ़ बचे हुए हैं, जो गाजा सिटी और सेंट्रल कैंप्स ऑफ मोआसी हैं. नेतन्याहू ने कहा कि हमास को पूरी तरह खत्म करना इजरायल की सुरक्षा के लिए आवश्यक है और इसके बिना कोई समाधान टिकाऊ नहीं होगा. गाजा में भुखमरी और मानवीय संकट के सवालों पर नेतन्याहू ने इन आरोपों को खारिज करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि मीडिया में भूख से बिलखते बच्चों की जो तस्वीरें गाजा की बताकर शेयर की जा रही है. दरअसल वो प्रोपेगैंडा है. ये तस्वीरें गाजा की नहीं हैं. उन्होंने बकायदा प्रेजेंटेशन के साथ इंटरनेशनल मीडिया में छप रही इन बच्चों की तस्वीरों का ब्योरा दिया और दावा किया कि इन्हें गाजा का बताकर इजरायल को बदनाम किया जा रहा है.  बता दें कि नेतन्याहू ने यूरोपीय देशों और संयुक्त राष्ट्र की आलोचनाओं का जवाब देते हुए कहा कि इजरायल एक लोकतांत्रिक देश है जो अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करता है और उनकी कार्रवाइयां आतंकवाद के खिलाफ हैं.जर्मनी, फ्रांस, कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों ने गाजा पर पूर्ण सैन्य नियंत्रण की योजना की आलोचना की है. संयुक्त राष्ट्र और कई देशों ने इस मुद्दे पर सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने की मांग की है.